Wednesday, 25 December 2024

876..900

 876

दो किल्ले धरती सै मेरी मुश्किल हुया गुजारा रै।।

खाद बीज सब महंगे होगे कुछ ना चालै चारा रै।।


बुलध तो पड़या बेचना ट्रैक्टर की मार पड़ी या 

मैं एकला कोण्या लोगो मेरे जिसां की लार खड़ी या

स्वाद प्याज की चटनी का भी पाछै सी होग्या खारा रै

।1।

मिन्ह बरस्या कोण्या  ट्यूबवैल का खर्चा खूब हुया

धान पिटग्या मंडी के मां इसका चर्चा खूब हुया

चावल का भा ना तलै आया देख्या ईसा नजारा रै

।2।

भैंस बाँध ली दूध बेचूं यो दिन रात एक करां

तीन हजार भैंस बीमारी के डॉक्टर कै गए घरां 

सिर पै कर्जा तीस हजार टूट्या पड़या यो ढारा रै

।3।

बालक म्हारे धक्के खावैं इणनै रोजगार नहीं 

छोरी सै बिन ब्याही बिन दहेज़ कोए तैयार नहीं 

छोरे हांडैं गालां मैं घरक्या का चढ़ज्या पारा रै

।4।

घरआली करै सिलाई दिन रात करै वा काले 

या खुभात फालतू बचत नहीं हुए कसूते चाले

दारू पी दिल डाटूं चंदकौर कहवै आवारा रै

।5।

कर्जा जिसपै लिया उंकी नजर घणी बुरी सै

घरां आकै जमज्या सै दिल मेरे पै चालै छुरी सै

रणबीर बरोनिया का बिकग्या घर का हारा रै

।6।

 877

आजकाल के नेता दिल म्हारे तैं उतर लिए ।।

कहते किमैं करते किमैं पर म्हारे कुतर लिए ।।

दिन मैं तारे दिखला देवैं ,जेल भीतर करवा देवैं जात धर्म पर लड़वा देवैं टूट म्हारे सबर लिए।। करतूतों की लिस्ट गिणाऊं पापी माथे पे गुदाऊं चौंक पै खूब छिताऊं म्हारे बरगे ना टकर लिए।। सही राजनीति हो सीखाणी हो इसपै क्लास लगाणी राही होगी सही दिखाणी पिछाण सही डगर लिए।।

 कुछ नेता सही म्हारे देश चल्या उनके सहारे रणवीर सिंह कलाम घिसारे समझ सही डगर लिए।।

878

के जुलम करया इसा

के जुलम करया इसा मेरे नहीं बात समझ मैं आयी।। 

प्यार करया सोहनदास तै नहीं खोदी सै कोए खाई।। 

छोरा छोरी बरोबर हों हम कोए भेद नहीं करते 

छोरी नै पूरी आजादी सै देखे रोजाना दम भरते 

आज के होग्या सबकै क्यों कलंकनी सबनै बताई ||

प्यार करया सोहनदास तै नहीं खोदी सै कोए खाई।। 

संस्कृति कै बट्टा लाया इल्जाम मेरे ऊपर लगाते

प्यार करना गलत बेटी सारे बैठ मने समझाते 

चुनाव मेरा मन चाहया गलत कैसे प्यार क़ी राही||

प्यार करया सोहनदास तै नहीं खोदी सै कोए खाई।। 

घर क़ी इज्ज़त राखी प्यार अपने पर डटी हुयी 

कहैं म्हारी इज्ज़त खोदी बात सबनै या रटी हुयी

जात पात के खिलाफ स्वामी दयानंद आवाज उठाई ||

प्यार करया सोहनदास तै नहीं खोदी सै कोए खाई ।।

जात तै बाहार लिकड़कै देखता ना परिवार मेरा 

सुनके बात प्यार क़ी मेरे चारों तरफ दिया घेरा 

रणबीर बारोने आले नै बी प्यार क़ी मेर कटाई||

प्यार करया सोहनदास तै नहीं खोदी सै कोए खाई ।।

879

कमेरा

मेरी कोए ना  सुनता आज छाया सारै यो लुटेरा ॥ 

भक्षक बनकै रक्षक देखो देरे किसान कै घेरा ॥ 


ट्रेक्टर की बाही मारै  ट्यूबवैल का रेट  सतावै

थ्रेशर की कढ़ाई मारै  भा फसल का ना थ्यावै 

फल सब्जी ढूध  सीत सब ढोलां मैं घल ज्यावै 

माटी गेल्याँ माटी होकै बी सुख का साँस ना आवै 

बैंक मैं सारी धरती जाली दीख्या चारों कूट अँधेरा॥ 

भक्षक बनकै रक्षक देखो देरे किसान कै घेरा ॥ 

निहाले पै रमलू तीन रूपया सैकड़े पै ल्यावै

वो साँझ नै रमलू धोरे दारू पीवन नै आवै

निहाला कर्ज की दाब मैं बदफेली करना चाहवै

विरोध करया तो रोज पीस्याँ की दाब लगावै

बैंक अल्यां की जीप का बी रोजाना लग्या फेरा॥ 

भक्षक बनकै रक्षक देखो देरे किसान कै घेरा ॥ 

बेटा बिन ब्याह हाँडै सै घर मैं बैठी बेटी कंवारी

रमली रमलू नयों बतलाये मुशीबत कट्ठी  होगी सारी 

खाद बीज नकली मिलते होगी ख़त्म सब्सिडी  म्हारी

माँ टी बी की बीमार होगी बाबू कै दमे  की बीमारी

रौशनी कितै दीखती कोन्या घर मैं टोटे का डेरा॥ 

भक्षक बनकै रक्षक देखो देरे किसान कै घेरा ॥ 

माँ अर बाबू म्हारे  नै  यो जहर धुर की नींद सवाग्या

माहरे घर का जो हाल हुआ वो सबके साहमी आग्या  

जहर क्यूं खाया उनने यो सवाल कचौट कै खाग्या   

म्हारी कष्ट कमाई उप्पर कोए दूजा दा क्यों लाग्या

कर्जा बढ़ता गया म्हारा मरग्या रणबीर सिंह कमेरा  ॥

भक्षक बनकै रक्षक देखो देरे किसान कै घेरा ॥

 880

ज्योतिबा फुल्ले

ज्योतिबा फुल्ले नै बीड़े समाज सुधार के ठाये।।

समाज करो पढ़ाई सारै ये सन्देश पहोंचाये।।

स्कूल में कई ढाल के ज्योतिबा नै झटके खाये

गफ्फार बेग नै दोबारा वे स्कूल मैं भिजवाए

गुलाम क्यों देश म्हारा फुल्ले जी सवाल उठाये।।

2

समाज के मठाधीशों नै जमकै विरोध करया

धमकी दी उन ताहिं ज्योतिबा जी जमा ना डरया

स्कूल खोल दिया फेर वे पाछै नै नहीं लखाये।।

समाज करो पढ़ाई सारै ये सन्देश पहोंचाये।।

3

विद्या बिना मीत गई, मीत बिना या नीति गई

नीति बिना गति गई गति बिना या वित्त गई

बिना वित्त शुद्र गए कारण अविद्या के बताये।।

समाज करो पढ़ाई सारै ये सन्देश पहोंचाये ।।

4

अछूतो द्धार नारी शिक्षा इन पर काम किया 

विधवा विवाह खातर प्रचार सरे आम किया

रणबीर किसानों खातर संघर्ष खूब चलाये।।

समाज करो पढ़ाई सारै ये सन्देश पहोंचाये  ।।


881

मेरा संकट 

मन बेचैन कसूता कारण समझ मैं आवै ना।।

सत्संग मैं जाण लाग्या शांति उड़े थयावै ना।।

1

बालक चूंघैं टीवी नै रोज रुक्का रोला फेर होज्या 

सारी रात फिल्म देखैं आच्छा बिछा बोला होज्या

सोले का ओला होज्या काम करणा चाहवै ना।।

2

घर आली करै सै नौकरी दुखी  कई बर  हो ज्यावै 

घर का काम करणा पडै़  आप्पा कई बर खो ज्यावै 

उसका जी घणा रो ज्यावै सुबकन बी पावै ना।।

3

बेटी सुसराल मैं घिरी सासू तकरार करै सुन 

बेबे

मां बाप नै के सिखाया सासू ये वार करै सुन 

बेबे

पति मार करै सुन बेबे हाथ काम कै लावै ना।।

4

स्कूटर का तेल घणा महंगा होग्या जमा खटारा यो 

तन्खाह पड़ज्या सै थोड़ी मुश्किल होवै गुजारा यो

जीवन हुया सै भारया यो रणबीर रोटी भावै ना।।


882

*खोल नया पिटारा तीन कानूनों तैं ये चाहवैं हमनै भकाणा ।।*

*नया कृषि विधेयक नई बोतल मैं ल्याये कानून पुराणा।।*

1


राष्ट्रीय नीति की रूप रेखा तैयार करी कृषि व्यापार पै 

पच्चीस नवंबर नै अंग्रेजी मैं चाही टिप्पणी इस विचार पै

*पन्दरा दिन दिए इस खातर किया किसानों गेल धिंगताणा।।*

2

 इस विधेयक तैं कहते हम किसानों की आय बढ़ावैंगे 

कृषि क्षेत्र नै आधुनिक बणावां ज्यां ये सुधार ल्यावैंगे 

*अधिक खुली बाजार प्रणाली बदल दे किसानों का बाणा।।*

3

इस विधेयक के म्हांकै ये किसानी मैं कॉर्पोरेट नै ल्यावैं

मंडी की सुविधा की जागां इब यो खुला बाजार बढ़ावैं 

*सिर्फ अंग्रेजी मैं लिखवाकै सब धोरै चाहवै इनै पढ़वाणा।।*

4

इसके विरोध मैं खड़या  आशा किसान स्वराज हुया सै 

मंत्रालय को यो प्रारूप रद्द करण का सुझाव दिया सै 

*जनहित मैं कट्ठे होकै रणबीर इब चाहिए संघर्ष चलाणा।।*


883

साम्राज्यवाद नै दुनिया करी घणी बदहवाश

देखियो के होगा।।

1

अपणी लूट बढ़ावण खातर हथियार उद्योग बढ़ाया

पूरी दुनिया पै इसनै आज खुलकै नै धौंस जमाया 

दूजे देशों पर हमले करवाकै बहोत बिछाई लाश 

देखियो के होगा।।

2

मजदूर किसानों को चूस्या इसी नीति ले कै आया

अपनी फौज मिल्ट्री के दम पै तलहैड़ू हमें बनाया

देशी पूंजी तैं मिला हाथ दुनिया कै चढ़ाई सांस

देखियो के होगा।।

3

मुनाफा खोरी बाजार व्यवस्था पूरे संसार मैं ल्याया

शर्मयादारों का यो मुनाफा तनै सब देशों मैं बढ़वाया

अपणा संकट मेंटण नै गरीबों की ढाई आस 

देखिए के होगा।।

4

ईसा बम्ब बणाया जो जीव का तै सत्यानाश करैगा

निर्जीव नै बचावैगा  अमरीका अपना भोभा भरैगा

रणबीर अपणी बुझावण नै म्हारी बधाई प्यास

देखियो के होगा।।


884

ऊट मटिल्ला

बराबरी के आधार बिना ऊंट मटिल्ला होज्यागा।। 

संगठन के प्रसार बिना,ऊट मटिल्ला होज्यागा।। महंगाई ने कर दिए चाले, घराँ कै लवा दिए ताले जनता की सरकार बिना, ऊट मटिल्ला होज्यागा।। 

बच्चे बुढ़े आज होंगे तंग सुरक्षा प्रदेश की होगी भंग, सरकार की रफ्तार बिना ऊट मटिल्ला होज्यागा ।।

औरतों नै आगै कदम बढ़ाया, कईयों को पसंद ना आया ,जोड़ी के भरतार बिना ऊट मटिल्ला होज्यागा।।

रुकती काली करतूत नहीं सैं, औरत क्यों महफूज नहीं सैं, एकता के हथियार बिना ऊट मटिल्ला होज्यागा ।।

जोर-जुल्म के दम पर , हुकम चलाते हैं हम पर इब इनके उपचार बिना, ऊंट मटिल्ला होज्यागा।। 

जन आंदोलन की यही पुकार, मिले हर नारी को अधिकार, संघर्ष की तलवार बिना ऊंट मटिल्ला होज्यागा।।


885

मिलकै आवाज उठाई हे सखी महिला समिति नै।। 

हमारी श्यान बढ़ाई हे सखी महिला समिति 

नै।।

हमको कति ए ध्यान नहीं था कैसे चलै संसार ज्ञान नहीं था डटकै अलग जगाई है सखी महिला समिति नै ।।

जींद जिले का गांव पड़ाणा ,जुल्मी हिला दिया पूरा समाणा, हिम्मत म्हारी बंधाई हे सखी महिला समिति नै।।

म्हारे मुंह मैं आवाज नहीं थी , किसे नै सुनी फरियाद नहीं थी, चिट्ठी लिखनी सिखाई हे सखी ,महिला समिति नै ।।

अपणा शब्द किमैं भूल रही , परिवार की साथ  टूहल रही ,अपनी पहचान कराई हे सखी महिला समिति नै।।


