Saturday, 7 May 2022

जागी महिला हरियाणे की

 जागी महिला अब हरियाणे की 

जुल्मो सितम नहीं सहेंगी महिला अब हरियाणे की।।
आगे बढ़कर बात करेंगी महिला अब हरियाणे की ।।
1
खेतों में खलिहानों में दिन रात कमाई करती हैं
फिर भी दोयम दरजा हम बिना दवाई मरती हैं
बैठी बैठी नहीं सहेंगी महिला अब हरियाणे की।।
आगे बढ़कर बात करेंगी महिला अब हरियाणे की ।।
2
देवी का दरजा देकर इस देवी को किसने लूटा
सदियों से हम गई दबाई समता का दावा झूठा
दहेज़ की बलि नहीं चढ़ेंगी महिला अब हरियाणे की ।।
आगे बढ़कर बात करेंगी महिला अब हरियाणे की ।।
3
इंसान बन गए हैवान आज होते हैं अत्याचार
यहाँ देखो नैया डूब रही अब हम थामेंगी पतवार
अबला बनकर नहीं मरेंगी महिला अब हरियाणे की।।
आगे बढ़कर बात करेंगी महिला अब हरियाणे की ।।
4
आगे बढे ये कदम हमारे पीछे ना हटने पायेंगे
जो मन धार लिया हमने अब करके वही दिखाएंगे
रणबीर सारी बात लहेंगी महिला अब हरियाणे की।।
आगे बढ़कर बात करेंगी महिला अब हरियाणे की ।।

56 RAGNI

1 तर्ज: चौकलिया पन्दरा अगस्त सैंतालिस का दिन लाखां जान खपा कै आया।। घणे हुये कुर्बान देस पै जिब आजादी का राह पाया।। 1 सैंतालिस की आजादी ईब दो हजार आ लिया बस का भाड़ा याद करो यो कड़ै सी जा लिया सीमैंट का कट्टा कितने का आज कौणसे भा लिया एक गिहूं बोरी देकै सीमैंट हमनै कितना पा लिया चिन्ता नै घेर लिये जिब लेखा-जोखा आज लगाया।। 2 आबादी बधी दोगणी पर नाज चौगुणा पैदा करया पचास मैं थी जो हालत उसमैं बताओ के जोड़ धरया बिना पढ़ाई दवाई खजाना सरकारी हमनै रोज भरया ईमानदारी की करी कमाई फेर बी मनै कड़ सरया भ्रष्टाचार बेइमानी नै क्यों सतरंगा जाल बिछाया।। 3 यो दिन देखण नै के भगत सिंह नै फांसी पाई थी यो दिन देखण नै के सुभाष बोस नै फौज बनाई थी यो दिन देखण नै के गांधी बापू नै गोली खाई थी यो दिन देखण नै के अम्बेडकर ने संविधान बनाई थी नये-नये घोटाले सुणकै यो मेरा सिर चकराया।। 4 गणतंत्र दिवस पै कसम उठावां नया हरियाणा बणावांगे भगत सिंह का सपना अधूरा उसनै पूरा कर दिखावांगे ना हो लूट खसोट देस मैं घर-घर अलख जगावांगे या दुनिया घणी सुन्दर होज्या मिलकै हांगा लावांगे रणबीर सिंह मिलकै सोचां गया बख्त किसकै थ्याया।। 2. तर्ज: फूल तुम्हें भेजा है मैम्बर पंचायत चुनी गई खुशी गात मैं छाई थी। ज्ञान विज्ञान आल्यां नै किमै ज्ञान की बात बताई थी।। 1 सबतै पहलम हुआ सामना डरकै देवर मेरे तैं न्यों बोल्या बैठकां मैं नहीं जाणा बता दी बात तेरे तैं भाई तै मैं बतला ल्यूंगा इशारे से मैं धमकाई थी।। 2 चाही लोगां तै बात करी घूंघट बीच मैं यो आण मरया घूंघट खोलण की बाबत यो देवर नै घर ताण गिरया पति मेरे नै साथ दिया पर कोण्या पार बसाई थी।। 3 म्हिने मैं एक मीटिंग हो इसा पंचायती कानून बताया मैम्बर सरपंच करैं फैंसला जा फेर लागू करवाया बिना मीटिंग फैंसले ले कै पंचायत पढ़ण बिठाई थी।। 4 क्यूकर वार्ड का भला करूं तिरूं डूबूं जी मेरा होग्या सरपंच के चौगरदें बदमाशां का यो पूरा ए घेरा होग्या घर आला बोल्या चाल सम्भल कै मैं न्यों समझाई थी।। 5 न्यारी-न्यारी सारे कै हम क्यों होकै लाचार खड़ी बेबे यो हमला घणा भारया सै बिना हथियार खड़ी बेबे मजबूत संगठन बणावां रणबीर नै करी लिखाई थी।। 3 एक बार आजाद हिन्द फ़ौज में धर्मों को लेकर फौजियों में चर्चा होने लगी | बात सुभाष चन्दर बोस तक पहुंचती है तो सुभाष बोस फौजियों से एक बात द्वारा धर्म के बारे में क्या पूछते हैं भला --- धरम के सै माणस का मनै कोण बताइयो नै।। माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोण दिखाद्यो नै।। 1 माणस तै मत प्यार करो कौणसा धरम सिखावै सरेआम अत्याचार करो कौणसा धरम सिखावै तम दारू का ब्यौपार करो कौणसा धरम सिखावै रोजाना नर संहार करो कौणसा धरम सिखावै धरम क्यों खून के प्यासे मनै कोण समझाद्यो नै।। 2 ईसरा राम और अल्लाह जिब एक बताये सारे रै इनके चाहवण आले बन्दे क्यूं खार कसूती खारे रै क्यों एक दूजे नै मारण नै एके जी हाथां ठारे रै अमीर देस हथियार बेच कै खूबै मौज उड़ारे रै बैर करो मारो काटो लिखै वो ग्रंथ भुलाद्यो।। 3 मानवता का तत कहैं सब धरमां की जड़ मैं सै प्रेम कुदरत का सारा सब धरमां की लड़ मैं सै कदे कदीमी प्रेम का रिस्ता माणस की धड़ मैं सै कट्टरवाद नै घेर लिया यो धरम जकड़ मैं सै लोगां तै अरदास मेरी क्यूकरै इनै छटवाद्यो नै।। 4 यो जहर तत्ववाद का सब धरमां मैं फैला दिया कट्टरवाद घोल प्याली मैं सब तांहि पिला दिया स्कीम बणा दंगे करे इन्सान खड़या जला दिया बड़ मानवता का आज सब धर्मां नै हिला दिया रणबीर रोवै खड़या इनै चुप करवाद्यो नै।। -4- किसानों पर तथा आम जनता पर अंग्रेजों के अत्याचार बढ़ जाते हैं | जलियावाला कांड हुआ फिर रोलेट एक्ट की बात चली और गाँधी जी का भारत छोडो आंदोलन चला उधर आजाद हिन्द फ़ौज का होंसला बनाये रखने के लिए बहुत सारी बातें सुभाष चन्दर बोस फौजियों से करते हैं | फौजी मेहर सिंह भी सुनता है सारी बातें और क़्या सोचता है क्या बताया भला --- अंग्रेजों नै लूट मचाई यो चारों कूट रोला पड़ग्या।। एक दूजे के गल कटावैं राज पाट जमा सड़ग्या।। 1 घर बनाये तबेले देश मैं रही माणस की खोड़ नहीं जात पात पर भिड़वारे आज जुल्मों का औड़ नहीं शोषण करैं देश का इमान का जुलूस लिकड़ग्या।। 2 मेहनत करी लोगां नै विज्ञान नै राह दिखाया या दुनिया बदल दई घणा खून पसीना बाहया गोरयां नै डाण्डी मारी भारत कति ए तै पिछड़ग्या।। 3 न्याय की बात भूलगे नहीं ठीक करया बंटवारा पांच सितारा होटल दूजे कान्ही यो फूटया ढारा देश की कमाई का मुनाफा अंग्रेजों कै बड़ग्या।। 4 रेडिओ पै सपने हमनै आज खूब दिखाये जावैं रणबीर लालच देकै नै पिठू आज बनाये जावैं डर आजादी की लड़ाई तैं गोरा और अकड़ग्या ।। -5- ज्ञान विज्ञान का पैगाम सुखी जीवन हो म्यारा ज्ञान विज्ञान का पैगाम सुणो।। हरियाणे के सब नर-नारी चूच्ची बच्चा तमाम सुणो।। 1 सारे पढ़े लिखे होज्यां नहीं अनपढ़ टोहया पावै फेर खाण पीण की मौज होज्या ना भूख का भूत सतावै फेर बीर मरद का हक बरोबर हो इसा रिवाज आवै फेर यो टोटा गरीब की चौखट पै भूल कै बी ना जावै फेर सोच समझ कै चालांगे तो मुश्किल ना सै काम सुणो।। 2 मिलकै नै सब करां मुकाबला हारी और बीमारी का बरोबर के हक होज्यां तै ना मान घटै फेर नारी का भाईचारा फेर बढ़ैगा नहीं डर रहै चोरी जारी का सुख कै सांस मैं साझा होगा इस जनता सारी का भ्रष्टाचार की पूरी तरियां कसी जावै लगाम सुणो।। 3 आदर्श पंचायत बणावां हरियाणा मैं न्यारी फेर दांतां बिचालै आंगली देकै देखै दुनिया सारी फेर गाम स्तर पै बणी योजना लागू होज्या म्हारी फेर गाम साझली धन दौलत सबनै होज्या प्यारी फेर सुख का सांस इसा आवैगा नां बाजै फेर जाम सुणो।। 4 कोए अनहोनी बात नहीं ये सारी बात सैं होवण की बैठे होल्यां लोग लुगाई घड़ी नहीं सै सोवण की इब लड़ां ना आपस मैं या ताकत ना खोवण की बीज संघर्ष का बोवां समों सही सै बोवण की कहै रणबीर गूंजैगा चारों कूठ यो नाम सुणो।। -6- वैज्ञानिक नजर वैज्ञानिक नजर के दम पै जिन्दगी नै समार लिये।। जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।। 1 सादा रैहणा ऊँचे विचार साथ मैं पौष्टिक खाणा यो मानवता की धूम मैच चाहिये इसा संसार बसाणा यो सुरग की आड़ै नरक की आड़ै ना कितै और ठिकाणा यो पड़ौसी की सदा मदद करां दुख सुख मैं हाथ बंटाणा यो धरती सूरज चौगरदें घूमै ब्रूनो नै प्रचार किये।। 2 साच बोलणा चाहिये पड़ै चाहे थोड़ा दुख बी ठाणा रै नियम जाण कुदरत के इसतै चाहिये मेल बिठाणा रै हाथ और दिमाग तै कामल्यां चाहिये दिल समझाणा रै गुण दोष तै परखां सबनै अपणा हो चाहे बिराणा रै जांच परख की कसौटी पै चढ़ा सभी संस्कार लिये।। 3 इन्सान मैं ताकत भारी सै नहीं चाहिये मोल घटाणा सच्चाई का साथ निभावां पैड़े चाहे दुख बी ठाणा लालची का ना साथ देवां सबनै चाहिये धमकाणा मारकाट की जिन्दगी तै ईब चाहिये पिंड छटवाणा पदार्थ तै बनी दुनिया इसनै चीजां को आकार दिये।। 4 दुनिया बहोतै बढ़िया इसनै चाहते सुन्दर और बणाणा जंग नहीं होवै दुनिया मैं चाहिये इसा कदम उठाणा ढाल-ढाल के फूल खिलैं चाहिये इनको आज बचाणा न्यारे भेष और बोली दुनिया मैं न्यारा नाच और गाणा शक के घेरे मैं साइंस नै रणबीर सब डार दिये।। -7- विवेक सूरज साहमी कोहरा टिकै ना अज्ञान विवेक मयी वाणी कै।। अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।। 1 ढोंग अर अन्ध विश्वास पै टिक्या चिन्तन फेर बचै कोण्या यज्ञ हवन वेद शास्त्र फेर पत्थर पूजा प्रपंच रचै कोण्या पुरोहित की मिथ्या बात का दुनिया मैं घमशान मचै कोण्या मन्द बुद्धि लालची माणस कै विवेकमय दया पचै कोण्या शिक्षित अनपढ़ धनी निर्धन बीच मैं आवैं फेर कहाणी कै।। 2 आत्मा परमात्मा सब गौण होज्यां सामाजिक दृष्टि छाज्या फेर समानता एक आधार बणै औरत सम्मान पूरा पाज्या फेर मानवता पूरी निखर कै आवै दुनिया कै जीसा आज्या फेर कार्य काररणता नै समझकै माणस कैसे गच्चा खाज्या फेर माणस माणस का दुख समझै ना गुलाम बणै राजराणी कै।। 3 संवेदनशील समाज होवै ईश्वर केंद्र मैं रहवै नहीं मानव केन्द्रित संस्कृति हो पराधीनता कोए सहवै नहीं स्वतंत्रता बढ़ै व्यक्ति की परजीवी कोण कहवै नहीं खत्म हां युद्ध के हथियार माणस आपस मैं फहवै नहीं विवेक न्याय करूणा समानता खरोंच मारैं सोच पुराणा कै।। 4 अदृश्य सत्ता का कोझ आड़ै फेर कति ना टोहया पावै सोच बिचार के तरीके बदलैं जन चेतना बढ़ती जावै मनुष्य खुद का सृष्टा बणै कुदरत गैल मेल बिठावै कर्म बिना बेकार आदमी जो परजीवी का जीवन बितावै रणबीर बरोने आला ना लावै हाथ चीज बिराणी कै।। -8- म्हारी खोज म्हारी सभ्यता घड़ी बंधी जो हाथ पै इटली मैं हुई खोज बताई।। भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।। 1 खुर्दबीन की खोज कदे नीदरलैंड मैं हुई बताई सै बैरोमीटर तै टॉरिसैली नै मासमी खबर सुणाई सै गुबारा सतरा सौ तिरासी मैं यो हमनै दिया दिखाई सै टेलीग्राफ की खोज नै फेर फ्रांस की श्यान बढ़ाई सै गैस लाइट के आणे तै जग मैं हुई घणी रूसनाई।। 2 इटली के पी टैरी नै टाइप राइटर फेर बणाया रै हम्फ्री डेवी नै लैंप सेफटी बणा माडल दिखलाया रै माचिस की खोज नै ठारा सौ छब्बीस याद कराया रै साइकिल के बणाणे आला मैकलिन नाम बताया रै ठारा सौ तितालिस सन मैं फैक्स मशीन बणाई।। 3 ज्ञान विज्ञान आगै बढ़ग्या करे नये-नये आविष्कार अमरीका नै लिफट खोजी मंजिलां की फेर लागी लार ठारा सौ बावण मैं वायुयान नै हवा मैं भरी उडार टेलबेट नै फोटो खींचण की विधि कर दी तैयार वैज्ञानिक सोच के दम पै नई-नई तरकीब सिखाई।। 4 थामसन नै वैल्डिंग मशीन अमरीका मैं त्यार किया एडीसन नै बलब बिजली जगमगणा पूरा संसार दिया मोटर साइकिल डैमलर नै सड़ां पै फेर उतार दिया उन्नीस सौ बावण मैं हाइड्रोजन बम बी सिंगार लिया रणबीर आगे की फेर कदे बैठ करै कविताई।। -9- वैज्ञानिक दृष्टि वैज्ञानिक दृष्टि बिन सृष्टि नहीं समझ मैं आवै।। कुदरत के नियम जाण कै समाज आगै बढ़ पावै।। 