Sunday, 15 December 2024

वैज्ञानिक दृष्टिकोण के संदर्भ में कुछ रागनियां

 वैज्ञानिक दृष्टिकोण के संदर्भ में कुछ रागनियां

रागनी 1

Dr Dabholkar 

डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर थारी क़ुरबानी रंग ल्यावैगी।।

स्वतंत्र हिन्दुस्तान मैं या जरूर नया इतिहास रचावैगी।।

अग्रगामी चेतना की हत्या करकै हत्यारे बच ना पावैंगे

हर जागां डॉक्टर नरेंद्र पावैं जिस मोड़ पै ये लखावैंगे

अंध श्रद्धा उन्मूलन खातिर कतार इब बढ़ती जावैगी।।

आहात सां सन्तप्त सां सुण्या जब थारे कत्ल बारे डॉक्टर

गुस्सा हमनै घणा आरया सै हिम्मत कोण्या हारे डॉक्टर

तेरी क़ुरबानी यकीन मेरै घर घर मैं मशाल जलावैगी।।

लेखक संस्कृतकर्मी वैज्ञानिक कट्ठे हुए सैं कलाकार 

पूरे हिन्दुस्तान के नर नारी हम देवां मिलकै ललकार

रूढ़िवाद की ईंट तैं ईंट देश मैं इब तावली बज पावैगी।।

हमनै बेरा उन ताकतों का जिणनै कत्ल करया थारा रै

होंश ठिकाणै सैं म्हारे जबकि खून खोल गया म्हारा रै

रणबीर सिंह नै कलम ठाई पूरी दुनिया नै जगावैगी ।।

रागनी 2

क्या क्यों और कैसे बिना

क्या क्यों और कैसे बिना मिलै दुनिया का सार नहीं।।

ज्ञान विज्ञान के प्रकाश बिना होवै दूर अन्धकार नहीं।।

नीले आसमान मैं क्यों ये चकमक करते तारे भाई

क्यों इन्द्रधनुष के म्हां ये रंग बिरंगे प्यारे भाई

मोर के पंख न्यारे भाई क्यों लाया कदे विचार नहीं।।

तोता कोयल फर फर करकै क्यूकर गगन मैं उडज्यां

क्यों ना बिल्ली के तन पै भी पंख मोर के उगज्यां

क्यों मकड़ी जाला बुणज्यां म्हारी समझ तैं बाहर नहीं।।

क्यों जुगनू की कड़ के उपर जलती हुई मशाल भाई

क्यों गैंडे अर हाथी की पीठ सै उनकी ढाल भाई

विज्ञान के ये कमाल भाई झूठा इसका प्रचार नहीं।।

क्यों फूल गुडहल का हो सुर्ख एक दम लाल कहैं

क्यों झिलमिल करता ये मकड़ी का जाल कहैं

विज्ञान ठावै सवाल कहैं या माया अपरम पार नहीं।।

आम नीम अर इमली क्यों हमनै खड़े दिखाई दें

क्यों समुन्द्र मैं ऊंची नीची उठती लहर दिखाई दें

मछली क्यों रंगीन दिखाई दें जानै सै नम्बरदार नहीं।।

जुबां पै लाग्या ताला यो हमनैं पड़ै तोड़ना सुनियो

सवालां का यो पिटारा तो हमनै पड़ै खोलना सुनियो

हमनै पड़ै बोलना सुनियो क्यों बिना म्हारा उद्धार नहीं।।

रागनी 3

गलत विज्ञान

मानवता का विनाश करै जो इसा शैतान चाहिये ना।

संसार नै गलत दिशा देवै इसा विज्ञान चाहिये ना।।

1

विज्ञान पै पाड़या बेरा अणु मैं ताकत बहोतै भारी सै

अणु भट्टी तै बणै बिजली जगमगावै दुनिया सारी सै

अणु बम तो विनासकारी सै इसा शैतान चाहिये ना।।

2

मानवता नै बड़ी जरूरत सै आज अन्न और वस्त्रां की

जंग की जरूरत जमा नहीं ना जरूरत अणु शस्त्रां की

जो पैरवी करै अस्त्रां की इसा भगवान चाहिये ना।।

3

कड़ै जरूरत सै उनकी कारखाने जो हथियार बणावैं

बणे पाछै चलैं जरूरी ये दुनिया मैं हाहाकार मचावैं

विज्ञान कै तोहमद लावैं इसा घमासान चाहिये ना।।

4

हिरोशिमा की याद आवै शरीर थर-थर कांपण लाग्गै

विज्ञान का गलत प्रयोग मानवता सारी हांफण लाग्गै

दुनिया टाडण लाग्गै रणबीर इसा कल्याण चाहिये ना।।

रागनी 4

विवेक

सूरज साहमी कोहरा टिकै ना अज्ञान विवेकमयी वाणी कै।

अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।

