Wednesday, 26 October 2016

AANDEE SADDAM

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शीतल प्रकाशन

     वार्ता: नफे सिंह गांव बिलासपुर का रहने वाला है। भारत में नौकरी नहीं मिली तो दे ले के इराक सन् 1988 में चला जाता है। पहले इराक पर हमले में भी वह वहां था। उसकी घरवाली सरतो गांव में ही है। नफे सिंह अब फिर देखता है अमरीका की दादागिरी का खेल। अपने दोस्त अमन से चरचा करता है। अमरीकी राष्ट्रपति जार्ज बुश ने इराक के खिलाफ एक तरफ युद्ध का ऐलान कर रखा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के नियमों और अनुरोधों को भी ताक पर रखकर अमरीका इराक पर धवा बोलने की घोषणएं कर रहा है। पूरी दुनिया में केवल ब्रिटेन ही अमरीका का पैरोकार बना हुआ है। दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र के हथियार निरीक्षक दल को इराक में जन-संहारक हथियारों की मौजूदगी का कोई सबूत नहीं मिला है। इराक की जनता में साम्प्रदायिक समुदायों के मतभेदों को अमरीका हवा देता रहता है। क्या बताया कवि ने भला:
     यू एन ओ कती पढ़ण बिठादी कर दिया गुड़ का राला रै।।
     कहै जिसकी लाठी भैंस उसी की रोप्या मोट्टा चाला रै।।

     निरीक्षण कमेटी नै इराक जमा दोषी नहीं पाया रै
     एक तरफा हमले का अमरीका नै बिगुल बजाया रै
     झूठा प्रचार फैलाया रै कहै इराक का मैं रुखाला रै।।

     सारी दुनिया खड़ी कर दी मौत के आज किनारे पै
     महाघोर प्रलय हो ज्यागी बुश के एक इशारे पै
     फांसी लाई इराक बेचारे पै ना हो जंग का टाला रै।।

     अमरीकी सेना नै जुलमी प्लान क्यों बनाया बता
     सारा संसार सेना के दम पै इनै क्यों डराया बता
     छल प्रपंच क्यों रचाया बता बुन मकड़ी का जाला रै।।    
   
     तेल भण्डारां पै कब्जा यो अमरीका जमाना चाहवै
     सद्दाम या मानता कोण्या ज्यां इसनै भजाना चाहवै
     रणबीर सिंह कराना चाहवै अमरीका का मुंह काला रै।।

     वार्ता: सरतो सुबह का काम करके चारपाई पर बैठ कर अखबार पढ़ने लगती है। अमरीका को बुश का ऐलान इराक के खिलाफ पढ़ती है तो नफेसिंह की बहोत याद आती है। वह पढ़ती है कि अमरीका का यह दावा कि इराक के खिलाफ जंग आतंकवाद के खिलाफ अन्तर्राष्ट्रीय अभियान का हिस्सा है, सफेद झूठ है। यह प्रचार भी गलत है कि इराक पश्चिमी दुनिया के लिए बड़ा भारी फौजी खतरा है। सच्चाई तो यह है कि अमरीका सभी अमन पसन्द गरीब देशों के लिए खतरा बना हुआ है। वह पूरी दुनिया को धमका रहा है, शेखी खोरी दिखा रहा है और घमण्ड में चूर है। सच तो यह है कि अमरीका के पास दुनिया के सबसे घातक हथियारों का जखीरा है। वह क्या सोचती है भला -
     इराक के खिलापफ जंग के क्यों पागल घोड़े छोड़ दिये।।
     सद्दाम पै तोहमद लगाकै मुंह तोपां के क्यों मोड़ दिये।।

     कब्जा करना इराक के उपर या युद्ध की जड़ मैं दीखै
     तेल के बदले खून बहाना मामला गड़बड़ मैं दीखै
     बम्बां की अकड़ मैं दीखै गरीब देशां के मुंह फोड़ दिये।।

     आज तलक ना देखे सुने इसे हथियार पिना राखै
     कहै दो दिनां मैं सीधा कर द्यूं इराक नै पंख फैला राखै
     बुश नै ये देश भका राखै कइयां के बांह मरोड़ दिये।।

     कहै बुश जो अमरीका चाहवै वो करकै नै दिखावै गा
     सद्दाम घणा आण्डी पाकै इसनै सही सबक सिखावैगा
     इराक नै ध्ूाल चटावैगा ये घाटे नफे सब जोड़ लिये।।