1 किसनै सै संसार बणाया किसनै रच्या समाज यो म्हारा भाग कहैं माड़ा बांधैं कामचोर कै ताज यो सरमायेदार क्यों लूट रहया सै मेहनतकश की लाज यो क्यों ना समझां बात मोटी कूण म्हारा भूत बणावै।। 2 कौण पहाड़ तोड़ कै करता धरती समतल मैदान ये हल चला खेती उपजावै उसे का नाम किसान ये कौण धरा चीर कै खोदै चांदी सोने की खान ये ओहे क्यों कंगला घूम रहया चोर बण्या धनवान ये करमां के फल मिलै सबनै क्यों कैहकै बहकावै।। 3 हम उठां अक अनपढ़ता का मिटा सकां अन्धकार यो हम उठां अक जोर जुलम का मिटा सकां संसार यो हम उठां अक उंच नीच का मिटा सकां व्यवहार यो जात पात और भाग भरोसे कोण्या पार बसावै।। 4 झूठ्यां पै ना यकीन करां म्हारी ताकत सै भरपूर म्हारी छाती तै टकरा कै गोली होज्या चकनाचूर जागते रहियो मत सोइयो म्हारी मंजिल ना सै दूर सिरजन होरे हाथ म्हारे सैं घणे अजब रणसूर नया समाज सुधार का रणबीर रास्ता बतावै।। -10- ब्रह्माण्ड हमारा इस ब्रह्माण्ड का बेरा ना सोच-सोच घबराउं मैं।। धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।। 1 वैज्ञानिक दृष्टि का पदार्थ नै आधार बताते नाश हो सकता पर बदलै ना आकार सुणाते निर्जिव तै जीव की उत्पत्ति डारविन जी सिखाते हमेश रहै बदलता क्यूकर या समझाउं मैं।। 2 जिज्ञासा और खोज तै उपजै उसनै ग्यान कहैं सुलझे ग्यान नै फेर दुनिया मैं विग्यान कहैं जिज्ञासा नै मारै सै जो उसको सारे अग्यान कहैं गुण दोष पै जांचै परखै वैज्ञानिक इन्सान कहैं पूर्वाग्रह तै टकराकै बणै नयी सोच दिखाऊँ मैं।। 3 मत विश्वास करो क्योंकि मां बाप नै बताया सै शिक्षक नै कैहदी ज्यांतै आंख मूंद अपणाया सै परीक्षण विश्लेषण पै जो सर्वहित कारी पाया सै प्रयोग तै करैं दोबारा वो सिद्धांत आगै आया सै भाग्यवाद पै कान धरै ना उके धोरै जाऊँ मैं।। 4 वैज्ञानिक दृष्टि गुरू अपना चेला बताया होज्या तीव्र ग्राही मन होवै जो कदे ना पड़कै सोज्या सत्य का खोजी माणस बीज नई खोज के बोज्या प्रमाण पै टिक्या विवेक सारे अन्धविश्वास नै खोज्या रणबीर जोर लगाकै बात खोज कै ल्याऊँ मैं।। -11- मेरा संघर्श गाम की नजरां के म्हां कै बस अड्डे पै आउं मैं।। कई बै बस की बाट मैं लेट घणी हो जाऊं मैं।। 1 भीड़ चीर कै बढ़णा सीख्या करकै हिम्म्त चढ़णा सीखा लड़भिड़ कढ़णा सीख्या, झूठ नहीं भकाऊं मैं।। बस मैं के के बणै मेरी साथ नहीं बता सकती सब बात भोले चेहरे करैं उत्पात, मौके उपर धमकाऊं मैं।। दफतर मैं जी ला काम करूं पलभर ना आराम कंरू किंह किहं का नाम धरूं, नीच घणे बताऊं मैं।। डर मेरा सारा ईब लिकड़ गया, दिल भी सही होंसला पकड़ गया, जै रणबीर अकड़ गया, तो सबक सिखाऊं मैं।। -12- शोषण हमारा बदेशी कम्पनी आगी, हमनै चूट-चूट कै खागी, अमीर हुए घणे अमीर, यो मेरा अनुमान सै।। 1 हमनै पूरे दरवाजे खोल दिये,बदेशियां नै हमले बोल दिये ये टाटा बिड़ला साथ मैं रलगे, उनकै घी के दीवे बलगे, बिगड़ी म्हारी तसबीर, या संकट मैं ज्यान सै।। 2 पहली चोट मारी रूजगार कै, हवालै कर दिये सां बाजार कै गुजरात मैं आग लवाई क्यों, मासूम जनता या जलाई क्यों, गई कड़ै तेरी जमीन, घणा मच्या घमसान सै।। 3 या म्हारी खेती बरबाद करदी, धरती सीलिंग तै आजाद करदी किसे नै भी ख्याल ना दवाई का, भट्ठा बिठा दिया पढ़ाई का, घाली गुरबत की जंजीर, या महिला परेशान सै।। 4 या सल्फाश की गोली सत्यानासी, हरदूजे घर मैं ल्यादे उदासी आठ सौ बीस छोरी छोरा हजार यो, बढ़या हरियाणे मैं अत्याचार यो लिखै साची सै रणबीर, नहीं झूठा बखान सै।। -13- लड़की को नसीहत सीधा जाणा सीधा आणा तड़कै सांझ मां मनै समझावै।। गली गोरे मैं मत हांसिये बिठाकै रोजाना धमकावै।। 1 मां मेरी मनै घणा चाहवै मेरी घणी करै सम्भाल दखे जो सीख्या उसनै मां पै सिखाया चाहवै तत्काल दखे अपणे बरगी गउ काली मनै आज बनाया चाहवै।। 2 इसमैं कसूर नहीं उसका उसने दुख ठाया सै भारया मास्टरनी होकै बी उसनै नहीं कदे घुंघट तारया कहै यो सै इज्जत म्हारी जिनै तारया उनै बिसरावै।। 3 बोली बीर की जात नीची या मर्द जात उंची हो सै जो बीर करती मुकाबला उसका लाजमी खोह सै सारे गाम मैं बीर इसी मुुंह ठड की उपाधि पावै।। 4 बोली भूल कै बी करिये मतना बराबरी तूं भाई की रोटी चटणी खाणा सीख मत देखै बाट मलाई की मेरा भला चाहवै अक बुरा सोच कै बुद्धि चकरावै।। -14- बेईमान का छल बेइमान डूब कै मरज्या काम करया बड़े छल का। घणी सफाई तारै मतना भरया पड़या तूं मल का।। 1 जला गुजरात धर्म उपर पाछे घणा खिसकाया सै मोदी तूं इन्सान कसूता कितना अन्धेर मचाया सै सोच समझ कै जलाया सै यो काम बजरंग दल का।। 2 योजना बना दंगे कराये मेरै सुणकै आया पसीना मुसलमानां कै के जी कोण्या शरद समझ लिया सीना कैम्पा मैं पडरया जीना उड़ै बी बेरा ना कल का।। 3 कीेड़े पड़कै मरियो मोदी मेरी आत्मा गवाही देरी भारत के मां गुजरात तै लीख फासीज्म की गेरी झूठी बात नहीं मेरी अटल झाड़ बनै तेरे गल का।। 4 रणबीर कदे किसे बस्ती मैं आग राम नै लगाई हो खुदा नै हिन्दुआं की कदे सींख ला बस्ती जलाई हो दंग्या तै कदे हुई भलाई हो जहर बना दिया जल का।। -15- नाम कमाया हे यो घूंघट तार बगाया हे, खेता मैं खूब कमाया हे, खेलां मैं नाम कमाया हे, हम आगै बढ़ती जारी बेबे।। 1 लिबास पुर रोहनात गाम मैं बहादरी खूब दिखाई बेबे अंग्रेजां तै जीन्द की रानी नै गजब करी लड़ाई बेबे हमको दबाना चाहता हे, नहीं रस्ता सही दिखाया हे, गया उल्टा सबक सिखाया हे, म्हारी खूबै अक्कल मारी बेबे।। 2 डांगर ढोर की सम्भाल करी धार काढ़ कै ल्याई बेबे खूब बोल सहे हमनै स्कूलां मैं करी पढ़ाई बेबे सब कुछ दा पै लाया देखो, सबनै खवा कै खाया देखो,ना गम चेहरे पै आया देखो, कदे हारी कदे बीमारी बेबे।। 3 नकल रोकती बहन सुशीला, जमा नहीं घबराई सै मरकै करी हिफाजत असूलां की नई राह दिखाई सै गन्दी राजनीति साहमी आई, औरतां पै श्यामत ढाई,फेर बी सै अलख जगाई, देकै कुर्बानी भारी बेबे।। 4 लड़ती मरती पड़ती हम मैदाने जंग मैं डटती देखो कायदे कानूनां तै आज म्हारी सरकार हटती देखो हर महिला मैं लहर उठी, हर गली और शहर उठी,सुबह शाम दोपहर उठी, रणबीर की कलम पुकारी बेबे।। -16- 1 मई का दिन दुनिया के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन है । मजदूरों ने इकट्ठे होकर अपने हकों के लिए आवाज उठाई थी। अपने खून की कुर्बानी दी थी। लाल झंडे की महिमा को स्थापित किया था। क्या बताया भला:-- मई दिवस यो एक मई नै दुनिया मैं मनाया जावै ।। दुनिया के मजदूरो एक हो नारा यो लगाया जावै ।। 1ब लड़ी मजदूरों नै कट्ठे होकै दुनिया मैं लड़ाई बेबे लाल झंडा रहवै सलामत छाती मैं गोली खाई बेबे पूरी एकता दिखाई बेबे यो एहसास कराया जावै।। 2 देकै शहादत मजदूरों नै अपने हक लेने चाहे थे कई सौ मजदूर कट्ठे होकै शिकागो के मैं आये थे एकता के नारे लाये थे म्हारा हक ना दबाया जावै।। 3 समाजवाद की दुनिया मैं एक नई या लहर चली चीन साथ मैं वियतनाम या हर गली शहर चली दिन रात आठ पहर चली इतिहास मैं बताया जावै।। 4 उस दिन तैं मजदूर दिवस मेहनतकश मणाण लगे मजदूर एकता जिंदाबाद सुन मालिक घबराण लगे रणबीर सिंह गीत बणाण लगे एक मई नै गाया जावै।। -17- सेहत दिवस सेहत दिवस सात अप्रैल का हम हर साल मनावैं रै।। ताजा खाणा पीणा ताजी हवा तैं सेहत बणावै रै।। 1 कुदरत साथ संघर्ष म्हारा बहोत पुराणा कहते रै यो तनाव जब घणा होवै कहैं बीमार घणे रहते रै बिना कुदरत नै समझैं माणस दुख हजारां सहते रै इसतै मेल मिलाप होज्या तै सुख के झरने बहते रै जिब दोहण करैं कुढ़ाला तो उड़ै रोगै पैर जमावैं रै।। 2 सिन्धु घाटी की जनता नै सेहत के नियम बनाये थे चौड़ी गाल ढकी नाली ये घर हवादार चिनाये थे पीवण खातर बणा बावड़ी न्यारे जोहड़ खुदवाये थे जितनी समझ थी उनकी रल मिल पूरे जोर लगाये थे जिब पैदावार के ढंग बदलैं बीमारी बी पल्टा खावैं रै।। 3 माणस मैं लालच बधग्या, कुदरत से खिलवाड़ किया ,बिना सोचें समझें कुदरत का सन्तुलन बिगाड़ दिया लालची नै बिना काम करें बिठा ऐश का जुगाड़ लिया माणस माणस मैं भेद होग्या रिवाज न्यारा लिकाड़ लिया समाज के अमीर गरीब मैं क्यों न्यारी बीमारी पावै रै।। 4 साफ पाणी खाणा और हवा रोक सकैं अस्सी बीमारी ना इनका सही बंटवारा सै मनै टोहली दुनिया सारी जिस धोरै ये चीज थोड़ी सैं उड़ै होवै बीमारी भारी होयां पाछै इलाज सै म्हंगा न्यू माणस की श्यामत आरी रणबीर सिंह नै छन्द बनाया मिलकै सारे गावैं रै।। -18- सांझी बिरासत कोणार्क और एजन्ता एलोरा म्हारी खूबै श्यान बढ़ावैं।। चार मीनार कुतुब ताज महल ये च्यार चांद लगावैं।। 1 दोनूं भारत की विरासत इसतै कौण आज नाट सकैं साहमी पड़ी दीखै सबनै कौण इस बात नै काट सकैं जो पापी तोल घाट सकैं म्हारी संस्कृति कै बट्टा लावैं।। 2 कालिदास बाणभट्ट रवीन्द्र नाथ नै श्यान बढ़ाई सै खुसरो गालिब फिराक हुये सैं जिनकी कला सवाई सै न्यारे-न्यारे बांटै जो इननै भारत के गछार कुहावैं।। 3 जयदेव कुमार गंधर्व भीम सेन जोशी जसराज दिये बड़े गुलाम अली मियां बिस्मिल्ला खान नै कमाल किये एक दूजे नै जो नीचा कहते वे घटियापन दिखावैं।। 4 सहगल हेमन्त मन्ना और लता गायकी मैं छागे ये रफी नूर जहां नौशाद साथ मैं सब जनता नै भागे ये रणबीर बरोने आले कान्ही ये हिन्दु मुस्लिम लखावैं।। -19- बैर क्यों इसी कोए मिशाल भाई कदे दुनिया मैं पाई हो।। हिन्दु के घर मैं आग खुद कदे खुदा न लाई लाई हो।। राम रहित नानक ईसा ये तो दीखैं नर्म देखो चमचे इनके हमेश पावैं पतीले से गर्म देखो याद हो किसे कै बस्ती कदे राम नै जलाई हो।। 2 ब्रूनो मारया मारया गांधी धर्म की इस राड़ नै ये किसे धर्म सैं जित रूखाला खुद खा बाड़ नै एक दूजे की मारी मारी किसे धर्म नै सिखाई हो।। 3 घरां मैं बुढ़ापा ठिठरै मजार पै चादर चढ़ावैं बिकाउ सैं जो खुद वे ईब म्हारी कीमत लावैं खड़े मन्दिर मस्जिद सुने बस्ती दे वीरान दिखाई हो।। 4 सूरज हिन्दू चन्दा मुस्ल्मि तारयां की के जात किसकी साजिश ये विचारे क्यों टूटैं आधी रात रणबीर धर्म पै करां क्यों बिन बात लड़ाई हो।। -20- कैसा घर ना मनै पीहर देख्या होगे तीन साल सासरै आई नै।। भूल गई मैं परिवार सारा भूली बाहण मां जाई नै।। 1 बीस बरस रही जिस घर में उस घर तै नाता टूट गया खेली खाई जवान हुई सब किमै पाछै छूट गया मेरे सुख नै कौण लूट गया बताउं कैसे रूसवाई नै।। 2 आज तक अनजान था जो उंतै सब कुछ सौंप दिया विश्वास करया जिसपै उनै छुरा कड़ मैं घोंप दिया ससुर नै लगा छोंक दिया ना समझया बहू पराई नै।। 3 मनै घर बसाना चाहया अपणा आप्पा मार लिया गलत बात पै बोली कोण्या मनै मौन धार लिया फेर बी तबाह घरबार किया ना देखैं वे अच्छाई नै।। 4 किसे रिवाज बनाये म्हारे इन्सान की कदर रही नहीं सारी बात बताउं क्यूकर समझो मेरी बिना कही के के ईब तलक सही आई ना रणबीर की लिखाई मैं।। -21- वास्कोडिगामा वास्कोडिगामा बैठ जहाज मैं म्हारे देस मैं आया रै।। मस्साले गजब म्हारे देस के इनपै घणा जी ललचाया रै।। 1 उस बख्त म्हारे देस मैं कच्चे माल की भरमार बताई गामां नै पहला कदम धरया म्हारे देस की श्यामत आई कच्चा माल लाद कै लेज्यां तैयार माल की हाट लगाई कारीगरां के गूंठ काटे मलमत म्हारी की करी तबाही मेहनतकश कारीगर देस का यो घणा गया दबाया रै।। 