Thursday, 4 August 2016



( म्हारे देश म्हं ......4 )
म्हारे देश म्हं फैल गया यू भुण्डा भ्रष्चार
देख कै दंग होया.............................................(टेक)
1. अंग्रेज चूसगे लहू हमारा, मोटी लूट मचाई थी
एक्का करकै काढो इनको सब सबनै सलाह मिलाई थी
उननै जान खपाई थी , जिन्हें था जनता तै प्यार...
फेर अडै जंग होया.................................................
2. शहीदां नै तो दी कुर्बानी, देश आजाद करावण नै
बदमाश बैठग्ये इब गद्दी पै चूँट-चूँट कै खावण नै
इस देश को फेर बचावण नै सब साथी होल्यो त्यार...
ईब इसा ढंग होया.....................................................
3. जनता नै तै मेहनत करकै देश को फेर बसाया था
विकास भतेरा होया अडै जब फुल्या नहीं समाया
फेर लूटकै खाया था कुछ माणस सैं गद्दार...
भरोसा भंग होया.....................................................
4. बडे-बडे नेता और अफ्सर , होते मालामाल दखे
कर्ज विदेश चढा-चढाकै , खूब फैलाया जाल दखे
समझो इनकी चाल दखे,हो मरण-कटण नै त्यार...
देश कती नंग होया...................................................
5. पतझड का तै डर कोन्या सै खतरा आज बहरां तै
चोरां तै हम ना डरते , डर लाग्गै पहरेदारां तै
डर लागै उन नारयां तै जो दे री सै सरकार.....
न्यूं खटकड तंग होया...............................................
× × ×
5.

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