Saturday, 7 May 2022
56 RAGNI
1
तर्ज: चौकलिया
पन्दरा अगस्त सैंतालिस का दिन लाखां जान खपा कै आया।।
घणे हुये कुर्बान देस पै जिब आजादी का राह पाया।।
1
सैंतालिस की आजादी ईब दो हजार आ लिया
बस का भाड़ा याद करो यो कड़ै सी जा लिया
सीमैंट का कट्टा कितने का आज कौणसे भा लिया
एक गिहूं बोरी देकै सीमैंट हमनै कितना पा लिया
चिन्ता नै घेर लिये जिब लेखा-जोखा आज लगाया।।
2
आबादी बधी दोगणी पर नाज चौगुणा पैदा करया
पचास मैं थी जो हालत उसमैं बताओ के जोड़ धरया
बिना पढ़ाई दवाई खजाना सरकारी हमनै रोज भरया
ईमानदारी की करी कमाई फेर बी मनै कड़ सरया
भ्रष्टाचार बेइमानी नै क्यों सतरंगा जाल बिछाया।।
3
यो दिन देखण नै के भगत सिंह नै फांसी पाई थी
यो दिन देखण नै के सुभाष बोस नै फौज बनाई थी
यो दिन देखण नै के गांधी बापू नै गोली खाई थी
यो दिन देखण नै के अम्बेडकर ने संविधान बनाई थी
नये-नये घोटाले सुणकै यो मेरा सिर चकराया।।
4
गणतंत्र दिवस पै कसम उठावां नया हरियाणा बणावांगे
भगत सिंह का सपना अधूरा उसनै पूरा कर दिखावांगे
ना हो लूट खसोट देस मैं घर-घर अलख जगावांगे
या दुनिया घणी सुन्दर होज्या मिलकै हांगा लावांगे
रणबीर सिंह मिलकै सोचां गया बख्त किसकै थ्याया।।
2.
तर्ज: फूल तुम्हें भेजा है
मैम्बर पंचायत चुनी गई खुशी गात मैं छाई थी।
ज्ञान विज्ञान आल्यां नै किमै ज्ञान की बात बताई थी।।
1
सबतै पहलम हुआ सामना डरकै देवर मेरे तैं
न्यों बोल्या बैठकां मैं नहीं जाणा बता दी बात तेरे तैं
भाई तै मैं बतला ल्यूंगा इशारे से मैं धमकाई थी।।
2
चाही लोगां तै बात करी घूंघट बीच मैं यो आण मरया
घूंघट खोलण की बाबत यो देवर नै घर ताण गिरया
पति मेरे नै साथ दिया पर कोण्या पार बसाई थी।।
3
म्हिने मैं एक मीटिंग हो इसा पंचायती कानून बताया
मैम्बर सरपंच करैं फैंसला जा फेर लागू करवाया
बिना मीटिंग फैंसले ले कै पंचायत पढ़ण बिठाई थी।।
4
क्यूकर वार्ड का भला करूं तिरूं डूबूं जी मेरा होग्या
सरपंच के चौगरदें बदमाशां का यो पूरा ए घेरा होग्या
घर आला बोल्या चाल सम्भल कै मैं न्यों समझाई थी।।
5
न्यारी-न्यारी सारे कै हम क्यों होकै लाचार खड़ी बेबे
यो हमला घणा भारया सै बिना हथियार खड़ी बेबे
मजबूत संगठन बणावां रणबीर नै करी लिखाई थी।।
3
एक बार आजाद हिन्द फ़ौज में धर्मों को लेकर फौजियों में चर्चा होने लगी | बात सुभाष चन्दर बोस तक पहुंचती है
तो सुभाष बोस फौजियों से एक बात द्वारा धर्म के बारे में क्या पूछते हैं भला ---
धरम के सै माणस का मनै कोण बताइयो नै।।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोण दिखाद्यो नै।।
1
माणस तै मत प्यार करो कौणसा धरम सिखावै
सरेआम अत्याचार करो कौणसा धरम सिखावै
तम दारू का ब्यौपार करो कौणसा धरम सिखावै
रोजाना नर संहार करो कौणसा धरम सिखावै
धरम क्यों खून के प्यासे मनै कोण समझाद्यो नै।।
2
ईसरा राम और अल्लाह जिब एक बताये सारे रै
इनके चाहवण आले बन्दे क्यूं खार कसूती खारे रै
क्यों एक दूजे नै मारण नै एके जी हाथां ठारे रै
अमीर देस हथियार बेच कै खूबै मौज उड़ारे रै
बैर करो मारो काटो लिखै वो ग्रंथ भुलाद्यो।।
3
मानवता का तत कहैं सब धरमां की जड़ मैं सै
प्रेम कुदरत का सारा सब धरमां की लड़ मैं सै
कदे कदीमी प्रेम का रिस्ता माणस की धड़ मैं सै
कट्टरवाद नै घेर लिया यो धरम जकड़ मैं सै
लोगां तै अरदास मेरी क्यूकरै इनै छटवाद्यो नै।।
4
यो जहर तत्ववाद का सब धरमां मैं फैला दिया
कट्टरवाद घोल प्याली मैं सब तांहि पिला दिया
स्कीम बणा दंगे करे इन्सान खड़या जला दिया
बड़ मानवता का आज सब धर्मां नै हिला दिया
रणबीर रोवै खड़या इनै चुप करवाद्यो नै।।
-4-
किसानों पर तथा आम जनता पर अंग्रेजों के अत्याचार बढ़ जाते हैं | जलियावाला कांड हुआ फिर रोलेट एक्ट की बात चली और गाँधी जी का भारत छोडो आंदोलन चला उधर आजाद हिन्द फ़ौज का होंसला बनाये रखने के लिए बहुत सारी बातें सुभाष चन्दर बोस फौजियों से करते हैं | फौजी मेहर सिंह भी सुनता है सारी बातें और क़्या सोचता है क्या बताया भला ---
अंग्रेजों नै लूट मचाई यो चारों कूट रोला पड़ग्या।।
एक दूजे के गल कटावैं राज पाट जमा सड़ग्या।।
1
घर बनाये तबेले देश मैं रही माणस की खोड़ नहीं
जात पात पर भिड़वारे आज जुल्मों का औड़ नहीं
शोषण करैं देश का इमान का जुलूस लिकड़ग्या।।
2
मेहनत करी लोगां नै विज्ञान नै राह दिखाया
या दुनिया बदल दई घणा खून पसीना बाहया
गोरयां नै डाण्डी मारी भारत कति ए तै पिछड़ग्या।।
3
न्याय की बात भूलगे नहीं ठीक करया बंटवारा
पांच सितारा होटल दूजे कान्ही यो फूटया ढारा
देश की कमाई का मुनाफा अंग्रेजों कै बड़ग्या।।
4
रेडिओ पै सपने हमनै आज खूब दिखाये जावैं
रणबीर लालच देकै नै पिठू आज बनाये जावैं
डर आजादी की लड़ाई तैं गोरा और अकड़ग्या ।।
-5-
ज्ञान विज्ञान का पैगाम
सुखी जीवन हो म्यारा ज्ञान विज्ञान का पैगाम सुणो।।
हरियाणे के सब नर-नारी चूच्ची बच्चा तमाम सुणो।।
1
सारे पढ़े लिखे होज्यां नहीं अनपढ़ टोहया पावै फेर
खाण पीण की मौज होज्या ना भूख का भूत सतावै फेर
बीर मरद का हक बरोबर हो इसा रिवाज आवै फेर
यो टोटा गरीब की चौखट पै भूल कै बी ना जावै फेर
सोच समझ कै चालांगे तो मुश्किल ना सै काम सुणो।।
2
मिलकै नै सब करां मुकाबला हारी और बीमारी का
बरोबर के हक होज्यां तै ना मान घटै फेर नारी का
भाईचारा फेर बढ़ैगा नहीं डर रहै चोरी जारी का
सुख कै सांस मैं साझा होगा इस जनता सारी का
भ्रष्टाचार की पूरी तरियां कसी जावै लगाम सुणो।।
3
आदर्श पंचायत बणावां हरियाणा मैं न्यारी फेर
दांतां बिचालै आंगली देकै देखै दुनिया सारी फेर
गाम स्तर पै बणी योजना लागू होज्या म्हारी फेर
गाम साझली धन दौलत सबनै होज्या प्यारी फेर
सुख का सांस इसा आवैगा नां बाजै फेर जाम सुणो।।
4
कोए अनहोनी बात नहीं ये सारी बात सैं होवण की
बैठे होल्यां लोग लुगाई घड़ी नहीं सै सोवण की
इब लड़ां ना आपस मैं या ताकत ना खोवण की
बीज संघर्ष का बोवां समों सही सै बोवण की
कहै रणबीर गूंजैगा चारों कूठ यो नाम सुणो।।
-6-
वैज्ञानिक नजर
वैज्ञानिक नजर के दम पै जिन्दगी नै समार लिये।।
जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।
1
सादा रैहणा ऊँचे विचार साथ मैं पौष्टिक खाणा यो
मानवता की धूम मैच चाहिये इसा संसार बसाणा यो
सुरग की आड़ै नरक की आड़ै ना कितै और ठिकाणा यो
पड़ौसी की सदा मदद करां दुख सुख मैं हाथ बंटाणा यो
धरती सूरज चौगरदें घूमै ब्रूनो नै प्रचार किये।।
2
साच बोलणा चाहिये पड़ै चाहे थोड़ा दुख बी ठाणा रै
नियम जाण कुदरत के इसतै चाहिये मेल बिठाणा रै
हाथ और दिमाग तै कामल्यां चाहिये दिल समझाणा रै
गुण दोष तै परखां सबनै अपणा हो चाहे बिराणा रै
जांच परख की कसौटी पै चढ़ा सभी संस्कार लिये।।
3
इन्सान मैं ताकत भारी सै नहीं चाहिये मोल घटाणा
सच्चाई का साथ निभावां पैड़े चाहे दुख बी ठाणा
लालची का ना साथ देवां सबनै चाहिये धमकाणा
मारकाट की जिन्दगी तै ईब चाहिये पिंड छटवाणा
पदार्थ तै बनी दुनिया इसनै चीजां को आकार दिये।।
4
दुनिया बहोतै बढ़िया इसनै चाहते सुन्दर और बणाणा
जंग नहीं होवै दुनिया मैं चाहिये इसा कदम उठाणा
ढाल-ढाल के फूल खिलैं चाहिये इनको आज बचाणा
न्यारे भेष और बोली दुनिया मैं न्यारा नाच और गाणा
शक के घेरे मैं साइंस नै रणबीर सब डार दिये।।
-7-
विवेक
सूरज साहमी कोहरा टिकै ना अज्ञान विवेक मयी वाणी कै।।
अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।
1
ढोंग अर अन्ध विश्वास पै टिक्या चिन्तन फेर बचै कोण्या
यज्ञ हवन वेद शास्त्र फेर पत्थर पूजा प्रपंच रचै कोण्या
पुरोहित की मिथ्या बात का दुनिया मैं घमशान मचै कोण्या
मन्द बुद्धि लालची माणस कै विवेकमय दया पचै कोण्या
शिक्षित अनपढ़ धनी निर्धन बीच मैं आवैं फेर कहाणी कै।।
2
आत्मा परमात्मा सब गौण होज्यां सामाजिक दृष्टि छाज्या फेर
समानता एक आधार बणै औरत सम्मान पूरा पाज्या फेर
