Sunday, 3 April 2011

नया समाज

राजबाला अपने पति अजीत से पूछती है की गुजारा कैसे होगा ? गेहूं पिटगे, धान पिट गया , बीजली महंगी , पढ़ाई महँगी ,और दवाई महंगी | अजीत राज बाला को अपने दिल की बात बताता है ---

खेती नै बचावै जो , रोटी बी दिलावै जो , देश सही चलावै जो

इसी लहर उठानी सै जरूर ||--

धनी देश एक टोल बनारे ,ये मिलजुल कै रोल मचारे

बिगाड़ी म्हारी चाल, तारली जमके ख़ाल ,उनके गलूरे लाल

इनकी काट बिछानी सै जरूर ||

ये मंदिर नै हटके लियाये,जिब रोटी नहीं दे पाये

जात पै हम बांटे ,धर्म पै खूब काटे ,मन कर दिए खाट्टे

या मानवता बचानी सै जरूर ||

बाजार की दया पै छोड़ दिए , अमरीका तै कर गठजोड़ लिए

पीट दिया धान क्यों ,काढी म्हारी ज्यान क्यों ,ना कोए ध्यान क्यों

या कमीशन बिठानी सै जरूर ||

नंगी फ़िल्में गंदे गाने टी वी पै ,लिहाज बची ना परजीवी पै

रणबीर सिंह सुनले , सही राही चुनले, कर पक्की धुन ले

नई समाज बनानी सै जरूर||

1 comment:

Wang Han Yang said...

Your blog is great你的部落格真好!!
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Thank you!!Wang Han Pin(王翰彬)
From Taichung,Taiwan(台灣)