Monday, 22 July 2024
571 से 579
570
तबाही
विकास कहूँ या कहूँ तबाही , बात मेरी समझ नहीं आई,
हुई क्यों गामां की इसी छिताई , दिल्ली के गाम चर्चा मैं आये ॥
दिल्ली का विस्तार हुआ तो अनेक गाम इसमें आये थे
धरती अक्वायर करी इनकी घने सब्ज बाग़ दिखाए थे
बहोत घर बर्बाद हुए , जमा थोड़े घर आबाद हुए
पीकै दारू कई आजाद हुए , चपेट मैं युवा लड़के आये॥
दिल्ली तैं कोए सबक लिया ना ईब हरयाणा की बारी
एन सी आर के नाम तैं इसकी बर्बादी की तैयारी
विकास पर कोए चर्चा ना , आज पूरा पटता खर्चा ना
इसपै लिख्या कोए पर्चा ना , बीस लाख एक किल्ले के लाये॥
नशे का डूंडा पाड़ दिया ये नौजवान चपेट मैं आये
फ्री सैक्श के खोल दरवाजे युवक युवती भरमाये
हाल करे कसूते लूटेरे नै , मचाई लूट इनै चौफेरे नै
बाँट जात पात पै कमेरे नै , नंबर वन के नारे लगाये ॥
ईको अर जेंडर फ्रेण्डली विकास समता साथ ल्यावै
ना तो दिल्ली जैसे खाग्या न्यूए एनसीआर इसनै खावै
बहस विकास ऊप्पर चलावां , नया हरयाणा किसा बणावां
रणबीर नक्शा मिलकै खिंचावाँ ,कैसे यो हरयाणा बच पाये ॥
571
LAMBEE LINE EVERY WHERE
जित बी जाऊं उड़ै घणी लाम्बी लाईन लगी क्यों पावै हे ||
सरकारी मैं भीड़ या जेब प्राइवेट खाली क्यों करावै हे ||
कुपोषण प्रदूषण मिलावट कारण बड्डे बीमारी के
इनके बढ़ते जाने से बढे हमले ज्यान हमारी के
इसपै किसे का ध्यान नहीं कसूर बतावैं करतारी के
पौष्टिक खाना साफ पाणी हवा राज सेहत म्हारी के
इन पै गौर करने नै म्हारी सरकार क्यों नजर चुरावै हे ||
बीमारी हुये पाछै इलाज का ढांचा जरूरी बतावैं
कितै स्टाफ कम कितै दवाई मरीज घणे दुःख पावैं
नीति खागी सरकारी ढांचे नै ये प्राइवेट फूलते जावैं
सरकार का हैल्थ बजट ये जान कई नहीं बढ़ावैं
कसूर किसे का होवै बेबे फेर सजा और कौए पावै हे ||
मरीज और डॉक्टर आज आहमी साहमी भिड़ा राखे हे
तीन हजार नर्स जित उड़ै आठ सौ तैं काम चला राखे हे
उपरल्यां नै अपने चेहते चोखी जागां बिठा राखे हे
बढ़िया डॉक्टर नर्स भी जनता की न्यों गाली खावै हे ||
डीजीज डॉक्टर और ड्रग का फार्मूला फेल हो लिया हे
म्हारी सरकारां खातर तो यो जमा खेल हो लिया हे
बेईमान तो राज करते ईमानदार नै जेल हो लिया हे
रणबीर कम्प्पणी और कुछ डाक्टरों का मेल हो लिया हे
थ्री डी का नारा दुनिया मैं शार्ट कट का राह बतावै हे||
572
दो सखियाँ हैं । चंदकौर का दो साल पहले ब्याह हो जाता है । वह जब अपने पीहर आती है तो उसे पता चलता है कि कमला और युद्धबीर जो दूसरी जात से है और उसके कालेज में पढता है ,शादी करना चाहते हैं । एक रोज दोनों सखियाँ मिलती हैं ।चाँदकौर कमला से पूछती है कि क्या सुन रही हूँ । दोनों के सवाल जवाब होते हैं :-
चाँ- कमला सुणले बात मेरी मतना रोपै चाला हे।।
क:एक बै जो मन धार लिया कोन्या होवै टाला हे।
चाँ: म्हारे बरगी छोरी नै ना वर आपै टोहना चाहिए
क:गलत रीत बात पुराणी ना इनका मोह होना चाहिए
चाँ: अपनी जात कुटम्ब कबिला ना कदे नाम डबोना चाहिए
क:जातपात का झूठा रोला दिल का बढ़िया होना चाहिए
चाँ:के टोहया तनै छैल गाभरू रंगका दीखैकाला हे
क:रूप रंग मैं के धरया सै इंसान गजब निराला हे
चाँ:नकशक रूप रंग पै तो या दुनिया मरतीआई सै
क:बिना विचार मिलें तो फेर कोन्या भरती खाई सै
