Friday, 10 June 2011

दारू पी कै



दारू पी कै
दारू पीकै पड्या रहवै साईं कुनबे का ताने ख्याल नहीं 
कामचोरी और सीना जोरी टोकै  किसे की मजाल नहीं
ताश खेलन तै फुर्सत ना साँझ नै दारू चाहिए सै
खाली बैठ्या खाट  तोडै चुगली जी भर कै खाईये सै

बुरी नजर लाखईये सै भुन्ड़े मजाकां  की टाल नहीं ||
झूठी गवाही दिया वै सै एक पव्वा साँझ नै पयादें
घनी करैं तो हलवा बना कै दो तीन बर ताने खवादें
पंग्या मैं तनै फंसवादें  घर की कोए सम्भाल नहीं  ||
जेब मैं कट्टा और मारुती धोले लत्ते पहर लिए
कब्जे कर लिए दो चार ढा कईयां पर कहर दिए
दिलां मैं घोल जहर दिए तेरे तैं बड्डा दलाल नहीं ||
चमचागिरी कर नेता की कै दिन काम चलै तेरा
इब्बी बखत सै लेले संभाला तनै देख दिल जले मेरा
क्यों कार्य दीवे तले अँधेरा रणबीर का सवाल  yahi   ||

ताश खेलना रैह्ग्या

ताश खेलना रैह्ग्या
काम धाम छोड़ दिए बस ताश खेलना रैह्ग्या
 साँझ नै दारू पीकै काम छोरी छेड़ना रैह्ग्या
काम करना भूल गए बिहारी खेत करते भाई
भाई का भाई बैरी होग्या लड़ कट कै मरते भाई 
माँ बाप तैं ना डरते भाई काम तान्ने पेलना रैह्ग्या ||
आडै बैठे उडै बैठे ये दिन पूरा करते हांड रहे  
कोए इसके कोए उसके बन नेता के भांड रहे
कर कांड पै कांड रहे चुपचाप देखना रैह्ग्या ||
आज काल ख़त्म होंते जावें ये इंसानी रिश्ते सारे
गाम गाम मैं बढ़ी बदफेली ये हैवानी रिश्ते छारे
गाम नै सिर पै  ठारे  यो काम झूठ  ठेलना रैह्ग्या ||
एहदी होगे बहोत घने बीरां  की इब श्यामत आई
घन्खरी फिरें मारी मारी  कुछ नै घरां की रेल बनाई
रणबीर की श्यामत आई कोल्हू मैं पेड़ना  रैह्ग्या ||



kamisan

पति -- डाक्टर ने तुम्हें एक महीने के  आराम के लिए लिए विदेश जाने  को कहा   है |
पत्नी--- तो क्या डाक्टरों ने दावा कम्पनीयों के साथ साथ ट्रेवल कम्पनीयों से भी कमीशन का धंधा शुरू कर लिया ?
पति- लगता तो ऐसा ही है |
पत्नी- अब हम कहाँ जा रहे हैं  ?
पति- दूसरे डाक्टर के पास |

Thursday, 9 June 2011

SOME FOLK SONGS

इंतजार  है  उनको  भी  और  मुझे  भी  


हमने दिखा दिया है कि हम किसी से कम नहीं
वालीबाल का खेल

Tuesday, 7 June 2011

kheti

बैल   की  खेती  क्यों    छोड़ी  हमने
पुराणी परंपरा क्यों तोड़ी हमने
गाय का स्थान माता का था
माता से मुंह क्यों मोड़ी हमने


जलसेना विद्रोह (मुम्बई)विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष से

जलसेना विद्रोह (मुम्बई)विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष से


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भारत की आजादी के ठीक पहले मुम्बई में रायल इण्डियन नेवी के सैनिकों द्वारा पहले एक पूर्ण हड़ताल की गयी और उसके बाद खुला विद्रोह भी हुआ। इसे ही जलसेना विद्रोह या मुम्बई विद्रोह (बॉम्बे म्युटिनी) के नाम से जाना जाता है। यह विद्रोह १८ फरवरी सन् १९४६ को हुआ जो कि जलयान में और समुद्र से बाहर स्थित जलसेना के ठिकानों पर भी हुआ। यद्यपि यह मुम्बई में आरम्भ हुआ किन्तु कराची से लेकर कोलकाता तक इसे पूरे ब्रिटिश भारत में इसे भरपूर समर्थन मिला। कुल मिलाकर ७८ जलयानों, २० स्थलीय ठिकानों एवं २०,००० नाविकों ने इसमें भाग लिया। किन्तु दुर्भाग्य से इस विद्रोह को भारतीय इतिहास मे समुचित महत्व नहीं मिल पाया है।



