1
विश्व कर्मा दिवस
छोटे मोटे औजार हमारे बणावैं महल अट्टारी रै
कारीगरों की मेहनत नै इनकी लियाकत उभारी रै
मंजिलों के हिसाब लगाकै ईमारत की नींव धरी जाती
मालिक जिसी चाहवैं उसी मजबूत नींव भरी जाती
खिड़की दरवाजे रोशन दान की माप तौल करी जाती
करणी और हुनर हथौड़े का ईंट पै ईंट ये धरी जाती
लैंटर डालण की न्यारी हो आज बतादयूं कलाकारी रै।
छजे पर तैं पाँ फिसलज्या सिर धरती मैं लागै जाकै
एकाध बै पडूँ कड़ कै बल फेर रोऊँ ऊंचा चिलाकै
रीड की हड्डी जवाब देज्या पटकैं अस्पताल मैं ठाकै
सरकार कोए मदद करै ना देख लिया हिसाब लगाकै
काम करण के खतरे इतने भुगतां खुद हारी बीमारी रै।
जितनी ईमारत सैक्टरों की सारी हमनै बनाई देखो
नींव से लेकर तीन मंजिल की करी ये चिनाई देखो
म्हारी खातर एक कमरा सै पांच नै घर बसाई देखो
इतने महल बनाकै रात फुटपाथों पर बिताई देखो
म्हारी एकता रंग ल्यावैगी औजारों मैं ताकत भारी रै।
असंगठित क्षेत्र के भाई सारे मिलकै आवाज लगावां
अपने हकों की खातर मजदूर भाइयों को समझावाँ
वोट कदम पर अपने नेता विधान सभा मैं पहोंचावां
मिलकै विश्वकर्मा दिवस नै सारे हरियाणा मैं मनावां
कहै रणबीर बरौने आला या एकता बढ़ावां म्हारी रै।
2
अमर वीर जसबीर तेरे तो दुनिया जस गावैगी।
हकदारां की ज्याज लड़ायी नहीं रूकण पावैगी।
अमर बेल के लाल लाल जो जगमग जगते जग के म्हां
खिलै च्यान्दना दुनियां छांटै भले बुरयां का साच्चा न्या
भला बुरे तैं हारै ना कदे बुरा भलाई करता नां
दुनिया देखै अमर बणै सै मेटें मिटते कोण्या निशां
मेहनतकश के शेर श्यान तेरी सब मैं बस ज्यावैगी।
क्रांतिकारी परम्परा मैं मिलग्या खून पस्सीना सै
झंडा लाल सितारा उप्पर आम आवाज दबी नां सै
जालिम खत्म करै जनता फेर यो तनज्या सीनां सै
हक पर बढ़ो न्याय की खातर ज़िब मैं कमीं नाँ सै
आड़ै सिरधड़ आली बाज़ी सै नां धजा झुकण पावैगी।
धन धन मात पिता तेरे तूँ तो सोने तरियां तपा दिया
खरया कसौटी के चाहिए आपणा आप्पा खपा दिया
धन सै सच्चे सतगुरु तेरे ज्ञान ब्यौहारी सिखा दिया
हक पै चलकै क्रांतिकारी रास्ता सबको दिखा दिया
मिलजुल ठाल्यो बात हकां की नां दुनिया फंस ज्यावैगी।
हे रै सच्चे साथी श्यान का जीणा तो ना खतरे तैं खाली
जिसकै लाग्गै जाग्गै आग्गै बढ़कै मंजिल पाली
हक पै बढ़ो मरो चाहे जीओ या बात दूर लग जाली
डाकू पकड़ो जिनती जनता या आज कति भकाली
ईब टूट फुट कै ले उठ जगत ना या झूठ धुकण पावैगी।
3
साम्प्रदायक बढ़न ना देणे
लोग धर्म पै लड़ण ना देणे
साम्प्रदायक लोग जगत मैं कति बढ़ण ना देने सैं ।
चै कुछ भी हो ज्याओ धर्म पै लोग लड़ण ना देने सैं।
साम्प्रदायक जहर जगत मैं घटिया लोग फेलारे सैं
आड़ै धर्म पै जूत बाजज्या पूरा जोर ये लगारे सैं
जगह जगह जलूस निकालैं उलटे नारे लारे सैं
अमरीका पै पीस्से खाकै देश तुड़ाना चाहरे सैं
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई कति भिड़ंण ना देने सैं ।
साम्प्रदायक लोग जगत मैं अमरीका नै ठा राखे
कोए देश ना इसा मिलै जड़ै ना एजेंट बणा राखे
सब देशों के पूंजी पति भी अपणी गेल लगा राखे
मेहनत कश क्यूकर लड़वाणे न्यूं सारे समझा राखे
धर्म जात के चक्कर मैं यहां लोग पड़ण ना देने सैं।
कदे कहैं सिख धर्म नै ख़तरा न्यारा देश बनाओ
कदे कहैं हिन्दू धर्म नै खतरा सब त्रिशूल उठाओ
कदे कहैं ईसाई नै खतरा तम सब कट्ठे हो जाओ
कदे कहैं इस्लाम नै खतरा दौड़ दौड़ कै नै आओ
माणस पीड़ण के कोल्हू चलारे लोग पिड़ण ना देने सैं ।
किसे धर्म नै खतरा कोण्या खतरा म्हारी कमाई नै
मेहनत कश पाव बांजड़ बाजै खाणा चाहवै मलाई नै
गौरे पिठू चाहवैं लड़ाणा ये भाई की गेल्याँ भाई नै
करो विचार कैसे दूर करां मानवता पै अंधेरी छाई नै
अंग्रेज सिंह कहै दंगे हिन्द मैं कति बढ़न ना देणे सैं।
4
भारत देश है मेरा
जहां डाल डाल पर गरीब जनता का बसेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
जहां झूठ और धर्म का पग पग पे अँधेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
जहां की धरती पे लुटेरे जपें प्रभु की माला
तीजा बच्चा भूखा मारें जहां चौथी बाला
जहाँ नफरत ने डाला चारों तरफ है डेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
जहाँ खड़े ऊंचे ऊंचे ये मंदिर और शिवाले
रोटी खातिर भटकें हैं या बच्चे भोले भाले
जहां जले है गुजरात गऊ नाम पे मरे कमेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
बीच लुटेरों की नगरी गरीब दुःख झेल रहे
मन्दिर मस्जिद पे जहाँ खूनी खेल खेल रहे
जहां नफरत की बंशी बजाये है मुरारी मेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
नया हरियाणा
म्हारी ये कौन नाक कटावैं ना उनकी चाल जाणी क्यों
व्यभिचारी भ्रष्टाचारी ये बोलें नैतिकता की बाणी क्यों
पुलिसिया बीस रपिये लेले उसकी चर्चा अखबार पुकारैं
ऊंचे महलां होज्यां सौदे करोड़ों कमीशन बदकार डकारैं
शरीफ खड़े लाचार निहारैं जनता जाणै ना कहाणी क्यों
भ्रष्टाचार बलात्कार रिश्वत खोरी ये फण सैं व्यवस्था के
नैतिकता की बात करैं वे जो चाकर इसी व्यवस्था के
अमीर मालिक व्यवस्था के गरीब की कुन्बा घाणी न्यों
गरीब हकां की लड़ै लड़ाई लड़कै व्यवस्था नै बदलांगे
गरीब अमीर की चौड़ी खाई राज व्यवस्था का समझांगे
पासा रलमिल पलटांगे पाळां इसी नागण काली क्यों
पीस्से आले इजारेदार नै म्हारी सरकार बढ़ावै लोगो
तब दिली करकै कानूनां मैं इनकी टहल बजावै लोगो
बहुराष्ट्रीय कम्पनी ल्यावै लोगो देखै ना म्हारी हाणी क्यों
छोटी पूंजी मेहनत मिलकै बड़ी पूंजी तैं हम टकरावांगे
किसान मजदूर दूकानदार सब मिल यो नारा लावांगे
यो नया हरियाणा बनावांगे रणबीर बीमारी पिछाणी न्यों
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फौजी मेहर सिंह के इस संसार से चले जाने के बाद उनकी पत्नी एक दिन अपनी बहन को बताती है कि उसके दिमाग में भारत का एक नक्सा था। क्या बताया भला ्
मनै न्यों कहया करै था सुन्दर भारत देश बनावांगे ।
सही सोच हो साथ प्रेमका दुश्मन तैं हम टकरावांगे।।
1ण्ना रहै फट्या पुराणा कई कई तयारी होज्यांगी
ढेरे ज़ूम लीख जितनी सब दूर बीमारी होज्यांगी
दरी गलीचे तोशक तकिये वस्तु सारी होज्यांगी
औढण पहरण बोल चाल की बातै न्यारी होज्यांगी
निधड़क घूमै तेरे बरगी हम इसा शहर बसावांगे।
2ण् टूट्या फुटया मकान रहै ना बढ़िया मकान बनावाँ
कितै चौखट कितै अलमारी रोशन दान लगावां
सौफा सेट होगा घर मैं हम पलंग निवार बिछावां
उनपै लेट आराम करांगे जिब मेहनत करकै आवां
ना लौड़ पड़ै ताले की हम इसा समाज बसावांगे।
3ण् न्यों बोल्या समों आणी जाणी साच्चा सै प्यार मेरा
साझी रहूंगा गम तेरे मैं दुःख सुख का इकरार मेरा
जित भी रहूंगा सुण प्रेमो चाहूँ सुखी संसार तेरा
राही टेढ़ी जबर बैरी सै करैंगे मिलकै पार यो घेरा
भाई चारे का माहौल होवै इस विचार नै बढ़ावांगे।
4ण्समझी इंसान हे बेबे चाहया रलमिल साथ निभाणा
थोड़ा ए समों रहया घर मैं चाहया हर काम पुगाणा
बोल्या ना छोड़ूँ बीच भँवर ना चाहिए तनै घबराणा
फ़ौज मैं जा कै समझ आया अंग्रेजों का लूटू बाणा
आजाद हिन्द फ़ौज का हम नया अंदाज दिखावांगे।
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पण्डित जगन्नाथ जी की एक रचना
आपत्ति मैं घबरवाणियां इंसान नहीं होता ।
आत्म हत्या से समस्या का समाधान नहीं होता।
1ण्सही आदमी संकट मैं भी ना घबराया करते
हिम्मत कदे नहीं हारी ना प्राण गंवाया करते
हार कदे बी ना मानी दिन रात कमाया करते
साहस रखने आले असल इंसान कहलाया करते
खुदकशी करणे आले का कल्यान नहीं होता।
2ण् म्हारी याद मैं कई बार देश मैं इसे अकाल बड़े
नहीं खाण नैं अन्न थ्याया और भूखे पशू खड़े
किसान कभी ना घबराये सब समय के साथ लड़े
हमनै भी इस जिंदगी मैं दुःख देखे बड़े बड़े
भूख प्यास पै काबू करणा आसान नहीं होता।
3ण् जीवन के माँ लाग्या करै सै कदे शीली कदे ताती
प्राण गंवाणे से कोये समस्या हल नहीं हो जाती
निंदा का पात्र होता है जो बणता आत्म घाती
ना मिलै शांति फिरै आत्मा घर घर धक्के खाती
इस भोले माणस नै शायद इसका ज्ञान नहीं होता।
4ण् प्रकृति की शक्ति का विरोध करें तैं के होगा
होणी होकै मानैगी ईब घणा डरे तैं के होगा
औरों के सिर पै बिना बात का दोष धरें तैं के होगा
या दुनिया न्यूंये चालैगी एक तेरे मेरे तैं के होगा
कहै जगन्नाथ समझदार आदमी परेशान नहीं होता।
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हरियाणा के जन्म दिन के बहाने
आज हरियाणा 49 साल का हो गया है और 50वें साल में आ गया है। बहुत कुछ पाया मगर उससे ज्यादा खोया भी है। पर्यावरण का मामला ज्यादा गम्भीर हुआ इन सालों में। स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यवसायीकरण ने इलाज आम आदमी से दूर कर दिया और डॉक्टर और मरीज के बीच अविश्वास बढ़ा दिया । पढ़ाई भी बहुत महंगी हो गई। खेती का संकट बहुत आगे बढ़ गया। बेरोजगारी बढ़ी है। लिंग अनुपात भी पूरे देश में सबसे नीचे है। महिलाओं पर हो रहे क्राइम्स की संख्या बढ़ रही है। दलितों पर भी अत्याचार बढे हैं। हम जैसे लोगों को नेगेटिव सोच के कार्यकर्ता के तगमें दिए जा रहे हैं।
इसमें कोई शक नहीं कि एक हिस्से में सम्पनता आई है हरित क्रांति के बाद मगर ऊपर लिखी कीमत भी चुकाई है। इसी तबके के एक हिस्से ने रत्नावली भी मनाई कुरुक्षेत्र में। शायद गुणगान ही किया होगा । आत्म मन्थन नहीं।
मेरे आदर्शों का हरियाणा कुछ इस प्रकार का होगा।
किसा हरियाणा हो म्हारा इतना तो जाण लयाँ।
शराब टोही कोण्या पावै इतना तो ठाण लयाँ ।
समानता होगी हरियाणे मैं उंच नीच रहै नहीं
न्या मिलैगा सबनै भाई अन्या कोये सहै नहीं
ओछी कोये कहै नहीं बढ़ा इतना ज्ञाण लयाँ।
अच्छाई का साथ देवां चाहे देणी होज्या ज्यान
बुराई का विरोध करां चाहे तो लेले कोये प्राण
बचावां हम अपना सम्मान खोल या जुबाण लयाँ।
सादगी शांति का आड़ै हरियाणे मैं प्रचार होगा
माणस नहीं लूट मचावैं सुखी फेर घरबार होगा
सही माणस हकदार होगा यो कहना माण लयाँ ।
जनता नै हक मिलज्याँ चारोँ कान्ही भाईचारा हो
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ना कितै अँधियारा हो
हरियाणा सबतैं न्यारा हो रणबीर नै पिछाण लयाँ।
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कुछ साथियों को बुरा लग सकता है मगर जिंदगी में जात की खेलबाजी अंदर तक देखने के बाद ही इस जगह पर पहोंचा हूँ या पहुँचा दिया गया हूँ । 1978 की मैडीकल कालेज की 98 दिन लंबी हड़ताल जिसमें पूरा कालेज जाट नॉन जाट में बंट गया था और उसके बाद के झटके जिन्होंने आँखे खोल कर देखने को मजबूर कर दिया ।
जात नै माणस का माणस बैरी बणा जबर राख्या सै।
एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।
दो किले आला जाट बी आज जाट सभा की कोली मैं
भूखा मरदा ब्राह्मण बी यो ब्राह्मण सभा की झोली मैं
फिरै भरमता रोड़ बिचारा आज रोड़ सभा की टोली मैं
दलित भी बन्ट्या हुया देखो यो कई रंगों की रोली मैं
जात पात का घणा कसूता दखे विष यो भर राख्या सै ।
जात के रंग ढंग मैं सै या मानवता बाँटण की मक्कारी
कथनी घणी सुहानी लागै सै पर पाई करणी मैं गद्दारी
काली नाग और पीत नाग ये भाई बिठाये एक पिटारी
मुँह मैं राम बगल मैं छुरी भाई सै या बुझी जहर दुधारी
जात्यां के बुगळे भगतां नै यो मिला सुर मैं सुर राख्या सै।
ब्राह्मण खत्री वैश्य और शुद्र ये चार वरण बताये सुणो
मनु जी नै फेर वरणां कै जात्यां के पैबन्द लगाये सुणो
गोत नात कबिल्यां भितर बेरा नहीं कद सी आये सुणो
जन्म कारण जात माणस की ग्रन्थ लिख़कै ल्याये सुणो
इसकी आड़ मैं लुटेरे लूटैं माणस बणा सिफर राख्या सै।
ढेरयां आला कुड़ता म्हारा या जात पात बताई आज
गेहूं के खेत मैं ऊग्या हुया बथुआ जात सुझाई आज
ठेके कै म्हां लागी सुरसी गिहूँआं की मर आई आज
ये कमेरे दुखी जात्यां मैं नेतावां नै चादर घुमाई आज
काढ बगादे यो कुड़ता इसनै आज कर बेघर राख्या सै।
जात छोड़ कट्ठे होंवैं काम करणिये भुखे मरणीये भाई
गोत नात छोड़ कट्ठे हों ये जितने नौकरी चढ़निये भाई
टूचावाद छोडकै कट्ठे हों सब बेरोजगार फिरणीये भाई
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ये मानवता पर चलनिये भाई
म्हारै ना जात किसे काम की कर क्यों सबर राख्या सै।
सारी दुनिया रुके देकै नै ईब दो जमात बतारी देख
एक कमेरा जिसकी मेहनत दुनिया मैं रंग दिखारी देख
दूजा लुटेरा जिसनै लूटी म्हारी सजाई दुनिया सारी देख
या पाले बंदी छिपाने खातर चलै जात की आरी देख