चाँ: मात पिता वर टोहवैं या दुनिया करती आई सै
क: डांगर ज्यूँ खूंटै बांधैं जणो गऊ चरती पाई सै
चाँ:बात मानले कमला बेबे टोहले बीच बिचाला हे
क: उंच नीच देख लई सै बदलूँ कोन्या पाला हे
चाँ: यो तेरा भूत प्रेम का थोड़े दिन मैं उतर ज्यागा
क: एक सै मंजिल म्हारी क्योकर प्यार बिखर ज्यागा
चाँ: बख्त की मार पड़ैगी हे वो तनै छोड़ डिगर ज्यागा
क:बख्त गैल लडां मिलकै संघर्ष मैं प्रेम निखर ज्यागा
चाँ: जानबूझ कै मतना करै जिंदगानी का गाला हे
क: वो मनै चाहवै सै मैं फेरूं उसकी माला हे
चाँ: गाम गुहांड घर थारे नै जात बाहर करैगा हे
क: बढ़िया बात नै रोकै वो गल्त विचार मरैगा हे
चाँ: घर बार बिना ना तमनै दिन चार सरैगा हे
क: गादड़ की मौत मरै जो एक बार डरैगा हे
चाँ:कमला तूँ फेर पछतावैगी थारा पिटै दिवाला हे
क: चाँदकौर क्यों घबरावै सै रणबीर म्हारा रूखाला हे
जुलाई 1989
573
रेगुलर नौकरी
रेगुलर नौकरी पाना कोन्या कति आसान बताऊँ मैं ||
सी ऍम ऍम पी सब धोरै पाँच साल तैं धक्के खाऊँ मैं ||
पहलम कहवैं थे टेस्ट पास करे पाछै तूं बताईये
पास करे पाछै बोले पहले चालीस गये बुलाईये
एक विजिट चार सिफरिसी दो हजार तले आऊँ मैं ||
सरकारी नौकरी रोज तड़कै ढूंढूं सूँ अख़बार मैं
दुखी इतना हो लिया सूँ यकिन रहया ना सरकार मैं
एजेंट हाँडें बोली लानते कहैं चाल नौकरी दिवाऊं मैं ||
एम् सी ए कर राखी कहैं डेटा आपरेटर लवा देवां
कदे कहैं नायब तसीलदार ल्या तनै बना देवां
तिरूँ डूबूं मेरा जी होरया सै पी दारू रात बिताऊँ मैं ||
घर आली पी एच डी करै उसकी फिकर न्यारी मने
दोनूं बेरोजगार रहे तो के बनेगी या चिंता खारी मने
रणबीर बरोने आले तनै सुनले दुखड़ा सुनाऊँ मैं ||
574
करुं बिनती हाथ जोड़ कै मतना फौज मैं जावै।।
मुष्किल तैं मैं भरती होया तूं मतना रोक लगावै।।
एक साल मैं छुटी आवै होवै मेरै समाई कोन्या
चार साल तैं घूम रहया आड़ै नौकरी थ्याई कोन्या
बनवास काटना दीखै सै कदे कसूर मैं आई कोन्या
बेरोज गारी का तनै बेरा मैं करता अंघाई कोन्या
आड़ै ए खा कमा ल्यांगे नहीं तेरी समझ मैं आवै।।
मैं के जाकै राजी सूं पेट की मजबूरी धक्का लावै।।
थोड़ा खरचा करल्यांगे म्हारा आसान गुजारा होज्यागा
बेगार करनी पड़ैगी हमनै म्हारा जी खारया होज्यागा
साझे बाधे पै ले ल्यांगे किमै और साहरा होज्यागा
सोच बिचार लिए सारी म्हारा जीना भारया होज्यागा
कोन्या चाहिये तेरी तिजूरी जी गैल रैहवणा चाहवै।।
मनै तान्ने दिया करैगी ना तूं बूजनी घड़ाकै ल्यावै।।
ठाडे पर ना बसावै हीणेे पर दाल गलै सै देखो
धनवानां की चान्दी होरी ना उनकी बात टलै देखो
बात इसी देख जी मेरा बहोत घणा जलै सै देखो
जो म्हारे बसकी ना उसपै के जोर चलै से देखो
दिल मेरा देवै सै गवाही जाकै तूं नहीं उल्टा लखावै।।
इसी फेर कदे ना सोचिए न्यों फौजी आज बतावै।।
तनै जाना लाजमी फौजी मेरी कोन्या पार बसाई
अंग्रेजां नै देष लूट लिया भगतसिंह कै फांसी लाई
उनके राज ना सूरज छिपता क्यों लागी तेरै अंघाई
सारे मिलकै जिब देवां घेरा ना टोहया पावै अन्याई
सारी बात सही सैं तेरी पर मेरा कौण धीर बंधावै।।
देखी जागी जो बीतैगी रणबीर ना घणी घबरावै।।
575
हांडे छात मुहैया कराने आला।।
कल्याण कानून थोड़ी सी हमें राहत दिलाने आला।।
1
हरियाणे मैं बाइस लाख निर्माण मजदूर बताये
