विकास कहूँ या कहूँ तबाही
विकास कहूँ या कहूँ तबाही , बात मेरी समझ नहीं आई,
हुई क्यों गामां की इसी छिताई , दिल्ली के गाम चर्चा मैं आये ॥
दिल्ली का विस्तार हुआ तो अनेक गाम इसमें आये थे
धरती अक्वायर करी इनकी घने सब्ज बाग़ दिखाए थे
बहोत घर बर्बाद हुए , जमा थोड़े घर आबाद हुए
पीकै दारू कई आजाद हुए , चपेट मैं युवा लड़के आये॥
दिल्ली तैं कोए सबक लिया ना ईब हरयाणा की बारी
एन सी आर के नाम तैं इसकी बर्बादी की तैयारी
विकास पर कोए चर्चा ना , आज पूरा पटता खर्चा ना
इसपै लिख्या कोए पर्चा ना , बीस लाख एक किल्ले के लाये॥
नशे का डूंडा पाड़ दिया ये नौजवान चपेट मैं आये
फ्री सैक्श के खोल दरवाजे युवक युवती भरमाये
हाल करे कसूते लूटेरे नै , मचाई लूट इनै चौफेरे नै
बाँट जात पात पै कमेरे नै , नंबर वन के नारे लगाये ॥
ईको अर जेंडर फ्रेण्डली विकास समता साथ ल्यावै
ना तो दिल्ली जैसे खाग्या न्यूए एनसीआर इसनै खावै
बहस विकास ऊप्पर चलावां , नया हरयाणा किसा बणावां
रणबीर नक्शा मिलकै खिंचावाँ ,कैसे यो हरयाणा बच पाये ॥
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