Monday, 22 July 2024

580 से 591

580 मनुवाद अनादि ब्रह्म नै धरती पै यो संसार रचाया कहते मुंह बांह जांघ चरणों तैं सै सबको बसाया कहते 1 मुंह तैं बाह्मण पैदा करे चर्चा सारे हिंदुस्तान मैं बाँहों से क्षत्रीय जन्मे जो डटते आये जंगे मैदान मैं जांघ से वैश्य पैदा करे लिख्या म्हारे ग्रन्थ महान मैं चरणों से शुद्र जन्म दिये आता वर्णों के गुणगान मैं चार वर्णों का किस्सा यो जातों का जाल फैलाया कहते 2 भगवान नै शुद्र के ज़िम्मे यो एक काम लगाया बाक़ी तीनों वर्णों की सेवा शुद्र का फर्ज बताया शुद्र जै इणनैं गाली देदे जीभ काटो विधान सुनाया नीच जात का बता करकै उसतैं सही स्थान दिखाया मनुस्मृति ग्रन्थ मैं पूरा हिसाब गया लिखाया कहते 3 शुद्र जै किसे कारण तै इणनैं नाम तैं बुला लेवै दस ऊँगली लोहे की मुंह मैं कील ठुका देवै भूल कै उपदेश देदे तै उसके कान मैं तेल डला देवै लाठी ठाकै हमला करै तो शुद्र के वो हाथ कटा देवै मनु स्मृति नै शुद्र खातर नर्क कसूत रचाया कहते 4 बाबा अम्बेडकर जी नै मनुस्मृति देश मैं जलाई थी उंच नीच की या कुप्रथा मानवता विरोधी बताई थी कमजोर तबके कट्ठे होल्यो देश मैं अलख जगाई थी आरएसएस मनुवाद ल्यावै असली शक्ल दिखाई थी रणबीर महात्मा बुद्ध भी इसपै सवाल ठाया कहते 581 86 के दौर के हालात पर डांगर बरोबर माणस होगे फासला खास रहया कोण्या।। माची घणी सै आपा धापी बरतावा धांस रहया कोण्या।। 1 लूट पाट का दरबार लग्या चिड़िया नै खा बाज रहया हो दिन धौली कत्लोगारत भरोसा कोण्या आज रहया बलात्कारी बणे चौधरी हो बदचलनी का राज रहया पुलिस बदमाशां की यारी हो किसा बेढंगा काज रहया बढ़ी बेकारी भूख गरीबी यो पीसा पास रहया कोण्या।। 2 श्यामत चढ़गी कीमत बढ़गी पूरे सात असमानां मैं बिना बात करवाया घात हिन्दू और मुसलमानां मैं गरीब रोवै सै नसीबां नै आवै सरकारां की चालां मैं भेडिये भीतर तैं असली ये घले बकरी की खालां मैं दिन रात कमाया बावला कदे शाबाश कहया कोण्या।। 3 नाक तैं आगै देखण नै खामखा मतना जतन करो लूट गरीब की मेहनत नै फेर भगवती का भजन करो गरीब अमीर की खाई नै बस बात बातां मैं दफन करो नाश राही सुरग मिलता अच्छाई नै जला वतन करो होगे भोगी ढोंगी कसूते जनता पै जावै सहया कोण्या।। 4 मुनाफा चाहिए अमीराँ नै बणग्या पैमाना समाज का बिकता ईमान यो कपूरे का ना काम शर्म लिहाज का रणबीर आज बिकै मुख्यमंत्री इस पूंजीवादी राज का अमीर दूना अमीर हुया कितै तोड़ा हुया अनाज का म्हारे नेतावां नै भी दखे यो नाश जमा लहया कोण्या ।। 1.6.86 582 कॉल डाउन बिना तैयारी ना लगाणा था पूरा प्लान बनाकै सबको ही बताणा था स्वास्थ्य ढांचा म्हारा मजबूत बनाणा था जनता जैसे तैसे चाहया अमल करया।। 1 एक हिस्सा तो घर मैं बैठ गया जाकै बड़ा हिस्सा तो देखै था एड्डी ठा ठाकै अफरा तफरी मैं देखै था वो मूँह बाकै कई प्रदेशां मैं दीख्या भूख तैं घिरया।। 