FAUJI KAVI MEHAR SINGH KA KISSA


















sifar

रोटी   कपडा मकान का हो जिकर
इनकी बिलकुल नहीं उनको फिकर  
भ्रष्टाचार ही है एक गंभीर मामला
इसने कर ही दिया बाकि को सिफर
कितना जरूरी है रोजगार का मसला
पीछे धका ही गया इसे भ्रष्टाचार का मसला
सामाजिक न्याय के मामले पीछे छुट गए
कहाँ है महिला पर  अत्याचार का मसला

kuchh shabd

जिसके  पांव नहीं होते 
वह हवा में रहता है  
जो हवा में ही रहे
उसका क्या भरोसा
भ्रष्टाचार के अंधड़ में
आई है झूठ की हवाएं
सच को थामना होगा

Monday, 6 June 2011

RAMLOO KI CHITHI

काले धन की जड़

काले  धन  की  जड़ 
जड़  कडै  काले धन की  किसे नै बी नहीं बताया ||
वट वरक्ष   की ढालां इसनै  दुनिया मैं जाल बिछाया||
काला धन उपजै कैसे   इसकी तह मैं जाना होगा
कौनसा तरीका पैदा करता वो साहमी ल्याना  होगा
नया सिस्टम बनाना होगा जिमैं हो इसका सफाया ||
स्विस बैंक का धन काला उल्टा आज्य भारत म्हारे मैं
मान्या जा देश की संपत्ति ना दो राय इसके बारे मैं
कौन हवा भरे गुब्बारे मैं नहीं सारा खोल दिखाया ||
काला धन बनावै वा सट्टा बाजारी बंद करनी हो  
प्रणाली उत्पादन की या लूट हमारी बंद करनी हो
काली देनदारी बंद करनी हो ना मानस जा सताया ||
नीम धरी पूंजीवाद की काले धन के दम पै देखो
पूंजीवाद ख़त्म करे बिन राज करैगा यो हम पै देखो 
घनी जिमेदारी तम देखो रणबीर नै छंद बनाया ||  



Sunday, 5 June 2011

दो बेकार दोस्त





दो बेकार दोस्त

दो बेकार दोस्त थे कुछ काम नहीं मिल रहा था . चलते चलते एक तलब किनारे आये . एक बोर्ड पर नज़र पडी .”डूबने वाले इन्सान को  बचाने  वाले को 500 Rs इनाम 'एक दोस्त को तैरना आता था दुसरे को नहीं जिसको तैरना आता था उसने दुसरे से कहा " तुम तालाब में कूदो और बचाओ बचाओ चिलाओ मैं तुम्हें बचाऊँगा 500 मिलेंगे 250 तू लेना 250 rs मैं लूँगा ' वह कूद गया . पर उसके चिलाने पर भी उसके दोस्त ने उसे निकालने से ना कह दिया | वह बोला तेरे पानी में कूदने के बाद मैंने दूसरा बोर्ड देखा ------

लहाश (डैड बॉडी ) को बहार निकालो और 1000Rs पाओ .

दो बेकार दोस्त


दो बेकार दोस्त  थे  कुछ  काम   नहीं  मिल   रहा  था .  चलते  चलते  एक  तलब   किनारे  आये . एक   बोर्ड   पर  नज़र  पडी   .”डूबने   वाले  इन्सान  को 
बचने  वाले  को  500 Rs   इनाम  'एक   दोस्त  को  तैरना  आता  था  दुसरे  को  नहीं  जिसको  तैरना  आता  था   उसने  दुसरेसे  कहा " तुम  तलब  में   कूदो   और   बचाओ  बचाओ  चिलाओ  मैं   तुम्हें   बचाऊँगा   500 मिलेंगे  250 तू  लेना  250 rs मैं  लूँगा '  वह  कूद  गया . पर   उसके  चिलाने  पर  भी  उसके  दोस्त  ने  उसे  निकालने  से  ना  कह  दिया  वह  बोला  तेरे  पानी   में   कूदने  के  बाद  मैंने  दूसरा  बोर्ड  देखा ------ 


लहाश    (डैड   बॉडी ) को  बहार  निकालो  और  1000Rs पाओ .

