Tuesday, 22 August 2023

किस्सा भगत सिंह 17 से 25

 वार्ता

भगत सिंह और उनके साथियों का समाजवाद का सपना था। भगत सिंह ने विस्तार से इस बारे लिखा भी। क्या बताया भला-
रागनी 17
थारा समाजवाद का सपना भगत सिंह आगै बढ़ावैं रै।।
थोड़े सां पर बुलन्द होंसले सैं जमा नहीं झूठ भकावैं रै।।
1
इस बाजार व्यवस्था नै सारे कै उधम घणा मचाया सै
मानवता पाछै छोड़ दई यो विज्ञान तकनीक बनाया सै
पर्यावरण का सत्यानाश करया लालच घणा छाया सै
कुदरती संसाधन का दोहन बेहिसाब आज करवाया सै
पूंजीवादी बाजार की जड़ दीखली या सबनै समझावैं रै।।
थोड़े सां पर बुलन्द होंसले सैं जमा नहीं झूठ भकावैं रै।।
2
हिंदुस्तान मैं बाजारवाद के टाटा अम्बानी पुजारी देखो
इनके तलहैडू म्हारी सरकार जमा ए अक्कल मारी देखो
गोड्डे टिकवाये किसानां के मजदूर बनाये भिखारी देखो
अम्बानी की अमीरी बधाई गरीबां की हुई लाचारी देखो
भगत सिंह थारी राही चालां नहीं पाछै कदम हटावैं रै।।
थोड़े सां पर बुलन्द होंसले सैं जमा नहीं झूठ भकावैं रै।।
3
शहीदों थारी या कुर्बानी एक दिन अपना रंग दिखावैगी
बेरोजगारी खत्म होज्यागी महिला पूरा सम्मान पावैगी
जंगी हथियार खत्म करे जावैं दुनिया मैं शांति छावैगी
जात गोत मजहब ताहिं या मानवता सबक सिखावैगी
दुनिया मैं समाजवाद का नारा मिलकै नै सारे लगावैं रै।।
थोड़े सां पर बुलन्द होंसले सैं जमा नहीं झूठ भकावैं रै।।
4
सिर्फ बात नहीं सैं कहवण की ये होवण की बात सारी
लुटेरे कमेरे की लड़ाई असली बाकी लड़ाई खाई बधारी
वर्ग संघर्ष का रास्ता सही रणबीर की कलम भी पुकारी
आज इसपै चलने का मौका दुनिया मैं संकट आया भारी
भगत सिंह जन्म दिन थारा हम जोश खरोश तैं मनावैं रै।।
थोड़े सां पर बुलन्द होंसले सैं जमा नहीं झूठ भकावैं रै।।

