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आम तौर पर चुनाव के वक्त बहुत वायदे किये जाते हैं । मगर चुनाव के बाद हालात बदल जाते हैं । क्या बताया इस रागनी में ~~~
बणे पाछै नहीं कोये बूझै कित का कौण बतावैं ।
जनता जाओ चाहे धाड़ कै घर अपना भरते जावैं।
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ईब तलक तो बूझे ना आज याद आई सै म्हारी
गली गली मैं घूमै सै मंत्री जी की ईब महतारी
म्हणत लूट ली सै सारी म्हारे चक्कर खूब कटावैं।
जनता जाओ चाहे धाड़ कै घर अपना भरते जावैं।
2
पीसा दारू जात गोत का देख्या चाल्या दौर आड़ै
असली मुद्दे पाछै रैहगे असनायी नै पकड़या जोर आड़ै
म्हारा बनाया मोर आड़ै जा चंडीगढ़ मैं मौज उड़ावैं।
जनता जाओ चाहे धाड़ कै घर अपना भरते जावैं।
3
परवाह नहीं करते फेर म्हारी पढ़ाई और लिखाई की
बालकपन मैं बूढ़े होज्यां हमनै खावै चिंता दवाई की
ना सोचें म्हारी भलाई की उलटे हमपै इल्जाम लगावैं।
जनता जाओ चाहे धाड़ कै घर अपना भरते जावैं।
4
नित करते ये कांड हवाले समाज कति दबोया क्यों
म्हारी आह उटती ना माफ़ उनका कत्ल होया क्यों
साच हमतैं ल्हकोया क्यों ये सपने झूठे घणे दिखावैं।
जनता जाओ चाहे धाड़ कै घर अपना भरते जावैं।
रणबीर
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नया हरियाणा
म्हारी ये कौन नाक कटावैं ना उनकी चाल जाणी क्यों।
व्यभिचारी भ्रष्टाचारी ये बोलें नैतिकता की बाणी क्यों।
1
पुलिसिया बीस रपिये लेले उसकी चर्चा अखबार पुकारैं
ऊंचे महलां होज्यां सौदे करोड़ों कमीशन बदकार डकारैं
शरीफ खड़े लाचार निहारैं जनता जाणै ना कहाणी क्यों।
व्यभिचारी भ्रष्टाचारी ये बोलें नैतिकता की बाणी क्यों।
2
भ्रष्टाचार बलात्कार रिश्वत खोरी ये फण सैं व्यवस्था के
नैतिकता की बात करैं वे जो चाकर इसी व्यवस्था के
अमीर मालिक व्यवस्था के गरीब की कुन्बा घाणी न्यों ।
व्यभिचारी भ्रष्टाचारी ये बोलें नैतिकता की बाणी क्यों।
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गरीब हकां की लड़ै लड़ाई लड़कै व्यवस्था नै बदलांगे
गरीब अमीर की चौड़ी खाई राज व्यवस्था का समझांगे
पासा रलमिल पलटांगे पाळां इसी नागण काली क्यों।
व्यभिचारी भ्रष्टाचारी ये बोलें नैतिकता की बाणी क्यों।
4
पीस्से आले इजारेदार नै म्हारी सरकार बढ़ावै लोगो
तब दिली करकै कानूनां मैं इनकी टहल बजावै लोगो
बहुराष्ट्रीय कम्पनी ल्यावै लोगो देखै ना म्हारी हाणी क्यों।
व्यभिचारी भ्रष्टाचारी ये बोलें नैतिकता की बाणी क्यों।
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छोटी पूंजी मेहनत मिलकै बड़ी पूंजी तैं हम टकरावांगे
किसान मजदूर दूकानदार सब मिल यो नारा लावांगे
