Sunday, 15 December 2024

किस्सा साथी जसबीर सिंह

 किस्सा साथी शहीद जसबीर सिंह 

साथियों

 साथी जसवीर एक होनहार छात्र था। उसने हमेशा छात्रों के लिए अपनी आवाज बुलंद की । सब को शिक्षा, सबको काम व पढ़ाई और संघर्ष जैसे छात्रों के असली हकों का हमेशा अगवा रहा। इसी संघर्ष के दौरान जसवीर ने एक छात्र होते हुए भी जाना कि किस प्रकार छात्रों के हकों की लड़ाई, नौजवानों, किसानों , कर्मचारियों , महिलाओं व समाज के दबे पिछड़े लोगों के  हकों की लड़ाई के साथ जुड़ी हुई है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में  स्वस्थ शैक्षणिक माहौल के लिए प्राध्यापकों  छात्रों व कर्मचारियों के संयुक्त संघर्ष के दौरान उन ताकतों द्वारा साथी का कत्ल कर दिया जाता है जो इस समाज को, छात्रों को, नौजवानों को गुमराह करके तबाह करने पर उतारू हैं। उसकी मां को खबर मिलती है। वह उसी वक्त कुरुक्षेत्र पहुंच जाती है। वहां जसवीर की लाश को देखकर उसे गश आ जाती है। जब उसे होश आता है तो क्या कहती है वह:- 

रागनी  1

सुन्न होग्या गात सुनकै जब खबर मौत की आई।। 

भोली सूरत या तेरी बेटा मेरी आख्या के मां छाई।।

कौन सै बैरी खिले फूल का ना मेरी समझ मैं आया 

सही बात की लड़ी लड़ाई के उसे बैरी का ठाया 

इक्कीस की उम्र हुई थी मौत नै  वो आन दबाया 

सारे राह मैं  रही सोचती मैं कुछ भी ना भाया 

इब्बे कुछ ना खेल्या खाया उनै ज्याण की बाजी लाई ।।

पोस्टमार्टम की खातिर मेज पै लाश पड़ी थी 

मैं सोचूं थी धोरै खड़ी वा कौन सी नाश घड़ी थी

बाहर बहुत घनी जनता गुमसुम उदास खड़ी थी 

देख्या गौर करकै चेहरा उसपै एक आश जड़ी थी 

बात चेहरै खास अड़ी थी मां मनै ना पीठ दिखाई ।।

लड़ाई लड़ी बढी फीस की किताब का खर्चा देख्या 

फाइलाँ का बोझ  कड़ तोडू कर्मचारी भी लड़ता देख्या 

टोटे के मां मानस का सारा चमन उजड़ता देख्या 

कर्मचारी छात्रों का एक्का जोर पकड़ता देख्या  

वीसी घणा अकड़ता देख्या ना उसकै हुई समाई ।।

बेटे का लहू पुकारे सै नरहरि हॉस्टल के लान मैं 

कर्मचारी छात्र भाई भाई या गूंजी सारे आसमान में 

टक्कर झूठ और सच्चाई की कुरुक्षेत्र के मैदान में 

दुर्योधन नारे छंटगे उड़े  पांडू भी आए पहचान मैं 

हो पैदा पेलपा गाम मैं नहीं मेरी कोख लजाई ।।

वार्ता::

एक जसबीर की मां और जसबीर बैठे बातें कर रहे हैं । आज के दौर पर काफी बातचीत करते हैं । सारी बात सुनकर 