2 ईस्ट इंडिया कंपनी आई या देस म्हारे पै छागी फेर कब्जा देस पै करने मैं ना लाई अंग्रेजों नै कति देर सहज सहज यो म्हारा देस अंग्रेजां नै लिया पूरा घेर अपणे चमचे छांट लिये रै उनकी कटाई पूरी मेर फूट डालो और राज करो का यो तीर गजब चलाया रै।। 3 म्हारे देस के वीरां नै अपणी ज्यान की बाजी लाई रै भगत सिंह पफांसी चूम गया देस की श्यान बढ़ाई रै महात्मा गांधी अहिंसा पुजारी छाती मैं गोली खाई रै लक्ष्मी सहगल दुर्गा भाभी लड़ण तै नहीं घबराई रै जनता नै मारया मंडासा अंग्रेज ना भाज्या थ्याया रै।। 4 हटकै म्हारे देस मैं बिल गेट्स नै कदम धरया सै म्हारे देस नै लूटण खातर इबकै न्यारा भेष भरया सै डब्ल्यू टी ओ विश्व बैंक गैल मुद्रा कोष करया सै तीन गुहा नाग यो काला कदे बिना डंसें सरया सै रणबीर सिंह बरोणे आला सोच कै छन्द बणाया रै।। -22- म्हारी सेहत बिना रूजगार पैसा मिलै ना, बिना पीस्से या दाल गलै ना, बिना दाल सेहत बणै नौ, इन बिन पूरा इलाज नहीं।। 1 हमारे शरीर को चाहिये खाणा साफ पाणी और हवा इनके बिना सेहत बणै ना कितनी ए खाल्यो चाहे दवा प्रदूषण कौण फैलावै देखो, ये साधन कौण घटावै देखो,जिम्मै गरीबां के लावै देखो, क्यों उठै म्हारी आवाज नहीं।। 2 आदमी के रहने के लिए यो हवादार मकान चाहिये दिमाग की सेहत की तांहि समाज मैं ना तनाव चाहिये प्रबन्ध हो डॉक्टर दवाई का, पूरा माहौल साथ सफाई का, आदमी की सेहत सवाई का, दुनिया कहती है राज यही।। 3 बीमारी के कारण के के हों जो इनकी हमनै टोह कोण्या म्हारी सेहत ना ठीक हो जो म्हारा इसमैं मोह कोण्या लोगां की सही भागीदारी बिना, असली नीति सरकारी बिना,विकास मैं हिस्सेदारी बिना, स्वास्थ्य रहवै समाज नहीं।। अपनी सेहत योजना जिब शहर और गाम बणावैं रै ग्राम सभा मिल बैठ कै सही अपणे सुझाव बतावैं रै फेर बदलैगी तस्वीर या, देस की बणैगी तहरीर या, लिखै सही बात रणबीर या, फेर चिड़िया नै खा बाज नहीं।। -23- भारत देश यो गणतंत्र सबतै बड्डा भारत आवै कुहाणे मैं।। भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।। 1 दो सौ साल गोरया नै भारत गुलाम राख्या म्हारा था गूंठे कटाये कारीगरां के मलमत दाब्या म्हारा था सब रंगा का समोवश था फल मीठा चाख्या म्हारा था भांत-भांत की खेती म्हारी नहीं ढंग फाब्या म्हारा था फूट गेर कै राज जमाया कही जाती बात समाणे मैं।। 2 वीर सिपाही म्हारे देस के ज्यान की बाजी लाई फेर लक्ष्मी सहगल आगै आई महिला विंग बनाई फेर दुर्गा भाभी अंगरेजां तै जमकै आड़ै टकराई फेर याणी छोरियां नै गोरयां पै थी पिस्तौल चलाई फेर गोरे लागे राजे रजवाड़यां नै अपणे साथ मिलाणे मैं।। 3 आवाज ठाई जिननै उनके फांसी के फंदे डार दिये घणे नर और नारी देस के काले पाणी तार दिये मेजर जयपाल नै लाखां बागी फौजी त्यार किये फौज आवै बगावत पै म्हारे बड्डे नेता इन्कार किये नेवी रिवोल्ट हुया बम्बी मैं अंग्रेज लगे दबाणे मैं।। 4 आजादी का सपना था सबकी पढ़ाई और लिखाई का आजादी का सपना था सबका प्रबन्ध हो दवाई का आजादी का सपना था खात्मा होज्या सारी बुराई का आजादी का सपना था आज्या बख्त फेर सचाई का हिसाब लगावां आजादी का रणबीर सिंह के गाणे मैं।। -24.- हिसाब एक क्वींटल गण्डे मैं कितनी चीनी बणज्या सै।। सीरा कितना लिकड़ै सै खोही कितनी बचज्या सै।। 1 पढ़ लिख कै बी अपनढ़ दुनिया देखो किसी पढ़ाई गोरयां नै या चाल चली जो वा इब तक चलती आई मेहनत की म्हारी कमाई उसकी झोली में घलज्या सै।। 2 एक क्वींटल सरसों मैं कितना तेल बनाया भाई कितनी खल लिकड़ी उसमैं कदे हिसाब लगाया भाई सारी उम्र भकाया भाई आज बी हमनै छलज्या सै।। 3 एक किलो कपास मैं कितना धागा बना दिया धागे तै सूती कपड़ा कितने मीटर यो पहरा दिया बिनौला कितना खिला दिया झोटा क्यूकर पलज्या सै।। 4 सारी बातां का नाता कोण्या आज की पढ़ाई तै ज्ञान विज्ञान बात सिखावै पूरी ही चतुराई तै रणबीर की कविताई तै पापी घणा ए जलज्या सै।। -25- सृष्टि सृष्टि बारे सब धर्मां नै न्यारा-न्यारा अन्दाज लगाया।। देवी भगवती पुराण न्यों बोले एक देवी संसार रचाया।। 1 ब्रह्मा के भगत जगत मैं ब्रह्म को जनक बताते भाई शिव पुराण का किस्सा न्यारा शिव जी जनक कहाते भाई गणेश खण्ड न्यों कहवै गणेश जी दुनिया चलाते भाई सुरज पुराण की दुनिया सुरज महाराज घुमाते भाई विष्णु आले न्यों रुक्के मारते विष्णु की निराली माया।। 2 विष्णु और महेश के चेले दुनिया मैं घणे बताये देखो आपस मैं झगड़ा करकै कई बै सिर फड़वाये देखो आपस की राड मेटण नै त्रिमूर्ति सिद्धांत ल्याये देखो ब्रह्मा पैदा करैं विष्णु पालैं शिव नै संहार मचाये देखो बाइल नै सबतै हटकै पैगम्बर का नाम चलाया।। 3 यो बुद्धमत उभर कै आया त्रिमूर्ति का विरोध किया जैन मत बी गया चलाया नहीं दोनों को सम्मान दिया यहूदी और धर्म ईसाई एक ईश्वर को धार लिया इस्लाम नै एक खुदा मैं अपणा लगाया फेर हिया दुनिया मैं माणस नै एक ईश्वर सिद्धान्त पनपाया।। 4 बिना सोचें समझें इसाइयां नै परमेश्वर गले लगाया सै मुसलमान क्यों पाछै रहवैं यो अल्लाह हाकिम बनाया सै सिक्खां नै शब्द टोह लिये औंकार झट दे सी सुनाया सै हिन्दुआं नै तावल करकै नै ओइम दिल पै खिनवाया सै माणस एक पर धर्म इतने जीवन क्यूकर जावै बिताया।। -26- हमारा समाज सुणले करकै ख्याल दखे, ये गुजरे लाखां साल दखे, सिंधु घाटी कमाल दखे, यो गया कड़ै लोथाल दखे, यो करकै पूरा ख्याल दखे, खोल कै भेद बतादे कोए।। 1 सुसुरता नै भारत का नाम करया, वागभट्ट नै बढ़िया काम करया, ब्रह्म गुप्त नै हिसाब पढ़ाया, आर्यभट्ट जीरो सिखाया,नालन्दा नै राह दिखाया, तक्षशिला गैल कदम बढ़ाया,तहलका चारों धाम मचाया, ये गये कडै़ समझादे कोए।। 2 मलमल म्हारी का जोड़ नहीं, ताज कारीगिरी का जोड़ नहीं हमनै सबको सम्मान दिया, सह सबका अपमान लिया, ग्रीक रोमन को स्थान दिया, भगवान का गुणगान किया, इसनै म्हारा के हाल किया, या सही तसबीर दिखादे कोए।। 3 दो सौ साल राजा म्हारे देस के, बदेसी बोगे बीज क्लेश के फिरंगी का न्यों राज हुया, चिड़ी का बैरी बाज हुया, सारा खत्म क्यों साज हुआ, क्यों उनके सिर ताज हुया,क्यों इसा कसूता काज हुया, थोड़ा हिसाब लगादे कोए।। 4 लाहौर मेरठ जमा पीछै नहीं रहे, म्हारे वीर बहादुर जमा नहीं डरे फिरंगी देस तैं चल्या गया, कारीगर फेर बी मल्या गया,धर्म जात पै छल्या गया, संविधान म्हारा दल्या गया,क्यों इसा जाल बुण्या गया, रणबीर पै लिखवादे कोए।। -27- पोलीथीन पोलीथीन नै म्हारे देत शहर का कर दिया बंटा धार, देखियो के होगा।। 1 नहीं गलै ना पिंघलै लोगो धरती पर तै मिटै नहीं खेत क्यार का नाश करै नुकसान करण तै हटै नहीं म्हारे जिस्यां पै उटै नहीं या पोलीथीन की मार,देखियो के होगा।। 2 कागज के लिफाफे म्हारे कति पढ़ण नै बिठा दिये सन के थैले खूंटी टांगे मजे किसानां तै चखा दिये सस्ते दामां बिका दिये इंहका इसा चढ़या बुखार,देखियो के होगा।। 3 गली नाली मैं जा कै जिब ये रोक लगादे भारी सै गन्दे नाले बैक मारज्यां पफैलै घणी बीमारी सै न्यों होवै पीलिया महामारी सै माचै घणी हाहाकार, देखियो के होगा।। बढ़िया वातावरण बिना म्हारा रैहणा मुश्किल होज्यागा के बेरा किसका बालक न्यूं मौत के मुंह में सोज्यागा,रणबीर सही छन्द पिरोज्यागा करकै प्रचार, देखियो के होगा।। -28- लिंग भेद स्त्री पुरुष की दुनिया मैं स्त्री नीची बताई समाज नै।। फरज और अधिकारां की तसबीर बनाई समाज नै।। 1 शादी पाछै पति गेल्यां सम्बन्ध बणाणे का अधिकार ब्याह पाछै मां बणैगी नहीं तो मान्या जा व्याभिचार पुरुष चौगरदें घुमा दिया दखे नारी का पूरा संसार मां बेटी बहू सास का रच दिया घर और परिवार एक इन्सान हो सै महिला या बात छिपाई समाज नै।। 2 परिवार का दुनियां मैं पुरुष मुखिया बणाया आज सारे फैंसले वोहे करैगा पक्का फैंसला सुणाया आज धन धरती सारी उसकी कसूता जाल बिछाया आज चिराग नहीं छोरी वंश की छोरा चिराग बताया आज संबंधां की छूट उसनै तो रिवाज चलाई समाज नै।। 3 फर्ज औरत के बताये घर के सारे काम करैगी या बेटा पैदा करै जरूरी घर का रोशन नाम करैगी या औरत पति देव की सेवा सुबह और श्याम करैगी या सारे रीति रिवाज निभावै बाणे कति तमाम करैगी या बूढ़े और बीमारां की सेवा जिम्मे लगाई समाज नै।। 4 पुरुष परिवार का पेट पालै उसका फर्ज बताया यो महिला नै सुरक्षा देवैगा उसकै जिम्मे लगाया यो दुभांत का आच्छी तरियां रणबीर जाल बिछाया यो फर्ज का मुखौटा ला कै औरत को गया दबाया यो बीर हर तरियां सवाई हो या घणी दबाई समाज नै।। -29- रूढ़िवाद रूढ़िचाद यो म्हारे देस मैं क्यों चारों कान्ही छाया।। फरज माणस का सच कहने का ना जाता आज निभाया।। 2 पुराने मैं सड़ांध उठली पर नया कुछ बी कड़ै आड़ै नया जो चाहवै सै ल्याणा पार ना उसकी पड़ै आड़ै घनखरा ए माल सड़ै आड़ै कहैं राम की सब माया।। 2 वैज्ञानिक सोच का पनपी लाया कदे विचार नहीं पुराणा सारा सही नहीं हुया इसका प्रचार नहीं नये का वैज्ञानिक आधार नहीं अन्धकार चौगरदें छाया।। 3 नये मैं बी असली नकली का रास्सा कसूत छिड़ग्या वैज्ञानिक दृष्टि बिना यो म्हारा दिमाग जमा फिरग्या साच झूठ बीच मैं घिरग्या हंस बी खड़या चकराया।। 4 पिछड़े विचारां का प्रचार जनता नै आज भकाया चाहवैं बालकां का दूध खोस कै गणेश नै दूध पिलाया चाहवैं दाग जनता कै लाया चाहवैं रणबीर सिंह बी घबराया।। -30- झूठे वायदे सारे आकै न्यों कहवैं हम गरीबां की नैया पार लगावां।। एक बै वोट गेर दयो म्हारी धरती पै सुरग नै ल्यावां।। 1 वोट मांगते फिरैं इसे जणु फिरैं सगाई आले रै जीते पाछे ये जीजा और हमसैं इनके साले रै पांच साल बाट दिखावैं एडी ठा ठाकै इन कान्हीं लखावां।। 2 नाली तै सोडा पीवण आले के समझैं औख करणिया नै कार मैं चढ़कै ये के समझैं नंगे पांव धरणियां नै देसी-विदेसी अमीर लूटैं इनके हुकम रोज बजावां।। 3 गरमी मैं भी जराब पहरैं के जाणैं दरद बुआई का गन्डे पोरी नै भी तरसां इसा बोदें बीज खटाई का जो लुटते खुले बाजार मैं उनका कौणसा देश गिणावां।। 4 फरक हरिजन और किसान मैं कौण गिरावै ये लीडर ब्राह्मण नै ब्राह्मण कै जाणा कौण सिखावैं ये लीडर गरीब और अमीर की लड़ाई रणबीर दुनिया मैं बतावां।। -31- सैंतालिस की आजादी पन्द्रा अगस्त सैंतालिस का दिन लाखां ज्यान खपा कै आया।। घसे हुये कुर्बान देस पै जिब आजादी का राह पाया।। 1 सैंतालिस की आजादी पाछै दो हजार आ लिया बस का भाड़ा याद करो आज कड़ै जा लिया सीमेंट का कट्टा कितने का आज कौणसे भा लिया एक गिहूं बोरी दे कै सीमेंट हमने कितना पा लिया चिन्ता नै घेर लिये जिब लेखा-जोखा आज लगाया।। 2 आबादी बधी दोगणी पर नाज चौगुणा पैदा करया पचास मैं थी जो हालत उसमैं बताओ के जोड़ धरया बिना पढ़ाई दवाई खजाना सरकारी हमनै रोज भरया ईमानदारी की करी कमाई फेर बी हमनै कड़ै सरया भ्रष्टाचार बेइमानी नै क्यों सतरंगा जाल बिछाया।। 3 यो दिन देखण नै के भगत सिंह नै फांसी पाई थी यो दिन देखण नै के सुभाष बोस नै फौज बनाई थी यो दिन देखण नै के गांधी बापू नै गोली खाई थी यो दिन देखण नै के अम्बेडकर संविधान बनाई थी नये-नये घोटाले सुणकै यो मेरा सिर चकराया।। 