     बगदाद तबाह करकै नै लंगोट घुमाया चाहवै सै
     दानव आला रूप यौ अपणा छल तै छिपाया चाहवै सै
     रणबीर नै दबाया चाहवै सै काढ़ सही निचोड़ लिये।।

     वार्ता: नफेसिंह की चिट्ठी नहीं आई। सरतो को चिन्ता होने लगती है। जंग आजकल में होने वाला है। टी.वी. पर परमाणु बम के खतरे की भी बात चलती है कि सब कुछ तबाह हो जाएगा। वह नफेसिंह को बहुत याद करती है और मन में क्या सोचती है भला:
     परमाणु बम्ब कहैं पिया दुनियां मैं तबाही मचा देगा।।
     परमाणु की अग्नि मारै क्यूकर यो भगवान बचा देगा।।

     धमाका होवै गरमी छाज्या शहर राख हो ज्यां जल कै
     तबाह मानवता हो ज्यागी खतम जंगल होज्या बल कै
     संसार बचाना होज्या रल कै अमरीका आग लगा देगा।।

     धुंए की परत का काम्बल आसमान मैं आ ज्यागा
     सूरज की रोशनी नै चूसै घनघोर अन्धेरा छाज्यागा
     घणा बैरी ठारा खाज्यागा जीव जन्तू नै गला देगा।।

     बरफ तै सीली होवै धरती उतर तै दक्षिण लहर चलै
     उतर का जिब नाश होवै नहीं दक्षिण का कहर टलै
     पूरा गांव और शहर गलै फेर खेती कौण उगा देगा।।

     खाणे की चेन समुन्द्र मैं तहस नहस भाई हो ज्यागी
     मानव पेड़ और पौध्यां की भूख में तबाही हो ज्यागी
     बचे नै बीमारी माई खोज्यागी रणबीर कौण जिवादेगा।।

     वार्ता: नफेसिंह को सरतो की लिखी चिट्ठी मिलती है। सरतो ने नफेसिंह के लिए चिन्ता जताई है। वह लिखता है कि पहले हमले के बाद से इराक पर प्रतिबन्ध लगा है। 5 लाख बच्चे भूख के कारण व बीमारी में दवाई की कमी के कारण मर चुके हैं। पिछले हमले से ही इराक उबर नहीं पाया है। इराक के तेल को दूसरे देशों में भेजने पर रोक है। परन्तु फिर भी लोग सद्दाम को बहुत चाहते हैं। हां कुर्द लोग तथा एकाध सम्प्रदाय के लोग जरूर सद्दाम को दूसरी नजर से देखते हैं। इराक के लोग व सद्दाम वे बारे में क्या सोचते हैं वह लिख कर भेजता है।
     धन-धन सै सद्दाम तनै, बुश की थामी लगाम तनै
     विश्व याद करै तमाम तनै, यो तेरा नाम अमर होग्या।।

     दोगली नीति अमरीका की, धौंस पट्टी अमरीका की
     बुश नै डंडे का जोर दिखाया, इराक बिना बात चोर बताया
     तनै संघर्ष का दौर सिखाया, यो तेरा नाम होग्या।।

     अमरीका की सेना भारी सै, बेशरमी चौड़े मैं दिखारी सै
     इराक झुकाना आसान कड़ै, बुश तनै यो उनमान कड़ै
     फांसी तै मरया सद्दाम कड़ै, उसका नाम अमर होग्या।।

     सद्दाम नै हंस कै फांसी खाई, नकाब ओढण की करी मनाही
     दुनिया तै दिया सही पैगाम, बुश तो चाहता तेल तमाम
     अमरीका कै कसो लगाम, यो तेरा नाम अमर होग्या।।

     इराकी बहादुरी दिखावैंगे, कोन्या अपना शीश झुकावैंगे
     रणबीर सिंह का गाम बरोना, सिख्या मुश्किल छन्द पिरोना
     अमरीका का काम घिनोना, ये तेरा नाम अमर होग्या।।

     वार्ता: सद्दाम को फांसी की सजा सुनाई गई तो सरतो को बहुत बुरा लगता है। फिर अगले दिन खबर आती है कि कोई दलील, अपील नहीं मानी गई और फांसी का वक्त तय कर दिया गया। 30 दिसम्बर को टी.वी. पर फांसी का सीन देखती है तो रो पड़ती है सरतो और क्या कहती है:
     सद्दाम नै पूरा इराक चाहवै, नफेसिंह नहीं झूठ भकावै,
     एकाध बै कुर्दां पै जुलम