जसबीर की मां एक बात के माध्यम से क्या कहती है। कहना मां का - 

रागनी  2

मित्र बण कै वार करैं आज के धोल कपड़िये बेटा।।

बेटा इन आली राही तूं मतना कदे पकड़िये बेटा।।

 बिना हेरा फेरी चोरी जारी ये जमा नहीं जी पावैं रे 

 मिलावट कर सब क्याहें मैं मुनाफा खूब कमावैं रे

 बिना बात की बातां पै ये बणज्यां सैं अकड़िये बेटा।।

बिन मेहनत कमा मुनाफा पीस्से नै पीस्सा खींचै सै 

काले धन पर ऐश करै सच्चाई तैं आंख मींचै सै 

अरदास म्हारी सै इनके धोरे कै ना लिकड़िये बेटा।।

 काला धन कई तरियां के घर मैं ऐब ल्यावै फेर

 दारू की लत पड़ज्या पराई बीर पै लखावै फेर

 यो काला धन माणस नै घणा कसूता जकड़िये बेटा।।

काली नैतिकता आज या धोली पै छाती आवै सै

सच्चाई कै गोला लाठी देकै रोजाना धमकावै सै

रणबीर काले की दाब मैं जमा नहीं सिकुड़िये बेटा।।


वार्ता

जसबीर की बहन कमला का सोचना जसबीर के साथ हुई बातचीत के बारे में - 

रागनी   3

कमला बेबे बूझे सै बीरा कुछ हमनै भी समझावै नै।।

जसबीर के करै भाई रे तों हमनै भी बतलावै नै।।

न्यों बोल्या सुनले बेबे मुनाफे ऊपर तुलै इमान हे 

विधान मुनाफा ईमान मुनाफा इसतैं बनै बलवान हे

म्हारी कमाई लूट कै बेबे वो बनरया सै धनवान हे

बैठ लुटेरा महलों बीच मैं वो बघारे अपनी स्यान हे

उसके साथ क्यों भगवान हे  या शंका मनै मिटवावै नै।।

म्हारे देश मैं बेबे मेरी धन दौलत ऊपर रोक नहीं 

बने कानून गरीबों की खातर अमीरों पै टोक नहीं

खून पी लिया मेहनतकश का इनतैं बड्डी जोंक नहीं

ये करते बदमाशी जमकै डटे गात  की झोंक नहीं

क्यों लागै इनकै ठोक नहीं गुत्थी या सुलझावै नै।।

मैं बोली किसकी बात करै ना मेरी समझ मैं आरी

किसा मुनाफा कोण कमावै या खोल सुनादे सारी

धन माया किस्मत करकै कितै धन कितै बुहारी 

और किसे का जिकरा ना बात करूं सूं म्हारी

क्यों काढ़ै सै राही न्यारी तूं इसका ज्ञान करवावै नै।।

न्यू बोल्या इन चकरों मैं हम अपने दिन 

टपावां सां 

भाग भरोसै बैठे बैठे छींकमा ए कष्ट हम उठावाँ  साँ 

मेहनत करकै भी हम भूखे हर की तरफ लखवाँ सां

अपना दिमाग नहीं बरतैं ना सही हिसाब लगावाँ सां

क्यों बैरी नै भला बतावाँ सां रणबीर मनै बतलावै नै।।


वार्ता :- 

जसवीर के दोस्त थे सुरेंद्र और संजीव तथा रामचंद्र । कई बार उनसे राजनीति पर, इस वर्तमान समाज पर चर्चा होती थी। जसवीर हमेशा समाज को गरीब और अमीर के नजरिया से देखता था। उसके नजरिया को सभी दोस्त ठीक मानते थे। क्या नजरिया था जसवीर का , कवि के शब्दों में 

कहन कवि का- 

रागनी   4

गरीब अमीर का मेल नहीं, शेर बकरी का खेल नहीं,आड़े खूनी नै जेल नहीं , मर्द की बीर रखैल नहीं, तिलाँ बिन होता तेल नहीं, या जसबीर नै  बात बताई ।।

बिना शिक्षा के ज्ञान नहीं, बिना ज्ञान हो सम्मान नहीं

टोही सै  या असल सच्चाई, कमेरे की हो खाल तराई,या ना देखी जावै  भाई ,जानै सै सरतो और भरपाई,कुरुक्षेत्र मैं गई आजमाई, ना हमनै झूठ भकाई।।

2

बिना मणि के नाग नहीं, बिना माली के बाग नहीं

लुटेरे बिना ना होवे लूट , और कोए ना बोवै फुट,सबर का यो प्यावै घूंट, नयों हमनै यो खावै चूट,यो गद्दारों के सीमावै सूट, म्हारे  समझ नहीं आई।। 

