धरती हमारी हुई है
बाँझ
किसान तपस्वी हुआ कंगाल
बणी सणी ख़त्म
हो गयी
तथाकथित नेता रहे
दंगाल
गाँव गाँव में
दारू बिकती
घर घर में
औरत पिटती
बैठे ये लोग
ताश खेलते
महिला पर मजाक
ठेलते
ना किसी से
कोई काम है
कहता किस्में जयादा दम
है
बदमाशों ने लंगोट
घुमाया
राजनेता से हाथ
मिलाया
भ्रष्ट पुलिस अफसर मिला
है
भ्रष्ट ब्यूरोक्रेट साथ खड़ा
है
चारों क़ि दोस्ती
अब तय हैं
एक दूजे क़ि
बोलेन जय हैं
लगा रहे हैं
जोर पर जोर
चारों तरफ देखो
बढ़ा शोर
बेरोजगारी का उठा
भूचाल
किसान होते जा
रहे बदहाल
ऊपर से नेताजी
भी पुकारे
उस पठे को
मज्जा चखारे
आगे बढ़के गलघोट लगादे
कहाँ पे पड़ेगी
चोट बतादे
आज उसे कल
उसे पटकदे
सामने बोले जो
उसे झटकदे
याद छटी का
दूध दिलाना
मत इसे हमारा
नाम बताना
बता रहे दाँव
पर दाँव देखो
नेताओं में है
कांव कांव देखो
कुरीतियों पर चुप
रहे कमान
आनर किलिंग समाज में
श्यान
मारना और फिर
मरना होगा
नाम गाँव का
तो करना होगा
जनता तक रही
है सांसें थाम
बताओ यूं चलेगा
ये कैसे काम
हम बिना शादी
के घूम रहे
हैं
वे गोतों के नशे
में झूम रहे
हैं
वाह निकले हैं नहले
पर दहले
कौन बोलेगा वहां सबसे
पहले
खूब हुई देखो
वहां धक्का पेल
पंचायत ने वहां
दिखाया था खेल
अहम् सबका माइक
पे टकराया
फैसला खास वहां
हो नहीं पाया
पाँच घंटे तक
मार पर मार
हुई
झड़प आपस में
बारम्बार हुई
ना दहेज़ पर बोला
कोई वहां
दारू पर बंद
रही सबकी जुबाँ
महिला भ्रूण हत्या को
भूल गए
बस गोत्र शादी में
सब झूल गए
- 24, april , 2010
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