इनमां तैं बीस प्रतिशत बस रजिस्टर सैं हो पाये
प्रवासी मजदूरों को नहीं दफ्तर राह बताने आला।।
2
ऑन लाइन ऑफ लाइन मजदूर आज उलझाये
निर्माण मजदूर दुखी हो आज सड़कां उपर आये
संघर्ष करकै नै हुया मजदूर मांग मनाने आला।।
3
एकाध मांग मानी म्हारी बाकियों पै कर इंकार रहे
इलाज और दूसरी मांग नाटे जो चला सरकार रहे
उन्तीस सौ करोड़ जमा ना देता सरकार चलाने आला।।
4
एक आदमी एक सुविधा इसके बाहनै हक खोसैं
बयानबाजी ये करैं झूठी रणबीर मजदूरों को कोसैं
लाल झंडे तैं न्यारा यो नहीं पाया मेर कटाने आला ।।
576
भूख
भूख बीमारी घणी कलिहारी कहैं इसका कोये इलाज नहीं।।
बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।
1
भूख रूआदे भूख सुआदे भूख बिघन का काम करै
भूख सतादे भूख मरादे भूख ये जुल्म तमाम करै
कितना सबर इंसान करै उनकै माचै खाज नहीं ।।
बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।
2
शरीर बिकादे खाड़े करादे भूख कति बर्बाद करै
आछे भुन्डे काम करादे मानस हुया बर्बाद फिरै
आज कौन किसे नै याद करै दीखै कोये हमराज नहीं
बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।
3
भूख पैदा करै भिखारी पैदा बड़े बड़े धनवान करै
एक नै भूख दे करकै दूजा पेट अपना बेउन्मान भरै
एक इत्तर मैं स्नान करै दूजे धोरै दो मुट्ठी नाज नहीं ।।
बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।
4
लूट नै दुनिया भाइयो दो पाल्यां बिचाळै बांट दई
मेहनत करने आला भूखा मक्कारी न्यारी छाँट दई
लूट नै सच्चाई आँट दी रणबीर सुनै धीमी आवाज नहीं ।।
बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।
577
अपने हाथ कलम पकड़ो
चालाक आदमी फैयदा ठारे , इब माणस की कमजोरी का
घर की खांड किरकरी लागे , कहैं गूँद मीठा चोरी का
भगत और भगवान के बीच , दलाल बैठगे आकै
एक दूसरे की थाली पै , यें राखें नजर जमाकै
सीधी साच्ची बात करैं ना , यें करते बात घुमाकै
झोटे जैसे पले पड़े यें , सब माल मुफ्त का खाकै
म्हारी जेब पै बोझ डालते , अपनी जीभ चटोरी का||
हम बैठे भगवान भरोसे , ये कहरे हम दुःख दर्द हरैं
यें मंदिर की ईंट चुरा कै अपने घर की नीव धरैं
सारा बेच चढ़ावा खाज्याँ टीका लाकै ढोंग करैं
आप सयाने हम पागल बनाये , पाप करण तैं नहीं डरें
म्हारी राह मैं कांटे बोये , यें फैयदा ठारे धौरी का ||
राम के खातर खीलां फीकी ,यें काजू पिसता खावें
भगवान के ऊपर पंखा कोनी , यें ए सी मैं रास रचावें
मुर्गे काट चढ़ा पतीली , यें निश दिन छौंक लगावें
रिश्वत ले कै राम जी की , यें भगतों तैं भेंट करावें
बड़े बड़े गपौड़ रचें , यें करते काम टपोरी का ||
यें व्रत करारे धक्के तैं , धर्म का डर बिठा कै
खुद पड़े पड़े हुक्म चलावें म्हारी राखें रेल बना कै
टीके लाकै पोथी बांचें , कई राखें झूठे ढोंग रचा कै
'रामेश्वर ' सब अँधेरा मेटो , थाम तर्क के दीप जला कै
अपने हाथ कलम पकड़ो , लिखो इब अंत स्टोरी का ||
578
आज ही अमर उजाला में खबर पढ़ी तो दिल कांप सा गया । समझ नहीं आया इस संकट का समाधान । एक रागनी दिमाग में आई। क्या सोचा भला ---
गांव मैं बैंक की गाड़ी देखकै मेरे बालक सहम जावैं
कर्ज के कारण फांसी खाई पति मेरे याद घणे आवैं
1
बैंक का कर्ज पाट्या कोण्या ज्यां फांसी उसनै खाई
सिरसा के हंजीरा गांव मैं ये सबकी आंख भर आईं