वार्ता


भगत सिंह जेल से अपने पिताजी के नाम एक पत्र लिखकर सरकार को उनके द्वारा भेजी अपील का सख्त विरोध करते हैं । क्या बताया इस रागनी में :-
रागनी 18
अर्जी पिता किशनसिंह नै ट्रिब्यूनल ताहीं दी बताई थी।।
दलील दे बचाव खातर  कोर्ट जाणे की प्लान बनाई थी ।।
भगत सिंह और उसके साथी इसतैं सहमत नहीं बताये
अंग्रेजां की बदले की नीति बोले पिता समझ नहीं पाये
जिंदगी की भीख नहीं मांगां सन्देश बाबू धोरै भिजाई थी।1।
दलील दे बचाव खातर-------
हम तो हैरान पिताजी क्यों आपनै आवेदन भेज दिया
बिना मेरे तैं सलाह करें इसा गल्त क्यों काम किया
राजनितिक विचारों की दूरी कई बारियां समझाई थी।2।
दलील दे बचाव खातर-------
थारी हाँ ना के ख्याल बिना मैं अपना काम करता आया सूँ
मुकद्दमा नहीं लड़ूंगा इसपै मैं धुर तैं खड़या पाया सूँ
अपने सिद्धान्त कुर्बान करकै नहीं बचना कसम खाई थी।3।
दलील दे बचाव खातर---------
आप पिता मेरे ज्यां करकै मनै सख्त बात नहीं लिखी सै
थारी या बड़ी कमजोरी बात साफ़ मनै कहनी सिखी सै
रणबीर इस्सी उम्मीद कदे मनै आपतैं नहीं लगाई थी।।
दलील दे बचाव खातर---------
16.9.16
वार्ता
शहीद भगत सिंह को याद करते हुए लेखक क्या लिखता है भला--
रागनी 19
तेरी याद सतावै सै, दुख बढ़ता आवै सै
कानां पर कै जावै सै, म्हारी कोये ना सुणता।।
1
एक ओड़ नै तो सती का जश्न खूब मनाया जावै
औरत को दूजे कांहीं बाजार बीच नचाया जावै
जड़ै होज्या सै सुनवाई,इंसानियत जड़ै बताई, समाजवाद की राही, भगत कोये ना चुनता।।
2
मुनाफाखोरी की संस्कृति जिस समाज मैं आ ज्यावै
मानवता उड़ै बचै कोण्या या जड़ मूल तैं खा ज्यावै
पूंजी का खेल बताया, नहीं समझ मैं आया
आपस मैं भिड़वाया, भगत भेद नहीं खुलता।।
3
और मुनाफा चाहिए चाहे लाश गेरणीं हो ज्यावैं
साइनिंग दुनिया आले एयरकंडिसन्ड मैं सो ज्यावैं
गरीब क्यों भूखा मरै,मेहनत भी खूब करै
साइनिंग ऊंपै नाम धरै,भगत नहीं चैन मिलता।।
4
आपा धापी माच रही भाई का गल भाई काट रहया
नयेपन के नाम पै नँगापन चाला भुण्डा पाट रहया
जात पात की राही नै, ऊंच नीच की खाई नै, देख गरीब की तबाही नै, रणबीर देख दिल  हिलता।।
वार्ता
शहीद ए आजम भगत सिंह
रागनी 20
माता जी मनै आज्ञा देदे देश नै आजाद कराऊँ मैं
री माता दूध तेरा यो करकै सफल दिखाऊं मैं ।।
1
माता तनै लाड प्यार तैं देश भक्ति का पाठ पढ़ाया
जिसकी खातर तैयार किया सुण माता बख्त वो आया
अपनी छाती का दूध पिलाया नहीं कोख लजाऊं मैं।।
री माता दूध तेरा यो करकै सफल दिखाऊं मैं ।।
2
शेर बबर की तरियां सीना खोल चलैं क्रांतिकारी
गाजर मूली समझैँ गोरे क्यों उनकी अक्कल मारी
बढ़ती जागी ताकत म्हारी साची साच बताऊँ मैं।।
री माता दूध तेरा यो करकै सफल दिखाऊं मैं ।।
3
देश मैं अलख जगावैं क्रांतिकारी देकै नै क़ुरबानी
कई बरस हो लिए माता गोरी ताकत नहीं मानी
नहीं डरते हम हिंदुस्तानी कोण्या झूठ भकाऊं मैं।।
री माता दूध तेरा यो करकै सफल दिखाऊं मैं ।।
4
अंग्रेज गोरे फुट गेरै अपणा राज बचावण नै रै
देश की जनता मिलकै लड़ैगी देश छुडावण नै रै
रणबीर छंद बणावण नै रै या कलम घिसाऊं मैं ।।
री माता दूध तेरा यो करकै सफल दिखाऊं मैं ।।



