हम दिए धरती कै मार, कसूते विश्व बैंक के वार, करने हाथ पड़ें दो चार , सुनियो भारत के नर नारी।।
1
खेती पर काले बादल छाए कमर तोड़ कै धरी रै धान कपास गेहूं पिटया जमा नाड़ मोड़कै धरी रै सब्सिडी खत्म कर दी ,क्यों हांडी पाप की भरदी असली नहीं हम दरदी विश्व बैंक में घणी डांडी मारी।।
2
कारखाने लाखां बंद होगे ना बच्या कितै रोजगार नेता अपराधी माफिया का यो खाली जा ना वार काला धन बाजार मैं आया, अमेरिका ने जाल बिछाया,मध्यम वर्ग खूब भकाया, दिखाकै सपने बड़े भारी।।
3
टीवी पै घणे चैनल आगे ये भुंडी फ़िल्म दिखावैं
औरत दी एक चीज बणा बाजार मैं बोली लावैं
महिला भी इंसान होसै, न्यों उसका अपमान होसै, ना हमनै उन्मान होसै,पुरानी रीत कई अत्याचारी।।
4
पढ़ाई लिखाई महंगी करी यो गरीब कड़ै जावै
पढ़ लिख कै बिना पहोंच दफ़्तरां के धक्के खावै
अनैतिकता मैं पलै बढ़ै, वो नैतिकता के नारे गढ़ै
रणबीर की छाती पै चढै, छलनी करदी छाती सारी।।
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