यो रेप मैनिया क्यों म्हारे हरयाणा के मैं छाग्या रै ।।
पढ़ पढ़ कै हादसे रोजाना जी घणा दुःख पाग्या रै ।।
जिस कै लागै वोहे जानै दूजा के जानै पीर पराई
म्हारै भी दुःख नहीं होंता जब तक ना झेलै माँ जाई
सर पर कै पानी गया समाज पूरा घबराग्या रै ।।
कुछ अत्याचार बढ़ाये परम्परावादी रिवाज नै रै
बाकी कसर पूरी करदी इस बाजारी समाज नै रै
महिला बनाई भोग की वस्तु बुरा जमाना आग्या रै ।।
बदमाशों की देखी जा सफेदपोश बदमाश होग्या
माहौल पूरे समाज का यो अपराधों के बीज बोग्या
बाड़ खेत नै खाण लगी रूखाला मुंह काला कराग्या रै।।
रेपिस्ट उनकी जिन्दगी मैं ये जहर कसूता घोलें
हिम्मत उन महिलाओं की जो इसके खिलाफ बोलें
कहै रणबीर बारोने आला छोह मैं छंद बनाग्या रै ।।
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