4 आजादी दिवस पै कसम उठावां नया हरियाणा बणावांगे भगत सिंह का सपना अधूरा उनै पूरा कर दिखावांगे ना हो लूट खसोट देस मैं घर-घर अलख जगावांगे या दुनिया घणी सुन्दर होज्या मिलकै हांगा लगावांगे रणबीर सिंह मिलकै सोचां गया बख्त किसकै थ्याया।। -32- वजूद ईश्वर का ईश्वर का वजूद दुनिया मैं कोए सिद्ध नहीं कर पाया।। सबनै अपणे अपणे ढंग तै उसका अन्दाज लगाया।। 1 जो सिद्ध होग्या उसनै स्वीकारां विज्ञान नै पढ़ाया या जो नहीं हुया उसनै खोजां विज्ञान नै सिखाया यौ विज्ञान सिद्धान्त बनाया यो भगवान पै सवाल उठाया।। 2 ईश्वर का वजूद स्वीकारैं इसका मिल्या आधार कड़ै बिना सबूत क्यूकर मानैं ईश्वर पाया साकार कड़ै ईश्वर बनाया संसार कड़ै मामला समझ नहीं आया।। 3 मनुष्य नै ईश्वर रचाया कल्पना का साहरा लिया रै कुदरत खेल समझ ना आया ईश्वर का सहारा लिया रै भगवान का भूत बनाया यो खड़या खड़या लखाया।। 4 जिब सिद्ध हो ज्यागा तो इसका वजूद रणबीर मानै इतनै साइंस के प्रयोगां तै पूरी दुनिया नै पहचानै ईश्वर नै सारे के छानै उसनै कड़ै अपणा धूना लाया।। -33- वैज्ञानिक नजर के करै वैज्ञानिक दृष्टि अपणाणे तै माणस कै फरक के पड़ज्या।। दैवी शक्ति तैं ले छुटकारा वो खुद प्रयत्नवादी बणज्या।। 1 आत्म विश्वास बढ़ै उसमैं अन्ध विश्वासी फेर रहै नहीं समस्या की तैह मैं जावैगा वो सत्यानाशी फेर रहै नहीं तुरत फुरत कुछ कहै नहीं साच्ची बात पै जमा अड़ज्या।। 2 तर्क संगत विचार की आदत माणस के म्हां आज्या फेर हवा मैं हार पैदा करके साईं बाबा क्यूकर भकाज्या फेर माणस सही रास्ता पाज्या पफेर नहीं तो दिमाग जमा सड़ज्या।। 3 बेरा लागै जीवन मृत्यु का एक जनम समझ मैं आवै आगले पाछले जनम के पचड़यां तै वो मुक्ति पावै साथ नहीं कुछ बी जावै म्हारे मिनटां भीतर सांस लिकड़ज्या।। 4 माणस इस जीवन यात्रा मैं क्यूकर सुन्दर और बणावै आपा मारे पार पड़ै जीवन मैं या बात समझ मैं आवै रणबीर साथ गीत बणावै कदे थोड़ा सुर बिगड़ज्या।। -34- अन्तहीन संसार अन्तहीन संसार का अन्त कहैं कदे नहीं आवैगा।। संसार रूकता नहीं कितै यो आगै बढ़ता जावैगा।। 1 विज्ञान नई खोज करै मानवता नै सुख पहोंचावै विवेक माणस का फेर इनै सही दिशा मैं ले ज्यावै सत्य खोज निरन्तर चलावै झूठ नै हमेश्या ढावैगा।। 2 पदार्थ हमेश्या गति शील हो इसका गुण बताया यो नष्ट नहीं होवै कदे बी बदलता आकार दिखाया यो साइंस नै पाठ पढ़ाया यो पदारथ ना समाप्त होवैगा।। 3 खोज हमेश्या जारी रहती न्यांे विज्ञान हमनै बतावै हम बुद्धि गेल्यां काम करां भावां मैं बैहने तै बचावै सिद्ध हुया उसनै अपणावै बाकी पै सवाल उठावैगा।। 4 अज्ञानी मां बीमार बालक नै तांत्रिक धोरै ले ज्यावैगी ज्ञानी मां डॉक्टर तै दिखाकै बालक की दवाई ल्यावैगी भावां मैं बैह ज्यावैगी तो बालक ना जमा बच पावैगा।। -35- गलत विज्ञान मानवता का विनाश करै जो इसा इन्सान चाहिये ना।। संसार नै गलत दिशा देवै इसा विज्ञान चाहिये ना।। 1 विज्ञान पै पाड़या बेरा अणु मैं ताकत बहोतै भारी सै अणु भट्टी तै बणै बिजली जगमगावै दुनिया सारी सै अणु बम तो विनासकारी सै इसा शैतान चाहिये ना।। 2 मानवता नै बड़ी जरूरत सै आज अन्न और वस्त्रां की जंग की जरूरत जमा नहीं ना जरूरत अणु शस्त्रां की जो पैरवी करै अस्त्रां की इसा भगवान चाहिये ना।। 3 कड़ै जरूरत सै उनकी कारखाने जो हथियार बणावैं बणे पाछै चलैं जरूरी ये दुनिया मैं हाहाकार मचावैं विज्ञान कै तोहमद लावैं इसा घमासान चाहिये ना।। 4 हिरोशिमा की याद आवै शरीर थर-थर कांपण लाग्गै विज्ञान का गलत प्रयोग मानवता सारी हांफण लाग्गै दुनिया टाडण लाग्गै रणबीर इसा कल्याण चाहिये ना।। -36- ठेकेदारां की आपा धापी या आपाधापी मचा दई इन देस के ठेकेदारां नै।। सारे रिकार्ड तोड़ दिये धन के भूखे साहूकारां नै।। 1 विकास तरीका घणा कुढ़ाला बेरोजगार बढ़ाया रै घर कुणबा कोए छोड़या ना घणामहाघोर मचाया रै बाबू बेटा तै दारू पीवैं सास बहू मैं जंग कराया रै बूढ़यां की कद्र कड़े तै हो जवानां का मोर नचाया रै माणस तै हैवान बणाये सभ्यता के थानेदारां नै।। 2 इसा विकास नाश करैगा क्यों म्हारै जमा जरती ना गरीब अमीर की या खाई क्यों कदे बी भरती ना चारों कान्ही माफिया छाग्या बुराई आज डरती ना अच्छाई मैं ताकत इतनी फेर बी या कदे मरती ना बदेशी कंपनी छागी देदी छूट राजदरबारां नै।। 3 अमरीका दादा पाक गया दुनियां मैं आतंक मचाया सद्दाम हुसैन साहमी बोल्या यो इराक पढ़ण बिठाया युगोस्लाविया पै बम्ब गेरे यो कति नहीं शरमाया तीसरी दुनिया चूस लई भारत मैं भी जाल फैलाया बदेशी अर देशी डाकू सिर चढ़ाये सरकारां नै।। 4 उल्टी राही चला दई म्हारे देस की जनता किसनै बेरा पाड़ां सोच समझ कै देश तै भजावां उसनै उस विकास नै बदलां मोर बनाया सै जिसनै रणबीर इसा विकास हो जो मेटदे सबकी तिसनै दीन जहान तै खो देगी जनता इन दरकारां नै।। -37- किस्सा म्हारा-थारा वार्ता: सरोज को बहु झोलरी जाना पड़ता है। दो चुल्हे होने के कारण खरचा और बढ़ जाता है। बाकी परेशानियां उठानी पड़ती हैं वह अलग। भरत सिंह अपणी माड़ी किस्मत को कोसता है तो सरोज एक इतवार को उसका होंसला बढ़ाती है और क्या कहती है? कवि के शब्दों में: जो आया दुनियां के म्हां उनै पड़ै लाजमी जाणा हो।। सुरग नरक किसनै देख्या बस होसै फरज पुगाणा हो।। 1 बीर मरद तै हो उत्पत्ति या जाणै दुनिया सारी सै पांच भूत के योग तै या बणी सृष्टि न्यारी सै या तासीर खास योग की जीव मैं होवै न्यारी सै मिजाज जिब बिगड़ै भोग का जीव नै हो लाचारी सै इसकी गड़बड़ मैं मौत कहैं हो बन्द सांस जब आणा हो।। 2 पहले जनम मैं जिसे करे कहैं इस जनम मैं भुगतै इस जनम मैं जिसे करे कहैं अगले के म्हां निबटै दोनों बात गलत लागै क्यों ना इसका इसमें सिमटै साहमी हुए की चिन्ता ना क्यों बिना हुए कै चिपटै इसे जनम का रोला सारा बाकी लागै झूठा ताणा हो।। 3 मनुष्य सामाजिक जीव कहैं बिन समाज डांगर होज्या लेकै समाज पै चाहिये देणा बिन इसके बांदर होज्या माली बिना बाग और खेती बिन पाणी बांगर होज्या मरकै कोए ना आया उलटा जलकै पूरा कांगर होज्या साइंस नै बेरा पाड़ लिया ईब छोड्डो ढंग पुराणा हो।। 4 आच्छे भूण्डे करमां करकै या दुनिया हमनै याद करै या गुणी के गुण गावै आड़ै पापी कंस की यादे तिरै यो शरीर जल बणै कारबन प्याराकर कर याद मरै मेहर सिंह पफौजी बरोने का रणबीर करता याद फिरै करमां आला ना मरै कदे ना पाले राम का गाणा हो।। -38- किसे और की कहानी कोन्या किसे और की कहानी कोण्या, इसमें ये राजा राणी कोन्या, सै अपनी बात बिरानी कोण्या, थोड़ा दिल नै थाम लियो।। 1 यारी घोड़े अर घास की भाई, नहीं चालै दुनिया कहती आई, बाहूं और फेर बोऊँ खेत मैं, बालक रुलते म्हारे रेत मैं, भरतो मरती मेरी सेत मैं, अन्नदाता का मत नाम लियो।। 2 जमकै लूटै सै मण्डी सबनै, बीज खाद मिलै म्हंगा हमनै, लुटाई मजदूर किसान की, ये आंख फूटी भगवान की, यो भरै तिजूरी शैतान की, देख इसके तम काम लियो।। 3 छप्पण साल की आजादी मैं, कसर रही ना बरबादी मैं, ये बालक म्हारे बिना पढ़ाई, मरैं बचपन मैं बिना दवाई, कड़ै गई म्हारी कष्ट कमाई, झूठी होतै तम लगाम दियो।। 4 शेर बकरी का मेल नहीं सै, घणी चालै धक्का पेल नहीं सै, आप्पा मारैं पार पड़ैगी म्हारी, जिब कट्ठी होकै जनता सारी, लीख काढ़ै या सबतै न्यारी, रणबीर सिंह का सलाम लियो।। -39- बैठ्या सोचूं बैठ्या सोचूं खेत के डोलै ईब क्यूकर होवै गुजारा।। ज्वार बाजरा आलू पिटग्या गिहूं धान भी म्हारा।। 1 खूब जतन कर खेत मनै उबड़ खाबड़ संवारे फेर दस मणे तै बीस मणे हुये ज्वार बाजरे म्हारे फेर खाद बीज की कीमतां नै जमा धरती कै मारे फेर पूरे हरियाणा मैं लागे हरित क्रांति के नारे फेर दस पन्दरा बरसां मैं इसका यो फुट्या लागै गुबारा।। 2 धनी किसान जो म्हारे गाम के फायदा खूब उठागे उपर का धन खूब कमाया बालक नौकरी पागे बिन साधन आले मरगे दुखां के बादल छागे म्हारे नेता गाम मैं आकै म्हारी किस्मत माड़ी बतागे सत्संग मैं जावण लागे जिब और ना चाल्या चारा।। 3 सत्संग मैं बढ़िया बात करैं गरीबी पै चुप रैहज्यां सुरग नरक की बहसां मैं ये सींग कसूते फैहज्यां मेरे बरगे रहवैं सोचते जमा बोल चुपाके सैहज्यां जिनकी पांचों घी मैं वे घटिया बोल कई कैहज्यां खेती क्यों तबाह होगी ना भेद खोल बतावैं सारा।। 4 गिहूं पड्या सड़ै गोदामां मैं रणबीर देख्या जान्ता ना इसा हाल क्यों हुया इसका कारण समझ आन्ता ना कहैं फूल फल उपज्याल्यो राह कोए मनै पान्ता ना फल फूल कड़ै बिकैगा या बात कोण बतान्ता ना टिकाउ खेती बचा सकै सै हो किलोई चाहे छारा।। -40- छब्बीस जनवरी छब्बीस जनवरी का दिन भाई लाखां ज्यान खपा कै आया।। घणे हुए कुर्बान देश पै जिब आजादी का राह पाया।। 1 सैंतालिस की आजादी ईब यो दो हजार च्यार आ लिया बस भाड़ा था कितना याद करो आज कड़ै सी जा लिया एक सीमेंट कट्टा कितने का आज कौणसे भा ठा लिया एक गिहूं की बोरी देकै आज यो खाद कितना पा लिया चिन्ता नै घेर लिया जिब यो सारा लेखा जोखा लाया।। 2 आबादी तै बधी तीन गुणी पर नाज चौगुणा पैदा करया सैंतालिस मैं थी जो हालत उसमैं बताओ के जोड़ धरया बिना पढ़ाई दवाई खजाना हमनै सरकारी रोज भरया ईमानदारी तै करी कमाई पफेर बी तमनैनहीं सरया भ्रष्टाचार बेइमानी नै क्यों सतरंगा जाल बिछाया।। 3 यो दिन देखण नै के सुभाष बोस नै फौज बनाई थी यो दिन देखण नै के भगत सिंह नै पफांसी खाई थी यो दिन देखण नै के गांधी बापू जी नै गोली खाई थी यो दिन देखण नै के अम्बेडकर ने संविधान रचाई थी नये-नये घोटाले देख कै यो गरीब का सिर चकराया।। 4 हरियाणा धरती पै कसम उठावां नया हरियाणा बणावांगे भगत सिंह का सपना अधूरा उनै करकै पूरा दिखावांगे ना हो लूट खसोट देश मैं या घर-घर अलख जगावांगे या दुनिया खूबै सुन्दर होज्या मिलकै हांगा लावांगे रणबीर सिंह मिलकै सोचो गया बख्त किसकै थ्याया।। -41- बंटवारा हुई तरक्की भोत मारगी या गड़बड़ बंटवारे की।। सदा कमेरा वर्ग दबाया या नीति हिन्द म्हारे की।। 1 सबको मिलै पढ़ाई छह अरब डालर का खरच बताया अमरीका मैं श्रंगार तांहि आठ अरब डालर जावै खिंडाया पाणी और सफाई का खरचा नौ अरब डालर आज दिखाया ग्यारा अरब डालर यूरोप मैं आइसक्रीम पर खरचा आया चार सौ अरब डालर का नशा करावैं होज्या शक्ल छुहारे की।। 2 सबकी सेहत की खातर तेरा अरब डालर कुल चाहवैं सै अमीर रुक्के मारैं पीस्से कोण्या म्हारा सेहत बजट घटावैं सै अमरीका यूरोप के कुत्ते बिल्ली सतरा अरब डालर खावैं सै जापान मैं मनोरंजन पै ये पैंतीस अरब डालर बहावैं सैं झूठी कोण्या जमा साची सै तसबीर इस विकास प्यारे की।। 3 झूठा नहीं कोए आंकड़ा मानव विकास रिपोर्ट मैं बताया तीसरी दुनिया चूस बगादी ईब जी सेवन दुनिया मैं छाया विश्व बैंक और डब्ल्यूटीओ नै अमीरां का साथ निभाया मुद्रा कोष नै डान्डी मारकै म्हारा नाश का बीड़ा ठाया नौकरी खत्म करण लागरे कविता सविता मुखत्यारे की।। 