1

ढोंग अर अन्ध विश्वास पै टिक्या चिन्तन फेर बचै कोण्या

यज्ञ हवन वेद शास्त्र फेर पत्थर पूजा प्रपंच रचै कोण्या

पुरोहित की मिथ्या बात का दुनिया मैं घमशान मचै कोण्या

मन्द बुद्धि लालची माणस कै विवेकमय दया पचै कोण्या

शिक्षित अनपढ़ धनी निर्धन बीच मैं आवैं फेर कहाणी कै।।

अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।

2

आत्मा परमात्मा सब गौण होज्यां सामाजिक दृष्टि छाज्या फेर

समानता एक आधार बणै औरत सम्मान पूरा पाज्या फेर

मानवता पूरी निखर कै आवै दुनिया कै जीसा आज्या फेर

कार्य काररणता नै समझकै माणस कैसे गच्चा खाज्या फेर

माणस माणस का दुख समझै ना गुलाम बणै राजराणी कै।।

अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।

3

संवेदनशील समाज होवै ईश्वर केंद्र मैं रहवै नहीं

मानव केन्द्रित संस्कृति हो पराधीनता कोए सहवै नहीं

स्वतंत्रता बढ़ै व्यक्ति की परजीवी कोण कहवै नहीं

खत्म हां युद्ध के हथियार माणस आपस मैं फहवै नहीं

विवेक न्याय करूणा समानता खरोंच मारैं सोच पुराणा कै।।

अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।

4

अदृश्य सत्ता का बोझ आड़ै फेर कति ना टोहया पावै

सोच बिचार के तरीके बदलैं जन चेतना बढ़ती जावै

मनुष्य खुद का सृष्टा बणै कुदरत गैल मेल बिठावै

कर्म बिना बेकार आदमी जो परजीवी का जीवन बितावै

रणबीर बरोने आला नहीं लावै हाथ चीज बिराणी कै।।

अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।


रागनी 5


ब्रह्माण्ड महारा

इस ब्रह्माण्ड का बेरा ना सोच-सोच घबराउं मैं।

धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।

1

वैज्ञानिक दृष्टि का पदार्थ नै आधार बताते

नाश हो सकता बदलै ना आकार सुणाते

निर्जिव तै जीव की उत्पत्ति डारविन जी सिखाते

कुदरत के अपने नियम जो दुनिया को चलाते

हमेश रहै बदलता क्यूकर या समझाउं मैं।।

धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।

2

जिज्ञासा और खोज तै उपजै उसनै ग्यान कहैं

क्रम बद्ध ग्यान नै फेर दुनिया मैं विग्यान कहैं

जिज्ञासा नै मारै सै जो उसको सारे अग्यान कहैं

गुण दोष पै जांचै परखै वैज्ञानिक इन्सान कहैं

पूर्वाग्रह तै टकराकै बणै नयी सोच दिखाउं मैं।।

धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।

3

मत विश्वास करो क्योंकि मां बाप नै बताया सै

शिक्षक नै कैहदी ज्यांतै आंख मूंद अपणाया सै

परीक्षण विश्लेषण पै जो सर्वहित कारी पाया सै

प्रयोग तै करैं दोबारा वो सिद्धांत आगै आया सै

भाग्यवाद पै कान धरै ना उसके धोरै जाउं मैं।।

धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।

4

वैज्ञानिक दृष्टि गुरू अपना चेला बताया होज्या

तीव्र ग्राही मन होवै जो कदे ना पड़कै सोज्या

सत्य का खोजी माणस बीज नई खोज के बोज्या

प्रमाण पै टिक्या विवेक सारे अन्धविश्वास नै खोज्या

रणबीर जोर लगाकै बात खोज कै ल्याउं मैं।।

धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।

रागनी 6

वैज्ञानिक नजर

वैज्ञानिक नजर के दम पै जिन्दगी नै समार लिये।

जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।

1

सादा रैहणा उचे विचार साथ मैं पौष्टिक खाणा यो

मानवता की धूम मैच चाहिये इसा संसार बसाणा यो