21

भगत सिंह हर के सपने
जिन सपन्यां खातर फांसी टूटे हम मिलकै पूरा करांगे ।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।
1
सबको मिलै शिक्षा पूरी यही तो थारा विचार बताया
समाज मैं इंसान बराबर तमनै यो प्रचार बढ़ाया
एक दूजे नै कोए ना लूटै थामनै समाज इसा चाहया
मेहनत की लूट नहीं होवै सारे देश मैं अलख जगाया
आजादी पाछै कसर रैहगी हम ये सारे गड्ढे भरांगे।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।
2
फुट गेरो राज करो का गोरयां नै खेल रचाया था
छूआ छूत पुराणी समाज मैं लिख पर्चा समझाया था
समाजवाद का पूरा सार सारे नौजवानों को बताया था
शोषण रहित समाज होज्या इसा नक्शा चाहया था
थारे विचार आगै लेज्यावांगे हम नहीं किसे तैं डरांगे।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।
3
नौजवानो को भगत सिंह याद आवै सै थारी क़ुरबानी
देश की खातर फांसी टूटे गोरयां की एक नहीं मानी
देश की आजादी खातर तकलीफ ठाई थी बेउन्मानी
गोरयां के हाथ पैर फूलगे जबर जुल्म करण की ठानी
क्रांतिकारी कसम खावैं देश की खातर डूबाँ तिरांगे।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।
4
बहरे गोरयां ताहिं हमनै बहुत ऊंची आवाज लगाई
जनता की ना होवै थी सुनायी ज्यां बम्ब की राह अपनाई
नकाब फाड़ना जरूरी था गोरे खेलें थे  घणी चतुराई
गोरयां की फ़ौज म्हारी माहरे उप्पर करै नकेल कसाई
रणबीर कसम खावां सां चाप्लूसां तैं नहीं घिरांगे।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।

22

शहीद भगतसिंह
भगत सिंह विचार थारे, देश के शासक भूल गये।
सबकी शिक्षा काम सबको ,पकड़ मामले  तूल गये।
1
थारी तीनों और हजारों की क़ुरबानी आजादी ल्याई रै
देश भक्तों कै देश द्रोही की या कालस जावै लगाई रै
हिन्दू राष्ट्र का यो देकै नारा राज नशे मैं टूहल गये।
सबकी शिक्षा काम सबको ,पकड़ मामले  तूल गये।
2
बहुविविध्ता की थामनै रूखाल करनी बताई रै
नफरत फैला जात धर्म पै एकता पढण बिठाई रै
भूल समाजवाद का नारा हिन्दू के नारे पै झूल गये।
सबकी शिक्षा काम सबको ,पकड़ मामले  तूल गये।
3
नाबराबारी चाही तमनै हिंदुस्तान तैं खत्म होवै रै
किसान की हालत सुधरै मजदूर ना भूखा  सोवै रै
या सरमायेदारी छागी चढ़ फांसी सच्चे असूल गये।
सबकी शिक्षा काम सबको ,पकड़ मामले  तूल गये।
4
बड़ा हिस्सा जनता का थारे विचारों को आगे लेजारया
सेहत शिक्षा सामाजिक न्याय ये मुद्दे डटकै ठारया
रणबीर घणे जणे थारे विचार कर कबूल गये।
सबकी शिक्षा काम सबको ,पकड़ मामले  तूल गये।

23

शहीद भगत सिंह
एक दिन भगत सिंह नै दोस्तों को बात बताई कहते।।
धर्म पै बात खोलकै उनै अपने दिल की सुनाई कहते।।
1
जो धर्म दोस्तो जुदा इंसान को इंसान से कर देता भाई
मोहब्बत की जागां म्हारे मैं नफरत जो भर देता भाई
जरूरत ना इसे धर्म की दोस्तों को बात सिखाई कहते।।
2
एक दूजे नै मारण नै जो धर्म हमनै तैयार करै सै
भगत सिंह मेरे साथियो आज उसतै इनकार
करै सै
इन धर्मों नै मारकाट की जगत मैं या रीत चलाई कहते।।
3
जो धर्म म्हारे दिल मैं अंधविश्वास को फैलाता भाई
ऐसे धर्म के नजदीक यो भगत सिंह ना जाता भाई
धर्मों की पोल भगत सिंह नै सारी खोल दिखाई कहते।।
4
जो धर्म लोगों के बौद्धिक विकास मैं बाधक बनता भाई
क्या क्यों और कैसे की सोच जो धर्म कुंद करता भाई
कहै रणबीर इसे धर्म तैं भगत सिंह नै दूरी बनाई कहते ।।