     जनता खातर पूरी हमदर्दी, अमरीका दीखै उसनै खुदगर्जी
     ब्रिटेन फ्रांस जर्मनी सारे कै, कहैं युद्ध मत थोपो म्हारे पै
     कट्ठे हों सद्दाम के इशारे पै, याहे सै असली तसवीर गोरी।।

     देश भीतर बंदर बांट मचाकै, कुर्दां गेल्या सद्दाम लड़वाकै
     अमरीका चाहता मैं बैठूं आकै, याहे तो सै तसवीर गोरी।।
     पर इराकी बहादुरी दिखावैं, कोन्या अपना शीश झुकावैं
     दुनिया रोकैगी युद्ध घमसान, राम रहीम और रहमान
     शान्ति का करते गुणगान, याहे सै असली तसवीर गोरी।।

     अमरीका की सेना छारी सै, जुलमों सितम या
     इराक दबाना आसान कोन्या, बुश नै यो उनमान कोन्या
     रणबीर शैतान सै इन्सान कोन्या, याहे सै असली तसवीर गोरी।।

     वार्ता: एक दिन बिलासपुर गांव में ज्ञान विज्ञान समिति के चर्चा मण्डल की बैठक होती है। उसमें चर्चा अमरीका की दादागीरी पर होती है। वहां बताते हैं कि अमरीका बनाम शेष विश्व का मामला है यह! अमरीका किसी भी कीमत पर इराक में सरकार परिवर्तन चाहता है। सन् 1991 से अन्तहीन युद्ध इराक के खिलाफ चलाया जा रहा है। उस युद्ध में अमरीका के लड़ाकू विमानों और मिसाइलों ने 1,10,000 हवाई उड़ानें भरी थी और 88,500 टन बम गिराये थे। उस युद्ध में 1,50,000 इराकी मारे गये थे। घर, अस्पताल, स्कूल कुछ भी नहीं बख्शा था। मामला अमरीका और इराक का नहीं है। मसला ये है कि पूरी दुनिया में अमन बराबरी और मानवता वादी मूल्यों को स्थापित करना है या अमरीका का गलबा कायम होना है। वापिस आते हुए सरतो अपने मन-मन में नफेसिंह को याद करती है और क्या सोचती है भला:
     अमरीका मनै बतादे नै क्यों हुया इसा अन्याई तूं।।
     इराक देश नै मिटाकै नै किसकी चाहवै भलाई तूं।।

     खुद हथियार जखीरे लेरया ओरां पै रोक लगावै
     दस साल तै पाबन्दी लाकै इराक नै भूखा मारना चाहवै
     मतना इतने जुलम कमावै बणकै बकर कसाई तूं।।

     जमीनी लड़ाई बिना तेरै इराक हाथ नहीं आणे का
     इराक खतम करे बिना ना जमीनी कब्जा थ्याणे का
     गाणा सही गाणे का क्यों दुश्मन बण्या जमाई तूं।।

     खून मुंह कै लाग्या तेरै फिर अफगानिस्तान के मां
     मानवता कती पढ़ण बिठादी तनै सारे जहान के मां
     बची सै इन्सान के मां या खत्म करै अच्छाई तूं।।

     सब देशां मैं नारे उठे जंग हमनै चाहिये ना
     तेल की खातर ओ पापी लहू मानवता का बहाइये ना
     आगै फौज बढ़ाइये ना बस करणी छोड़ बुराई तूं।।