886

या महंगाई मारै , रूप कसूते धारै , जमा खाल नै तारै , मुश्किल पर पड़ै म्हारी।।

1

ट्रैक्टर की बाही रपीये तीस तैं 

आज चढगी एक सौ बीस पै

ट्यूबवैल की सिंचाई , थ्रेशर की कढ़ाई, मन्डी की लुटाई, इणनै करी मुशीबत भारी।।

2

गोहाने तैं रोहतक का बस भाड़ा 

पचास साल मैं करया सै कबाड़ा

पाट्या कूड़ता म्हारा, दुख होग्या भारया, पाया ना किनारा, म्हारी होगी तबियत खारी।।

3

बजट तैं पहलमै क्यों भा बढ़ाये

जनता कै खूब पसीने लिवाये

डीजल माट्टी तेल , महंगी करदी रेल, मचाई धक्का पेल,घणी दुखी हुई सवारी।।

4

कई गुणा महंगी हुई दवाई

बिना डोनेशन ना बची पढ़ाई

यो टीचर दुखी ना छात्र सुखी, संकट चहूँ मुखी, रणबीर की कलम पुकारी।।


887

लड़े हैं जीते हैं , लड़ेंगे जीतेंगे

एक साल की कुर्बानी,म्हारी पूरा रंग ल्याई रै।।

इस आंदोलन की दुनिया मैं दे रही गूंज सुनाई रै।।

1

बढ़ता गया आंदोलन धरती, सरकार नै भिड़ी होगी

कई सौ किसान सहादत देगे जनता की आत्मा रोगी

केंद्र की सरकार होंश खोगी , किसानां नै धूल चटाई रै।।

2

पंजाब नै थी हुंकार भरी गैल हरियाणा भी आया  

राजस्थान और यूपी भी फेर कोन्या पाछै पाया

यो पूरे देश मैं छाया , सरकार घणी घबराई रै।।

किसानी एकता तोडण नै घणे हथकंडे अपनाये

किसान समझगे चाल थारी नहीं बहकावे मैं आये 

हर कदम पै हौंसले दिखाये , एकता कसूत बढ़ाई रै।।

4

एक लड़ाई हारे सै ये आगै भी नाक रगडैंगे 

दिल्ली के डेरे याद रहैं हम आगै भी लडैंगे 

लाठी गोली कै सामही अडैंगे, रणबीर करी कविताई रै।।


888

असली चेहरा 

हुकुमत का असली चेहरा , चौड़े मैं दिखाई देरया, आज तोड़ खुलासा होग्या रै।।

1

नब्बै तै कति  मार दिए या दस की चांदी करदी

म्हारी गौज खाली करकै या अंबानी की भरदी

किसान मजदूर आवाज उठावै,थारी सरकार दबाया चाहवै, घणा  मोटा रास्सा होग्या रै।।

2

किसान नै डेरे गेर दिए दखे दिल्ली के मां जाकै  

सरकार नै मुंह फेर लिए दखे ये बैरीकेट लगाकै

घणे सब्ज बाग दिखाए थे, लाकै घणा जोर बहकाए थे, घणा तमाशा होग्या रै।।

3

अंबानी  तैं थारा मुल्हाजा जनता और ना झेलैगी

संघर्ष करैगी मिलजुल थामनै जरूर दखे पेलैगी

हमतो खेत खलिहान कमावैं,थारे बंगले आलीशान बनावैं,म्हारा मुश्किल बासा होग्या रै।।

4

जनता के संघर्ष बढैंगे पक्का जानो मोदी जी

तीन बिल वापसी की मांग दिलतैं मानो मोदी जी

रणबीर सिंह नै या बात बताई, गाम गाम मैं अलख जगाई, बेरा सबनै खासा होग्या रै।।


889

युवा लड़के और लड़की निशाने पै 

राज दरबारां के निशाने पै युवा लड़के और लड़की ।

हिंसा और नशे की गेल्याँ लाई सैक्स की भी तड़की।

अरब पति के सपने गरीबाँ नै आज दिखाए जावैं रै

थारी किस्मत भी चमकेगी कहकै नै बहकाये जावैं रै

चाहवैं लाटरी साहरै तोड़ना म्हारे जीवन की कड़की ।

ज्ञान विज्ञान नै विकास के नए नए तरीके सिखाये 

इसनै जनहित मैं लावणिया बार बार गए धमकाये

इसपै कब्जा करकै नै करदी बन्द हवा की खिड़की।

कारपोरेट अर राजदरबारी आनन्द खूब भोग रहया 

बाकि लोगों के दुखां नै बता भाग का सन्जोग रहया

आज बतादयूं थारे खिलाफ भारत की जनता भड़की।

अपणी चीज बेचण खातर त्योहारां का लिया साहरा रै

मीडिया पै कब्जा जमाकै  दिमाग फेर दिया म्हारा रै

विरोध करां सारे मिलकै रणबीर बाजी लाकै धड़की ।


 890

मिलजुल कै नया हरयाणा हम घणा आलीसान बनावांगे

नाबराबरी खत्म करकै नै हरयाणा आसमान पहोंचावांगे

बासमती चावल हरयाणे का दुनिया के देशां मैं जावै आज

चार पहिये की मोटर गाड़ी यो सबतैं फालतू बणावै आज

खेल कूद मैं हम आगै बढ़गे एशिया मैं सम्मान बढ़ावांगे

चोरी जारी ठग्गी नहीं रहवैंगी भ्रष्टाचार नहीं टोहया पावै

मैरिट तैं मिलैं दाखिले सबनै शिक्षा माफिया खड़या लखावै

मिलकै सारे हरयाणा वासी इन बातों नै परवान चढ़ावांगे

ठेकेदारां की ठेकेदारी खत्म होज्या खत्म थानेदारी होवै

बदमाशों की बदमाशी खत्म हो फेर खत्म ताबेदारी होवै

निर्माण और संघर्ष का नारा यो पूरे हरयाणा मैं गूंजावांगे

दहेज़ खातिर दुखी होकै नहीं औरत फांसी खा हरयाणा मैं

कदम बढ़ाये एकबै जो आगै फेर ना पाछै जाँ हरयाणा मैं

बराबर के माहौल मैं महिलाओं के अरमान खिलावांगे

छुआ छूत का नहीं नाम रहै सब रल मिल रहैं गामां मैं

त्याग तपस्या और मोहबत की ये फुहार बहैं गामां मैं

दिखा मानवता का रास्ता जातधर्म का घमासान मिटावांगे

हरयाणा के लड़के और लड़की कन्धे तैं कन्धा मिला चालैंगे

देकै कुर्बानी ये छोरी छोरे नए हरयाणा की नींव डालैंगे

गीत रणबीर सिंह नै बनाया मिलकै हम सारे ही गावांगे


891

जीएसटी वापिस ल्यो जो दूध उत्पादां उप्पर लगाई

।।

दूध तैं बनी चीजां उप्पर स्वामीनाथन सिफारिस चाही।।

1

हरियाणा के सारे पशु पालक संसद पै धरना लगारे

विदेशी दूध उत्पादां पै आयात शुल्क बढ़वाया

चाहरे

पशुपालन मनरेगा तहत ल्याओ मांग सारे कै पहूंचाई।।

दूध तैं बनी चीजां उप्पर स्वामीनाथन सिफारिस चाही।।

2

दूध के उत्पादन कि लागत कम करै केंद्र की सरकार

याहे योजना शहरां मैं भी लागू होवै या म्हारी

दरकार

पशुआं के हरे चारे उप्पर या सब्सिडी की मांग गूँजाई।।

दूध तैं बनी चीजां उप्पर स्वामीनाथन सिफारिस चाही।।

3

दूध समितियों का मुनाफा यो सदस्यों मैं बाँटया 

जावै

दूध उत्पादां का बंटवारा मेम्बरां का ना कांटया जावै

संसद भवन पै कट्ठे होकै मांग पशु पालनां की उठाई।।

दूध तैं बनी चीजां उप्पर स्वामीनाथन सिफारिस चाही।।

4

आवारा पशुआं पै या सरकार पूरी तरियां रोक लगावै

पशुआं के मेले खोले जां इतनै सरकार खरीद करावै

इंतजाम होवै अस्पताल का रणबीर पूरी मिलै दवाई।।

दूध तैं बनी चीजां उप्पर स्वामीनाथन सिफारिस चाही।।


 892

मतना लाओ वार किसानों , हो जाओ तैयार किसानों

ले ऐकता का हथियार किसानों , लड़नी धुर की लड़ाई रै।।

1. 

गांव शहर और खेतों मैं किसान कितै महफूज नहीं

लागत फालतू आमदनी थोड़ी होती कितै बूझ नहीं

कोन्या संघर्ष आसान दखे,होगा संघर्ष घमासान दखे,पिटैगा अडानी शैतान दखे,बची ना कति समाई रै।।

2

सरकारी कानून क्यों देखो करे बणाकै दीवार खड़े रै

कहवण नै किसानों खातर योजनावां के प्रचार बड़े रै

जाल साज तैं फूट गिरावैं, सारे कै ये लूट मचावैं

करी तरक्की झूठ बहकावैं, कितनी सहवांगे पिटाई रै।।

3

किसान निर्माता कहने आले आज कडै़ ये चले गए

किसान बहोत महान कैहकै दिन रात हम छले गए

कोन्या सहवाँ अपमान भाई, चलावां मिलकै अभियान भाई,समाज का पावां सम्मान भाई, डंके की चोट बताई रै।।

4

जीणा सै तो लड़ना होवै, संघर्ष हमारा नारा होगा

संयुक्त किसान मोर्चे का संघर्ष हथियार प्यारा होगा

इब तो ऊंचा बोल भाई, झिझक ले सारी खोल भाई, जावै अडानी डोल भाई, रणबीर चाहवै अलख जगाई रै।।


893

मनुवाद 

अनादि ब्रह्म नै धरती पै यो संसार रचाया कहते

मुंह बांह जांघ चरणों तैं सै सबको बसाया कहते

1

मुंह तैं बाह्मण पैदा करे चर्चा सारे हिंदुस्तान मैं

बाँहों से क्षत्रीय जन्मे जो डटते आये जंगे मैदान मैं

जांघ से वैश्य पैदा करे लिख्या म्हारे ग्रन्थ महान मैं 

चरणों से शुद्र जन्म दिये आता वर्णों के गुणगान मैं 

चार वर्णों का किस्सा यो जातों का जाल फैलाया कहते

2

भगवान नै शुद्र के ज़िम्मे यो एक काम लगाया 

बाक़ी तीनों वर्णों की सेवा शुद्र का फर्ज बताया

शुद्र जै इणनैं गाली देदे जीभ काटो विधान सुनाया

नीच जात का बता करकै उसतैं सही स्थान दिखाया

मनुस्मृति ग्रन्थ मैं पूरा हिसाब गया लिखाया कहते

3

शुद्र जै किसे कारण तै इणनैं नाम तैं बुला लेवै

दस ऊँगली लोहे की मुंह मैं कील ठुका देवै

भूल कै उपदेश देदे तै उसके कान मैं तेल डला देवै 

लाठी ठाकै हमला करै तो शुद्र के वो हाथ कटा देवै 

मनु स्मृति नै शुद्र खातर नर्क कसूत रचाया कहते

4

बाबा अम्बेडकर जी नै मनुस्मृति देश मैं जलाई थी

उंच नीच की या कुप्रथा मानवता विरोधी बताई थी

कमजोर तबके कट्ठे होल्यो देश मैं अलख जगाई थी

आरएसएस मनुवाद चाहवै असली शक्ल दिखाई थी

रणबीर महात्मा बुद्ध भी इसपै सवाल ठाया कहते।

894

*अंतरजातीय ब्याह*

*ब्राह्मन छोरी हरिजन छोरा ब्याह का फैंसला करया दखे*

*छोरी के बाबू नै अपना साफा छोरे पाहयाँ बीच धरया दखे*

1

बाबू बोल्या मैं फांसी खालयूं घर कै कलास लावै मतना

ब्याह रिश्ते सब बंद होजयाँ जीनते जी मरवावै मतना

छोटे भाई नै कोण ब्याहवै छोरी जुलम कमावै मतना

ऊंच नीच कुछ सोच किमै म्हारी नाक कटावे मतना

*काली नागन की तरियाँ क्यों तेरे भीतर जहर भरया दखे*

छोरा छोरी जब माने कोन्या छोरी घराँ ताले मैं कैद करी

पीट पीट कै सीधी करणी चाही छाती बन्दूक लयान धरी

छोरी नै घने कष्ट सहे पर किसे और की नहीं हाँ भरी

बोली मरना सै मंजूर मने कुनबे कै नहीं या बात जरी

*कचहरी मैं दरखास देदी घर कुनबा थोडा ड़रया दखे*

3

माँ पिता की पार बसाई कोन्या उनने ब्याह रचाया फेर

ना किसे नै फांसी खाई पर मातम घर मैं छाया फेर

म्हारा कोए वास्ता नहीं तेरे तै बाबू नै हुकम सुनाया फेर

माँ तै आखिर माँ ठहरी लुह्क छिप मिलना चाहया फेर

*छोरी इतनी करड़ी लिक्डैगी कुनबे कै नहीं जरया दखे* 

4

दो साल पाछै बाबू मरग्या इस बाहने घरां आये थे

कोए मुंह तै बोल्या कोन्या वे  घर मैं हुए पराए थे

खाली घर मैं बैठकै आगे

चेहरे कति मुरझाए थे

म्हारे कांहीं तैं मरगे थाम घणे कड़वे बोल सुनाए थे

*कहै रणबीर सिंह बारोनिया उनका प्यार फेर बी ना मरया दखे* 


 895

वास्तव में हिन्दुस्तान तरक्की पर है। क्या बताया भला:


जमीन जल और जंगल पै अमीर कब्जा बढ़ावै सै।

गरीब लाचार खड़या आसमान तरफ लखावै सै।।

1

जमीन पै कब्जा करकै हाईटैक सिटी बनाते आज

उजड़ कै जमीन तै कित जावै ना खोल बताते आज

बीस लाख मैं ले कै किल्ला बीस करोड़ कमाते आज

इनके बालक तै ऐश करैं म्हारे ज्यान खपाते आज

आदिवासी नै जंगल मां तै हांगा करकै हटावै सै।।

गरीब लाचार खड़या आसमान तरफ लखावै सै।।

2

जंगल काट-काट कै गेरे ये मुनापफा घणा कमागे रै

आदिवासी दिये भजा उड़ै तै बहुत से ज्यान खपागे रै

मान सम्मान खातर लड़े वे ज्यान की बाजी लागे रै

देशी लुटेरे बदेशी डाकुआं तै ये चौड़ै हाथ मिलागे रै

किसान की आज मर आगी यो संकट मैं फांसी लावै सै।।

गरीब लाचार खड़या आसमान तरफ लखावै सै।।

3

बिश्लेरी पानी की बोतल बाजार मैं दस की मिलती रै

दूध सस्ता और पानी महंगा बात सही ना जंचती रै

साफ पानी नहीं पीवण नै बढ़ती बीमारी दिखती रै

पानी म्हारा दोहन उनका पीस्से की भूख ना मिटती रै

जमीन जंगल जल गया संकट बढ़ता ए आव सै।।

गरीब लाचार खड़या आसमान तरफ लखावै सै।।

4

औरत दी एक चीज बना बाजार बीच या बिकती रै

म्हंगाई बढ़ती जा कीमत एक जगहां ना टिकती रै

घणा लालची माणस होग्या हवस कदे ना मिटती रै

अमीरी गरीबां नै खाकै बी आज मा ना छिकती रै

रणबीर बरोने आला घणी साची लिखता घबरावै सै।।

गरीब लाचार खड़या आसमान तरफ लखावै सै।।


896

शोषण हमारा

बदेशी कम्पनी आगी, हमनै चूट-चूट कै खागी

अमीर हुए घणे अमीर, यो मेरा अनुमान सै।।

हमनै पूरे दरवाजे खोल दिये,बदेशियां नै हमले बोल दिये

ये टाटा अम्बानी साथ मैं रलगे, उनकै घी के दीवे बलगे

बिगड़ी म्हारी तसबीर, या संकट मैं ज्यान सै।।

पहली चोट मारी रूजगार कै, हवालै कर दिये सां बाजार कै

गुजरात मैं आग लवाई क्यों, मासूम जनता या जलाई क्यों

गई कड़ै तेरी जमीन, घणा मच्या घमसान सै।।

या म्हारी खेती बरबाद करदी, धरती सीलिंग तै आजाद करदी

किसे नै भी ख्याल ना दवार्इ का, भटठा बिठा दिया पढ़ार्इ का

घाली गुरबत की जंजीर, या महिला परेशान सै।।

या सल्फाश की गोली सत्यानासी, हर दूजे घर मैं ल्यादे उदासी

आठ सौ बीस छोरी छोरा हजार यो, बढ़या हरियाणे मैं अत्याचार यो

लिखै साची सै रणबीर, नहीं झूठा बखान सै।।


897

दिल्ली आल्यो

गिणकै दिये बोल तीन सौ साठ दिल्ली आल्यो।

नहीं सुणते बात हम देखैं बाट दिल्ली आल्यो।।

किसानी सड़कों पै आई उनतैं बोलते कोण्या

मोदी म्हारी कष्ट कमाई कति तोलते कोन्या

कति बोलते कोण्या बनरे लाट दिल्ली आल्यो।।

इसी नीति अपनाई किसान यो बरबाद करया

घर उजाड़ कै म्हारा अपणा यो आबाद करया।

घणा यो फसाद करया तोल्या घाट दिल्ली आल्यो।।

म्हारे बालक सरहद पै अपनी ज्यान खपावैं

थारे घूमैं जहाज्यां मैं म्हारे खेत खान कमावैं

भूख मैं टेम बितावैं थारे सैं ठाठ दिल्ली आल्यो।।

किसान विरोधी बिल ल्याये रणबीर किसानी मार दई

रोक रास्ते म्हारे दिल्ली के थामनै ये कर हद पार दई

पुलिस कर वार गई गया बेरा पाट दिल्ली आल्यो।।


898

विश्व बैंक 

विश्व बैंक हमारा रक्षक हमने रक्षक माना इसको। 

निकला यह पूरा ही भक्षक अनुभव से जाना इसको।   

  गरीबी और बेकारी सबके खत्म होने की आस उठी

मगर पन्दरा साल के भीतर जवान बेटे की लाश उठी

विश्वबैंक के कान हों तो गरीब की व्यथा सुनाना इसको।

शिक्षा जगत में गुणवत्ता का इसने ही प्रचार किया  

जैसी शिक्षा थी अपनी उस पर जमकर प्रहार किया

महंगी शिक्षा गुणवत्ता नहीं इतना तो बताना इसको।

स्वस्थ जगत का रंग बदला बड़े अस्पताल ले आए 

मेरे जैसे गरीब गुरबा तो इनके अंदर नहीं घुस पाए 

अपोलो फोर्टिस की कल्चर ये जरा समझाना इसको।  

   बहुराष्ट्रीय कंपनियों का यह रक्षक असल में पाया 

मुखौटा हमारी मदद का रंग रंगीला इसने लगाया 

रणबीर का पैन खोसने का ना मिला बहाना इसको।


899

अमरीका तेरी चाल देख कै धरती का दिल धडकै रै

दुनिया पूरी नै हांक रहया एक एक के कान पकड़ कै रै 

1

इस धरती का हिया तनै अपने कर्मों तैं यो हिला दिया

अपने सुख की खातर तनै दुनिया तैं जहर पिला दिया

पृथ्वी का संकट बढ़ा दिया बाली के मैं तनै अकड़ कै रै।।

2

तनै आवाम दुनिया का सबक जरूर सिखावैगा रै

बंब और बेड़े कोन्या काम आवैं एक दिन पछतावैगा रै 

तेरा सिर यो झुक जावैगा रै रोवैगा कोठे मैं बड़कै रै ।।

3

जनता जागरूक होंती आवै सच्चाई सारी जान रही या

नाटक खेल कै तेरे ऊपर सही निशाना इब ताण रही या

धरती का बैरी पिछाण रही या दखे सांझ और तड़कै रै ।।

4

पूरी दुनिया हल्ला बोलै धरती नै हम जरूर बचावाँगे

दुनिया के कमेरे मिलकै दुनिया के म्हा अलख जगावांगे

हम ईसा माहौल बनावांगे रणबीर रहवै तेरे तैं लड़कै रै ।।


900

ग्लोबल वार्मिंग

बादल ग्लोबल वार्मिंग के आज भारत मैं मण्डरावैं।।

गंगा नदी लुप्त होज्यागी साइंसदान अंदाज यो लगावैं ।।

विकासशील देशां ऊपर आज खतरा घणा बताया

मार कसूती पड़ण लागरी ना जाता नुकसान सँगवाया

तीस प्रतिशत जीरी कम हो किसानों नै अंदाज लगाया

गेहूँ पै भी असर पड़ैगा यो चार प्रतिशत दिखलाया 

पर्यावरण और बिगड़ता जा सांस मुश्किल तैं ले पावैं।।

गंगा नदी लुप्त होज्यागी साइंसदान अंदाज यो लगावैं ।।

अर्थ व्यवस्था भारत की पै घनघोर संकट छाग्या

सकल उत्पाद कम होग्या माणस घणा दुख पाग्या

बरसात घणी बेढंगी होगी हमनै दोफारा जड़ तैं खाग्या 

राजस्व मैं गिरावट बढ़ी खुदरा व्यापार तंगी मैं आग्या

कई करोड़ टन खेती का घाटा साइंसदान बतावैं।।

गंगा नदी लुप्त होज्यागी साइंसदान अंदाज यो लगावैं ।।

समुंदर स्तर फेर एक मीटर ऊंचा यो होज्यागा

छह लाख हेक्टेयर धरती इसनै तो पानी 

डबोज्यागा

सत्तर लाख लोग उजडेंगे बीज बिघण के बोज्यागा

भूख तैं लोग मरेंगे लाखों यो माणस आपा खोज्यागा

खासकर मुम्बई आले घणा कसूता नुकसान ठावैं।।

गंगा नदी लुप्त होज्यागी साइंसदान अंदाज यो लगावैं ।।

लगाम बढ़ते तापमान पै मिलजुलकै लाणी होगी

बढ़या तापमान क्यों घर घर अलख जगानी होगी

पेड़ लगावां हम छिकमा हटकै रीत चलानी

होगी

अमरीका यूरोप पै भी मिलकै दबाव बनाणी होगी

रणबीर ग्लोबल वार्मिंग तैं मिलजुल दुनिया नै बचावैं।।

गंगा नदी लुप्त होज्यागी साइंसदान अंदाज यो लगावैं ।।

Monday, 16 December 2024

861 से 875

 861

सौ स्मार्ट सिटी बनाने का वायदा करके क्यों भूल गए

पन्दरा लाख खाते में जायेगा पकड़ मामले तूल गए 

स्किल इंडिया हर युवा को काम शर्तिया मिलेगा यहाँ

डिजिटल इंडिया का फूल जरूर ही तो खिलेगा यहाँ

नोट बंदी ने काले धन के कहाँ पर हैं अम्बर लगाये

क्या भ्रष्टाचार थोड़ा सा भी रुका कोई हमको दिखाये

हजारों करोड़ खर्च करके साफ़ हुई ना गंगा माता

वन रैंक वन पेंशन लागू हुई साफ़ नहीं कोई बताता

पी एम आवास योजना में हर बेघर को घर मिलेगा

कोई हिसाब बताओ वरना कमल फूल नहीं खिलेगा

सांसद आदर्श ग्राम योजना आँख लगाये ताक रहे

सांसद तो गाँव में जाकर बिलकुल नहीं झांक रहे

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना मचा खूब लूट रही 

किसान फांसी खा रहे यहाँ इनकी आँखें फूट रही

862

एक महिला की दूसरी महिला से बात चीत .....