म्हारे माल के हम भिखमंगे यो बना आडम्बर राख्या सै।
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हरियाणे के वीरो जागो
हरियाणे के वीरो जागो तजो जात के बाणे नै
ढेरयां आला कुड़ता सै समझो इसके ताणे नै
गरीब माणस नै मरज्याणी गरीब भाई तैं दूर करै
अमीर होज्यां एक थाली मैं यो गरीब मजबूर फिरै
अमीर इस्तेमाल भरपूर करै गरीबाँ नै बहकाणे नै
अमीरां का छोरा कोये बेरोजगार जमा ना पाणे का
पुलिस कचहरी सब उनके ख़ाली हुक्म ना जाणे का
गरीब लूट कै खाणे का टोहया सै राह मरज्याने नै।
मेहनत जात गरीबाँ की और कोये तो जात नहीं
जाट ब्राह्मण सिर फुड़वावें मिलै खान नै भात नहीं
जात मिटा सकै दुभांत नहीं बात कही सै स्याणे नै
जात के ठेकेदारां की बांदी या करै इनकी ताबेदारी
आम आदमी जकड़ लिया अमीर करै पूरी पहरेदारी
रणबीर करै नहीं चाटूकारी नहीं बेचै अपणे गाणे नै।
9
मोदी नै
म्हारे देश कै बट्टा लाया प्यारे मोदी नै।
काले धन पर बहकाया प्यारे मोदी नै।
बाड़ खेत नै खागी नल दमयंती नै सुनते रहे
नींद आई रूखाले नै ये पापी जाल बुनते रहे
नफरत का माहौल बनाया प्यारे मोदी नै।
बिना दवाई और पढ़ाई म्हारे बालक रूलगे रै
सच की हुई पिटाई झूठ के दरवाजे खुलगे रै
कट्टरपन्थ का जहर फैलाया प्यारे मोदी नै।
नैतिकता पै प्रहार करैं जो नैतिकता के रूखाले
नंगेपन का प्रचार करैं जो नैतिकता के रूखाले
लूट खसोट का बाजार बढ़ाया प्यारे मोदी नै।
पाखंड का ले सहारा भारत की जनता लड़वाई
गऊ की पूंछ पकड़ कै नफरत बहोत सै फैलाई
कुलदीप कहर घणा ढाया प्यारे मोदी नै ।
10
दिन रात तुड़ाऊँ हाड
आदमी की औकात कितनीए मैं समझना चाहूँ सूँ।
तभी तो कोई ना कोई धोखा ए मैं हर रोज खाऊँ सूँ।।
राम का नाम व्यापार होग्या ए आज कल जाण लेए
इसी कारण मैं डर डर कै ही ए मंदिर म्हां जाऊं सूँ।
किस पै यक़ीन करूं मैं ए ईब सोच मैं पड़ग्या रैए
अपणा दर्द समझ नी आवैए किस किस पै गाउँ सूँ।।
मैं दिन रात हाड तुड़ा कै एबता क्यूँ रहग्या भूखा
कोई नी बतारया मनै ए मैं सभी तैं पूछता आऊं सूँ।
डांगर ढ़ोर की तरियां ये ए मनै हांकते आरे सैं भाई
अर मैं लड़न तैं अपणाए ईब गात बचाणा चाहूँ सूँ।
तेरा नाम तो बीच मैं ए न्योंएं आ ग्या भाई
मैं तो ईब अपणी ए ए विपता गाऊं सूँ।
कमाण आला माणस क्यूँ भूखा रहग्या
मैं या बात तो सबकै साहमी ठाउँ सूँ।
ना मनै देख्या पोह का पाला ए ना दुपहरी देखी
उतना ए तंग होग्या मैं जितना कमाऊं सूँ।
रामेश्वर दास
हरयाणवी गजल
कद सी स्याणा होगा
किसान तेरी या कष्ट कमाई कित जावै बेरा लाणा होगा।
या सारी दुनिया स्याणी होगी तूँ कद सी स्याणा होगा ।
दोसर करकै धरती नै अपणा खून पसीना बाहवाँ सां
गेर गण्डीरी सही बीज की हम ऊपर तैं मैज लगावां सां
पड़ै कसाई जाड्डा जमकै हम खेताँ मैं पाणी लावां सां
रात दिन मेहनत करकै माटी मैं माटी हो ज्यावां सां
दो बुलध तैं एक रैह लिया कद तांहिं न्यों धिंगताणा होगा।
कदे नुलाणा कदे बाँधणा कदे ततैया मोटा लड़ ज्यावै
कदे अळ कदे कीड़ा लागै कदे ईंख नै कंसुआ खावै
कदे औला कदे सूखा पड़ज्या हमनै कोण्या रोटी भावै
कदे गात नै ये पत्ते चीरैं कदे काली नागण फन ठावै
मील मैं हो भेड मुंडाई कद तांहिं मन समझाणा होगा।
सुनले कमले ईब ध्यान लगाकै म्हारे मरण मैं बिसर नहीं
आज कुड़की आरी म्हारे घर मैं नाश होण मैं कसर नहीं
जीते बी कोण्या मरते बी कोण्या औण पौण मैं बसर नहीं
चारोँ लाल कड़ै गए भाई के गई सै फोन मैं खबर नहीं
कोण्या पार जावैगी म्हारी जै यो न्यारा न्यारा ठिकाणा होगा।
इसकी खातर गाँव गाँव मैं जथेबंदियाँ का जाल बिछावां
जीणा चाहवाँ तै भाईयो यूनियन नै अपणी ढाल बणावाँ
बिना रोएँ तो बालक भी भूखा जंगी अपणी चाल बनावाँ
रणबीर सिंह बख्त लिकड़ज्या बरोने मैं फिलहाल बनावाँ
तगड़ा संगठन बनाकै अपणा जंग का बिगुल बजाणा होगा ।
मजलूमों का गीत
जहरीला धुंआ उठ रहा भाईयो मारे जाते इंसान यहां
रूढ़िवादी विचार ये देखो चढ़ते जा रहे परवान यहाँ
दोस्त मेरे सम्भल कर चलना कमजोर सी पतवार है
दोषी को दण्ड दे जो ऐसा मिला नहीं भगवान यहां।
कट्टर पन्थ की हलचल कई जगह दिखाई दे रही है
काली ताकतें भारत में बनाना चाहती हैं शमशान यहाँ।
दूजे पक्ष का कट्टर पंथ भी इसी पर फल फूल रहा है
मानवता गर बची नहीं तो नहीं रहेगा हिन्दुस्तान यहां।
मजलूम उठेंगे प्यार करेंगे हक फिर से मिलकर मांगेंगे
लड़ाने वाले चालाक हैं कट्टरता के किये गुणगान यहां।
बीमारी को उसकी हद से आगे लेजाने की तैयारी है
लाशों के अम्बार लगाने वालो लोग नहीं अनजान यहाँ ।
हमारी मोहब्बत और एकता लगता है डर इनसे तुम्हें
देख सको जो हमारे अंदर ऐसा तुम्हारा गिरहबान कहाँ ।
हमारी मानवता से डरते अपने हथियार वे पिना रहे हैं
गंगा जमुनी संस्कृति की मिटने नहीं देंगे पहचान यहां।
मजलूमों के बच्चे समझ रहे नफरत का खेल तुम्हारा
हुक्म बजाये हमेशा ही तुम्हारे बनेगे नहीं दरबान यहां।
मोहब्बत और मानवता के लुटेरो इतना तो याद रहे ही
रणबीर थोड़े दिनों में चलेगा तुम्हारा नहीं फरमान यहां ।
आजादी
खतरे मैं आजादी म्हारी जिंदगी बणा मखौल दी।
इसकी खातर भगत सिंह नै जवानी लूटा निरोल दी।
आजादी पावण की खातर असली उठया तूफ़ान था
लाठी गोली बरस रही थी जेलां मैं नहीं उस्सान था
एक तरफ बापू गांधी दूजी तरफ मजदूर किसान था
कल्पना दत्त भगत सिंह नै किया खुल्ला ऐलान था
इंक़लाब जिंदाबाद की उणनै या ऊंची बोल दी ।
सत्तावन की असल बगावत ग़दर का इसे नाम दिया
करया दमन फिरंगी नै उदमी राम रूख पै टांग दिया
सैंतीस दिन रहया जूझता कोये ना मिलने जाण दिया
हंस हंस देग्या कुर्बानी हरियाणे का रख सम्मान दिया
हिन्दू मुस्लिम एकता नै गौरी फ़ौज या खंगोल दी।
भारतवासी अपने दिलां मैं नए नए सपने लेरे थे
नहीं भूख बीमारी रहने की नेता हमें लारे देरे थे
इस उम्मीद पै हजारों भाई गए जेलों के घेरे थे
दवाई पढ़ाई का हक मिलै ये नेक इरादे भतेरे थे
गौरे गए आगे काले रणबीर की छाती छोल दी।
फुट गेरो और राज करो ये नीति वाहे चाल रहे रै
कितै जात कितै धर्म नै ये बना अपनी ढाल रहे रै
आपस मैं लोग लड़ाए लूट की कर रूखाल रहे रै
वैज्ञानिक नजर जिसकी जी नै कर बबाल रहे रै
इक्कीसवीं की बात करैं राही छटी की खोल दी।
2003.2004
नया हरियाणा
म्हारी ये कौन नाक कटावैं ना उनकी चाल जाणी क्यों
व्यभिचारी भ्रष्टाचारी ये बोलें नैतिकता की बाणी क्यों
पुलिसिया बीस रपिये लेले उसकी चर्चा अखबार पुकारैं
ऊंचे महलां होज्यां सौदे करोड़ों कमीशन बदकार डकारैं
शरीफ खड़े लाचार निहारैं जनता जाणै ना कहाणी क्यों
भ्रष्टाचार बलात्कार रिश्वत खोरी ये फण सैं व्यवस्था के
नैतिकता की बात करैं वे जो चाकर इसी व्यवस्था के
अमीर मालिक व्यवस्था के गरीब की कुन्बा घाणी न्यों
गरीब हकां की लड़ै लड़ाई लड़कै व्यवस्था नै बदलांगे
गरीब अमीर की चौड़ी खाई राज व्यवस्था का समझांगे
पासा रलमिल पलटांगे पाळां इसी नागण काली क्यों
पीस्से आले इजारेदार नै म्हारी सरकार बढ़ावै लोगो
तब दिली करकै कानूनां मैं इनकी टहल बजावै लोगो
बहुराष्ट्रीय कम्पनी ल्यावै लोगो देखै ना म्हारी हाणी क्यों
छोटी पूंजी मेहनत मिलकै बड़ी पूंजी तैं हम टकरावांगे
किसान मजदूर दूकानदार सब मिल यो नारा लावांगे
यो नया हरियाणा बनावांगे रणबीर बीमारी पिछाणी न्यों
मेरा चालै कोण्या जोर मनै लूटैं मोटे चोर
नहीं पाया कोये ठौर कटी पतंग की डोर
मनै लावैं डांगर ढ़ोर यो किसा घोटाला रै।
मेरा बोलना जुल्म हुया
उनका बोलना हुक्म हुया
सारे ये मुनाफा खोर ये थमा धर्म की डोर
बनावैं ये म्हारा मोर सुहानी इनकी भोर
ऐश करैं डाकू चोर मन इनका काला रै।
ये भारत के पालन हार
क्यों चोरां के सैं ताबेदार
म्हारे पै टैक्स लगावैं बोलां तो खावण आवैं
मिल्ट्री सैड़ दे बुलावैं चोरां की मौज करावैं
काले का सफेद बणावै भजैं राम की माला रै।
महंगाई की मार कसूती
सिर म्हारा म्हारी जूती
यो रोजगार मन्दा सै यो सिस्टम गन्दा सै
यो मालिक का रन्दा सै घालै दोगला फंदा सै
क्यूकर जीवै बन्दा सै हुया ढंग कुढाला रै।
पत्थर पुजवा बहकाये
भक्षक रक्षक दिखाये
काले नाग डसगे क्यों ये शिकंजे कसगे क्यों
दो संसार बसगे क्यों गरीब जमा फ़ंसगे क्यों
रणबीर पै हंसगे क्यों कर दिया चाला रै।
चार चै
चार च की बात करती थी भजपा एक दौर में । क्या हुआ उन चार च का और बंगारू रिश्वत लेते पकडे गए 2001 में एक स्टिंग ओपेरेशन में ््््््
चार चै का भांडा फूटग्या आज भाजपा के मत्थे पै।
तहलका की लिखूँ कहानी इस कागज के गत्ते पै।
चरित्र बेनकाब होग्या थारा कसर जमा बची नहीं
चाल थारी ईब देख लई राही सीधी गई रची नहीं
नकली चेहरा थारा पाया असली बात जँची नहीं
चिंतन थारा दोगला पाया एक लाइन खींची नहीं
इन बातां बारे चाहे बूझल्यो म्हारे गाम के सत्ते पै।
वर्णन करूं बंगारू का मारया एक लाख का दाड़ा रै
जया जेटली दो लाख जीमगी काम करया माड़ा रै
जार्ज की जड़ घणी डूंघी कर दिया कोड पवाड़ा रै
तहलका डॉट कॉम नै सबकै लाया चौखा झाड़ा रै
सारे दलाल जूड़े जाणे चाहियें ईब खम्बे तत्ते कै।
समता और भजपा का कमीशन मैं घणा मोह सै
इनका कुछ नहीं बिगड़ैगा म्हारे देश का खोह सै
सब पकडे गए रंगे हाथां रहया ना कोये ल्हको सै
आर एस एस नंगा होग्या इस बात का छोह सै
नेता फ़ौजी अफसर नै दे दी जात गुड़ के भत्ते पै।
थारी सफाई तैं म्हारा पाट्या घा कोण्या सीया जा
माक्खी आला दूध नहीं देखती आंख्यां पीया जा
कमीशन खा खा ऐश करैं छोल्या म्हारा हिया जा
थारे इसे काण्ड देखकै बोल चुपाका के जीया जा
आज रणबीर लिखै कति आज देशी पान के पत्ते पै।
बी जे पी
साम्प्रदायिक बी जे पी या चालै चाल कुढ़ाली।
धर्म के नामै लोग डसेन्जा या सै नागण काली।
सिख ईसाई मुस्लिम गेल्याँ हिंदुओं को लड़ाती है
और दूसरा काम नहीं या हांडै खून कराती है
झूठी अफवाह फैला फैला दंगे आड़ै छिड़ाती है
डंडे खड़ाऊ ईंट पुजाकै गणेश को दूध पिलाती है
कई हजारों लोग मराती देखी या तेरा ताली ।
या लोगां की लाशां उप्पर रोटी सेंकती रैह सै
कदसी जनता लड़ै धर्म पै बाट देखती रैह सै
तावल करकै होवै लड़ाई बोल फैंकती रैह सै
संस्कृति नष्ट होगी झूठ के खेल खेलती रैह सै
गुमराह करती रैह लोगां नै सै चम्भो चाली।
या स्वर्णां की पार्टी सै या गरीबाँ नै लुटवावै
ऐस सी बी सी जाट गुजरां तैं बांस घणी आवै
सेठां के अखबारां मैं इसकी खबर घणी छावै
अमरीका की पिठू सै या ठेके इणनै दुवावै
लोग मरावण का ठेका ठावै बचियो हाली पाली।
अंग्रेज सिंह या मेहनतकश को कट्ठे होण ना देहरी सै
मेहनतकश जब लड़ै लड़ाई चाल चलै या गहरी सै
घूम घूम रथ पै दंगे कराते मन्दिर मस्जिद ढहरी सै
या कांग्रेस की बालण सै लोगो न्यारा झंडा लेहरी सै
गौरे पिठू चाल पकड़ रहे इब्बी गोरयां आली।
भारत देश है मेरा
जहां डाल डाल पर गरीब जनता का बसेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
जहां झूठ और धर्म का पग पग पे अँधेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
जहां की धरती पे लुटेरे जपें प्रभु की माला
तीजा बच्चा भूखा मारें जहां चौथी बाला
जहाँ नफरत ने डाला चारों तरफ है डेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
जहाँ खड़े ऊंचे ऊंचे ये मंदिर और शिवाले
रोटी खातिर भटकें हैं या बच्चे भोले भाले
जहां जले है गुजरात गऊ नाम पे मरे कमेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
बीच लुटेरों की नगरी गरीब दुःख झेल रहे
मन्दिर मस्जिद पे जहाँ खूनी खेल खेल रहे
जहां नफरत की बंशी बजाये है मुरारी मेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
लोक राज
लोक राज और लोक लाज का फुटया ढारा देख लिया
जोर जुल्म और ठगी का यो सही नजारा देख लिया
चन्द्रा स्वामी था वो घणा हरामी घणी गहरी जड़ बताई
माफिया का सरदार स्वामी कांग्रेस पै चोखी पकड़ बताई
बी जे पी स्वामी की धौक मारै ज्यां इसमें अकड़ बताई
कमरेडाँ नै ना मुँह लाया बाकी सारी एकै लड़ बताई
यो अपराध जगत का और बी खुल्या पिटारा देख लिया।
बदेशी धन कानून तोड़ कै घणा कमाया स्वामी नै
राजनीति मैं ब्लैक मेल का यो भाव चढ़ाया स्वामी नै
कोये कुछ नहीं कैह सकता यो लंगोट घुमाया स्वामी नै
बलात्कार के काण्ड रचाये घणा जुल्म कमाया स्वामी नै
धर्म तन्त्र बाबा तंत्र का राज गेल्याँ डंगवारा देख लिया ।
मुनाफा खोरी म्हारे देश मैं अपणे पैर फैलारी क्यों
हजारां करोड़ का टैक्स बकाया म्हारी अक्ल मारी क्यों
कब्जा करकै धरती दाब ली ना होती खत्म बीमारी क्यों
समाज व्यवस्था नंगी होकै आज इतनी लूट मचारी क्यों
