861
सौ स्मार्ट सिटी बनाने का वायदा करके क्यों भूल गए
पन्दरा लाख खाते में जायेगा पकड़ मामले तूल गए
स्किल इंडिया हर युवा को काम शर्तिया मिलेगा यहाँ
डिजिटल इंडिया का फूल जरूर ही तो खिलेगा यहाँ
नोट बंदी ने काले धन के कहाँ पर हैं अम्बर लगाये
क्या भ्रष्टाचार थोड़ा सा भी रुका कोई हमको दिखाये
हजारों करोड़ खर्च करके साफ़ हुई ना गंगा माता
वन रैंक वन पेंशन लागू हुई साफ़ नहीं कोई बताता
पी एम आवास योजना में हर बेघर को घर मिलेगा
कोई हिसाब बताओ वरना कमल फूल नहीं खिलेगा
सांसद आदर्श ग्राम योजना आँख लगाये ताक रहे
सांसद तो गाँव में जाकर बिलकुल नहीं झांक रहे
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना मचा खूब लूट रही
किसान फांसी खा रहे यहाँ इनकी आँखें फूट रही
862
एक महिला की दूसरी महिला से बात चीत .....
घणी दुखी करी बहना इस छोटे से परिवार नै।।
कड़ तोड़ कै धरदी मेरी बालकां की पुकार नै।।
1
जिस घर मैं थोड़े बालक सुन्या आच्छा घर हो सै
पढ़ना लिखना हो बढ़िया ना करके का डर हो सै
क्याहें चीज का तोड़ा ना सुरग मैं कहैं नर हो सै
मदद करैं एक दूजे की पर मुश्किल या डगर हो सै
इतना ध्यान करया फेर भी दुखी करी करतार नै।।
2
पांच बालक जामे थे मनै आज तीन इब आगै सैं
नहीं मिलै दवाई बख्त पै जिब दिन उल्टे लागैं सैं
आस पड़ोसी देख यो सब बोल घणे कसूते दागैं सैं
सारे कमा कै ल्यावां सां पर म्हारे भाग ना जागैं सैं
बड्डा कुन्बा साहरा देंता मैं समझाऊं अपने भरतार नै।।
3
मनै चिंता रहवै रोजाना बेबे इनकी पढ़ाई की
सेहत ठीक कोन्या रहती पड़ती मार दवाई की
साफ सुथरा मकान हो चिंता पानी सप्लाई की
घरां काम बाहर छोटी नौकरी औटूं डॉट थारे जमाई की
बालक टी वी नै चूंघैं मार दिए चैनलों की मार नै।।
4
पड़ौसन का बड्डा परिवार उनकै बात काबू ना आई
छोटे बड़े का ना रोला विकास मैं या रोल बताई
मेहनत के फल का ठीक बंटवारा ना देता सही दिखाई
माणस का माणस बैरी औरत जावै घणी सताई
अडानी बार्ज खोस कै लेगे सारी म्हारी बहार नै।।
5
जनसंख्या का रोला कोन्या इस कारण ना दुख म्हारे
म्हारे दुखों का कारण दिखैं जिंदगी के ये बंटवारे
इसी रची समाज व्यवस्था गरीब धरती कै ये मारे
विकास का बेढ़ंगा तरीका इसकी असल ये छिपारे
बेबे बैठ कै सोचां क्यूकर करां सुखी हम घरबार नै।।
6
ईसा विकास हो देश मैं जिसमें सही बंटवारा हो
प्यार बढै़ आपस मैं ना भाई का भाई हत्यारा हो
बलात्कारी ना टोहे पावैं म्हारा सुखी हर गलियारा हो
जनसंख्या समस्या ना दिखै सबके घर उजियारा हो
फेर परिवार नियोजन की ना जरूरत हो सरकार नै।।
863
गरीबी अनपढ़ता बेरोजगारी माणस की करतूत बतावैं रै।।
माणस करया माणस का बैरी अभाव अर दुख दिए जतावैं रै।।
1
बाजार मैं खागड़ठा सूने छोड़ दिए एक दूजे नै ठाठा पटक रहे
बछिया बाछड़े रंभाते हांडैं इनके खुरों मैं पड़े सिसक रहे
इंसानियत तैं जमा खिसक रहे हैवानियत का साथ निभावैं रै।।
2
विज्ञान पै कब्जा जमाकै मुनाफे खातर इस्तेमाल बेईमान करैं
मानव सुख पढ़ण बिठाया खर्च हथियारों पर बेउनमान करैं
मानवता का नुकसान करैं विज्ञान नै विनाश राही चलावैं रै।।
3
मानवता के हित मैं जिस दिन ज्ञान विज्ञान खड़या दिखैगा