मानवता पूरी निखर कै आवै दुनिया कै जीसा आज्या फेर
कार्य काररणता नै समझकै माणस कैसे गच्चा खाज्या फेर
माणस माणस का दुख समझै ना गुलाम बणै राजराणी कै।।
3
संवेदनशील समाज होवै ईश्वर केंद्र मैं रहवै नहीं
मानव केन्द्रित संस्कृति हो पराधीनता कोए सहवै नहीं
स्वतंत्रता बढ़ै व्यक्ति की परजीवी कोण कहवै नहीं
खत्म हां युद्ध के हथियार माणस आपस मैं फहवै नहीं
विवेक न्याय करूणा समानता खरोंच मारैं सोच पुराणा कै।।
4
अदृश्य सत्ता का कोझ आड़ै फेर कति ना टोहया पावै
सोच बिचार के तरीके बदलैं जन चेतना बढ़ती जावै
मनुष्य खुद का सृष्टा बणै कुदरत गैल मेल बिठावै
कर्म बिना बेकार आदमी जो परजीवी का जीवन बितावै
रणबीर बरोने आला ना लावै हाथ चीज बिराणी कै।।
-8-
म्हारी खोज म्हारी सभ्यता
घड़ी बंधी जो हाथ पै इटली मैं हुई खोज बताई।।
भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।
1
खुर्दबीन की खोज कदे नीदरलैंड मैं हुई बताई सै
बैरोमीटर तै टॉरिसैली नै मासमी खबर सुणाई सै
गुबारा सतरा सौ तिरासी मैं यो हमनै दिया दिखाई सै
टेलीग्राफ की खोज नै फेर फ्रांस की श्यान बढ़ाई सै
गैस लाइट के आणे तै जग मैं हुई घणी रूसनाई।।
2
इटली के पी टैरी नै टाइप राइटर फेर बणाया रै
हम्फ्री डेवी नै लैंप सेफटी बणा माडल दिखलाया रै
माचिस की खोज नै ठारा सौ छब्बीस याद कराया रै
साइकिल के बणाणे आला मैकलिन नाम बताया रै
ठारा सौ तितालिस सन मैं फैक्स मशीन बणाई।।
3
ज्ञान विज्ञान आगै बढ़ग्या करे नये-नये आविष्कार
अमरीका नै लिफट खोजी मंजिलां की फेर लागी लार
ठारा सौ बावण मैं वायुयान नै हवा मैं भरी उडार
टेलबेट नै फोटो खींचण की विधि कर दी तैयार
वैज्ञानिक सोच के दम पै नई-नई तरकीब सिखाई।।
4
थामसन नै वैल्डिंग मशीन अमरीका मैं त्यार किया
एडीसन नै बलब बिजली जगमगणा पूरा संसार दिया
मोटर साइकिल डैमलर नै सड़ां पै फेर उतार दिया
उन्नीस सौ बावण मैं हाइड्रोजन बम बी सिंगार लिया
रणबीर आगे की फेर कदे बैठ करै कविताई।।
-9-
वैज्ञानिक दृष्टि
वैज्ञानिक दृष्टि बिन सृष्टि नहीं समझ मैं आवै।।
कुदरत के नियम जाण कै समाज आगै बढ़ पावै।।
1
किसनै सै संसार बणाया किसनै रच्या समाज यो
म्हारा भाग कहैं माड़ा बांधैं कामचोर कै ताज यो
सरमायेदार क्यों लूट रहया सै मेहनतकश की लाज यो
क्यों ना समझां बात मोटी कूण म्हारा भूत बणावै।।
2
कौण पहाड़ तोड़ कै करता धरती समतल मैदान ये
हल चला खेती उपजावै उसे का नाम किसान ये
कौण धरा चीर कै खोदै चांदी सोने की खान ये
ओहे क्यों कंगला घूम रहया चोर बण्या धनवान ये
करमां के फल मिलै सबनै क्यों कैहकै बहकावै।।
3
हम उठां अक अनपढ़ता का मिटा सकां अन्धकार यो
हम उठां अक जोर जुलम का मिटा सकां संसार यो
हम उठां अक उंच नीच का मिटा सकां व्यवहार यो
जात पात और भाग भरोसे कोण्या पार बसावै।।
4
झूठ्यां पै ना यकीन करां म्हारी ताकत सै भरपूर
म्हारी छाती तै टकरा कै गोली होज्या चकनाचूर
जागते रहियो मत सोइयो म्हारी मंजिल ना सै दूर
सिरजन होरे हाथ म्हारे सैं घणे अजब रणसूर
नया समाज सुधार का रणबीर रास्ता बतावै।।
-10-
ब्रह्माण्ड हमारा
इस ब्रह्माण्ड का बेरा ना सोच-सोच घबराउं मैं।।
धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।
1
वैज्ञानिक दृष्टि का पदार्थ नै आधार बताते
नाश हो सकता पर बदलै ना आकार सुणाते
निर्जिव तै जीव की उत्पत्ति डारविन जी सिखाते
हमेश रहै बदलता क्यूकर या समझाउं मैं।।
2
जिज्ञासा और खोज तै उपजै उसनै ग्यान कहैं
सुलझे ग्यान नै फेर दुनिया मैं विग्यान कहैं
जिज्ञासा नै मारै सै जो उसको सारे अग्यान कहैं
गुण दोष पै जांचै परखै वैज्ञानिक इन्सान कहैं
पूर्वाग्रह तै टकराकै बणै नयी सोच दिखाऊँ मैं।।
3
मत विश्वास करो क्योंकि मां बाप नै बताया सै
शिक्षक नै कैहदी ज्यांतै आंख मूंद अपणाया सै
परीक्षण विश्लेषण पै जो सर्वहित कारी पाया सै
प्रयोग तै करैं दोबारा वो सिद्धांत आगै आया सै
भाग्यवाद पै कान धरै ना उके धोरै जाऊँ मैं।।
4
वैज्ञानिक दृष्टि गुरू अपना चेला बताया होज्या
तीव्र ग्राही मन होवै जो कदे ना पड़कै सोज्या
सत्य का खोजी माणस बीज नई खोज के बोज्या
प्रमाण पै टिक्या विवेक सारे अन्धविश्वास नै खोज्या
रणबीर जोर लगाकै बात खोज कै ल्याऊँ मैं।।
-11-
मेरा संघर्श
गाम की नजरां के म्हां कै बस अड्डे पै आउं मैं।।
कई बै बस की बाट मैं लेट घणी हो जाऊं मैं।।
1
भीड़ चीर कै बढ़णा सीख्या
करकै हिम्म्त चढ़णा सीखा
लड़भिड़ कढ़णा सीख्या, झूठ नहीं भकाऊं मैं।।
बस मैं के के बणै मेरी साथ
नहीं बता सकती सब बात
भोले चेहरे करैं उत्पात, मौके उपर धमकाऊं मैं।।
दफतर मैं जी ला काम करूं
पलभर ना आराम कंरू
किंह किहं का नाम धरूं, नीच घणे बताऊं मैं।।
डर मेरा सारा ईब लिकड़ गया,
दिल भी सही होंसला पकड़ गया,
जै रणबीर अकड़ गया, तो सबक सिखाऊं मैं।।
-12-
शोषण हमारा
बदेशी कम्पनी आगी, हमनै चूट-चूट कै खागी, अमीर हुए घणे अमीर, यो मेरा अनुमान सै।।
1
हमनै पूरे दरवाजे खोल दिये,बदेशियां नै हमले बोल दिये
ये टाटा बिड़ला साथ मैं रलगे, उनकै घी के दीवे बलगे, बिगड़ी म्हारी तसबीर, या संकट मैं ज्यान सै।।
2
पहली चोट मारी रूजगार कै, हवालै कर दिये सां बाजार कै
गुजरात मैं आग लवाई क्यों, मासूम जनता या जलाई क्यों, गई कड़ै तेरी जमीन, घणा मच्या घमसान सै।।
3
या म्हारी खेती बरबाद करदी, धरती सीलिंग तै आजाद करदी
किसे नै भी ख्याल ना दवाई का, भट्ठा बिठा दिया पढ़ाई का, घाली गुरबत की जंजीर, या महिला परेशान सै।।
4
या सल्फाश की गोली सत्यानासी, हरदूजे घर मैं ल्यादे उदासी
आठ सौ बीस छोरी छोरा हजार यो, बढ़या हरियाणे मैं अत्याचार यो
लिखै साची सै रणबीर, नहीं झूठा बखान सै।।
-13-
लड़की को नसीहत
सीधा जाणा सीधा आणा तड़कै सांझ मां मनै समझावै।।
गली गोरे मैं मत हांसिये बिठाकै रोजाना धमकावै।।
1
मां मेरी मनै घणा चाहवै मेरी घणी करै सम्भाल दखे
जो सीख्या उसनै मां पै सिखाया चाहवै तत्काल दखे
अपणे बरगी गउ काली मनै आज बनाया चाहवै।।
2
इसमैं कसूर नहीं उसका उसने दुख ठाया सै भारया
मास्टरनी होकै बी उसनै नहीं कदे घुंघट तारया
कहै यो सै इज्जत म्हारी जिनै तारया उनै बिसरावै।।
3
बोली बीर की जात नीची या मर्द जात उंची हो सै
जो बीर करती मुकाबला उसका लाजमी खोह सै
सारे गाम मैं बीर इसी मुुंह ठड की उपाधि पावै।।
4
बोली भूल कै बी करिये मतना बराबरी तूं भाई की
रोटी चटणी खाणा सीख मत देखै बाट मलाई की
मेरा भला चाहवै अक बुरा सोच कै बुद्धि चकरावै।।
-14-
बेईमान का छल
बेइमान डूब कै मरज्या काम करया बड़े छल का।
घणी सफाई तारै मतना भरया पड़या तूं मल का।।
1
जला गुजरात धर्म उपर पाछे घणा खिसकाया सै
मोदी तूं इन्सान कसूता कितना अन्धेर मचाया सै
सोच समझ कै जलाया सै यो काम बजरंग दल का।।
2
योजना बना दंगे कराये मेरै सुणकै आया पसीना
मुसलमानां कै के जी कोण्या शरद समझ लिया सीना
कैम्पा मैं पडरया जीना उड़ै बी बेरा ना कल का।।
3
कीेड़े पड़कै मरियो मोदी मेरी आत्मा गवाही देरी
भारत के मां गुजरात तै लीख फासीज्म की गेरी
झूठी बात नहीं मेरी अटल झाड़ बनै तेरे गल का।।
4
रणबीर कदे किसे बस्ती मैं आग राम नै लगाई हो
खुदा नै हिन्दुआं की कदे सींख ला बस्ती जलाई हो
दंग्या तै कदे हुई भलाई हो जहर बना दिया जल का।।
-15-
नाम कमाया हे
यो घूंघट तार बगाया हे, खेता मैं खूब कमाया हे, खेलां मैं नाम कमाया हे, हम आगै बढ़ती जारी बेबे।।
1
लिबास पुर रोहनात गाम मैं बहादरी खूब दिखाई बेबे
अंग्रेजां तै जीन्द की रानी नै गजब करी लड़ाई बेबे
हमको दबाना चाहता हे, नहीं रस्ता सही दिखाया हे, गया उल्टा सबक सिखाया हे, म्हारी खूबै अक्कल मारी बेबे।।
2
डांगर ढोर की सम्भाल करी धार काढ़ कै ल्याई बेबे
खूब बोल सहे हमनै स्कूलां मैं करी पढ़ाई बेबे
सब कुछ दा पै लाया देखो, सबनै खवा कै खाया देखो,ना गम चेहरे पै आया देखो, कदे हारी कदे बीमारी बेबे।।
3
नकल रोकती बहन सुशीला, जमा नहीं घबराई सै
मरकै करी हिफाजत असूलां की नई राह दिखाई सै