4 नशे की दवाई और दारू बेचैं दूसरा धंधा हथियारां का तीसरा धन्धा इत्र फुलेल का इन अमरीकी साहूकारां का विकास नहीं विनास पै टिक्या जीवन इन थानेदारां का बंटवारा ठीक हो दुनिया मैं मन नहीं करता ठेकेदारां का अमीर गरीब की खाई मैं मर आई रणबीर बिचारे की।। -42- इलाज पति का पांच हजार मनै उधारे दे दे पति मेरा बीमार हुया।। मैडीकल मैं पड़या तड़पै घणा मोटा त्यौहार हुया।। 1 दो बोतल खून मांग्या, डाक्टरां नै परेशन बोल दिया न्यों बोले मोल नहीं बिकता यो भेद तमाम खोल दिया एक बोतल तै मेरा काढ़या दूजी का पांच सै मोल दिया एक दो तै खावण नै आये, ओ बिचला मदद गार हुया।। 2 पन्द्रह हजार खर्चा आया, ओ काम जोगा रहया नहीं मरणे तै तो बचग्या फेर दरद उंपै जान्ता सहया नहीं ल्हुकमा सुलफा दारू पीज्या जावै कुछ बी कहया नहीं सारे ताणे तुड़ा कै देख लिए जाता और फहया नहीं जिसकै घर बर्तन मांजूं उंकै साहरै घर बार हुया।। 3 एक दिन मनै अपणा दुखड़ा बहन जी आगै रोया वकील पति नै बेरा लाग्या उसनै अपणा धीरज खोया शाम सबेरी करै वो इशारे दिल मेरा घणा दुखी होया एक दिन करी छेड़खानी उनै बीज बिघन का बोया दुनिया उनै कहै देवता पर मेरा जीना दुश्वार हुया।। 4 तिरूं डूबूं जी मेरा होग्या किस आगै दुख रोउं मैं वकील का करूं सामना तै सारे कुणबे की रोटी खोउं मैं चुपकी रहूं तो उसकी बदफेली का शिकार होउं मैं और कितै नहीं साहरा दीखै रणबीर पै मुंह धोउं मैं सुण्या सै गरीबां का यो बरोने मैं मददगार हुया।। -43- लाल बहादुर शास्त्री लाल बहादुर शास्त्री का कद छोटा उंचा घणा बिचार था।। जय जवान जय किसान का नारा लाया घणा दमदार था।। 1 दुनिया मैं या उत्थल पुथल चारों कान्ही माच रही थी गुलाम देशां मैं अंग्रेजी सेना खेल नंगा नाच रही थी गरीब जनता की साथ मैं या कर खींचम खंाच रही थी लाल बहादुर नै जन्म लिया साल उन्नीस सौ पांच रही थी शारदा प्रसाद बाप टीचर था सादा गरीब परिवार था।। 2 डेढ़ साल का जमा बालक याणा पिता स्वर्ग सिधार गये छोटे से बालक उपर जिम्मेदारी परिवार की ये डार गये चाचा के कहने पै वाराणसी मैं पढ़ खातर पधार गये मिश्रा जी मिले शहर मैं उनके हो पक्के मददगार गये आजादी की जंग का मिश्रा नै खाका बताया बारम्बार था।। 3 लाल बहादुर शास्त्री जी कै आजादी का जनून चढ़या महात्मा गांधी जी पै उननै असहयोग का पाठ पढ़या जिब बायकॉट की बात चली शास्त्री सबतै आगै कढ़या मिश्रा और चाचा नाराज हुये लाल पै गुस्सा खूब बढ़या माता ललिता देवी नै साथ दिया जताया अपना प्यार था।। 4 लाहौर सैसन कांग्रेस का शास्त्री अटैंड करकै आया पूर्ण स्वराज का नारा लाकै जंग का गया बिगुल बजाया आजादी पाछै जनता का मंत्री पद पै साथ निभाया नेहरू बाद प्रधानमंत्री बने देश आगै बढ़ाना चाहया कहै रणबीर बरोने आला वो माणस घणा होनहार था।। -44- असहयोग आन्दोलन असहयोग आन्दोलन की मन मैं पूरी उमंग भरी थी।। चाचा और मिसरा जी नै प्रकट नाराजी खूब करी थी।। 1 स्कूल कॉलेज बायकाट का गांधी जी नै नारा लाया था बीए का एक साल बच्या शास्त्री नै कदम बढ़ाया था चाचा नै इस बात का बेरा लाग्या भूंडी ढालां धमकाया था मिसरा नै चाचा के सुर मैं अपना बी सुर मिलाया था बोले अपनी पढ़ाई करले ज्यान बिघन मैं घिरी थी।। 2 अंग्रेजां के राज मैं भारत घणी कसूती ढालां सड़ग्या सुणकै हुकम चाचा जी का उसकै काला सांप सा लड़ग्या बोल्या मैं बायकॉट करूंगा अपनी बात पै अड़ग्या घर और शास्त्री बीच मैं इस बात का रासा छिड़ग्या मिसरा जी कै साहमी उसनै दिल की बात खोल धरी थी।। 3 चाचा मिसरा दोनूं नाट गये शास्त्री का जी दुख पाया था वो माता कै आगै रोया जाकै जी खोल कै उसतै दिखाया था माता नै सारी बात सुणकै होंसला उसका बधाया था बी.ए. पास करूंगा जरूरी इसका प्रण करवाया था कई बार जेल मैं गया जलस्यां मैं बिछाई खूब दरी थी।। 4 दर्शन मैं ली शास्त्री डिग्री लड़ते-लड़ते करी पढ़ाई बचन दिया जो माता जी तै बात वा पूरी करकै दिखाई वाराणसी तै अलाहबाद आ आजादी जंग मैं जान खपाई पीछै मुड़कै नहीं देख्या फेर अंग्रेजां की थी भ्यां बुलाई अंग्रेज एक दिन भाजैंगे बात लाल बहादुर कै जरी थी।। -45- ठण्डी बाल तन ढक्कन नै चादर ना घणी ठण्डी बाल चलै।। एक कून मैं पड़ रहना धरां सिर कै हाथ तलै।। 1. फुटपाथ सै रैन बसेरा घणे सुन्दर मकान थारे दो बख्त की रोटी मुश्किल रोज बनैं पकवान थारे दीखे इरादे बेइमान थारे सत्ते का जी बहोत जलै।। 2. होटल मैं बरतन मांजैं करैं छोटी मोटी मजूरी थारे घरां की करैं सफाई घर अपने मैं गन्द पूरी कद समझी या मजबूरी जाड़ी बाजैं ज्यों शाम ढलै।। 3. थारे ठाठ-बाट देख निराले हूक उठे दिल म्हारे मैं पुल कै नीचै लेटे देखां लैट चसै उड़ै चौबारे मैं गरम कमरे थारे मैं यो सैक्स का व्यापार पलै।। 4. म्हारी एक नहीं सुनै राम थारे महलां बास करै इसे राम नै के हम चाटां पूरी ना कोए आस करै रणबीर सब अहसास करै दिल मैं आग बलै।। -46- गाम-गाम की कहानी आज की या सुणियो आज सुणाउं मैं।। दलितां का हुया जीवना मुश्किल यो किस्सा आज बताउं मैं।। 1. गाम किला जफरगढ़ मैं कहर दलितां उपर ढाया रै मकान तोड़े मारे पिट्टे जुलम दबंगा नै बरपाया रै वीरवार की रात कहैं भगवती जागरण था करवाया रै महिला पुरुष बैठें ढंग तै इसा था इन्तजाम करवाया रै दबंग जात के छोरयां की आगे की करतूत गिणाउं मैं।। 2. दस बारा नौजवनां का टोल दबंग समाज का आया महिलावां पाछै बैठ गये उनपै पात्थर रेल बरसाया छेड़खानी करी भद्दा बोले घणा कसूता बिघन खिंडाया महिलावां नै टोक दिये दबंगा का न्यों सिर चकराया दलित बी इन्सान हों सैं इस समझ की कमी दिखाउं मैं।। 3. आयोजकां न उन बिगड़ैलों को थोड़ा घणा समझाया दबंग कौम के होनहारां की मण्डली नै उधम रचाया झगड़ा करया उल्टा बोले कसूता रोब जमाना चाहया इसे बीच मैं किसे नै जाकेै पुलिस तांहि फोन खड़काया गरीब की बहु सबकी जोरू कोन्या जमा झूठ भकाउं मैं।। 4. पुलिस आगी गाम मैं किसे नै जागरण मैं आण बताया दबंग कौम के उतां मांतै उड़ै कोए नहीं टोहया पाया चार पांच पुलिस आल्यां नै जागरण पूरा चलवाया दबंग कौम नै दलितां पै अपना खौफ खूब फैलाया रणबीर सिंह बरोनिया कहै या साच साहमी ल्याउं मैं।। -47- दास्तान जीणा होग्या भारी बेबे, तबीयत होज्या खारी बेबे, नहीं सुनाई म्हारी बेबे, फेर बी जीवण की आस मनै। 1. ठीक ढालां जीणा चाहया, रिवाज पुराणा आड्डै आया, कमाया मनै जमा डटकै, मेरा बोलना घणा खटकै, दुख मैं कोण पास फटकै, यो पूरा सै अहसास मनै।। 2. मुंह मैं घालण नै होरे ये, चाहे बूढ़े हों चाहे छोरे ये डोरे ये डालैं शाम सबेरी, ,कहवैं मनै गुस्सैल बछेरी, मेरी कई बर राही घेरी, गैल बतावैं ये बदमास मनै।। 3. सम्भल-सम्भल मैं कदम धरूं, सही बात पै सही जमा मरूं, करूं संघर्ष मिल जुल कै, हंसू बोलूं सबतै खुलकै, नहीं जीउं घुल-घुल कै, या बात समझली खास मनै।। 4. चरित्रहीन का इल्जाम लग्या, मेरा भीतरला यो और जग्या सग्या लूटै इज्जत म्हारी, ओहे बणज्या समाज सुधारी, कहता फिरै मनै कलिहारी, रणबीर का विश्वास मनै।। -48- कीट नाशक कंपनी लूटती गलत बात बताती रिझाने को।। कीट नाशक इस्तेमाल करो वे कहती कपास बचाने को ।। 1 कीट नाशक दवाईयों से हानीकारक कीट मारे जाते हैं लाभदायक कीट भी मरते हैं सच्चाई हमसे छिपाते है महिला खेत पाठशाला में मिलते सही राह दिखाने को ।। कीट नाशक इस्तेमाल करो वे कहती कपास बचाने को ।। 2 लाभकारी कीटों की पहचान करनी सिखाई जाती है हानिकारक कीटों को बताते हिमाती कीट कैसे खाती है सबसे अलग रीत चलायी साधुवाद गाँव निड़ाने को।। कीट नाशक इस्तेमाल करो वे कहती कपास बचाने को ।। 3 कीट नाशकों का गलत प्रभाव डाक्टर हमें बताते हैं धीरे धीरे ये कीटनाशक शरीर में इकठ्ठे हो जाते हैं कैंसर पेट दर्द अलर्जी की शरीर में बीमारी बढ़ाने को।। कीट नाशक इस्तेमाल करो वे कहती कपास बचाने को ।। 4 कीटनाशक बिना निडाना में आज कपास उगाई जाती है महिला किस्सान हुई चौकन्नी दुश्मन कीट हटाई जाती है रणबीर सिंह देखना चाहता बढ़िया गीत बनाने को।। कीट नाशक इस्तेमाल करो वे कहती कपास बचाने को ।। -49- अब तक का सफर पन्दरा अगस्त सैंतालिस मैं हमनै देश आजाद कराया रै।। हजारां लाखां बीर मरद जिननै सब किमै दा पै लाया रै।। 1 एक छत्र राज अंग्रेजां का जड़ै सूरज कदे छिप्या नहीं बाहणा था व्यापार करण का लालच उनपै दब्या नहीं गूंठे कटवाए कारीगरां के जुलम उनका घट्या नहीं मजदूर किसान लूट लिए मेहनतकश कदे हंस्या नहीं एका करकै जंग मैं उतरे फिरंगी ना भाज्या थ्याया रै।। 2 आजाद भारत का सपना देष पूरा आत्मनिर्भर होवै शिक्षा मिलै सबनै पूरी ना कोए बालक भूखा सोवै महिला पै हिंसा खत्म हो अपणे घरां चैन तै सोवै छुआछात नहीं रहैगी ना कोए सिर पै मैला ढोवै सुभाष बोश भगत सिंह नै इन्कलाब का नारा लाया रै।। 3 देश के मजदूर किसानां नै पसीना घणा बहाया फेर माट्टी गेल्यां माट्टी होकै कई गुणानाज उगाया फेर कई सौ लोगां की कुर्बानी डैम भाखड़ा बनाया फेर हरित क्राांति हरियाणे मैं एक बै नया दौर आया फेर दस की तो खूब ऐश हुई नब्बै जमा खड़या लखाया रै।। 4 देश और तरक्की करै म्हारा वैश्वीकरण का नारा ल्याए झूठ मूठ की बात बणाकै हम भारतवासी गए भकाए ऐश करैं ले करज बदेशी देष के बेच खजाने खाए बदेशी कंपनी खातर फेर झट पट दरवाजे खुलवाए रणबीर सिंह मरै भूखा नाज गोदामां मैं सड़ता पाया रै।। -50- फागण मनै पाट्या कोण्या तोल, क्यों करदी तनै बोल, नहीं गेरी चिट्ठी खोल, क्यों सै छुट्टी मैं रोल, मेरा फागण करै मखोल, बाट तेरी सांझ तड़कै।। 1 या आई फसल पकाई पै, या जावै दुनिया लाई पै, लागै दिल मेरे पै चोट, मैं ल्यूं क्यूकर इसनै ओट, सोचूं खाट के मैं लोट, तूं कित सोग्या पड़कै।। 2 खेतां मैं मेहनत करकै, रंज फिकर यो न्यारा धरकै लुगाइयां नै रोनक लाई, कट्ठी हो बुलावण आई,मेरा कोण्या पार बसाई, तनै कसक कसूती लाई, पहली दुलहण्डी याद आई, मेरा दिल कसूता धड़कै।। 3 इसी किसी तेरी नौकरी, कुणसी अड़चन तनै रोकरी अमीरां के त्योहार घणे सैं, म्हारे तो एकाध बणे सैं, खेलैं रलकै सभी जणे सैं, बाल्टी लेकै मरद ठणे सैं, मेरे रोंगटे खड़े तनै सैं, आज्या अफसर तै लड़कै।। 4 मारैं कोलड़े आंख मीचकै, खेलैं फागण जाड़ भींचकै उड़ै आग्या था सारा गाम, पड़ै था थोड़ा घणा घाम, पाणी के भरे खूब ड्राम, दो तीन थे जमा बेलगाम, मनै लिया कोलड़ा थाम, मारया आया जो जड़कै।। 5 पहल्यां आली ना धाक रही, ना बीरां की खुराक रही तनै मैं नई बात बताउं, डरती सी यो जिकर चलाउं, रणबीर पै बी लिखवाउं, होवे पिटाई हररोज दिखाउं, कुण कुण सै सारी गिणवाउं, नहीं खड़ी होती अड़कै।। -51- आया फागण फागण का म्हिना आग्या चारों कान्हीं हरियाली छाई।। ईब ना गरमी ना सरदी लागै या रुत खेलण की आई।। 1 चम्पा चमेली सखी सहेली करी फागण खेलण की तैयारी बहू नवेली मिलकै खेली पूरा फागण का रंग जमारी साठे में बुढ़िया होरी रसिया जणूं तै पां मिंडकी ठारी लाडू बरफी ल्याकै असरफी आंगली चाट चाट खारी रिस्सालो मार धमोड़ा फेर नई तान खोज कै ल्याई।। 2 पीले फूल रहे खेत मैं झूल चाला मोटा रूपरया सै सिरसों की फली लागैं भली पूरा ए पेड़ा झुकरया सै खुभात करै अर उभाणा फिरै फील गुड हंसरया सै धरती बांझ होन्ती आवै सै जी बिघण मैं फंसरया सै या चांद की चांदनी रात मोर नै सुरीली कूक सुनाई।। 