     वार्ता: सरतो को ज्ञान विज्ञान वालों का निमन्त्राण मिलता है रोहतक आने का, अमरीका के खिलाफ युद्ध के विरोध में जुलूस में शामिल होने का। सरतो अपनी सहेली सरोज के साथ मानसरोवर पार्क में पहुंच जाती है। वहां ज्ञान विज्ञान की नेता शुभा बताती है कि हम समझते हैं कि ज्ञान और विज्ञान का प्रयोग दुनिया को बेहतर बनाने के लिए, जरूरतों को पूरा करने में होना चाहिये न कि उनके भविष्य को छीनने के लिए। हैरानी की बात यह है कि युद्ध,आतंक, हिंसा और नशे का पूरी दुनिया में जाल बिछाने वाला अमरीका दूसरे देशों को दण्डित कर रहा है, उन पर आर्थिक प्रतिबन्ध लगा रहा है, तलाशियां ले रहा है और फतवे जारी कर रहा है।
     एक सर्वेक्षण के अनुसार 65 प्रतिशत अमेरिका जनता सुरक्षा परिषद की अनुमति के बिना हमले का विरोध करती है। बुश प्रशासन इराक पर व्यापक विनाश के हथियारों को रखने और इन हथियारों के उत्पादन की सहूलियतों को छिपाने का आरोप लगा रहा है। दूसरा झूठ है कि बिना किसी थोड़े से सबूत के इराकी सरकार को अलकायदा से जोड़ने की कोशिश में है ताकि उसे हमला करने का बहाना मिल सके। तीसरा झूठ यह है कि बुश ने घोषणा की है कि इराक को उसके राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन की निरंकुशता से मुक्त कराने के लिए युद्ध की जरूरत है। इस सरकार को बदल कर इराक में जनतन्त्रा लागू करने का वायदा किया गया है।
     इराक पर हमले के बहाने खोज रहा है अमरीका। मगर दुनिया की जनता ने सड़कों पर आकर बता दिया कि हमें युद्ध नहीं चाहिये। सरतो वापिस आ जाती है। रात को उसे सपना आता है। सुबह वह अपनी जिठानी से सुपने का जिकर करती है। क्या बताती है भला:
     के बताउं जिठानी तनै तेरा देवर सपने म्हां आया री।।
     देख कै हालत उसकी आई नहीं पहचान के म्हां काया री।।

     बिखरे बिखरे बाल थे उसके मूंछ और दाढ़ी बढ़ी हुई
     ना न्हाया ना खाया दीखै चेहरे की हड्डी कढ़ी हुई
     नींद एक गाड्डी चढ़ी हुई घणी चिन्ता के म्हां पाया री।।

     बैठी होले न्यों बोल्या जंग के पूरे आसार होगे
     सारी दुनिया युद्ध ना चाहवै अमरीकी मक्कार होगे
     माणस लाखां हजार होंगे मिलकै सबने नारा लाया री।।

     चीं करकै जहाज हवाई आसमान मैं आन्ता दिख्या
     बटन दाब कै बम्ब गेरया पति मनै कराहन्ता दिख्या
     दरद मैं चिल्लान्ता दिख्या उनै हाथ हवा मैं ठाया री।।

     इतना देख कै मनै अपनी छाती पै हाथ फिरा देख्या
     आंख उघड़गी मेरी घबराकै घोर अन्ध्ेरा निरा देख्या
     रणबीर सिंह नै घिरा देख्या तुरत मदद कै म्हां आया री।।

     वार्ता: नफेसिंह उसका दोस्त अमर और तीन-चार इराक निवासी आपस में चरचा कर रहे हैं। नफे सिंह कहता है कि अमरीका इराक पर हमला करके उसके तेल के श्रोतों पर कब्जा करना चाहता है और पूरे एशिया में अमरीका हितों को आगे बढ़ाना चाहता है। सद्दाम हुसैन को हटाकर अपनी पिट्ठू सरकार थोंपने का मंसूबा अमरीका ने बना लिया लगता है। इराक के बाद उत्तरी कोरिया को भी सबक सिखाने का ऐलान किया है। असल में अमरीका पूरी दुनिया में अपना गलबा कायम करना चाहता है। क्या बताया कवि ने:
     फौज के दम पै बुश नै अमरीका नम्बर एक बनाया।।
     चौदहा लाख सतरा हजार का मिलट्री बेड़ा कसूत सजाया।।

     चालीस तै लेकै आज ताहिं का पैंटागन का खरचा गिणाउं
     उन्नीस ट्रिलियन डालर खर्चे सुनियो सब खोल सुणाउं
     आगले चार साल मैं एक ट्रिलियम डालर खर्च बताउं
     सारी दुनिया मुट्ठी मैं करले झुकते सबके सिर दिखाउं
     बोल्या खबरदार जो किसै नै म्हारे कामां मैं रोड़ा अटकाया।।

