ranbir dahiya -
16 de setembro de 2008
RAHGEER
चलते चलते जिन्दगी
में मिला एक राहगीर मुझको||
मि ल बैठे कुछ बात
हुई मन भाई तासीर मुझको||
कुछ तो था पर क्या
था उसमें अब तक सोच रही
दिमाग लगाकर देखा साफ
नहीं तसवीर मुझको||
उसका हंसना ही था जिसने
मुझको बांध लिया
याद आती उसके पेहरे
की एक एक लकीर मुझको||
कुछ पल मिल बैठे हम
अपने दिलों में झांक सके थे
दरिया दिल इन्सान मिला
बांध गया जंजीर मुझको||
कह नहीं सके एक दूजे
को दिल की बात कभी हम
सुहानी यादों की दे
गया खजाने की जागीर मुझको||
होन्डा के आन्दोलन
में शहीद हो गया वो साथी
मैं समझूं या अनजान
बनूं संदेश दिया गम्भीर मुझको||
साथ चले साथ हंसे थे
साथ ही सितम झेले हमने
सम्भल के चलना यारो
बता गया रणबीर मुझको||
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