गन्दी राजनीति साहमी आई, औरतां पै श्यामत ढाई,फेर बी सै अलख जगाई, देकै कुर्बानी भारी बेबे।।
4
लड़ती मरती पड़ती हम मैदाने जंग मैं डटती देखो
कायदे कानूनां तै आज म्हारी सरकार हटती देखो
हर महिला मैं लहर उठी, हर गली और शहर उठी,सुबह शाम दोपहर उठी, रणबीर की कलम पुकारी बेबे।।
-16-
1 मई का दिन दुनिया के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन है । मजदूरों ने इकट्ठे होकर अपने हकों के लिए आवाज उठाई थी। अपने खून की कुर्बानी दी थी। लाल झंडे की महिमा को स्थापित किया था। क्या बताया भला:--
मई दिवस यो एक मई नै दुनिया मैं मनाया जावै ।।
दुनिया के मजदूरो एक हो नारा यो लगाया जावै ।।
1ब
लड़ी मजदूरों नै कट्ठे होकै दुनिया मैं लड़ाई बेबे
लाल झंडा रहवै सलामत छाती मैं गोली खाई बेबे
पूरी एकता दिखाई बेबे यो एहसास कराया जावै।।
2
देकै शहादत मजदूरों नै अपने हक लेने चाहे थे
कई सौ मजदूर कट्ठे होकै शिकागो के मैं आये थे
एकता के नारे लाये थे म्हारा हक ना दबाया जावै।।
3
समाजवाद की दुनिया मैं एक नई या लहर चली
चीन साथ मैं वियतनाम या हर गली शहर चली
दिन रात आठ पहर चली इतिहास मैं बताया जावै।।
4
उस दिन तैं मजदूर दिवस मेहनतकश मणाण लगे
मजदूर एकता जिंदाबाद सुन मालिक घबराण लगे
रणबीर सिंह गीत बणाण लगे एक मई नै गाया जावै।।
-17-
सेहत दिवस
सेहत दिवस सात अप्रैल का हम हर साल मनावैं रै।।
ताजा खाणा पीणा ताजी हवा तैं सेहत बणावै रै।।
1
कुदरत साथ संघर्ष म्हारा बहोत पुराणा कहते रै
यो तनाव जब घणा होवै कहैं बीमार घणे रहते रै
बिना कुदरत नै समझैं माणस दुख हजारां सहते रै
इसतै मेल मिलाप होज्या तै सुख के झरने बहते रै
जिब दोहण करैं कुढ़ाला तो उड़ै रोगै पैर जमावैं रै।।
2
सिन्धु घाटी की जनता नै सेहत के नियम बनाये थे
चौड़ी गाल ढकी नाली ये घर हवादार चिनाये थे
पीवण खातर बणा बावड़ी न्यारे जोहड़ खुदवाये थे
जितनी समझ थी उनकी रल मिल पूरे जोर लगाये थे
जिब पैदावार के ढंग बदलैं बीमारी बी पल्टा खावैं रै।।
3
माणस मैं लालच बधग्या, कुदरत से खिलवाड़ किया
,बिना सोचें समझें कुदरत का सन्तुलन बिगाड़ दिया
लालची नै बिना काम करें बिठा ऐश का जुगाड़ लिया
माणस माणस मैं भेद होग्या रिवाज न्यारा लिकाड़ लिया
समाज के अमीर गरीब मैं क्यों न्यारी बीमारी पावै रै।।
4
साफ पाणी खाणा और हवा रोक सकैं अस्सी बीमारी
ना इनका सही बंटवारा सै मनै टोहली दुनिया सारी
जिस धोरै ये चीज थोड़ी सैं उड़ै होवै बीमारी भारी
होयां पाछै इलाज सै म्हंगा न्यू माणस की श्यामत आरी
रणबीर सिंह नै छन्द बनाया मिलकै सारे गावैं रै।।
-18-
सांझी बिरासत
कोणार्क और एजन्ता एलोरा म्हारी खूबै श्यान बढ़ावैं।।
चार मीनार कुतुब ताज महल ये च्यार चांद लगावैं।।
1
दोनूं भारत की विरासत इसतै कौण आज नाट सकैं
साहमी पड़ी दीखै सबनै कौण इस बात नै काट सकैं
जो पापी तोल घाट सकैं म्हारी संस्कृति कै बट्टा लावैं।।
2
कालिदास बाणभट्ट रवीन्द्र नाथ नै श्यान बढ़ाई सै
खुसरो गालिब फिराक हुये सैं जिनकी कला सवाई सै
न्यारे-न्यारे बांटै जो इननै भारत के गछार कुहावैं।।
3
जयदेव कुमार गंधर्व भीम सेन जोशी जसराज दिये
बड़े गुलाम अली मियां बिस्मिल्ला खान नै कमाल किये
एक दूजे नै जो नीचा कहते वे घटियापन दिखावैं।।
4
सहगल हेमन्त मन्ना और लता गायकी मैं छागे ये
रफी नूर जहां नौशाद साथ मैं सब जनता नै भागे ये
रणबीर बरोने आले कान्ही ये हिन्दु मुस्लिम लखावैं।।
-19-
बैर क्यों
इसी कोए मिशाल भाई कदे दुनिया मैं पाई हो।।
हिन्दु के घर मैं आग खुद कदे खुदा न लाई लाई हो।।
राम रहित नानक ईसा ये तो दीखैं नर्म देखो
चमचे इनके हमेश पावैं पतीले से गर्म देखो
याद हो किसे कै बस्ती कदे राम नै जलाई हो।।
2
ब्रूनो मारया मारया गांधी धर्म की इस राड़ नै
ये किसे धर्म सैं जित रूखाला खुद खा बाड़ नै
एक दूजे की मारी मारी किसे धर्म नै सिखाई हो।।
3
घरां मैं बुढ़ापा ठिठरै मजार पै चादर चढ़ावैं
बिकाउ सैं जो खुद वे ईब म्हारी कीमत लावैं
खड़े मन्दिर मस्जिद सुने बस्ती दे वीरान दिखाई हो।।
4
सूरज हिन्दू चन्दा मुस्ल्मि तारयां की के जात
किसकी साजिश ये विचारे क्यों टूटैं आधी रात
रणबीर धर्म पै करां क्यों बिन बात लड़ाई हो।।
-20-
कैसा घर
ना मनै पीहर देख्या होगे तीन साल सासरै आई नै।।
भूल गई मैं परिवार सारा भूली बाहण मां जाई नै।।
1
बीस बरस रही जिस घर में उस घर तै नाता टूट गया
खेली खाई जवान हुई सब किमै पाछै छूट गया
मेरे सुख नै कौण लूट गया बताउं कैसे रूसवाई नै।।
2
आज तक अनजान था जो उंतै सब कुछ सौंप दिया
विश्वास करया जिसपै उनै छुरा कड़ मैं घोंप दिया
ससुर नै लगा छोंक दिया ना समझया बहू पराई नै।।
3
मनै घर बसाना चाहया अपणा आप्पा मार लिया
गलत बात पै बोली कोण्या मनै मौन धार लिया
फेर बी तबाह घरबार किया ना देखैं वे अच्छाई नै।।
4
किसे रिवाज बनाये म्हारे इन्सान की कदर रही नहीं
सारी बात बताउं क्यूकर समझो मेरी बिना कही
के के ईब तलक सही आई ना रणबीर की लिखाई मैं।।
-21-
वास्कोडिगामा
वास्कोडिगामा बैठ जहाज मैं म्हारे देस मैं आया रै।।
मस्साले गजब म्हारे देस के इनपै घणा जी ललचाया रै।।
1
उस बख्त म्हारे देस मैं कच्चे माल की भरमार बताई
गामां नै पहला कदम धरया म्हारे देस की श्यामत आई
कच्चा माल लाद कै लेज्यां तैयार माल की हाट लगाई
कारीगरां के गूंठ काटे मलमत म्हारी की करी तबाही
मेहनतकश कारीगर देस का यो घणा गया दबाया रै।।
2
ईस्ट इंडिया कंपनी आई या देस म्हारे पै छागी फेर
कब्जा देस पै करने मैं ना लाई अंग्रेजों नै कति देर
सहज सहज यो म्हारा देस अंग्रेजां नै लिया पूरा घेर
अपणे चमचे छांट लिये रै उनकी कटाई पूरी मेर
फूट डालो और राज करो का यो तीर गजब चलाया रै।।
3
म्हारे देस के वीरां नै अपणी ज्यान की बाजी लाई रै
भगत सिंह पफांसी चूम गया देस की श्यान बढ़ाई रै
महात्मा गांधी अहिंसा पुजारी छाती मैं गोली खाई रै
लक्ष्मी सहगल दुर्गा भाभी लड़ण तै नहीं घबराई रै
जनता नै मारया मंडासा अंग्रेज ना भाज्या थ्याया रै।।
4
हटकै म्हारे देस मैं बिल गेट्स नै कदम धरया सै
म्हारे देस नै लूटण खातर इबकै न्यारा भेष भरया सै
डब्ल्यू टी ओ विश्व बैंक गैल मुद्रा कोष करया सै
तीन गुहा नाग यो काला कदे बिना डंसें सरया सै
रणबीर सिंह बरोणे आला सोच कै छन्द बणाया रै।।
-22-
म्हारी सेहत
बिना रूजगार पैसा मिलै ना, बिना पीस्से या दाल गलै ना, बिना दाल सेहत बणै नौ, इन बिन पूरा इलाज नहीं।।
1
हमारे शरीर को चाहिये खाणा साफ पाणी और हवा
इनके बिना सेहत बणै ना कितनी ए खाल्यो चाहे दवा
प्रदूषण कौण फैलावै देखो, ये साधन कौण घटावै देखो,जिम्मै गरीबां के लावै देखो, क्यों उठै म्हारी आवाज नहीं।।
2
आदमी के रहने के लिए यो हवादार मकान चाहिये
दिमाग की सेहत की तांहि समाज मैं ना तनाव चाहिये
प्रबन्ध हो डॉक्टर दवाई का, पूरा माहौल साथ सफाई का, आदमी की सेहत सवाई का, दुनिया कहती है राज यही।।
3
बीमारी के कारण के के हों जो इनकी हमनै टोह कोण्या
म्हारी सेहत ना ठीक हो जो म्हारा इसमैं मोह कोण्या
लोगां की सही भागीदारी बिना, असली नीति सरकारी बिना,विकास मैं हिस्सेदारी बिना, स्वास्थ्य रहवै समाज नहीं।।
अपनी सेहत योजना जिब शहर और गाम बणावैं रै
ग्राम सभा मिल बैठ कै सही अपणे सुझाव बतावैं रै
फेर बदलैगी तस्वीर या, देस की बणैगी तहरीर या, लिखै सही बात रणबीर या, फेर चिड़िया नै खा बाज नहीं।।
-23-
भारत देश
यो गणतंत्र सबतै बड्डा भारत आवै कुहाणे मैं।।
भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।।
1
दो सौ साल गोरया नै भारत गुलाम राख्या म्हारा था
गूंठे कटाये कारीगरां के मलमत दाब्या म्हारा था
सब रंगा का समोवश था फल मीठा चाख्या म्हारा था
भांत-भांत की खेती म्हारी नहीं ढंग फाब्या म्हारा था
फूट गेर कै राज जमाया कही जाती बात समाणे मैं।।
2
वीर सिपाही म्हारे देस के ज्यान की बाजी लाई फेर
लक्ष्मी सहगल आगै आई महिला विंग बनाई फेर