छोड़ गया पत्नी एकेली दो बालक यांणे खड़े लखावैं।।
2
बैंक की दाब म्हारे उप्पर रोजाना बढ़ती जावै देखो
जीप चक्कर देवै घरके बालकों मैं दहशत छावै देखो
अवसाद की शिकार हुई मैं बैंक आले भी धमकावैं ।।
3
मासूम निशा ग्यारा साल की जीप कान्ही लखाएँ जा
प्रिंस बेटा आठ साल का डरकै नै आंसू बहाएं जा
पढ़ाई का खर्चा पाटै कोण्या चिंता और कई खावैं।।
4
बैंक अधिकारी कहवै सै कर्ज जमीन पै लिया गया
कोर्ट तैं भी डिक्री का यो फैंसला बैंक तैं दिया गया
कहै रणबीर कुर्की आगी इसतै कैसे पिंड छुटावैं।।
579
मजदूर-
ना गश लावै भाई बिगाड़या तेरा मिजान नहीं ।।
किसान-
मजदूरी बाधू मांगें जावै करै म्हारा ध्यान नहीं ।।
1
मजदूर-
करकै गाड़ी त्यार राज की दो पहिये इसमैं डाल दिये
किसान-
हम जोड़ दिए लागू पूरे मजदूर कर माला माल दिये
मजदूर-
असवार हुया सै मोटा दोनों के मरण के हाल किये
किसान-
थारे मैं बांट म्हारी कमाई हम उसनै कंगाल किये
मजदूर-
बण्या डलेवर पूंजीपति हम करते यो ध्यान नहीं।।
किसान-
मजदूरी बाधू मांगें जावै करै म्हारा ध्यान नहीं ।।
2
मजदूर-बैठ्या बैठ्या बंगळ्यां मैं ओ मौज उड़ावै सै
किसान- मेहनत हम करां सां क्यूकर लूट ले जावै सै
मजदूर- कमाई तीस की करवाकै देकै आठ भकावै सै
किसान-ओ क्यूकर लूटै सै जब भा सरकार ठहरावै सै
मजदूर- ये टोटके समझे बिना होवै कति कल्याण नहीं।।
किसान- मजदूरी बाधू मांगें जावै करै म्हारा ध्यान नहीं ।।
3
मजदूर-उठ सवेरे ही हम दोनों अपने अपने काम पै जावैं सैं
किसान-मर पिट कै सांझ ताहिं ये गण्ठा रोटी थ्यावैं सैं
मजदूर-टूट्या फूट्या घर म्हारा मुश्किल गुजारे हो पावैं सैं
किसान-रच दिया संसार उसनै ये थाह किसनै थ्यावैं सैं
मजदूर- रूस लिया कमेरयां तैं म्हारा यो भगवान नहीं ।।
किसान- मजदूरी बाधू मांगें जावै करै म्हारा ध्यान नहीं ।।
4
मजदूर- इतनी मैं ना पार पड़ै हमनै आपस मैं कटवावै यो
किसान-किसान नै मजदूर खाग्या यही हमनै बतलावै यो
मजदूर- एक डाँडी तैं मारै मनै दूजी तैं तनै खावै यो
किसान-मारै क्यूकर मनै बता अन्नदाता मनै बतावै यो
रणबीर बिना म्हारे मेल होवै कोये समाधान नहीं ।।
किसान- मजदूरी बाधू मांगें जावै करै म्हारा ध्यान नहीं ।।
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580
मनुवाद
अनादि ब्रह्म नै धरती पै यो संसार रचाया कहते
मुंह बांह जांघ चरणों तैं सै सबको बसाया कहते
1
मुंह तैं बाह्मण पैदा करे चर्चा सारे हिंदुस्तान मैं
बाँहों से क्षत्रीय जन्मे जो डटते आये जंगे मैदान मैं
जांघ से वैश्य पैदा करे लिख्या म्हारे ग्रन्थ महान मैं
चरणों से शुद्र जन्म दिये आता वर्णों के गुणगान मैं
चार वर्णों का किस्सा यो जातों का जाल फैलाया कहते
2
भगवान नै शुद्र के ज़िम्मे यो एक काम लगाया
बाक़ी तीनों वर्णों की सेवा शुद्र का फर्ज बताया
शुद्र जै इणनैं गाली देदे जीभ काटो विधान सुनाया
नीच जात का बता करकै उसतैं सही स्थान दिखाया
मनुस्मृति ग्रन्थ मैं पूरा हिसाब गया लिखाया कहते
3
शुद्र जै किसे कारण तै इणनैं नाम तैं बुला लेवै
दस ऊँगली लोहे की मुंह मैं कील ठुका देवै
भूल कै उपदेश देदे तै उसके कान मैं तेल डला देवै
लाठी ठाकै हमला करै तो शुद्र के वो हाथ कटा देवै
मनु स्मृति नै शुद्र खातर नर्क कसूत रचाया कहते
4