उस दिन दुनिया का सबनै कायाकल्प चौडै़
पड़या दिखैगा
समाज नहीं सड़या दिखैगा मिलकै प्यार की पींघ बधावैं रै।।
4
माणस माणस के बीच की असमानता फेर दूर जरूर होवैगी
राष्ट्र राष्ट्र के बीच की फेर रणबीर कहवै दूर ग़रूरी होवैगी
फेर आबाद आडै़ अंगूरी होवैगी ईमानदार दुनिया मैं छावैं रै।।
864
ज्ञान विज्ञान आंदोलन नै आंख खोल दी म्हारी
समतावादी संसार बनावां या इच्छा बढ़ती जारी।।
भेद लोग लुगाई के
जात पात की खाई के
सरतो धापां ताई के
विकास की राही के,समझेंगे सब नर नारी।।
समतावादी संसार बनावां या इच्छा बढ़ती जारी।।
2
अमरीका दादा हो गया
बीज बिघन के बो गया
सुख हमारा खो गया
आम आदमी सौ गया, इब नींद खुलती आरी।।
समतावादी संसार बनावां या इच्छा बढ़ती जारी।।
3
कोरोना बात समझाई
गरीब की नहीं सुनाई
संसार मैं खोल बताई
समता नहीं टोही पाई, टूटी जनता की खुमारी।।
समतावादी संसार बनावां या इच्छा बढ़ती जारी।।
4
मंजिल नहीं कहते दूर
हमारी ताकत भरपूर
अमरीका का गरूर
तोड़ैगी दुनिया जरूर,रणबीर की कलम पुकारी।।
समतावादी संसार बनावां या इच्छा बढ़ती जारी।।
865
आज का जमाना
देख कै उल्टी रीत जगत की दिल मेरा हुआ उदास।।
भगवन तेरी इस लीला का मनै भेद पट्या ना खास ।।
1
चोर जार ठग मौज उड़ाते शरीफ रहें दुःख भरते
झूठे राज पाठ के मालिक सचे फिरैं गुलामी करते
देखे हिरन जंगलों मैं चरते गधे करैं गाम मैं वास ।।
भगवन तेरी इस लीला का मनै भेद पट्या ना खास ।।
2
झूठे बरी जेल खानों मैं मनै सच्चे ठुकते देखे
शर्म आले बेशर्म के आगै सर झुका लुह्क्ते देखे
सच्चे मानस झुकते देखे दादा बनगे बदमास ।।
भगवन तेरी इस लीला का मनै भेद पट्या ना खास ।।
3
झुठयाँ कै पल्लै धरती दौलत भले करैं पराई आशा
म्हारे भारत देश मैं देखो दुनिया का अजब तमाशा
गरीब नै भोजन का सांसा अमीरों के सब रंग रास ।।
भगवन तेरी इस लीला का मनै भेद पट्या ना खास ।।
4
ये मजदूर ऊपर हुकम चलावें आज अफसर भूंडे
घने दलाल पैदा होगे कई नेताअपने बरगे ढूंढें
रणबीर सिंह बरग्याँ नै ये गुंडे नहीं लेवन दें सांस ।।
भगवन तेरी इस लीला का मनै भेद पट्या ना खास ।।
866
किसान कहवै खोल बतादयो यो थारा के ठा राख्या रै।।*
*खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।।*
1
किसान मरया खेत में तो कैसे देश महान बचैगा
किसान बरबाद हुया तो जरूरी यो घमशान मचैगा
*दर दर का भिखारी क्यों यो अन्नदाता बणा राख्या रै।।*
*खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।।*
2
काले धन के नाम पर म्हारा धौला काबू कर लिया
पुराने जमा कराकै तनै बैंकां का भोभा भर दिया
*म्हारी खेती चौपट होगी काढ़न पै रोक लगा राख्या रै।।*
*खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।।*
3
ब्याह शादी की मुश्किल होरी दाल सब्जी का टोटा होग्या
थारा नोटबंदी का फैसला यो जी का फांसा मोटा होग्या
*देश भक्ति का नाम लेकै यो देश जमा भका राख्या रै।।*
*खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।।*
4
इसे ढाल बात करै सै बण गरीबों का हिमाती रै
इब बेरा लाग्या हमनै घणा कसूता सै उत्पाती रै
*रणबीर सिंह इब क्यों बढ़ा कैशलेश का भा राख्या रै।।*
खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।।
867
किसी आजादी
देश मैं किसी आजादी आई, गरीबों कै और गरीबी छाई
अमीरों नै सै लूट मचाई , म्हारी पेश कोए ना चलती।।
भगत सिंह नै दी कुर्बानी, जनता नै खपाई जवानी
हैरानी हुई थी गोरयां नै, कमर कसी छोरी छोरयां नै
देश बाँट दिया सोहरयां नै,ज्यां म्हारी काया जलती ।।
ये गोर गए तो आगे काले, हमनै नहीं ये कदे सम्भाले
चाले कर दिए बेईमानों नै, भूल गए हम इंसानों नै
इन म्हारे देशी हुक्मरानों नै, करदी मूल भूत गलती।।
बोवनिया की धरती होगी,सब जातयाँ की भर्ती होगी
सरती होगी नहीं बिरान, खुश होवैंगे मजदूर किसान
भगत सिंह करया ऐलान, अंग्रेजों की ये बात खलती।।
मुनाफाखोर देश पै छाये,पीस्से पै सब लोग नचाये
लगाये भाव बाजार मैं, नहीं कसर सै भ्रष्टाचार मैं
इन वायदों की भरमार मैं, आस म्हारी रही छलती।।
ये मकान सैं परिवार नहीं, मानस तो सै घरबार नहीं
सरकार नहीं सुनती म्हारी, जाल कसूता बुनती जारी
गरीबों कै आज ठोकर मारी, रणबीर कै आग बलती।।
2008
868
आज का चुनौती पूर्ण दौर
हम तो लड़ते लड़ते जीतां जंग म्हारी जहान मैं।
ना लड़ें जात पात पै किसान एक मंच पै आवैगा
ना दूर राखै मजदूर नै साथ अपने यो ल्यावैगा
संघर्ष नै आगै ले ज्यावैगा यो पूरे हिन्दुस्तान मैं।।
ऐसा समाज बनावांगे अन्नदाता ना मरै टोट्टे मैं
म्हणत का हक मिलै ना फर्क रहै बड्डे छोटे मैं
नून घालां लौटे मैं एकता मजदूर किसान मैं ।।
बेरोजगारी के खिलाफ मिलकै नै जंग करांगे
महंगाई नै कहर ढाया इसकै खिलाफ भिडांगे
मिलकै जेल सारी भरांगे इंक़लाब के सम्मान मैं ।।
म्हारा भारत दोराहे पै ल्याकै क्यों खड़ा कर दिया
अण्डाणी अंबाणी धोरै देश गिरवी क्यों धर दिया
जहर धर्म मैं भर दिया रणबीर साच छिपाण मैं ।।
869
माणस का धरम
धरम के सै माणस का मनै कोण बताइयो नै।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।
माणस तै मत प्यार करो कौणसा धर्म सिखावै
सरेआम बलात्कार करो कौणसा धर्म सिखावै
तम दारू का ब्यौपार करो कौणसा धरम सिखावै
रोजाना नर संहार करो कौणसा धर्म सिखावै
धरम क्यों खून के प्यासे मनै कोण समझादयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।
र्इसा राम और अल्लाह जिब एक बताये सारे रै
इनके चाहवण आले बन्दे क्यूं खार कसूती खारे रै
क्यों एक दूजे नै मारण नै एके जी हाथां ठारे रै
अमीर देस हथियार बेच कै खूबै मौज उड़ारे रै
बैर करो मारो काटो लिखै वो ग्रंथ भुलादयो।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।
मानवता का तत कहैं सब धरमां की जड़ मैं सै
प्रेम कुदरत का सारा सब धरमां की लड़ मैं सै
कदे कदीमी प्रेम का रिस्ता माणस की पकड़ मैं सै
कटटरवाद नै घेर लिया यो धरम जकड़ मैं सै
लोगां तै अरदास मेरी क्यूकरै इनै छटवादयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।
यो जहर तत्ववाद का सब धरमां मैं फैला दिया
कटटरवाद घोल प्याली मैं सब तांहि पिला दिया
स्कीम बणा दंगे करे इन्सान खड़या जला दिया
बड़ मानवता का आज सब धर्मां नै हिला दिया
रणबीर रोवै खड़या इनै चुप करवादयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।
