Monday, 18 August 2014

shayari

रोने से किसी को कभी पाया नहीं जा सकता
खोने से किसी को भुलाया नहीं जा सकता
वक्त तो  मिलता है जिंदगी बदलने के लिए
मगर जिंदगी छोटी है वक्त बदलने के लिए


आज रास्ते बदल लिए मौका परस्ती दिखलाई
पन्द्रह साल तक तुमने कदम से कदम  मिलाई
चुनौती ज्यादा गंभीर आज जब सामने है आयी
भूल गए वो इंकलाबी नारे नकली कुर्सी है भाई


इंकलाब छुपा रखा है  इन पलकों मे ही
पर इनको ये बताना ही  तो नहीं आया,
संकट के वक्त लाल हो जाती ऑंखें पर ,
गरीब का दर्द दिखाना ही तो  नहीं आया


ये रिश्ते काँच की तरह होते है,
 टूट जाए तो चुभते है अंदर तक 
इन्हे संभालकर हथेली पर यारो 
क्योकि इन्हे टूटने मे एक पल
और बनाने मे बरसो लग जाते हैं 

एक क्रोधित  हुए दिल का  आगाज़ मुझे कहिए
सुर जिसमें सब क्रान्ति के, वो साज़ मुझे कहिए
मैं कौन हूँ क्या हूँ  मैं किसके लिए ज़िंदा हूँ यारो 
वंचित और दमित की एक आवाज  मुझे कहिए.


साम्राज्यवाद के निशाने पै, युवा लड़के और लड़की।

वार्ता : बबली और चमेली एक दिन आपस में बातें कर रही हैं कि कैसे कालेज जाते समय वे युवाओं के गैंगों की शिकार होती हैं। रोहतक और उसके आसपास के जिलों का युवा दर्शन और भूप के गैंगों से सीधे  या वाया भटिण्डा किसी किसी रूप में जुड़ गया है। लड़कियां भी इन गैंगों की सम्पतियों के रूप में देखी जाने लगी हैं। हिंसा के साथ सैक्स की पतनशील संस्कृति ने भी हाथ मिला लिया है। इन दोनों का साथ दारू, सुल्फा स्मैक पूरी तरह से निभा रही है। चमेली ने कहीं पढ़ा कि इन तीनों चीजों के सहारे अमरीका पूरी दुनियाभर पर राज करना चाहता है और चमेली बबीता को क्या बताती है भला :
साम्राज्यवाद के निशाने पै, युवा लड़के और लड़की।
बेरोजगारी हिंसा और नशा, घण्टी खतरे की खड़की।।
1.            इन बातां तै ध्यान हटाकै, नशे का मन्तर पकड़ाया
               लड़की फिरती मारी-मारी समाज यो पूरा भरमाया
               ब्यूटी कम्पीटीशन कराकै, देर्इ लवा देश की दुड़की।।
2.            निराशा और दिशाहीनता देवैं चारों तरफ दिखार्इ
               बात-बात पै हर घर के माह, माचरी खूब लड़ार्इ
               सल्फाश की गोली खाकैं, करैं जीवन की बन्द खिड़की।।
3.            युवा लड़की की ज्यान पै शांका, घणा कसूता छाया
               रोज हिंसा का शिकार बणैं, ना सांस मोह सुख का आया
               वेश्यावृत्ति इसी फैलार्इ, जणू जड़ ये फैली बड़की।।
4.            एक तरफ सै चक्का चौंध , यो दूजी तरफ अंधेरा
               दिन पै दिन बढ़ता है संकट, ना दिखै कोए सबेरा
               रणबीर सिंह विरोध , करो तुम बाजी लाकै धड़की।।






Wednesday, 13 August 2014

दिल की बात दिल से


 दिल की बात दिल से

हमने तो बस निभा दी किसी तरह ईमानदारी यहां
तुमने तो बस दबा दी किसी तरह ईमानदारी यहां
स्टेज पर मशवरे देना बड़ा आसान है सब कहते
मगर जीवन में धारणा बड़ा मुश्किल कहते रहते
करनी कुछ कथनी कुछ सारी उम्र झूठ ढोते देखे
ऊपर से प्यार मुलाहजा वैसे जहर बीज बोते देखे
जब मैडीकल में दाखिल हुए समाज सेवा इरादा था
हमें सिखाया उसमें अपनी सेवा का भाव ज्यादा था
मैडीकल में भी लालच बहुत गये थे दिखाये हमको
पैसा कमाओ मौज उडाओ यही मंत्र सिखाये हमको
बाकी समाज से अलग मैडीकल ऐसा समझा जाता
जीने मरने के बीच का जीवन इन्सान यहां बिताता
मरीजों से ही सीखा मैने ये इलाज हर बीमारी का
अब सर्जन बन कर कैसे रुप धारुं मैं व्यापारी का
यह भी अच्छा ही हुआ माहिर सर्जन न बन पाया
कई माहिर सर्जनों ने पैसे के पीछे ईमान ही गंवाया
दिखावटी ईमानदारी का लबादा कुछ ने बात बनाई
हमारी ईमानदारी की कसम लोगों ने कई बार उठाई
चीफ विजीलैंस आफिसर की चुनौती भरी जिम्मेदारी
इस चुनौती के दांव पर सच्चाई ये चाही खरी उतारी
हमने समाज सेवा पक्ष जीवन में पूरी तरह अपनाया
वी आर एस ली चाहते समाज सेवा को आगे बढ़ाया
आप सबका सहयोग चाहिये यही है अरदास साथियो
समाज सुधार का ही एजैंडा रहेगा आस पास साथियो