3 बाट दिखा कै हाड़े खवा कै फागण का म्हिना आया लुगाइयां नै बैठ सांझ कै गीत सही सुर मैं ठाया लखावै बैठी कोए देहल पै नहीं बालम घर मैं पाया होली के दिन रैहगे दो नहीं कोए रंग गुलाल ल्याया बिन बालम किसी होली इसे चिन्ता नै मैं खाई।। 4 देवर आकै गुलाल लगावै भाभी नै कोलड़ा भांज लिया इतनै मैं रुक्का पड़ग्या दो ठोल्यां का लाठा बाज लिया किसे का सिर फूट गया कोए घर कान्ही भाज लिया देवर कै कोलड़ा लाग्या हो घणा कसूता नाराज लिया रणबीर बरोने आले नै करी टूटी फूटी सी कविताई।। -52- गुडफील हमनै तो सुननी कोण्या थारी कोए दलील रै।। ये सारे गुड फीलते ईब तूं भी गुड फील रै।। 1 भूखा मरै कोए बात नहीं छोड़ दे चिन्ता सारी गुड फील ज्यूकर फीलैं म्हारे अटल बिहारी या करी तरक्की भारी बोले सभी वकील रै।। 2 गुड फीलण मैं सूखे जावैं क्यों तेरे प्राण देख हेमा मालिनी फीलती फील रहे कल्याण देख हो कितनी अपमान देख मान ले अपील रै।। 3 म्हंगाई की मार पड़ै पर इसनै भूल जाइये तूं दारू पी गुड फील हो कति ना शरमाइये तूं ठप्पा सही लगाइये तूं मत करिये ढील रै।। 4 गुड फीलैं सैं कटियार फीलती उमा भारती जयपुर मैं सिंधिया जी तारै रणबीर आरती सुषमा नकल मारती गाड्डे छाती में कील रै।। -53- तीन मुंहा नाग तीन मुंहा नाग काला भारत देश नै डसग्या।। अमीरां की चान्दी होगी गरीब कसूता फंसग्या।। 1 मुद्राकोष का फण जहरी काट्या मांगै पाणी ना दूजा फण विश्व बैंक का ईकी शक्ल पिछाणी ना डब्ल्यू टी ओ तीजा फण बचती कुण्बा घाणी ना काले नाग तै दूध जो प्यावै उंहतै माड़ा प्राणी ना इसका जहर समाज की नस नस के मैं बसग्या।। 2 ढांचागत समायोजन नै कसूते गुल खिला दिये शिक्षा पै कम खरचा हो हुकम इसे सुणा दिये सेहत बणै हवण तै मंतर गजब के पढ़ा दिये कोडियां के दामां पै पब्लिक सैक्टर बिका दिये भकाये फंदा ढीला होज्या दूना गल नै कसग्या।। 3 इस काले नाग के दम पै देश अमीर घणे छागे गरीब देशां के बण हितैषी ये भ्रम घणा फैलागे दुनिया के अमीर कट्ठे होकै चूट-चूट के खागे अमीरपरस्त नीति बणाकै गरीब नै जमा दबागे इसे डंक मारे अमीरां नै समाज धरती मैं थंसग्या।। 4 अमीर गरीब के बीच की खाई और चौड़ी होगी ये बालक रुलते हांडैं इनकी जवानी बौड़ी होगी बदेशी नाम की देशी तै घणी जालम जोड़ी होगी म्हारे डांगर रोज मरैं ठाड्डी इनकी घोड़ी होगी रणबीर की कविताई तै ज्योत अंधेरे मैं चसग्या।। -54- पीस्सा माणस आले प्यार रहे ना जग में पीस्सा छाग्या।। माट्टी होगी त्याग भाव की जी घणा दुख पाग्या।। 1 विज्ञान की नई खोजां नै अनहोनी करकै दिखाई नियम जाण कुदरत के या जिन्दगी सफल बणाई गलत इस्तेमाल हो इसका तो घणी करदे तबाही मुट्ठी भर लोगां नै इसपै अपनी धाक जमाई नाज सड़ै गोदामां मैं भूखा दुख मैं फांसी खाग्या।। 2 कुछां के कुते ऐश करैं म्हारे बालक भूखे मरते हम दिन रात कमावैं वे तै कमाई काली करते चटनी नहीं नसीब हमनै वे पकवानां तैं डरते पीस्से के अम्बार लगे इनके पेट कदे ना भरते बिन पैंदे का लौटा हमनै मूरख बेकूफ बताग्या।। 3 म्हारी ईज्जत आबरू उतरै ईब खुले बाजार मैं धेले की ना कदर रही आपस के ब्यौहार मैं ना सही रिश्ते बनाए हमनै अपने परिवार मैं औरत दी एक चीज बणा लालच के संसार मैं बैडरूम सीन टीबी पै खुलकै दिखावण लाग्या।। 4 खेती खोसी डांगर खोसे ईब करैगा कंगला यो ना सुहावै म्हारी झूंपड़ी खुदका बढ़िया बंगला यो म्हारी लूट कमाई देखो हमनै बतावै पगला यो रहे ताश खेलते तो नहीं समझ पावां हमला यो बता रणबीर सिंह क्यों पीस्से का नंगापन भाग्या।। -55- नया पेटैंट मारैगा यो पेटैंट के जंजाल बीरा, बतादे करकै ख्याल बीरा,उठती दिल मैं झाल बीरा, यो करै कैसे कंगाल बीरा, सै योहे मेरा सवाल बीरा, मनै जवाब दिये खोल कै।। 1 समिति नै कर जलसा इसकी सारी कमी बताई रै सन सैंतालिस तै पहल्यां गोरयां नै लूट मचाई रै आच्छी कहैं सरकार बीरा, समिति करै इन्कार बीरा,अमरीका की सै मार बीरा, देश बणाया बजार बीरा, किनैं बढ़ाई तकरार बीरा, मनै जवाब दिये तोल कै।। 2 खोज म्हारी कै झटका नये पेटैंट तै जरूर लागै भूख गरीबी भारत की इसतै कदे बी कोन्या भागै कोण्या बढ़या निर्यात बीरा, नहीं घट्या आयात बीरा, क्यूकर बचै औकात बीरा, म्हारी चढ़ी सै श्यात बीरा, क्यों मारग्या सन्पात बीरा, मनै जवाब दिये टटोल कै।। 3 खाद पानी बिजली खुसगे यो अपना बीज ना होगा अस्पताल कॉलेज पै कब्जा बदेशी कंम्पनी का होगा फेरना मिलै दवाई बीरा, या म्हंगी होगी पढ़ाई बीरा, इसनै रोल मचाई बीरा, जनता झूठ भकाई बीरा, क्यूकर बचै तबाही बीरा, मनै जवाब दिये बोल कै।। 4 चिन्ता रोज सतावै क्यूकर चालैगा यो परिवार मेरा पेटैंट बढ़िया चीज सै इसतै दिल करै इनकार मेरा खींच सही तसबीर बीरा, लडा कोए तदबीर बीरा, मसला घणा गम्भीर बीरा लिखै सही रणबीर बीरा, समझा ईकी तासीर बीरा मनै जवाब दिये खंगोल कै।। -56- वार्ता: वैश्वीकरण के दौर में देशों के बीच असमानाएं बढ़ती जा रही हैं और देशों के अन्दर भी असमानाएं बढ़ रही हैं। एक तरफ हाईटैक सिटी हैं। मॉल शॉप हैं। दूसरी तरफ कॉलोनियों में बनी दुकानों को सील किया जा रहा है ताकि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मॉल शॉप चल निकलें। एयर कन्डीशन्ड घर हैं, कारें हैं और स्कूल हैं। गरमी की दुनिया देख ही नहीं पाते ये बच्चे। वास्तव में हिन्दुस्तान तरक्की पर है। क्या बताया भला: जमीन जल और जंगल पै अमीर कब्जा बढ़ावै सै।। गरीब लाचार खड़या आसमान तरफ लखावै सै।। 1 जमीन पै कब्जा करकै हाईटैक सिटी बनाते आज उजड़ कै जमीन तै कित जावै ना खोल बताते आज बीस लाख मैं ले कै किल्ला बीस करोड़ कमाते आज इनके बालक तै ऐश करैं म्हारे ज्यान खपाते आज आदिवासी नै जंगल मां तै हांगा करकै हटावै सै।। 2 जंगल काट-काट कै गेरे ये मुनापफा घणा कमागे रै आदिवासी दिये भजा उड़ै तै बहुत से ज्यान खपागे रै मान सम्मान खातर लड़े वे ज्यान की बाजी लागे रै देशी लुटेरे बदेशी डाकुआं तै ये चौड़ै हाथ मिलागे रै किसान की आज मर आगी यो संकट मैं फांसी लावै सै।। 3 बिश्लेरी पानी की बोतल बाजार मैं दस की मिलती रै दूध सस्ता और पानी महंगा बात सही ना जंचती रै साफ पानी नहीं पीवण नै बढ़ती बीमारी दिखती रै पानी म्हारा दोहन उनका पीस्से की भूख ना मिटती रै जमीन जंगल जल गया संकट बढ़ता ए आव सै।। 4 औरत दी एक चीज बना बाजार बीच या बिकती रै म्हंगाई बढ़ती जा कीमत एक जगहां ना टिकती रै घणा लालची माणस होग्या हवस कदे ना मिटती रै अमीरी गरीबां नै खाकै बी आज मा ना छिकती रै रणबीर बरोने आला घणी साची लिखता घबरावै सै।। -57-

KISAN RAGNI 37

***किसानी संकट पर 1से 16 रागनियां **** 1*** जो भक्षक किसान के वे रक्षक बणकै भकावैं।। जात पात मैं बाँट कै ये लीडरी खूब चमकावैं।। 1 कानून किसानों के हक मैं छोटूराम नै बणाये धरती कुड़क नहीं होगी कर्जे माफ करवाये भाखड़ा डेम बणा कै खेतां मैं पाणी ल्याये कई बार अंग्रेजों को तीखे तेवर भी दिखाये कोये बूझनिया कोण्या किसान क्यों फांसी खावैं।। जात पात मैं बाँट कै ये लीडरी खूब चमकावैं।। 2 चौधरी चरण सिंह नै जमींदारी उन्मूलन कराया यू पी का किसान मशीहा चौधरी साहब को बताया किसानों के हक मैं पूरा जीवन अपना लगाया किसानों नै अपना नेता प्रधानमंत्री था बनाया बागपत बड़ौत शामली के किसान भूल ना पावैं।। जात पात मैं बाँट कै ये लीडरी खूब चमकावैं।। 3 पाछले कई सालां तैं किसान फांसी खा मरते कई नेता मोलड़ कैहकै मजाक उसका करते नीतियों का खामियाजा किसान आवैं धुरतैं भरते नेता बहोतसे करैं दिखावा ना झूठ बोलण तैं डरते करजे चढ़ाकै माफ़ करैं ये शोषण नीति चलावैं।। जात पात मैं बाँट कै ये लीडरी खूब चमकावैं।। 4 किसान इस ढांचे भितरै आजाद होना मुश्किल लागै पूरा सिस्टम पड़ै पलटना जिब किसान का करजा भागै सिस्टम जिब पलटे जिब यो किसान नींद तैं जागै जात धर्म के जाल तोड़कै हक कट्ठा होकै मांगै रणबीर हर भेद तनै रक्षक भक्षक का समझावैं।। जात पात मैं बाँट कै ये लीडरी खूब चमकावैं।। 2***** किसान मजदूर आंदोलन जिंदाबाद गरीब और गरीब होग्या इसा तरीका महारे विकास का।। अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का।। 1 कहते गरीबी दूर करांगे कई नई स्कीम चलाई गई विकेंद्रीकरण कर दिया देखो बात खूब फैलाई गई सल्फास किसान क्यों खावै के कारण सत्यानाश का।। अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का।। 2 नाबरॉबरी और कितनी या भारत मैं बधांते जावांगे भगत सिंह के सपन्यां का समाजवाद कद ल्यावांगे छल कपट छाग्या देश मैं के होगा भ्रष्टाचारी घास का।। अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का।। 3 माणस अपणा आप्पा भूल गया पीस्से का आज दास हुया बेईमानी बढ़ती जावै सै बाजार का दबाव आज खास हुया स्कॉच चलै पांच सितारा मैं ख्याल ना म्हारी प्यास का।। अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का।। 4 प्यार की जगां हवस छागी नँगे होवण की होड़ लगी रै शरीर बेचकै एश करो सडकां पै या दौड़ लगी रै रणबीर सिंह बरोने आला साथ निभावै सोहनदास का।। अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का।। 3***** के ठा राख्या किसान कहवै खोल बतादे यो थारा के ठा राख्या रै।। खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।।। 1 किसान मरया खेत में तो कैसे देश महान बचैगा किसान बरबाद हुया तो जरूरी यो घमशान मचैगा दर दर का भिखारी क्यों यो अन्नदाता बणा राख्या रै।। खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।। 2 काले धन के नाम पर म्हारा धौला काबू कर लिया पुराने जमा कराकै तनै बैंकां का भोभा भर दिया म्हारी खेती चौपट होगी काढ़ण पै रोक लगा राख्या रै।। खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।। 3 ब्याह शादी की मुश्किल होरी दाल सब्जी का टोटा होग्या।। थारा नोटबंदी का फैसला यो जी का फांसा मोटा होग्या।। देश भक्ति का नाम लेकै यो देश जमा भका राख्या रै।। खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।। 4 इसे ढाल बात करै सै बण गरीबों का हिमाती रै इब बेरा लाग्या हमनै घणा कसूता सै उत्पाती रै रणबीर सिंह इब क्यों बढ़ा कैशलेश का भा राख्या रै।। खेती करनी मुश्किल करदी जमा कूण मैं ला राख्या रै।। 4****** तीन कानून बणाकै नै किसान धरती कै मारया रै।। कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया रै।। 1 काले कानून वापिस ल्यो इक्सठ दिन दिल्ली मैं होगे किसानी एकता जिंदाबाद के नारे बीज एकता के बोगे एमएसपी का जिकरा ना जी हुया घणा खारया रै।। कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया रै।। 2 लागत खेती की बढ़गी यो म्हारा खर्चा खूब होवै तीन बिल और पास करे जिनका चर्चा खूब हुया म्हारी गेल्याँ कोये चर्चा ना देख्या ईसा नजारा रै।। कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया रै।। 3 भैंस बाँध ली दूध बेचूं यो दिन रात एक करां तीन हजार भैंस बीमारी के डॉक्टर कै गए घरां सिर पै कर्जा तीस हजार टूट्या पड़या यो ढारा रै।। कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया रै।। 