दुर्गा भाभी अंगरेजां तै जमकै आड़ै टकराई फेर
याणी छोरियां नै गोरयां पै थी पिस्तौल चलाई फेर
गोरे लागे राजे रजवाड़यां नै अपणे साथ मिलाणे मैं।।
3
आवाज ठाई जिननै उनके फांसी के फंदे डार दिये
घणे नर और नारी देस के काले पाणी तार दिये
मेजर जयपाल नै लाखां बागी फौजी त्यार किये
फौज आवै बगावत पै म्हारे बड्डे नेता इन्कार किये
नेवी रिवोल्ट हुया बम्बी मैं अंग्रेज लगे दबाणे मैं।।
4
आजादी का सपना था सबकी पढ़ाई और लिखाई का
आजादी का सपना था सबका प्रबन्ध हो दवाई का
आजादी का सपना था खात्मा होज्या सारी बुराई का
आजादी का सपना था आज्या बख्त फेर सचाई का
हिसाब लगावां आजादी का रणबीर सिंह के गाणे मैं।।
-24.-
हिसाब
एक क्वींटल गण्डे मैं कितनी चीनी बणज्या सै।।
सीरा कितना लिकड़ै सै खोही कितनी बचज्या सै।।
1
पढ़ लिख कै बी अपनढ़ दुनिया देखो किसी पढ़ाई
गोरयां नै या चाल चली जो वा इब तक चलती आई
मेहनत की म्हारी कमाई उसकी झोली में घलज्या सै।।
2
एक क्वींटल सरसों मैं कितना तेल बनाया भाई
कितनी खल लिकड़ी उसमैं कदे हिसाब लगाया भाई
सारी उम्र भकाया भाई आज बी हमनै छलज्या सै।।
3
एक किलो कपास मैं कितना धागा बना दिया
धागे तै सूती कपड़ा कितने मीटर यो पहरा दिया
बिनौला कितना खिला दिया झोटा क्यूकर पलज्या सै।।
4
सारी बातां का नाता कोण्या आज की पढ़ाई तै
ज्ञान विज्ञान बात सिखावै पूरी ही चतुराई तै
रणबीर की कविताई तै पापी घणा ए जलज्या सै।।
-25-
सृष्टि
सृष्टि बारे सब धर्मां नै न्यारा-न्यारा अन्दाज लगाया।।
देवी भगवती पुराण न्यों बोले एक देवी संसार रचाया।।
1
ब्रह्मा के भगत जगत मैं ब्रह्म को जनक बताते भाई
शिव पुराण का किस्सा न्यारा शिव जी जनक कहाते भाई
गणेश खण्ड न्यों कहवै गणेश जी दुनिया चलाते भाई
सुरज पुराण की दुनिया सुरज महाराज घुमाते भाई
विष्णु आले न्यों रुक्के मारते विष्णु की निराली माया।।
2
विष्णु और महेश के चेले दुनिया मैं घणे बताये देखो
आपस मैं झगड़ा करकै कई बै सिर फड़वाये देखो
आपस की राड मेटण नै त्रिमूर्ति सिद्धांत ल्याये देखो
ब्रह्मा पैदा करैं विष्णु पालैं शिव नै संहार मचाये देखो
बाइल नै सबतै हटकै पैगम्बर का नाम चलाया।।
3
यो बुद्धमत उभर कै आया त्रिमूर्ति का विरोध किया
जैन मत बी गया चलाया नहीं दोनों को सम्मान दिया
यहूदी और धर्म ईसाई एक ईश्वर को धार लिया
इस्लाम नै एक खुदा मैं अपणा लगाया फेर हिया
दुनिया मैं माणस नै एक ईश्वर सिद्धान्त पनपाया।।
4
बिना सोचें समझें इसाइयां नै परमेश्वर गले लगाया सै
मुसलमान क्यों पाछै रहवैं यो अल्लाह हाकिम बनाया सै
सिक्खां नै शब्द टोह लिये औंकार झट दे सी सुनाया सै
हिन्दुआं नै तावल करकै नै ओइम दिल पै खिनवाया सै
माणस एक पर धर्म इतने जीवन क्यूकर जावै बिताया।।
-26-
हमारा समाज
सुणले करकै ख्याल दखे, ये गुजरे लाखां साल दखे, सिंधु घाटी कमाल दखे, यो गया कड़ै लोथाल दखे, यो करकै पूरा ख्याल दखे, खोल कै भेद बतादे कोए।।
1
सुसुरता नै भारत का नाम करया, वागभट्ट नै बढ़िया काम करया,
ब्रह्म गुप्त नै हिसाब पढ़ाया, आर्यभट्ट जीरो सिखाया,नालन्दा नै राह दिखाया, तक्षशिला गैल कदम बढ़ाया,तहलका चारों धाम मचाया, ये गये कडै़ समझादे कोए।।
2
मलमल म्हारी का जोड़ नहीं,
ताज कारीगिरी का जोड़ नहीं
हमनै सबको सम्मान दिया, सह सबका अपमान लिया, ग्रीक रोमन को स्थान दिया, भगवान का गुणगान किया,
इसनै म्हारा के हाल किया, या सही तसबीर दिखादे कोए।।
3
दो सौ साल राजा म्हारे देस के,
बदेसी बोगे बीज क्लेश के
फिरंगी का न्यों राज हुया, चिड़ी का बैरी बाज हुया, सारा खत्म क्यों साज हुआ, क्यों उनके सिर ताज हुया,क्यों इसा कसूता काज हुया, थोड़ा हिसाब लगादे कोए।।
4
लाहौर मेरठ जमा पीछै नहीं रहे,
म्हारे वीर बहादुर जमा नहीं डरे
फिरंगी देस तैं चल्या गया, कारीगर फेर बी मल्या गया,धर्म जात पै छल्या गया, संविधान म्हारा दल्या गया,क्यों इसा जाल बुण्या गया, रणबीर पै लिखवादे कोए।।
-27-
पोलीथीन
पोलीथीन नै म्हारे देत शहर का कर दिया बंटा धार, देखियो के होगा।।
1
नहीं गलै ना पिंघलै लोगो धरती पर तै मिटै नहीं
खेत क्यार का नाश करै नुकसान करण तै हटै नहीं
म्हारे जिस्यां पै उटै नहीं या पोलीथीन की मार,देखियो के होगा।।
2
कागज के लिफाफे म्हारे कति पढ़ण नै बिठा दिये
सन के थैले खूंटी टांगे मजे किसानां तै चखा दिये
सस्ते दामां बिका दिये इंहका इसा चढ़या बुखार,देखियो के होगा।।
3
गली नाली मैं जा कै जिब ये रोक लगादे भारी सै
गन्दे नाले बैक मारज्यां पफैलै घणी बीमारी सै
न्यों होवै पीलिया महामारी सै माचै घणी हाहाकार, देखियो के होगा।।
बढ़िया वातावरण बिना म्हारा रैहणा मुश्किल होज्यागा
के बेरा किसका बालक न्यूं मौत के मुंह में सोज्यागा,रणबीर सही छन्द पिरोज्यागा करकै प्रचार, देखियो के होगा।।
-28-
लिंग भेद
स्त्री पुरुष की दुनिया मैं स्त्री नीची बताई समाज नै।।
फरज और अधिकारां की तसबीर बनाई समाज नै।।
1
शादी पाछै पति गेल्यां सम्बन्ध बणाणे का अधिकार
ब्याह पाछै मां बणैगी नहीं तो मान्या जा व्याभिचार
पुरुष चौगरदें घुमा दिया दखे नारी का पूरा संसार
मां बेटी बहू सास का रच दिया घर और परिवार
एक इन्सान हो सै महिला या बात छिपाई समाज नै।।
2
परिवार का दुनियां मैं पुरुष मुखिया बणाया आज
सारे फैंसले वोहे करैगा पक्का फैंसला सुणाया आज
धन धरती सारी उसकी कसूता जाल बिछाया आज
चिराग नहीं छोरी वंश की छोरा चिराग बताया आज
संबंधां की छूट उसनै तो रिवाज चलाई समाज नै।।
3
फर्ज औरत के बताये घर के सारे काम करैगी या
बेटा पैदा करै जरूरी घर का रोशन नाम करैगी या
औरत पति देव की सेवा सुबह और श्याम करैगी या
सारे रीति रिवाज निभावै बाणे कति तमाम करैगी या
बूढ़े और बीमारां की सेवा जिम्मे लगाई समाज नै।।
4
पुरुष परिवार का पेट पालै उसका फर्ज बताया यो
महिला नै सुरक्षा देवैगा उसकै जिम्मे लगाया यो
दुभांत का आच्छी तरियां रणबीर जाल बिछाया यो
फर्ज का मुखौटा ला कै औरत को गया दबाया यो
बीर हर तरियां सवाई हो या घणी दबाई समाज नै।।
-29-
रूढ़िवाद
रूढ़िचाद यो म्हारे देस मैं क्यों चारों कान्ही छाया।।
फरज माणस का सच कहने का ना जाता आज निभाया।।
2
पुराने मैं सड़ांध उठली पर नया कुछ बी कड़ै आड़ै
नया जो चाहवै सै ल्याणा पार ना उसकी पड़ै आड़ै
घनखरा ए माल सड़ै आड़ै कहैं राम की सब माया।।
2
वैज्ञानिक सोच का पनपी लाया कदे विचार नहीं
पुराणा सारा सही नहीं हुया इसका प्रचार नहीं
नये का वैज्ञानिक आधार नहीं अन्धकार चौगरदें छाया।।
3
नये मैं बी असली नकली का रास्सा कसूत छिड़ग्या
वैज्ञानिक दृष्टि बिना यो म्हारा दिमाग जमा फिरग्या
साच झूठ बीच मैं घिरग्या हंस बी खड़या चकराया।।
4
पिछड़े विचारां का प्रचार जनता नै आज भकाया चाहवैं
बालकां का दूध खोस कै गणेश नै दूध पिलाया चाहवैं
दाग जनता कै लाया चाहवैं रणबीर सिंह बी घबराया।।
-30-
झूठे वायदे
सारे आकै न्यों कहवैं हम गरीबां की नैया पार लगावां।।
एक बै वोट गेर दयो म्हारी धरती पै सुरग नै ल्यावां।।
1
वोट मांगते फिरैं इसे जणु फिरैं सगाई आले रै
जीते पाछे ये जीजा और हमसैं इनके साले रै
पांच साल बाट दिखावैं एडी ठा ठाकै इन कान्हीं लखावां।।
2
नाली तै सोडा पीवण आले के समझैं औख करणिया नै
कार मैं चढ़कै ये के समझैं नंगे पांव धरणियां नै
देसी-विदेसी अमीर लूटैं इनके हुकम रोज बजावां।।
3
गरमी मैं भी जराब पहरैं के जाणैं दरद बुआई का
गन्डे पोरी नै भी तरसां इसा बोदें बीज खटाई का
जो लुटते खुले बाजार मैं उनका कौणसा देश गिणावां।।
4
फरक हरिजन और किसान मैं कौण गिरावै ये लीडर
ब्राह्मण नै ब्राह्मण कै जाणा कौण सिखावैं ये लीडर
गरीब और अमीर की लड़ाई रणबीर दुनिया मैं बतावां।।
-31-
सैंतालिस की आजादी
पन्द्रा अगस्त सैंतालिस का दिन लाखां ज्यान खपा कै आया।।
घसे हुये कुर्बान देस पै जिब आजादी का राह पाया।।
1
सैंतालिस की आजादी पाछै दो हजार आ लिया
बस का भाड़ा याद करो आज कड़ै जा लिया