     अमरीका क्ै सरमाये दारां की जंगी फौज रूखाल करैगी
     इनक्ै मुनाफै बचावण नै या दुनिया नै कंगाल करैगी
     इन बरगे हथियार जिनपै उनकी पूरी पड़ताल करैगी
     कर दुनिया की मण्डी काबू अमरीका नै मालोमाल करैगी
     पैंटागन क्ै धेंास पै संसार के म्हां लंगोट घुमाया।।

     जंग की मशीनां उपर खरचा इसनै खूब बढ़ाया आज
     चार सौ बिलियन डालर का खरचा बजट बनाया आज
     जिन देशां नै बी आंख उठाई उनको सबक सिखाया आज
     अमरीका नै दुनिया ताहिं मानवता का पाठ पढ़ाया आज
     बुश बोल्या जाहिल जगत तै विकास का सबका सिखाया।।

     एक की उसे बात पर देखी खूब लड़ाई करती रै
     दूजे की उसे बात पर देखी घणी बुराई करती रै
     कई बै जालम फौज उसकी घणी अंघाई करती रै
     दूजे के हथियार देखैं ना अपनी सफाई करती रै
     रणबीर सिंह साची लिखै ना झूठा का साथ निभाया।।

     वार्ता: सरतो अखबार में पढ़ती है कि 1998 से इराक को बुनियादी तौर पर शस्त्राविहीन कर दिया गया। इराक की व्यापक विनाश के हथियारों की 90-95 प्रतिशत क्षमता को खत्म कर दिया गया है जिसकी पुष्टि की जा सकती है। इसमें रासायनिक, जैविक और नाभिकीय हथियार बनाने तथा लम्बी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों का निर्माण करने वाली सभी फैक्ट्रियों से सम्बन्ध्ति उपकरण और इन फैक्ट्रियों से बाहर आने वाले उत्पादों की भारी संख्या शामिल है। सरतो सोचती है कि इस सबके बावजूद अमरीका क्यों अड़ा हुआ है हमले करने पर। उसकी अपने देवर से चर्चा होती है। देवर अपने
     जमा ज्यान तै मारे देवर अमरीका अन्याई नै।।
     भाभी तेरा के खोस्या सै के दुख सरतो भरपाई नै।।

     इस साल का सुणले मिलट्री का खर्च गिणाउं
     बे उनमाना खर्च हुआ इन हथियारों पै दिखाउं
     कमाई खून पसीने की लूटै सै अमरीका बताउ
     नाश हुया सुणाउं बुश के जानै पीर पराई नै।।

     इराक के म्हां के होरया सै मनै सारी खोल बतादे
     क्यों बुश और सद्दाम भिड़े किसकी रोल बतादे
     भाभी क्यों दुखी होरी सै बात सही तोल बतादे
     किसके गलत बोल बतादे दिखा खोल बुराई नै।।

     टी.वी. अखबार रुक्के मारैं मेरे पै क्यों कुहावै सै
     आहमी साहमी कड़ै सेना एक तरफा धैंास जमावै सै
     उल्टा सुल्टा सुल्टा उल्टा इराक नै यो फंसावै सै
     सब नै सबक सिखावै सै सद्दाम की कर पिटाई नै।।

     हाली पानी और लंफगे हमनै लड़ते देखे थे
     डाकू फीमची रणबीर धक्का करते देखे थे
     सुधां खोसड़यां दूजै पै देश ना चढ़ते देखे थे
     ये गुण्डे ना पुजते देखे थे चमेली धापां मां जाई नै।।

     वार्ता: सरतो को चिट्ठी लिखने की तैयारी करता है नफेसिंह। वह लिखता है कि इराक पर हमला करके अमेरिका विश्व को यह बताना चाहता है कि कोई भी देश यदि महाशक्ति की इच्छा का उल्लंघन करने की कोशिश करेगा तो दंड से नहीं बच सकता। बाकी यहां हम अपने बचाव की पूरी तैयारी में हैं। तुम चिन्ता मत करना, मगर चिट्ठी लिखती रहना। क्या लिखता है भला:
     नहीं कोए चिट्ठी आई तेरी आन्ता मेरै सबर नहीं सै।।
     के होरया सै मेरी गेल्यां इसकी तनै खबर नहीं सै।।

     ठीक ठाक सही सलामत सूं फिकर मेरा करिये मतना
     पढ़ अखबारां नै सुबो सबेरी खामखा मैं डरिये मतना
     चिन्ता गात मैं भरिये मतना आच्छा घणा फिकर नहीं सै।।

