Thursday, 2 November 2023

समाज व्यवस्था हुई हड़खाई

 समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।

इसका काटया मांगै पाणी ना कोये नर और नारी हे।।

1

सिरकी घाल करैं गुजारा जिननै देखो ताजमहल बनाये

उनके बालक मरते भूखे जिननै ये खेत क्यार कमाए

तनपै उनके लत्ता कोण्या जिननै कपड़े के मील चलाये

बिना दूध शीत के रहते वे जिननै ये डांगर ढोर चराये

भगवान भी आंधा कर दिया ना दिखता भ्रष्टाचारी हे।।

समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।

2

जितना करड़ा काम म्हारा उतना नहीं सम्मान मिलता

दस नम्बरी माणस जितने उनका हुक्म सारै पिलता 

नकली फूल सजावैं पाखंडी ना असली उनकै खिलता

कहते उसके बिना आड़े यो पत्ता तक बी नहीं हिलता

सबकै उप्पर उसका ध्यान नहीं फेर किसे न्याकारी हे।।

समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।

3

डांगर की कद्र फालतू यो माणस बेक़दरा संसार मैं

छोरे की कद्र घणी सै छोरी पराया धन परिवार मैं

किसे जुलम होण लागरे ये छपते रोज अखबार मैं

माणस खानी म्हारी व्यवस्था लादे बोली सरेबाजार मैं

कति छाँट कै इसनै चलाई महिला भ्रूण पै कटारी हे।।

समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।

4

इस व्यवस्था मैं मुट्ठी भर तै हो घणे मालामाल रहे 

इसा जाल पूर दिया चला इसनै अपणी ढाल रहे

सोच समझ कै बढियो आगै माफिया कसूते पाल रहे

फौजी और पुलिसिया रणबीर कर इनकी रूखाल रहे

सही सोच के संघर्ष बिना जनता आज पिटती जारी हे।

समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।

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