सीमेंट का कट्टा कितने का आज कौणसे भा लिया
एक गिहूं बोरी दे कै सीमेंट हमने कितना पा लिया
चिन्ता नै घेर लिये जिब लेखा-जोखा आज लगाया।।
2
आबादी बधी दोगणी पर नाज चौगुणा पैदा करया
पचास मैं थी जो हालत उसमैं बताओ के जोड़ धरया
बिना पढ़ाई दवाई खजाना सरकारी हमनै रोज भरया
ईमानदारी की करी कमाई फेर बी हमनै कड़ै सरया
भ्रष्टाचार बेइमानी नै क्यों सतरंगा जाल बिछाया।।
3
यो दिन देखण नै के भगत सिंह नै फांसी पाई थी
यो दिन देखण नै के सुभाष बोस नै फौज बनाई थी
यो दिन देखण नै के गांधी बापू नै गोली खाई थी
यो दिन देखण नै के अम्बेडकर संविधान बनाई थी
नये-नये घोटाले सुणकै यो मेरा सिर चकराया।।
4
आजादी दिवस पै कसम उठावां नया हरियाणा बणावांगे
भगत सिंह का सपना अधूरा उनै पूरा कर दिखावांगे
ना हो लूट खसोट देस मैं घर-घर अलख जगावांगे
या दुनिया घणी सुन्दर होज्या मिलकै हांगा लगावांगे
रणबीर सिंह मिलकै सोचां गया बख्त किसकै थ्याया।।
-32-
वजूद ईश्वर का
ईश्वर का वजूद दुनिया मैं कोए सिद्ध नहीं कर पाया।।
सबनै अपणे अपणे ढंग तै उसका अन्दाज लगाया।।
1
जो सिद्ध होग्या उसनै स्वीकारां विज्ञान नै पढ़ाया या
जो नहीं हुया उसनै खोजां विज्ञान नै सिखाया यौ
विज्ञान सिद्धान्त बनाया यो भगवान पै सवाल उठाया।।
2
ईश्वर का वजूद स्वीकारैं इसका मिल्या आधार कड़ै
बिना सबूत क्यूकर मानैं ईश्वर पाया साकार कड़ै
ईश्वर बनाया संसार कड़ै मामला समझ नहीं आया।।
3
मनुष्य नै ईश्वर रचाया कल्पना का साहरा लिया रै
कुदरत खेल समझ ना आया ईश्वर का सहारा लिया रै
भगवान का भूत बनाया यो खड़या खड़या लखाया।।
4
जिब सिद्ध हो ज्यागा तो इसका वजूद रणबीर मानै
इतनै साइंस के प्रयोगां तै पूरी दुनिया नै पहचानै
ईश्वर नै सारे के छानै उसनै कड़ै अपणा धूना लाया।।
-33-
वैज्ञानिक नजर के करै
वैज्ञानिक दृष्टि अपणाणे तै माणस कै फरक के पड़ज्या।।
दैवी शक्ति तैं ले छुटकारा वो खुद प्रयत्नवादी बणज्या।।
1
आत्म विश्वास बढ़ै उसमैं अन्ध विश्वासी फेर रहै नहीं
समस्या की तैह मैं जावैगा वो सत्यानाशी फेर रहै नहीं
तुरत फुरत कुछ कहै नहीं साच्ची बात पै जमा अड़ज्या।।
2
तर्क संगत विचार की आदत माणस के म्हां आज्या फेर
हवा मैं हार पैदा करके साईं बाबा क्यूकर भकाज्या फेर
माणस सही रास्ता पाज्या पफेर नहीं तो दिमाग जमा सड़ज्या।।
3
बेरा लागै जीवन मृत्यु का एक जनम समझ मैं आवै
आगले पाछले जनम के पचड़यां तै वो मुक्ति पावै
साथ नहीं कुछ बी जावै म्हारे मिनटां भीतर सांस लिकड़ज्या।।
4
माणस इस जीवन यात्रा मैं क्यूकर सुन्दर और बणावै
आपा मारे पार पड़ै जीवन मैं या बात समझ मैं आवै
रणबीर साथ गीत बणावै कदे थोड़ा सुर बिगड़ज्या।।
-34-
अन्तहीन संसार
अन्तहीन संसार का अन्त कहैं कदे नहीं आवैगा।।
संसार रूकता नहीं कितै यो आगै बढ़ता जावैगा।।
1
विज्ञान नई खोज करै मानवता नै सुख पहोंचावै
विवेक माणस का फेर इनै सही दिशा मैं ले ज्यावै
सत्य खोज निरन्तर चलावै झूठ नै हमेश्या ढावैगा।।
2
पदार्थ हमेश्या गति शील हो इसका गुण बताया यो
नष्ट नहीं होवै कदे बी बदलता आकार दिखाया यो
साइंस नै पाठ पढ़ाया यो पदारथ ना समाप्त होवैगा।।
3
खोज हमेश्या जारी रहती न्यांे विज्ञान हमनै बतावै
हम बुद्धि गेल्यां काम करां भावां मैं बैहने तै बचावै
सिद्ध हुया उसनै अपणावै बाकी पै सवाल उठावैगा।।
4
अज्ञानी मां बीमार बालक नै तांत्रिक धोरै ले ज्यावैगी
ज्ञानी मां डॉक्टर तै दिखाकै बालक की दवाई ल्यावैगी
भावां मैं बैह ज्यावैगी तो बालक ना जमा बच पावैगा।।
-35-
गलत विज्ञान
मानवता का विनाश करै जो इसा इन्सान चाहिये ना।।
संसार नै गलत दिशा देवै इसा विज्ञान चाहिये ना।।
1
विज्ञान पै पाड़या बेरा अणु मैं ताकत बहोतै भारी सै
अणु भट्टी तै बणै बिजली जगमगावै दुनिया सारी सै
अणु बम तो विनासकारी सै इसा शैतान चाहिये ना।।
2
मानवता नै बड़ी जरूरत सै आज अन्न और वस्त्रां की
जंग की जरूरत जमा नहीं ना जरूरत अणु शस्त्रां की
जो पैरवी करै अस्त्रां की इसा भगवान चाहिये ना।।
3
कड़ै जरूरत सै उनकी कारखाने जो हथियार बणावैं
बणे पाछै चलैं जरूरी ये दुनिया मैं हाहाकार मचावैं
विज्ञान कै तोहमद लावैं इसा घमासान चाहिये ना।।
4
हिरोशिमा की याद आवै शरीर थर-थर कांपण लाग्गै
विज्ञान का गलत प्रयोग मानवता सारी हांफण लाग्गै
दुनिया टाडण लाग्गै रणबीर इसा कल्याण चाहिये ना।।
-36-
ठेकेदारां की आपा धापी
या आपाधापी मचा दई इन देस के ठेकेदारां नै।।
सारे रिकार्ड तोड़ दिये धन के भूखे साहूकारां नै।।
1
विकास तरीका घणा कुढ़ाला बेरोजगार बढ़ाया रै
घर कुणबा कोए छोड़या ना घणामहाघोर मचाया रै
बाबू बेटा तै दारू पीवैं सास बहू मैं जंग कराया रै
बूढ़यां की कद्र कड़े तै हो जवानां का मोर नचाया रै
माणस तै हैवान बणाये सभ्यता के थानेदारां नै।।
2
इसा विकास नाश करैगा क्यों म्हारै जमा जरती ना
गरीब अमीर की या खाई क्यों कदे बी भरती ना
चारों कान्ही माफिया छाग्या बुराई आज डरती ना
अच्छाई मैं ताकत इतनी फेर बी या कदे मरती ना
बदेशी कंपनी छागी देदी छूट राजदरबारां नै।।
3
अमरीका दादा पाक गया दुनियां मैं आतंक मचाया
सद्दाम हुसैन साहमी बोल्या यो इराक पढ़ण बिठाया
युगोस्लाविया पै बम्ब गेरे यो कति नहीं शरमाया
तीसरी दुनिया चूस लई भारत मैं भी जाल फैलाया
बदेशी अर देशी डाकू सिर चढ़ाये सरकारां नै।।
4
उल्टी राही चला दई म्हारे देस की जनता किसनै
बेरा पाड़ां सोच समझ कै देश तै भजावां उसनै
उस विकास नै बदलां मोर बनाया सै जिसनै
रणबीर इसा विकास हो जो मेटदे सबकी तिसनै
दीन जहान तै खो देगी जनता इन दरकारां नै।।
-37-
किस्सा म्हारा-थारा
वार्ता: सरोज को बहु झोलरी जाना पड़ता है। दो चुल्हे होने के कारण खरचा और बढ़ जाता है। बाकी परेशानियां उठानी पड़ती हैं वह अलग। भरत सिंह अपणी माड़ी किस्मत को कोसता है तो सरोज एक इतवार को उसका होंसला बढ़ाती है और क्या कहती है? कवि के शब्दों में:
जो आया दुनियां के म्हां उनै पड़ै लाजमी जाणा हो।।
सुरग नरक किसनै देख्या बस होसै फरज पुगाणा हो।।
1
बीर मरद तै हो उत्पत्ति या जाणै दुनिया सारी सै
पांच भूत के योग तै या बणी सृष्टि न्यारी सै
या तासीर खास योग की जीव मैं होवै न्यारी सै
मिजाज जिब बिगड़ै भोग का जीव नै हो लाचारी सै
इसकी गड़बड़ मैं मौत कहैं हो बन्द सांस जब आणा हो।।
2
पहले जनम मैं जिसे करे कहैं इस जनम मैं भुगतै
इस जनम मैं जिसे करे कहैं अगले के म्हां निबटै
दोनों बात गलत लागै क्यों ना इसका इसमें सिमटै
साहमी हुए की चिन्ता ना क्यों बिना हुए कै चिपटै
इसे जनम का रोला सारा बाकी लागै झूठा ताणा हो।।
3
मनुष्य सामाजिक जीव कहैं बिन समाज डांगर होज्या
लेकै समाज पै चाहिये देणा बिन इसके बांदर होज्या
माली बिना बाग और खेती बिन पाणी बांगर होज्या
मरकै कोए ना आया उलटा जलकै पूरा कांगर होज्या
साइंस नै बेरा पाड़ लिया ईब छोड्डो ढंग पुराणा हो।।
4
आच्छे भूण्डे करमां करकै या दुनिया हमनै याद करै
या गुणी के गुण गावै आड़ै पापी कंस की यादे तिरै
यो शरीर जल बणै कारबन प्याराकर कर याद मरै
मेहर सिंह पफौजी बरोने का रणबीर करता याद फिरै
करमां आला ना मरै कदे ना पाले राम का गाणा हो।।
-38-
किसे और की कहानी कोन्या
किसे और की कहानी कोण्या, इसमें ये राजा राणी कोन्या, सै अपनी बात बिरानी कोण्या, थोड़ा दिल नै थाम लियो।।
1
यारी घोड़े अर घास की भाई,
नहीं चालै दुनिया कहती आई,
बाहूं और फेर बोऊँ खेत मैं,
बालक रुलते म्हारे रेत मैं,
भरतो मरती मेरी सेत मैं,
अन्नदाता का मत नाम लियो।।
2
जमकै लूटै सै मण्डी सबनै,
बीज खाद मिलै म्हंगा हमनै,
लुटाई मजदूर किसान की,
ये आंख फूटी भगवान की,
यो भरै तिजूरी शैतान की,
देख इसके तम काम लियो।।
3
छप्पण साल की आजादी मैं,
कसर रही ना बरबादी मैं,
ये बालक म्हारे बिना पढ़ाई,
मरैं बचपन मैं बिना दवाई,
कड़ै गई म्हारी कष्ट कमाई,
झूठी होतै तम लगाम दियो।।
4
शेर बकरी का मेल नहीं सै,
घणी चालै धक्का पेल नहीं सै,
आप्पा मारैं पार पड़ैगी म्हारी,