यो नया हरियाणा बनावांगे रणबीर बीमारी पिछाणी न्यों।
व्यभिचारी भ्रष्टाचारी ये बोलें नैतिकता की बाणी क्यों।
3
धर्म पै लड़न ना देने
बढ़न ना देने
साम्प्रदायिक लोग जगत मैं कति बढ़न ना देने सैं ||
चाहे कुछ हो जाओ लोग धर्म पै लड़न ना देने सैं ||
1
साम्प्रदायिक जहर जगत मैं घटिया माणस फैलारे सैं
आड़ै धर्म पै जूत बाजज्या न्यों पूरा जोर लगारे सैं
जगह जगह जलूस निकाले उल्टे नारे लारे सैं
अमरीका पै पीस्से खाकै देश तुड़ाना चाहरे सैं
हिन्दू मुस्लिम सिख आपस मैं कति भिड़न ना देने सैं ||
चाहे कुछ हो जाओ लोग धर्म पै लड़न ना देने सैं ||
2
साम्प्रदायिक लोग जगत मैं अमरीका नै ठा राखे
कोये देश ना ईसा मिलै जड़ै एजेंट ना बिठा राखे
सब देशां के पूंजीपति भी अपणी गैल लगा राखे
मेहनत कश क्यूकर लड़वाने न्यूं सारे समझा राखे
धर्म ज़ात के चक्कर मैं यहाँ लोग पड़ण ना देने सैं ||
चाहे कुछ हो जाओ लोग धर्म पै लड़न ना देने सैं ||
3
कोए कहै सिख धर्म नै खतरा न्यारा देश बनाओ
कोए कहै हिन्दू धर्म नै खतरा सब त्रिशूल उठाओ
कोए कहवै इस्लाम नै खतरा दौड़ दौड़ कै आओ
कोए कहवै ईसाई नै खतरा सब कठ्ठे हो जाओ
माणस पीड़न के कोल्हू चलारे माणस पीड़न ना देने सैं ||
चाहे कुछ हो जाओ लोग धर्म पै लड़न ना देने सैं ||
4
किसे धर्म नै खतरा कोन्या खतरा म्हारी कमाई नै
मेहनतकश पै बाँगड़ बाजै खाना चाहवैं मलाई नै
गौरयां के पिठठू चाहवैं लड़ाना भाई गेल्याँ भाई नै
आड़ै धर्म के नेता जोड़े इस अमरीका कसाई नै
अंग्रेज सिंह कहै दंगे हिन्द मैं कति छिड़न ना देने सैं ||
चाहे कुछ हो जाओ लोग धर्म पै लड़न ना देने सैं ||
4
एक बार फौज में जाने के बाद मेहरसिंह बहोत दिन तक वापिस नहीं आया। प्रेम कौर खेत में जाते हुए सोचती है कि बड़ा बेदरद निकला आने का नाम ही नहीं लेता। क्या सोचती है भला:
रागनी 16
टेक सन पैंतीस मैं गया फौज मैं कोण्या आया मुड़कै।।
आज बी मेरै धेखा सा लागै जणों लिकड़या हो जड़कै।।
जाइयो नाश गरीबी तेरा हाली फौजी बणा दिया
फौज मैं भरती होकै उसनै नाम अपणा जणा दिया
पैगाम सबतैं सुणा दिया था गया बाबू तै लड़कै।।
मन का भोला तन का उजला सारा ए गाम कहै
बख्त उठकै सब भाइयां नै अपणी रामै राम कहै
करता नहीं आराम कहै कदै सांझ सबेरी तड़कै।।
पक्का इरादा जिद्द का पूरा बहोत घणा तूं पाया
छोड़ डिगरग्या घर अपणा नहीं फिरकै उल्टा आया
सिंघापुर मैं जावैफ गाया छन्द निराला घड़कै।।
एक दो बै छुट्टी आया वो आगै नाता तोड़ गया
देश प्रेम के गाणे गाकै लोगां का मन जोड़ गया
रणबीर सिंह दे मोड़ गया उड़ै मोर्चे उपर अड़कै।।
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