Tuesday, 1 May 2012

BANDHE UPPAR

बन्धे ऊपर नागन काळी डटगी फण नै ठाकै .... टेक
सिर तै उपर कस्सी ठाई मारी हांगा लाकै।।

नागण थी जहरीली वा फौजी का वार बचागी
दे फुफकारा खड़ी हुई आंख्यां मैं अन्धेर मचागी
दो मिनट मैं खेल रचागी चोट कसूती खाकै।।

हिम्मत कोन्या हारया फौजी हटकै उसनै वार किया
कुचल दिया फण लाठी गेल्यां नाका अपणा त्यार किया
चला अपणा वार लिया काळी नागन दूर बगाकै।।

रात अन्धेरी गादड़ बोलैं जाड्डा पड़ै कसाई
सुर सुर करता पानी चालै घणी खुमारी छाई
डोळे ऊपर कड़ लाई वो सोग्या मुंह नै बाकै।।

बिल के मां पानी चूग्या सूकी रैहगी क्यारी
बाबू का सांटा दिख्या या तबीयत होगी खारी
मेहरसिंह जिसा लिखारी रोया मां धोरे जाकै।।

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