बस में रोजाना छेड़छाड़ की घटनाएं हो रही हैं। लड़कियों ने हिम्मत की मगर समाज को रास नहीं आई कमजोर तबकों की लड़कियों की बहादुरी।
कौण साच्चा कौण झूठा इसमैं बात सिमटा दई सारी।।
बसां मैं जो होवै दुर्गति इसकी चर्चा गई मूधी मारी।।
लड़कियां की पहल कदमी की बात उतरै नहीं गलै
सबनै बेरा हाल बसां का झेलै जब चढै कै उतरै तलै
डरती बोलती कोन्या कदे चरित्रहीनता की फांसी घलै
म्हारे प्रदेश की महिला पुरुषवादी आतंक के म्ंह पलै
दो छोरियां नै हिम्मत दिखाई संस्कृृति हा हा कार मचारी।।
माणस तो रेप करणिया के भी हक मैं समझौते खातर आवैं
महिला कैड़ खड़े होवण मैं ये सारे बड्डे चौधरी हिचकावैं
रेप का कसूरवार भी महिला नै किसे ना किसे ढ़ाल बतावैं
बिगडै़ल छोरयां नै मुश्किल तैं कदे कदे फंसी मैं बिसरावैं
विकृृत मानसिकता और समझ के आज हुए घणे प्रचारी।।
दबाया गया तबका कद ताहिं न्योंए दबकै सहवै भाई
भीतर आग बलै वा जलाकै सब क्यांहें नै रहवै भाई
कमजोर का साथ कौण दे यो समाज ठाडे नै लहवै भाई
घणी हिम्मत चाहिये जब कोए छोरी इसे ढालां फहवै भाई
पाछै सी दो छोरी फांसी खागी किननै उनकी बात बिचारी।।
कमजोरां पर अत्याचार होवैं समाज जात्यां मैं बंट ज्यावै
गलत सही का फैंसला भी पाले बन्दी के हिसाब तैं आवै
जात्यां तैं उपर उठकै नै जै कोए विवेक तैं बात नै बढ़ावै
उसकी कोए नहीं सुणकै राजी दूजे सुर मैं सुर मिलावै
इस किस्से मैं साच् कोर्ट छांटै बाकियां पै क्यों चुप्पी धारी।।
कौण साच्चा कौण झूठा इसमैं बात सिमटा दई सारी।।
बसां मैं जो होवै दुर्गति इसकी चर्चा गई मूधी मारी।।
लड़कियां की पहल कदमी की बात उतरै नहीं गलै
सबनै बेरा हाल बसां का झेलै जब चढै कै उतरै तलै
डरती बोलती कोन्या कदे चरित्रहीनता की फांसी घलै
म्हारे प्रदेश की महिला पुरुषवादी आतंक के म्ंह पलै
दो छोरियां नै हिम्मत दिखाई संस्कृृति हा हा कार मचारी।।
माणस तो रेप करणिया के भी हक मैं समझौते खातर आवैं
महिला कैड़ खड़े होवण मैं ये सारे बड्डे चौधरी हिचकावैं
रेप का कसूरवार भी महिला नै किसे ना किसे ढ़ाल बतावैं
बिगडै़ल छोरयां नै मुश्किल तैं कदे कदे फंसी मैं बिसरावैं
विकृृत मानसिकता और समझ के आज हुए घणे प्रचारी।।
दबाया गया तबका कद ताहिं न्योंए दबकै सहवै भाई
भीतर आग बलै वा जलाकै सब क्यांहें नै रहवै भाई
कमजोर का साथ कौण दे यो समाज ठाडे नै लहवै भाई
घणी हिम्मत चाहिये जब कोए छोरी इसे ढालां फहवै भाई
पाछै सी दो छोरी फांसी खागी किननै उनकी बात बिचारी।।
कमजोरां पर अत्याचार होवैं समाज जात्यां मैं बंट ज्यावै
गलत सही का फैंसला भी पाले बन्दी के हिसाब तैं आवै
जात्यां तैं उपर उठकै नै जै कोए विवेक तैं बात नै बढ़ावै
उसकी कोए नहीं सुणकै राजी दूजे सुर मैं सुर मिलावै
इस किस्से मैं साच् कोर्ट छांटै बाकियां पै क्यों चुप्पी धारी।।
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