चन्द्रा स्वामी का गुलाम हुया यो राव हमारा देख लिया ।
इस समाज व्यवस्था मैं आज सड़ांध मारती दीखै सै
चन्द्रा स्वामी भगत बणै साथ मैं उमा भारती दीखै सै
कहै रणबीर सिंह न्यों मरता गरीब बेचारा देख लिया ।
;चंद्रा स्वामी की करतूतों की पोल खुलने पर उसी वक्त की थी यह रचना द्ध
वोट लिए बहकाकै
वोट लिए हम बहकाकै ए ईब बिजली के रेट बढ़ाकै
म्हारे तांहिं आँख दिखाकैए कै दिन राज चलैगा रै।
बिजली कितने घण्टे आवै किसान इसपै विचार करै
कम बिजली की तूँ क्यूँ म्हारे सिर पै तलवार धरै
बिलां के उप्पर धमकाकैए बिल धिंगतानै भरवाकै
राज पाट की दिखाकै ए कै दिन राज चलैगा रै।
बिजली की चोरी थारे चमचे रोज हमनै करते देखे
करखनेदारां के एस डी ओ पाणी हमनै भरते देखे
जितनी बिजली होवै पैदाए इसतैं किसनै कितना फैदा
बिना कोये कानून कैदाए कै दिन राज चलैगा रै।
मुफ़्त बिजली पाणी देऊं एक बै न्यों कैह बहकाये
भरपूर बिजली लगातार मिलै वोट थे तणै गिरवाये
कर्मचारी साथ मिलाकै ए बैठ गया कुर्सी पै जाकै
रोज ये झूठी सूँह खाकै एकै दिन राज चलैगा रै।
निजीकरण ना होवण दयूं इनकी घोषणा तणै करी
लारे लप्पे घणे दिए थे जनता नै पीपी तेरी भरी थी
विश्व बैंक तनै धमकावै ए तूँ म्हारे पै छोह मैं आज्यावै
रणबीर सिंह छंद बणावैए कै दिन राज चलैगा रै।
मेहनत कश किसान
मेहनत कश जमाने मैं तूँ घणा पाछै जा लिया ।
देख इस महंगाई करकै यो कति तौड़ आ लिया ।
चार घड़ी के तड़कै उठ रोज खेत मैं जावै सै
दोपहरी का पड़ै घाम या सर्दी घणी सतावै सै
दस बजे घर आली तेरी रोटी लेकै नै आवै सै
सब्जी तक मिलती कोण्या ल्हूखी सूखी खावै सै
नून मिर्च धरकै रोटी पै लोटा लाहसी का ठा लिया।
थारा पूरा पटता कोण्या तूँ दिन रात कमावै सै
बीज बोण के साथै तूँ आस फसल पर लावै सै
सोसाटी और लाला जी से कर्ज भरया कढ़ावै सै
लाला जी फेर तेरी फसल मनचाहे दाम उठावै सै
ब्याज ब्याज मैं नाज तेरा लाला जी नै पा लिया ।
कदे तनै सूखा मारै कदे या बाढ़ रोपज्या सै चाला
सूखे मैं तेरी फसल सूखज्या होवै ज्यान का गाला
कदे कति बेढंगा बरसै भाई यो लीले तम्बू आला
कदे फसल तबाह होज्या कदे होवै गुड़ का राला
बिजली तक आती कोण्या माच्छरां नै रम्भा लिया।
बड़ी आशा से तमनै सै या सरकार बनाई देखो
कई काम करैगी थारे तमनै आस लगाई देखो
सरकार नै आँते ही बालक की नौकरी हटाई देखो
थारा माल खरीद सस्ते मैं और कीमत बढ़ाई देखो
देखी तेरी हुई तबाही सै आच्छी तरियां ढा लिया।
आज का माणस
आज का माणस किसा होग्या सारे सुणियो ध्यान लगाकै
स्वार्थ का कोए उनमान नहीं देख्या ज़िब नजर घुमाकै
चाट बिना भैंस हरियाणे की दूध जमा ना देवै देखो
इसका दूध पी हरियाणवी खुबै ए रिश्वत लेवै देखो
भगवान इणनै सेहवै देखो यो बैठया घर मैं आकै।
और किसे की परवाह कोण्या अपने आप्पे मैं खोया
दूज्यां की खोज खबर ना हमेशा अपना रोना रोया
कमजोर कै ताकू चभोया बैठै ठाड्डे की गोदी जाकै।
दूसरयाँ नै ख़त्म करकै अपना व्यापर बढ़ावै देखो
चुगली चाटी डांडी मारै सारे हथकण्डे अपनावै देखो
दगाबाज मौज उड़ावै देखो चौड़ै सट्टे की बाजी लाकै।
मारो खाओ मौज उड़ाओ इस लाइन पै चाल पड़या
हाथ ना आवै जै आवै तो होवै रिश्वत कै तान खड़या
रणबीर सिंह नै छंद घड़या सच्चाई का पाळा पाकै।
श्रम की चोरी
न्यारे न्यारे भ्रम फैला कै जारी करते जो फरमान।
वें करते मेहनत की चोरी सबतैं माड़ा विधि विधान।
कर्म की गेल्याँ धर्म जोड़ कै श्रम का पाठ पढ़ाते जो
काम कर्म हो कर्म धर्म हो न्यूं जंजाल फैलाते जो
धर्म की गेल्याँ घुटै आस्था फेर विश्वास जमाते जो
दिखा पाप का भय माणस की बुद्धि को बिचलाते जो
चालाकी तैं स्याणे बणकै करैं स्याणपत बेईमान ।
धर्म कहै मत बदलो धंधा पुश्तैनी जो काम करो
बाँध देई जो चलती आवै मर्यादा सुबह शाम करो
जात गोत की जकड़न मैं मत परिवर्तन का नाम करो
चक्रव्यूह मैं फंसे रहो मत लिकडण का इंतजाम करो
कोल्हू के बुलधां की ढालां रहो घूमते उम्र तमाम।
बेशक मेहनत करनी चाहिए मेहनत ही रंग ल्यावै सै
मेहनत मैं जब कला मिलै तो सुंदरता कहलावै सै
मेहनत की भट्ठी मैं तप सोना कुण्दन बण ज्यावै सै
लेकिन मेहनत की कीमत पै शोषक मौज उड़ावै सै
मेहनत का महिमा मण्डन हो फेर होगा श्रमिक सम्मान।
जिस दिन काम करणिये सारे मिलकै नै हक माँगैंगे
मेहनतकश सब मर्द लुगाई जब अपनी बांह टाँगेंगे
उस दिन पकड़ी जागी चोरी सारी सीमा लांघेंगे
गेर गाळ मैं मूँधे मुँह फेर जुल्मी चोरां नै छांगैंगे
कहै मंगत राम मिलैगा असली मेहनत का फेर पूरा दाम
एक नवम्बर के हरयाणा दिवस के मौके पर एक सपना मेरा ्््््
मिलजुल कै नया हरयाणा हम घणा आलीसान बनावांगे
नाबराबरी खत्म करकै नै हरयाणा आसमान पहोंचावांगे
बासमती चावल हरयाणे का दुनिया के देशां मैं जावै आज
चार पहिये की मोटर गाड़ी यो सबतैं फालतू बणावै आज
खेल कूद मैं हम आगै बढ़गे एशिया मैं सम्मान बढ़ावांगे
चोरी जारी ठग्गी नहीं रहवैंगी भ्रष्टाचार नहीं टोहया पावै
मैरिट तैं मिलैं दाखिले सबनै शिक्षा माफिया खड़या लखावै
मिलकै सारे हरयाणा वासी इन बातों नै परवान चढ़ावांगे
ठेकेदारां की ठेकेदारी खत्म होज्या खत्म थानेदारी होवै
बदमाशों की बदमाशी खत्म हो फेर खत्म ताबेदारी होवै
निर्माण और संघर्ष का नारा यो पूरे हरयाणा मैं गूंजावांगे
दहेज़ खातिर दुखी होकै नहीं औरत फांसी खा हरयाणा मैं
कदम बढ़ाये एकबै जो आगै फेर ना पाछै जाँ हरयाणा मैं
बराबर के माहौल मैं महिलाओं के अरमान खिलावांगे
छुआ छूत का नहीं नाम रहै सब रल मिल रहैं गामां मैं
त्याग तपस्या और मोहबत की ये फुहार बहैं गामां मैं
दिखा मानवता का रास्ता जातधर्म का घमासान मिटावांगे
हरयाणा के लड़के और लड़की कन्धे तैं कन्धा मिला चालैंगेत्।ळछप्ल्।छ
सोचो किमै तो
हाथ पै हाथ धरकै बैठे पानी सिर पर कै जा लिया
कोए सुरक्षित नहीं आड़ै दुनिया का औड़ आ लिया
कातिल की माइंड सैट कन्या भ्रूण हत्या मैं दीखैं
जिसे करें बड़े बडेरे वेहे ये बालक करना सीखें
लंपनाइजेशन समाज के मैं पूरी तरियां छा लिया।
माड़ी माड़ी सी बातों पै रिवाल्वर काढ़ खड़े होज्यां
गोली चलाते वार ना लावैं छोटे करक बड़े होज्यां
राजनीती का क्रिमिनेलाइजेशन यो समाज खा लिया ।
गैंग रेपों की बाढ़ आगी पूरा हरियाणा काँप रहया
आगै के के बनैगी सारी हरेक मानस भांप रहया
जातां मैं बाँटी जनता जात नेता नै फायदा ठा लिया।
शादी की उम्र घटाना चाहते कितनी बोली बात करैं
गैंग रेप उम्र का रिश्ता बता कितनी होली बात करैं
करकै जतन रणबीर सिंह नै यो छंद बना लिया ।
13ण्10ण्2015
मेरा सपना जो पूरा होगा
जो रूकै नहीं जो झुकै नहीं जो दबै नहीं जो मिटै नहीं
हम वो इंक़लाब रै जुल्म का जवाब रै।
हर शहीद का हर रकीब का हर गरीब का हर मुरीद का
हम बनें ख्वाब रै हम खुली किताब रै।
लड़ते हम इसके लिए प्यार जग मैं जी सकै
आदमी का खून कोई फेर शैतान ना पी सकै
मालिक मजूर के नौकर हजूर के रिश्ते गरूर के जलवे शरूर के
ईब छोडै नवाब रै सरूर और शराब रै।
हम मानैं नहीं हुक्म जुल्मी हुक्मरान का
युद्ध छिड़ लिया आज आदमी शैतान का
सच की ढाल लेके मशाल हों ऊंचे ख्याल करें कमाल
खिलैं लाल गुलाब रै सीधा हो जनाब रै।
मानते नहीं हम फर्क हिन्दू मुसलमान का
जानते हम तो रिश्ता इंसान से इंसान का
जो टूटै नहीं जो छूटै नहीं जो रुठै नहीं जो चूकै नहीं
ना चाहवै खिताब रै बरोबर का हिसाब रै।
भोर की आँख फेर नहीं डबडबाई होगी
कैद महलां मैं नहीं या म्हारी कमाई होगी
जो छलै नहीं जो गलै नहीं जो ढलै नहीं जो जलै नहीं
रणबीर की आब रै या नहीं मानैगी दाब रै।
गरीब की बहू
एक गरीब परिवार की बहू खेत में घास लेने गई। वहां दो पड़ौस के लड़के उसे दबोच लेते हैं। क्या बनती है््
कोए सुणता होतै सुणियो दियो मेरी सास नै जाकै बेरा।
ईंख के खेत मैं लूट लई छाग्या मेरी आंख्यां मैं अन्धेरा।
चाल्या कोण्या जाता मेरे पै मन मैं कसूती आग बलै सै
दिमाग तै कति घूम रहया यो मेरा पूरा गात जलै सै
पिंजरे मैं घिरी हिरणी देखो या देखै कितै कुंआ झेरॉ।
म्हारे दो पड़ौसी उड़ै खेत मैं घात लगायें बैठे थे
मुँह दाब खींच ली ईंख मैं ईथर भी ल्यायें बैठे थे
गरीब की बहू ठाड्डे की जोरू मनै आज पाटग्या बेरा।
यो काच्चा ढूंढ रहवण नै भरया गाळ मैं कीचड़ री
पति नै ना दिहाड़ी मिलती घरके कहवैं लीचड़ री
गुजारा मुश्किल होरया सै बेरोजगारी नै दिया घेरा।
नहां धोकै बाळ बाहकै घूमै खाज्या किलो खिचड़
उंकी इसी हालत घर मैं जण होसै भैंस का चीचड़
खिलौने बेच गालाँ मैं दो रोटी का काम चलै मेरा।
घरां आकै रिवाल्वर दिखा धमकाया सारा परिवार
बोल चुपाके रहियो नातै चलज्यागा यो हथियार
भीतरला रोवै लागै सुना मनै यो बाबयां बरगा डेरा।
मेरे बरगी बहोत घनी बेबे जो घुट घुट कै नै जीवैं
दाब चौगिरदें तैं आज्यावै हम घूँट जहर का पीवें
यो रणबीर कलम उठाकै कहै हो लिया सब्र भतेरा।
इंदिरा गांधी
तूँ सुनिए इंदिरा गांधी ए क्यूँ हमनै फिरै भकांदी
म्हारी नहीं समझ मैं आंदीए तेरा समाजवाद कद आवैगा।
एक तरफ तूँ आपणे आप लाखों रूपया खर्च करै
दूजी तरफ एक गरीब आदमी भूखे पेट तैं तड़फ मरै
करै क्यूँ घोर अत्याचार सै तेरे बंगले कोठी कार सै
गरीब का रहडू बेकार सैए वो क्यूकर दिल संझावैगा।
एक तरफ तूँ करै घोषणा सबके बराबर के अधिकार
दूजी तरफ कोई मांगै रोटी तूँ खोलदेै जेलों के द्वार
या कार माड़ी इंदिरा ताई तूँ ल्यांति जावै तानाशाही
तेरे जांदी के दें पैर दिखाई ए राज पाट तेरा यो जावैगा।।
करकै लूट लूटेरे ख़ागे हम कैसे सुख का सांस जियां
कमेरे वर्ग का खून चूसरे तेरे टाटा बिरला डालमियां
लोक सभा मैं मददगार इनके रेडियो टी वी तार इनके
बैंक कारखाने कार इनकेएयो समाजवाद कूण ल्यावैगा।।
तेरे ढोल के पोल खुलगे सर्वहारा ईब जाग उठया सै
सीना तान खड़या होग्या ज्यूँ मार फुंकार नाग उठया सै
रूठ्या सै मजदूर किसान यो खोसैगा तेरे तैं कमान
रैहज्याओगे सब हैरान ए जब यो दम तमनै दिखावैगा।।
1983 की डायरी से
अजन्मी बेटी
चिंघाड़ अजन्मी बेटी की हमनै देती नहीं सुणाई।
किस्सा जमाना आग्या हुये माणस कातिल अन्याई।
पेट मैं मरवाना सिखया तकनीक इसी त्यार करी
लिहाज और शर्म सारी पढ़े लिख्याँ नै तार धरी
महिला संख्या घटती जा दुनिया मैं हुई रूसवाई।
परम्परा और कई रिवाज ये बुराई की जड़ मैं रै
दुभांत महिला की गेल्याँ होवै सबके बगड़ मैं रै
छोरे की खातर छोरी पै कटारी पैनी सै चलवाई।
महिला कम हुई सैं ज्यां इनपै अत्याचार बढ़गे
खरीद फरोख्त होण लगी साथ मैं व्यभिचार बढ़गे
घर के भित्तर और बाहर ज्यांन बिघन मैं आई।
पुत्र लालसा की जड़ घनी गहरी म्हारे समाज मैं
दोयम दरजा और दुभांत छिपी सै इस रिवाज मैं
इस आधुनिक समाज नै और रापट रोल मचाई।
महिला शोषण के खिलाफ आवाज उठण लगी
विरोध की चिंगारी आज हरियाणा मैं दिखण लगी
समाज के एक हिस्से नै बराबरी की मांग उठाई।
महिला नै इस माहौल मैं अपने कदम बढ़ा दिए
पिछड़ी सोच आल्याँ के कई बै छक्के छुड़ा दिए
रणबीर नै भी साथ मैं या अपनी कलम घिसाई ।
मजदूर की हालत
मनै मजदूरी ना मिलती हुया दुखी घरबार मेरा।।
कितै चांदना नहीं दीखै छाया चारों तरफ अँधेरा।।
फुटया ढूंढ एक कमरा मुश्किल हुया गुजारा रै
चौमासे मैं मुशीबत भारी यो घर टपकै म्हारा रै
माछर खावैं ताप चढ़ै खावण नै आवै सूना डेरा।।
पड़ौसियाँ कै सोणा पड़ै संकट होज्या घणा भारी
रोजगार कोए थयावै ना रूखी सूखी रोटी म्हारी
कहैं कामचोर दारू बाज काम नै ना करै जी तेरा।।
दिन रात मण्डी रैहवै बीमारी मैं भी घरआली या
भैंस पाल दूध बेचकै नै करती म्हारी रूखाली या
बालकां की कड़ै पढ़ाई ज़िब जीने का नहीं बेरा।।
कुआँ न्यारा भेंट करैं ना राजी साथ बिठा कै रै
महंगाई नै लूटे जहर जात धर्म का फैला कै रै
रणबीर अंसमझी मैं कहवैं यो किस्मत का फेरा।।
डॉक्टर की पुकार
म्हारी आह पै माचै रोल्ला उनका खून भी माफ़ होज्या ।
सरकार तो न्यों चाहवै सै या म्हारी तनखा हाफ होज्या ।
दो साल तरले करते होगे करते कोए सुनायी ना
भिखारी जिसा ब्यौहार करते बात सिरै चढाई ना
हमनै करी कोताही ना या बात जनता मैं साफ़ होज्या।
पांच साल मैं डाक्टरी पढकै सारा पी एच सी चलावां
चौबीस घण्टे लागे रहवाँ हम बैठ कै थोड़े से सुस्तावां
तनखा बढ़वाना चाहवाँ शासन जलकै नै राख होज्या।
म्हारी एकता तोडण खातर घणी गहरी चाल चलैं
डरावैं और धमकावैं सैं कदे ना ये सीढ़ी ढाल चलैं
चाल उल्टी तत्काल चलैं नुक्सान चाहे लाख होज्या।
म्हारा कैरियर बर्बाद करकै बताओ तमनै के थ्यावै
म्हारा हक हमनै मिलज्या बता किसे का के जावै
रणबीर तो साथ निभावै दुनिया चाहे खिलाफ होज्या।
साथी वीरेंदर शर्मा