NIBHA DEE


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Saturday, 2 August 2014

बीज पर कब्जा बदेशी कंपनी का

बीज पर कब्जा बदेशी कंपनी का
अपना बीज क्यूकर बनावां सोचां मिलकै सारे रै ॥
कार्पोरेट  नै करया कब्जा धरती पै दे कै मारे रै ॥
देशी बीज पुराने म्हारे हटकै ढूंढ कै ल्याने होवैंगे
कसम खावैं मोन्सैन्टो के बीज हम नहीं बोवैंगे
सब्जी मैं कार्पोरेट छाया ईब दूजे बीजां पै छारे रै ॥
हर साल नया बीज ल्यो इसा कम्पनी का प्रचार रै
बीज की कीमत बढाकै लूटैं किसान घणा लाचार रै
कीटनाशक अन्तोले बरते चोए के पाणी खारे रै ॥
खेती म्हारी जहर बनादी लगत इसकी बढ़ती जा
बदेशी कम्पनी रोजाना या म्हारे सिर पै चढ़ती जा
खेती बाड़ी खून चूसरी आज कर्जे नै पैर पसारे रै ॥
भाईयो गाम म्हारा रै यो बीज बी हो म्हारे गाम का
बदेशी की लूट घटैगी यो  मान बढ़ैगा सारे गाम का
रणबीर बीज अपना हो बचैं फेर नफ़े करतारे रै ॥ 

रेप कांड जो दबा दिया गया

रेप कांड जो दबा दिया गया 

हम खेताँ मैं न्यार लेवण तीन जणी चली गई ॥ 
पांच मस्टण्डे आये हे हम घेर कै नै दली गई ॥ 
आँव देख्या ना तांव भाज लई जोर मारकै नै 
दो नै कमला दो नै बिमला पकड़ी ढाठा धारकै नै 
रूमाल पर गेर कै दवाई सूँघा कै मैं छली गई॥ 
होश आया कमला  नै हम बेहोश पड़ी देखी हे 
अधनंगी हालत म्हारी उनै होकै  खड़ी देखी हे 
बेहाल पड़ी थी दोनों इज्जत म्हारी मली गई ॥ 
कुई मैं तैं पाणी ल्याकै उसनै खुद पीया बेबे 
उसे पाणी का मुंह पै थोड़ा सा छींटा दिया बेबे 
इसा लग्या जणों जख्म पै पड़ नून की डली गई ॥ 
गिरती पड़ती घर नै आगी सोच्ची बात छिपाल्यां
कौण सुनैगा म्हारी किसनै जख्म अपने दिखाल्याँ 
घर मैं पड़ी रही रोंवती छूट म्हारी तो गली गई॥ 
बात खोलण की सोचां फेर चुप होज्यावां डरकै 
नहीं बोली तो सोचां  पैंडा छूटै घुट घुट मरकै 
कौण हो सकैं बलात्कारी सोच्ची तो खुल कली गई ॥ 
बिमला नै बताया एक नै नाम लिया था धारे का 
इस नाम का छोरा नफ़े का दूसरे पान्ने म्हारे का 
दारू पी एकदिन बहके बात टाली ना टली गई॥ 
गाम मैं चर्चा होगी  वे म्हारी चिप्स दिखाते घूमैं 
जो कोए फेटज्या उसे  नै वे जुल्मी बताते घूमें 
मामला टूल पकड़ग्या तीनूं ना कही भली गई ॥ 
दबंगां तैं डरैं दलित वे नजर बचाते  घूमैं थे 
कमला बिमला मनै बी वे धमकाते घूमैं थे 
हम और बी डरगी जण रूक साँस की नली गई॥ 
तीनूआं के मर्द पी दारू उलटा म्हारी करैं पिटाई 
कोए किमै कहवै किसे नै कुल्टा हम बेबे बताई 
इस ढालाँ तीनोँ ए जणी तात्ते तेल मैँ तली गई ॥  
दो दो लाख दिवा घरक्याँ तैं करतूत गई दबाई 
छह लाख मैं पंचात कहै गाम की इज्जत बचाई
रणबीर नै वारी लिखी जब बर्बाद हो फली गई॥