सुरग की आड़ै नरक की आड़ै ना कितै और ठिकाणा यो

पड़ौसी की सदा मदद करां दुख सुख मैं हाथ बंटाणा यो

धरती सूरज चौगरदें घूमै ब्रूनो नै सही प्रचार किये।।

जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।

2

साच बोलणा चाहिये पड़ै चाहे थोड़ा दुख बी ठाणा रै

नियम जाण कुदरत के इसतै चाहिये मेल बिठाणा रै

हाथ और दिमाग तै कामल्यां चाहिये दिल समझाणा रै

गुण दोष तै परखां सबनै अपणा हो चाहे बिराणा रै

जांच परख की कसौटी पै चढ़ा सभी संस्कार लिये।।

जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।

3

इन्सान मैं ताकत भारी सै नहीं चाहिये मोल घटाणा

सच्चाई का साथ निभावां पैड़े चाहे दुख बी ठाणा

लालची का ना साथ देवां सबनै चाहिये धमकाणा

मारकाट की जिन्दगी तै ईब चाहिये पिंड छटवाणा

पदार्थ तै बनी दुनिया इसनै चीजां को आकार दिये।।

जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।

4

दुनिया बहोतै बढ़िया इसनै चाहते सुन्दर और बणाणा

जंग नहीं होवै दुनिया मैं चाहिये इसा कदम उठाणा

ढाल-ढाल के फूल खिलैं चाहिये इनको आज बचाणा

न्यारे भेष और बोली दुनिया मैं न्यारा नाच और गाणा

शक के घेरे मैं साइंस नै रणबीर सिंह सब डार दिये।।

जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।

रागनी 7

ज्ञान विज्ञान का पैगाम

सुखी जीवन हो म्यारा ज्ञान विज्ञान का पैगाम सुणो।

हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।

1

सारे पढ़े लिखे होज्यां नहीं अनपढ़ टोहया पावै फेर

खाण पीण की मौज होज्या ना भूख का भूत सतावै फेर

बीर मरद का हक बरोबर हो इसा रिवाज आवै फेर

यो टोटा गरीब की चौखट पै भूल कै बी ना जावै फेर

सोच समझ कै चालांगे तो मुश्किल ना सै काम सुणो।।

हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।

2

मिलकै नै सब करां मुकाबला हारी और बीमारी का

बरोबर के हक होज्यां तै ना मान घटै फेर नारी का

भाईचारा फेर बढ़ैगा नहीं डर रहै चोरी जारी का

सुख कै सांस मैं साझा होगा इस जनता सारी का

भ्रष्टाचार की पूरी तरियां कसी जावै लगाम सुणो।।

हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।

3

आदर्श पंचायत बणावां हरियाणा मैं न्यारी फेर

दांतां बिचालै आंगली देकै देखै दुनिया सारी फेर

गाम स्तर पै बणी योजना लागू होज्या म्हारी फेर

गाम साझली धन दौलत सबनै होज्या प्यारी फेर

सुख का सांस इसा आवैगा नां बाजै फेर जाम सुणो।।

हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।

4

कोए अनहोनी बात नहीं ये सारी बात सैं होवण की

बैठे होल्यां लोग लुगाई घड़ी नहीं सै सोवण की

इब लड़ां ना आपस मैं या ताकत ना खोवण की

बीज संघर्ष का बोवां समों सही सै बोवण की

कहै रणबीर गूंजैगा चारों कूठ यो नाम सुणो।।

हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।

रागनी 8

विज्ञान ज्ञान के दम पै

विज्ञान ज्ञान के दम पै देखो उड़ते जहाज गगन मैं।ं

टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।

1

कदे कदे वा चेचक माता खूब सताया करती

रोज रोज फिरैं धोक मारते दुनिया सारी डरती

फेर भी काणे भोत हुए थे कोए भरतू कोए सरती

विज्ञानी जब गैल पड़े देखी शीतला मरती

सूआ इसा त्यार करया वा माता धरी कफन मैं।।

टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।

2

कुता काटज्या इलाज नहीं था हड़खा कै मरज्यावैं थे

रोग कोढ़ का बिना दवाई फल कर्मां का बतावैं थे

खून का रिश्ता था जिनतैं भाई वें भी दूर बिठावैं थे

टी बी आली बुरी बीमारी गल गल ज्याण खपावैं थे

आज इलाज सबका करदें ना रती झूठ कथन मैं।।

टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।

3

अग्नि के म्हां धुम्मा कोन्या बिजली चानणा ल्यावै सै

टी वी पै तसवीर बोलती देख अचम्भा आवै सै

समंदर के म्हां भर्या खजाना बंदा लुत्फ उठावै सै

राकेट के म्हां बैठ मनुष्य भाई चन्द्रमा पै जावै सै

एक्सरे तैं जाण पाटज्या के सै रोग बदन मैं।।

टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।

4

एक जीव का अंग काट कै दूजे कै इब फिट करदें

मिसाइल छोड्डैं बटन दाबकै हजार कोस पै हिट करदें

सौ सौ मंजिली बणी इमारत अपनी छाप अमिट करदें

कम्प्यूटर जबान पकड़ कै देसी तैं गिटपिट करदें

सुख सुविधा हजार तरहां की साईंस लगी जतन मैं।।

टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।

5

नई नस्ल के पशू बणा लिए नई किस्म की फसल उगाई

नये नये औजार बणा कै पैदावार कई गुणा बढ़ाई

फेर बी भूखे रहैं करोड़ों बिन कपड़े बिन छत के भाई

हबीब भारती कारण को ढूंढ़ो आपस में क्यूं करैं लड़ाई

साइंस कै मत दोष मढ़ो ना इसका हाथ पतन मैं।।

टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।

रागनी 9

विज्ञान की अच्छाई भूल

विज्ञान की अच्छाई भूल कै इसनै बैरी बतावण लागे।।

माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।

1

कलयुग पापी बता बता कवियांे नै शोर मचाया

कल का नाम कहैं पुरजा युग माने बख्त बताया

बढ़ी चेतना इन्सानां की जब जरुरत पै आया

इस कुदरत तैं खोज खोज पुरजे का खेल रचाया

आप बनाया आप चलाया अपने आप उडावण लागे।।

माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।

2

कुदरत के सब जीवों मैं इन्सान पवित्र पाया

जीवन की वस्तु सारी खुद आप खोज कै ल्याया

ऐसे यन्त्र तैयार बणा लिए अजब कमाल दिखाया

करकै खोज पृथ्वी की आसमान ढूंढ़ना चाहया

बणा बणा कै पुरजे पै सारा काम करावण लागे।।

माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।

3

कलयुग इतना छाज्या इसका कोए अन्त ना पाया

फेर मुनाफे नै इस कलयुग पै अपना जोर जमाया

सब कुछ कर लिया कब्जे मैं ऐसा महाघोर मचाया

इस पापी की करनी नै दुख मैं यो संसार फंसाया

विज्ञान तैं बम बणा बणा कै नरक बणावण लागे।।

माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।

4

हरिचन्द कहै कलयुग जैसी ओर समों ना आणी

सब प्रजा ने समझाद्यां चाहे याणी हो चाहे स्याणी

साइंस असली राही चालै हमनै होगी अलख जगाणी

फेर ना रहै कोए भूखा नहीं सै या झूठी बाणी

न्यों पाप खत्म होज्यागा हम साच बतावण लागे।।

माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।

रागनी 10

ब्रूनो

 *ब्रूनो नै चर्च में पढ़कै कहते पादरी बनना चाहया था।।*

*कॉपरनिकस की किताब पढ़कै उसनै पल्टा खाया था।।*

1

सवाल उठाकै वो क्यों  धरती सूरज पै बहस चाहवै

आगै अध्ययन करकै नै क्यों नहीं पता लगाया जावै

ज्यों ज्यों अध्ययन करै सूरज चौगरदें धरती  घुमती  पावै