घणी दुखी करी  बहना इस छोटे से परिवार नै।।

कड़ तोड़ कै धरदी मेरी बालकां की पुकार नै।।

1

जिस घर मैं थोड़े बालक सुन्या आच्छा घर हो सै

पढ़ना लिखना हो बढ़िया ना करके का डर हो सै 

क्याहें चीज का तोड़ा ना सुरग मैं कहैं नर हो सै

मदद करैं एक दूजे की पर मुश्किल या डगर हो सै

इतना ध्यान करया फेर भी दुखी करी करतार नै।।

2

पांच बालक जामे थे मनै आज तीन इब आगै सैं

नहीं मिलै दवाई बख्त पै जिब दिन उल्टे लागैं सैं

आस पड़ोसी देख यो सब बोल घणे कसूते दागैं सैं

सारे कमा कै ल्यावां सां पर म्हारे भाग ना जागैं सैं

बड्डा कुन्बा साहरा देंता मैं समझाऊं अपने भरतार नै।।

3

मनै चिंता रहवै रोजाना बेबे इनकी पढ़ाई की

सेहत ठीक कोन्या रहती पड़ती मार दवाई की

साफ सुथरा मकान हो चिंता पानी सप्लाई की

घरां काम बाहर छोटी नौकरी औटूं डॉट थारे जमाई की


बालक टी वी नै चूंघैं  मार दिए चैनलों की मार नै।।

4

पड़ौसन का बड्डा परिवार उनकै बात काबू ना आई

छोटे बड़े  का ना रोला विकास मैं या रोल बताई

मेहनत के फल का ठीक बंटवारा ना देता सही दिखाई

माणस का माणस बैरी औरत जावै घणी सताई

अडानी बार्ज खोस कै लेगे सारी म्हारी बहार नै।।

5

जनसंख्या का रोला कोन्या इस कारण ना दुख म्हारे

म्हारे दुखों का कारण दिखैं जिंदगी के ये बंटवारे 

इसी रची समाज व्यवस्था गरीब धरती कै ये मारे

विकास का बेढ़ंगा तरीका इसकी असल ये छिपारे 

बेबे बैठ कै सोचां क्यूकर करां सुखी हम घरबार नै।।

6

ईसा विकास हो देश मैं जिसमें सही बंटवारा हो

प्यार बढै़ आपस मैं ना भाई का भाई हत्यारा हो

बलात्कारी ना टोहे पावैं म्हारा सुखी हर गलियारा हो

जनसंख्या समस्या ना दिखै सबके घर उजियारा हो

फेर परिवार नियोजन की ना जरूरत हो सरकार नै।।

 863

गरीबी अनपढ़ता बेरोजगारी माणस की करतूत बतावैं रै।।

माणस करया माणस का बैरी  अभाव अर  दुख दिए जतावैं रै।।

1

बाजार मैं खागड़ठा सूने छोड़ दिए एक दूजे नै ठाठा पटक रहे

बछिया बाछड़े रंभाते हांडैं इनके खुरों मैं पड़े सिसक रहे

इंसानियत तैं जमा खिसक रहे हैवानियत का साथ निभावैं रै।।

2

 विज्ञान पै कब्जा जमाकै मुनाफे खातर इस्तेमाल बेईमान करैं

मानव सुख पढ़ण बिठाया खर्च हथियारों पर बेउनमान करैं

मानवता का नुकसान करैं विज्ञान नै विनाश राही चलावैं  रै।।

3

मानवता के हित मैं जिस दिन ज्ञान विज्ञान खड़या दिखैगा

उस दिन दुनिया का सबनै कायाकल्प चौडै़

पड़या दिखैगा

समाज नहीं सड़या दिखैगा मिलकै प्यार की पींघ बधावैं  रै।।

4


माणस माणस के बीच की असमानता फेर दूर जरूर होवैगी 

राष्ट्र राष्ट्र के बीच की फेर रणबीर कहवै दूर ग़रूरी होवैगी 

फेर आबाद आडै़ अंगूरी होवैगी ईमानदार दुनिया मैं छावैं रै।।

864

ज्ञान विज्ञान आंदोलन नै आंख खोल दी म्हारी

समतावादी संसार बनावां या इच्छा बढ़ती जारी।।

भेद लोग लुगाई के 

जात पात की खाई के

सरतो धापां ताई के

विकास की राही के,समझेंगे सब नर नारी।।

समतावादी संसार बनावां या इच्छा बढ़ती जारी।।

2

अमरीका दादा हो गया

बीज बिघन के बो गया

सुख हमारा खो गया

आम आदमी सौ गया, इब नींद खुलती आरी।।

समतावादी संसार बनावां या इच्छा बढ़ती जारी।।

3

कोरोना बात समझाई

गरीब की नहीं सुनाई

संसार मैं खोल बताई

समता नहीं टोही पाई,  टूटी जनता की खुमारी।।

समतावादी संसार बनावां या इच्छा बढ़ती जारी।।

4

मंजिल नहीं कहते दूर

हमारी ताकत भरपूर

अमरीका का गरूर 

तोड़ैगी दुनिया जरूर,रणबीर की कलम पुकारी।।

समतावादी संसार बनावां या इच्छा बढ़ती जारी।।

865

आज का जमाना 

देख कै उल्टी रीत जगत की दिल मेरा हुआ उदास।।

भगवन तेरी इस लीला का मनै भेद पट्या ना खास ।।

1

चोर जार ठग मौज उड़ाते शरीफ रहें दुःख भरते 

झूठे राज पाठ  के मालिक सचे फिरैं गुलामी करते 

देखे हिरन जंगलों मैं चरते गधे करैं गाम मैं वास ।।

भगवन तेरी इस लीला का मनै भेद पट्या ना खास ।।

2

झूठे बरी जेल खानों मैं मनै सच्चे ठुकते देखे 

शर्म आले बेशर्म के आगै सर झुका लुह्क्ते देखे 

सच्चे मानस झुकते देखे दादा बनगे बदमास ।।

भगवन तेरी इस लीला का मनै भेद पट्या ना खास ।।

3

झुठयाँ कै पल्लै धरती दौलत भले करैं पराई आशा 

म्हारे भारत देश मैं देखो दुनिया का अजब तमाशा 

गरीब नै भोजन का सांसा अमीरों के सब रंग रास ।।

भगवन तेरी इस लीला का मनै भेद पट्या ना खास ।।

4

ये मजदूर ऊपर हुकम चलावें आज अफसर भूंडे 

घने दलाल पैदा होगे कई नेताअपने बरगे ढूंढें  

रणबीर सिंह बरग्याँ  नै ये गुंडे नहीं लेवन दें सांस ।।

भगवन तेरी इस लीला का मनै भेद पट्या ना खास ।।

866

किसान कहवै खोल बतादयो यो थारा के ठा राख्या रै।।*

*खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।।*

1

किसान मरया खेत में तो कैसे देश महान बचैगा

किसान बरबाद हुया तो जरूरी यो घमशान मचैगा

*दर दर का भिखारी क्यों यो अन्नदाता बणा राख्या रै।।*

*खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।।*

2

काले धन के नाम पर म्हारा धौला काबू कर लिया

पुराने जमा कराकै तनै बैंकां का भोभा भर दिया

*म्हारी खेती चौपट होगी काढ़न पै रोक लगा राख्या रै।।*

*खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।।*

3

ब्याह शादी की मुश्किल होरी दाल सब्जी का टोटा होग्या

थारा नोटबंदी का फैसला यो जी का फांसा मोटा होग्या

*देश भक्ति का नाम लेकै यो देश जमा भका राख्या रै।।*

*खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।।*

4

इसे ढाल बात करै सै बण गरीबों का हिमाती रै

इब बेरा लाग्या हमनै घणा कसूता सै उत्पाती रै

*रणबीर सिंह इब क्यों बढ़ा कैशलेश का भा राख्या रै।।*

खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।।

867

किसी आजादी 

देश मैं किसी आजादी आई, गरीबों कै और गरीबी छाई

अमीरों नै सै लूट मचाई , म्हारी पेश कोए ना चलती।।

भगत सिंह नै दी कुर्बानी, जनता नै खपाई जवानी

हैरानी हुई थी गोरयां नै, कमर कसी छोरी छोरयां नै 

देश बाँट दिया सोहरयां नै,ज्यां म्हारी काया जलती ।।

ये गोर गए तो आगे काले, हमनै नहीं ये कदे सम्भाले

चाले कर दिए बेईमानों नै, भूल गए हम इंसानों नै

इन म्हारे देशी हुक्मरानों नै, करदी मूल भूत गलती।।

बोवनिया की धरती होगी,सब जातयाँ की भर्ती होगी

सरती होगी नहीं बिरान, खुश होवैंगे मजदूर किसान

भगत सिंह करया ऐलान, अंग्रेजों की ये बात खलती।।

मुनाफाखोर देश पै छाये,पीस्से पै सब लोग नचाये

लगाये भाव बाजार मैं, नहीं कसर सै भ्रष्टाचार मैं

इन वायदों की भरमार मैं, आस म्हारी रही छलती।।

ये मकान सैं परिवार नहीं, मानस तो सै घरबार नहीं

सरकार नहीं सुनती म्हारी, जाल कसूता बुनती जारी

गरीबों कै आज ठोकर मारी, रणबीर कै आग बलती।।

2008 

868

आज का चुनौती पूर्ण दौर 

हम तो लड़ते लड़ते जीतां जंग म्हारी जहान मैं।

ना लड़ें जात पात पै किसान एक मंच पै आवैगा

ना दूर राखै मजदूर नै साथ अपने यो ल्यावैगा

संघर्ष नै आगै ले ज्यावैगा यो पूरे हिन्दुस्तान मैं।।

ऐसा समाज बनावांगे अन्नदाता ना मरै टोट्टे मैं 

म्हणत का हक मिलै ना फर्क रहै बड्डे छोटे मैं 

नून घालां लौटे मैं एकता मजदूर किसान मैं ।।

बेरोजगारी के खिलाफ मिलकै नै जंग करांगे 

महंगाई नै कहर ढाया इसकै खिलाफ भिडांगे

मिलकै जेल सारी भरांगे इंक़लाब के सम्मान मैं ।।

म्हारा भारत दोराहे पै ल्याकै क्यों खड़ा कर दिया 

अण्डाणी अंबाणी धोरै देश गिरवी क्यों धर दिया

जहर धर्म मैं भर दिया रणबीर साच छिपाण मैं ।।

 869

माणस का धरम

धरम के सै माणस का मनै कोण बताइयो नै।

माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।

माणस तै मत प्यार करो कौणसा धर्म सिखावै

सरेआम बलात्कार करो कौणसा धर्म सिखावै

तम दारू का ब्यौपार करो कौणसा धरम सिखावै

रोजाना नर संहार करो कौणसा  धर्म सिखावै

धरम क्यों खून के प्यासे मनै कोण समझादयो नै।।

माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।

र्इसा राम और अल्लाह जिब एक बताये सारे रै

इनके चाहवण आले बन्दे क्यूं खार कसूती खारे रै

क्यों एक दूजे नै मारण नै एके जी हाथां ठारे रै

अमीर देस हथियार बेच कै खूबै मौज उड़ारे रै

बैर करो मारो काटो लिखै वो ग्रंथ भुलादयो।।

माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।

मानवता का तत कहैं सब धरमां की जड़ मैं सै

प्रेम कुदरत का सारा सब धरमां की लड़ मैं सै

कदे कदीमी प्रेम का रिस्ता माणस की पकड़ मैं सै

कटटरवाद नै घेर लिया यो धरम जकड़ मैं सै

लोगां तै अरदास मेरी क्यूकरै इनै छटवादयो नै।।

माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।

यो जहर तत्ववाद का सब धरमां मैं फैला दिया

कटटरवाद घोल प्याली मैं सब तांहि पिला दिया

स्कीम बणा दंगे करे इन्सान खड़या जला दिया

बड़ मानवता का आज सब धर्मां नै हिला दिया

रणबीर रोवै खड़या इनै चुप करवादयो नै।।

माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।

 870

जागी महिला हरियाणे की

करकै कमाल दिखाया सै, यो घूंघट तार बगाया सै,

खेतां मैं खूब कमाया सै, जागी महिला हरियाणे की।।

1. देश की आजादी खातर अपणी ज्यान खपाई बेबे

  गामड़ी सांघी खिडवाली मैं न्यारी रीत चलाई बेबे

  लिबासपुर रोहणात मैं बहादरी थी दिखलाई बेबे

  अंग्रेजां तै जीन्द की रानी गजब करी लड़ाई बेबे

  अंग्रेजां का भूत बनाया, यो सब कुछ दापै लाया,

  देश आजाद कराणा चाहया जागी महिला हरियाणे की।।

2. देश आजाद होये पाछै हरित क्रांति ल्याई बेबे

  खेत क्यार कमावण तै कदे नहीं घबराई बेबे

  डांगर ढोर संभाले हमनै दिन रात कमाई बेबे 

  घर परिवार आगै बढ़ाये स्कूलां करी पढ़ाई बेबे

  हरियाणा आगै बढ़ाया सै ,सात आसमान चढ़ाया सै,

  गुण्डयां का जुलूस कढ़ाया सै, जागी महिला हरियाणे की।।

3. हमनै गाम बराहणे मैं दारू बन्दी पै गोली खाई सै

  खेलां के मैदानां मैं जगमति सांगवान खूबै छाई सै

  सुशीला राठी बड्डी डॉक्टर हरियाणे की श्यान बढ़ाई सै

  नकल रोकती बाहण सुशीला जमा नहीं घबराई सै

  चावला नै नाम कमाया सै, महिला का मान बढ़ाया सै

  यो रस्ता सही दिखाया सै, जागी महिला हरियाणे की।।

4. संतोष यादव बाहण म्हारी करकै कमाल दिखाया हे

  सुमन मंजरी डीएसपी पुलिस मैं नाम कमाया हे

  सांगवान मैडम नै बिमल जैन तै सबक सिखाया हे

  नवराज जयवन्ती श्योकन्द जीवन सफल बनाया हे

  ज्योति अरोड़ा सरोज सिवाच प्रशासन खूब चलाया हे

  ये आगै बढ़ती जारी बेबे, करकै कमाल दिखारी बेबे

  रणबीर मान बढ़ारी बेबे, जागी महिला हरियाणे की।।

 871

जुल्मो-सितम नहीं सहेंगी महिला अब हरयाने की।।

आगे बढ़कर बात करेंगी महिला अब हरयाणा की।। 

खेतों में खलिहानों में दिन-रात कमाई करती हैं, 

फिर भी दोयम दर्जा हम बिना दवाई मरती हैं, 

बैठी-बैठी नहीं सहेंगी महिला अब हरयाणे की।।

देवी का दर्जा देकर इस देवी को किसने लूटा, 

सदियों से हम गयी दबाई समता का दावा झूठा, 

दहेज की बलि नहीं चढ़ेंगी महिला अब हरयाणे की।।

 इंसान बन गए हैवान आज होते हैं अत्याचार, 

यहां देखो नैया डूब रही अब हम थामेंगी पतवार, 

यहां अबला बनकर नहीं मरेंगी महिला अब हरयाणे की।।

आगे बढ़े ये कदम हमारे पीछे ना हटने पाएंगे, 

जो मन धार लिया हमने अब करके वही दिखायेंगे, 

रणबीर सारी बात लहेंगी महिला अब हरयाणे की।।

---

 872

आज का दौर *** एक कविता के माध्यम से **

दुनिया की क्या हालत हो गई बाजार चारों ओर छाया।।

भैंस बंधी है घर घर में पर दूध ढोलों के अंदर पाया।।

1

दूध बेच भैंसों का लोग गांव के करते हैं आज  गुजारे

लुप्त हो गए घरों से आज घी के जो हुआ करते बारे 

थोड़ा साँस आया करता आज घूटन मानते हैं सारे 

महिलाओं के अनीमिया ने फिर से  जोर के डंक मारे 

बाजरे की खिचड़ी गौजी का आज जोड़ा तोड़ बगाया।।

2

पहले भाई चारा था छोरे बहू लेने आया करते

जिब रोटी जिम्मन बैठते खांड बूरा खाया करते

पड़ौसी दूध के बखौरे बटेऊ वास्ते ल्याया करते

दूजे का बटेऊ पड़ौसी आंखों पे बिठाया करते

बैठे रहते फूंक बुढ़िया सी अब अपना ही बटेऊ ना भाया।।

3

आबो हवा मैं जहर घुला कीटनाशक छागये हैं

युवा के नर्वस सिस्टम पे दोष गुस्से का लागये हैं 

पेट को पकड़े घूम रहे डॉक्टर भी हाथ ठागये हैं

हमारी कष्ट कमाई को ये अमीर क्यों खागये हैं

टैस्ट क्यों नहीं होते मैडीकल मैं नहीं किसी ने कष्ट उठाया।।


4

किलो दूध मिले पचास का उसमें आधा पानी पावे

महंगाई के क्या कहने कोई क्या खाएं क्या नहीं   खावे

कुपोषण बालकों में आज दिन दिन क्यों बढ़ता जावे

बाजार व्यवस्था दोषी है पर दोष क्यों कोई नहीं 

लावे

राम की इच्छा कैहकर रणबीर हमारा क्यों मोर नचाया।।

873

एक महिला के विचार

थारी याद सतावै सै , दुख बढ़ता आवै सै

कानों पर कै जावै सै, मेरी कोए ना सुनता।।

1

एक औड़  तो सती का जश्न खूब मनाया जावै सै

औरत को दूजे कांही बाजार बीच नचाया जावै  सै

जड़ै होज्या सुनवाई, इंसानियत जड़ै बताई

समाजवाद की राही, मेरी कोए ना सुनता।।

2

मुनाफा खोरी की संस्कृति जिस समाज मैं आ ज्यावै

मानवता उड़ै बचै कोन्या या जड़ मूल तैं खा ज्यावै

पूंजी का खेल बताया, नहीं समझ मैं आया

क्यों आपस मैं भिड़वाया, मेरी कोए ना सुनता।।

3

और मुनाफा चाहिए सै चाहे लाश गेरनी हो ज्यावै 

शाइनिंग दुनिया आला एयरकंडीशंड मैं सो ज्यावै

गरीब क्यों आज मरै , मेहनत भी खूब करै

क्यों उसपै इलजाम धरै,मेरी कोए ना सुनता।।

आपा धापी मचा दई भाई का भाई गल काट रहया

नएपन के नाम पै नंगापन चाला कसूता पाट रहया

जात पात की राही या, ऊंच नीच की खाई या 

क्यों मचाई तबाही या, मेरी कोए ना सुनता।।

 874

सीनियरिटी पढ़ण बिठाई, मैरिट ना फेर भाजी थयाई , सिफारिश  नै बिठाया जमाई, प्रोफेसर की कुर्सी पै।। 

डाक्टर खत्री काट्या सूबेदार सिंह काट दिया 

श्याम सिंगला तीजे नंबर बिना बात के छांट  दिया 

प्रदीप गर्ग ने तगड़ी लाई, हिला दिया एक बै जमाई, हमारी कोर्ट ने थोड़ी रोक लगाई, प्रोफेसर की कुर्सी पै।।

इस उठा पटक नै सारा सिस्टम उघाड़ा कर दिया रै  

कायदे कानून तोड़ बगाए , किसा पवाड़ा कर दिया रै 

रोज तारीख पडंण लागरी फैकल्टी सारी लड़ण लागरी इल्जाम झूठे घड़ण लागरी प्रोफेसर की कुर्सी पै।। 

आज हवा में शक की बदबू सारे के फैल रही 

टांग खिंचाई बिना बात हो डायरेक्टर की गैल रही 

मौका परस्ती इब या घणी छागी,कुनबा परस्ती सबनै खागी मैरिट हमेशा पीटती जागी प्रोफेसर की कुर्सी पै ।।

सर्जरी महकमे का भट्ठा बैठण मैं कोए कसर नहीं 

इंसानियत रगड़ के चाट गए इब बी उनकै  सबर नहीं 

रणवीर की या कविताई , सदा साच्ची लिखती आई, चालकै पहुंचै सही राही , प्रोफेसर की कुर्सी पै।।

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चारों ओर अंधेरा दीख़ै  माणस हुया तंग़ फिरै

अपने पै भरोसा नहीं रहया इब स्वामी सारे कै छाये 

कष्ट निवारण खतरा जनता स्वामियां के संग फिरै।।

 यो शरीर दुनिया में पदार्थ का विकसित रूप कहैं 

जो प्रत्यक्ष बोध गेल्यां ज्ञान अर्जन का ढंग करै।। 

शरीर से बाहर आत्मा कदे रहै सकती कोण्या भाई 

शरीर मैं हो चेतना पैदा या चेतना नई उमंग 

भरै ।।

दारू बणै जिन चीजां तैं हैं उनमैं नशे का गुण कडै़ सै 

शरीर मैं चेतना पनपै न्योंये न्यारे न्यारे रंग थरै।। 

श्राद्ध पै दिया चढ़ावा कहवैं जावै सै इंद्र लोक मैं 

अपने प्यारया ताहिं ना कदे श्राद्ध पंडित मलंग करै।।

 पदार्थ तैं बण्या सब कुछ पदार्थ बिना कुछ साकार नहीं 

माणस जीवन के संघर्ष मैं कुदरत की गेल्यां जंग करै।।

Sunday, 15 December 2024

किस्सा 1857

 किस्सा 1857

1857 का स्वतन्त्रता संग्राम भारत के इतिहास की महत्वपूर्ण घटना ही नहीं थी यह साम्राज्यवाद के विरू़़द्ध उस दौर की विश्व की सबसे बड़ी जंग थी भले ही इसमें षामिल लोग इसे इस रुप में नहीं समझते थे। इसी कारण माक्र्स ने अपने समकालीन लेखकोें मंे इस जंग की ‘फांस की क्रान्ति’ 1789 के युद्ध से तुलना की है और इसे फौजी बगावत न मानकर राष्ट्रीय विद्रोह की संज्ञा दी है। 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का घटना क्षेत्र और फलक अत्यन्त व्यापक था । आज भी इतिहास का वह दौर पूरी तरह से सामने नहीं आ सका है।  भारत वर्ष मंे बहुत से लोग आये। हुन, शक, कुशान, अरबी, तुर्क सभी आये मगर वह यहां की कल्चर में घुल-मिल गये। अंग्रेजों का भारत आगमन व्यावारियों के रुप में हुआ। समंदर के जरिए खामोषी से कारोबार षुरु किया गया। आहिस्ता आहिस्ता ईस्ट इन्डिया कम्पनी जिसने अपनी प्रतिरक्षा में सैनिकों की कमान तैयार की थी, एक सैन्य और मजबूत कारोबारी ताकत के रुप में उभर कर सामने आई। अंग्रेज जब भारत आये तो वह अपनी कल्चर भी साथ ले कर आये और भारत के जनजीवन को गहरे तक प्रभावित किया। क्या बताया भलाः

रागनी 1

बिदेशी बहोत आये भारत मैं वे देशी होगे आड़ै आकै।।

फिरंगी तो खुद रहया फिरंगी रंग म्हारा बदल्या हांगा लाकै।।

हून शक कुशान आये तो पहण लिया भारत का बाण़ा

अरबी तुर्क आये भारत मैं धारया म्हारा पीणा खाणा

कई-कई कल्चर मिली आपस मैं मिला लिया नया पुराणा

कई देशों का भारत यो म्हारा सबतै न्यारा इसका ताणा

फिरंगी नै राज जमाया या जात पात की खाई बढ़ाकै।।

अपणी कल्चर लयाया देश में म्हारा भेस अपनाया ना 

म्हारे अंध विश्वास पै खेल्या पीछे मुड़कै लखाया ना

मैकाले ल्याया किसी शिक्षा यो खेल समझ में आया ना

रेल बिछाई पूरे देश मैं भारतवासी फुल्या समाया ना

कच्चा माल लेग्या लंदन मैं बेच्या पक्का भारत ल्याकै।।

सस्ते मैं लिया म्हारा कच्चा महंगे भाव दिया पक्का माल

दोनूं कान्यहां फिरगी नै भारत देश की तारी खाल 

देख बायो डाय वर सिटी म्हारी अंग्रेजां ने गेरी राल

लूटे हम गेर फिरंगी नै श्याम दाम दण्ड भेद का जाल 

बिठाये हम भगवान भरोसे ना देख्या हिसाब लगाकै।।


वार्ता------

भारत उन दिनों सामन्तों, राजा, नवाबों, जमीदारांे व तालुक दारों की रियासतों व जागीरों, जायदादों में बंटा हुआ था। इनके निहित स्वार्थों के चलते आपस में टकराव और विरोध था। रैयत भी विभिन्न धर्मों, संप्रदायों, जातियों एवं गोत्रों में विभाजित थी। और इन तबकों के खाते-पीते पंडे-पुरोहित, चैधरी, सरदार, मुल्ला मौलवी और सामाजिक व साम्रदायिक इकाइयों के नेताओं में भी निहित स्वार्थों के कारण अपने-अपने समुदाय वाली गोल बन्दी बनाई हुई थी,हालांकि 18 वीं सदी और पहले के भी भक्ति आन्दोलन, सन्त सूफी परम्परा ने पुराण पंथी नजरिये की सामाजिक सास्कृतिक दिवारों को कुछ कमजोर तो किया था। इस माहौल का अंग्रेजों ने बहुत फायदा उठाया। एक समय था जब भारत में तीन सिपाहियों पर एक बरतानवी की नियुक्ति की गई थी। अलग अलग रैजमैंट तैयार की थी। क्या बताया भलाः

