फौजी मेहर सिंह कई साल तक छुट्टी नहीं आ पाया || प्रेम कौर को याद आती है उसकी || क्या सोचती है उस मौके पर भला-----
तर्ज---------सखी री आज रूत साम्मण की आई----
रिमझिम रिमझिम बादल बरसै, खडी चांदकौर पिया बिन तरसै
जल बिन मीन तिसाई ||
ज्यूं चकवी चकवे बिन तरसै, न्यों सूना तेरे बिन मेरा घरसै
ना जाती ये बात लिखाई ||
जिस दिन तै फौज मैं तूं गया , उस दिन तै मेरै चैन नहीं हुया
तेजी बहौतै ए याद आई ||
तनै चिठी लिखदी धीरज धारो, कहना सै आसान दिल मत हारो
होती नहीं और समाई ||
मुशिकल तै दिन बीत रहे सैं, हम दिन रात गा तेरे गीत र्हे सैं
तेरी बात ना जाती भुलाई ||
रण्रबीर वोह माणस कहलाता, मानवता से जो दूरी नहीं बनाता
करी साच्ची कविताई ||
तर्ज---------सखी री आज रूत साम्मण की आई----
रिमझिम रिमझिम बादल बरसै, खडी चांदकौर पिया बिन तरसै
जल बिन मीन तिसाई ||
ज्यूं चकवी चकवे बिन तरसै, न्यों सूना तेरे बिन मेरा घरसै
ना जाती ये बात लिखाई ||
जिस दिन तै फौज मैं तूं गया , उस दिन तै मेरै चैन नहीं हुया
तेजी बहौतै ए याद आई ||
तनै चिठी लिखदी धीरज धारो, कहना सै आसान दिल मत हारो
होती नहीं और समाई ||
मुशिकल तै दिन बीत रहे सैं, हम दिन रात गा तेरे गीत र्हे सैं
तेरी बात ना जाती भुलाई ||
रण्रबीर वोह माणस कहलाता, मानवता से जो दूरी नहीं बनाता
करी साच्ची कविताई ||
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