870
जागी महिला हरियाणे की
करकै कमाल दिखाया सै, यो घूंघट तार बगाया सै,
खेतां मैं खूब कमाया सै, जागी महिला हरियाणे की।।
1. देश की आजादी खातर अपणी ज्यान खपाई बेबे
गामड़ी सांघी खिडवाली मैं न्यारी रीत चलाई बेबे
लिबासपुर रोहणात मैं बहादरी थी दिखलाई बेबे
अंग्रेजां तै जीन्द की रानी गजब करी लड़ाई बेबे
अंग्रेजां का भूत बनाया, यो सब कुछ दापै लाया,
देश आजाद कराणा चाहया जागी महिला हरियाणे की।।
2. देश आजाद होये पाछै हरित क्रांति ल्याई बेबे
खेत क्यार कमावण तै कदे नहीं घबराई बेबे
डांगर ढोर संभाले हमनै दिन रात कमाई बेबे
घर परिवार आगै बढ़ाये स्कूलां करी पढ़ाई बेबे
हरियाणा आगै बढ़ाया सै ,सात आसमान चढ़ाया सै,
गुण्डयां का जुलूस कढ़ाया सै, जागी महिला हरियाणे की।।
3. हमनै गाम बराहणे मैं दारू बन्दी पै गोली खाई सै
खेलां के मैदानां मैं जगमति सांगवान खूबै छाई सै
सुशीला राठी बड्डी डॉक्टर हरियाणे की श्यान बढ़ाई सै
नकल रोकती बाहण सुशीला जमा नहीं घबराई सै
चावला नै नाम कमाया सै, महिला का मान बढ़ाया सै
यो रस्ता सही दिखाया सै, जागी महिला हरियाणे की।।
4. संतोष यादव बाहण म्हारी करकै कमाल दिखाया हे
सुमन मंजरी डीएसपी पुलिस मैं नाम कमाया हे
सांगवान मैडम नै बिमल जैन तै सबक सिखाया हे
नवराज जयवन्ती श्योकन्द जीवन सफल बनाया हे
ज्योति अरोड़ा सरोज सिवाच प्रशासन खूब चलाया हे
ये आगै बढ़ती जारी बेबे, करकै कमाल दिखारी बेबे
रणबीर मान बढ़ारी बेबे, जागी महिला हरियाणे की।।
871
जुल्मो-सितम नहीं सहेंगी महिला अब हरयाने की।।
आगे बढ़कर बात करेंगी महिला अब हरयाणा की।।
खेतों में खलिहानों में दिन-रात कमाई करती हैं,
फिर भी दोयम दर्जा हम बिना दवाई मरती हैं,
बैठी-बैठी नहीं सहेंगी महिला अब हरयाणे की।।
देवी का दर्जा देकर इस देवी को किसने लूटा,
सदियों से हम गयी दबाई समता का दावा झूठा,
दहेज की बलि नहीं चढ़ेंगी महिला अब हरयाणे की।।
इंसान बन गए हैवान आज होते हैं अत्याचार,
यहां देखो नैया डूब रही अब हम थामेंगी पतवार,
यहां अबला बनकर नहीं मरेंगी महिला अब हरयाणे की।।
आगे बढ़े ये कदम हमारे पीछे ना हटने पाएंगे,
जो मन धार लिया हमने अब करके वही दिखायेंगे,
रणबीर सारी बात लहेंगी महिला अब हरयाणे की।।
---
872
आज का दौर *** एक कविता के माध्यम से **
दुनिया की क्या हालत हो गई बाजार चारों ओर छाया।।
भैंस बंधी है घर घर में पर दूध ढोलों के अंदर पाया।।
1
दूध बेच भैंसों का लोग गांव के करते हैं आज गुजारे
लुप्त हो गए घरों से आज घी के जो हुआ करते बारे
थोड़ा साँस आया करता आज घूटन मानते हैं सारे
महिलाओं के अनीमिया ने फिर से जोर के डंक मारे
बाजरे की खिचड़ी गौजी का आज जोड़ा तोड़ बगाया।।
2
पहले भाई चारा था छोरे बहू लेने आया करते
जिब रोटी जिम्मन बैठते खांड बूरा खाया करते
पड़ौसी दूध के बखौरे बटेऊ वास्ते ल्याया करते
दूजे का बटेऊ पड़ौसी आंखों पे बिठाया करते
बैठे रहते फूंक बुढ़िया सी अब अपना ही बटेऊ ना भाया।।
3
आबो हवा मैं जहर घुला कीटनाशक छागये हैं
युवा के नर्वस सिस्टम पे दोष गुस्से का लागये हैं
पेट को पकड़े घूम रहे डॉक्टर भी हाथ ठागये हैं