3

बिना सुर के राग नहीं, बिना घर्षण के आग नहीं

दफन सारी फ़रयाद हुई, या मेहनत भी बर्बाद हुई,या गुंडा गर्दी आबाद हुई,क्यों कमजोर याद हुई, प्यारी शेर की मांद हुई

हमनै यूनियन नहीं बनाई।।

4

ना बिना पदार्थ कुछ साकार, ना बिन तत्व गुणां का सार

ये नीति इसी चाल रहे, बिछा म्हारे पै जाल रहे, बिकवा घर का माल रहे, कर सब ढालां  काल रहे, गलूरे बना ये लाल रहे, श्यामत रणबीर की आई।।

1989

 

वार्ता :- 

एक बार यूथ फेस्टिवल होता है तस्वीर भी हिस्सा लेता है वहां बड़ी बद्दी कृष्ण की रागनियां गई जाती हैं मध्य मजाक होते हैं जसवीर देश एकता पर रागनी गाता है सभी लोग मुझे पसंद करते हैं जसवीर को प्रथम पुरस्कार मिलता है क्या बताया भला: 

            देश एकता

रागनी -- 5

जनता का एका टूट गया तो भारत देश  बचै कोन्या।।

जसबीर सिंह रो रो कै गावै थारै या बात जच्चे कोन्या।।

जलरया सै पंजाब कितै इब हिन्दू अर सिख तंग होगे

कितै जलै आसाम भाई देश टूटन के आज ढंग होगे

जलता दिखे  गुजरात कितै हरिजन स्वर्ण के जंग होगे

हम जात धर्म पै नंग होगे न्यों तो देश बचै कोन्या।।

एक तरफ तै बढै महंगाई दूसरी तरफ बेकारी रै

आडै़ रोटी की मुश्किल सै उडै़ सै मौज बहारी रै 

नब्बे लटकें भंवर बीच मैं दस बैठे  सैं महल

अटारी रै 

ये दस म्हारे दुश्मन भारी रै और पै रोल  

मचै कोन्या।।

आग लगा घर म्हारे मैं पानी की बाल्टी थाम रहे

गोरे फिरंगी मिर्च लगावैं न्यूं चूस हमारा चाम रहे

दस अपने फायदे की खातर देश नै कर नीलाम रहे

जनता नै पिला भांग रहे ईसा इन बिन खेल 

रचै कोन्या।।

हाय लागरी इतनी मोटी भला बुरा सब भूल गए

आगा पाछा देख्या कोन्या झूला ईसा ये झूल गए

लांगर बंधया अमरीका का  लेकै झूल ये फूल गए

पढ़के कड़  टूटै भूल गए बात रणबीर की जचै कोन्या।।

रागनी 5

उसी दौर में किसानों का आंदोलन आ जाता है। शुगर मिल में हड़ताल थी। जसबीर गांव आया हुआ था। वहां ताऊ से बातें होती हैं । जसबीर के कत्ल के बाद ताऊ सोचता है कि जसबीर किसानों के बारे में क्या सोचता था।