सन 1992 में साक्षरता आंदोलन के दौर में साथी ने कार में आग लगने पर अपनी जान जोखिम में डाल कर कर की सवारियों को तो बचा लिया मगर सड़क पर फैले पैट्रोल की आग में बुरी तरह झुलस गया और दो तीन दिन तक मौत से संघर्ष किया।
ज्यांन की परवाह की ना कूदया पीड़ा देख परायी रै।।
जवानी खपादी वीरेंद्र नै समझ दूज्यां की भलाई रै।।
उसतै बढ़िया दीखै कोण्या भाई अकल इंसान की
म्हारे ताहिं राह दिखाई सै उसनै असल इंसान की
भुलाये तैं भी ना भूली जा भाई शक्ल इंसान की
म्हारे ताहिं तस्वीर बनाई उसनै अटल इंसान की
न्यों कहैया करै था साथी मिलकै लडांगे लड़ाई रै।।
लोगों के मोल उसनै रोज घटते बढ़ते देखे भाई
बदमाशों की चांदी आड़ै शरीफ लोग पिटते देखे
लोगों मैं बढ़ी बेरोजगारी सही राह तैं हटते देखे
शहीद भगत सिंह से वीर आजादी पै मिटते देखे
भगत सिंह की राही चल्या वीरेंद्र वीर सिपाही रै।।
ज्ञान विज्ञान समिति मैं थी साथी की कताई हुई
एक एक बात कै उप्पर थी समिति मैं सफाई हुई
समाज कैसे चलता म्हारा बैठकै पूरी धुनाई हुई
गया समझाया हमेशा गरीब की क्यूँ पिटाई हुई
शहीद वीरेंद्र समझ गया अनपढ़ता की खाई रै।।
साथी तेरे सपनों को हम मंजिल तक ले जायेंगे
सच कहना अगर बगावत हम गीत यही गायेंगे
आज नहीं तो कल साथी पूरी दुनिया पर छायेंगे
मानव का बैरी मानव हो ना ऐसा जमाना लायेंगे
रणबीर ईबे रंग अधूरा बनाई तसबीर जो भाई रै ।।
खाई
खाई चौड़ी होंती आवै सै इसनै आज कौण पाटैगा।
गरीब जनता का हाथ सही मैं आज कौण डाटैगा।
बधगी घर घर मैं खाई या बधगी पूरे समाज मैं
देशां के बीच की खाई ना बताते पूरे अंदाज मैं
अमरीका टोप पै रहवण नै आतंकवाद पै काटैगा।
एक देश के भित्तर भी कई ढाल की खाई दीखैं
एक अरबपति बनरया दूजे ये भूखे पेट नै भींचें
शांति कड़े तैं आवैगी जब कारपोरेट इसतै नाटैगा।
लड़ाई बढ़ेगी इस तरियां विनास की राही करकै
पिचानवै हों कठे होंवैंगे चौड़ी होंती खाई करकै
नहीं तो पर्यावरण प्रदूषण सबका कालजा चाटैगा।
लोभ लालच और मुनाफ़ा और बधारे इस खाई नै
समाज गया रसातल मैं चौड़ै भाई मारै सै भाई नै
रणबीर सिंह समझावै देखो छंद यो न्यारा छांटैगा।
पृथ्वीसिंह बेधड़क को यू पी और हरयाणा के लोग अच्छी तरह से जानते हैं उनकी एक रचना ;भजनद्धपेश है
हाय रोटी
जय जय रोटी बोल जय जय रोटी ।
बिन रोटी बेकार जगत मैं दाढ़ी और चोटी्बोल जय
गर्मी सर्दी धूप बर्फ जिसनै सर पै ओटी।
पूंजीपति नै बुरी तरह उसकी गर्दन घोटी्बोल जय।1।
दाना खिलाया दूब चराई और हरी टोटी।
जिस दिन ब्याई खोल कै लेग्या सूदखोर झोटी्बोल जय।2।
मंदिर मस्जिद और शिवाले की चोटी खोटी।
बिन रोटी कपड़े के ये सब चीजें हैं छोटी् बोल जय।3।
नहीं हम चाहते महल हवेली नहीं चाहते कोठी।
हम चाहते हैं रोटी कपड़ा रहने को तम्बोटी्बोल जय।4।
मेहनतकश कशो एक हो जाओ कस कर लँगोटी।
सारी दुनिया तेरे चरण मैं फिरै लौटी लौटी ्बोल जय ।5।
जिसनै रोटी छीन हमारी की गर्दन मोटी ।
पृथ्वीसिंह श्बेधडकश् होय उनकी ओटी बोटी।6।
हर क्यान्हें मैं मिलावट होगी
हरयाणे का हाल सुणो के के होवै आज सुनाऊँ मैं ।
मिलावट छागी चारों कूट मैं पूरी खोल बताऊँ मैं।
बर्फी खोआ मिलें बनावटी भरोसा नहीं मिठाई का
नकली टीके तैं मरीज मरते भरोसा नहीं दवाई का
आट्टा और मशाले नकली ना भरोसा दाल फ्राई का
पानी प्रदूषित हो लिया भरोसा नहीं दूध मलाई का
कुछ भी खाँते डर लागै सोचें जाँ ईब के खाऊँ मैं।
बीज नकली खाद नकली ना बेरा पाटै असली का
डीजल पेट्रोल मैं मिलावट ना बेरा पाटै नकली का
कीट नाशक घुले पाणी मैं ना बेरा पाटै बेअक्ली का
कद नकली धागा टूटज्या ना बेरा पाटै तकली का
पाणी सिर पर कै जा लिया ना कति झूठ भकाऊं मैं।
राजनीति मैं मिलावट होगी नकली असली होगे रै
ये मिलावटी आज खेत मैं बीज बिघण के बोगे रै
माणस बी आज दो नंबर के नैतिकता सारी खोगे रै
असली माणस नकली के बोझ साँझ सबरी ढोगे रै
बैठया बैठया सोचें जाँ ईंनतै कैसे पिंड छुटाऊं मैं।
मिलावटी चीज तो बिकती यो दीन ईमान बिकता
माणस मरवाकै बी इनका पेट जमा नहीं छिकता
मिलावट के अन्धकार मैं कोए कोए बस दिखता
जनता एकता के आगै यो मुश्किल नकली टिकता
रणबीर जतन करकै नै बंजर के मैं फूल उगाऊं मैं ।
21ण्10ण्2015
मेहर सिंह एक दिन मोर्चे पर लेटे लेटे सोचता है। क्या बताया भला ््
अंग्रेजां नै घणे जुल्म ढाये अपणा राज जमावण मैं ।
फूट गेरो राज करो ना वार लाई नीति अपनावण मैं ।
किसानों पर घणे कसूते अंग्रेजों नै जुल्म कमाये थे
कोल्हू मैं पीड़ पीड़ मारे लगान भी उनके बढ़ाये थे
जंगलां की शरण लिया करते ये पिंड छुटवावण मैं ।
मजदूरों को बेहाल करया ढाका जमा उजाड़ दिया
मानचैस्टर आगै बढ़ा जलूस ढाका का लिकाड़ दिया
ढाका की आबादी घटी माहिर मलमल बणावण मैं।
ठारा सौ सतावन की जंग मैं देशी सेना बागी होगी
अंग्रेजां के हुए कान खड़े या चोट कसूती लागी होगी
आजादी की पहली जंग लड़ी गयी थी सत्तावण मैं।
युवा घने सताए गोरयां नै सारे रास्ते लांघ दिए देखो
भगत सिंह राजगुरु सुखदेव ये फांसी टांग दिए देखो
रणबीर सिंह करै कविताई या जनता जगावण मैं।
पंडित श्री कृष्ण शर्मा सिसाना से फ़ौजी मेहर सिंह के साथ थे । दोनों लिखारी थे। कई बार आपस में बातचीत होती उनकी। एक बार फौजी मेहर सिंह ने उनको एक बात सुनायी.
कृष्ण जी सुनले तनै दिल की आज बात सुनावां सां
गोरे भुंडे लागैं सैं इणनै मार भगाना चाहवाँ सां ।
ईष्ट इंडिया कम्पनी नै पहलम व्यापार फैलाया
राजवाड़े हुआ करैं थे एक एक पै राज जमाया
जात धर्म पै बंटे हुए आपस मैं राड़ बढ़ावां सां ।
डेढ़ सौ साल होंगे म्हारे पै इणनै पूरा राज जमाया
रेल बिछाई व्यापार खातर लूट का जाल बिछाया
ठारा सौ सतावन मैं आजादी का बिगुल बजावां सां ।
पहली जंग आजादी की कई कारणां हार गए रै
गोरयां नै कसे शिंकजे हो घने वे होशियार गए रै
भगत सिंह महात्मा गांधी लड़ते लड़ाई पावां सां ।
जावेंगे ये गोरे लाजमी आई एन ए मैं आये फौजी
छोड़ अंगरेजी सेना नै बोस गेल्याँ ये पाये फौजी
रणबीर देश की खातर जज्बा खूब दिखावां सां ।
11ण्9ण्15
पी पी पी नै म्हारे देश का कर दिया बंटाधार
देखियो के होगा ।
पब्लिक प्राईवेट पार्टनरशिप नै खत्म करे खाते सरकारी
कारपोरेट कम्पनी जनता नै ये लूट लूट कै खाती जारी
मशीन मैं टेस्ट तीन हजार बिल मैं दिखावैं सात हजार
देखियो के होगा ।
सरकारी नौकरी खत्म प्राइवेट मैं आरक्षण कोन्या रै
कीमत चढ़गी आसमानाँ बच्चन के लक्षण कोन्या रै आरक्षण पै जाट और पटेलां का जोर सै धुआंधार
देखियो के होगा ।
पी पी पी नै सरकारी पीपे जमा खाली कर दिए आज
गोज खाली पेट भी खाली कति बेहाली कर दिए आज
गरीबी भी बढ़ती जावै अम्बानी के बढ़े सैं अम्बार
देखियो के होगा ।
सरकारी मारया सरकार नै प्राइवेट खूब बढ़ाया देखो
अडाणी और अम्बानी कांग्रेस भाजपा चढ़ाया देखो
रणबीर आपाधापी मचा दी कौनी जनता तैँ प्यार
देखियो के होगा ।
गुंडागर्दी
इस गुंडा गर्दी नै बेबे ज्यान काढ़ ली मेरी हे ।
सफ़ेद पोश बदमशां नै इसी घाल दी घेरी हे ।
रोज तड़कै होकै त्यार मनै हो कालेज के म्हं जाणा
नपूता रोज कूण पै पावै उनै पाछै साइकल लाणा
राह मैं बूढ़े ठेरे बी बोली मारैं हो मुश्किल गात बचाणा
मुँह मैं घालन नै होज्यां मनै चाहवैं साबती खाणा
उस बदमाश नाश जले नै चुन्नी तार ली मेरी हे ।
मनै सहमी सी नै माँ आगै फेर बात बताई सारी
सीधी जाईये सीधी आईये मनै समझावै महतारी
तेरा ए दोष गिनाया जागा जै तणै या बात उभारी
फेर के रैहज्यागा बेटी ज़िब इज्जत लुटज्या म्हारी
माँ हाथ जोड़ कै बोली तेरे और भतेरी हे ।
नयों गात बचा बचा कै पूरे तीन साल गुजार दिए
एच ए यूं मैं लिया दाखला पढ़ण के विचार किये
वालीबाल मैं लिकड़ी आगै सबके हमले पार किये
मार मार कै तीर कसूते या छाती सालदी मेरी हे ।
कुछ दिन पहलम का जिकरा दूभर जीना होग्या
इन हीरो हांडा आल्याँ का रोज का गमीना होग्या
कई बै रोक मेरी राही खड़या एक कमीना होग्या
उस दिन बी मैं रोक लई घूँट खून का पीना होग्या
रणबीर कई खड़े रहैं साईकिल थम लें मेरी हे ।
लाला हरदयाल
हिन्दुस्तान से बाहर कई जगह पर छाये क्रांतिकारी
सी आई डी गोरी सरकार को सब ख़बरें पहुँच चारी
ग़दर पार्टी को बैन करो अमेरिका पर दबाव बनाया
लाला हरदयाल चलाते पार्टी गोरों ने ये पता लगाया
अमेरिकन सरकार ने मुकद्ममाँ लाला पर चलवाया
अनार्किज्म पर भाषण का दोष उन पर लगवाया
वारंट निकाले पुलिस ने हजार डॉलर के चालान पर
ग़दर पार्टी ने जमानत दिलवाई पार्टी के आह्वान पर
अमरीकी समाचार पत्रों ने अभियान चलाया भारी
गलत वारंट निकाले हैं इस बात पर खाल उतारी
अंग्रेजों के जूते मत चाटो यह जोरों से बात उठाई
लोकतन्त्र बदनाम किया है खबर अख़बारों में छाई
अमेरिका ने गोरों के दबाव में देना चाहा देश निकाला
अख़बारों में यह मुद्दा भी गया था पूरी तरह उछला
ग़दर पार्टी ने लाला जी को खुद भेजने का प्लान बनाया
लाला जी को स्विट्जेटलैंड सोच समझ के पहुंचाया
ग़दर पार्टी में लाला हरदयाल हमेशा याद किये जायेंगे
पंजाबी और हिन्दुस्तानी उनको कभी ना भुला पाएंगे
रणबीर
10ण्9ण्2015
ज़िब ज़िब जनता जागी
जिब जिब जनता जागी यो जुल्मी शोषक झुका दिया।
भारत तैं जुल्मी गोरा मिलकै हम सबनै था भगा दिया।
1ण् आजाद देश का सपना पहोंच्या शहर और गाम मैं
भगत सिंह फांसी टूट्या जोश था देश म्हारे तमाम मैं
दुर्गा भाभी भी गेल्याँ जूटगी इस आजादी के काम मैं
लाखां नर और नारी देगे अपनी कुर्बानी ये गुमनाम मैं
क़ुरबानी बिना नहीं आजादी गांधी अलख जगा दिया।
2ण् गोर गए काले आगे गरीबी जमां मिट्टी नहीं सै देखो
बुराई बढ़ती आवै सै भिद्द इसकी पिटी नहीं सै देखो
अच्छाई संघर्ष करण लागरी आस घटी नहीं सै देखो
जनता सारी समझ रही या उम्मीद छुटी नहीं सै देखो
समतावादी समाज होगा संघर्ष का डंका बजा दिया।
3ण् जात पात हरयाणे की सै सबतैं बडडी बैरी भाईयो
विकास पूरा होवण दे ना दुनिया यह कैहरी भाईयो
वैज्ञानिक सोच काट बताई जड़ घणी गहरी भाईयो
अमीरां की जात अमीरी म्हारै गरीबी फैहरी भाईयो
म्हारी एकता तोड़ण खातर जात पात घणा फैला दिया।
4ण् दारू माफिया मुनाफा खोर इनकी पक्की यारी देखो
भ्रष्ट पुलिसिया ओछा नेता करता चौड़ै गद्दारी देखो
बिचौलिया घणे पैदा होगे म्हारी अक्ल मारी देखो
लाम्बे जन संघर्ष की हमनै करली सै तयारी देखो
लिखै रणबीर भगत सिंह नै यो रस्ता सही दिखा दिया ।
भगत सिंह के सपने
सपने चकनाचूर करे थारे देश की सरकारां नै।
जल जंगल जमीन कब्जाए देश के सहूकारां नै ।
शिक्षा हमें मिलै गुणकारी ए भगत सिंह सपना थारा
मारै ना बिन इलाज बीमारीए भगत सिंह सपना थारा
भरष्टाचार कै मारांगे बुहारीए भगत सिंह सपना थारा
महिला आवै बरोबर म्हारीए भगत सिंह सपना थारा
बम्ब गेर आवाज सुनाईए बहरे गोरे दरबरां नै।
समाजवाद ल्यावां भारत मैंए भगत सिंह थारा सपना
कोए दुःख ना ठावै भारत मैंएभगत सिंह थारा सपना
दलित जागां पावै भारत मैंए भगत सिंह थारा सपना
अच्छाई सारै छावै भारत मैंए भगत सिंह थारा सपना
जनता चैन का सांस लेवै बिन ताले राखै घरबारां नै।
थारी क़ुरबानी के कारण ये आजादी के दिन आये
उबड़ खाबड़ खेत संवारे देश पूरे मैं खेत लहलाये
रात दिन अन्न उपजाया देश अपने पैरों पै ल्याये
चुनकै भेजे जो दिल्ली मैं उणनै हम खूब बहकाये
आये ना गोरयां कै काबू कर लिए अपने रिश्तेदारां नै।
समाजवाद की जगां अम्बानीवाद छाता आवै देखो
थारे सपने भुला कै धर्म पै हमनै लड़वावै देखो
मुजफ्फरनगर हटकै भगत सिंह तनै बुलावै देखो
दोनों देशों मैं कट्टरवाद आज यो बढ़ता जावै देखो
रणबीर खोल कै दिखावै साच आज के दरबारां नै।
देकै कुर्बानी ये छोरी छोरे नए हरयाणा की नींव डालैंगे
गीत रणबीर सिंह नै बनाया मिलकै हम सारे ही गावांगे
आम तौर पर चुनाव के वक्त बहुत वायदे किये जाते हैं । मगर चुनाव के बाद हालात बदल जाते हैं । क्या बताया इस रागनी में ्््
बणे पाछै ना कोये बूझै कित का कौण बतावैं ।
जनता जाओ चाहे धाड़ कै घर अपना भरते जावैं।
ईब तलक तो बूझे ना आज याद आई सै म्हारी
गली गली मैं घूमै सै मंत्री जी की ईब महतारी
म्हणत लूट ली सै सारी म्हारे चक्कर खूब कटावैं।
पीसा दारू जात गोत का देख्या चाल्या दौर आड़ै
असली मुद्दे पाछै रैहगे असनायी नै पकड़या जोर आड़ै
म्हारा बनाया मोर आड़ै जा चंडीगढ़ मैं मौज उड़ावैं।
परवाह नहीं करते फेर म्हारी पढ़ाई और लिखाई की
बालकपन मैं बूढ़े होज्यां हमनै खावै चिंता दवाई की
ना सोचें म्हारी भलाई की उलटे हमपै इल्जाम लगावैं।
नित करते ये कांड हवाले समाज कति दबोया क्यों
म्हारी आह उटती ना माफ़ उनका कत्ल होया क्यों