चोर के घर चोरी

चोर  के  घर  चोरी  
एक चोर एक करोड़ रपएये आर बहुत सा सोना चोरी करके भज रहया था | एक गूंगे और बहरे इन्सान के घर घुसग्या| माल वहां रख दिया   और बोल्या - कल आके ले जाऊँगा | दुसरे दिन गया पर माल  वहां कोणी था| बूझ्या- तो गूंगा ऐसे इशारे करता मानों वह  कुछ नहीं जानता |
चोर अपने एक ऐसे दोस्त को ले आया जो गूंगों की भाषा जानता था और बोल्या-"इसको पूछ मॉल कहाँ है बतादे नहीं तो शूट कर दूंगा "गूंगा दर गया और अपनी भाषा मैं बोल्या--"घर के पीछे जो पेड़ सै उसके नीचे है "अब चोर तो कुछ समझा नहीं उसने दोस्त से पूछा --"के बताया "?दोस्त बोल्या --"बोलता है गोली मारदे मैं नहीं बताऊँगा "

BHAUTIKTA

भौतिक सम्पन्नता में हरयाणा उन्नत व् समर्द्ध राज्यों में आता है लेकिन भौतिक समर्धि व् परिस्थितियों में बदलाव को अभी सामाजिक सांस्कृतिक स्वीकृति नहीं मिली है

ABAADEE SANSADHAN BEE SAI

'मनरेगा ' मैं माट्टी ढोवें आज करोड़ों हाथ दिखे ||
बिना ज्ञान अधूरी लागे या संसाधन  की  बात दिखे||
नहीं बराबर दोनों बातें या साक्षरता और पढ़ाई
बिना समझें दस्तखत करना कोण्या सही दवाई
झोंपड़ियों मैं कितने बढ़गे क्यूं नहीं बात बताई
किसका जीना होया सुखाला ना बात सामने आई
आम आदमी न्यूएँ खारया  अब बी मुक्के लात दिखे ||
शिक्षा साधन दे ठेके पै क्यूं फ़ायदा ठाना चाहवै  
ठेकेदार हरेक मोड़ पै सब नोट कमाना चाहवै  
पीसे लेके डिग्री बेचें ना गात उल्हाना  चाहवै  
कुशल हाथ इसी निति से बता किसे बताना चाहवै  
कापी पिलसन महंगी होरी महंगी कलम दावत दिखे ||
मजदूरों की   कुछ बढे कमाई इसा ब्योंत बनाना चाहिए था
मेहनतकश हाथों को कुछ नया इलाम सिखाना चाहिए था
हर एक हाथ मेरे देश का काम मैं लगाना चाहिए था
भूख बीमारी रही जड़े दखे ना नयूँ गिरकाना चाहिए था
ना बनी योजना कोई ऐसी जो करै सुखाला गात दिखे||
सियासत हावी शिक्षा ऊपर फैलया भ्रष्टाचार  आडै 
डिग्री बस एक कागज होगी शिक्षा होई व्यापार  आडै 
घनी आबादी नाश की टाट्टी बस यो सै प्रचार आडै 
आबादी संसाधन बी सै ना करी बात स्वीकार आडै 
रामेश्वर आजाद तो होग्या ना मिती अँधेरी रात दिखे ||