वार्ता

साइमन कमीशन भारत में आता है। उसका विरोध पूरे भारत में होता है। पंजाब में भी विरोध किया जाता है। अंग्रेजों की पुलिस अत्याचार करती है। लाला लाजपतराय पर लाठियां बरसाई जाती हैं। वे शहीद हो गये। बदला लेने को क्रान्तिकारियों ने साइमन को मारने का प्रण किया। साण्डरस मारा जाता है। चानन सिपाही क्रान्तिकारियों के पीछे भागता है भगतसिंह और राजगुरु के पीछे। आजाद गोली चलाता है चानन सिंह को गोली ठीक निशाने पर लगती है। आजाद को बहुत दुख होता है चानन सिंह की मौत का। क्या बताया भला:
रागनी 24
तर्ज: चैकलिया
                साइमन कमीशन गो बैक नारा गूंज्या आकाश मैं।।
                साण्डर्स कै गोली मारकै पहोंचा दिया इतिहास मैं।।

                राजगुरु की पहली गोली साण्डर्स मैं समा गई थी
                भगतसिंह की पिस्तौल निशाना उनै बना गई थी
                चानन सिंह सिपाही कै लाग इनकी हवा गई थी
                पाछै भाज लिया चानन बन्दूक उसनै तना दई थी
                दोनूआं के बीच कै लाया अचूक निशाना खास मैं।।
                थोड़ी सी चूक निशाने की घणा पवाड़ा धर जाती
                भगतसिंह कै राजगुरु का सीना छलनी कर जाती
                आजाद जीवन्ता मरता क्रान्तिकारी भावना मर जाती
                आजादी के परवान्यां के दुर्घटना पंख कतर जाती
                आजाद गरक हो ज्याता आत्मग्लानि के अहसास मैं।।
                चानन सिंह के मारे जाने का अफसोस हुया भारी था
                आजाद नै जीवन प्यारा था वो असल क्रान्तिकारी था
                खून के प्यासे आतंकवादी प्रचार यो सरकारी था
                सूट एट साइट का उड़ै फरमान हुया जारी था
                विचलित कदे हुया कोन्या भरया हुआ विश्वास मैं।।
                कठिन काम तै घबराया ना चन्द्रशेखर की तासीर थी
                आजाद भारत की उसकै साहमी रहवै तसबीर थी
                इसकी खातर दिमाग मैं कई ढाल की तदबीर थी
                आजाद नै चैबीस घन्टे दीखैं गुलामी की जंजीर थी
                रणबीर आजाद कैहरया फायदा म्हारे इकलास मैं।।
वार्ता
भगत सिंह ने जनता को क्या पैगाम दिया था
25
शहीद भगत सिंह नै दिया आजादी का पैगाम सुणो।।
भारत के सब नर और नारी उनकी बात तमाम सुणो।।
1
  व्यापार करने की खातिर ईस्ट इंडिया कम्पनी आई
सहज सहज भारत पै इसनै फेर थी पूरी धाक जमाई
व्यापारी वे हाकिम बनगे थामी देश की लगाम सुणो।।
2
ये न्यारी न्यारी रियासत एक एक करकै कब्जाई थी
ठा फायदा म्हारी कमजोरी का बांदर बांट मचाई थी
शाम दाम दंड भेद रचाकै यो बनाया देश गुलाम सुणो।।
3
भारत वासी घणे करहावैं थे भगत सिंह हर सब  देखैं रै
सोच विचार करे मिलकै क्युकर दुख देश का
मेटैं रै
नौजवान सभा बना शुरू करया आजादी का काम सुणो।।
4
क्रांतिकारी संगठन बना कै आजादी की लहर चलाई
आजाद देश हिंदुस्तान की बढ़िया सी तस्बीर बनाई
रणबीर करी भगत हर नै गोरयाँ की नींद हराम सुणो।।

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