हमारी कष्ट कमाई को ये अमीर क्यों खागये हैं
टैस्ट क्यों नहीं होते मैडीकल मैं नहीं किसी ने कष्ट उठाया।।
4
किलो दूध मिले पचास का उसमें आधा पानी पावे
महंगाई के क्या कहने कोई क्या खाएं क्या नहीं खावे
कुपोषण बालकों में आज दिन दिन क्यों बढ़ता जावे
बाजार व्यवस्था दोषी है पर दोष क्यों कोई नहीं
लावे
राम की इच्छा कैहकर रणबीर हमारा क्यों मोर नचाया।।
873
एक महिला के विचार
थारी याद सतावै सै , दुख बढ़ता आवै सै
कानों पर कै जावै सै, मेरी कोए ना सुनता।।
1
एक औड़ तो सती का जश्न खूब मनाया जावै सै
औरत को दूजे कांही बाजार बीच नचाया जावै सै
जड़ै होज्या सुनवाई, इंसानियत जड़ै बताई
समाजवाद की राही, मेरी कोए ना सुनता।।
2
मुनाफा खोरी की संस्कृति जिस समाज मैं आ ज्यावै
मानवता उड़ै बचै कोन्या या जड़ मूल तैं खा ज्यावै
पूंजी का खेल बताया, नहीं समझ मैं आया
क्यों आपस मैं भिड़वाया, मेरी कोए ना सुनता।।
3
और मुनाफा चाहिए सै चाहे लाश गेरनी हो ज्यावै
शाइनिंग दुनिया आला एयरकंडीशंड मैं सो ज्यावै
गरीब क्यों आज मरै , मेहनत भी खूब करै
क्यों उसपै इलजाम धरै,मेरी कोए ना सुनता।।
आपा धापी मचा दई भाई का भाई गल काट रहया
नएपन के नाम पै नंगापन चाला कसूता पाट रहया
जात पात की राही या, ऊंच नीच की खाई या
क्यों मचाई तबाही या, मेरी कोए ना सुनता।।
874
सीनियरिटी पढ़ण बिठाई, मैरिट ना फेर भाजी थयाई , सिफारिश नै बिठाया जमाई, प्रोफेसर की कुर्सी पै।।
डाक्टर खत्री काट्या सूबेदार सिंह काट दिया
श्याम सिंगला तीजे नंबर बिना बात के छांट दिया
प्रदीप गर्ग ने तगड़ी लाई, हिला दिया एक बै जमाई, हमारी कोर्ट ने थोड़ी रोक लगाई, प्रोफेसर की कुर्सी पै।।
इस उठा पटक नै सारा सिस्टम उघाड़ा कर दिया रै
कायदे कानून तोड़ बगाए , किसा पवाड़ा कर दिया रै
रोज तारीख पडंण लागरी फैकल्टी सारी लड़ण लागरी इल्जाम झूठे घड़ण लागरी प्रोफेसर की कुर्सी पै।।
आज हवा में शक की बदबू सारे के फैल रही
टांग खिंचाई बिना बात हो डायरेक्टर की गैल रही
मौका परस्ती इब या घणी छागी,कुनबा परस्ती सबनै खागी मैरिट हमेशा पीटती जागी प्रोफेसर की कुर्सी पै ।।
सर्जरी महकमे का भट्ठा बैठण मैं कोए कसर नहीं
इंसानियत रगड़ के चाट गए इब बी उनकै सबर नहीं
रणवीर की या कविताई , सदा साच्ची लिखती आई, चालकै पहुंचै सही राही , प्रोफेसर की कुर्सी पै।।
875
चारों ओर अंधेरा दीख़ै माणस हुया तंग़ फिरै
अपने पै भरोसा नहीं रहया इब स्वामी सारे कै छाये
कष्ट निवारण खतरा जनता स्वामियां के संग फिरै।।
यो शरीर दुनिया में पदार्थ का विकसित रूप कहैं
जो प्रत्यक्ष बोध गेल्यां ज्ञान अर्जन का ढंग करै।।
शरीर से बाहर आत्मा कदे रहै सकती कोण्या भाई
शरीर मैं हो चेतना पैदा या चेतना नई उमंग
भरै ।।
दारू बणै जिन चीजां तैं हैं उनमैं नशे का गुण कडै़ सै
शरीर मैं चेतना पनपै न्योंये न्यारे न्यारे रंग थरै।।
श्राद्ध पै दिया चढ़ावा कहवैं जावै सै इंद्र लोक मैं
अपने प्यारया ताहिं ना कदे श्राद्ध पंडित मलंग करै।।
पदार्थ तैं बण्या सब कुछ पदार्थ बिना कुछ साकार नहीं
माणस जीवन के संघर्ष मैं कुदरत की गेल्यां जंग करै।।
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