जिब कट्ठी होकै जनता सारी,
लीख काढ़ै या सबतै न्यारी,
रणबीर सिंह का सलाम लियो।।
-39-
बैठ्या सोचूं
बैठ्या सोचूं खेत के डोलै ईब क्यूकर होवै गुजारा।।
ज्वार बाजरा आलू पिटग्या गिहूं धान भी म्हारा।।
1
खूब जतन कर खेत मनै उबड़ खाबड़ संवारे फेर
दस मणे तै बीस मणे हुये ज्वार बाजरे म्हारे फेर
खाद बीज की कीमतां नै जमा धरती कै मारे फेर
पूरे हरियाणा मैं लागे हरित क्रांति के नारे फेर
दस पन्दरा बरसां मैं इसका यो फुट्या लागै गुबारा।।
2
धनी किसान जो म्हारे गाम के फायदा खूब उठागे
उपर का धन खूब कमाया बालक नौकरी पागे
बिन साधन आले मरगे दुखां के बादल छागे
म्हारे नेता गाम मैं आकै म्हारी किस्मत माड़ी बतागे
सत्संग मैं जावण लागे जिब और ना चाल्या चारा।।
3
सत्संग मैं बढ़िया बात करैं गरीबी पै चुप रैहज्यां
सुरग नरक की बहसां मैं ये सींग कसूते फैहज्यां
मेरे बरगे रहवैं सोचते जमा बोल चुपाके सैहज्यां
जिनकी पांचों घी मैं वे घटिया बोल कई कैहज्यां
खेती क्यों तबाह होगी ना भेद खोल बतावैं सारा।।
4
गिहूं पड्या सड़ै गोदामां मैं रणबीर देख्या जान्ता ना
इसा हाल क्यों हुया इसका कारण समझ आन्ता ना
कहैं फूल फल उपज्याल्यो राह कोए मनै पान्ता ना
फल फूल कड़ै बिकैगा या बात कोण बतान्ता ना
टिकाउ खेती बचा सकै सै हो किलोई चाहे छारा।।
-40-
छब्बीस जनवरी
छब्बीस जनवरी का दिन भाई लाखां ज्यान खपा कै आया।।
घणे हुए कुर्बान देश पै जिब आजादी का राह पाया।।
1
सैंतालिस की आजादी ईब यो दो हजार च्यार आ लिया
बस भाड़ा था कितना याद करो आज कड़ै सी जा लिया
एक सीमेंट कट्टा कितने का आज कौणसे भा ठा लिया
एक गिहूं की बोरी देकै आज यो खाद कितना पा लिया
चिन्ता नै घेर लिया जिब यो सारा लेखा जोखा लाया।।
2
आबादी तै बधी तीन गुणी पर नाज चौगुणा पैदा करया
सैंतालिस मैं थी जो हालत उसमैं बताओ के जोड़ धरया
बिना पढ़ाई दवाई खजाना हमनै सरकारी रोज भरया
ईमानदारी तै करी कमाई पफेर बी तमनैनहीं सरया
भ्रष्टाचार बेइमानी नै क्यों सतरंगा जाल बिछाया।।
3
यो दिन देखण नै के सुभाष बोस नै फौज बनाई थी
यो दिन देखण नै के भगत सिंह नै पफांसी खाई थी
यो दिन देखण नै के गांधी बापू जी नै गोली खाई थी
यो दिन देखण नै के अम्बेडकर ने संविधान रचाई थी
नये-नये घोटाले देख कै यो गरीब का सिर चकराया।।
4
हरियाणा धरती पै कसम उठावां नया हरियाणा बणावांगे
भगत सिंह का सपना अधूरा उनै करकै पूरा दिखावांगे
ना हो लूट खसोट देश मैं या घर-घर अलख जगावांगे
या दुनिया खूबै सुन्दर होज्या मिलकै हांगा लावांगे
रणबीर सिंह मिलकै सोचो गया बख्त किसकै थ्याया।।
-41-
बंटवारा
हुई तरक्की भोत मारगी या गड़बड़ बंटवारे की।।
सदा कमेरा वर्ग दबाया या नीति हिन्द म्हारे की।।
1
सबको मिलै पढ़ाई छह अरब डालर का खरच बताया
अमरीका मैं श्रंगार तांहि आठ अरब डालर जावै खिंडाया
पाणी और सफाई का खरचा नौ अरब डालर आज दिखाया
ग्यारा अरब डालर यूरोप मैं आइसक्रीम पर खरचा आया
चार सौ अरब डालर का नशा करावैं होज्या शक्ल छुहारे की।।
2
सबकी सेहत की खातर तेरा अरब डालर कुल चाहवैं सै
अमीर रुक्के मारैं पीस्से कोण्या म्हारा सेहत बजट घटावैं सै
अमरीका यूरोप के कुत्ते बिल्ली सतरा अरब डालर खावैं सै
जापान मैं मनोरंजन पै ये पैंतीस अरब डालर बहावैं सैं
झूठी कोण्या जमा साची सै तसबीर इस विकास प्यारे की।।
3
झूठा नहीं कोए आंकड़ा मानव विकास रिपोर्ट मैं बताया
तीसरी दुनिया चूस बगादी ईब जी सेवन दुनिया मैं छाया
विश्व बैंक और डब्ल्यूटीओ नै अमीरां का साथ निभाया
मुद्रा कोष नै डान्डी मारकै म्हारा नाश का बीड़ा ठाया
नौकरी खत्म करण लागरे कविता सविता मुखत्यारे की।।
4
नशे की दवाई और दारू बेचैं दूसरा धंधा हथियारां का
तीसरा धन्धा इत्र फुलेल का इन अमरीकी साहूकारां का
विकास नहीं विनास पै टिक्या जीवन इन थानेदारां का
बंटवारा ठीक हो दुनिया मैं मन नहीं करता ठेकेदारां का
अमीर गरीब की खाई मैं मर आई रणबीर बिचारे की।।
-42-
इलाज पति का
पांच हजार मनै उधारे दे दे पति मेरा बीमार हुया।।
मैडीकल मैं पड़या तड़पै घणा मोटा त्यौहार हुया।।
1
दो बोतल खून मांग्या, डाक्टरां नै परेशन बोल दिया
न्यों बोले मोल नहीं बिकता यो भेद तमाम खोल दिया
एक बोतल तै मेरा काढ़या दूजी का पांच सै मोल दिया
एक दो तै खावण नै आये, ओ बिचला मदद गार हुया।।
2
पन्द्रह हजार खर्चा आया, ओ काम जोगा रहया नहीं
मरणे तै तो बचग्या फेर दरद उंपै जान्ता सहया नहीं
ल्हुकमा सुलफा दारू पीज्या जावै कुछ बी कहया नहीं
सारे ताणे तुड़ा कै देख लिए जाता और फहया नहीं
जिसकै घर बर्तन मांजूं उंकै साहरै घर बार हुया।।
3
एक दिन मनै अपणा दुखड़ा बहन जी आगै रोया
वकील पति नै बेरा लाग्या उसनै अपणा धीरज खोया
शाम सबेरी करै वो इशारे दिल मेरा घणा दुखी होया
एक दिन करी छेड़खानी उनै बीज बिघन का बोया
दुनिया उनै कहै देवता पर मेरा जीना दुश्वार हुया।।
4
तिरूं डूबूं जी मेरा होग्या किस आगै दुख रोउं मैं
वकील का करूं सामना तै सारे कुणबे की रोटी खोउं मैं
चुपकी रहूं तो उसकी बदफेली का शिकार होउं मैं
और कितै नहीं साहरा दीखै रणबीर पै मुंह धोउं मैं
सुण्या सै गरीबां का यो बरोने मैं मददगार हुया।।
-43-
लाल बहादुर शास्त्री
लाल बहादुर शास्त्री का कद छोटा उंचा घणा बिचार था।।
जय जवान जय किसान का नारा लाया घणा दमदार था।।
1
दुनिया मैं या उत्थल पुथल चारों कान्ही माच रही थी
गुलाम देशां मैं अंग्रेजी सेना खेल नंगा नाच रही थी
गरीब जनता की साथ मैं या कर खींचम खंाच रही थी
लाल बहादुर नै जन्म लिया साल उन्नीस सौ पांच रही थी
शारदा प्रसाद बाप टीचर था सादा गरीब परिवार था।।
2
डेढ़ साल का जमा बालक याणा पिता स्वर्ग सिधार गये
छोटे से बालक उपर जिम्मेदारी परिवार की ये डार गये
चाचा के कहने पै वाराणसी मैं पढ़ खातर पधार गये
मिश्रा जी मिले शहर मैं उनके हो पक्के मददगार गये
आजादी की जंग का मिश्रा नै खाका बताया बारम्बार था।।
3
लाल बहादुर शास्त्री जी कै आजादी का जनून चढ़या
महात्मा गांधी जी पै उननै असहयोग का पाठ पढ़या
जिब बायकॉट की बात चली शास्त्री सबतै आगै कढ़या
मिश्रा और चाचा नाराज हुये लाल पै गुस्सा खूब बढ़या
माता ललिता देवी नै साथ दिया जताया अपना प्यार था।।
4
लाहौर सैसन कांग्रेस का शास्त्री अटैंड करकै आया
पूर्ण स्वराज का नारा लाकै जंग का गया बिगुल बजाया
आजादी पाछै जनता का मंत्री पद पै साथ निभाया
नेहरू बाद प्रधानमंत्री बने देश आगै बढ़ाना चाहया
कहै रणबीर बरोने आला वो माणस घणा होनहार था।।
-44-
असहयोग आन्दोलन
असहयोग आन्दोलन की मन मैं पूरी उमंग भरी थी।।
चाचा और मिसरा जी नै प्रकट नाराजी खूब करी थी।।
1
स्कूल कॉलेज बायकाट का गांधी जी नै नारा लाया था
बीए का एक साल बच्या शास्त्री नै कदम बढ़ाया था
चाचा नै इस बात का बेरा लाग्या भूंडी ढालां धमकाया था
मिसरा नै चाचा के सुर मैं अपना बी सुर मिलाया था
बोले अपनी पढ़ाई करले ज्यान बिघन मैं घिरी थी।।
2
अंग्रेजां के राज मैं भारत घणी कसूती ढालां सड़ग्या
सुणकै हुकम चाचा जी का उसकै काला सांप सा लड़ग्या
बोल्या मैं बायकॉट करूंगा अपनी बात पै अड़ग्या
घर और शास्त्री बीच मैं इस बात का रासा छिड़ग्या
मिसरा जी कै साहमी उसनै दिल की बात खोल धरी थी।।
3
चाचा मिसरा दोनूं नाट गये शास्त्री का जी दुख पाया था
वो माता कै आगै रोया जाकै जी खोल कै उसतै दिखाया था
माता नै सारी बात सुणकै होंसला उसका बधाया था
बी.ए. पास करूंगा जरूरी इसका प्रण करवाया था
कई बार जेल मैं गया जलस्यां मैं बिछाई खूब दरी थी।।
4
दर्शन मैं ली शास्त्री डिग्री लड़ते-लड़ते करी पढ़ाई
बचन दिया जो माता जी तै बात वा पूरी करकै दिखाई
वाराणसी तै अलाहबाद आ आजादी जंग मैं जान खपाई
पीछै मुड़कै नहीं देख्या फेर अंग्रेजां की थी भ्यां बुलाई
अंग्रेज एक दिन भाजैंगे बात लाल बहादुर कै जरी थी।।
-45-
ठण्डी बाल
तन ढक्कन नै चादर ना घणी ठण्डी बाल चलै।।
एक कून मैं पड़ रहना धरां सिर कै हाथ तलै।।
1.