2 दाल रोटी की वो बाट देखता रहया सरकारी तंत्र कई जगां कति ढहया भूख और प्यास इब तलक सहया कोये बच्या कोरोना तैं कोये मरया।। 3 केस बढ़े लॉक डाउन पड़ी बढ़ाणी दिहाड़ीदार की होरी कुणबा घाणी बात क्यों कहि जो नहीं थी निभाणी कई का खाली कुछ का जमा भरया।। 4 छबीस हजार तैं ऊपर जा लिये रोगी इसी व्यथा आज तलाक नहीं भोगी कोरोना नीचे ऊंचे होंश सबके खोगी रणबीर संसार कोरोना तैं घणा डरया।। 583 सरतो नफेसिंह की चिट्ठी पढ़कर क्या सोचती है भला: कई स्वारथ साधे चाहवै अमरीका जंग की आड़ मैं॥ दुनिया नै डराना चाहवै लगा टीका सब की जाड़ मैं॥ इराक को बुश नै धुरी बुराई की बताया आज काल ताहिं सद्दाम बढ़िया भूण्डा क्यों दिखाया आज इराक इरान उत्तर कोरिया एक साथ बिठाया आज आतंकवाद के बाबू नै देखो इराक सताया आज क्यूकर होवै तेल बंटाई फंसगे आपस की राड़ मैं॥ उसके पिट्ठू इराकी जितने सबमैं लाखां डालर बांटे कटपुतली सरकार ताहिं उसनै अपने गुर्गे छांटे गुप्त योजना घड़ी बताई सब ताहि बतावण तै नाटे जिननै सवाल करया कोई वे घणी कसूती ढाला डांटे अपणी मण्डी बधवण ताहि आग लाई देशां की बाड़ मैं॥ नब्बे मैं बम्ब बरसाकै इराक मैं लाखां लोग मार दिये महिला बच्चे और बूढ़े बिन मौत के घाट उतार दिये दो हजार पाउंड का बम्ब इराक पै कसूते वार किये पाबन्दी चाली आवै जिबतै भूख नै लोग बीमार किये अमरीका देखै स्वारथ अपना बाकी जाओ सब भाड़ मैं॥ इजराइल फिलीस्तीन नै घणी कसूती ढाल सतावै अमरीका इजराइल का क्यों जमकै नै साथ निभावै प्रधानमंत्राी मारया जिसनै उनै शांति पुरुष बतावै बिन लादेन का यारी बता सद्दाम नै सबक सिखावै कहै रणबीर भरैगी बुड़का जनता बुश की नाड़ मैं॥ श्रेणी: हरियाणवी रचना KAVITA KOSH 584 15/3/1993 इतनी दारू क्यों पीवै, कर लिया सत्यानाश तनै।। तों आच्छा बीच्छा था, दुनिया कहै बदमाश तनै।। 1 धमलो जितनी चाद्दर उतना ए पसरो, या दुनिया कहती आई दारू सुल्फे के चक्कर मैं या धरती बटै लाई यार बॉस जितने तेरे, उणनै मेरे पै नजर जमाई खप्पर भरणी दारू नै , मेरी सारी ए टूम बिकाई इतना घटिया माणस होग्या क्युकर दयूं शाबाश तनै।। 2 रमलू मेरे बस की बात कोण्या ठेका मेरे पाहयां नै खींचै सांझ होंते की गेल्याँ सांस होवै ऊपर और नीचै बोतल जब पूरी भीतर जाले,या आंख मेरी मींचै गम सारे भूलूँ धमलो या सोचण के पट भींचै तिरूं डुबूं रहवै कालजा सब बातां का अहसास मनै।। 3 धमलो घर कोए बच्या नहीं सै माणस छिदा बचरया सै बाबू टोहवै बेटे आली यो बेटा बाबू कै खसरया सै पी दारू ऐड़े बैड़े बोलैं घरां अंधेरा यो बसरया सै औरत कितै महफूज नहीं गल मैं फांसा फँसरया सै हाथ जोड़ कहण मेरा थोड़ा जमा ना हो विश्वास तनै।। 