Saturday, 4 June 2011

MERA TERA

मेरा तेरा तेरा मेरा इसमें सारी उम्र गंवाई तनै  
गर्व से कहो दहिया सूं न्यारी डफली बजाई तनै
सबते नयारा गोत दहिया याहे बीन सुनायी तनै
दहिया मैं भी सूं मैं सवाया न्यारी तर्ज गाई तनै
मानवता नै भुल्या अहंकार मैं जिन्दगी बिताई तनै
जात गोत का झगडा  ठाकै  झूठी   स्यान बढ़ायी तनै
जाट कौम की ठेकेदारी बी सही नहीं निभायी तनै
गरीब जाट दुद्कारया या जाट कौम बहकाई तनै
वा जाट कौम की छोरी थी बुरी नजर टिकाई तनै
कड़े  गई ठेकेदारी कौम की क्यों तार बगाई तनै  
ऊपर तै करया दिखावा भीतर तै खिल्ली उडाई तनै
देख देख हरकत ये सारी या ठेकेदारी बिसराई मने
सब कौम के गरीबाँ की करनी चाही भलाई मने

CAN NOT BE SEPARATED

मगर संस्कृति और अर्थ व्यवस्था को अलग नहीं किया जा सकता | कारन यह है की जिस तरह संस्कृतियाँ  भिन्न होती हैं उसी तरह अर्थ व्यवस्थाएं भी भिन्न होती हैं और उसके आपसी सम्बन्ध भी विभिन्न प्रकार के होते हैं   

PARTIAL AUTONOMY

संस्कृति पूर्णत आर्थिक क्षेत्र पर निर्भर और उसी से निर्धारित नहीं होती ,बल्कि उसकी अपनी एक स्वायतता भी होती है और वह भी आर्थिक विकल्प को प्रभावित करती है

SANSKRITI KA RAJNAITIKARAN

आज हम एक ऐसी अवस्था में पहुँच गए हैं की संस्कृति की दिशा या प्रकृति काया होगी ,इसकी संभावनाएं सिमित होंगी या व्यापक ,वह जनहित में होंगी या अभिजनों के हित में ,वह जीवन को कौनसा अर्थ या परिभाषा देगी,इत्यादि बातों का निर्णय स्वयम संस्कृति क्षेत्र में नहीं हो रहा है, बल्कि आर्थिक राजनैतिक क्षेत्र में किया जा रहा है |

KISSAN

खेती की नियति किसान नहीं, बल्कि कृषि क्षेत्र से बहार की शक्तियां तय करती हैं

KAHAWAT

एक पुराणी जर्मन  कहावत है कि रसोई घर में जो पकता है , उसकी सामग्री ही बहार से नहीं आती ; रसोई घर में क्या पकेगा , यह निर्णय भी बाहर से आता है  --पॉल बरान

MAA KA STHAN AUR KOYEE NAHIN LE SAKTA

VIKAS YA VINAS KA RASTA????

हमने जो विकास का रास्ता चुना है



क्या??


वह विनास का रास्ता तो नहीं कहीं ?


क्यों सोचने को मजबूर हूँ मैं पता नहीं


आप भी सोचते हैं हैं कि नहीं मग़र ये


यकिन है मुझे कि एक दिन आपको


जाम और हुस्न के ख्यालों से बाहर


आकर हम सबको मिलकर सोचना तो


होगा !!!


तो फिर देर क्यों??

JANTA BHI KAM DOSHI NAHIN HAI

मुझे पढाया बताया मेहनत और ईमानदारी
ऊंचे मानवीय गुण हैं हम कहलाते संस्कारी 
ठीक उल्टा देख रहा हूँ  आज के अपने समाज में
बेईमानी और घोटाले छाये बड़े नए अंदाज में
पांच एकड़ जमीन बिकी  रुपये तीन करोड़ मिले
दो भाई दो बहन के रिश्ते बाँट पे बुरी तरह हिले
भाईयों ने दी दोनों  बहनों की पांच लाख की सुपारी  
भून डाली गोलियों से भूल गए सब दुनियादारी
छोटे ने बड़े को अपने  रास्ते से चाहा हटवाना फिर  
सोते हुए का काट कर  ये  फैंक दिया नहर में सिर
तीन करोड़ का मालिक बना खिलाके पैसे बच गया
ईमानदारी का और मेहनत का नया इतिहास रच गया 
अपराधीकरण और भ्रष्टाचार  हमारे समाज में छाये
इमानदार चुप बैठे देखो   इनके सामने सिर छुकाए
ऍम अल  ए भी फिर लोगों ने बना ही दिया उसको 
किसे दोष दें यहाँ पर रणबीर नहीं पता चला मुझको