साच हमतैं ल्हकोया क्यों ये सपने झूठे घणे दिखावैं।
रणबीर
विश्व कर्मा दिवस
छोटे मोटे औजार हमारे बणावैं महल अट्टारी रै
कारीगरों की मेहनत नै इनकी लियाकत उभारी रै
मंजिलों के हिसाब लगाकै ईमारत की नींव धरी जाती
मालिक जिसी चाहवैं उसी मजबूत नींव भरी जाती
खिड़की दरवाजे रोशन दान की माप तौल करी जाती
करणी और हुनर हथौड़े का ईंट पै ईंट ये धरी जाती
लैंटर डालण की न्यारी हो आज बतादयूं कलाकारी रै।
छजे पर तैं पाँ फिसलज्या सिर धरती मैं लागै जाकै
एकाध बै पडूँ कड़ कै बल फेर रोऊँ ऊंचा चिलाकै
रीड की हड्डी जवाब देज्या पटकैं अस्पताल मैं ठाकै
सरकार कोए मदद करै ना देख लिया हिसाब लगाकै
काम करण के खतरे इतने भुगतां खुद हारी बीमारी रै।
जितनी ईमारत सैक्टरों की सारी हमनै बनाई देखो
नींव से लेकर तीन मंजिल की करी ये चिनाई देखो
म्हारी खातर एक कमरा सै पांच नै घर बसाई देखो
इतने महल बनाकै रात फुटपाथों पर बिताई देखो
म्हारी एकता रंग ल्यावैगी औजारों मैं ताकत भारी रै।
असंगठित क्षेत्र के भाई सारे मिलकै आवाज लगावां
अपने हकों की खातर मजदूर भाइयों को समझावाँ
वोट कदम पर अपने नेता विधान सभा मैं पहोंचावां
मिलकै विश्वकर्मा दिवस नै सारे हरियाणा मैं मनावां
कहै रणबीर बरौने आला या एकता बढ़ावां म्हारी रै।
2
अमर वीर जसबीर तेरे तो दुनिया जस गावैगी।
हकदारां की ज्याज लड़ायी नहीं रूकण पावैगी।
अमर बेल के लाल लाल जो जगमग जगते जग के म्हां
खिलै च्यान्दना दुनियां छांटै भले बुरयां का साच्चा न्या
भला बुरे तैं हारै ना कदे बुरा भलाई करता नां
दुनिया देखै अमर बणै सै मेटें मिटते कोण्या निशां
मेहनतकश के शेर श्यान तेरी सब मैं बस ज्यावैगी।
क्रांतिकारी परम्परा मैं मिलग्या खून पस्सीना सै
झंडा लाल सितारा उप्पर आम आवाज दबी नां सै
जालिम खत्म करै जनता फेर यो तनज्या सीनां सै
हक पर बढ़ो न्याय की खातर ज़िब मैं कमीं नाँ सै
आड़ै सिरधड़ आली बाज़ी सै नां धजा झुकण पावैगी।
धन धन मात पिता तेरे तूँ तो सोने तरियां तपा दिया
खरया कसौटी के चाहिए आपणा आप्पा खपा दिया
धन सै सच्चे सतगुरु तेरे ज्ञान ब्यौहारी सिखा दिया
हक पै चलकै क्रांतिकारी रास्ता सबको दिखा दिया
मिलजुल ठाल्यो बात हकां की नां दुनिया फंस ज्यावैगी।
हे रै सच्चे साथी श्यान का जीणा तो ना खतरे तैं खाली
जिसकै लाग्गै जाग्गै आग्गै बढ़कै मंजिल पाली
हक पै बढ़ो मरो चाहे जीओ या बात दूर लग जाली
डाकू पकड़ो जिनती जनता या आज कति भकाली
ईब टूट फुट कै ले उठ जगत ना या झूठ धुकण पावैगी।
3
साम्प्रदायक बढ़न ना देणे
लोग धर्म पै लड़ण ना देणे
साम्प्रदायक लोग जगत मैं कति बढ़ण ना देने सैं ।
चै कुछ भी हो ज्याओ धर्म पै लोग लड़ण ना देने सैं।
साम्प्रदायक जहर जगत मैं घटिया लोग फेलारे सैं
आड़ै धर्म पै जूत बाजज्या पूरा जोर ये लगारे सैं
जगह जगह जलूस निकालैं उलटे नारे लारे सैं
अमरीका पै पीस्से खाकै देश तुड़ाना चाहरे सैं
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई कति भिड़ंण ना देने सैं ।
साम्प्रदायक लोग जगत मैं अमरीका नै ठा राखे
कोए देश ना इसा मिलै जड़ै ना एजेंट बणा राखे
सब देशों के पूंजी पति भी अपणी गेल लगा राखे
मेहनत कश क्यूकर लड़वाणे न्यूं सारे समझा राखे
धर्म जात के चक्कर मैं यहां लोग पड़ण ना देने सैं।
कदे कहैं सिख धर्म नै ख़तरा न्यारा देश बनाओ
कदे कहैं हिन्दू धर्म नै खतरा सब त्रिशूल उठाओ
कदे कहैं ईसाई नै खतरा तम सब कट्ठे हो जाओ
कदे कहैं इस्लाम नै खतरा दौड़ दौड़ कै नै आओ
माणस पीड़ण के कोल्हू चलारे लोग पिड़ण ना देने सैं ।
किसे धर्म नै खतरा कोण्या खतरा म्हारी कमाई नै
मेहनत कश पाव बांजड़ बाजै खाणा चाहवै मलाई नै
गौरे पिठू चाहवैं लड़ाणा ये भाई की गेल्याँ भाई नै
करो विचार कैसे दूर करां मानवता पै अंधेरी छाई नै
अंग्रेज सिंह कहै दंगे हिन्द मैं कति बढ़न ना देणे सैं।
4
भारत देश है मेरा
जहां डाल डाल पर गरीब जनता का बसेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
जहां झूठ और धर्म का पग पग पे अँधेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
जहां की धरती पे लुटेरे जपें प्रभु की माला
तीजा बच्चा भूखा मारें जहां चौथी बाला
जहाँ नफरत ने डाला चारों तरफ है डेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
जहाँ खड़े ऊंचे ऊंचे ये मंदिर और शिवाले
रोटी खातिर भटकें हैं या बच्चे भोले भाले
जहां जले है गुजरात गऊ नाम पे मरे कमेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
बीच लुटेरों की नगरी गरीब दुःख झेल रहे
मन्दिर मस्जिद पे जहाँ खूनी खेल खेल रहे
जहां नफरत की बंशी बजाये है मुरारी मेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
नया हरियाणा
म्हारी ये कौन नाक कटावैं ना उनकी चाल जाणी क्यों
व्यभिचारी भ्रष्टाचारी ये बोलें नैतिकता की बाणी क्यों
पुलिसिया बीस रपिये लेले उसकी चर्चा अखबार पुकारैं
ऊंचे महलां होज्यां सौदे करोड़ों कमीशन बदकार डकारैं
शरीफ खड़े लाचार निहारैं जनता जाणै ना कहाणी क्यों
भ्रष्टाचार बलात्कार रिश्वत खोरी ये फण सैं व्यवस्था के
नैतिकता की बात करैं वे जो चाकर इसी व्यवस्था के
अमीर मालिक व्यवस्था के गरीब की कुन्बा घाणी न्यों
गरीब हकां की लड़ै लड़ाई लड़कै व्यवस्था नै बदलांगे
गरीब अमीर की चौड़ी खाई राज व्यवस्था का समझांगे
पासा रलमिल पलटांगे पाळां इसी नागण काली क्यों
पीस्से आले इजारेदार नै म्हारी सरकार बढ़ावै लोगो
तब दिली करकै कानूनां मैं इनकी टहल बजावै लोगो
बहुराष्ट्रीय कम्पनी ल्यावै लोगो देखै ना म्हारी हाणी क्यों
छोटी पूंजी मेहनत मिलकै बड़ी पूंजी तैं हम टकरावांगे
किसान मजदूर दूकानदार सब मिल यो नारा लावांगे
यो नया हरियाणा बनावांगे रणबीर बीमारी पिछाणी न्यों
6
फौजी मेहर सिंह के इस संसार से चले जाने के बाद उनकी पत्नी एक दिन अपनी बहन को बताती है कि उसके दिमाग में भारत का एक नक्सा था। क्या बताया भला ्
मनै न्यों कहया करै था सुन्दर भारत देश बनावांगे ।
सही सोच हो साथ प्रेमका दुश्मन तैं हम टकरावांगे।।
1ण्ना रहै फट्या पुराणा कई कई तयारी होज्यांगी
ढेरे ज़ूम लीख जितनी सब दूर बीमारी होज्यांगी
दरी गलीचे तोशक तकिये वस्तु सारी होज्यांगी
औढण पहरण बोल चाल की बातै न्यारी होज्यांगी
निधड़क घूमै तेरे बरगी हम इसा शहर बसावांगे।
2ण् टूट्या फुटया मकान रहै ना बढ़िया मकान बनावाँ
कितै चौखट कितै अलमारी रोशन दान लगावां
सौफा सेट होगा घर मैं हम पलंग निवार बिछावां
उनपै लेट आराम करांगे जिब मेहनत करकै आवां
ना लौड़ पड़ै ताले की हम इसा समाज बसावांगे।
3ण् न्यों बोल्या समों आणी जाणी साच्चा सै प्यार मेरा
साझी रहूंगा गम तेरे मैं दुःख सुख का इकरार मेरा
जित भी रहूंगा सुण प्रेमो चाहूँ सुखी संसार तेरा
राही टेढ़ी जबर बैरी सै करैंगे मिलकै पार यो घेरा
भाई चारे का माहौल होवै इस विचार नै बढ़ावांगे।
4ण्समझी इंसान हे बेबे चाहया रलमिल साथ निभाणा
थोड़ा ए समों रहया घर मैं चाहया हर काम पुगाणा
बोल्या ना छोड़ूँ बीच भँवर ना चाहिए तनै घबराणा
फ़ौज मैं जा कै समझ आया अंग्रेजों का लूटू बाणा
आजाद हिन्द फ़ौज का हम नया अंदाज दिखावांगे।
6
पण्डित जगन्नाथ जी की एक रचना
आपत्ति मैं घबरवाणियां इंसान नहीं होता ।
आत्म हत्या से समस्या का समाधान नहीं होता।
1ण्सही आदमी संकट मैं भी ना घबराया करते
हिम्मत कदे नहीं हारी ना प्राण गंवाया करते
हार कदे बी ना मानी दिन रात कमाया करते
साहस रखने आले असल इंसान कहलाया करते
खुदकशी करणे आले का कल्यान नहीं होता।
2ण् म्हारी याद मैं कई बार देश मैं इसे अकाल बड़े
नहीं खाण नैं अन्न थ्याया और भूखे पशू खड़े
किसान कभी ना घबराये सब समय के साथ लड़े
हमनै भी इस जिंदगी मैं दुःख देखे बड़े बड़े
भूख प्यास पै काबू करणा आसान नहीं होता।
3ण् जीवन के माँ लाग्या करै सै कदे शीली कदे ताती
प्राण गंवाणे से कोये समस्या हल नहीं हो जाती
निंदा का पात्र होता है जो बणता आत्म घाती
ना मिलै शांति फिरै आत्मा घर घर धक्के खाती
इस भोले माणस नै शायद इसका ज्ञान नहीं होता।
4ण् प्रकृति की शक्ति का विरोध करें तैं के होगा
होणी होकै मानैगी ईब घणा डरे तैं के होगा
औरों के सिर पै बिना बात का दोष धरें तैं के होगा
या दुनिया न्यूंये चालैगी एक तेरे मेरे तैं के होगा
कहै जगन्नाथ समझदार आदमी परेशान नहीं होता।
7
हरियाणा के जन्म दिन के बहाने
आज हरियाणा 49 साल का हो गया है और 50वें साल में आ गया है। बहुत कुछ पाया मगर उससे ज्यादा खोया भी है। पर्यावरण का मामला ज्यादा गम्भीर हुआ इन सालों में। स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यवसायीकरण ने इलाज आम आदमी से दूर कर दिया और डॉक्टर और मरीज के बीच अविश्वास बढ़ा दिया । पढ़ाई भी बहुत महंगी हो गई। खेती का संकट बहुत आगे बढ़ गया। बेरोजगारी बढ़ी है। लिंग अनुपात भी पूरे देश में सबसे नीचे है। महिलाओं पर हो रहे क्राइम्स की संख्या बढ़ रही है। दलितों पर भी अत्याचार बढे हैं। हम जैसे लोगों को नेगेटिव सोच के कार्यकर्ता के तगमें दिए जा रहे हैं।
इसमें कोई शक नहीं कि एक हिस्से में सम्पनता आई है हरित क्रांति के बाद मगर ऊपर लिखी कीमत भी चुकाई है। इसी तबके के एक हिस्से ने रत्नावली भी मनाई कुरुक्षेत्र में। शायद गुणगान ही किया होगा । आत्म मन्थन नहीं।
मेरे आदर्शों का हरियाणा कुछ इस प्रकार का होगा।
किसा हरियाणा हो म्हारा इतना तो जाण लयाँ।
शराब टोही कोण्या पावै इतना तो ठाण लयाँ ।
समानता होगी हरियाणे मैं उंच नीच रहै नहीं
न्या मिलैगा सबनै भाई अन्या कोये सहै नहीं
ओछी कोये कहै नहीं बढ़ा इतना ज्ञाण लयाँ।
अच्छाई का साथ देवां चाहे देणी होज्या ज्यान
बुराई का विरोध करां चाहे तो लेले कोये प्राण
बचावां हम अपना सम्मान खोल या जुबाण लयाँ।
सादगी शांति का आड़ै हरियाणे मैं प्रचार होगा
माणस नहीं लूट मचावैं सुखी फेर घरबार होगा
सही माणस हकदार होगा यो कहना माण लयाँ ।
जनता नै हक मिलज्याँ चारोँ कान्ही भाईचारा हो
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ना कितै अँधियारा हो
हरियाणा सबतैं न्यारा हो रणबीर नै पिछाण लयाँ।
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कुछ साथियों को बुरा लग सकता है मगर जिंदगी में जात की खेलबाजी अंदर तक देखने के बाद ही इस जगह पर पहोंचा हूँ या पहुँचा दिया गया हूँ । 1978 की मैडीकल कालेज की 98 दिन लंबी हड़ताल जिसमें पूरा कालेज जाट नॉन जाट में बंट गया था और उसके बाद के झटके जिन्होंने आँखे खोल कर देखने को मजबूर कर दिया ।
जात नै माणस का माणस बैरी बणा जबर राख्या सै।
एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।
दो किले आला जाट बी आज जाट सभा की कोली मैं
भूखा मरदा ब्राह्मण बी यो ब्राह्मण सभा की झोली मैं
फिरै भरमता रोड़ बिचारा आज रोड़ सभा की टोली मैं
दलित भी बन्ट्या हुया देखो यो कई रंगों की रोली मैं
जात पात का घणा कसूता दखे विष यो भर राख्या सै ।
जात के रंग ढंग मैं सै या मानवता बाँटण की मक्कारी
कथनी घणी सुहानी लागै सै पर पाई करणी मैं गद्दारी
काली नाग और पीत नाग ये भाई बिठाये एक पिटारी
मुँह मैं राम बगल मैं छुरी भाई सै या बुझी जहर दुधारी
जात्यां के बुगळे भगतां नै यो मिला सुर मैं सुर राख्या सै।
ब्राह्मण खत्री वैश्य और शुद्र ये चार वरण बताये सुणो
मनु जी नै फेर वरणां कै जात्यां के पैबन्द लगाये सुणो
गोत नात कबिल्यां भितर बेरा नहीं कद सी आये सुणो
जन्म कारण जात माणस की ग्रन्थ लिख़कै ल्याये सुणो
इसकी आड़ मैं लुटेरे लूटैं माणस बणा सिफर राख्या सै।
ढेरयां आला कुड़ता म्हारा या जात पात बताई आज
गेहूं के खेत मैं ऊग्या हुया बथुआ जात सुझाई आज
ठेके कै म्हां लागी सुरसी गिहूँआं की मर आई आज
ये कमेरे दुखी जात्यां मैं नेतावां नै चादर घुमाई आज
काढ बगादे यो कुड़ता इसनै आज कर बेघर राख्या सै।
जात छोड़ कट्ठे होंवैं काम करणिये भुखे मरणीये भाई
गोत नात छोड़ कट्ठे हों ये जितने नौकरी चढ़निये भाई
टूचावाद छोडकै कट्ठे हों सब बेरोजगार फिरणीये भाई
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ये मानवता पर चलनिये भाई
म्हारै ना जात किसे काम की कर क्यों सबर राख्या सै।
सारी दुनिया रुके देकै नै ईब दो जमात बतारी देख
एक कमेरा जिसकी मेहनत दुनिया मैं रंग दिखारी देख
दूजा लुटेरा जिसनै लूटी म्हारी सजाई दुनिया सारी देख
या पाले बंदी छिपाने खातर चलै जात की आरी देख
म्हारे माल के हम भिखमंगे यो बना आडम्बर राख्या सै।
8
हरियाणे के वीरो जागो