बाबा अम्बेडकर जी नै मनुस्मृति देश मैं जलाई थी
उंच नीच की या कुप्रथा मानवता विरोधी बताई थी
कमजोर तबके कट्ठे होल्यो देश मैं अलख जगाई थी
आरएसएस मनुवाद ल्यावै असली शक्ल दिखाई थी
रणबीर महात्मा बुद्ध भी इसपै सवाल ठाया कहते
581
86 के दौर के हालात पर
डांगर बरोबर माणस होगे फासला खास रहया कोण्या।।
माची घणी सै आपा धापी बरतावा धांस रहया कोण्या।।
1
लूट पाट का दरबार लग्या चिड़िया नै खा बाज रहया
हो दिन धौली कत्लोगारत भरोसा कोण्या आज रहया
बलात्कारी बणे चौधरी हो बदचलनी का राज रहया
पुलिस बदमाशां की यारी हो किसा बेढंगा काज रहया
बढ़ी बेकारी भूख गरीबी यो पीसा पास रहया कोण्या।।
2
श्यामत चढ़गी कीमत बढ़गी पूरे सात असमानां मैं
बिना बात करवाया घात हिन्दू और मुसलमानां
मैं
गरीब रोवै सै नसीबां नै आवै सरकारां की चालां मैं
भेडिये भीतर तैं असली ये घले बकरी की खालां मैं
दिन रात कमाया बावला कदे शाबाश कहया कोण्या।।
3
नाक तैं आगै देखण नै खामखा मतना जतन करो
लूट गरीब की मेहनत नै फेर भगवती का भजन करो
गरीब अमीर की खाई नै बस बात बातां मैं दफन करो
नाश राही सुरग मिलता अच्छाई नै जला वतन करो
होगे भोगी ढोंगी कसूते जनता पै जावै सहया कोण्या।।
4
मुनाफा चाहिए अमीराँ नै बणग्या पैमाना समाज का
बिकता ईमान यो कपूरे का ना काम शर्म लिहाज का
रणबीर आज बिकै मुख्यमंत्री इस पूंजीवादी राज का
अमीर दूना अमीर हुया कितै तोड़ा हुया अनाज का
म्हारे नेतावां नै भी दखे यो नाश जमा लहया कोण्या ।।
1.6.86
582
कॉल डाउन बिना तैयारी ना लगाणा था
पूरा प्लान बनाकै सबको ही बताणा था
स्वास्थ्य ढांचा म्हारा मजबूत बनाणा था
जनता जैसे तैसे चाहया अमल करया।।
1
एक हिस्सा तो घर मैं बैठ गया जाकै
बड़ा हिस्सा तो देखै था एड्डी ठा ठाकै
अफरा तफरी मैं देखै था वो मूँह बाकै
कई प्रदेशां मैं दीख्या भूख तैं घिरया।।
2
दाल रोटी की वो बाट देखता रहया
सरकारी तंत्र कई जगां कति ढहया
भूख और प्यास इब तलक सहया
कोये बच्या कोरोना तैं कोये मरया।।
3
केस बढ़े लॉक डाउन पड़ी बढ़ाणी
दिहाड़ीदार की होरी कुणबा घाणी
बात क्यों कहि जो नहीं थी निभाणी
कई का खाली कुछ का जमा भरया।।
4
छबीस हजार तैं ऊपर जा लिये रोगी
इसी व्यथा आज तलाक नहीं भोगी
कोरोना नीचे ऊंचे होंश सबके खोगी
रणबीर संसार कोरोना तैं घणा डरया।।
583
सरतो नफेसिंह की चिट्ठी पढ़कर क्या सोचती है भला:
कई स्वारथ साधे चाहवै अमरीका जंग की आड़ मैं॥
दुनिया नै डराना चाहवै लगा टीका सब की जाड़ मैं॥
इराक को बुश नै धुरी बुराई की बताया आज
काल ताहिं सद्दाम बढ़िया भूण्डा क्यों दिखाया आज
इराक इरान उत्तर कोरिया एक साथ बिठाया आज
आतंकवाद के बाबू नै देखो इराक सताया आज
क्यूकर होवै तेल बंटाई फंसगे आपस की राड़ मैं॥
उसके पिट्ठू इराकी जितने सबमैं लाखां डालर बांटे
कटपुतली सरकार ताहिं उसनै अपने गुर्गे छांटे
गुप्त योजना घड़ी बताई सब ताहि बतावण तै नाटे
जिननै सवाल करया कोई वे घणी कसूती ढाला डांटे
अपणी मण्डी बधवण ताहि आग लाई देशां की बाड़ मैं॥
नब्बे मैं बम्ब बरसाकै इराक मैं लाखां लोग मार दिये
महिला बच्चे और बूढ़े बिन मौत के घाट उतार दिये
दो हजार पाउंड का बम्ब इराक पै कसूते वार किये
पाबन्दी चाली आवै जिबतै भूख नै लोग बीमार किये
अमरीका देखै स्वारथ अपना बाकी जाओ सब भाड़ मैं॥