चर्च की ताकत और गुस्सा पूरी ढ़ालां समझ मैं आवै

*ब्रूनो नै इसे कारण तैं इटली छोडण का मन बनाया था।।*

2

कुछ विद्वान सहमत होगे फेर साथ कदम नहीं धरया

दिन दूनी रात चौगुनी प्रचार करता ब्रूनो नहीं डरया

आम जनता का दिल उसनै यो पूरी तरियां दखे हरया

प्रयाग पैरिस इंग्लैंड जर्मनी मैं उसनै  था प्रचार करया

*चर्च की दाब नहीं मानी हारकै चर्च नै भगोड़ा बताया था।।*

3

ज्यों ज्यों प्रचार करया चर्च का गुस्सा बढ़ावै था

ब्रूनो भी बढ़ता गया आगै ना पाछै कदम हटावै था

चर्च की छलां तैं बताओ कितने दिन बच पावै था

वैचारिक समझौता ना करूंगा यो सन्देश पहूंचावै था

*चर्च नै पकड़ण की खातर फेर कसूता जाल बिछाया था।।*

4

चर्च मानस तैयार किया वो ब्रूनो धोरै पढ़ना चाहवै सै

फीस तय करदी उसकी फेर एक पते कै ऊपर बुलावै सै

ब्रूनो भी शिष्य एक बनैगा मेरा सोच कै नै सुख पावै सै

चर्च की चाल सोची समझी समझ उसकी ना आवै सै

*गिरफ्तार कर लिया चर्च नै बहोत घणा गया सताया था ।।*

5

अमानवीय यातना दी चर्च नै ब्रूनो अपने मत नै छोड़ दे

पहले आली सोच कांहीं अपनी सोच नै ब्रूनो मोड़ दे

छह साल ताहिं मंड्या रहया चर्च ब्रूनो की कड़ तोड़ दे

लोहे के सन्दूक मैं राख्या ताकि मौसम यो शरीर निचौड़ दे

*यो अत्याचार चर्च का ब्रूनो का मनोबल गिरा ना पाया था ।।*

6

न्यायालय का ड्रामा रच कै घनी भूंडी सजा सुनवाई

इसी सजा दयो इसनै एक बी खून की बूंद ना दे दिखाई

ब्रूनो उलट कै बोल्या था सरकार घणी डरी औड़ पाई

रोम के चौंक मैं ब्रूनो खम्भे कै ल्याकै बांध्या था भाई

*रणबीर कपड़ा ठूंसकै मूंह मैं ब्रूनो जिंदा उड़ै जलाया था ।।*

रागनी 11

जलवायु प्रदूषण

कार्बन साइकल नै समझां जै दुनिया बचाणी रै।।

धरती संकट बढ़ता आवै होज्या कुनबा घाणी रै।।

1

पौधे करैं ऑक्सीजन पैदा ये सूरज के प्रकाश मैं

कार्बन डाइऑक्साइड सौखैं ये भोजन की आस मैं

संघर्ष और निर्माण का इतिहास बनाया प्राणी रै।।

2

इस ब्रह्मांड को समझैँ इसमैं हम सां कड़े खड़े

कुदरत के नियम जाणे म्हारे कदम भी सही पड़े

इसका जब मजाक उड़ाया पड़ी मूंह की खाणी रै।।

3

आस पास और दुनिया मैं कैसे यह संसार चलै

कुदरत और जनता को कैसे यो धनवान छलै

इस धनवान लुटेरे की कोन्या चाल पिछाणी रै।।

4

चल चल पूंजी खावैगी या म्हारे पूरे ही समाज नै

धरती का संकट बढ़ाया सै इसके तेज मिजाज नै

विकास टिकाऊ बचा सकता म्हारी सबकी हाणी रै।।

रागनी 12

एक आह्वान रागनी 

हम कदम मिलजुलके मंजिल की तरफ बढ़ाएंगे ॥ 

हमारी बहुविविधता को दे हर क़ुरबानी बचाएंगे ॥ 

गुणवत्ता वाली पढ़ाई वास्ते  जनता लाम बन्द करेंगे 

सबको सस्ता इलाज मिले ऐसा मिलके प्रबंध करेंगे

निर्माण के उदाहरण हम करके सबको दिखाएंगे ॥ 

अन्ध विश्वास के खिलाफ लंबा चलाएं एक अभियान 

सबका मिलके होगा प्रयास बने संवेदनशील इंसान 

प्रति गामी विचार को  वैज्ञानिक आधार से  हराएंगे ॥ 

मिल करके करेंगे विरोध  सभी दलित अत्याचार का 

महिला समता समाज में हो मुद्दा बनायेंगे प्रचार का 

रोजगार मिले सबको ये हम सब अभियान चलाएंगे ॥ 

सद्भावना बढे समाज में नफरत का विरोध करेंगे 

पूरे समाज का विकास हो इस पे पूरा शोध करेंगे 

बढ़े हुए कदम हमारे रणबीर आगे बढ़ते ही जायेंगे ॥

रागनी 13

 