हरियाणे के वीरो जागो तजो जात के बाणे नै
ढेरयां आला कुड़ता सै समझो इसके ताणे नै
गरीब माणस नै मरज्याणी गरीब भाई तैं दूर करै
अमीर होज्यां एक थाली मैं यो गरीब मजबूर फिरै
अमीर इस्तेमाल भरपूर करै गरीबाँ नै बहकाणे नै
अमीरां का छोरा कोये बेरोजगार जमा ना पाणे का
पुलिस कचहरी सब उनके ख़ाली हुक्म ना जाणे का
गरीब लूट कै खाणे का टोहया सै राह मरज्याने नै।
मेहनत जात गरीबाँ की और कोये तो जात नहीं
जाट ब्राह्मण सिर फुड़वावें मिलै खान नै भात नहीं
जात मिटा सकै दुभांत नहीं बात कही सै स्याणे नै
जात के ठेकेदारां की बांदी या करै इनकी ताबेदारी
आम आदमी जकड़ लिया अमीर करै पूरी पहरेदारी
रणबीर करै नहीं चाटूकारी नहीं बेचै अपणे गाणे नै।
9
मोदी नै
म्हारे देश कै बट्टा लाया प्यारे मोदी नै।
काले धन पर बहकाया प्यारे मोदी नै।
बाड़ खेत नै खागी नल दमयंती नै सुनते रहे
नींद आई रूखाले नै ये पापी जाल बुनते रहे
नफरत का माहौल बनाया प्यारे मोदी नै।
बिना दवाई और पढ़ाई म्हारे बालक रूलगे रै
सच की हुई पिटाई झूठ के दरवाजे खुलगे रै
कट्टरपन्थ का जहर फैलाया प्यारे मोदी नै।
नैतिकता पै प्रहार करैं जो नैतिकता के रूखाले
नंगेपन का प्रचार करैं जो नैतिकता के रूखाले
लूट खसोट का बाजार बढ़ाया प्यारे मोदी नै।
पाखंड का ले सहारा भारत की जनता लड़वाई
गऊ की पूंछ पकड़ कै नफरत बहोत सै फैलाई
कुलदीप कहर घणा ढाया प्यारे मोदी नै ।
10
दिन रात तुड़ाऊँ हाड
आदमी की औकात कितनीए मैं समझना चाहूँ सूँ।
तभी तो कोई ना कोई धोखा ए मैं हर रोज खाऊँ सूँ।।
राम का नाम व्यापार होग्या ए आज कल जाण लेए
इसी कारण मैं डर डर कै ही ए मंदिर म्हां जाऊं सूँ।
किस पै यक़ीन करूं मैं ए ईब सोच मैं पड़ग्या रैए
अपणा दर्द समझ नी आवैए किस किस पै गाउँ सूँ।।
मैं दिन रात हाड तुड़ा कै एबता क्यूँ रहग्या भूखा
कोई नी बतारया मनै ए मैं सभी तैं पूछता आऊं सूँ।
डांगर ढ़ोर की तरियां ये ए मनै हांकते आरे सैं भाई
अर मैं लड़न तैं अपणाए ईब गात बचाणा चाहूँ सूँ।
तेरा नाम तो बीच मैं ए न्योंएं आ ग्या भाई
मैं तो ईब अपणी ए ए विपता गाऊं सूँ।
कमाण आला माणस क्यूँ भूखा रहग्या
मैं या बात तो सबकै साहमी ठाउँ सूँ।
ना मनै देख्या पोह का पाला ए ना दुपहरी देखी
उतना ए तंग होग्या मैं जितना कमाऊं सूँ।
रामेश्वर दास
हरयाणवी गजल
कद सी स्याणा होगा
किसान तेरी या कष्ट कमाई कित जावै बेरा लाणा होगा।
या सारी दुनिया स्याणी होगी तूँ कद सी स्याणा होगा ।
दोसर करकै धरती नै अपणा खून पसीना बाहवाँ सां
गेर गण्डीरी सही बीज की हम ऊपर तैं मैज लगावां सां
पड़ै कसाई जाड्डा जमकै हम खेताँ मैं पाणी लावां सां
रात दिन मेहनत करकै माटी मैं माटी हो ज्यावां सां
दो बुलध तैं एक रैह लिया कद तांहिं न्यों धिंगताणा होगा।
कदे नुलाणा कदे बाँधणा कदे ततैया मोटा लड़ ज्यावै
कदे अळ कदे कीड़ा लागै कदे ईंख नै कंसुआ खावै
कदे औला कदे सूखा पड़ज्या हमनै कोण्या रोटी भावै
कदे गात नै ये पत्ते चीरैं कदे काली नागण फन ठावै
मील मैं हो भेड मुंडाई कद तांहिं मन समझाणा होगा।
सुनले कमले ईब ध्यान लगाकै म्हारे मरण मैं बिसर नहीं
आज कुड़की आरी म्हारे घर मैं नाश होण मैं कसर नहीं
जीते बी कोण्या मरते बी कोण्या औण पौण मैं बसर नहीं
चारोँ लाल कड़ै गए भाई के गई सै फोन मैं खबर नहीं
कोण्या पार जावैगी म्हारी जै यो न्यारा न्यारा ठिकाणा होगा।
इसकी खातर गाँव गाँव मैं जथेबंदियाँ का जाल बिछावां
जीणा चाहवाँ तै भाईयो यूनियन नै अपणी ढाल बणावाँ
बिना रोएँ तो बालक भी भूखा जंगी अपणी चाल बनावाँ
रणबीर सिंह बख्त लिकड़ज्या बरोने मैं फिलहाल बनावाँ
तगड़ा संगठन बनाकै अपणा जंग का बिगुल बजाणा होगा ।
मजलूमों का गीत
जहरीला धुंआ उठ रहा भाईयो मारे जाते इंसान यहां
रूढ़िवादी विचार ये देखो चढ़ते जा रहे परवान यहाँ
दोस्त मेरे सम्भल कर चलना कमजोर सी पतवार है
दोषी को दण्ड दे जो ऐसा मिला नहीं भगवान यहां।
कट्टर पन्थ की हलचल कई जगह दिखाई दे रही है
काली ताकतें भारत में बनाना चाहती हैं शमशान यहाँ।
दूजे पक्ष का कट्टर पंथ भी इसी पर फल फूल रहा है
मानवता गर बची नहीं तो नहीं रहेगा हिन्दुस्तान यहां।
मजलूम उठेंगे प्यार करेंगे हक फिर से मिलकर मांगेंगे
लड़ाने वाले चालाक हैं कट्टरता के किये गुणगान यहां।
बीमारी को उसकी हद से आगे लेजाने की तैयारी है
लाशों के अम्बार लगाने वालो लोग नहीं अनजान यहाँ ।
हमारी मोहब्बत और एकता लगता है डर इनसे तुम्हें
देख सको जो हमारे अंदर ऐसा तुम्हारा गिरहबान कहाँ ।
हमारी मानवता से डरते अपने हथियार वे पिना रहे हैं
गंगा जमुनी संस्कृति की मिटने नहीं देंगे पहचान यहां।
मजलूमों के बच्चे समझ रहे नफरत का खेल तुम्हारा
हुक्म बजाये हमेशा ही तुम्हारे बनेगे नहीं दरबान यहां।
मोहब्बत और मानवता के लुटेरो इतना तो याद रहे ही
रणबीर थोड़े दिनों में चलेगा तुम्हारा नहीं फरमान यहां ।
आजादी
खतरे मैं आजादी म्हारी जिंदगी बणा मखौल दी।
इसकी खातर भगत सिंह नै जवानी लूटा निरोल दी।
आजादी पावण की खातर असली उठया तूफ़ान था
लाठी गोली बरस रही थी जेलां मैं नहीं उस्सान था
एक तरफ बापू गांधी दूजी तरफ मजदूर किसान था
कल्पना दत्त भगत सिंह नै किया खुल्ला ऐलान था
इंक़लाब जिंदाबाद की उणनै या ऊंची बोल दी ।
सत्तावन की असल बगावत ग़दर का इसे नाम दिया
करया दमन फिरंगी नै उदमी राम रूख पै टांग दिया
सैंतीस दिन रहया जूझता कोये ना मिलने जाण दिया
हंस हंस देग्या कुर्बानी हरियाणे का रख सम्मान दिया
हिन्दू मुस्लिम एकता नै गौरी फ़ौज या खंगोल दी।
भारतवासी अपने दिलां मैं नए नए सपने लेरे थे
नहीं भूख बीमारी रहने की नेता हमें लारे देरे थे
इस उम्मीद पै हजारों भाई गए जेलों के घेरे थे
दवाई पढ़ाई का हक मिलै ये नेक इरादे भतेरे थे
गौरे गए आगे काले रणबीर की छाती छोल दी।
फुट गेरो और राज करो ये नीति वाहे चाल रहे रै
कितै जात कितै धर्म नै ये बना अपनी ढाल रहे रै
आपस मैं लोग लड़ाए लूट की कर रूखाल रहे रै
वैज्ञानिक नजर जिसकी जी नै कर बबाल रहे रै
इक्कीसवीं की बात करैं राही छटी की खोल दी।
2003.2004
नया हरियाणा
म्हारी ये कौन नाक कटावैं ना उनकी चाल जाणी क्यों
व्यभिचारी भ्रष्टाचारी ये बोलें नैतिकता की बाणी क्यों
पुलिसिया बीस रपिये लेले उसकी चर्चा अखबार पुकारैं
ऊंचे महलां होज्यां सौदे करोड़ों कमीशन बदकार डकारैं
शरीफ खड़े लाचार निहारैं जनता जाणै ना कहाणी क्यों
भ्रष्टाचार बलात्कार रिश्वत खोरी ये फण सैं व्यवस्था के
नैतिकता की बात करैं वे जो चाकर इसी व्यवस्था के
अमीर मालिक व्यवस्था के गरीब की कुन्बा घाणी न्यों
गरीब हकां की लड़ै लड़ाई लड़कै व्यवस्था नै बदलांगे
गरीब अमीर की चौड़ी खाई राज व्यवस्था का समझांगे
पासा रलमिल पलटांगे पाळां इसी नागण काली क्यों
पीस्से आले इजारेदार नै म्हारी सरकार बढ़ावै लोगो
तब दिली करकै कानूनां मैं इनकी टहल बजावै लोगो
बहुराष्ट्रीय कम्पनी ल्यावै लोगो देखै ना म्हारी हाणी क्यों
छोटी पूंजी मेहनत मिलकै बड़ी पूंजी तैं हम टकरावांगे
किसान मजदूर दूकानदार सब मिल यो नारा लावांगे
यो नया हरियाणा बनावांगे रणबीर बीमारी पिछाणी न्यों
मेरा चालै कोण्या जोर मनै लूटैं मोटे चोर
नहीं पाया कोये ठौर कटी पतंग की डोर
मनै लावैं डांगर ढ़ोर यो किसा घोटाला रै।
मेरा बोलना जुल्म हुया
उनका बोलना हुक्म हुया
सारे ये मुनाफा खोर ये थमा धर्म की डोर
बनावैं ये म्हारा मोर सुहानी इनकी भोर
ऐश करैं डाकू चोर मन इनका काला रै।
ये भारत के पालन हार
क्यों चोरां के सैं ताबेदार
म्हारे पै टैक्स लगावैं बोलां तो खावण आवैं
मिल्ट्री सैड़ दे बुलावैं चोरां की मौज करावैं
काले का सफेद बणावै भजैं राम की माला रै।
महंगाई की मार कसूती
सिर म्हारा म्हारी जूती
यो रोजगार मन्दा सै यो सिस्टम गन्दा सै
यो मालिक का रन्दा सै घालै दोगला फंदा सै
क्यूकर जीवै बन्दा सै हुया ढंग कुढाला रै।
पत्थर पुजवा बहकाये
भक्षक रक्षक दिखाये
काले नाग डसगे क्यों ये शिकंजे कसगे क्यों
दो संसार बसगे क्यों गरीब जमा फ़ंसगे क्यों
रणबीर पै हंसगे क्यों कर दिया चाला रै।
चार चै
चार च की बात करती थी भजपा एक दौर में । क्या हुआ उन चार च का और बंगारू रिश्वत लेते पकडे गए 2001 में एक स्टिंग ओपेरेशन में ््््््
चार चै का भांडा फूटग्या आज भाजपा के मत्थे पै।
तहलका की लिखूँ कहानी इस कागज के गत्ते पै।
चरित्र बेनकाब होग्या थारा कसर जमा बची नहीं
चाल थारी ईब देख लई राही सीधी गई रची नहीं
नकली चेहरा थारा पाया असली बात जँची नहीं
चिंतन थारा दोगला पाया एक लाइन खींची नहीं
इन बातां बारे चाहे बूझल्यो म्हारे गाम के सत्ते पै।
वर्णन करूं बंगारू का मारया एक लाख का दाड़ा रै
जया जेटली दो लाख जीमगी काम करया माड़ा रै
जार्ज की जड़ घणी डूंघी कर दिया कोड पवाड़ा रै
तहलका डॉट कॉम नै सबकै लाया चौखा झाड़ा रै
सारे दलाल जूड़े जाणे चाहियें ईब खम्बे तत्ते कै।
समता और भजपा का कमीशन मैं घणा मोह सै
इनका कुछ नहीं बिगड़ैगा म्हारे देश का खोह सै
सब पकडे गए रंगे हाथां रहया ना कोये ल्हको सै
आर एस एस नंगा होग्या इस बात का छोह सै
नेता फ़ौजी अफसर नै दे दी जात गुड़ के भत्ते पै।
थारी सफाई तैं म्हारा पाट्या घा कोण्या सीया जा
माक्खी आला दूध नहीं देखती आंख्यां पीया जा
कमीशन खा खा ऐश करैं छोल्या म्हारा हिया जा
थारे इसे काण्ड देखकै बोल चुपाका के जीया जा
आज रणबीर लिखै कति आज देशी पान के पत्ते पै।
बी जे पी
साम्प्रदायिक बी जे पी या चालै चाल कुढ़ाली।
धर्म के नामै लोग डसेन्जा या सै नागण काली।
सिख ईसाई मुस्लिम गेल्याँ हिंदुओं को लड़ाती है
और दूसरा काम नहीं या हांडै खून कराती है
झूठी अफवाह फैला फैला दंगे आड़ै छिड़ाती है
डंडे खड़ाऊ ईंट पुजाकै गणेश को दूध पिलाती है
कई हजारों लोग मराती देखी या तेरा ताली ।
या लोगां की लाशां उप्पर रोटी सेंकती रैह सै
कदसी जनता लड़ै धर्म पै बाट देखती रैह सै
तावल करकै होवै लड़ाई बोल फैंकती रैह सै
संस्कृति नष्ट होगी झूठ के खेल खेलती रैह सै
गुमराह करती रैह लोगां नै सै चम्भो चाली।
या स्वर्णां की पार्टी सै या गरीबाँ नै लुटवावै
ऐस सी बी सी जाट गुजरां तैं बांस घणी आवै
सेठां के अखबारां मैं इसकी खबर घणी छावै
अमरीका की पिठू सै या ठेके इणनै दुवावै
लोग मरावण का ठेका ठावै बचियो हाली पाली।
अंग्रेज सिंह या मेहनतकश को कट्ठे होण ना देहरी सै
मेहनतकश जब लड़ै लड़ाई चाल चलै या गहरी सै
घूम घूम रथ पै दंगे कराते मन्दिर मस्जिद ढहरी सै
या कांग्रेस की बालण सै लोगो न्यारा झंडा लेहरी सै
गौरे पिठू चाल पकड़ रहे इब्बी गोरयां आली।
भारत देश है मेरा
जहां डाल डाल पर गरीब जनता का बसेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
जहां झूठ और धर्म का पग पग पे अँधेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
जहां की धरती पे लुटेरे जपें प्रभु की माला
तीजा बच्चा भूखा मारें जहां चौथी बाला
जहाँ नफरत ने डाला चारों तरफ है डेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
जहाँ खड़े ऊंचे ऊंचे ये मंदिर और शिवाले
रोटी खातिर भटकें हैं या बच्चे भोले भाले
जहां जले है गुजरात गऊ नाम पे मरे कमेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
बीच लुटेरों की नगरी गरीब दुःख झेल रहे
मन्दिर मस्जिद पे जहाँ खूनी खेल खेल रहे
जहां नफरत की बंशी बजाये है मुरारी मेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
लोक राज
लोक राज और लोक लाज का फुटया ढारा देख लिया
जोर जुल्म और ठगी का यो सही नजारा देख लिया
चन्द्रा स्वामी था वो घणा हरामी घणी गहरी जड़ बताई
माफिया का सरदार स्वामी कांग्रेस पै चोखी पकड़ बताई
बी जे पी स्वामी की धौक मारै ज्यां इसमें अकड़ बताई
कमरेडाँ नै ना मुँह लाया बाकी सारी एकै लड़ बताई
यो अपराध जगत का और बी खुल्या पिटारा देख लिया।
बदेशी धन कानून तोड़ कै घणा कमाया स्वामी नै
राजनीति मैं ब्लैक मेल का यो भाव चढ़ाया स्वामी नै
कोये कुछ नहीं कैह सकता यो लंगोट घुमाया स्वामी नै
बलात्कार के काण्ड रचाये घणा जुल्म कमाया स्वामी नै
धर्म तन्त्र बाबा तंत्र का राज गेल्याँ डंगवारा देख लिया ।
मुनाफा खोरी म्हारे देश मैं अपणे पैर फैलारी क्यों
हजारां करोड़ का टैक्स बकाया म्हारी अक्ल मारी क्यों
कब्जा करकै धरती दाब ली ना होती खत्म बीमारी क्यों
समाज व्यवस्था नंगी होकै आज इतनी लूट मचारी क्यों
चन्द्रा स्वामी का गुलाम हुया यो राव हमारा देख लिया ।
इस समाज व्यवस्था मैं आज सड़ांध मारती दीखै सै
चन्द्रा स्वामी भगत बणै साथ मैं उमा भारती दीखै सै
