कहानी
किसे और की कहाणी कोन्या इसमैं राजा रानी कोन्या
सै अपनी बात बिराणी कोन्या, थोड़ा दिल नै थाम लियो।।
यारी घोड़े घास की भाई, नहीं चलै दुनिया कहती आई
मैं बाऊं और बोऊं खेत मैं, बाळक रुळते मेरे रेत मैं
भरतो मरती मेरी सेत मैं, अन्नदाता का मत नाम लियो।।
जमकै लूटै सै मण्डी हमनै, बीज खाद मिलै मंहगा सबनै
मेहनत लुटै मजदूर किसान की, आंख फूटी क्यों भगवान की
भरै तिजूरी क्यों शैतान की, देख सभी का काम लियो।।
चाळीस साल की आजादी मैं, कसर रही ना बरबादी मैं
बाळक म्हारे सैं बिना पढाई, मरैं बचपन मैं बिना दवाई
कड़ै गई म्हारी कष्ट कमाई, झूठी हो तै लगाम दियो।।
शेर बकरी का मेळ नहीं, घणी चालै धक्का पेल नहीं
टापा मारें पार पडैग़ी धीरे, मेहनतकश रुपी जितने हीरे
बजावैं जब मिलकै ढोल मंजीरे, रणबीर का सलाम लियो।।
किसे और की कहाणी कोन्या इसमैं राजा रानी कोन्या
सै अपनी बात बिराणी कोन्या, थोड़ा दिल नै थाम लियो।।
यारी घोड़े घास की भाई, नहीं चलै दुनिया कहती आई
मैं बाऊं और बोऊं खेत मैं, बाळक रुळते मेरे रेत मैं
भरतो मरती मेरी सेत मैं, अन्नदाता का मत नाम लियो।।
जमकै लूटै सै मण्डी हमनै, बीज खाद मिलै मंहगा सबनै
मेहनत लुटै मजदूर किसान की, आंख फूटी क्यों भगवान की
भरै तिजूरी क्यों शैतान की, देख सभी का काम लियो।।
चाळीस साल की आजादी मैं, कसर रही ना बरबादी मैं
बाळक म्हारे सैं बिना पढाई, मरैं बचपन मैं बिना दवाई
कड़ै गई म्हारी कष्ट कमाई, झूठी हो तै लगाम दियो।।
शेर बकरी का मेळ नहीं, घणी चालै धक्का पेल नहीं
टापा मारें पार पडैग़ी धीरे, मेहनतकश रुपी जितने हीरे
बजावैं जब मिलकै ढोल मंजीरे, रणबीर का सलाम लियो।।
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