फुटपाथ सै रैन बसेरा घणे सुन्दर मकान थारे
दो बख्त की रोटी मुश्किल रोज बनैं पकवान थारे
दीखे इरादे बेइमान थारे सत्ते का जी बहोत जलै।।
2.
होटल मैं बरतन मांजैं करैं छोटी मोटी मजूरी
थारे घरां की करैं सफाई घर अपने मैं गन्द पूरी
कद समझी या मजबूरी जाड़ी बाजैं ज्यों शाम ढलै।।
3.
थारे ठाठ-बाट देख निराले हूक उठे दिल म्हारे मैं
पुल कै नीचै लेटे देखां लैट चसै उड़ै चौबारे मैं
गरम कमरे थारे मैं यो सैक्स का व्यापार पलै।।
4.
म्हारी एक नहीं सुनै राम थारे महलां बास करै
इसे राम नै के हम चाटां पूरी ना कोए आस करै
रणबीर सब अहसास करै दिल मैं आग बलै।।
-46-
गाम-गाम की कहानी आज की या सुणियो आज सुणाउं मैं।।
दलितां का हुया जीवना मुश्किल यो किस्सा आज बताउं मैं।।
1.
गाम किला जफरगढ़ मैं कहर दलितां उपर ढाया रै
मकान तोड़े मारे पिट्टे जुलम दबंगा नै बरपाया रै
वीरवार की रात कहैं भगवती जागरण था करवाया रै
महिला पुरुष बैठें ढंग तै इसा था इन्तजाम करवाया रै
दबंग जात के छोरयां की आगे की करतूत गिणाउं मैं।।
2.
दस बारा नौजवनां का टोल दबंग समाज का आया
महिलावां पाछै बैठ गये उनपै पात्थर रेल बरसाया
छेड़खानी करी भद्दा बोले घणा कसूता बिघन खिंडाया
महिलावां नै टोक दिये दबंगा का न्यों सिर चकराया
दलित बी इन्सान हों सैं इस समझ की कमी दिखाउं मैं।।
3.
आयोजकां न उन बिगड़ैलों को थोड़ा घणा समझाया
दबंग कौम के होनहारां की मण्डली नै उधम रचाया
झगड़ा करया उल्टा बोले कसूता रोब जमाना चाहया
इसे बीच मैं किसे नै जाकेै पुलिस तांहि फोन खड़काया
गरीब की बहु सबकी जोरू कोन्या जमा झूठ भकाउं मैं।।
4.
पुलिस आगी गाम मैं किसे नै जागरण मैं आण बताया
दबंग कौम के उतां मांतै उड़ै कोए नहीं टोहया पाया
चार पांच पुलिस आल्यां नै जागरण पूरा चलवाया
दबंग कौम नै दलितां पै अपना खौफ खूब फैलाया
रणबीर सिंह बरोनिया कहै या साच साहमी ल्याउं मैं।।
-47-
दास्तान
जीणा होग्या भारी बेबे, तबीयत होज्या खारी बेबे, नहीं सुनाई म्हारी बेबे, फेर बी जीवण की आस मनै।
1.
ठीक ढालां जीणा चाहया,
रिवाज पुराणा आड्डै आया,
कमाया मनै जमा डटकै, मेरा बोलना घणा खटकै, दुख मैं कोण पास फटकै, यो पूरा सै अहसास मनै।।
2.
मुंह मैं घालण नै होरे ये,
चाहे बूढ़े हों चाहे छोरे ये
डोरे ये डालैं शाम सबेरी, ,कहवैं मनै गुस्सैल बछेरी, मेरी कई बर राही घेरी, गैल बतावैं ये बदमास मनै।।
3.
सम्भल-सम्भल मैं कदम धरूं,
सही बात पै सही जमा मरूं,
करूं संघर्ष मिल जुल कै, हंसू बोलूं सबतै खुलकै, नहीं जीउं घुल-घुल कै, या बात समझली खास मनै।।
4.
चरित्रहीन का इल्जाम लग्या,
मेरा भीतरला यो और जग्या
सग्या लूटै इज्जत म्हारी, ओहे बणज्या समाज सुधारी, कहता फिरै मनै कलिहारी, रणबीर का विश्वास मनै।।
-48-
कीट नाशक कंपनी लूटती गलत बात बताती रिझाने को।।
कीट नाशक इस्तेमाल करो वे कहती कपास बचाने को ।।
1
कीट नाशक दवाईयों से हानीकारक कीट मारे जाते हैं
लाभदायक कीट भी मरते हैं सच्चाई हमसे छिपाते है
महिला खेत पाठशाला में मिलते सही राह दिखाने को ।।
कीट नाशक इस्तेमाल करो वे कहती कपास बचाने को ।।
2
लाभकारी कीटों की पहचान करनी सिखाई जाती है
हानिकारक कीटों को बताते हिमाती कीट कैसे खाती है
सबसे अलग रीत चलायी साधुवाद गाँव निड़ाने को।।
कीट नाशक इस्तेमाल करो वे कहती कपास बचाने को ।।
3
कीट नाशकों का गलत प्रभाव डाक्टर हमें बताते हैं
धीरे धीरे ये कीटनाशक शरीर में इकठ्ठे हो जाते हैं
कैंसर पेट दर्द अलर्जी की शरीर में बीमारी बढ़ाने को।।
कीट नाशक इस्तेमाल करो वे कहती कपास बचाने को ।।
4
कीटनाशक बिना निडाना में आज कपास उगाई जाती है
महिला किस्सान हुई चौकन्नी दुश्मन कीट हटाई जाती है
रणबीर सिंह देखना चाहता बढ़िया गीत बनाने को।।
कीट नाशक इस्तेमाल करो वे कहती कपास बचाने को ।।
-49-
अब तक का सफर
पन्दरा अगस्त सैंतालिस मैं हमनै देश आजाद कराया रै।।
हजारां लाखां बीर मरद जिननै सब किमै दा पै लाया रै।।
1
एक छत्र राज अंग्रेजां का जड़ै सूरज कदे छिप्या नहीं
बाहणा था व्यापार करण का लालच उनपै दब्या नहीं
गूंठे कटवाए कारीगरां के जुलम उनका घट्या नहीं
मजदूर किसान लूट लिए मेहनतकश कदे हंस्या नहीं
एका करकै जंग मैं उतरे फिरंगी ना भाज्या थ्याया रै।।
2
आजाद भारत का सपना देष पूरा आत्मनिर्भर होवै
शिक्षा मिलै सबनै पूरी ना कोए बालक भूखा सोवै
महिला पै हिंसा खत्म हो अपणे घरां चैन तै सोवै
छुआछात नहीं रहैगी ना कोए सिर पै मैला ढोवै
सुभाष बोश भगत सिंह नै इन्कलाब का नारा लाया रै।।
3
देश के मजदूर किसानां नै पसीना घणा बहाया फेर
माट्टी गेल्यां माट्टी होकै कई गुणानाज उगाया फेर
कई सौ लोगां की कुर्बानी डैम भाखड़ा बनाया फेर
हरित क्राांति हरियाणे मैं एक बै नया दौर आया फेर
दस की तो खूब ऐश हुई नब्बै जमा खड़या लखाया रै।।
4
देश और तरक्की करै म्हारा वैश्वीकरण का नारा ल्याए
झूठ मूठ की बात बणाकै हम भारतवासी गए भकाए
ऐश करैं ले करज बदेशी देष के बेच खजाने खाए
बदेशी कंपनी खातर फेर झट पट दरवाजे खुलवाए
रणबीर सिंह मरै भूखा नाज गोदामां मैं सड़ता पाया रै।।
-50-
फागण
मनै पाट्या कोण्या तोल, क्यों करदी तनै बोल, नहीं गेरी चिट्ठी खोल, क्यों सै छुट्टी मैं रोल, मेरा फागण करै मखोल, बाट तेरी सांझ तड़कै।।
1
या आई फसल पकाई पै,
या जावै दुनिया लाई पै,
लागै दिल मेरे पै चोट, मैं ल्यूं क्यूकर इसनै ओट, सोचूं खाट के मैं लोट, तूं कित सोग्या पड़कै।।
2
खेतां मैं मेहनत करकै,
रंज फिकर यो न्यारा धरकै
लुगाइयां नै रोनक लाई, कट्ठी हो बुलावण आई,मेरा कोण्या पार बसाई, तनै कसक कसूती लाई, पहली दुलहण्डी याद आई, मेरा दिल कसूता धड़कै।।
3
इसी किसी तेरी नौकरी,
कुणसी अड़चन तनै रोकरी
अमीरां के त्योहार घणे सैं, म्हारे तो एकाध बणे सैं, खेलैं रलकै सभी जणे सैं, बाल्टी लेकै मरद ठणे सैं, मेरे रोंगटे खड़े तनै सैं, आज्या अफसर तै लड़कै।।
4
मारैं कोलड़े आंख मीचकै,
खेलैं फागण जाड़ भींचकै
उड़ै आग्या था सारा गाम, पड़ै था थोड़ा घणा घाम, पाणी के भरे खूब ड्राम, दो तीन थे जमा बेलगाम, मनै लिया कोलड़ा थाम, मारया आया जो जड़कै।।
5
पहल्यां आली ना धाक रही,
ना बीरां की खुराक रही
तनै मैं नई बात बताउं, डरती सी यो जिकर चलाउं, रणबीर पै बी लिखवाउं, होवे पिटाई हररोज दिखाउं, कुण कुण सै सारी गिणवाउं, नहीं खड़ी होती अड़कै।।
-51-
आया फागण
फागण का म्हिना आग्या चारों कान्हीं हरियाली छाई।।
ईब ना गरमी ना सरदी लागै या रुत खेलण की आई।।
1
चम्पा चमेली सखी सहेली करी फागण खेलण की तैयारी
बहू नवेली मिलकै खेली पूरा फागण का रंग जमारी
साठे में बुढ़िया होरी रसिया जणूं तै पां मिंडकी ठारी
लाडू बरफी ल्याकै असरफी आंगली चाट चाट खारी
रिस्सालो मार धमोड़ा फेर नई तान खोज कै ल्याई।।
2
पीले फूल रहे खेत मैं झूल चाला मोटा रूपरया सै
सिरसों की फली लागैं भली पूरा ए पेड़ा झुकरया सै