कहै रणबीर सिंह न्यों मरता गरीब बेचारा देख लिया ।
;चंद्रा स्वामी की करतूतों की पोल खुलने पर उसी वक्त की थी यह रचना द्ध
वोट लिए बहकाकै
वोट लिए हम बहकाकै ए ईब बिजली के रेट बढ़ाकै
म्हारे तांहिं आँख दिखाकैए कै दिन राज चलैगा रै।
बिजली कितने घण्टे आवै किसान इसपै विचार करै
कम बिजली की तूँ क्यूँ म्हारे सिर पै तलवार धरै
बिलां के उप्पर धमकाकैए बिल धिंगतानै भरवाकै
राज पाट की दिखाकै ए कै दिन राज चलैगा रै।
बिजली की चोरी थारे चमचे रोज हमनै करते देखे
करखनेदारां के एस डी ओ पाणी हमनै भरते देखे
जितनी बिजली होवै पैदाए इसतैं किसनै कितना फैदा
बिना कोये कानून कैदाए कै दिन राज चलैगा रै।
मुफ़्त बिजली पाणी देऊं एक बै न्यों कैह बहकाये
भरपूर बिजली लगातार मिलै वोट थे तणै गिरवाये
कर्मचारी साथ मिलाकै ए बैठ गया कुर्सी पै जाकै
रोज ये झूठी सूँह खाकै एकै दिन राज चलैगा रै।
निजीकरण ना होवण दयूं इनकी घोषणा तणै करी
लारे लप्पे घणे दिए थे जनता नै पीपी तेरी भरी थी
विश्व बैंक तनै धमकावै ए तूँ म्हारे पै छोह मैं आज्यावै
रणबीर सिंह छंद बणावैए कै दिन राज चलैगा रै।
मेहनत कश किसान
मेहनत कश जमाने मैं तूँ घणा पाछै जा लिया ।
देख इस महंगाई करकै यो कति तौड़ आ लिया ।
चार घड़ी के तड़कै उठ रोज खेत मैं जावै सै
दोपहरी का पड़ै घाम या सर्दी घणी सतावै सै
दस बजे घर आली तेरी रोटी लेकै नै आवै सै
सब्जी तक मिलती कोण्या ल्हूखी सूखी खावै सै
नून मिर्च धरकै रोटी पै लोटा लाहसी का ठा लिया।
थारा पूरा पटता कोण्या तूँ दिन रात कमावै सै
बीज बोण के साथै तूँ आस फसल पर लावै सै
सोसाटी और लाला जी से कर्ज भरया कढ़ावै सै
लाला जी फेर तेरी फसल मनचाहे दाम उठावै सै
ब्याज ब्याज मैं नाज तेरा लाला जी नै पा लिया ।
कदे तनै सूखा मारै कदे या बाढ़ रोपज्या सै चाला
सूखे मैं तेरी फसल सूखज्या होवै ज्यान का गाला
कदे कति बेढंगा बरसै भाई यो लीले तम्बू आला
कदे फसल तबाह होज्या कदे होवै गुड़ का राला
बिजली तक आती कोण्या माच्छरां नै रम्भा लिया।
बड़ी आशा से तमनै सै या सरकार बनाई देखो
कई काम करैगी थारे तमनै आस लगाई देखो
सरकार नै आँते ही बालक की नौकरी हटाई देखो
थारा माल खरीद सस्ते मैं और कीमत बढ़ाई देखो
देखी तेरी हुई तबाही सै आच्छी तरियां ढा लिया।
आज का माणस
आज का माणस किसा होग्या सारे सुणियो ध्यान लगाकै
स्वार्थ का कोए उनमान नहीं देख्या ज़िब नजर घुमाकै
चाट बिना भैंस हरियाणे की दूध जमा ना देवै देखो
इसका दूध पी हरियाणवी खुबै ए रिश्वत लेवै देखो
भगवान इणनै सेहवै देखो यो बैठया घर मैं आकै।
और किसे की परवाह कोण्या अपने आप्पे मैं खोया
दूज्यां की खोज खबर ना हमेशा अपना रोना रोया
कमजोर कै ताकू चभोया बैठै ठाड्डे की गोदी जाकै।
दूसरयाँ नै ख़त्म करकै अपना व्यापर बढ़ावै देखो
चुगली चाटी डांडी मारै सारे हथकण्डे अपनावै देखो
दगाबाज मौज उड़ावै देखो चौड़ै सट्टे की बाजी लाकै।
मारो खाओ मौज उड़ाओ इस लाइन पै चाल पड़या
हाथ ना आवै जै आवै तो होवै रिश्वत कै तान खड़या
रणबीर सिंह नै छंद घड़या सच्चाई का पाळा पाकै।
श्रम की चोरी
न्यारे न्यारे भ्रम फैला कै जारी करते जो फरमान।
वें करते मेहनत की चोरी सबतैं माड़ा विधि विधान।
कर्म की गेल्याँ धर्म जोड़ कै श्रम का पाठ पढ़ाते जो
काम कर्म हो कर्म धर्म हो न्यूं जंजाल फैलाते जो
धर्म की गेल्याँ घुटै आस्था फेर विश्वास जमाते जो
दिखा पाप का भय माणस की बुद्धि को बिचलाते जो
चालाकी तैं स्याणे बणकै करैं स्याणपत बेईमान ।
धर्म कहै मत बदलो धंधा पुश्तैनी जो काम करो
बाँध देई जो चलती आवै मर्यादा सुबह शाम करो
जात गोत की जकड़न मैं मत परिवर्तन का नाम करो
चक्रव्यूह मैं फंसे रहो मत लिकडण का इंतजाम करो
कोल्हू के बुलधां की ढालां रहो घूमते उम्र तमाम।
बेशक मेहनत करनी चाहिए मेहनत ही रंग ल्यावै सै
मेहनत मैं जब कला मिलै तो सुंदरता कहलावै सै
मेहनत की भट्ठी मैं तप सोना कुण्दन बण ज्यावै सै
लेकिन मेहनत की कीमत पै शोषक मौज उड़ावै सै
मेहनत का महिमा मण्डन हो फेर होगा श्रमिक सम्मान।
जिस दिन काम करणिये सारे मिलकै नै हक माँगैंगे
मेहनतकश सब मर्द लुगाई जब अपनी बांह टाँगेंगे
उस दिन पकड़ी जागी चोरी सारी सीमा लांघेंगे
गेर गाळ मैं मूँधे मुँह फेर जुल्मी चोरां नै छांगैंगे
कहै मंगत राम मिलैगा असली मेहनत का फेर पूरा दाम
एक नवम्बर के हरयाणा दिवस के मौके पर एक सपना मेरा ्््््
मिलजुल कै नया हरयाणा हम घणा आलीसान बनावांगे
नाबराबरी खत्म करकै नै हरयाणा आसमान पहोंचावांगे
बासमती चावल हरयाणे का दुनिया के देशां मैं जावै आज
चार पहिये की मोटर गाड़ी यो सबतैं फालतू बणावै आज
खेल कूद मैं हम आगै बढ़गे एशिया मैं सम्मान बढ़ावांगे
चोरी जारी ठग्गी नहीं रहवैंगी भ्रष्टाचार नहीं टोहया पावै
मैरिट तैं मिलैं दाखिले सबनै शिक्षा माफिया खड़या लखावै
मिलकै सारे हरयाणा वासी इन बातों नै परवान चढ़ावांगे
ठेकेदारां की ठेकेदारी खत्म होज्या खत्म थानेदारी होवै
बदमाशों की बदमाशी खत्म हो फेर खत्म ताबेदारी होवै
निर्माण और संघर्ष का नारा यो पूरे हरयाणा मैं गूंजावांगे
दहेज़ खातिर दुखी होकै नहीं औरत फांसी खा हरयाणा मैं
कदम बढ़ाये एकबै जो आगै फेर ना पाछै जाँ हरयाणा मैं
बराबर के माहौल मैं महिलाओं के अरमान खिलावांगे
छुआ छूत का नहीं नाम रहै सब रल मिल रहैं गामां मैं
त्याग तपस्या और मोहबत की ये फुहार बहैं गामां मैं
दिखा मानवता का रास्ता जातधर्म का घमासान मिटावांगे
हरयाणा के लड़के और लड़की कन्धे तैं कन्धा मिला चालैंगेत्।ळछप्ल्।छ
सोचो किमै तो
हाथ पै हाथ धरकै बैठे पानी सिर पर कै जा लिया
कोए सुरक्षित नहीं आड़ै दुनिया का औड़ आ लिया
कातिल की माइंड सैट कन्या भ्रूण हत्या मैं दीखैं
जिसे करें बड़े बडेरे वेहे ये बालक करना सीखें
लंपनाइजेशन समाज के मैं पूरी तरियां छा लिया।
माड़ी माड़ी सी बातों पै रिवाल्वर काढ़ खड़े होज्यां
गोली चलाते वार ना लावैं छोटे करक बड़े होज्यां
राजनीती का क्रिमिनेलाइजेशन यो समाज खा लिया ।
गैंग रेपों की बाढ़ आगी पूरा हरियाणा काँप रहया
आगै के के बनैगी सारी हरेक मानस भांप रहया
जातां मैं बाँटी जनता जात नेता नै फायदा ठा लिया।
शादी की उम्र घटाना चाहते कितनी बोली बात करैं
गैंग रेप उम्र का रिश्ता बता कितनी होली बात करैं
करकै जतन रणबीर सिंह नै यो छंद बना लिया ।
13ण्10ण्2015
मेरा सपना जो पूरा होगा
जो रूकै नहीं जो झुकै नहीं जो दबै नहीं जो मिटै नहीं
हम वो इंक़लाब रै जुल्म का जवाब रै।
हर शहीद का हर रकीब का हर गरीब का हर मुरीद का
हम बनें ख्वाब रै हम खुली किताब रै।
लड़ते हम इसके लिए प्यार जग मैं जी सकै
आदमी का खून कोई फेर शैतान ना पी सकै
मालिक मजूर के नौकर हजूर के रिश्ते गरूर के जलवे शरूर के
ईब छोडै नवाब रै सरूर और शराब रै।
हम मानैं नहीं हुक्म जुल्मी हुक्मरान का
युद्ध छिड़ लिया आज आदमी शैतान का
सच की ढाल लेके मशाल हों ऊंचे ख्याल करें कमाल
खिलैं लाल गुलाब रै सीधा हो जनाब रै।
मानते नहीं हम फर्क हिन्दू मुसलमान का
जानते हम तो रिश्ता इंसान से इंसान का
जो टूटै नहीं जो छूटै नहीं जो रुठै नहीं जो चूकै नहीं
ना चाहवै खिताब रै बरोबर का हिसाब रै।
भोर की आँख फेर नहीं डबडबाई होगी
कैद महलां मैं नहीं या म्हारी कमाई होगी
जो छलै नहीं जो गलै नहीं जो ढलै नहीं जो जलै नहीं
रणबीर की आब रै या नहीं मानैगी दाब रै।
गरीब की बहू
एक गरीब परिवार की बहू खेत में घास लेने गई। वहां दो पड़ौस के लड़के उसे दबोच लेते हैं। क्या बनती है््
कोए सुणता होतै सुणियो दियो मेरी सास नै जाकै बेरा।
ईंख के खेत मैं लूट लई छाग्या मेरी आंख्यां मैं अन्धेरा।
चाल्या कोण्या जाता मेरे पै मन मैं कसूती आग बलै सै
दिमाग तै कति घूम रहया यो मेरा पूरा गात जलै सै
पिंजरे मैं घिरी हिरणी देखो या देखै कितै कुंआ झेरॉ।
म्हारे दो पड़ौसी उड़ै खेत मैं घात लगायें बैठे थे
मुँह दाब खींच ली ईंख मैं ईथर भी ल्यायें बैठे थे
गरीब की बहू ठाड्डे की जोरू मनै आज पाटग्या बेरा।
यो काच्चा ढूंढ रहवण नै भरया गाळ मैं कीचड़ री
पति नै ना दिहाड़ी मिलती घरके कहवैं लीचड़ री
गुजारा मुश्किल होरया सै बेरोजगारी नै दिया घेरा।
नहां धोकै बाळ बाहकै घूमै खाज्या किलो खिचड़
उंकी इसी हालत घर मैं जण होसै भैंस का चीचड़
खिलौने बेच गालाँ मैं दो रोटी का काम चलै मेरा।
घरां आकै रिवाल्वर दिखा धमकाया सारा परिवार
बोल चुपाके रहियो नातै चलज्यागा यो हथियार
भीतरला रोवै लागै सुना मनै यो बाबयां बरगा डेरा।
मेरे बरगी बहोत घनी बेबे जो घुट घुट कै नै जीवैं
दाब चौगिरदें तैं आज्यावै हम घूँट जहर का पीवें
यो रणबीर कलम उठाकै कहै हो लिया सब्र भतेरा।
इंदिरा गांधी
तूँ सुनिए इंदिरा गांधी ए क्यूँ हमनै फिरै भकांदी
म्हारी नहीं समझ मैं आंदीए तेरा समाजवाद कद आवैगा।
एक तरफ तूँ आपणे आप लाखों रूपया खर्च करै
दूजी तरफ एक गरीब आदमी भूखे पेट तैं तड़फ मरै
करै क्यूँ घोर अत्याचार सै तेरे बंगले कोठी कार सै
गरीब का रहडू बेकार सैए वो क्यूकर दिल संझावैगा।
एक तरफ तूँ करै घोषणा सबके बराबर के अधिकार
दूजी तरफ कोई मांगै रोटी तूँ खोलदेै जेलों के द्वार
या कार माड़ी इंदिरा ताई तूँ ल्यांति जावै तानाशाही
तेरे जांदी के दें पैर दिखाई ए राज पाट तेरा यो जावैगा।।
करकै लूट लूटेरे ख़ागे हम कैसे सुख का सांस जियां
कमेरे वर्ग का खून चूसरे तेरे टाटा बिरला डालमियां
लोक सभा मैं मददगार इनके रेडियो टी वी तार इनके
बैंक कारखाने कार इनकेएयो समाजवाद कूण ल्यावैगा।।
तेरे ढोल के पोल खुलगे सर्वहारा ईब जाग उठया सै
सीना तान खड़या होग्या ज्यूँ मार फुंकार नाग उठया सै
रूठ्या सै मजदूर किसान यो खोसैगा तेरे तैं कमान
रैहज्याओगे सब हैरान ए जब यो दम तमनै दिखावैगा।।
1983 की डायरी से
अजन्मी बेटी
चिंघाड़ अजन्मी बेटी की हमनै देती नहीं सुणाई।
किस्सा जमाना आग्या हुये माणस कातिल अन्याई।
पेट मैं मरवाना सिखया तकनीक इसी त्यार करी
लिहाज और शर्म सारी पढ़े लिख्याँ नै तार धरी
महिला संख्या घटती जा दुनिया मैं हुई रूसवाई।
परम्परा और कई रिवाज ये बुराई की जड़ मैं रै
दुभांत महिला की गेल्याँ होवै सबके बगड़ मैं रै
छोरे की खातर छोरी पै कटारी पैनी सै चलवाई।
महिला कम हुई सैं ज्यां इनपै अत्याचार बढ़गे
खरीद फरोख्त होण लगी साथ मैं व्यभिचार बढ़गे
घर के भित्तर और बाहर ज्यांन बिघन मैं आई।
पुत्र लालसा की जड़ घनी गहरी म्हारे समाज मैं
दोयम दरजा और दुभांत छिपी सै इस रिवाज मैं
इस आधुनिक समाज नै और रापट रोल मचाई।
महिला शोषण के खिलाफ आवाज उठण लगी
विरोध की चिंगारी आज हरियाणा मैं दिखण लगी
समाज के एक हिस्से नै बराबरी की मांग उठाई।
महिला नै इस माहौल मैं अपने कदम बढ़ा दिए
पिछड़ी सोच आल्याँ के कई बै छक्के छुड़ा दिए
रणबीर नै भी साथ मैं या अपनी कलम घिसाई ।
मजदूर की हालत
मनै मजदूरी ना मिलती हुया दुखी घरबार मेरा।।
कितै चांदना नहीं दीखै छाया चारों तरफ अँधेरा।।
फुटया ढूंढ एक कमरा मुश्किल हुया गुजारा रै
चौमासे मैं मुशीबत भारी यो घर टपकै म्हारा रै
माछर खावैं ताप चढ़ै खावण नै आवै सूना डेरा।।
पड़ौसियाँ कै सोणा पड़ै संकट होज्या घणा भारी
रोजगार कोए थयावै ना रूखी सूखी रोटी म्हारी
कहैं कामचोर दारू बाज काम नै ना करै जी तेरा।।
दिन रात मण्डी रैहवै बीमारी मैं भी घरआली या
भैंस पाल दूध बेचकै नै करती म्हारी रूखाली या
बालकां की कड़ै पढ़ाई ज़िब जीने का नहीं बेरा।।
कुआँ न्यारा भेंट करैं ना राजी साथ बिठा कै रै
महंगाई नै लूटे जहर जात धर्म का फैला कै रै
रणबीर अंसमझी मैं कहवैं यो किस्मत का फेरा।।
डॉक्टर की पुकार
म्हारी आह पै माचै रोल्ला उनका खून भी माफ़ होज्या ।
सरकार तो न्यों चाहवै सै या म्हारी तनखा हाफ होज्या ।
दो साल तरले करते होगे करते कोए सुनायी ना
भिखारी जिसा ब्यौहार करते बात सिरै चढाई ना
हमनै करी कोताही ना या बात जनता मैं साफ़ होज्या।
पांच साल मैं डाक्टरी पढकै सारा पी एच सी चलावां
चौबीस घण्टे लागे रहवाँ हम बैठ कै थोड़े से सुस्तावां
तनखा बढ़वाना चाहवाँ शासन जलकै नै राख होज्या।
म्हारी एकता तोडण खातर घणी गहरी चाल चलैं
डरावैं और धमकावैं सैं कदे ना ये सीढ़ी ढाल चलैं
चाल उल्टी तत्काल चलैं नुक्सान चाहे लाख होज्या।
म्हारा कैरियर बर्बाद करकै बताओ तमनै के थ्यावै
म्हारा हक हमनै मिलज्या बता किसे का के जावै
रणबीर तो साथ निभावै दुनिया चाहे खिलाफ होज्या।
साथी वीरेंदर शर्मा
सन 1992 में साक्षरता आंदोलन के दौर में साथी ने कार में आग लगने पर अपनी जान जोखिम में डाल कर कर की सवारियों को तो बचा लिया मगर सड़क पर फैले पैट्रोल की आग में बुरी तरह झुलस गया और दो तीन दिन तक मौत से संघर्ष किया।
