मार पिटाई बंद हो सारी औ दिन कद आवैगा ||
रोटी कपडा किताब कापी नहीं घाट दिखाई देंगे
चेहरे की त्योरी मिटजयां सब ठाठ दिखाई देंगे
काम करण के फेर पूरे घंटे आठ दिखाई देंगे
म्हारे बालक बने हुए मुल्की लाठ दिखाई देंगे
कूकै कोयल बागां मैं प्यारी औ दिन कद आवैगा ||
दूध दही का खाना हो बालकां नै मौज रहैगी
छोरी माँ बापां नै फेर कति ना बोझ रहैगी
तांगा तुलसी नहीं रहै दिवाली सी रोज रहैगी
बढ़िया व्यव्हार हो ज्यागा ना सिर पै फ़ौज रहैगी
ना हो औरत नै लाचारी औ दिन कद आवैगा ||
सुल्फा चरस फ़ीम का ना कोए भी अमली पावै
माणस डांगर जिसा ना रहै ना कोए जंगली पावै
दान दहेज़ करकै नै दुःख ना कोए बी बबली पावै
पीस्सा ईमान नहीं रहै ना कोए नकली पावै
होवें बराबर नर और नारी औ दिन कद आवैगा ||
माणस के गल नै माणस नहीं कदे बी काटैगा
गाम बरोना रणबीर का असली सुर नै छाँटैगा
लिख कै बात बबिता की सब दुःख सुख बांटैगा
वोह तो पापी होगा जो इसा सुनने तै नाटैगा
रद ख़तम हों म्हारी थारी औ दिन कद आवैगा ||
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