रागनी-2

फूट गेरो राज करो का गुर अंग्रेजों ने अपनाया था।।

म्हारे लाडले भरती करकै उनको खूब दुलराया था।।

भारत की छाती पै मूंग दलंै इसकी पूरी तैयारी करली

मार-काट मची राज्यां मैं सबकी गद्यी पै नजर धरली 

अंध विश्वास बढ़ा म्हारे मैं सोच्चण की ताकत हरली

जात-पात पै बंटे हुए थे हमनै नाष की कोली भरली 

देशी गाभरू बनाकै फौजी अपने साथ मिलाया था। 

भरती हो कै म्हारा बेटा बणग्या ताबेदार सिपाही फेर 

मात पिता तैं मुंह मोड़ण मैं उसनै कति नहीं लाई देर 

अंग्रेजां का गुणगाण करै दिन रात और श्याम सबेर

पाइया मुश्किल तै था बढ़ाकै होग्या कति सवा सेर

टूटे लीतर पाट्टे लत्ते अंग्रेजों ने वर्दी तै सजाया था।।

ये यू पी हरियाणा के छोरे फिरंगी के हुक्म बजावैं रै

अड़ौसी-पड़ौसी चाचा ताउ दरबारां  मैं शीश झुकावैं रै

माल उगाही होज्या उसकी जो हम खेता मैं कमावैं रै

सिर भी म्हारा जूती म्हारी म्हारे अपणे डण्डे बरसावैं रै

सिपाही बेटा उनका होग्या बेराना के घोल पिलाया था।।

बढ़िया खाणा पीणा फौज मैं झोटे बरगे पुट्ठे होगे रै

दो दिन बिताये फौज मैं म्हारे बिराणे खूट्टे होगे रै

उनकी तै लागै स्वाद मिठाई म्हारे खारे बुट्टे होगे रै

अंग्रेजां के उनके दम पै म्हारी घिट्टी पै गूंठे होगे रै

कहै रणबीर बरोने आला न्यों अंग्रेज घणा बौराया था।


वार्ता-------

भारत वर्ष मंें अंग्रेजांे ने एक ईस्ट इंडिया कम्पनी के रूप में व्यापारी बनकर कदम रखे थे। इस प्रकार  आहिस्ता-आहिस्ता पूरे भारत पर अंग्रेजों ने कब्जा जमा लिया। दौ सौ साल तक भारत वर्ष पर राज किया। यह दौ सौ साल का इतिहास मानवता के इतिहास पर कालिख लगाने वाला, असमानतापूर्ण लूटों को बचाये रखने वाला था।भारत में अंग्रेजों को स्थापित करने में ईस्ट इन्डिया कम्पनी की बहुत अहम भूमिका रही। एक समय के बाद ईस्ट इण्डिया कम्पनी को हटाकर होम गर्वन मैंट की स्थापना कर ली गई थी। ईस्ट इंडिया कम्पनी के बारे में क्या बताया भलाः

रागनी-3

ईस्ट इंडिया कम्पनी आई, व्यापारी बणकै छाई 

अंग्रेजी अपणे संग मैं ल्याई, दाब्या म्हारा प्यारा हिंदुस्तान।।,

भारत देश के मल-मल ये घणे मशहूर हुया करते

मिरच मसाले भारत के दुनिया भर मैं लिया करते

कारीगरां के गूंठे कटवाये, ढाका जिसे शहर उजड़वाये

मानचैस्टर उभार कै ल्याये, दाब्या म्हारा प्यारा हिंदुस्तान।।

सहज-सहज ये राजे रजवाड़े कम्पनी की दाब मानगे

अंग्रेज काइयां बहोत घणे म्हारे सारे राज जानगे 

कम्पनी ने चक्कर चलाया रै, व्यापार गेल्यां राज जमाया रै

चारो कान्ही लगांेट घूमाया रै, दाब्या म्हारा प्यारा  हिंदुस्तान।।

पढ़े लिखे हुश्यार घणे थे म्हारे उपर राज जमाया फेर 

कर कै राज रजवाड़े काबू कम्पनियों नै डंका घुमाया फेर

प्रचार करया सभ्य समाज का, ना बेरा लग्या इनके अन्दाज का  

चिड़िया उपर झपटा बाज का, दाब्या म्हारा प्यारा हिंदुस्तान।।,

एक ईस्ट इंडिया कम्पनी पूरे भारत उपर छागी देखो

म्हारी कमजोरी का ठाकै फायदा अपना राज जमागी देखो

मन मानी लूट मचाई फेर, सोने की चिड़िया चिल्लाई फेर 

या बंगाल आर्मी बनाई फेर, दाब्या म्हारा प्यारा हिंदुस्तान।।


वार्ता-------

अंग्रेजों ने धीरे-धीरे पूरी देशी फौज तैयार करली। जिसे बंगाल आर्मी के नाम से जाना गया। देसी लोगों की सेना से जिसे अंग्रेजों के ड्रिलसार्जेंट ने संगठित तथा प्रशिक्षित किया वह जहां अंग्रेजों के काम आई वहीं वह हिंदुस्तानी आत्मोत्थान की आवश्यक शर्त भी थी। देसी सेना अंग्रेजों की वफादार फौज मानी गई उस आर्मी में हिंदु व मुसलमान दोनों थे। कई साल तक इस आर्मी ने कई लड़ाइयां लड़ी जिसके चलते दोनों सम्प्रदाय के फौजियों में एकता और मजबूत हुई। एक समय के बाद सन् 1856 के आते आते देषी और बरतानवी फौजी के बीच का अनुपात घट कर दह भारतीय सिपाहियों पर एक ब्रिटिष का रह गया। इस बिगड़े हुए सैनिक अनुपात को भी कालान्तर में आने वाले समय की बगावत के मुख्य कारणों में से माना गया।ै क्या बताया भला:

रागनी-4

बंगाल आर्मी अंग्रेजां की उसका पूरा इतिहास सुणो।।

फिरंगी राज की नींव बताई इसपै था पूरा विश्वास सुणो।।

सवा लाख सिपाही इसमैं यू पी बिहार और हरियाणे के 

खड़ग हस्त बने ब्रिटिस के सिपाही पूरे इस समाणे के 

हिंदु मुस्लिम टिवाणे के बढ़िया सबका इकलास सुणो।।

ठारा सौ बत्तीस मैं आर्मी नै ग्वालियर मैं लड़ी लड़ाई 

ठारा सौ चवालिस मैं सिंघ पै विजय पताका जा फैहराई

पंजाब की फेर बारी आई हुई आर्मी बदहवास सुणो।।

ठारा सौ बावण मैं बर्मा की लड़ाई दूसरी लड़ी फेर

दक्षिण बर्मा जीत दिखाया दुश्मन कर दिए हजारों ढेेर

डटे ंफ्रट पै लखमी शमशेर नहीं हुये ये निराश सुणो।।

अफीम यु़द्ध चीन देश का इसके सिर पै आण पड़या

ठारा सौ चालीस ब्यालिस मैं आर्मी सिपाही खूब लड़या

ठारा सौ छप्पण मैं फेर भिड़या बिछी हजारां लाश सुणो।।

लगातार लड़ाइयां मैं रही जो वा बंगाल आर्मी बताई 

सिर धड़की या बाजी लाकै हमेशा लड़ती रही लड़ाई

रणबीर की कविताई नै जाणै गाम बरोणा खास सुणो।।


वार्ता------

बंगाल सेना में अधिकांष सेनिक चाहे वे हिन्दू हों या मुस्लिम अवध में पंजीकृत थे। वही विषालप्रान्त जो उतर प्रदेष कहलाता है और जिसकी राजधानी लखनउ थी । वे लोग आमतौर पर अंग्रेज सैनिक से उंचे थे, कुछ ही थे जिनकी उंचाई पांच फुट आठ इंच से कम रही हो। तीन में से चार सैनिक हिन्दू और इनमें से अधिकांष उच्च वर्गीय ब्राहम्ण या राजपूत थे। किसी कवि की तरह सैनिक का कार्य भी हिन्दूओं द्वारा श्रेश्ठ तथा सम्मनित माना जाता था। अंग्रेजों ने भारत वासियों पर बहुत जुलम ढाये। पहले जमीन पर किसान का पूरा हक था मगर उन्हें जमीन से अलग कर दिया गया। जमीनों पर लगान वसूली बढ़ा दी गई। इतना लगान बढ़ा दिया जो भुगतान सामथ्र्य से बाहर था। औजार गिरवी रखने पर मजबूर किया जाने लगा। खेती करना असम्भव बना दिया। हल नहीं चला जमीन पर, फसल नहीं पर कर देने पर मजबूर किया गया। मंागी जा रही रकम नहीं दी तो यातनाएं दी गई। दिन की तपती दोपहर में पांव से बांधकर उल्टे लटकाया गया। लकड़ी की पैनी छिप्पटें नाखूनों में घुसाई गई। बाप और बेटों को एक साथ बांधकर कोड़े बरसाये गये। औरतों को कोड़े मारे जाते थे। आँखो में लाल मिर्च का चूरा बुरक दिया जाता था। गुनाहो का प्याला लबरेज हो गया। औरतों के स्तनों पर बिछू बांध दिये जाते थे। यह सब जुलमों की खबरे बंगाल आर्मी के फौजियों के पास भी पहंुची। क्या बताया गयाः

रागनी-5

बल्यू आइड आर्मी कहैं बगावत उपर आगी फेर।।

दम-दम मैं जो उठी चिन्गारी फैलण मैं ना लागी देर।।

ठारा सौ सतावण साल था जनवरी का म्हिना बताया रै

विद्रोह की जब लाली फूटी फिरंगी घणा ए घबराया रै

मंगल पाण्डे आगे आया रै नींद अंग्रेजां की भागी फेर।।

इसकी लपट मई के मैं मेरठ छावनी मैं पहोंच गई

मेरठ छावनी तै कूच करया दिल्ली आकै दबोच लई 

फिरंगी की सोच बदल दई छाती मैं गोली दागी फेर।।

हिंदु मुस्लिम सिपाही सारे थे कठ्ठे लड़े सतावण मैं

पहले भी एकता थी उनकी मिलकै भिडे़ सतावण मैं

डटकै अड़े सतावण मैं या देश भावना जागी फेर।।

किसान और जमींदार दोनों फिरंगी खिलाफ खड़े होगे

दुनिया के साहसी खड़े इसपै ये सवाल बड़े होगे

फिरंगी और कड़े होगे मदद लंदन तै मांगी फेर।।


वार्ता------- 

इस प्रकार इस विद्रोह के ज्यादा व्यापकता वाले कारण थे। देश प्रेम की भावना और अंग्रेजों के जुल्मों के खिलाफ गुस्सा था। अंग्रेजों के प्रति सहानुभ्ूाति खत्म होती जा रही थी। ऐसी राष्ट्रीय भावना गौ और सुअर की चर्बी लगे कारतूसों के इस्तेमाल से पैदा नहीं की जा सकती थी। ध्यान देने योग्य बात यह हैं कि अंग्रेजों के विरूद्ध जंग में हमारे फौजियों ने इन्ही कारतूसों का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया था। मेरठ से देसी फौज दिल्ली के लिए चल पड़ी। क्या बताया भलाः

रागनी-6

बंगाल आर्मी फौज के सिपाही डटगे रणभूमि मैं आकै।।

हिंदु मुस्लिम साथ लडंे फिरंगी पड़या तिवाला खाकै।।

हर जवान फौजी के दिल मंे उमंग भरी घणी भारी रै

सारै फौजी पाछै-पाछै चाले आगै  पांडे क्रान्तिकारी रै

न्यों सोचैं थे फौजी तिरंगा लहरा दयां दिल्ली जाकै।।

तिल-तिल करकै आगे बढ़ते देश आजाद कराया चाहवैं

धर कांधे बन्दूक फौजी सभी कदम तै कदम मिलावैं

  थी नई-नई तकरीब भिड़ाई सारै भाज्या फिरंगी घबराकै।।

महिला कति पाछै रही कोन्या हर जगां वो साथ लड़ी

अंग्रेजां नै होई धरती भीड़ी ये देखी औरत साथ खड़ी

पहली आजादी की जंग फिंरगी छोड़या कति रंभा कै।।,

बंगाल आर्मी फोजी सेना नया इतिहास रचाया था 

तन-मन-धन सब लाकै देश आजाद कराना चाहया था

रणबीर सिंह करै कविताई  रै कलम अपनी या ठाकै।।

वार्ता---------

मेरठ के बागियों ने 11 मई 1857 को दिल्ली पर कब्जा कर लेने के बाद मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को शंहशाह ए हिंदुस्तान बना दिया गया। इसके साथ ही बागी सैनिकों की निगाहें दिल्ली के आसपास के इलाके पर पड़ी। दिल्ली के तीन तरफ हरियाणा का क्षेत्र का है और 1803 कम्पनी राज ने दिल्ली समेत  इसे महाराजा सिंधिया से छीनकर बंगाल प्रै्र्रसीडेंसी के उत्तर पश्चिमी प्रान्त का दिल्ली डिविजन बना दिया था। इसमें गुड़गांव रोहतक, हिसार, पानीपत और अंबाला के जिले शामिल थे। 11 मई को गुड़गावां पर कब्जा कर लिए जाने से शुरू हुई। एक मेव किसान सदरूद्दीन ने बागी सेना और किसानों व कारीगरों को नेतृत्व प्रदान किया। क्या बताया भलाः

रागनी-7

बढ़ां आगाड़ी भाई लड़ण का मौका है फिलहाल

वीर महिला भारत मां के लाल।।

दुश्मन का सामना करना है, फिरंगी के जुल्म तै के डरना है

एक रोज जरूरी मरना है, इसे आज मरे इसे काल

वीर महिला भारत मां के लाल।।

नींव आजादी की हम धरज्यावां, हम नाम भारत का कर ज्यावां

देश की खातर कट कै मरज्यावां, म्हारा सबका योहे ख्याल

वीर महिला भारत मां के लाल।।

कदम बढ़ावा फर्ज बुलावै सै, वीर मरद मिल बतलावै सै

देश गुलाम रखना चाहवै सै, यू अंग्रेज फिरंगी चाण्डाल

वीर महिला भारत मां के लाल।।

सदरूद्दीन नै लाया नारा, यो हिंदुस्तान सै सबनै प्यारा 

बीर मरद रणबीर देश सारा, आजादी की उठैं झाल

वीर महिला भारत मां के लाल।।

दिल्ली पर 13 सितम्बर के बाद अंग्रेजीं सेना का कब्जा हो जाने पर भी मेवात के शूरवीर दिल्ली के हालात से बेखबर आजादी का परचम उठाये दो महीने तक अंग्रेजीं सेना के मशहूर जनरल शावर का मुकाबला करते रहे। राय सीमा के यु़द्ध में अंगेेज क्लेक्टर कोर्ड को 13 अक्टूबर को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। इस सब के बावजूद देश आजाद कराने का जुनून था उनमें।