ज्यांन की परवाह की ना कूदया पीड़ा देख परायी रै।।
जवानी खपादी वीरेंद्र नै समझ दूज्यां की भलाई रै।।
उसतै बढ़िया दीखै कोण्या भाई अकल इंसान की
म्हारे ताहिं राह दिखाई सै उसनै असल इंसान की
भुलाये तैं भी ना भूली जा भाई शक्ल इंसान की
म्हारे ताहिं तस्वीर बनाई उसनै अटल इंसान की
न्यों कहैया करै था साथी मिलकै लडांगे लड़ाई रै।।
लोगों के मोल उसनै रोज घटते बढ़ते देखे भाई
बदमाशों की चांदी आड़ै शरीफ लोग पिटते देखे
लोगों मैं बढ़ी बेरोजगारी सही राह तैं हटते देखे
शहीद भगत सिंह से वीर आजादी पै मिटते देखे
भगत सिंह की राही चल्या वीरेंद्र वीर सिपाही रै।।
ज्ञान विज्ञान समिति मैं थी साथी की कताई हुई
एक एक बात कै उप्पर थी समिति मैं सफाई हुई
समाज कैसे चलता म्हारा बैठकै पूरी धुनाई हुई
गया समझाया हमेशा गरीब की क्यूँ पिटाई हुई
शहीद वीरेंद्र समझ गया अनपढ़ता की खाई रै।।
साथी तेरे सपनों को हम मंजिल तक ले जायेंगे
सच कहना अगर बगावत हम गीत यही गायेंगे
आज नहीं तो कल साथी पूरी दुनिया पर छायेंगे
मानव का बैरी मानव हो ना ऐसा जमाना लायेंगे
रणबीर ईबे रंग अधूरा बनाई तसबीर जो भाई रै ।।
खाई
खाई चौड़ी होंती आवै सै इसनै आज कौण पाटैगा।
गरीब जनता का हाथ सही मैं आज कौण डाटैगा।
बधगी घर घर मैं खाई या बधगी पूरे समाज मैं
देशां के बीच की खाई ना बताते पूरे अंदाज मैं
अमरीका टोप पै रहवण नै आतंकवाद पै काटैगा।
एक देश के भित्तर भी कई ढाल की खाई दीखैं
एक अरबपति बनरया दूजे ये भूखे पेट नै भींचें
शांति कड़े तैं आवैगी जब कारपोरेट इसतै नाटैगा।
लड़ाई बढ़ेगी इस तरियां विनास की राही करकै
पिचानवै हों कठे होंवैंगे चौड़ी होंती खाई करकै
नहीं तो पर्यावरण प्रदूषण सबका कालजा चाटैगा।
लोभ लालच और मुनाफ़ा और बधारे इस खाई नै
समाज गया रसातल मैं चौड़ै भाई मारै सै भाई नै
रणबीर सिंह समझावै देखो छंद यो न्यारा छांटैगा।
पृथ्वीसिंह बेधड़क को यू पी और हरयाणा के लोग अच्छी तरह से जानते हैं उनकी एक रचना ;भजनद्धपेश है
हाय रोटी
जय जय रोटी बोल जय जय रोटी ।
बिन रोटी बेकार जगत मैं दाढ़ी और चोटी्बोल जय
गर्मी सर्दी धूप बर्फ जिसनै सर पै ओटी।
पूंजीपति नै बुरी तरह उसकी गर्दन घोटी्बोल जय।1।
दाना खिलाया दूब चराई और हरी टोटी।
जिस दिन ब्याई खोल कै लेग्या सूदखोर झोटी्बोल जय।2।
मंदिर मस्जिद और शिवाले की चोटी खोटी।
बिन रोटी कपड़े के ये सब चीजें हैं छोटी् बोल जय।3।
नहीं हम चाहते महल हवेली नहीं चाहते कोठी।
हम चाहते हैं रोटी कपड़ा रहने को तम्बोटी्बोल जय।4।
मेहनतकश कशो एक हो जाओ कस कर लँगोटी।
सारी दुनिया तेरे चरण मैं फिरै लौटी लौटी ्बोल जय ।5।
जिसनै रोटी छीन हमारी की गर्दन मोटी ।
पृथ्वीसिंह श्बेधडकश् होय उनकी ओटी बोटी।6।
हर क्यान्हें मैं मिलावट होगी
हरयाणे का हाल सुणो के के होवै आज सुनाऊँ मैं ।
मिलावट छागी चारों कूट मैं पूरी खोल बताऊँ मैं।
बर्फी खोआ मिलें बनावटी भरोसा नहीं मिठाई का
नकली टीके तैं मरीज मरते भरोसा नहीं दवाई का
आट्टा और मशाले नकली ना भरोसा दाल फ्राई का
पानी प्रदूषित हो लिया भरोसा नहीं दूध मलाई का
कुछ भी खाँते डर लागै सोचें जाँ ईब के खाऊँ मैं।
बीज नकली खाद नकली ना बेरा पाटै असली का
डीजल पेट्रोल मैं मिलावट ना बेरा पाटै नकली का
कीट नाशक घुले पाणी मैं ना बेरा पाटै बेअक्ली का
कद नकली धागा टूटज्या ना बेरा पाटै तकली का
पाणी सिर पर कै जा लिया ना कति झूठ भकाऊं मैं।
राजनीति मैं मिलावट होगी नकली असली होगे रै
ये मिलावटी आज खेत मैं बीज बिघण के बोगे रै
माणस बी आज दो नंबर के नैतिकता सारी खोगे रै
असली माणस नकली के बोझ साँझ सबरी ढोगे रै
बैठया बैठया सोचें जाँ ईंनतै कैसे पिंड छुटाऊं मैं।
मिलावटी चीज तो बिकती यो दीन ईमान बिकता
माणस मरवाकै बी इनका पेट जमा नहीं छिकता
मिलावट के अन्धकार मैं कोए कोए बस दिखता
जनता एकता के आगै यो मुश्किल नकली टिकता
रणबीर जतन करकै नै बंजर के मैं फूल उगाऊं मैं ।
21ण्10ण्2015
मेहर सिंह एक दिन मोर्चे पर लेटे लेटे सोचता है। क्या बताया भला ््
अंग्रेजां नै घणे जुल्म ढाये अपणा राज जमावण मैं ।
फूट गेरो राज करो ना वार लाई नीति अपनावण मैं ।
किसानों पर घणे कसूते अंग्रेजों नै जुल्म कमाये थे
कोल्हू मैं पीड़ पीड़ मारे लगान भी उनके बढ़ाये थे
जंगलां की शरण लिया करते ये पिंड छुटवावण मैं ।
मजदूरों को बेहाल करया ढाका जमा उजाड़ दिया
मानचैस्टर आगै बढ़ा जलूस ढाका का लिकाड़ दिया
ढाका की आबादी घटी माहिर मलमल बणावण मैं।
ठारा सौ सतावन की जंग मैं देशी सेना बागी होगी
अंग्रेजां के हुए कान खड़े या चोट कसूती लागी होगी
आजादी की पहली जंग लड़ी गयी थी सत्तावण मैं।
युवा घने सताए गोरयां नै सारे रास्ते लांघ दिए देखो
भगत सिंह राजगुरु सुखदेव ये फांसी टांग दिए देखो
रणबीर सिंह करै कविताई या जनता जगावण मैं।
पंडित श्री कृष्ण शर्मा सिसाना से फ़ौजी मेहर सिंह के साथ थे । दोनों लिखारी थे। कई बार आपस में बातचीत होती उनकी। एक बार फौजी मेहर सिंह ने उनको एक बात सुनायी.
कृष्ण जी सुनले तनै दिल की आज बात सुनावां सां
गोरे भुंडे लागैं सैं इणनै मार भगाना चाहवाँ सां ।
ईष्ट इंडिया कम्पनी नै पहलम व्यापार फैलाया
राजवाड़े हुआ करैं थे एक एक पै राज जमाया
जात धर्म पै बंटे हुए आपस मैं राड़ बढ़ावां सां ।
डेढ़ सौ साल होंगे म्हारे पै इणनै पूरा राज जमाया
रेल बिछाई व्यापार खातर लूट का जाल बिछाया
ठारा सौ सतावन मैं आजादी का बिगुल बजावां सां ।
पहली जंग आजादी की कई कारणां हार गए रै
गोरयां नै कसे शिंकजे हो घने वे होशियार गए रै
भगत सिंह महात्मा गांधी लड़ते लड़ाई पावां सां ।
जावेंगे ये गोरे लाजमी आई एन ए मैं आये फौजी
छोड़ अंगरेजी सेना नै बोस गेल्याँ ये पाये फौजी
रणबीर देश की खातर जज्बा खूब दिखावां सां ।
11ण्9ण्15
पी पी पी नै म्हारे देश का कर दिया बंटाधार
देखियो के होगा ।
पब्लिक प्राईवेट पार्टनरशिप नै खत्म करे खाते सरकारी
कारपोरेट कम्पनी जनता नै ये लूट लूट कै खाती जारी
मशीन मैं टेस्ट तीन हजार बिल मैं दिखावैं सात हजार
देखियो के होगा ।
सरकारी नौकरी खत्म प्राइवेट मैं आरक्षण कोन्या रै
कीमत चढ़गी आसमानाँ बच्चन के लक्षण कोन्या रै आरक्षण पै जाट और पटेलां का जोर सै धुआंधार
देखियो के होगा ।
पी पी पी नै सरकारी पीपे जमा खाली कर दिए आज
गोज खाली पेट भी खाली कति बेहाली कर दिए आज
गरीबी भी बढ़ती जावै अम्बानी के बढ़े सैं अम्बार
देखियो के होगा ।
सरकारी मारया सरकार नै प्राइवेट खूब बढ़ाया देखो
अडाणी और अम्बानी कांग्रेस भाजपा चढ़ाया देखो
रणबीर आपाधापी मचा दी कौनी जनता तैँ प्यार
देखियो के होगा ।
गुंडागर्दी
इस गुंडा गर्दी नै बेबे ज्यान काढ़ ली मेरी हे ।
सफ़ेद पोश बदमशां नै इसी घाल दी घेरी हे ।
रोज तड़कै होकै त्यार मनै हो कालेज के म्हं जाणा
नपूता रोज कूण पै पावै उनै पाछै साइकल लाणा
राह मैं बूढ़े ठेरे बी बोली मारैं हो मुश्किल गात बचाणा
मुँह मैं घालन नै होज्यां मनै चाहवैं साबती खाणा
उस बदमाश नाश जले नै चुन्नी तार ली मेरी हे ।
मनै सहमी सी नै माँ आगै फेर बात बताई सारी
सीधी जाईये सीधी आईये मनै समझावै महतारी
तेरा ए दोष गिनाया जागा जै तणै या बात उभारी
फेर के रैहज्यागा बेटी ज़िब इज्जत लुटज्या म्हारी
माँ हाथ जोड़ कै बोली तेरे और भतेरी हे ।
नयों गात बचा बचा कै पूरे तीन साल गुजार दिए
एच ए यूं मैं लिया दाखला पढ़ण के विचार किये
वालीबाल मैं लिकड़ी आगै सबके हमले पार किये
मार मार कै तीर कसूते या छाती सालदी मेरी हे ।
कुछ दिन पहलम का जिकरा दूभर जीना होग्या
इन हीरो हांडा आल्याँ का रोज का गमीना होग्या
कई बै रोक मेरी राही खड़या एक कमीना होग्या
उस दिन बी मैं रोक लई घूँट खून का पीना होग्या
रणबीर कई खड़े रहैं साईकिल थम लें मेरी हे ।
लाला हरदयाल
हिन्दुस्तान से बाहर कई जगह पर छाये क्रांतिकारी
सी आई डी गोरी सरकार को सब ख़बरें पहुँच चारी
ग़दर पार्टी को बैन करो अमेरिका पर दबाव बनाया
लाला हरदयाल चलाते पार्टी गोरों ने ये पता लगाया
अमेरिकन सरकार ने मुकद्ममाँ लाला पर चलवाया
अनार्किज्म पर भाषण का दोष उन पर लगवाया
वारंट निकाले पुलिस ने हजार डॉलर के चालान पर
ग़दर पार्टी ने जमानत दिलवाई पार्टी के आह्वान पर
अमरीकी समाचार पत्रों ने अभियान चलाया भारी
गलत वारंट निकाले हैं इस बात पर खाल उतारी
अंग्रेजों के जूते मत चाटो यह जोरों से बात उठाई
लोकतन्त्र बदनाम किया है खबर अख़बारों में छाई
अमेरिका ने गोरों के दबाव में देना चाहा देश निकाला
अख़बारों में यह मुद्दा भी गया था पूरी तरह उछला
ग़दर पार्टी ने लाला जी को खुद भेजने का प्लान बनाया
लाला जी को स्विट्जेटलैंड सोच समझ के पहुंचाया
ग़दर पार्टी में लाला हरदयाल हमेशा याद किये जायेंगे
पंजाबी और हिन्दुस्तानी उनको कभी ना भुला पाएंगे
रणबीर
10ण्9ण्2015
ज़िब ज़िब जनता जागी
जिब जिब जनता जागी यो जुल्मी शोषक झुका दिया।
भारत तैं जुल्मी गोरा मिलकै हम सबनै था भगा दिया।
1ण् आजाद देश का सपना पहोंच्या शहर और गाम मैं
भगत सिंह फांसी टूट्या जोश था देश म्हारे तमाम मैं
दुर्गा भाभी भी गेल्याँ जूटगी इस आजादी के काम मैं
लाखां नर और नारी देगे अपनी कुर्बानी ये गुमनाम मैं
क़ुरबानी बिना नहीं आजादी गांधी अलख जगा दिया।
2ण् गोर गए काले आगे गरीबी जमां मिट्टी नहीं सै देखो
बुराई बढ़ती आवै सै भिद्द इसकी पिटी नहीं सै देखो
अच्छाई संघर्ष करण लागरी आस घटी नहीं सै देखो
जनता सारी समझ रही या उम्मीद छुटी नहीं सै देखो
समतावादी समाज होगा संघर्ष का डंका बजा दिया।
3ण् जात पात हरयाणे की सै सबतैं बडडी बैरी भाईयो
विकास पूरा होवण दे ना दुनिया यह कैहरी भाईयो
वैज्ञानिक सोच काट बताई जड़ घणी गहरी भाईयो
अमीरां की जात अमीरी म्हारै गरीबी फैहरी भाईयो
म्हारी एकता तोड़ण खातर जात पात घणा फैला दिया।
4ण् दारू माफिया मुनाफा खोर इनकी पक्की यारी देखो
भ्रष्ट पुलिसिया ओछा नेता करता चौड़ै गद्दारी देखो
बिचौलिया घणे पैदा होगे म्हारी अक्ल मारी देखो
लाम्बे जन संघर्ष की हमनै करली सै तयारी देखो
लिखै रणबीर भगत सिंह नै यो रस्ता सही दिखा दिया ।
भगत सिंह के सपने
सपने चकनाचूर करे थारे देश की सरकारां नै।
जल जंगल जमीन कब्जाए देश के सहूकारां नै ।
शिक्षा हमें मिलै गुणकारी ए भगत सिंह सपना थारा
मारै ना बिन इलाज बीमारीए भगत सिंह सपना थारा
भरष्टाचार कै मारांगे बुहारीए भगत सिंह सपना थारा
महिला आवै बरोबर म्हारीए भगत सिंह सपना थारा
बम्ब गेर आवाज सुनाईए बहरे गोरे दरबरां नै।
समाजवाद ल्यावां भारत मैंए भगत सिंह थारा सपना
कोए दुःख ना ठावै भारत मैंएभगत सिंह थारा सपना
दलित जागां पावै भारत मैंए भगत सिंह थारा सपना
अच्छाई सारै छावै भारत मैंए भगत सिंह थारा सपना
जनता चैन का सांस लेवै बिन ताले राखै घरबारां नै।
थारी क़ुरबानी के कारण ये आजादी के दिन आये
उबड़ खाबड़ खेत संवारे देश पूरे मैं खेत लहलाये
रात दिन अन्न उपजाया देश अपने पैरों पै ल्याये
चुनकै भेजे जो दिल्ली मैं उणनै हम खूब बहकाये
आये ना गोरयां कै काबू कर लिए अपने रिश्तेदारां नै।
समाजवाद की जगां अम्बानीवाद छाता आवै देखो
थारे सपने भुला कै धर्म पै हमनै लड़वावै देखो
मुजफ्फरनगर हटकै भगत सिंह तनै बुलावै देखो
दोनों देशों मैं कट्टरवाद आज यो बढ़ता जावै देखो
रणबीर खोल कै दिखावै साच आज के दरबारां नै।
देकै कुर्बानी ये छोरी छोरे नए हरयाणा की नींव डालैंगे
गीत रणबीर सिंह नै बनाया मिलकै हम सारे ही गावांगे
आम तौर पर चुनाव के वक्त बहुत वायदे किये जाते हैं । मगर चुनाव के बाद हालात बदल जाते हैं । क्या बताया इस रागनी में ्््
बणे पाछै ना कोये बूझै कित का कौण बतावैं ।
जनता जाओ चाहे धाड़ कै घर अपना भरते जावैं।
ईब तलक तो बूझे ना आज याद आई सै म्हारी
गली गली मैं घूमै सै मंत्री जी की ईब महतारी
म्हणत लूट ली सै सारी म्हारे चक्कर खूब कटावैं।
पीसा दारू जात गोत का देख्या चाल्या दौर आड़ै
असली मुद्दे पाछै रैहगे असनायी नै पकड़या जोर आड़ै
म्हारा बनाया मोर आड़ै जा चंडीगढ़ मैं मौज उड़ावैं।
परवाह नहीं करते फेर म्हारी पढ़ाई और लिखाई की
बालकपन मैं बूढ़े होज्यां हमनै खावै चिंता दवाई की
ना सोचें म्हारी भलाई की उलटे हमपै इल्जाम लगावैं।
नित करते ये कांड हवाले समाज कति दबोया क्यों
म्हारी आह उटती ना माफ़ उनका कत्ल होया क्यों
साच हमतैं ल्हकोया क्यों ये सपने झूठे घणे दिखावैं।
रणबीर
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