सोचना ताऊ का - 

रागनी   6

जसबीर न्यू बोल्या मनै दो बात छोटू राम की मान ले।।

बोलना ले सीख ताऊ अर दुश्मन अपना पहचान ले।।

लुटेरा हमनै लूट लूट कै अपने घर नै भर ज्यागा 

काम पड़ेगा जब हम तमनै जमा किनारा करज्यागा

हो काला बाजारी चोरी जारी गरीब ज्यान तैं मरज्यागा

मेहनत कश जब होवै कट्ठा इंका मोर सा झड़ज्यागा

फूट गैर कै राज करै सै सुण लगा कै ध्यान ले।।

बेरोजगारी महंगाई गरीबी हर दिन बढ़ती जावै सै 

जो मेहनत करने आला वो दूना तंग होंता आवै सै 

जिब कट्ठे होकै हक मांगें बैरी तान बंदूक दिखावै सै 

म्हारी एकता तोड़ण खातर पालतू गुंडे 

ल्यावै सै 

और ना किमैं पार बसावै तो अड़ा  मिल्ट्री की छान ले।।

शिक्षा दे हमनै दूर रैहण की  राजनीति तैं राज करै

बिना यूनियन सुनिए ताऊ ना गरीब का काज सरै 

किलकी दे कै नै घेरा दयां दुश्मन भाजम भाज मरै

इन थोथे नारयां तैं कोन्या म्हारा पेटा दखे आज भरै 

भेड़िया सै बकरी के भेष मैं लगा सही सही मिजान ले।।

वार्ता:

एक दिन जसवीर का पिता जी काफी उदास है। जसवीर की मां उससे उदासी का कारण पूछती है तो उसका पिताजी कहता है कि जसवीर की बहुत याद आ रही है। मां समजाती है तो जसवीर का पिता उसे क्या कहता है: 

  कहण   पिताजी का- 

     रागनी 7

ईसा लागै सै जणों मेरे साहमी  खड़या हो जसबीर।।

जणों इब उठ कै बोलै सोया पड़या हो जसबीर।।

बोलती सी आंख और था मासूम चेहरा उसका

लाम्बी सी थी नाक और बदन था इकहरा उसका

मीठी सी जुबान और दिमाग था यो गहरा उसका

हल्की सी मुस्कान और चौकन्ना था पहरा उसका

था छैल गाभरू जणों कुदरत नै घड़या हो जसबीर।।

पढ़ते पढ़ते बेटा म्हारा पढ़ असली गीत गया

पढ़ो और संघर्ष करो मिट इस ऊपर मीत गया

बैरी कै साहमी डटकै लड़कै जस्सू जीत गया 

गलत सही की हमनै सिखला सच्ची रीत गया 

बैरी कै साहमी जणों आज बी अड़या हो जसबीर।।

जसबीर की मां सुणले काम अधूरा छोड़ गया

हुया लड़ता लड़ता शहीद हम तैं  नाता तोड़ गया

छात्र कर्मचारी  की एकता नए सिरे तैं जोड़ गया

कोर्ट कचहरी बैरी के मर कै भांडा फोड़ गया

कई बै पुकारै मनै जणों साहमी खड़या हो जसबीर।।

बाइस बरस का बेटा वो हरियाणे नै राह 

दिखाग्या 

सही असूलों की खातर मिटने की चाह 

सिखाग्या

जुल्मों का विरोध करो मन के म्हां आह 

 बिठाग्या 

कोन्या तेरी गोद लजाई  सिस्टम की थाह 

बताग्या 

ईसा लागै सै जणों तै काल लड़या हो जसबीर ।।


वार्ता::

गांव का माहौल बिगड़ता जा रहा है। एक दिन जसवीर गांव आया हुआ था। वह बड़ी भाभी (घरों में) को उदास देखता है। उदासी का कारण पूछता है तो भाभी क्या जवाब देती है 