रागनी-8

फौजीं हैं देश दिवाने अब आजाद करा कर मानैंगे।।

हम आजादी पाने आये आजादी पाकर मानैंगे।।

गुलामी की जंजीरे टूटेगीं उस वक्त तसल्ली पायेंगे

पीछे हटने वाले नहीं लड़ते-लड़ते ही मर जायेंगे

हम भी किसी से कम नहीं तूफान उठाकर मानैंगे।।

फिरंगी ने जुलम ढाये कारीगरों के हाथ कटवायें 

सोने की चिड़िया को फिरंगी कंगाल बनाना चाहे

एक बार कदम बढ़े हमारे तो मंजिल जाकर मानैंगे।।

मैदाने जंग में डटे हुए ज्यान की बाजी लगा रहे

देश की आजादी की खातर गोली सीने मैं खा रहें

नये तराने दिल में हैं हम इनको गाकर मानैंगे।।

कटते रहें बढ़ते रहें ये लाल खून रंग लायेगा

बंगाल आर्मी का फौजी आगे कदम बढ़ाता जायेगा

दे बड़ी से बड़ी से कुर्बानी हम दुश्मन को हिलाकर मानैंगे।।

1857 की क्रान्ति में कानपुर के योगदान की जब चर्चा होगी तो सबसे पहले नाना राव पेशवा, तात्या टोपे, और अजी मुल्ला का नाम आयेगा लेकिन नाच गाकर अंग्रेजी अफसंरो का मन बहलाने वाली तवायफ अजीजन बाई और उसकी मस्ताना टोली की सदस्य हुसैनी खानम के योगदान और बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता। अजीजन को हुस्न का जादू और घुंघरूओं की खनक अंग्रेज पर वह असर डालती थी जिससे शराब के नशे में मदहोश होकर अंग्रेज कई महत्वपूर्ण राज अजीजन के सामने ब्यान कर देते थे जो वह क्रान्तिकारियों को पहुंचाकर उनके आन्दोलन को मजबूत बना रही थी। बाद में अंग्रेजों ने इन्हें माफी मांगने तथा उनके सामने जमीन पर नाक रगड़ कर रहम की प्रार्थना करने को कहा। आजादी की इन सिपाहियों ने यह तो कबूल किया कि उन्होंने अंग्रेजों के खून से होली खेली है लेकिन देश का माथा ऊंचा रखते हुए माफी माँगने और रहम की  भीख मांगने से इन्कार कर दिया।

रागनी-9

देश भक्ति की घणी निराली या मिशाल अजीजन बाई।।

फिरंगी के किले मैं नाच गाने के दम पै सेंध लगाई।।

कानपुर में तवायफ का वा जीवन बिताया करती 

नाचना गाना कमाल का था अंग्रेजों नै रिझाया करती 

नशे मैं धुत करने के वास्ते दारू खूब पिलाया करती

भीतर की सारी सी आई डी बागियों नै पहुंचाया करती 

अजीजन के साथी हैरान तवायफ औरत गजब बताई।।

अंग्रेजां के छबके मारै अजीजन तरफ लखाले नै

चापलूसी छोड़ फिरंगी की देशप्रेम का झण्डा ठाले नै

तो जमींदार इलाके का ईब उल्टे कदम हटाले नै

देश प्रेम की बहार चली सुर गेल्यां सुर मिलाले नै

देख अजीजन की दलेरी तनै चाहिये बदलनी राही।।

कानपुर दिया छोड़ फिरंगी चारों तरफ लखाया

महिला बच्चों को उननै बीवी घर में पहोंचाया

अजीजन बाई ने घेरा दे उनका खात्मा चाहया

बागी फौजी तो नाट गये बाई नै गुस्सा आया

अजीजन बाई ने तुरत फेर बुलाये च्यार कसाई।।

इस जनम के करमां का फल इसे जनम मैं थ्याया

तवायफां नै डेढ़ सौ मारे फौज का पूरा साथ निभाया

फिरंगी का साथ नहीं देउं न्यों नसीब नै मन बनाया

जन विद्रोह देख फिरंगी रणबीर सिंह घणा घबराया

कई किताब पढ़कै नै रागनी अजीजन की बनाई।।

अजीजन का जब बगावत का दौर था तो बहुत दिलेरी के साथ फौजियों के साथ अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी। एक दिन सोते वक्त अजीजन बाई सपने के अन्दर क्या देखती हैं भलाः

रागनी-10

ये अपने चाल पड़े हैं फौजी भारत देश के।।

बगावत पै जमे खड़े हैं फौजी भारत देश के।।

पूछती है झोपड़ी और पूछते हैं खेत भी

अब तक गुलाम पड़े हैं फौजी भारत देश के।।

बिना लड़े कुछ नहीं मिलता यहां यह जानकर

फिरंगी से सही भिड़े हैं फौजी भारत देश के।।

चीखती हैं रुकावटे ठोंकरों की मार से ही 

ये होंसले लिए बड़़़े हैं फौजी भारत देश के।।

गुमान है इनकी खून से लतपथ लाशों पर

मोरचे पर खूब अड़े हैं फौजी भारत देश के।।

रोहतक को मुक्त कराने के लिए मुगल बादशाह बहादुर शाह जपफर ने 24 मई 1857 को सेना की एक टुकड़ी के साथ तफजुल हुसैन को रोहतक भेजा। विद्रोही सेना का मुकाबला न कर पा रोहतक का डिप्टी कमिश्नीर जी.डी. लाक व दूसरे अफसर पानीपत की छावनी की तरफ भाग निकले। कचहरी और सरकारी दफतर जला डाले। बागियों ने महम और मदीने पर कब्जा कर लिया। एक दिन एक किसान और उसकी पत्नी अंग्रेजों के बारे में बात करते हैं। पति अंग्रेजों के हक में था मगर पत्नी खिलाफ थी। क्या बताया भलाः

रागनी-11

नहीं देता तनै दिखाई इननै सिर पै चढ़ावै क्यों।।

भारत देश आगे बढ़ाया अंग्रेजां ने बिसरावै क्यों।।

न्यारे-न्यारे रजवाड़े थे कई देश आड़े बस्या करते

एक नै लेते अपनी गोदी दूंजे उपर ये हंस्या करते

तीर निशाने आपस के मैं ये रजवाड़े कस्या करते 

बन्दर बांट मचा फिरंगी भारत नै ये डस्या करते

नीच फिरंगी मनै बता पिया तनै इतना भावै क्यों।।

अंग्रेजां ने सुण गोरी भारत राज्य एक बनाया सै

रेल और सड़को का इननै गहरा जाल बिछाया सै

बिदेशां नै मेहनत करी ना पाछै कदम हटाया सै

देख इनकी जीवन शैली मेरा तो सिर चकराया सै

कहै अंग्रेज नै फिरंगी इननै लुटेरे बतावै क्यों।।

भारत बणा कई देशां का भोतै बढ़िया काम करया 

रेल बिछाकै म्हारे देश मैं अपने देश का गोदाम भरया

कच्चा माल लेग्या लाद कै म्हारा मजदूर तमाम मरया

लगान के कानून बदले निशानै लजवाणा गाम धरया

भूरा निंघाइया लड़े पिया बता उननै तूं भुलावै क्यों।।

मनै के बेरा जो कुछ देख्या वोहे मनै बताया गोरी

इतनी गहरी बात कदे मै समझ नहीं पाया गोरी

इनका जमींदार सै सूरता उसनै मैं बहकाया गोरी

रणबीर बरोने आला कहै तनै मैं समझाया गोरी

सारे सोचा मिल बैठ कै फिरंगी लूट कै खावैं क्यों।।

तफजुल हुसैन अब वापिस लौटते समय सांपला और मांडौठी के सरकारी दफतरों को भी आग देते गए। अंग्रेज अफसरों ने लिखा है कि उच्य वर्ग के लोगों से छोंटों तक सबकी हमदर्दी बादशाह के सैनिकों और बागियों के साथ है। परन्तु ज्यों ही रोहतक जिले में अंग्रेजी सत्ता समाप्त हुई किसान लोग कबिलाई आधार पर आपस में लड़ने लग गये। इन्हीं हालात में कम्पनी सरकार ने जी.डी लाक डिप्टी कमिश्नर को भारतीय रैजीमेंट वेफ साथ रोहतक पर काबू पाने के लिए दोबरा रवाना कर दिया। खिड़वाली गांव के लोग आपस में इन बातों पर चर्चा करते हैं और गाम गुहांड में एकता बनाने की बात करते हैं। क्या बताया भलाः

रागनी-12

सारस बरगी जोट बणाकै, सब हों कट्ठे नर और नारी हो

खान फैक्टरी स्कूल मैं जाकै, साझा सघर्ष का बिगुल बजाकै

देश नै माना आजाद कराकै, यो फिरंगी घणा अत्याचारी हो।।

मजबूत यूनियन बणाकै, आपस के सब मतभेद भुलाकै

टी सी चमचा गिरी मिटाकै, बणै ढाल एकता न्यारी हो।।

न्यारे-न्यारे कड़ नै तड़वाकै, बैठे अपने घर नै जाकै

एक दूजे की चुगली खाकै, कुल्हाड़ी अपनंे पाहयां पर मारी हो।।

देखो उत्तर प्रदेश मैं जाकै, आंख खोल चारो तरफ लखाकै

हरियाणे तै चिट्ठी मंगवाकै, बूझो जो झूठी बात म्हारी हो।।

या जात पात की खाई हटाकै, सही गलत का अन्दाज लगाकै 

साझे हकां की लिस्ट बणाकै, करां आजादी की तैयाारी हो।।

इनके राज ना सूरज छिपता, इनके साहमी कोए ना टिकता

नहीं इनका यो भकाना दिखता, म्हारी सबकी खाल उतारी हो।।

ईस्ट इडिंया पै लुटवाकै, कई हजार करोड़ मुनाफा दिवाकै

म्हारे कान्ही फेर हाथ हिलाकै, कहते किस्मत माड़ी थारी हो।।

उल्टे सीधे म्हारे पै कानून लाकै, साथ जेल का डर दिखलाकै

फेर पुलिस पै गोली चलवाकै, फिरंगी करेगा हमला भारी हो।।

पूरी जनता साथ मिलाकै, हरतबके नै या बात समझाकै

ना रहै रणबीर कहै कसम उठाकै फेर फिरंगी भ्रष्टाचारी हो।।

17 अगस्त को बाबर खान के तहत 300 रांघड़ घुडसवारों और 1000 पैदल सैनिकों ने अंग्रेजी सेना पर  रोहतक पर धावा बोल दिया। लड़ाई बड़ी भीषण थी। परन्तु कुछ समय बाद अंग्रेजी सैनिक शक्ति की और अधिक कुमुक आ जाने के  बाद बागियों को रोहतक छोड़कर हांसी के पास बसी गांव मंे मोर्चा जमाना पड़ा। हडसन खरखोदा, सांपला, पानीपत, महम गोहाना आदि कस्बों का दबाने के  बाद इलाके को जींद के महाराजा और चैधारियों के हाथ सौंप कर चला गया। इस लड़ाई में खिडवाली के कई शहीद हुए थे। क्या बताया भलाः

रागनी-13

ठारा सौ सतावण में आजादी की पहली जंग लड़ी।।

खिडवाली की पलटन नै तोड़ी कई मजबूत कड़ी।।

माणस खिडवाली के भिड़गं अंग्रेजां के साहमी जाकै

दो फिरंगी तहसील मैं मारे मेम पड़ी तिवाला खाकै

भीतरला जमा भरया पड़या बाट देखैं थे एडडी ठाकै

पाछले जुल्मां का सारा हिसाब फेर धरा लिया आकै

फिरंगी से लड़णे की पूरी गुप्त योजना सही घड़ी।।

बही शेख और लालू वाल्मिकी जमकै लड़ी लड़ई थी

तिरखा बाल्मिकी मोहमा शेख हिम्मत खूब दिखाई थी

जुलफी मोची सुनार राम बक्स आजादी पानी चाही थी

बेमा बाल्मिकी इदुर मौची ने ज्यान की बाजी लााई थी

मुफी औला पठान लडया साथ मैं जनता खूब भिड़ी।।

मोहर नीलगर खिडवाली का ना मुड़कै कदे लखाया 

सायर बाल्मिकी लड़ाकू नै फिरंगी तै सबक सिखाया

सुनाकी बाल्मिकी साथ लड़या वो कदे नहीं घबराया 

बीर मरद जितने सबनै धुर ताहिं का साथ निभाया

फिरंगी राज के कफन मैं इस जंग नै कील जड़ी।।

खिडवाली ना रहया एकला साथ गामड़ी आया था

एक बै कब्जा रोहतक पै सबने मिलकै जमाया था

फिरंगी भाज लिया था नहीं कोए रास्ता पाया था

बहादुर शाह जफर को राजा सबने ही अपनाया था

रणबीर बरोने आला बतावै जंग की बात बड़ी।।

अलीपुरा और सोनीपत के बीच लिबास पुर कुंडली, मुरथल, बहाल गढ़, खानपुर, हमीद पुर सराय के वीरों ने बार-बार अंग्रेजी सेना और उनकी कानवाई पर हमले करने शुरू कर दिये। लिबास पुर के उदमीराम की युवको की टोली के कारनामें आज भी लोक गीतों में याद किये जाते हैं। इन छोटी-छोटी लड़ाइयों में इलाके के अनेक लोक शहीद हुए। अलीपुर गांव के 70-75 लोग शहीद हुए थे। लोगों को दो बातों का अहसास इस लड़ाई ने करवा दिया था। एक तो मजबूत संगठन की कमी और दूसरे मजबूत नीडर का अभाव। बागी देहात के हमलों का ही नतीजा था कि कम्पनी राज को अपनी पानीपत की छावनी करनाल ले जानी पड़ी थी। उदमीराम को यातनाएं दी गई उसे पेड़ पर लटका कर हाथों पैरों मंे कीले गाड़ दी गई। उदमीराम ने उस वक्त भारत वर्ष के लिए लोगों को संदेश दिया था। क्या बताया भलाः

रागनी-14

संगठन के आधार बिना म्हारा ऊट मटिल्ला हो ज्यागा।।

भाइचारे के प्र्रसार बिना म्हारा ऊट मटिल्ला हो ज्यागा।।

फिरंगी नै कर दिये चाले घरां कै लवा दिये ताले

आपस के रै प्यार बिना म्हारा ऊट मटिल्ला हो ज्यागा।।

बच्चे और बूढ़े होगें तंग बुरा महिलावां का यो ढंग 

समता के व्यवहार बिना म्हारा ऊट मटिल्ला हो ज्यागा।।

फिरंगी के राज मैं जुल्म बढ़े बहोत माणस फांसी पै चढ़ै

आजादी के उभार बिना म्हारा ऊट मटिल्ला हो ज्यागा।।

मानवता का खून करया सै, म्हारा कालजा भून गिरया सै

लीडर की पतवार बिना म्हारा ऊट मटिल्ला हो ज्यागा।।

फिरंगी कै घेरी देनी होगी, बिपता सबनै या खेणी होगी

रणबीर एतबार  बिना, म्हारा ऊट मटिल्ला हो ज्यागा।।

1857 की आजादी की पहली जंग हुई। चार महीने तक दिल्ली पर हमारा राज्य स्थापित हो गया। बहुत से कारणों से चलते अंग्रेजों ने फिर कब्जा कर लिया। इतना तसदुद किया कि रोंगटे खड़े हो जाते हैं। यह जंग उस वक्त तक के सबसे महान आंदोलनों में एक थी। अंग्रेजों के पिठूओं को इनाम दिये गये तथा विद्रोहियों पर कहर ढाया गया। उसी दौर में एक मुहावरा चला साहब की अगाड़ी और घोड़े की पिछाड़ी नहीं होनी चाहिये। मगर एक बात साप हो गई कि अंग्रेजों का भारत से जाना शत प्रतिशत तय हो गया था जो कि सौ साल बाद हुआ। देश के शहीदो को दुनिया की कोई ताकत नहीं मार सकती। क्या बताया भलाः