4 रमलू आदत पड़गी कोण्या छूटती मैं होरया अलाचार जमा घर फूंक तमाशा होग्या खो देगा यो घरबार जमा टूम ठेकरी भी बिक़वादे बनै दुधारी तलवार जमा ठेके बन्द करती कोण्या म्हारी या सरकार जमा दारू छोड्या चाहूँ लाजमी मिलै सुरग का पास मनै।। 5 धमलो कितने बर नेम करे सुण सुण कै नै तंग आगी क्युकर कुन्बा चालै म्हारा इसकी चिंता मनै खागी खुले आम बिकते पैग बताए लत बालकां मैं छागी माक्खी भिनकें कुत्ते चाटैं नाली मैं जा ठोड़ी लागी रणबीर झूठे लारे देकै खवाई दही भामै कपास तनै।। 585 अन्धविश्वासों का घेरा भगवान मंदिर मैं बैठया खुद दीवा नहीं जला पावै।। म्हारी जिंदगी का कैसे बालै मनै कोये आकै समझावै।। 1 पत्थर के शेर की पूजा दुर्गा की सवारी मान कै करते जिन्दा शेर दीखज्या तै ज्याण बचाण नै भागे फिरते पत्थर तैं इतना लगाव जीव हमनै क्यों नहीं भावै।। म्हारी जिंदगी का कैसे बालै मनै कोये आकै समझावै।। 2 पत्थर का कुत्ता पूज्या जा शनिदेव की सवारी माणकै जिन्दा नै कहते भागज्या उसकै डंडा मारते ताण कै पत्थर पूजा छारी सारे कै या बात समझ नहीं आवै।। म्हारी जिंदगी का कैसे बालै मनै कोये आकै समझावै।। 3 गणेश तैं दूध प्या दिया हजारों टन बताया जासै मंदिर मैं करोड़ों का चढ़ावा हर साल चढ़ाया जासै मंदिर बाहर बालक भूखा दो रोटियां पाया चाहवै।। म्हारी जिंदगी का कैसे बालै मनै कोये आकै समझावै।। 4 धार्मिक ग्रंथ कितने पुराने कोये तो मनै बतादयो ग्रन्थ पुराने एक इंसान आकै कोये तो समझादयो लिपि इंसान नै बनायी रणबीर नहीं झूठ भकावै।। म्हारी जिंदगी का कैसे बालै मनै कोये आकै समझावै।। 586 एक फौजी की घरवाली की दास्तां तर्ज -कसमें वायदे प्यार वफा- सोसाटी आला बाबू जी रोजाना फेरी मारै पिया।। दारु पी कै घरनै आवै कुबध करण की धारै पिया।। म्हारे घर अन्न वस्त्र का टोटा इतने जतन करैं फौजी म्हारी जिन्दगी बीत गई हम टोटे के म्हां मरैं फौजी लता कपड़ा नहीं औढ़ण नै जाड्डे के म्हां ठिरैं फौजी बता जुलमी करजे का पेटा किस तरियां तैं भरैं फौजी इस करजे की चिन्ता मनै शाम सबेरी मारै पिया।। धरती सारी गहनै धरदी दबा लिए हम करजे नै जितने जेवर थे घर मैं सब बिकवा दिये करजे नै रोटी कपड़े के मोहताज हम बना दिए करजे नै चोरी के झूठे इल्जाम म्हारे पै लुवा दिए करजे नै सोसाटी आला बाबू जी ईज्जत पै हाथ पसारै पिया।। जहरी नाग फण ठारे कुए जोहड़ मैं पड़ना दीखै और नहीं गुजारा चलै ज्यान का गाला करना दीखै करजा म्हारा नाश करैगा बिजली बिल भरना दीखै मारुं सैक्टरी नाश जले नै ना आप्पै ए मरना दीखै आंख मूंदगे हीजड़े होगे वोतै गाम नै ललकारै पिया।। गरीब की बहू जोरु सबकी या समझै दुनिया सारी मेहनत तो लूट लई या ईब ईज्जत लूटण की त्यारी सारा गाम बिलखै फौजी कड़ै गया वो कृष्ण मुरारी रणबीर सिंह नै बरोने कै मैं खोल बताई या बीमारी करिए ख्याल तावला मेरा प्रेम कौर खड़ी पुकारै पिया।। 