     पीस्सा भेजूं तावल करकै बालकां का ध्यान करिये
     दोष अमरीका का सै सारा ना ओरां की कान धरिये
     तूं सद्दाम का बखान करिये आन्डी मैं कसर नहीं सै।।

     ब्रिटेन और अमरीका नै सिर अपना जोड़ लिया
     इटली अरब और जापान सबनै मिल तोड़ किया
     भारत ने मुंह मोड़ लिया समझ आवै हसर नहीं सै।।

     खाड़ी मैं किसका हुकम चलै इस बात पै जंग जारी
     रणबीर ताकत देख दुनिया की बुश कै अधरंग मारी
     इराक मैं उमंग भारी छोड्डी अपनी डगर नहीं सै।।

     वार्ता: सरतो नफेसिंह की चिट्ठी पढ़कर क्या सोचती है भला:
     कई स्वारथ साध्ेा चाहवै अमरीका जंग की आड़ मैं।।
     दुनिया नै डराना चाहवै लगा टीका सब की जाड़ मैं।।
                                                   
     इराक को बुश नै ध्ुारी बुराई की बताया आज
     काल ताहिं सद्दाम बढ़िया भूण्डा क्यों दिखाया आज
     इराक इरान उत्तर कोरिया एक साथ बिठाया आज
     आतंकवाद के बाबू नै देखो इराक सताया आज
     क्यूकर होवै तेल बंटाई फंसगे आपस की राड़ मैं।।

     उसके पिट्ठू इराकी जितने सबमैं लाखां डालर बांटे
     कटपुतली सरकार ताहिं उसनै अपने गुर्गे छांटे
     गुप्त योजना घड़ी बताई सब ताहि बतावण तै नाटे
     जिननै सवाल करया कोई वे घणी कसूती
     अपणी मण्डी बधवण ताहि आग लाई देशां की बाड़ मैं।।

     नब्बे मैं बम्ब बरसाकै इराक मैं लाखां लोग मार दिये
     महिला बच्चे और बूढ़े बिन मौत के घाट उतार दिये
     दो हजार पाउंड का बम्ब इराक पै कसूते वार किये
     पाबन्दी चाली आवै जिबतै भूख नै लोग बीमार किये
     अमरीका देखै स्वारथ अपना बाकी जाओ सब भाड़ मैं।।

     इजराइल फिलीस्तीन नै घणी कसूती
     अमरीका इजराइल का क्यों जमकै नै साथ निभावै
     प्रधानमंत्राी मारया जिसनै उनै शांति पुरुष बतावै
     बिन लादेन का यारी बता सद्दाम नै सबक सिखावै
     कहै रणबीर भरैगी बुड़का जनता बुश की नाड़ मैं।।

     वार्ता: अमरीका की पीस आन्दोलन की महिला भारी युद्ध विरोधी जलूस में शामिल होती है। कई लाख लोगों का जलूस था। ब्रिटेन में भी उसी दिन 20 लाख से ज्यादा लोग युद्ध विरोधी आन्दोलन की पुकार पर सड़कों पर उतर आते हैं। वह महिला बुश को एक पत्रा लिखती है। उसमें क्या लिखा भला:
     तीन झूठ बुश तेरे सबकै साहमी ल्याउंगी।।
     चेहरे पीछे की कालस सबनै आज दिखाउंगी।।

     पहला झूठ तनै बताया इराक के हथियारां का
     ये तेरे भरे जखीरे निरीक्षण दूजे गलियारां का
     तेरे तिरछे इशारयां का भेद आज बताउंगी।।

     दूसरा झूठ अलकायदा की इराक गेल्यां यारी का
     कोए सबूत पाया कोण्या तेरी झूठी होशियारी का
     तेल की बीमारी का राज सबनै समझाउंगी।।

     तीजा झूठ तेरा जालिम बताया आज सद्दाम तनै
     तख्ता पलट के तरीवेफ सोचे घटिया तमाम तनै
     खुलवाई सै लगाम तनै चाबुक तेरै लगाउंगी।।

     मानवता का बैरी सै तूं इसका मनै बेरा बताउं
     ना अपणी बुराई देखै सद्दाम कै दिया घेरा बताउं
     सारा कसूर तेरा दिखाउं रणबीर पै लिखवाउंगी।।


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