रागनी-15

समाज की खातर मरने वाले आज तलक तो मरे नहीं।।

कुरबान देश पर होने वाले कदे किसी से डरे नहीं।।

अजीजन की हंसी हवा में आज भी न्योंए गूंज रही

चारों धाम यो मच्या तहलका हो दुनिया मैं बूझ रही

बैरी को नहीं सूझ रही पिछले गढे इबै भरे नहीं।।

फौजियां मैं जगा बनाई सी आई डी बढ़िया ढाल करी 

उन बख्तां मैं अजीजन नै पेश कुरबानी की मिशाल धरी

जवानी मैं हुंकार भरी कदे होंसले म्हारे गिरे नहीं

मेरठ आम्बाला और मेवात एक बर ली अंगड़ाई थी

मिलकै लड़ी लड़ाई थी न्यारे रहे लाल पीले हरे नहीं।।

बेशक पहली जंग हारे अंगेे्रज का जाना लाजमी होग्या

ठारा सौ सतावण बीज देश मैं म्हारी आजादी के बोग्या

अंगेेे्रज का सूरज डबोग्या बेशक हम भी पार तिरे नहीं।।

सतावण नै राह दिखाई हजारा मंगल पांडे आगै आये

सौ साल पाछै बलिदान सैंतालिस मैं हटकै रंग ल्याये 

रणबीर सिंह नै छन्द बनाये कलम दवात जरे नहीं।।


अंग्रेजां के बंगले देख कै कोए भी घणा दंग रैहज्या।।

राजा नवाब पाछै छोड्डे बाकी ना कोए उमंग रैहज्या।।

कई कई नौकर बंगले के मैं हुकम बजाया करते 

घंटों चुप खड़े रहते जमीन कानही लखाया करते 

बदेषी फूल बाग मैं वे हांगा लवाकै उगवाया करते

मेम साहिबा की करैं चाकरी खूबे डांट खाया करते

व्यवहार इसा उनका कैसे षान्ति होए बिना भंग रैहज्या।।

हुकम चलाना डांट मारना  आदत मैं षुमार देख्या

सजा सुनादें माणस मरादें रोज का त्यौहार देख्या

तीन देषीज पै एक गोरा फौज का इसा व्यौहार देख्या

तीन तैं छह पै एक करया अंग्रेजां का यो विचार देख्या

इस संघ्या मैं बीज क्रान्ति के 


वैज्ञानिक दृष्टिकोण के संदर्भ में कुछ रागनियां

 वैज्ञानिक दृष्टिकोण के संदर्भ में कुछ रागनियां

रागनी 1

Dr Dabholkar 

डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर थारी क़ुरबानी रंग ल्यावैगी।।