म्हारी खोज म्हारी सभ्यता

घड़ी बंधी जो हाथ पै इटली मैं हुई खोज बताई।।

भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।

1

खुर्दबीन की खोज कदे नीदरलैंड मैं हुई बताई सै

बैरोमीटर तै टारिसैली नै मौसमी खबर सुणाई सै

गुबारा सतरा सौ तिरासी मैं यो हमनै दिया दिखाई सै

टेलीग्राफ की खोज नै फेर फ्रांस की श्यान बढ़ाई सै

गैस लाइट के आणे तै जग मैं हुर्इ घणी रूसनाई।।

भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।

2

इटली के पी टैरी नै टाइप राइटर फेर बणाया रै

हम्फ्री डेवी नै लैंप सेफटी बणा माडल दिखलाया रै

माचिस की खोज नै ठारा सौ छब्बीस याद कराया रै

साइकिल के बणाणे आला मैकलिन नाम बताया रै

ठारा सौ तितालिस सन मैं फैक्स मशीन बणाई।।

भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।

3

ज्ञान विज्ञान आगै बढ़ग्या करे नये-नये आविष्कार

अमरीका नै लिफट खोजी मंजिलां की फेर लागी लार

ठारा सौ बावण मैं वायुयान नै फ्रांस मैं भरी उडार

टेलबेट नै फोटो खींचण की विधि कर दी तैयार

वैज्ञानिक सोच के दम पै नई-नई तरकीब सिखाई।।

भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।

4

थामसन नै वैलिडंग मशीन अमरीका मैं त्यार किया

एडीसन नै बलब बिजली जगमगा पूरा संसार दिया

मोटर साइकिल डैमलर नै सड़कां पै फेर उतार दिया

उन्नीस सौ बावण मैं हाइड्रोजन बम बी सिंगार लिया

रणबीर आगे की फेर कदे बैठ करैगा कविताई।।

भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।

रागनी 14


हिरोशिमा नागाशाकी

लिटिल बॉय और फैटमेंन परमाणु बम्ब गिराये रै।।

हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं

धकाये रै।। 

1

हिरोशिमा मैं छह अगस्त को अमरीका नै बम्ब गिराया

नौ अगस्त नै नागाशाकी पै दूजा फैटमैन बम्ब भड़काया

जापान देख हैरान रैहग्या अमरीका नै रोब जमाया

जमा उजाड़ दिए शहर दोनूं लाशां के ढेर लगाये रै।।

हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं

धकाये रै।। 

2

लाखों निर्दोष लोगों की इसमैं हुई मौत बताई देखो

दूसरे विश्व युद्ध मैं अमरीका नै फतूर मचाई देखो 

आत्म समर्पण जापान का फेर भी हेकड़ी दिखाई देखो

बिना बात बम्ब गिरा दिया अमरीका घना कसाई देखो

दो बम्ब गेर दादा गिरी का सारे कै सन्देश

पहोंचाये रै।।

हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं

धकाये रै।। 

3

औरत मर्द बच्चे इसके हजारों लाखों शिकार हुये

सालों साल बालकों कै जामनू कई विकार हुये

दौड़ रूकी ना हथियारों की सौला हजरत तैं पार हुये

एक हजार तैं फालतू अड्डे अमरीका के तैयार हुये

जीव मरैं निर्जीव बचैं इसे बम्ब आज बनाये रै।।

हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं

धकाये रै।। 

4

हिरोशिमा नागाशाकी तैं कोये सबक लिया कोण्या

हथियारों की होड़ बढ़ाई शांति सन्देश दिया कोण्या

हथियार मुक्त दुनिया का आधार तैयार किया कोण्या

ईनके डर पै अमरीका नै खून किसका

पीया कोण्या

रणबीर नागाशाकी दिवस पै ये चार छन्द बनाये रै।।

हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं

धकाये रै।।

रागनी 15