इजराइल फिलीस्तीन नै घणी कसूती ढाल सतावै
अमरीका इजराइल का क्यों जमकै नै साथ निभावै
प्रधानमंत्राी मारया जिसनै उनै शांति पुरुष बतावै
बिन लादेन का यारी बता सद्दाम नै सबक सिखावै
कहै रणबीर भरैगी बुड़का जनता बुश की नाड़ मैं॥
श्रेणी: हरियाणवी रचना
KAVITA KOSH
584
15/3/1993
इतनी दारू क्यों पीवै, कर लिया सत्यानाश तनै।।
तों आच्छा बीच्छा था, दुनिया कहै बदमाश तनै।।
1
धमलो
जितनी चाद्दर उतना ए पसरो, या दुनिया कहती आई
दारू सुल्फे के चक्कर मैं या धरती बटै लाई
यार बॉस जितने तेरे, उणनै मेरे पै नजर जमाई
खप्पर भरणी दारू नै , मेरी सारी ए टूम बिकाई
इतना घटिया माणस होग्या क्युकर दयूं शाबाश तनै।।
2
रमलू
मेरे बस की बात कोण्या ठेका मेरे पाहयां नै खींचै
सांझ होंते की गेल्याँ सांस होवै ऊपर और नीचै
बोतल जब पूरी भीतर जाले,या आंख मेरी मींचै
गम सारे भूलूँ धमलो या सोचण के पट भींचै
तिरूं डुबूं रहवै कालजा सब बातां का अहसास मनै।।
3
धमलो
घर कोए बच्या नहीं सै माणस छिदा बचरया सै
बाबू टोहवै बेटे आली यो बेटा बाबू कै खसरया सै
पी दारू ऐड़े बैड़े बोलैं घरां अंधेरा यो बसरया सै
औरत कितै महफूज नहीं गल मैं फांसा फँसरया सै
हाथ जोड़ कहण मेरा थोड़ा जमा ना हो विश्वास तनै।।
4
रमलू
आदत पड़गी कोण्या छूटती मैं होरया अलाचार जमा
घर फूंक तमाशा होग्या खो देगा यो घरबार जमा
टूम ठेकरी भी बिक़वादे बनै दुधारी तलवार जमा
ठेके बन्द करती कोण्या म्हारी या सरकार जमा
दारू छोड्या चाहूँ लाजमी मिलै सुरग का पास मनै।।
5
धमलो
कितने बर नेम करे सुण सुण कै नै तंग आगी
क्युकर कुन्बा चालै म्हारा इसकी चिंता मनै खागी
खुले आम बिकते पैग बताए लत बालकां मैं छागी
माक्खी भिनकें कुत्ते चाटैं नाली मैं जा ठोड़ी लागी
रणबीर झूठे लारे देकै खवाई दही भामै कपास तनै।।
585
अन्धविश्वासों का घेरा
भगवान मंदिर मैं बैठया खुद दीवा नहीं जला पावै।।
म्हारी जिंदगी का कैसे बालै मनै कोये आकै समझावै।।
1
पत्थर के शेर की पूजा दुर्गा की सवारी मान कै करते
जिन्दा शेर दीखज्या तै ज्याण बचाण नै भागे फिरते
पत्थर तैं इतना लगाव जीव हमनै क्यों नहीं भावै।।
म्हारी जिंदगी का कैसे बालै मनै कोये आकै समझावै।।
2
पत्थर का कुत्ता पूज्या जा शनिदेव की सवारी माणकै
जिन्दा नै कहते भागज्या उसकै डंडा मारते ताण कै
पत्थर पूजा छारी सारे कै या बात समझ नहीं आवै।।
म्हारी जिंदगी का कैसे बालै मनै कोये आकै समझावै।।
3
गणेश तैं दूध प्या दिया हजारों टन बताया जासै
मंदिर मैं करोड़ों का चढ़ावा हर साल चढ़ाया जासै
मंदिर बाहर बालक भूखा दो रोटियां पाया चाहवै।।
म्हारी जिंदगी का कैसे बालै मनै कोये आकै समझावै।।
4
धार्मिक ग्रंथ कितने पुराने कोये तो मनै बतादयो
ग्रन्थ पुराने एक इंसान आकै कोये तो समझादयो
लिपि इंसान नै बनायी रणबीर नहीं झूठ भकावै।।
म्हारी जिंदगी का कैसे बालै मनै कोये आकै समझावै।।
586
एक फौजी की घरवाली की दास्तां
तर्ज -कसमें वायदे प्यार वफा-
सोसाटी आला बाबू जी रोजाना फेरी मारै पिया।।
दारु पी कै घरनै आवै कुबध करण की धारै पिया।।
म्हारे घर अन्न वस्त्र का टोटा इतने जतन करैं फौजी
म्हारी जिन्दगी बीत गई हम टोटे के म्हां मरैं फौजी
लता कपड़ा नहीं औढ़ण नै जाड्डे के म्हां ठिरैं फौजी
बता जुलमी करजे का पेटा किस तरियां तैं भरैं फौजी