स्वतंत्र हिन्दुस्तान मैं या जरूर नया इतिहास रचावैगी।।

अग्रगामी चेतना की हत्या करकै हत्यारे बच ना पावैंगे

हर जागां डॉक्टर नरेंद्र पावैं जिस मोड़ पै ये लखावैंगे

अंध श्रद्धा उन्मूलन खातिर कतार इब बढ़ती जावैगी।।

आहात सां सन्तप्त सां सुण्या जब थारे कत्ल बारे डॉक्टर

गुस्सा हमनै घणा आरया सै हिम्मत कोण्या हारे डॉक्टर

तेरी क़ुरबानी यकीन मेरै घर घर मैं मशाल जलावैगी।।

लेखक संस्कृतकर्मी वैज्ञानिक कट्ठे हुए सैं कलाकार 

पूरे हिन्दुस्तान के नर नारी हम देवां मिलकै ललकार

रूढ़िवाद की ईंट तैं ईंट देश मैं इब तावली बज पावैगी।।

हमनै बेरा उन ताकतों का जिणनै कत्ल करया थारा रै

होंश ठिकाणै सैं म्हारे जबकि खून खोल गया म्हारा रै

रणबीर सिंह नै कलम ठाई पूरी दुनिया नै जगावैगी ।।

रागनी 2

क्या क्यों और कैसे बिना

क्या क्यों और कैसे बिना मिलै दुनिया का सार नहीं।।

ज्ञान विज्ञान के प्रकाश बिना होवै दूर अन्धकार नहीं।।

नीले आसमान मैं क्यों ये चकमक करते तारे भाई

क्यों इन्द्रधनुष के म्हां ये रंग बिरंगे प्यारे भाई

मोर के पंख न्यारे भाई क्यों लाया कदे विचार नहीं।।

तोता कोयल फर फर करकै क्यूकर गगन मैं उडज्यां

क्यों ना बिल्ली के तन पै भी पंख मोर के उगज्यां

क्यों मकड़ी जाला बुणज्यां म्हारी समझ तैं बाहर नहीं।।

क्यों जुगनू की कड़ के उपर जलती हुई मशाल भाई

क्यों गैंडे अर हाथी की पीठ सै उनकी ढाल भाई

विज्ञान के ये कमाल भाई झूठा इसका प्रचार नहीं।।

क्यों फूल गुडहल का हो सुर्ख एक दम लाल कहैं

क्यों झिलमिल करता ये मकड़ी का जाल कहैं

विज्ञान ठावै सवाल कहैं या माया अपरम पार नहीं।।

आम नीम अर इमली क्यों हमनै खड़े दिखाई दें

क्यों समुन्द्र मैं ऊंची नीची उठती लहर दिखाई दें

मछली क्यों रंगीन दिखाई दें जानै सै नम्बरदार नहीं।।

जुबां पै लाग्या ताला यो हमनैं पड़ै तोड़ना सुनियो

सवालां का यो पिटारा तो हमनै पड़ै खोलना सुनियो

हमनै पड़ै बोलना सुनियो क्यों बिना म्हारा उद्धार नहीं।।

रागनी 3

गलत विज्ञान

मानवता का विनाश करै जो इसा शैतान चाहिये ना।

संसार नै गलत दिशा देवै इसा विज्ञान चाहिये ना।।

1

विज्ञान पै पाड़या बेरा अणु मैं ताकत बहोतै भारी सै

अणु भट्टी तै बणै बिजली जगमगावै दुनिया सारी सै

अणु बम तो विनासकारी सै इसा शैतान चाहिये ना।।

2

मानवता नै बड़ी जरूरत सै आज अन्न और वस्त्रां की

जंग की जरूरत जमा नहीं ना जरूरत अणु शस्त्रां की

जो पैरवी करै अस्त्रां की इसा भगवान चाहिये ना।।

3

कड़ै जरूरत सै उनकी कारखाने जो हथियार बणावैं

बणे पाछै चलैं जरूरी ये दुनिया मैं हाहाकार मचावैं

विज्ञान कै तोहमद लावैं इसा घमासान चाहिये ना।।

4

हिरोशिमा की याद आवै शरीर थर-थर कांपण लाग्गै

विज्ञान का गलत प्रयोग मानवता सारी हांफण लाग्गै

दुनिया टाडण लाग्गै रणबीर इसा कल्याण चाहिये ना।।

रागनी 4

विवेक

सूरज साहमी कोहरा टिकै ना अज्ञान विवेकमयी वाणी कै।

अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।

1

ढोंग अर अन्ध विश्वास पै टिक्या चिन्तन फेर बचै कोण्या

यज्ञ हवन वेद शास्त्र फेर पत्थर पूजा प्रपंच रचै कोण्या

पुरोहित की मिथ्या बात का दुनिया मैं घमशान मचै कोण्या

मन्द बुद्धि लालची माणस कै विवेकमय दया पचै कोण्या

शिक्षित अनपढ़ धनी निर्धन बीच मैं आवैं फेर कहाणी कै।।

अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।

2

आत्मा परमात्मा सब गौण होज्यां सामाजिक दृष्टि छाज्या फेर

समानता एक आधार बणै औरत सम्मान पूरा पाज्या फेर

मानवता पूरी निखर कै आवै दुनिया कै जीसा आज्या फेर

कार्य काररणता नै समझकै माणस कैसे गच्चा खाज्या फेर

माणस माणस का दुख समझै ना गुलाम बणै राजराणी कै।।

अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।

3

संवेदनशील समाज होवै ईश्वर केंद्र मैं रहवै नहीं

मानव केन्द्रित संस्कृति हो पराधीनता कोए सहवै नहीं

स्वतंत्रता बढ़ै व्यक्ति की परजीवी कोण कहवै नहीं

खत्म हां युद्ध के हथियार माणस आपस मैं फहवै नहीं

विवेक न्याय करूणा समानता खरोंच मारैं सोच पुराणा कै।।

अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।

4

अदृश्य सत्ता का बोझ आड़ै फेर कति ना टोहया पावै

सोच बिचार के तरीके बदलैं जन चेतना बढ़ती जावै

मनुष्य खुद का सृष्टा बणै कुदरत गैल मेल बिठावै

कर्म बिना बेकार आदमी जो परजीवी का जीवन बितावै

रणबीर बरोने आला नहीं लावै हाथ चीज बिराणी कै।।

अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।


रागनी 5


ब्रह्माण्ड महारा

इस ब्रह्माण्ड का बेरा ना सोच-सोच घबराउं मैं।

धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।

1

वैज्ञानिक दृष्टि का पदार्थ नै आधार बताते

नाश हो सकता बदलै ना आकार सुणाते

निर्जिव तै जीव की उत्पत्ति डारविन जी सिखाते

कुदरत के अपने नियम जो दुनिया को चलाते

हमेश रहै बदलता क्यूकर या समझाउं मैं।।

धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।

2

जिज्ञासा और खोज तै उपजै उसनै ग्यान कहैं

क्रम बद्ध ग्यान नै फेर दुनिया मैं विग्यान कहैं

जिज्ञासा नै मारै सै जो उसको सारे अग्यान कहैं

गुण दोष पै जांचै परखै वैज्ञानिक इन्सान कहैं

पूर्वाग्रह तै टकराकै बणै नयी सोच दिखाउं मैं।।

धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।

3

मत विश्वास करो क्योंकि मां बाप नै बताया सै

शिक्षक नै कैहदी ज्यांतै आंख मूंद अपणाया सै

परीक्षण विश्लेषण पै जो सर्वहित कारी पाया सै

प्रयोग तै करैं दोबारा वो सिद्धांत आगै आया सै

भाग्यवाद पै कान धरै ना उसके धोरै जाउं मैं।।

धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।

4

वैज्ञानिक दृष्टि गुरू अपना चेला बताया होज्या

तीव्र ग्राही मन होवै जो कदे ना पड़कै सोज्या

सत्य का खोजी माणस बीज नई खोज के बोज्या

प्रमाण पै टिक्या विवेक सारे अन्धविश्वास नै खोज्या

रणबीर जोर लगाकै बात खोज कै ल्याउं मैं।।

धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।

रागनी 6

वैज्ञानिक नजर

वैज्ञानिक नजर के दम पै जिन्दगी नै समार लिये।

जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।

1

सादा रैहणा उचे विचार साथ मैं पौष्टिक खाणा यो

मानवता की धूम मैच चाहिये इसा संसार बसाणा यो

सुरग की आड़ै नरक की आड़ै ना कितै और ठिकाणा यो

पड़ौसी की सदा मदद करां दुख सुख मैं हाथ बंटाणा यो

धरती सूरज चौगरदें घूमै ब्रूनो नै सही प्रचार किये।।

जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।

2

साच बोलणा चाहिये पड़ै चाहे थोड़ा दुख बी ठाणा रै

नियम जाण कुदरत के इसतै चाहिये मेल बिठाणा रै

हाथ और दिमाग तै कामल्यां चाहिये दिल समझाणा रै

गुण दोष तै परखां सबनै अपणा हो चाहे बिराणा रै

जांच परख की कसौटी पै चढ़ा सभी संस्कार लिये।।

जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।

3

इन्सान मैं ताकत भारी सै नहीं चाहिये मोल घटाणा

सच्चाई का साथ निभावां पैड़े चाहे दुख बी ठाणा

लालची का ना साथ देवां सबनै चाहिये धमकाणा

मारकाट की जिन्दगी तै ईब चाहिये पिंड छटवाणा

पदार्थ तै बनी दुनिया इसनै चीजां को आकार दिये।।

जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।

4

दुनिया बहोतै बढ़िया इसनै चाहते सुन्दर और बणाणा

जंग नहीं होवै दुनिया मैं चाहिये इसा कदम उठाणा

ढाल-ढाल के फूल खिलैं चाहिये इनको आज बचाणा

न्यारे भेष और बोली दुनिया मैं न्यारा नाच और गाणा

शक के घेरे मैं साइंस नै रणबीर सिंह सब डार दिये।।

जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।

रागनी 7

ज्ञान विज्ञान का पैगाम

सुखी जीवन हो म्यारा ज्ञान विज्ञान का पैगाम सुणो।

हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।

1

सारे पढ़े लिखे होज्यां नहीं अनपढ़ टोहया पावै फेर

खाण पीण की मौज होज्या ना भूख का भूत सतावै फेर

बीर मरद का हक बरोबर हो इसा रिवाज आवै फेर

यो टोटा गरीब की चौखट पै भूल कै बी ना जावै फेर

सोच समझ कै चालांगे तो मुश्किल ना सै काम सुणो।।

हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।

2

मिलकै नै सब करां मुकाबला हारी और बीमारी का

बरोबर के हक होज्यां तै ना मान घटै फेर नारी का

भाईचारा फेर बढ़ैगा नहीं डर रहै चोरी जारी का

सुख कै सांस मैं साझा होगा इस जनता सारी का

भ्रष्टाचार की पूरी तरियां कसी जावै लगाम सुणो।।

हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।

3

आदर्श पंचायत बणावां हरियाणा मैं न्यारी फेर

दांतां बिचालै आंगली देकै देखै दुनिया सारी फेर

गाम स्तर पै बणी योजना लागू होज्या म्हारी फेर

गाम साझली धन दौलत सबनै होज्या प्यारी फेर

सुख का सांस इसा आवैगा नां बाजै फेर जाम सुणो।।

हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।

4

कोए अनहोनी बात नहीं ये सारी बात सैं होवण की

बैठे होल्यां लोग लुगाई घड़ी नहीं सै सोवण की

इब लड़ां ना आपस मैं या ताकत ना खोवण की

बीज संघर्ष का बोवां समों सही सै बोवण की

कहै रणबीर गूंजैगा चारों कूठ यो नाम सुणो।।

हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।

रागनी 8

विज्ञान ज्ञान के दम पै

विज्ञान ज्ञान के दम पै देखो उड़ते जहाज गगन मैं।ं

टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।

1

कदे कदे वा चेचक माता खूब सताया करती

रोज रोज फिरैं धोक मारते दुनिया सारी डरती

फेर भी काणे भोत हुए थे कोए भरतू कोए सरती

विज्ञानी जब गैल पड़े देखी शीतला मरती

सूआ इसा त्यार करया वा माता धरी कफन मैं।।

टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।

2

कुता काटज्या इलाज नहीं था हड़खा कै मरज्यावैं थे

रोग कोढ़ का बिना दवाई फल कर्मां का बतावैं थे

खून का रिश्ता था जिनतैं भाई वें भी दूर बिठावैं थे

टी बी आली बुरी बीमारी गल गल ज्याण खपावैं थे

आज इलाज सबका करदें ना रती झूठ कथन मैं।।

टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।

3

अग्नि के म्हां धुम्मा कोन्या बिजली चानणा ल्यावै सै

टी वी पै तसवीर बोलती देख अचम्भा आवै सै

समंदर के म्हां भर्या खजाना बंदा लुत्फ उठावै सै

राकेट के म्हां बैठ मनुष्य भाई चन्द्रमा पै जावै सै

एक्सरे तैं जाण पाटज्या के सै रोग बदन मैं।।

टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।

4

एक जीव का अंग काट कै दूजे कै इब फिट करदें

मिसाइल छोड्डैं बटन दाबकै हजार कोस पै हिट करदें

सौ सौ मंजिली बणी इमारत अपनी छाप अमिट करदें

कम्प्यूटर जबान पकड़ कै देसी तैं गिटपिट करदें

सुख सुविधा हजार तरहां की साईंस लगी जतन मैं।।

टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।

5

नई नस्ल के पशू बणा लिए नई किस्म की फसल उगाई

नये नये औजार बणा कै पैदावार कई गुणा बढ़ाई

फेर बी भूखे रहैं करोड़ों बिन कपड़े बिन छत के भाई

हबीब भारती कारण को ढूंढ़ो आपस में क्यूं करैं लड़ाई

साइंस कै मत दोष मढ़ो ना इसका हाथ पतन मैं।।

टमाटर आलू एक पौधे पे अजूबे करे चमन मैं।।

रागनी 9

विज्ञान की अच्छाई भूल

विज्ञान की अच्छाई भूल कै इसनै बैरी बतावण लागे।।

माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।

1

कलयुग पापी बता बता कवियांे नै शोर मचाया

कल का नाम कहैं पुरजा युग माने बख्त बताया

बढ़ी चेतना इन्सानां की जब जरुरत पै आया

इस कुदरत तैं खोज खोज पुरजे का खेल रचाया

आप बनाया आप चलाया अपने आप उडावण लागे।।

माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।

2

कुदरत के सब जीवों मैं इन्सान पवित्र पाया

जीवन की वस्तु सारी खुद आप खोज कै ल्याया

ऐसे यन्त्र तैयार बणा लिए अजब कमाल दिखाया

करकै खोज पृथ्वी की आसमान ढूंढ़ना चाहया

बणा बणा कै पुरजे पै सारा काम करावण लागे।।

माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।

3

कलयुग इतना छाज्या इसका कोए अन्त ना पाया

फेर मुनाफे नै इस कलयुग पै अपना जोर जमाया

सब कुछ कर लिया कब्जे मैं ऐसा महाघोर मचाया

इस पापी की करनी नै दुख मैं यो संसार फंसाया

विज्ञान तैं बम बणा बणा कै नरक बणावण लागे।।

माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।

4

हरिचन्द कहै कलयुग जैसी ओर समों ना आणी

सब प्रजा ने समझाद्यां चाहे याणी हो चाहे स्याणी

साइंस असली राही चालै हमनै होगी अलख जगाणी

फेर ना रहै कोए भूखा नहीं सै या झूठी बाणी

न्यों पाप खत्म होज्यागा हम साच बतावण लागे।।

माणस की करतूतां नै हम इसकै सिर लावण लागे।।

रागनी 10

ब्रूनो

 *ब्रूनो नै चर्च में पढ़कै कहते पादरी बनना चाहया था।।*

*कॉपरनिकस की किताब पढ़कै उसनै पल्टा खाया था।।*

1

सवाल उठाकै वो क्यों  धरती सूरज पै बहस चाहवै

आगै अध्ययन करकै नै क्यों नहीं पता लगाया जावै

ज्यों ज्यों अध्ययन करै सूरज चौगरदें धरती  घुमती  पावै

चर्च की ताकत और गुस्सा पूरी ढ़ालां समझ मैं आवै

*ब्रूनो नै इसे कारण तैं इटली छोडण का मन बनाया था।।*

2

कुछ विद्वान सहमत होगे फेर साथ कदम नहीं धरया

दिन दूनी रात चौगुनी प्रचार करता ब्रूनो नहीं डरया

आम जनता का दिल उसनै यो पूरी तरियां दखे हरया

प्रयाग पैरिस इंग्लैंड जर्मनी मैं उसनै  था प्रचार करया

*चर्च की दाब नहीं मानी हारकै चर्च नै भगोड़ा बताया था।।*

3

ज्यों ज्यों प्रचार करया चर्च का गुस्सा बढ़ावै था

ब्रूनो भी बढ़ता गया आगै ना पाछै कदम हटावै था

चर्च की छलां तैं बताओ कितने दिन बच पावै था

वैचारिक समझौता ना करूंगा यो सन्देश पहूंचावै था

*चर्च नै पकड़ण की खातर फेर कसूता जाल बिछाया था।।*

4

चर्च मानस तैयार किया वो ब्रूनो धोरै पढ़ना चाहवै सै

फीस तय करदी उसकी फेर एक पते कै ऊपर बुलावै सै

ब्रूनो भी शिष्य एक बनैगा मेरा सोच कै नै सुख पावै सै

चर्च की चाल सोची समझी समझ उसकी ना आवै सै

*गिरफ्तार कर लिया चर्च नै बहोत घणा गया सताया था ।।*

5

अमानवीय यातना दी चर्च नै ब्रूनो अपने मत नै छोड़ दे

पहले आली सोच कांहीं अपनी सोच नै ब्रूनो मोड़ दे

छह साल ताहिं मंड्या रहया चर्च ब्रूनो की कड़ तोड़ दे

लोहे के सन्दूक मैं राख्या ताकि मौसम यो शरीर निचौड़ दे

*यो अत्याचार चर्च का ब्रूनो का मनोबल गिरा ना पाया था ।।*

6

न्यायालय का ड्रामा रच कै घनी भूंडी सजा सुनवाई

इसी सजा दयो इसनै एक बी खून की बूंद ना दे दिखाई

ब्रूनो उलट कै बोल्या था सरकार घणी डरी औड़ पाई

रोम के चौंक मैं ब्रूनो खम्भे कै ल्याकै बांध्या था भाई

*रणबीर कपड़ा ठूंसकै मूंह मैं ब्रूनो जिंदा उड़ै जलाया था ।।*

रागनी 11

जलवायु प्रदूषण

कार्बन साइकल नै समझां जै दुनिया बचाणी रै।।

धरती संकट बढ़ता आवै होज्या कुनबा घाणी रै।।

1

पौधे करैं ऑक्सीजन पैदा ये सूरज के प्रकाश मैं

कार्बन डाइऑक्साइड सौखैं ये भोजन की आस मैं

संघर्ष और निर्माण का इतिहास बनाया प्राणी रै।।

2

इस ब्रह्मांड को समझैँ इसमैं हम सां कड़े खड़े

कुदरत के नियम जाणे म्हारे कदम भी सही पड़े

इसका जब मजाक उड़ाया पड़ी मूंह की खाणी रै।।

3

आस पास और दुनिया मैं कैसे यह संसार चलै

कुदरत और जनता को कैसे यो धनवान छलै

इस धनवान लुटेरे की कोन्या चाल पिछाणी रै।।

4

चल चल पूंजी खावैगी या म्हारे पूरे ही समाज नै

धरती का संकट बढ़ाया सै इसके तेज मिजाज नै

विकास टिकाऊ बचा सकता म्हारी सबकी हाणी रै।।

रागनी 12

एक आह्वान रागनी 

हम कदम मिलजुलके मंजिल की तरफ बढ़ाएंगे ॥ 

हमारी बहुविविधता को दे हर क़ुरबानी बचाएंगे ॥ 

गुणवत्ता वाली पढ़ाई वास्ते  जनता लाम बन्द करेंगे 

सबको सस्ता इलाज मिले ऐसा मिलके प्रबंध करेंगे

निर्माण के उदाहरण हम करके सबको दिखाएंगे ॥ 

अन्ध विश्वास के खिलाफ लंबा चलाएं एक अभियान 

सबका मिलके होगा प्रयास बने संवेदनशील इंसान 

प्रति गामी विचार को  वैज्ञानिक आधार से  हराएंगे ॥ 

मिल करके करेंगे विरोध  सभी दलित अत्याचार का 

महिला समता समाज में हो मुद्दा बनायेंगे प्रचार का 

रोजगार मिले सबको ये हम सब अभियान चलाएंगे ॥ 

सद्भावना बढे समाज में नफरत का विरोध करेंगे 

पूरे समाज का विकास हो इस पे पूरा शोध करेंगे 

बढ़े हुए कदम हमारे रणबीर आगे बढ़ते ही जायेंगे ॥

रागनी 13

 

म्हारी खोज म्हारी सभ्यता

घड़ी बंधी जो हाथ पै इटली मैं हुई खोज बताई।।

भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।

1

खुर्दबीन की खोज कदे नीदरलैंड मैं हुई बताई सै

बैरोमीटर तै टारिसैली नै मौसमी खबर सुणाई सै

गुबारा सतरा सौ तिरासी मैं यो हमनै दिया दिखाई सै

टेलीग्राफ की खोज नै फेर फ्रांस की श्यान बढ़ाई सै

गैस लाइट के आणे तै जग मैं हुर्इ घणी रूसनाई।।

भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।

2

इटली के पी टैरी नै टाइप राइटर फेर बणाया रै

हम्फ्री डेवी नै लैंप सेफटी बणा माडल दिखलाया रै

माचिस की खोज नै ठारा सौ छब्बीस याद कराया रै

साइकिल के बणाणे आला मैकलिन नाम बताया रै

ठारा सौ तितालिस सन मैं फैक्स मशीन बणाई।।

भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।

3

ज्ञान विज्ञान आगै बढ़ग्या करे नये-नये आविष्कार

अमरीका नै लिफट खोजी मंजिलां की फेर लागी लार

ठारा सौ बावण मैं वायुयान नै फ्रांस मैं भरी उडार

टेलबेट नै फोटो खींचण की विधि कर दी तैयार

वैज्ञानिक सोच के दम पै नई-नई तरकीब सिखाई।।

भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।

4

थामसन नै वैलिडंग मशीन अमरीका मैं त्यार किया

एडीसन नै बलब बिजली जगमगा पूरा संसार दिया

मोटर साइकिल डैमलर नै सड़कां पै फेर उतार दिया

उन्नीस सौ बावण मैं हाइड्रोजन बम बी सिंगार लिया

रणबीर आगे की फेर कदे बैठ करैगा कविताई।।

भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।

रागनी 14


हिरोशिमा नागाशाकी

लिटिल बॉय और फैटमेंन परमाणु बम्ब गिराये रै।।

हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं

धकाये रै।। 

1

हिरोशिमा मैं छह अगस्त को अमरीका नै बम्ब गिराया

नौ अगस्त नै नागाशाकी पै दूजा फैटमैन बम्ब भड़काया

जापान देख हैरान रैहग्या अमरीका नै रोब जमाया

जमा उजाड़ दिए शहर दोनूं लाशां के ढेर लगाये रै।।

हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं

धकाये रै।। 

2

लाखों निर्दोष लोगों की इसमैं हुई मौत बताई देखो

दूसरे विश्व युद्ध मैं अमरीका नै फतूर मचाई देखो 

आत्म समर्पण जापान का फेर भी हेकड़ी दिखाई देखो

बिना बात बम्ब गिरा दिया अमरीका घना कसाई देखो

दो बम्ब गेर दादा गिरी का सारे कै सन्देश

पहोंचाये रै।।

हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं

धकाये रै।। 

3

औरत मर्द बच्चे इसके हजारों लाखों शिकार हुये

सालों साल बालकों कै जामनू कई विकार हुये

दौड़ रूकी ना हथियारों की सौला हजरत तैं पार हुये

एक हजार तैं फालतू अड्डे अमरीका के तैयार हुये

जीव मरैं निर्जीव बचैं इसे बम्ब आज बनाये रै।।

हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं

धकाये रै।। 

4

हिरोशिमा नागाशाकी तैं कोये सबक लिया कोण्या

हथियारों की होड़ बढ़ाई शांति सन्देश दिया कोण्या

हथियार मुक्त दुनिया का आधार तैयार किया कोण्या

ईनके डर पै अमरीका नै खून किसका

पीया कोण्या

रणबीर नागाशाकी दिवस पै ये चार छन्द बनाये रै।।

हजारों लाखों जापानी गए मौत के मुंह मैं

धकाये रै।।

रागनी 15


मानस का धर्म 

धर्म के सै माणस का मनै कोए बतादयो नै।।

माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।

1

माणस तैं मत प्यार करो कौणसा धर्म सिखावै

सरे आम बलात्कार करो कौणसा धर्म सिखावै

रोजाना नर संहार करो कौणसा धर्म सिखावै

तम दारू का व्यापार करो कौणसा धर्म सिखावै

धर्म क्यों खून के प्यासे मनै कोए समझादयो नै।।

माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।

2

ईसा राम और अलाह जिब एक बताये सारे रै

इनके चाह्वण आले बन्दे क्यूँ खार कसूती खारे रै

क्यों एक दूजे नै मारण नै एकेजी हाथां ठारे रै

अमीर देश हथियार बेच कै खूबै मौज उड़ारे रै

बैर करो मारो काटो लिखै वो ग्रन्थ भुलादयो नै।।

माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै।।

3

मानवता का तत कहैं सब धर्मां की जड़ में सै

कुदरत का प्रेम सारा सब धर्मां की लड़ मैं सै

कदे कदीमी प्रेम का रिश्ता माणस की धड़ मैं सै

कट्टरवाद नै घेर लिए यो हर धरम जकड़ मैं सै

लोगां तैं अरदास मेरी क्युकरै इनै छटवादयो नै।।

माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखादयो नै ।।

4

यो जहर तत्ववाद का सब धर्मों मैं फैला दिया 

कट्टरवाद घोल प्याली मैं सब ताहिं पिला दिया

स्कीम बणा दंगे करे इंसान मासूम जला दिया

बड़ मानवता का आज सब धर्मों नै हिला दिया 

रणबीर सिंह रोवै खड़या इनै चुप करवादयो नै ।।

माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए समझादयो नै ।।

2001 की रचना

रागनी 16


#अपनीरागनी 

सोलां सोमवार के ब्रत राखे मिल्या नहीं सही भरतार 

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घना सै करतार

1

बालकपन तैं चाहया करती मन चाहया भरतार मिलै

बराबर की इंसान समझै ठीक ठयाक सा घरबार मिलै

उठते बैठते सोच्या करती बढ़िया सा मनै परिवार मिलै

मेरे मन की बात समझले नहीं घणा वो थानेदार मिलै

इसकी खात्तर मन्नत मानी चढ़ावे चढ़ाए मनै बेसुमार

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

मेरी सहेली नै ब्याह ताहिं एक खास भेद बताया था 

सोलां सोमवार के ब्रत करिये मेरे को समझाया था

बोली मनचाहया वर मिलै जिसनै यो प्रण पुगाया था

मनै पूरे नेग जोग करे एक बी सोमवार ना उकाया था

बाट देखै बढ़िया बटेऊ की यो म्हारा पूरा ए परिवार 

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

3

कई जोड़ी जूती टूटगी फेर जाकै नै यो करतार पाया

पहलम तै बोले बहु चाहिए ना चाहिए सै धन माया

ब्याह पाछै घणे तान्ने मारे छोरा बिना कार के खंदाया

सपने सारे टूटगे मेरे बेबे सोमवार ब्रत काम ना आया

पशु बरगा बरतावा सै ना करै माणस बरगा व्यवहार

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

4

ये तो पाखण्ड सारे पाये ना भरोसा रहया भगवान मैं

उसकी ठीक गलत सारी पुगायी ना दया उस इंसान मैं 

फेर न्यों बोले पाछले मैं कमी रही भक्ति तनै पुगाण मैं

आंधा बहरा राम जी भी नहीं आया पिटती छुड़ाण मैं

कहै रणबीर बरोने आला आज पाखंडाँ की भरमार 

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार