840
एक महिला के विचार
थारी याद सतावै सै , दुख बढ़ता आवै सै
कानों पर कै जावै सै, मेरी कोए ना सुनता।।
1
एक औड़ तो सती का जश्न खूब मनाया जावै सै
औरत को दूजे कांही बाजार बीच नचाया जावै सै
जड़ै होज्या सुनवाई, इंसानियत जड़ै बताई
समाजवाद की राही, मेरी कोए ना सुनता।।
2
मुनाफा खोरी की संस्कृति जिस समाज मैं आ ज्यावै
मानवता उड़ै बचै कोन्या या जड़ मूल तैं खा ज्यावै
पूंजी का खेल बताया, नहीं समझ मैं आया
क्यों आपस मैं भिड़वाया, मेरी कोए ना सुनता।।
3
और मुनाफा चाहिए सै चाहे लाश गेरनी हो ज्यावै
शाइनिंग दुनिया आला एयरकंडीशंड मैं सो ज्यावै
गरीब क्यों आज मरै , मेहनत भी खूब करै
क्यों उसपै इलजाम धरै,मेरी कोए ना सुनता।।
आपा धापी मचा दई भाई का भाई गल काट रहया
नएपन के नाम पै नंगापन चाला कसूता पाट रहया
जात पात की राही या, ऊंच नीच की खाई या
क्यों मचाई तबाही या, मेरी कोए ना सुनता।।
841
खलकत
खलकत कहते जिसनै उस बिन जीना मुश्किल होवैगा।।
दाई नहीं जापा करावै तो मानस ज्यान खामखां खोवैगा।।
1
खलकत नहीं होवै तो म्हारे घर की कौन करै सफाई
उनके अपने घर क्यों गंदे जिननै म्हारी फर्श चमकाई
सफाई का मतलब समझैं वे फेर क्यों गंद मैं सौवैगा।।
2
मध्यम वर्ग के वासी उनमैं ये कमी कई बताते देखे
काम चोर पीसे चोर और भी कई तोहमद लाते देखे
उल्टे काम कहते करैं वो उसे कटैगा जिसे वोवैगा।।
3
उनके कांधे पै पाँ धरकै जा पहुंचे थाम आसमानां मैं
क्यों फांसी ख़ावन नै मजबूर के कमी सै किसानां मैं
कहैं उसकी किस्मत सै न्योंए सुरग मैं डले ढोवैगा ।।
4
भाखड़ा डैम बणावण आले शहीद हुए उडै़ कई जणे
ताजमहल बनाने आले कद उनकी याद मैं बुत बणे
रणबीर सिंह बरोने आला बस ये सच्चे गीत
पिरोवैगा।।
842
करजा
करजे नै कड़ तोड़ी म्हारी दिया पूरे घर कै घेरा।
एक औड़ गहरा कुआं दीखै यो दूजे औड़ नै झेरा।।
1.
ट्रैक्टर की बाही मारै ट्यूबवैल का रेट सतावै
थ्रेसर की कढ़ाई मारै भा फसल का ना थ्यावै
फल सब्जी दूध सीत सब उनके बांटे के मैं जावै
माट्टी गेल्यां माट्टी होकै बी सुख का सांस ना आवै
बैंक मैं सारी धरती जाली दीख्या चारों ओर अन्धेरा।।
2.
निहाले धोरै रमूल तीन रुपइया सैकड़े पै ल्यावै
वो सांझ नै रमलू धोरै दारू पीवण तांहि आवै
निहाला करज की दाब मैं बदफेली करना चाहवै
विरोध करया तो रोजाना पीस्यां की दाब लगावै
बैंक आल्यां की जीप का रोजना लागण लाग्या फेरा।।
3.
बेटा बिन ब्याहया हांडै सै घर मैं बैठी बेटी कंवारी
रमली रमलू न्यों बतलाये कट्ठी होगी मुसीबत सारी
खाद बीज नकली बिकते होगी खत्म सब्सिडी म्हारी
मां टी बी की बीमार होगी छाग्या हमपै संकट भारी
रोशनी कितै दीखती कोन्या आज जुल्म भुगतां भतेरा।।
4.
मां अर बाबू इनके नै जहर धुर की नींद सवाग्या
इनके घर का जो हाल हुया वो सबकै साहमी आग्या
जहर क्यूं खाया उननै यो सवाल कचौट कै खाग्या
आत्म हत्या ना सही रास्ता रणबीर सिंह समझाग्या
मिलकै सोचां क्यूकर आवै घर मैं सो नया सबेरा।।
843
युग पुरुष डॉ भीमराव अंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर उनकी याद के रूप में एक रागनी*****
बाबा साहेब अंबेडकर
शिक्षित होकै संगठन बनाकै संघर्ष का नारा लाया रै।।
विचार मानवता वाद का पूरी दुनिया मैं पंहुचाया रै।।
1
दलित शोषित महिलाओं को समाज मैं सम्मान मिलज्या
म्हारी दरद भरी जिंदगी मैं खुशी का कोय फूल खिलज्या
सामाजिक समानता बारे संघर्ष का बिगुल बजाया रै।।
विचार मानवता वाद का पूरी दुनिया मैं पंहुचाया रै।।
2
चौदह अप्रैल ठारा सौ कियानवै इस दुनिया मैं आये
परिवार मैं बाबा साहेब ये चौदहवीं सन्तान बताये
दलितोत्थान के विचार तैं युग बदलो का नारा ठाया रै।।
विचार मानवता वाद का पूरी दुनिया मैं पंहुचाया रै।।
3
नागपुर सम्मेलन के मां उणनै एक बात समझाई थी
देश की उन्नति का पैमाना महिलाओं की हालत बताई थी
सभी तबकों का कल्याण होवै इसा संविधान बनाया रै।।
विचार मानवता वाद का पूरी दुनिया मैं पंहुचाया रै।।
4
उन्नीस सितंबर का दिन था मनु स्मृति जलाई कहते
समतामूलक समाज की बाबा जी अलख जगाई कहते
रणबीर उनके विचारों पै कर कोशिश छंद बनाया रै।।
विचार मानवता वाद का पूरी दुनिया मैं पंहुचाया रै।।
844
कति मतना डरियो
ओमिक्रॉन बदेश तैं चाल कै दिल्ली ताहिं आ लिया।।
हानिकारक नहीं सै घणा डर इसका घणा फैला दिया।।
1
कोविड की दूसरी लहर नै इतना जनता तैं बताया
सरकारी स्वास्थ्य का ढांचा यो दुनिया मैं काम आया
प्राइवेट नै कोविड बीमार यो जमा लूट कै खा लिया।।
2
कोविड हुया जिसकै उसकै कई दिन की मार पड़ी
इसके कारण और बीमारी उसके सिर पै आण खड़ी
शरीर के कई अगां उप्पर अपना असर दिखा दिया।।
3
इब तीसरी लहर साथ मैं ओमिक्रान कि चर्चा होरी
इनतै बचाव की जिम्मेदारी तैं शाषक बेपरवाह होरी
जनता के जिम्मे इसनै आज सारा दोष लगा दिया।।
4
फेर भी ध्यान तो हमनै डेढ़ दो मिहने राखना चाहिए
जांच परख करां खबर की विवेक तैं जांचना चाहिए
डरना नहीं सै इसतैं रणबीर सिंह नै समझा दिया।।
[06/12, 8:13 am] Dr. Ranbir Singh Dahiya: 845
दुनिया का गहराता संकट आगै और भी गहरावैगा।।
हो मौज कुछ अमीराँ की बाकी संसार दुख ठावैगा।।
यो पूंजीवादी संकट सै बात समझनी होगी सारी देखो
सिस्टम टिकिया शोषण उप्पर कमेरे की खाल तारी देखो
नबै दस की लड़ाई नै यो नबै कद समझ पावैगा।।
845
किसान मजदूर आंदोलन जिंदाबाद
गरीब और गरीब होग्या इसा तरीका महारे विकास का
अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का
1
कहते गरीबी दूर करांगे कई नई स्कीम चलाई गई
विकेंद्रीकरण कर दिया देखो बात खूब फैलाई गई
सल्फास किसान क्यों खावै के कारण उसके सत्यानाश का
अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का
2
नाबरॉबरी और कितनी या भारत मैं बधांते जावांगे
भगत सिंह के सपन्यां आल्या समाजवाद कद ल्यावांगे
छल कपट छाग्या देश मैं के होगा भ्रीष्टाचारी घास का
अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का
3
माणस अपणा आप्पा भूल गया पीस्से का आज दास हुया
बेईमानी बढ़ती जावै सै बाजार का दबाव आज खास हुया
स्कॉच चलै पांच *सितारा मैं ख्याल ना म्हारी प्यास का
अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का
4
प्यार की जगां हवस छागी नँगे होवण की होड़ लगी रै
शरीर बेचकै एश करो बाजार मैं या दौड़ लगी रै
रणबीर सिंह बरोने आला साथ निभावै सोहनदास का
अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का
846
तर्ज
बेरा ना छोरयो या गाड्डी कित लेज्यावैगी
बेरा ना लोगो या दारू के के करावैगी,
कद हमनै अक्कल आवैगी .......
घणे दारू नै खूड़ बिकाकै , सीरी ला दिए
छोटे छोटे बालक रेत मैं , इन्है रूआ दिए
इनै माणस घणे मरा दिए, या और मरावैगी ।
कद हमनै अक्कल आवैगी .......
कोण दारू को तैयार करारया , कोण इसनै बिकवावै सै
किनै खुलाये ठेके , फायदा कौण उठावै सै
जब तक म्हारै या समझ ना आवै, या रूक ना पावैगी।
कद हमनै अक्कल आवैगी .......
कोण काटरया ,धान मण्डी मैं बेरा पाड़ ल्यां
जल्दी करकै हम दारू तैं , पल्ला झाड़ ल्यां
आ संगठन का झंडा गाड़ ल्यां , रौनक छावैगी।
कद हमनै अक्कल आवैगी .......
अंग्रेज सिंह कहै दारू हिम्माती , माणस खोटे की
गरीब पीकै सोच सकै ना, नफे टोट्टे की
या चालण दे ना बड़े छोटे की, अपणी चलावैगी।
कद हमनै अक्कल आवैगी .......
847
एक बै कुर्सी थ्याज्या फेर बणी रहै चाहे कुछ करणा होज्या।।
आत्म सम्मान कायदा कानून चाहे सब ताक पै धरणा होज्या।।
1
लालच देकै तरां तरां के भेड्यां की ढालां घेर ले ज्याये जावैं
झुण्डां मैं कट्ठे करकै कुंभ के कांवड़ खातर ले ज्याये जावैं
इनपै पीसे खूब बहाये जावैं जनता नै घणा दुख भरणा होज्या।।
2
जनता भी जमा डूब गई हटकै इननै ए फेर बणावै क्यों सै
फांसी का फंदा अपणे हाथाँ अपने गल मैं फंसावै क्यों सै
इनकी बहका मैं आवै क्यों सै हटकै फेर इनका सरणा होज्या।।
3
तीन सौ बारा गंडा जिब कंसूए तै यो जमा थोथा हो लिया
कोए इलाज जिब पाया कोन्या मूढ़ा पाड़ नया बीज बो लिया
नया बीज जिब उडै़ टोह लिया आडै़ उसे मैं क्यों भरणा होज्या।।
4
जो पार्टी समाज कै कंसुआ लावै हमनै पाड़ बगाणी होंगी
जो भ्रष्टाचारी दल बदलू उनको सीख सिखाणी होंगी
गोत ठोले पाने की बात पुराणी होगी नई नाव पै तिरणा होज्या।।
5
बेटा पोता रणबीर दिखै इननै इसतें आगै सै संसार नहीं
घनखरी पार्टियों मैं बिठा राखे इसतें बढ़िया व्यापार नहीं
गोत नात तैं इंकार नहीं न्यों खत्म इंसान का खरणा होज्या।।
848
मेरे जी नै भाण गुलाबो घणा मोटा फांसा होग्या हे।।
बाहर भीतर संकट भारी घणा भूंडा रासा होग्या हे।।
1
मैं पैदा जिस दिन हुई घर मैं घणी मुरदाई छागी
भाई जिस दिन हुया पैदा दादी थाली खूब बजागी
बुआ मेरे होणे पै मेरी माँ नै घणी निरभाग बतागी
घर मैं चौथी छोरी आई मेरी मां नै चिंता खागी
सातवें जापे मैं हुया जिंगड़ा कुल की आशा
होग्या हे।।
2
बेटी ग़म खाणा चाहिए सीख सिखाई शाम सबेरी
पढ़ण की कही मां बोली क्यों ज्याण बहम मैं गेरी
मेरे तैं सूकी गंठा रोटी भाई नै दूध मलाई देरी
बेटा तै बड्डा होकै वंश चलावै माड़ी तकदीर मेरी
किसा राम राज आया घणा अजब तमाशा
होग्या हे।।
3
दुनिया कहै मनु स्मृति नै म्हारा बेड़ा पार किया
उसमैं ढेठी औरत गेल्यां कुल्टा जिसा ब्यो हार किया
सेवा करणा काम बीर का मनू जी नै प्रचार किया
सदियों से महिला का शोषण यो बारंबार किया
मनू नै भी डांडी मारदी बेबे तोड़ खुलासा
होग्या हे।।
4
बीर कहैं मर्द बराबर होसै असल मैं या बात नहीं
कहैं क्यूकर हो मर्द बराबर सै कोए औकात नहीं
भोग की चीज बणादी छोड्डी म्हारी कोए जात नहीं
कहैं मर्द कमावै ठाली ख़ावै करै कदे
खुभात नहीं
घर मैं पिसती बाहर मरण सै उल्टा हर पासा होग्या हे।।
5
दिन धौली दें मार लुगाई घणा बुरा जमाना आया
कुणसे कांड गिनाऊं आज दुर्योधन भी शरमाया
स्टोवां नै भी नई ब्याहली काँहिं अपना मुंह सै बाया
गर्भ बीच चलावैं कटारी ये चाहते पिंड छुटवाया
महिला आज बोझ बताई मजाक खासा होग्या हे।।
6
एक जीनस दी बना लुगाई समाज नै कमाल किया
बीर का मर्द बता बैरी खड़या नया बबाल किया
सास बहू का ईसा रिश्ता खड़या कर जंजाल दिया
बीच बाजार मैं बिठा दी बिछा कसूता जाल दिया
म्हारे देश मैं औरत का दर्जा तोले तैं मासा
होग्या हे।।
7
रल मिल सोच समझ कै इब आगै बढ़ना होगा
अंध विश्वास पडै़ छोड़ना नया इतिहास गढ़ना होगा
नए दौर का नया सबेरा नई राही पै चढ़ना होगा
सोच समझ कै अपने हकों खातर कढ़ना होगा
रणबीर की बात सुणी मेरै चांदना खासा
होग्या हे।।
849
बतादे करकै ख्याल पिया, यो पेटैंट के जंजाल पिया,
उठती दिल मैं झाल पिया, यो करें कैसे कंगाल पिया,
सै योहे मेरा सवाल पिया, मनै जवाब दिये खोल कै।
समिति नै जलसा करकै ये सारी बात बताई हो,
सन पैंतालिस तै पहल्यां गोरयां नै लूट मचाई हो,
आच्छी कहे सरकार पिया, समिति करै इन्कार पिया,
अमरीका बदकार पिया, बणाया देश बजार पिया,
क्यों बढ़ती तकरार पिया, मनै जवाब दिये तोल कै।
बढ़िया से पेटैंट घणा, मन मेरा तै मानै कोण्या हो,
यो कैसे बढ़ै निर्यात पिया, घटै कैसे आयात पिया,
क्यूकर बचै औकात पिया, म्हारी चढ़ी सै श्यात पिया,
क्यों मारग्या सन्पात पिया, मनै जवाब दिये टटोल कै।
खाद पाणी बिजली खुसगे, यो अपणा बीज ना होगा,
स्कूल यूनिवर्सिटी ऊपर कब्जा, कम्पनी का होगा,
फेर ना मिलै दवाई पिया, घणी बढ़ै म्हंगाई पिया,
किसनै रोल मचाई पिया, जनता झूठ भकाई पिया,
क्यूकर बचै तबाहि पिया, मनै जवाब दिये बोलकै।
850
एक हरिजन भाई का आडै़ बस्या करता परिवार भाई।।
धरती थी ना करै मजदूरी कुन्बा घणा लाचार भाई।।
1
एक भैंस थी रूंढी उसका दूध बेचना पडज्या था
न्यार फूंस नै जावै घणा बोझ खेंचना पडज्या था
सारा हिसाब देखना पडज्या था कदे हो तकरार भाई।।
धरती थी ना करै मजदूरी कुन्बा घणा लाचार भाई।।
2
कांता उसकी घर आली छेड़ दी माया राम के पोते नै
किसकै आगै कहवै दुखड़ा कौन छेड़ें नाग सोते नै
चुप्पी चढ़ागी खोते नै करया हटकै उसनै वार भाई।।
धरती थी ना करै मजदूरी कुन्बा घणा लाचार भाई।।
3
आस पड़ोस की साथन भी कइयां का शिकार थी
घुस फुस सारी करती पर बोलण नै ना त्यार थी
जात पात की दीवार थी नहीं कोए मदद गार भाई।।
धरती थी ना करै मजदूरी कुन्बा घणा लाचार भाई।।
4
महताब भाई छोटा घणा औ थोड़ी थोड़ी समझै था
कांता क्यों उदास घणी वो राह की रोड़ी समझै था
दुनिया सै बोड़ी समझै था रणबीर का प्रचार भाई।।
धरती थी ना करै मजदूरी कुन्बा घणा लाचार भाई।।
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