खुभात करै अर उभाणा फिरै फील गुड हंसरया सै
धरती बांझ होन्ती आवै सै जी बिघण मैं फंसरया सै
या चांद की चांदनी रात मोर नै सुरीली कूक सुनाई।।
3
बाट दिखा कै हाड़े खवा कै फागण का म्हिना आया
लुगाइयां नै बैठ सांझ कै गीत सही सुर मैं ठाया
लखावै बैठी कोए देहल पै नहीं बालम घर मैं पाया
होली के दिन रैहगे दो नहीं कोए रंग गुलाल ल्याया
बिन बालम किसी होली इसे चिन्ता नै मैं खाई।।
4
देवर आकै गुलाल लगावै भाभी नै कोलड़ा भांज लिया
इतनै मैं रुक्का पड़ग्या दो ठोल्यां का लाठा बाज लिया
किसे का सिर फूट गया कोए घर कान्ही भाज लिया
देवर कै कोलड़ा लाग्या हो घणा कसूता नाराज लिया
रणबीर बरोने आले नै करी टूटी फूटी सी कविताई।।
-52-
गुडफील
हमनै तो सुननी कोण्या थारी कोए दलील रै।।
ये सारे गुड फीलते ईब तूं भी गुड फील रै।।
1
भूखा मरै कोए बात नहीं छोड़ दे चिन्ता सारी
गुड फील ज्यूकर फीलैं म्हारे अटल बिहारी
या करी तरक्की भारी बोले सभी वकील रै।।
2
गुड फीलण मैं सूखे जावैं क्यों तेरे प्राण देख
हेमा मालिनी फीलती फील रहे कल्याण देख
हो कितनी अपमान देख मान ले अपील रै।।
3
म्हंगाई की मार पड़ै पर इसनै भूल जाइये तूं
दारू पी गुड फील हो कति ना शरमाइये तूं
ठप्पा सही लगाइये तूं मत करिये ढील रै।।
4
गुड फीलैं सैं कटियार फीलती उमा भारती
जयपुर मैं सिंधिया जी तारै रणबीर आरती
सुषमा नकल मारती गाड्डे छाती में कील रै।।
-53-
तीन मुंहा नाग
तीन मुंहा नाग काला भारत देश नै डसग्या।।
अमीरां की चान्दी होगी गरीब कसूता फंसग्या।।
1
मुद्राकोष का फण जहरी काट्या मांगै पाणी ना
दूजा फण विश्व बैंक का ईकी शक्ल पिछाणी ना
डब्ल्यू टी ओ तीजा फण बचती कुण्बा घाणी ना
काले नाग तै दूध जो प्यावै उंहतै माड़ा प्राणी ना
इसका जहर समाज की नस नस के मैं बसग्या।।
2
ढांचागत समायोजन नै कसूते गुल खिला दिये
शिक्षा पै कम खरचा हो हुकम इसे सुणा दिये
सेहत बणै हवण तै मंतर गजब के पढ़ा दिये
कोडियां के दामां पै पब्लिक सैक्टर बिका दिये
भकाये फंदा ढीला होज्या दूना गल नै कसग्या।।
3
इस काले नाग के दम पै देश अमीर घणे छागे
गरीब देशां के बण हितैषी ये भ्रम घणा फैलागे
दुनिया के अमीर कट्ठे होकै चूट-चूट के खागे
अमीरपरस्त नीति बणाकै गरीब नै जमा दबागे
इसे डंक मारे अमीरां नै समाज धरती मैं थंसग्या।।
4
अमीर गरीब के बीच की खाई और चौड़ी होगी
ये बालक रुलते हांडैं इनकी जवानी बौड़ी होगी
बदेशी नाम की देशी तै घणी जालम जोड़ी होगी
म्हारे डांगर रोज मरैं ठाड्डी इनकी घोड़ी होगी
रणबीर की कविताई तै ज्योत अंधेरे मैं चसग्या।।
-54-
पीस्सा
माणस आले प्यार रहे ना जग में पीस्सा छाग्या।।
माट्टी होगी त्याग भाव की जी घणा दुख पाग्या।।
1
विज्ञान की नई खोजां नै अनहोनी करकै दिखाई
नियम जाण कुदरत के या जिन्दगी सफल बणाई
गलत इस्तेमाल हो इसका तो घणी करदे तबाही
मुट्ठी भर लोगां नै इसपै अपनी धाक जमाई
नाज सड़ै गोदामां मैं भूखा दुख मैं फांसी खाग्या।।
2
कुछां के कुते ऐश करैं म्हारे बालक भूखे मरते
हम दिन रात कमावैं वे तै कमाई काली करते
चटनी नहीं नसीब हमनै वे पकवानां तैं डरते
पीस्से के अम्बार लगे इनके पेट कदे ना भरते
बिन पैंदे का लौटा हमनै मूरख बेकूफ बताग्या।।
3
म्हारी ईज्जत आबरू उतरै ईब खुले बाजार मैं
धेले की ना कदर रही आपस के ब्यौहार मैं
ना सही रिश्ते बनाए हमनै अपने परिवार मैं
औरत दी एक चीज बणा लालच के संसार मैं
बैडरूम सीन टीबी पै खुलकै दिखावण लाग्या।।
4
खेती खोसी डांगर खोसे ईब करैगा कंगला यो
ना सुहावै म्हारी झूंपड़ी खुदका बढ़िया बंगला यो
म्हारी लूट कमाई देखो हमनै बतावै पगला यो
रहे ताश खेलते तो नहीं समझ पावां हमला यो
बता रणबीर सिंह क्यों पीस्से का नंगापन भाग्या।।
-55-
नया पेटैंट मारैगा
यो पेटैंट के जंजाल बीरा, बतादे करकै ख्याल बीरा,उठती दिल मैं झाल बीरा, यो करै कैसे कंगाल बीरा, सै योहे मेरा सवाल बीरा, मनै जवाब दिये खोल कै।।
1
समिति नै कर जलसा इसकी सारी कमी बताई रै
सन सैंतालिस तै पहल्यां गोरयां नै लूट मचाई रै
आच्छी कहैं सरकार बीरा, समिति करै इन्कार बीरा,अमरीका की सै मार बीरा, देश बणाया बजार बीरा, किनैं बढ़ाई तकरार बीरा, मनै जवाब दिये तोल कै।।
2
खोज म्हारी कै झटका नये पेटैंट तै जरूर लागै
भूख गरीबी भारत की इसतै कदे बी कोन्या भागै
कोण्या बढ़या निर्यात बीरा, नहीं घट्या आयात बीरा, क्यूकर बचै औकात बीरा, म्हारी चढ़ी सै श्यात बीरा, क्यों मारग्या सन्पात बीरा, मनै जवाब दिये टटोल कै।।
3
खाद पानी बिजली खुसगे यो अपना बीज ना होगा
अस्पताल कॉलेज पै कब्जा बदेशी कंम्पनी का होगा
फेरना मिलै दवाई बीरा, या म्हंगी होगी पढ़ाई बीरा, इसनै रोल मचाई बीरा, जनता झूठ भकाई बीरा, क्यूकर बचै तबाही बीरा, मनै जवाब दिये बोल कै।।
4
चिन्ता रोज सतावै क्यूकर चालैगा यो परिवार मेरा
पेटैंट बढ़िया चीज सै इसतै दिल करै इनकार मेरा
खींच सही तसबीर बीरा, लडा कोए तदबीर बीरा, मसला घणा गम्भीर बीरा लिखै सही रणबीर बीरा, समझा ईकी तासीर बीरा मनै जवाब दिये खंगोल कै।।
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वार्ता: वैश्वीकरण के दौर में देशों के बीच असमानाएं बढ़ती जा रही हैं और देशों के अन्दर भी असमानाएं बढ़ रही हैं। एक तरफ हाईटैक सिटी हैं। मॉल शॉप हैं। दूसरी तरफ कॉलोनियों में बनी दुकानों को सील किया जा रहा है ताकि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मॉल शॉप चल निकलें। एयर कन्डीशन्ड घर हैं, कारें हैं और स्कूल हैं। गरमी की दुनिया देख ही नहीं पाते ये बच्चे। वास्तव में हिन्दुस्तान तरक्की पर है। क्या बताया भला:
जमीन जल और जंगल पै अमीर कब्जा बढ़ावै सै।।
गरीब लाचार खड़या आसमान तरफ लखावै सै।।
1
जमीन पै कब्जा करकै हाईटैक सिटी बनाते आज
उजड़ कै जमीन तै कित जावै ना खोल बताते आज
बीस लाख मैं ले कै किल्ला बीस करोड़ कमाते आज
इनके बालक तै ऐश करैं म्हारे ज्यान खपाते आज
आदिवासी नै जंगल मां तै हांगा करकै हटावै सै।।
2
जंगल काट-काट कै गेरे ये मुनापफा घणा कमागे रै
आदिवासी दिये भजा उड़ै तै बहुत से ज्यान खपागे रै
मान सम्मान खातर लड़े वे ज्यान की बाजी लागे रै
देशी लुटेरे बदेशी डाकुआं तै ये चौड़ै हाथ मिलागे रै
किसान की आज मर आगी यो संकट मैं फांसी लावै सै।।
3
बिश्लेरी पानी की बोतल बाजार मैं दस की मिलती रै
दूध सस्ता और पानी महंगा बात सही ना जंचती रै
साफ पानी नहीं पीवण नै बढ़ती बीमारी दिखती रै
पानी म्हारा दोहन उनका पीस्से की भूख ना मिटती रै
जमीन जंगल जल गया संकट बढ़ता ए आव सै।।
4
औरत दी एक चीज बना बाजार बीच या बिकती रै
म्हंगाई बढ़ती जा कीमत एक जगहां ना टिकती रै
घणा लालची माणस होग्या हवस कदे ना मिटती रै
अमीरी गरीबां नै खाकै बी आज मा ना छिकती रै
रणबीर बरोने आला घणी साची लिखता घबरावै सै।।
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