जवाब भाभी का-

रागनी   8

के बुझैगा  देवर राहण दे काटूं दिन मर पड़ कै हो

दिन रात परेशान हुई मैं रोऊं भीतर बड़  कै हो

जाण नै होरे  चहनियां मैं पर बदमाशी का ओड़ नहीं

ताना मारते ये घणा कसूता बद चलनी का 

ठोड़ नहीं

देवर के बताऊं नीच घणे रही इंसान की खोड़ नहीं

ये मोटी बुद्धि लेरे सारे भले बुरे का कति जोड़ नहीं 

बोल कालजा  चीर जावै जब लिकडैं ये जड़ कै हो।।

कोए किमै ना बोलै देवर खड़े खड़े मजा लेवैं सैं

पुलिसिया मुंह नै फेर लेवें साथ फेर उनका देवैं सैं

फंसी किश्ती मँझदार बीच मैं हम मुश्किल तैं खेवैं सैं

तेरे जिसे छिदे मानस घने सूका थूक ये बिलोवैं सैं

खेल किसा रचाया राम जी सोचूं खाट मैं पड़ कै हो।।

न्यों बोल्या भाभी जड़ै नहीं हो सही सम्मान लुगाई का

उस देश का नाश जरूरी जित हो अपमान लुगाई का

हर युग मैं भगवान भज्या ना हुया कल्याण लुगाई का

मनू नै भी डांडी मारी कहया हीणा उनमान लुगाई का

मेरा बस इतना कहना भाभी काम चलै लड़ भिड़ कै हो।।

मारो खाओ ना हाथ आओ इस राही के राहगीर हुए

सिर काटो जात धर्म पै झूठी शान के ये शूरवीर हुए

बाहर मेम हो घर मैं सीता इसे ये करमवीर हुए

ना जावै पार भाभी बिना महिला समिति मैं शीर हुए

जसबीर देवर का ख्याल यही लिखै रणबीर घड़ कै हो।।

वार्ता ::

साथी जसबीर का कत्ल हो जाता है। पूरे हरियाणा में शोक की लहर उठती है।हबीब भारती जो कि जनवाद की लड़ाई के कवि हैं जसबीर के बारे में रागनी के जरिए अपनी श्रद्धांजलि पेश करते हैं। क्या कहते हैं-- 

रागनी -- 9


अमर शहीद जसबीर सिंह का आखरी संदेश सुणों ।।

जन जागृति मंजिल म्हारी इच्छा मन मैं 

शेष सुणों।।

छात्र साथियों अपील मेरी थम जमकै करो पढ़ाई

साथ साथ में संघर्ष करो ना जागी व्यर्थ कमाई

पढ़ो और संघर्ष करो भाई का नारा राखियो खूब समाई 

असूल पै जीना मरना सै असूलों की म्हारी लड़ाई

असूलों खातर प्राण त्याग रहया कोन्या कति द्वेष सुणों।।

ये भोले साथी सब प्यारे म्हारे दखे सैं पूत 

कमेरयां के

नासमझी मैं जाणैं कोन्या कोण दलाल लुटेरयाँ के

जो जात मजहब इलाके पै नाचैं  वे सैं सांप स्पेरयां के

एस एफ आई कै खिलाफ एक हुए भिन्न भिन्न चेहरयां के

इस राजनीति नै सही परखल्यो मोहम्मद सिंह महेश सुणों।।

छात्र यूनियन खत्म करण का प्रशाशन नै बीड़ा ठाया रै

हत्यारे गुंडे करकै भर्ती यो गहरा जाल बिछाया रै 

भाई लाखों दी सैं कुर्बानी जिब हक वोटां का पाया रै

हों डायरेक्ट इलेक्शन संघां के या जनतंत्र की काया  रै 

पैगाम पहोंचाइयो हर घर मैं ना रहवै कोए प्रदेश सुणों।।

सबको शिक्षा सबको काम यो नारा धुर पहुंचाना सै 

मजदूर किसान कर्मचारी तैं बढ़िया रसूक बणाणा सै 

जो भी लड़ै लड़ाई हक पै हरदम साथ निभाणा सै 

निष्काम भाव से सेवा करकै जन समर्थन जुटाणा सै 

गुड़यां का इलाज योहे ना रहैगा उनका 

लेश सुणों ।।

निडर होकै सच कहने का कदे करया ना टाला था

फख्र करैं वे रुख अंत तक जिसका वो एक डाहला था

भाई बहाण भी नाज करैं सदा जिननै देख्या भाला था

हबीब भारती संदेश लिख्या  यो मैं लिखवाने आला था

लाल सलाम तुम्हें साथियो मैं छोड़ चल्या जग देश सुणों।।

वार्ता::

जसवीर की याद को अमर बनाने के लिए शहीद जसबीर स्मारक  समिति का गठन होता है।  हर साल 23 अक्टूबर को साथी का शहीदी दिवस मनाया जाता है । शहीद जसवीर स्मारक भी बनकर तैयार हुआ। क जसबीर द्वारा चलाई गई जंग आज भी जारी है ।

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