पींग घलण की रीत खुसगी इब आग फैंकदी सामण पै।।
पेटैन्ट बैरी नै यो दा लगाया प्यारे नीम और जामण पै।।
1
कदे कदीमी इणनै म्हारी या जनता लाती आई देखो
साची मानो बनस्पति म्हारी वफादार सिपाही देखो
बदेशी कम्पनी नै पेटैन्ट की अपनी छाप लगाई देखो
जूती म्हारी सिर म्हारा चौड़े मैं करी सै पिटाई देखो
सोचो सारे के गुजरैगी इब धर्में, जीतू और मामण पै।।
2
बदेशी कम्पनी रॉयल्टी माँगै माफ करै नहीं कोई रै
सरकार जली ना मूंह खोलती कित सै पडकै सोई रै
जाण बूझ कै जाल साजी तैं किसी करड़ाई टोही रै
धरती जामण हल्दी म्हारी क्यों खसम कम्पनी होई रै
सम्भल कै रहियो इब नजर सै कुड़ते अर इस दामण पै।।
3
बेटा बेटी सी हमनै लागै सै या खेती खूबै प्यारी भाई रै
ढाल ढाल के फूल पौधे फितरत सबकी न्यारी भाई रै
नींबू घीया तोरी संतरा कितै खिलरे फूल हजारी भाई रै
सौ जागां पै ये काम आवैं चाहे हारी हो बीमारी भाई रै
पेटैन्ट होज्या सब क्यान्हे का रॉयल्टी होज्या लामण पै।।
4
किसान भाइयो होंश करो घर बार म्हारा खतरे मैं
एक खेती का मसला कोण्या देश सै सारा खतरे
मैं
औरत जाति दुखी घणी हुया गरीब बेचारा खतरे
मैं
माणस पन नै भाई खतरा सै भारत प्यारा खतरे मैं
कहै रणबीर खतरा घणा यो म्हारे डांगराँ के रामभण पै।।
मार्च 2000
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