मानस का धर्म 

धर्म के सै माणस का मनै कोए बतादयो नै।।

माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।

1

माणस तैं मत प्यार करो कौणसा धर्म सिखावै

सरे आम बलात्कार करो कौणसा धर्म सिखावै

रोजाना नर संहार करो कौणसा धर्म सिखावै

तम दारू का व्यापार करो कौणसा धर्म सिखावै

धर्म क्यों खून के प्यासे मनै कोए समझादयो नै।।

माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।

2

ईसा राम और अलाह जिब एक बताये सारे रै

इनके चाह्वण आले बन्दे क्यूँ खार कसूती खारे रै

क्यों एक दूजे नै मारण नै एकेजी हाथां ठारे रै

अमीर देश हथियार बेच कै खूबै मौज उड़ारे रै

बैर करो मारो काटो लिखै वो ग्रन्थ भुलादयो नै।।

माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।

3

मानवता का तत कहैं सब धर्मां की जड़ में सै

कुदरत का प्रेम सारा सब धर्मां की लड़ मैं सै

कदे कदीमी प्रेम का रिश्ता माणस की धड़ मैं सै

कट्टरवाद नै घेर लिए यो हर धरम जकड़ मैं सै

लोगां तैं अरदास मेरी क्युकरै इनै छटवादयो नै।।

माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै ।।

4

यो जहर तत्ववाद का सब धर्मों मैं फैला दिया 

कट्टरवाद घोल प्याली मैं सब ताहिं पिला दिया

स्कीम बणा दंगे करे इंसान मासूम जला दिया

बड़ मानवता का आज सब धर्मों नै हिला दिया 

रणबीर सिंह रोवै खड़या इनै चुप करवादयो नै ।।

माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए समझादयो नै ।।

2001 की रचना

रागनी 16


#अपनीरागनी 

सोलां सोमवार के ब्रत राखे मिल्या नहीं सही भरतार 

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घना सै करतार

1

बालकपन तैं चाहया करती मन चाहया भरतार मिलै

बराबर की इंसान समझै ठीक ठयाक सा घरबार मिलै

उठते बैठते सोच्या करती बढ़िया सा मनै परिवार मिलै

मेरे मन की बात समझले नहीं घणा वो थानेदार मिलै

इसकी खात्तर मन्नत मानी चढ़ावे चढ़ाए मनै बेसुमार

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

मेरी सहेली नै ब्याह ताहिं एक खास भेद बताया था 

सोलां सोमवार के ब्रत करिये मेरे को समझाया था

बोली मनचाहया वर मिलै जिसनै यो प्रण पुगाया था

मनै पूरे नेग जोग करे एक बी सोमवार ना उकाया था

बाट देखै बढ़िया बटेऊ की यो म्हारा पूरा ए परिवार 

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

3

कई जोड़ी जूती टूटगी फेर जाकै नै यो करतार पाया

पहलम तै बोले बहु चाहिए ना चाहिए सै धन माया

ब्याह पाछै घणे तान्ने मारे छोरा बिना कार के खंदाया

सपने सारे टूटगे मेरे बेबे सोमवार ब्रत काम ना आया

पशु बरगा बरतावा सै ना करै माणस बरगा व्यवहार

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

4

ये तो पाखण्ड सारे पाये ना भरोसा रहया भगवान मैं

उसकी ठीक गलत सारी पुगायी ना दया उस इंसान मैं 

फेर न्यों बोले पाछले मैं कमी रही भक्ति तनै पुगाण मैं

आंधा बहरा राम जी भी नहीं आया पिटती छुड़ाण मैं

कहै रणबीर बरोने आला आज पाखंडाँ की भरमार 

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

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