'मनरेगा ' मैं माट्टी ढोवें आज करोड़ों हाथ दिखे ||
बिना ज्ञान अधूरी लागे या संसाधन की बात दिखे||
नहीं बराबर दोनों बातें या साक्षरता और पढ़ाई
बिना समझें दस्तखत करना कोण्या सही दवाई
झोंपड़ियों मैं कितने बढ़गे क्यूं नहीं बात बताई
किसका जीना होया सुखाला ना बात सामने आई
आम आदमी न्यूएँ खारया अब बी मुक्के लात दिखे ||
शिक्षा साधन दे ठेके पै क्यूं फ़ायदा ठाना चाहवै
ठेकेदार हरेक मोड़ पै सब नोट कमाना चाहवै
पीसे लेके डिग्री बेचें ना गात उल्हाना चाहवै
कुशल हाथ इसी निति से बता किसे बताना चाहवै
कापी पिलसन महंगी होरी महंगी कलम दावत दिखे ||
मजदूरों की कुछ बढे कमाई इसा ब्योंत बनाना चाहिए था
मेहनतकश हाथों को कुछ नया इलाम सिखाना चाहिए था
हर एक हाथ मेरे देश का काम मैं लगाना चाहिए था
भूख बीमारी रही जड़े दखे ना नयूँ गिरकाना चाहिए था
ना बनी योजना कोई ऐसी जो करै सुखाला गात दिखे||
सियासत हावी शिक्षा ऊपर फैलया भ्रष्टाचार आडै
डिग्री बस एक कागज होगी शिक्षा होई व्यापार आडै
घनी आबादी नाश की टाट्टी बस यो सै प्रचार आडै
आबादी संसाधन बी सै ना करी बात स्वीकार आडै
रामेश्वर आजाद तो होग्या ना मिती अँधेरी रात दिखे ||
No comments:
Post a Comment