इस करजे की चिन्ता मनै शाम सबेरी मारै पिया।।
धरती सारी गहनै धरदी दबा लिए हम करजे नै
जितने जेवर थे घर मैं सब बिकवा दिये करजे नै
रोटी कपड़े के मोहताज हम बना दिए करजे नै
चोरी के झूठे इल्जाम म्हारे पै लुवा दिए करजे नै
सोसाटी आला बाबू जी ईज्जत पै हाथ पसारै पिया।।
जहरी नाग फण ठारे कुए जोहड़ मैं पड़ना दीखै
और नहीं गुजारा चलै ज्यान का गाला करना दीखै
करजा म्हारा नाश करैगा बिजली बिल भरना दीखै
मारुं सैक्टरी नाश जले नै ना आप्पै ए मरना दीखै
आंख मूंदगे हीजड़े होगे वोतै गाम नै ललकारै पिया।।
गरीब की बहू जोरु सबकी या समझै दुनिया सारी
मेहनत तो लूट लई या ईब ईज्जत लूटण की त्यारी
सारा गाम बिलखै फौजी कड़ै गया वो कृष्ण मुरारी
रणबीर सिंह नै बरोने कै मैं खोल बताई या बीमारी
करिए ख्याल तावला मेरा प्रेम कौर खड़ी पुकारै पिया।।
587
मत बनो कसाई
मत बनो पिता कसाई हो तेरी बेटी मैं।।
बचपन मैं दुभांत करी,कोन्सा किसे कै बात जरी
भाई खावै दूध मलाई हो तेरी बेटी मैं।।
घी माता को एक धड़ी दस दिन मैं करी खड़ी
ठीकरे फोड़ मातम मनाई हो तेरी बेटी मैं।।
घी माता की दो धड़ी चालीस दिन सम्भाल बड़ी
दादी नै थाली बजाई हो तेरी बेटी मैं।।
महिला दुश्मन अपनी जाई की हालत भूरो और भरपाई की
सारी उल्टी सीख सिखाई हो तेरी बेटी मैं।।
पढ़ण खंदाया स्कूल मैं भाई नहीं कदे मेरी बारी आई
घर अन्दर मोस बिठाई हो तेरी बेटी मैं।।
बालकपन मैं ब्याह रचाया वारी मेरी समझ मैं आया
रणबीर सिंह की कविताई हो तेरी बेटी मैं।
88
बस में रोजाना छेड़छाड़ की घटनाएं हो रही हैं। लड़कियों ने हिम्मत की मगर समाज को रास नहीं आई कमजोर तबकों की लड़कियों की बहादुरी।
कौण साच्चा कौण झूठा इसमैं बात सिमटा दई सारी।।
बसां मैं जो होवै दुर्गति इसकी चर्चा गई मूधी मारी।।
लड़कियां की पहल कदमी की बात उतरै नहीं गलै
सबनै बेरा हाल बसां का झेलै जब चढै कै उतरै तलै
डरती बोलती कोन्या कदे चरित्रहीनता की फांसी घलै
म्हारे प्रदेश की महिला पुरुषवादी आतंक के म्ंह पलै
दो छोरियां नै हिम्मत दिखाई संस्कृृति हा हा कार मचारी।।
माणस तो रेप करणिया के भी हक मैं समझौते खातर आवैं
महिला कैड़ खड़े होवण मैं ये सारे बड्डे चौधरी हिचकावैं
रेप का कसूरवार भी महिला नै किसे ना किसे ढ़ाल बतावैं
बिगडै़ल छोरयां नै मुश्किल तैं कदे कदे फंसी मैं बिसरावैं
विकृृत मानसिकता और समझ के आज हुए घणे प्रचारी।।
दबाया गया तबका कद ताहिं न्योंए दबकै सहवै भाई
भीतर आग बलै वा जलाकै सब क्यांहें नै रहवै भाई
कमजोर का साथ कौण दे यो समाज ठाडे नै लहवै भाई
घणी हिम्मत चाहिये जब कोए छोरी इसे ढालां फहवै भाई
पाछै सी दो छोरी फांसी खागी किननै उनकी बात बिचारी।।
कमजोरां पर अत्याचार होवैं समाज जात्यां मैं बंट ज्यावै
गलत सही का फैंसला भी पाले बन्दी के हिसाब तैं आवै
जात्यां तैं उपर उठकै नै जै कोए विवेक तैं बात नै बढ़ावै
उसकी कोए नहीं सुणकै राजी दूजे सुर मैं सुर मिलावै
इस किस्से मैं साच् कोर्ट छांटै बाकियां पै क्यों चुप्पी धारी।।
589
रात ग्यारा बजे चालकै दिल्ली एयरपोर्ट आये रै।।
दिल्ली तैं कुवैत के जहाज के टिकट कटाये रै।।
1
हवाई जहाज का सफर कई घण्टे का होग्या भाई
ब्रेकफास्ट किया फेर लंच फेर फ़िल्म एक चलाई
कुवैत पहोंच लंदन की मिलगी या जहाज हवाई
लंदन की हवाई यात्रा घर आली नै खूब सराही