587 मत बनो कसाई मत बनो पिता कसाई हो तेरी बेटी मैं।। बचपन मैं दुभांत करी,कोन्सा किसे कै बात जरी भाई खावै दूध मलाई हो तेरी बेटी मैं।। घी माता को एक धड़ी दस दिन मैं करी खड़ी ठीकरे फोड़ मातम मनाई हो तेरी बेटी मैं।। घी माता की दो धड़ी चालीस दिन सम्भाल बड़ी दादी नै थाली बजाई हो तेरी बेटी मैं।। महिला दुश्मन अपनी जाई की हालत भूरो और भरपाई की सारी उल्टी सीख सिखाई हो तेरी बेटी मैं।। पढ़ण खंदाया स्कूल मैं भाई नहीं कदे मेरी बारी आई घर अन्दर मोस बिठाई हो तेरी बेटी मैं।। बालकपन मैं ब्याह रचाया वारी मेरी समझ मैं आया रणबीर सिंह की कविताई हो तेरी बेटी मैं। 88 बस में रोजाना छेड़छाड़ की घटनाएं हो रही हैं। लड़कियों ने हिम्मत की मगर समाज को रास नहीं आई कमजोर तबकों की लड़कियों की बहादुरी। कौण साच्चा कौण झूठा इसमैं बात सिमटा दई सारी।। बसां मैं जो होवै दुर्गति इसकी चर्चा गई मूधी मारी।। लड़कियां की पहल कदमी की बात उतरै नहीं गलै सबनै बेरा हाल बसां का झेलै जब चढै कै उतरै तलै डरती बोलती कोन्या कदे चरित्रहीनता की फांसी घलै म्हारे प्रदेश की महिला पुरुषवादी आतंक के म्ंह पलै दो छोरियां नै हिम्मत दिखाई संस्कृृति हा हा कार मचारी।। माणस तो रेप करणिया के भी हक मैं समझौते खातर आवैं महिला कैड़ खड़े होवण मैं ये सारे बड्डे चौधरी हिचकावैं रेप का कसूरवार भी महिला नै किसे ना किसे ढ़ाल बतावैं बिगडै़ल छोरयां नै मुश्किल तैं कदे कदे फंसी मैं बिसरावैं विकृृत मानसिकता और समझ के आज हुए घणे प्रचारी।। दबाया गया तबका कद ताहिं न्योंए दबकै सहवै भाई भीतर आग बलै वा जलाकै सब क्यांहें नै रहवै भाई कमजोर का साथ कौण दे यो समाज ठाडे नै लहवै भाई घणी हिम्मत चाहिये जब कोए छोरी इसे ढालां फहवै भाई पाछै सी दो छोरी फांसी खागी किननै उनकी बात बिचारी।। कमजोरां पर अत्याचार होवैं समाज जात्यां मैं बंट ज्यावै गलत सही का फैंसला भी पाले बन्दी के हिसाब तैं आवै जात्यां तैं उपर उठकै नै जै कोए विवेक तैं बात नै बढ़ावै उसकी कोए नहीं सुणकै राजी दूजे सुर मैं सुर मिलावै इस किस्से मैं साच् कोर्ट छांटै बाकियां पै क्यों चुप्पी धारी।। 589 रात ग्यारा बजे चालकै दिल्ली एयरपोर्ट आये रै।। दिल्ली तैं कुवैत के जहाज के टिकट कटाये रै।। 1 हवाई जहाज का सफर कई घण्टे का होग्या भाई ब्रेकफास्ट किया फेर लंच फेर फ़िल्म एक चलाई कुवैत पहोंच लंदन की मिलगी या जहाज हवाई लंदन की हवाई यात्रा घर आली नै खूब सराही लंदन पहोंचे सांझ ताहिं फेर सांस थोड़े ले पाये रै।। दिल्ली तैं कुवैत के जहाज के टिकट कटाये रै।। 2 विवेक भाई एयरपोर्ट पै देखै था वो बाट म्हारी सारा सामान लाद लिया फेर चली म्हारी सवारी सत्तर मील की दूरी साउथ एन्ड रहवै बेटी प्यारी दोहती अनन्या दोहता आदि सबकै खुशी छारी कुलदीप शीतल नै आंख्यां पै सारे बिठाये रै।। दिल्ली तैं कुवैत के जहाज के टिकट कटाये रै।। 3 रात का खाना खाकै या नींद गजब की आई सपने मैं घूमै रोहतक दे इंद्रप्रस्थ का पार्क दिखाई सबतें सम्पर्क टूट गया सिम कार्ड ना मिल पाई जी मैं जी आग्या मेरै जिब चलगी वाई फाई नमस्ते लंदन से के फूल सब धोरै पहोंचाये रै ।। दिल्ली तैं कुवैत के जहाज के टिकट कटाये रै।। 4 स्वीमिंग पूल अर पार्क अगले दिन घूम कै आये लंदन आई जाकै दूजे दिन पूरा लंदन देख पाये विंडसर कैस्टल तीजे दिन उड़ै मजे खूब उड़ाए चौथे दिन बीच पै घूमे बालक झूले खूब झुलाये रणबीर दस तारीख नैं बेल्जियम के प्लान बनाये रै ।। दिल्ली तैं कुवैत के जहाज के टिकट कटाये रै।। 90 जात बिना बात के रासे मैं इब बख्त गंवाना ठीक नहीं।। अपने संकट काटण नै यो जात का बाणा ठीक नहीं।। 1 बेरोजगारी गरीबी महंगाई हर दिन बढ़ती जावै सै जो बी मेहनत करने आला दूना तंग होंता आवै सै जब हक मांगै कट्ठा होकै तान बन्दूक दिखावै सै कितै भाई कितै छोरा उसकी बहका मैं आ ज्यावै सै खुद के स्वार्थ मैं देश कै बट्टा लगाणा ठीक नहीं ।। अपने संकट काटण नै यो जात का बाणा ठीक नहीं।। 2 म्हारी एकता तोड़ण खातिर बीज फूट का बोवैं सैं मैं पंजाबी तूँ बंगाली ज्यान इलाके ऊपर खोवैं सैं मैं जाट तूँ हरिजन सै नश्तर कसूता चुभोवैं सैं आपस कै म्हां करा लड़ाई नींद चैन की सोवैं सैं इनके बहकावे मैं आपस मैं भिड़ जाणा ठीक नहीं।। अपने संकट काटण नै यो जात का बाणा ठीक नहीं।। 3 म्हारी समझ नै भाइयो दुश्मन ओछी राखणा चाहवै म्हारे सारे दुखां का दोषी हमनै ए आज यो ठहरावै कहै खलकत घणी बाधू होगी इसनै इब कौन खवावै झूठी बातां के ले साहरा वो उल्टा हमनै ए धमकावै इन चीजों के बहकावे मैं म्हारा आ जाणा ठीक नहीं ।। अपने संकट काटण नै यो जात का बाणा ठीक नहीं।। 4 हमनै दूर रहण की शिक्षा दे राजनीति तैं राज करै वर्ग संघर्ष की राही बिना इब कोण्या काज सरै कट्ठे होकै देदयाँ घेरा दुश्मन भाजम भाज मरै झूठे वायदयाँ गेल्याँ म्हारा क्यूकर पेटा आज भरै आपस मैं मरैं यारे प्यारे ईसा तीर चलाना ठीक नहीं ।। अपने संकट काटण नै यो जात का बाणा ठीक नहीं।। 591 आयी तीज मॉनसून नै इबकै बहोतै बाट या दिखाई बेबे बरस्या नहीं खुलकै बूंदा बांदी सी आयी बेबे साम्मण के मिहने मैं सारे कै हरयाली छाज्या सोचै प्रदेश गया पति भाज कै घर नै आज्या ना गर्मी ना सर्दी रूत या घणी ए सुहाई बेबे कोये हरया लाल कोये जम्फर पीला पहर रही बाँट गुलगुले सुहाली फैला खुशी की लहर रही कोये भीजै बूंदां मैं कोये सुधां लत्यां नहाई बेबे आयी तीज बोगी बीज आगली फसल बोई या झूला झूल कै पूड़े खाकै थाह मन की टोही या पुरानी तीज तो इसी थी आज जमा भुलाई बेबे बाजार की संस्कृति नै म्हारी तीज जमा भुलाई इस मौके पर जाया करती प्रेम की पींघ बढ़ायी कहै रणबीर सिंह कैसे करूँ आज की कविताई

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