लंदन पहोंचे सांझ ताहिं फेर सांस थोड़े ले पाये रै।।
दिल्ली तैं कुवैत के जहाज के टिकट कटाये रै।।
2
विवेक भाई एयरपोर्ट पै देखै था वो बाट म्हारी
सारा सामान लाद लिया फेर चली म्हारी सवारी
सत्तर मील की दूरी साउथ एन्ड रहवै
बेटी प्यारी
दोहती अनन्या दोहता आदि सबकै खुशी छारी
कुलदीप शीतल नै आंख्यां पै सारे बिठाये रै।।
दिल्ली तैं कुवैत के जहाज के टिकट कटाये रै।।
3
रात का खाना खाकै या नींद गजब की आई
सपने मैं घूमै रोहतक दे इंद्रप्रस्थ का पार्क दिखाई
सबतें सम्पर्क टूट गया सिम कार्ड ना
मिल पाई
जी मैं जी आग्या मेरै जिब चलगी वाई फाई
नमस्ते लंदन से के फूल सब धोरै पहोंचाये रै ।।
दिल्ली तैं कुवैत के जहाज के टिकट कटाये रै।।
4
स्वीमिंग पूल अर पार्क अगले दिन घूम कै आये
लंदन आई जाकै दूजे दिन पूरा लंदन देख पाये
विंडसर कैस्टल तीजे दिन उड़ै मजे खूब उड़ाए
चौथे दिन बीच पै घूमे बालक झूले खूब झुलाये
रणबीर दस तारीख नैं बेल्जियम के प्लान बनाये रै ।।
दिल्ली तैं कुवैत के जहाज के टिकट कटाये रै।।
90
जात
बिना बात के रासे मैं इब बख्त गंवाना ठीक नहीं।।
अपने संकट काटण नै यो जात का बाणा ठीक नहीं।।
1
बेरोजगारी गरीबी महंगाई हर दिन बढ़ती जावै सै
जो बी मेहनत करने आला दूना तंग होंता आवै सै
जब हक मांगै कट्ठा होकै तान बन्दूक दिखावै सै
कितै भाई कितै छोरा उसकी बहका मैं आ ज्यावै सै
खुद के स्वार्थ मैं देश कै बट्टा लगाणा ठीक नहीं ।।
अपने संकट काटण नै यो जात का बाणा ठीक नहीं।।
2
म्हारी एकता तोड़ण खातिर बीज फूट का बोवैं सैं
मैं पंजाबी तूँ बंगाली ज्यान इलाके ऊपर खोवैं सैं
मैं जाट तूँ हरिजन सै नश्तर कसूता चुभोवैं सैं
आपस कै म्हां करा लड़ाई नींद चैन की सोवैं सैं
इनके बहकावे मैं आपस मैं भिड़ जाणा ठीक नहीं।।
अपने संकट काटण नै यो जात का बाणा ठीक नहीं।।
3
म्हारी समझ नै भाइयो दुश्मन ओछी राखणा चाहवै
म्हारे सारे दुखां का दोषी हमनै ए आज यो ठहरावै
कहै खलकत घणी बाधू होगी इसनै इब कौन खवावै
झूठी बातां के ले साहरा वो उल्टा हमनै ए धमकावै
इन चीजों के बहकावे मैं म्हारा आ जाणा ठीक नहीं ।।
अपने संकट काटण नै यो जात का बाणा ठीक नहीं।।
4
हमनै दूर रहण की शिक्षा दे राजनीति तैं राज करै
वर्ग संघर्ष की राही बिना इब कोण्या काज सरै
कट्ठे होकै देदयाँ घेरा दुश्मन भाजम भाज मरै
झूठे वायदयाँ गेल्याँ म्हारा क्यूकर पेटा आज भरै
आपस मैं मरैं यारे प्यारे ईसा तीर चलाना ठीक नहीं ।।
अपने संकट काटण नै यो जात का बाणा ठीक नहीं।।
591
आयी तीज
मॉनसून नै इबकै बहोतै बाट या दिखाई बेबे
बरस्या नहीं खुलकै बूंदा बांदी सी आयी बेबे
साम्मण के मिहने मैं सारे कै हरयाली छाज्या
सोचै प्रदेश गया पति भाज कै घर नै आज्या
ना गर्मी ना सर्दी रूत या घणी ए सुहाई बेबे
कोये हरया लाल कोये जम्फर पीला पहर रही
बाँट गुलगुले सुहाली फैला खुशी की लहर रही
कोये भीजै बूंदां मैं कोये सुधां लत्यां नहाई बेबे
आयी तीज बोगी बीज आगली फसल बोई या
झूला झूल कै पूड़े खाकै थाह मन की टोही या
पुरानी तीज तो इसी थी आज जमा भुलाई बेबे
बाजार की संस्कृति नै म्हारी तीज जमा भुलाई
इस मौके पर जाया करती प्रेम की पींघ बढ़ायी
कहै रणबीर सिंह कैसे करूँ आज की कविताई
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