4 बालक म्हारे धक्के खावैं इण ताहिं रोजगार नहीं छोरी सै बिन ब्याही बिन दहेज़ कोए तैयार नहीं छोरे हांडैं गालां मैं घरक्यां का चढ़ज्या पारा रै।। कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया रै।। 5 घरआली करै सिलाई दिन रात करै वा काले या खुभात फालतू बचत नहीं हुए कसूते चाले किसान यूनियनां नै लाया इंकलाब का नारा रै।। कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया रै।। 6 किसान मजदूर छोटे व्यापारी पै नजर धरी बुरी सै तीन बिलां के खिलाफ सांझा संघर्ष सही धुरी सै रणबीर बरोनिया दिल तैं यो गीत बनाया थारा रै।। कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया रै।। 5***** खेती नै बढ़ावैगी, रोटी बी दिलावैगी, सभी नै पढावैगी, इसी लहर उठगी सै भाइयो।। अडानी अम्बानी टोल बनारे, इस सरकार की रेल बनारे बिगाड़ी म्हारी चाल, तारली जमकै खाल, सरकार सै दलाल ईसकी काट बिछगी सै भाइयो।। ये मंदिर नै हटकै लियाये, जिब ये रोटी दे नहीं पाये जात पै हम बांटे, धर्म पै खूब काटे, मन करे सैं खाटे लड़ाई पूरी कसगी सै भाइयो।। कारपोरेट बारणै छोड़ दिये, म्हारे तैं नाते क्यों तोड़ लिए, पीट दिया किसान क्यों, काढ़ी म्हारी ज्यान क्यों, नहीं म्हारा ध्यान क्यों कसक म्हारी बढ़गी सै भाइयो।। किसान संघर्ष जितैगा रै , अडानी अम्बानी नै पिटैगा रै रणबीर की सुण ले, एके की राह चुन ले, कर पक्की धुन ले, सरकार हमतें डरगी सै भाइयो।। 6***** सुण नेता जी सम्राट तनै, कर दिया बारा बाट तनै मूंधी मार दी खाट तनै, लिया कालजा चाट तनै,बनाई राज की हाट तनै, जनता दर दर ठोकर खावै।। 1 शेर बकरी का मेल नहीं, या राजनीति कोई खेल नहीं तूं नीति घटिया चाल रहया, म्हारी इज्जत उछाल रहया म्हारे बैरी नै तूं पाल रहया, क्यों लुटवा म्हारा माल रहया,ईबी ना कर तूं टाल रहया, जनता सारी खोल दिखावै।। 2 लोक राज नारा कड़ै गया, लोक लाज म्हारा कड़ै गया क्यों करवाया मखौल बता, क्यों तेरा पाट्या झोल बता,क्यों खुलवाई पोल बता,क्यों रहया सै जनता नै सत्ता, ईब पाट लिया सबनै पता,हर कोए यो सवाल उठावै।। 3 खेती का बना घास दिया, किसानों का कर नाश दिया किसानों कै मारी चोट, जनता का बता के सै खोट,क्यों बिल ल्याया मारी चोट, क्यों दिए म्हारे तनै गल घोट, क्यों खोज रहया म्हारे रोट, ना म्हारी समझ मैं आवै।। 4 कुछ ना साथ मैं जाणा सै, आड़ै ए हिसाब चुकाणा सै, जो हां भरकै नै नाटैगा, ना उसके कदे पूरा पाटैगा,तेरे वाद्यां नै कूण चाटैगा, रणबीर दिल मेरे नै डाटैगा,बणा रागनी गम नै बांटैगा, तनै साची साच बतावै।। 7***** मोदी का यो असली चेहरा , चौड़े कै मह दिखाई देरया, आज तोड़ खुलासा होग्या रै। 1 नबै की मर आगी या दस की चांदी कर राखी देखो म्हारी खाली करकै गोज अम्बानी की भर राखी देखो किसानी संघर्ष बढ़ता जावै थारी सरकार दबाया चाहवै घणा मोटा रास्सा होग्या रै। 2 डेरे गेर दिए किसानी नै देखो दिल्ली के मैं रास्ते घेर लिए किसानी नै देखो दिल्ली के मैं घणे सब्ज बाग दिखाए भाई लगाकै जोर हम भकाये भाई, घणा तमाशा होग्या रै। 3 अम्बानी तै प्यार मुलाहजा थारा जनता और नहीं झेलैगी संघर्ष करैगी मिलजुल कै थारे बिलों नै जरूर पेलैगी हमतो खेत खलिहान बनावां महल अटारी आलीशान बनावां म्हारा जोरका पासा होग्या रै। 4 किसानी संघर्ष आगै बढ़ैगा इतना जान ल्यो रै तीन बिल वापसी की मांग तावले से मान ल्यो रै रणबीर सिंह नै बात बनाई गाम गाम मैं अलख जगाई बेरा सबनै खासा होग्या रै। 8****** किसानी खातर भारत बंद घणा कसूता होवैगा।। कमेरा हिंदुस्तानी किसान बीज एकता के बोवैगा।। कारपोरेट के खिलाफ छेड़ दई जंग पूरी देखो सरकार इसकी तलहडू सै करै जी हजूरी देखो आर पार की लड़ाई होगी मोदी नई झूठ टोहवैगा।। काल हिंदुस्तानी किसान बीज एकता के बोवैगा।। 2 जात धर्म इलाके पर लड़वा कै तेज कररे लूट म्हारी किसानों और मजदूरों कै दे दी आछे ढाल बुहारी तीन बिल किसान विरोधी मोदी देश नै डबोवैगा।। काल हिंदुस्तानी किसान बीज एकता के बोवैगा।। 3 निजीकरण करकै सारे महकमे बेच रहया सै अडानी अम्बानी के निशाने पै टेक रहया सै संविधान की परवाह कोण्या सम्मान देश का खोवैगा।। काल हिंदुस्तानी किसान बीज एकता के बोवैगा।। 4 समझ बूझ तै सँघर्ष को आगै लेज्यावैंगे भाई या नब्बे दस की लड़ाई जीत कै दिखावैंगे भाई रणबीर सिंह बरोने आला नए नए छंद पिरोवैगा।। काल हिंदुस्तानी किसान बीज एकता के बोवैगा।। 9***** साढ़े तीन मिहने होगे किसानों नै दिल्ली मैं डेरे डाल रहे। तीन कानून जो पास करे सैं किसानी कै घर घाल रहे। 1 पूरी और लाम्बी तैयारी करकै आज किसान आये सैं अनुशासन घणे गजब का समझदार घणे पाये सैं किसानी और जनता एकता बणा गजब की ढाल रहे। तीन कानून जो पास करे सैं किसानी कै घर घाल रहे। 2 हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में हैं भाई भाई इसकी ताकत के आगै भाजपा सरकार घबराई या एकता घणे गजब की इसके ऊपर चाल रहे। तीन कानून जो पास करे सैं किसानी कै घर घाल रहे। 3 अडानी अम्बानी की खातिर किसानों की कड़ तोड़ दई सब किमैं बायपास करकै क्यों तीन बिल जोड़ दई कारपोरेट खेती की खातिर कर जनता को बेहाल रहे। तीन कानून जो पास करे सैं किसानी कै घर घाल रहे। 4 संघर्ष की रही पकड़ी आर पार की लड़ाई होवैगी फुट गेरो संघर्ष पीटो भाजपा सब किमैं झोवैगी रणबीर सिंह की कलम तै उठ सही सवाल रहे। तीन कानून जो पास करे सैं किसानी कै घर घाल रहे। 10***** इस गोदी मीडिया नै किसानों के खिलाफ जहर फैलाया ।। जमीनी हकीकत देख कै मोदी भी बहोत घणा घबराया।। 1 वार्ता मैं झुके नहीं किसान अपनी मांग पै अड़े खड़े सै सरकार के हथकंडे एकता आगै ओछे घणे पड़े सैं गोदी मीडिया रोज घड़ कै दखे झूठी खबर सै ल्याया।। जमीनी हकीकत देख कै मोदी भी बहोत घणा घबराया।। 2 कसूता अनुशासन किसानों का दुनिया देख कै दंग रैहगी भाजपा की सरकार इनकी गेल्याँ जान बूझ कै क्यों फैहगी आर पार की लड़ाई खिंचगी किसान नै पूरा प्लान बनाया।। जमीनी हकीकत देख कै मोदी भी बहोत घणा घबराया।। 3 तीन कानून वापसी बिना किसान नहीं उल्टा जावैगा रै सांस दिल्ली की सरकार कै यो घणे कसूते चढ़ावैगा रै कई महिन्यां का इंतजाम करकै किसान दिल्ली मैं आया।। जमीनी हकीकत देख कै मोदी भी बहोत घणा घबराया।। 4 हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई आपस मैं सब सैं भाई भाई जवान किसान जनता एकता की मिशाल बनाई रणबीर सिंह सोच समझ कै नै यो छंद तुंरत बनाया।। जमीनी हकीकत देख कै मोदी भी बहोत घणा घबराया।। 11***** शोषण हमारा अम्बानी कम्पनी आगी, हमनै चूट-चूट कै खागी अमीर हुए घणे अमीर, यो मेरा अनुमान सै।। 1 मोदी सरकार नै गोड्डे टेक दिये, साधन अम्बानी आगै फेंक दिए, अडानी देखो साथ मैं रलगे, कारपोरेट कै घी के दीवे बलगे संघर्ष बदलैगा तदबीर, यो किसानों का ऐलान सै।। 2 पहली चोट मारी रूजगार कै, हवालै कर दिये सां बाजार कै निजीकरण मुहिम चलाई क्यों, मासूम जनता आज भकाई क्यों या गई कड़ै थारी जमीर, घणा मचाया घमसान सै।। 3 म्हारी खेती कती बरबाद करदी, ये तीन काली कानून पास करदी किसानों नै ली आज अंगड़ाई रै, नारा कानून वापिस कराई रै घाली गुरबत की जंजीर,दिल्ली मैं छारया किसान सै।। 4 या सल्फाश की गोली सत्यानासी, हर दूजे घर मैं ल्याई थी उदासी एकजुट हिंदुस्तान का देखो किसान , साथ खड़या हुया हर कमेरा इंसान, लिखै साची सै रणबीर, नहीं झूठा बखान सै।। 12***** आजादी पाछै बहोत कमाए भारत के किसान कमेरे।। ज्यान लगा कै खेत सँवारे कारखाने चलाये शाम सवेरे।। 1 किसान करी मेहनत तो खेतां मैं फसल लहलाण लगी स्टील थर्मल प्लांट लगाए बिजली घरां मैं आण लगी स्कूल अस्पताल खुले फेर जनता स्कूल मैं जाण लगी नेहरू का जमाना बीत गया संकट घड़ी या छाण लगी आजादी के नेता पाछे नै रैहगे आगै आवण लगे लुटेरे।। ज्यान लगा कै खेत सँवारे कारखाने चलाये शाम सवेरे।। 2 पचहत्तर मैं एक दौर यो एमरजेंसी का बी आया था नशबंदी जबरदस्ती का आड़े गया अभियान चलाया था मुधे मूंह पड़े ये हिम्माती जनता नै सबक सिखाया था राज पाट सब बदल दिये जनता का राज बनाया था बैल गऊ तैं करी कमाई सारी नै ज़िमगे जुल्मी बघेरे।। ज्यान लगा कै खेत सँवारे कारखाने चलाये शाम सवेरे।। 3 सब जानैं मेहनतकश की मेहनत खूबै रंग ल्याई सै किसान ख़टया खेतां मैं अन्न की पैदावार बढ़ाई सै कारखाने ऊंची सीटी मारैं स्मृद्धि अमीराँ मैं आई सै सौ मां तैं पन्दरा मोटे होगे बाकी पै सांकै घणी छाई सै धन दौलत तो घणी कमाई म्हारै बांटै आये पटेरे।। ज्यान लगा कै खेत सँवारे कारखाने चलाये शाम सवेरे।। 4 दिनों दिन बढ़ती जावै देश मैं गरीब अमीर की खाई क्यों म्हारे पैरां पटरी सैं बवाई उनके सैं जहाज हवाई क्यों म्हारे बालक सूकी रोटी खावैं उनके उड़ाते दूध मलाई क्यों किसा बंटवारा यो देस मैं अडानी अम्बानी पेट फुलाई क्यों रणबीर बरोने आला कहै घोड़ी खोसी साथ मैं बछेरे।। ज्यान लगा कै खेत सँवारे कारखाने चलाये शाम सवेरे।। 13***** नया साल इक्कीस किसा हो नया साल इक्कीस आदान प्रदान हो विचारां का।। किसानी सघर्ष जीत कै नक्सा बदलै कमेरे किरदारां का।। 1 सर्व समावेशी शिक्षा हो स्कूल होवैं एक समान रै हरेक जात का सम्मान हो भाईचारा हो बलवान रै मरीज डॉक्टर का मेल हो इलाज पावै हर इंसान रै फसल की कीमत ठीक मिलै फलैं फुलैं किसान रै पर्दाफाश होज्या आज म्हारी लूट के ठेकेदारां का।। किसानी सघर्ष जीत कै नक्सा बदलै कमेरे किरदारां का।। 2 मिलावट म्हारे समाज म्हैं नहीं टोही पावै यो चाहवां नफरत का जहर समाज नै आज ना खावै यो चाहवां बेरोजगारी कम होवै इसा माहौल आवै यो चाहवां कोये माणस प्रदेश म्है ना भूखा रह ज्यावै यो चाहवां होवै महिला महफूज ना जिकरा बचै बलात्कारां का।। किसानी सघर्ष जीत कै नक्सा बदलै कमेरे किरदारां का।। 3 म्हारा यो सबका हिंदुस्तान, गूँज उठै यो नारा भाई छुआछूत खत्म हो सुधरै यो वातावरण म्हारा भाई सरकार करै ख्याल बणकै गरीबां का साहरा भाई अंधविश्वास और नशे तैं मिलै सबनै छुटकारा भाई या जनता राह बाँधेगी, देश भर म्हैं इन बदकारां का ।। किसानी सघर्ष जीत कै नक्सा बदलै कमेरे किरदारां का।। 4 युवा नै रोजगार मिलै, कति नहीं फिरै आवारा रै सुख का सांस लेवै सरतो, सुखी हो करतारा रै विकास चालै सही राही पै,सही होवै बंटवारा रै संविधान के अनुसार चलै, हिंदुस्तान देश म्हारा रै रणबीर साल इक्कीस हो, मेहनतकश कतारां का ।। किसानी सघर्ष जीत कै नक्सा बदलै कमेरे किरदारां का।। 14***** संघर्ष जोर पकड़ेगा यो किसान आंदोलन छाग्या, देखो दिल्ली तक आग्या, इसनै सही रास्ता पाग्या, संघर्ष और जोर पकड़ैगा।। 1 सरकार पूरा खेल खेलैगी सारे हथकंडे अपनावैगी किसानी आंदोलन कै तोहमद कई ढाल की लगावैगी कहे किसान पाकिस्तानी, हुई किसानों को हैरानी,जवाब देवण की ठानी, संघर्ष और जोर पकड़ैगा।। 2 किसान हितैषी बिल बताकै सरेआम झूठ बोल रही अम्बानी अडानी की खातिर कृषि दरवाजे खोल रही आज समझ गया किसान, संघर्ष का किया एलान,घेरली दिल्ली आज आण, संघर्ष और जोर पकड़ैगा।। 3 कोरोना का बाहणा करकै संघर्ष दबाना चाहवै सै खुद के चुनाव भजन करै उड़ै कोरोना नहीं आवै सै फूट गेरण की प्लान सै समझ गया ईब किसान सै, लगाया यो सही उन्मान सै संघर्ष और जोर पकड़ैगा।। 4 बिल वापिस लेने पड़ेंगे संघर्ष की दाब बढ़ती जावै नहीं लिए वापिस बिल तै सरकार कै सांस चढ़ती पावै साथ देवांगे मिलकै कमेरे, हारेंगे फेर ये जरूर लुटेरे,रणबीर साथ आये भतेरे, संघर्ष और जोर पकड़ैगा।। 15****** अडानी अम्बानी टांड पै बिठा जनता नै अम्बानी अडानी लूट रहे ।। फिरैं लड़ाते जात धर्म पै कुछ नेता खुले छूट रहे।। 1 मुट्ठी भर तो पावैं नौकरी कई लाख का पैकेज थ्यावै बीच बीच में एक दो बै यूके फ्रांस के चक्कर लगावै एम टैक आले पै मजबूरी या चपड़ासी गिरी करावै बेरोजगारी बढ़ै रोजाना यो नौजवान खड्या लखावै अडानी अम्बानी की कम्पनी कुछ तो चांदी कूट रहे।। फिरैं लड़ाते जात धर्म पै कुछ नेता खुले छूट रहे।। 2 एक तरफ विकास का नारा लगता राज दरबारां मैं कौन फालतू मुनाफा कमावै होड़ लगी साहूकारां मैं इनके तलवे चाटें जावैं ये ना फर्क कोये सरकारां मैं संकट इस विकास करकै आया किसानी परिवारां मैं गंभीर संकट के चलते भरोसे जनता के इब टूट रहे।। फिरैं लड़ाते जात धर्म पै कुछ नेता खुले छूट रहे।। 3 अम्बानी अडानी की लूट इस संकट की जड़ मैं देखो जनता नै लड़वा जात धर्म पै लठ मारैं कड़ मैं देखो जात धर्म पै भिड़वा दिए हुए फिरैं अकड़ मैं देखो असली नकली म्हारै भी नहीं आये पकड़ मैं देखो कितै गौमाता कितै गीता पर सिर ये म्हारे फूट रहे।। फिरैं लड़ाते जात धर्म पै कुछ नेता खुले छूट रहे।। 4 दूसरे देश भी इस लूट मैं बड्डे हिस्सेदार बणे भाई उनकी पूंजी ले अडानी उनके सूबेदार बणे भाई एमरजेंसी लागू होगी देशद्रोही थानेदार बणे भाई काले धन का जिकरा ना उन्के पहरेदार बणे भाई कुलदीप हम क्यों रोजाना अपमान का पी घूंट रहे।। फिरैं लड़ाते जात धर्म पै कुछ नेता खुले छूट रहे।। 16****** आज नया साल आज नया साल शुरू होग्या इसमैं नया हिंदुस्तान के चाहवै सै। किसानी संघर्ष जरूर जीतैगा जिकरा रोज सुणण मैं आवै सै। 1 आंदोलन करते किसानां तै म्हारा सै क्रांतिकारी सलाम भाई जो किसान म्हारे शहीद होगे इतिहास मैं होवैगा नाम भाई रोजाना जोश म्हारे किसानां का बहोत घणा बढ़ता जावै सै। किसानी संघर्ष जरूर जीतैगा जिकरा रोज सुणण मैं आवै सै। 2 देश मैं इंसानियत हटकै उभरै हम इस साल मैं हाँगा लावांगे म्हारा प्रजातंत्र फेर हुँकार भरै किसानां का साथ निभावांगे इस लड़ाई का राह हमनै यो किसानी संघर्ष सही दिखावै सै। किसानी संघर्ष जरूर जीतैगा जिकरा रोज सुणण मैं आवै सै। 3 कदर जनता की आवाज की हटकै आवै म्हारे हिंदुस्तान मैं इज्जत होवै गरीब कमेंरे की होज्या शांति पूरे जहान मैं हो गजब का भारत म्हारा सारी जनता जमकै नारा लावै सै। किसानी संघर्ष जरूर जीतैगा जिकरा रोज सुणण मैं आवै सै। 4 इस साल मैं ईसा माहौल बनै किसान नै पूरा सम्मान मिलै कहै रणबीर नहीं लुटैं कमेरे उन सबका हट कै चेहरा खिलै आज किसान मोर्चे की जीत नए समाज की राह बतावै सै। किसानी संघर्ष जरूर जीतैगा जिकरा रोज सुणण मैं आवै सै। किसानी संकट पर 17से 32 रागनी 17*** कालजा धड़कै रै मेहनतकश तेरा हाल देख कर मेरा कालजा धड़के रै।। या दुनिया सारी जाग रही सै तू क्यों सोग्या पड़ कै रै।। 1 एक क्वींटल गण्डा हम करकै मेहनत उपजावां सां राल्ला बीस किलो दस सीरा इसतैं आज बनावां सां बारा किलो चीनी बनती खोही का ना मोल लावां सां इन का मोल तीन हजार नहीं कदे हिसाब बिठावां सां तीन सौ पचास मिलते हमनै माट्टी गेल्याँ माट्टी बनकै रै।। या दुनिया सारी जाग रही सै तू क्यों सोग्या पड़ कै रै।। 2 पैंतीस सौ कित जावै देखो नहीं हिसाब कदे बी लाया कदे समझलयां भेद सारा अनपढ़ता का जाल बिछाया बांट बांट कै साजिस तैं हरिजन का क्यों दुश्मन बनाया मिल मैं मजदूर भाई म्हारा म्हारी गेल्याँ किसनै भिड़ाया तीनों आपस में लड़ा दिए तीर इसा तरकस मैं भरकै रै।। या दुनिया सारी जाग रही सै तू क्यों सोग्या पड़ कै रै।। 3 मेहनतकश का बैरी देखो मेहनतकश आज बणाया रै साढ़े तीन हजार लूटकै म्हारे सतरंगा जाल बिछाया रे म्हारे बेटा बेटियों को उसनै अपनी गोद मैं बिठाया रै इतना जुल्म देख धरती पै काँपज्या कृष्ण की काया रै ईब तो संभाला लेल्यां नहीं तै मरना होज्या सड़ कै रै।। या दुनिया सारी जाग रही सै तू क्यों सोग्या पड़ कै रै।। 4 बेटा बेटी बिगाड़ण खातिर भद्दे गाने सिनेमा त्यार किये दारू प्यावन की खातिर ठेके खोल ये बेशुमार दिये ये तीन सौ पचास भी म्हारे इणनै बेदर्दी तैं डकार लिये सिर भी म्हारा जूती म्हारी बिन आई के हम मार दिए रणबीर सिंह बरोने आला ललकार रहया छंद घड़ कै रै।। या दुनिया सारी जाग रही सै तू क्यों सोग्या पड़ कै रै।। 18***** मेहनत कश किसान मेहनत कश जमाने मैं तूँ घणा पाछै जा लिया । देख इस महंगाई करकै यो कति तौड़ आ लिया । 1 चार घड़ी के तड़कै उठ रोज खेत मैं जावै सै दोपहरी का पड़ै घाम या सर्दी घणी सतावै सै दस बजे घर आली तेरी रोटी लेकै नै आवै सै सब्जी तक मिलती कोण्या ल्हूखी सूखी खावै सै नून मिर्च धरकै रोटी पै लोटा लाहसी का ठा लिया। देख इस महंगाई करकै यो कति तौड़ आ लिया । 2 थारा पूरा पटता कोण्या तूँ दिन रात कमावै सै बीज बोण के साथै तूँ आस फसल पर लावै सै सोसाटी और लाला जी से कर्ज भारया कढ़ावै सै लाला जी फेर तेरी फसल मनचाहे दाम उठावै सै ब्याज ब्याज मैं नाज तेरा लाला जी नै पा लिया । देख इस महंगाई करकै यो कति तौड़ आ लिया । 3 कदे तनै सूखा मारै कदे या बाढ़ रोपज्या सै चाला सूखे मैं तेरी फसल सूखज्या होवै ज्यान का गाला कदे कति बेढंगा बरसै भाई यो लीले तम्बू आला कदे फसल तबाह होज्या कदे होवै गुड़ का राला बिजली तक आती कोण्या माच्छरां नै रम्भा लिया। देख इस महंगाई करकै यो कति तौड़ आ लिया । 4 बड़ी आशा से तमनै सै या सरकार बनाई देखो कई काम करैगी थारे तमनै आस लगाई देखो सरकार नै आँते ही बालक की नौकरी हटाई देखो थारा माल खरीद सस्ते मैं और कीमत बढ़ाई देखो रणबीर तेरी हुई तबाही सै आच्छी तरियां ढा लिया। देख इस महंगाई करकै यो कति तौड़ आ लिया । 19***** मेरा चालै कोण्या जोर मेरा चालै कोण्या जोर मनै लूटैं मोटे चोर नहीं पाया कोये ठौर कटी पतंग की डोर मनै लावैं डांगर ढ़ोर यो किसा घोटाला रै। 1 मेरा बोलना जुल्म हुया उनका बोलना हुक्म हुया सारे ये मुनाफा खोर ये थमा धर्म की डोर बनावैं ये म्हारा मोर सुहानी इनकी भोर ऐश करैं डाकू चोर मन इनका काला रै।। 2 ये भारत के पालन हार क्यों चोरां के सैं ताबेदार म्हारे पै टैक्स लगावैं बोलां तो खावण आवैं मिल्ट्री सैड़ दे बुलावैं चोरां की मौज करावैं काले का सफेद बणावै भजैं राम की माला रै। 3 महंगाई की मार कसूती सिर म्हारा म्हारी जूती यो रोजगार मन्दा सै यो सिस्टम गन्दा सै यो मालिक का रन्दा सै घालै दोगला फंदा सै क्यूकर जीवै बन्दा सै हुया ढंग कुढाला रै। पत्थर पुजवा बहकाये भक्षक रक्षक दिखाये काले नाग डसगे क्यों ये शिकंजे कसगे क्यों दो संसार बसगे क्यों गरीब जमा फ़ंसगे क्यों रणबीर पै हंसगे क्यों कर दिया चाला रै। 20****** कद सी स्याणा होगा किसान तेरी या कष्ट कमाई कित जावै बेरा लाणा होगा। या सारी दुनिया स्याणी होगी तूँ कद सी स्याणा होगा । 1 दोसर करकै धरती नै अपणा खून पसीना बाहवाँ सां गेर गण्डीरी सही बीज की हम ऊपर तैं मैज लगावां सां पड़ै कसाई जाड्डा जमकै हम खेताँ मैं पाणी लावां सां रात दिन मेहनत करकै माटी मैं माटी हो ज्यावां सां दो बुलध तैं एक रैह लिया कद तांहिं न्यों धिंगताणा होगा। या सारी दुनिया स्याणी होगी तूँ कद सी स्याणा होगा । 2 कदे नुलाणा कदे बाँधणा कदे ततैया मोटा लड़ ज्यावै कदे अळ कदे कीड़ा लागै कदे ईंख नै कंसुआ खावै कदे औला कदे सूखा पड़ज्या हमनै कोण्या रोटी भावै कदे गात नै ये पत्ते चीरैं कदे काली नागण फन ठावै मील मैं हो भेड मुंडाई कद तांहिं मन समझाणा होगा। या सारी दुनिया स्याणी होगी तूँ कद सी स्याणा होगा । 3 सुनले कमले ईब ध्यान लगाकै म्हारे मरण मैं बिसर नहीं आज कुड़की आरी म्हारे घर मैं नाश होण मैं कसर नहीं जीते बी कोण्या मरते बी कोण्या औण पौण मैं बसर नहीं चारोँ लाल कड़ै गए भाई के गई सै फोन मैं खबर नहीं कोण्या पार जावैगी म्हारी जै यो न्यारा न्यारा ठिकाणा होगा। या सारी दुनिया स्याणी होगी तूँ कद सी स्याणा होगा । 4 इसकी खातर गाँव गाँव मैं जथेबंदियाँ का जाल बिछावां जीणा चाहवाँ तै भाईयो यूनियन नै अपणी ढाल बणावाँ बिना रोएँ तो बालक भी भूखा जंगी अपणी चाल बनावाँ रणबीर सिंह बख्त लिकड़ज्या बरोने मैं फिलहाल बनावाँ तगड़ा संगठन बनाकै अपणा जंग का बिगुल बजाणा होगा । या सारी दुनिया स्याणी होगी तूँ कद सी स्याणा होगा । 21***** हरियाणे के वीरो जागो हरियाणे के वीरो जागो तजो जात के बाणे नै।। ढेरयां आला कुड़ता सै समझो इसके ताणे नै।। 1 गरीब माणस नै मरज्याणी गरीब भाई तैं दूर करै अमीर होज्यां एक थाली मैं यो गरीब मजबूर फिरै अमीर इस्तेमाल भरपूर करै गरीबाँ नै बहकाणे नै।। ढेरयां आला कुड़ता सै समझो इसके ताणे नै।। 2 अमीरां का छोरा कोये बेरोजगार जमा ना पाणे का पुलिस कचहरी सब उनके ख़ाली हुक्म ना जाणे का गरीब लूट कै खाणे का टोहया सै राह मरज्याने नै।। ढेरयां आला कुड़ता सै समझो इसके ताणे नै।। 3 मेहनत जात गरीबाँ की और कोये तो जात नहीं जाट ब्राह्मण सिर फुड़वावें मिलै खान नै भात नहीं जात मिटा सकै दुभांत नहीं बात कही सै स्याणे नै।। ढेरयां आला कुड़ता सै समझो इसके ताणे नै।। 4 जात के ठेकेदारां की बांदी या करै इनकी ताबेदारी आम आदमी जकड़ लिया अमीर करै पूरी पहरेदारी रणबीर करै नहीं चाटूकारी नहीं बेचै अपणे गाणे नै।। ढेरयां आला कुड़ता सै समझो इसके ताणे नै।। 22******* मेहनतकश किसान पूरा, के दिखूं थामनै जमूरा, फते सिंह और कपूरा, समझूं सूं थारी बाताँ नै। 1 जुमल्यां की बात राहण दे, तीनों कानून उल्टे जाण दे, मतना लावै भीतरी घात, क्यों कराओ घणा उत्पात, संघर्ष होरया दिन रात,देख बढ़ती म्हारी पातां नै।। 2 दिल्ली हमनै सै घेर लई, तमनै मूंह क्यों फेर लई, जुल्मी थारी सै सरकार,करै या घणे अत्याचार,भरी किसानों नै हुंकार, यो बांधैगा थारे हाथां नै।। 3 हम आन डटे सां जंग मैं, हम रंग रे सां एक रंग मैं, संघर्ष जिन्दाबाद म्हरा,थारे पै निशाने लाऱया, शिखर पै चढ़ता जारया,छोड़ गोत नात जातयां नै।। 4 दिल्ली की ईंट ईंट बोलै, किसानी चौगिरदें कै डोलै, इंकलाब जिंदाबाद नारा,पूरी जनता नै भारया, इतिहास बनता आरया, रणबीर सिंह के खात्यां मैं।। 23******* हिन्दुस्तान की हालत देख कै मेरा कालजा धड़कै रै।। दमनकारी राज आंख मैं आज कुनक की ढालां रड़कै रै।। 1 म्हारे देश का किसान दुखी आज की सरकार करकै रै लोग लुगाई हर इंसान दुखी आज की सरकार करकै रै जुमल्यां तैं यो जवान दुखी आज की सरकार करकै रै किसा बख्त यो बेईमान सुखी आज की सरकार करकै रै काले कानून बना कै नै लूटैंगे किसान के खेत मैं बड़कै रे।। दमनकारी राज आंख मैं आज कुनक की ढालां रड़कै रै।। 2 म्हारे देश की धरती ऊपर हमनै नाज उगाया देखो किसानों नै हाँगा लाकै देश आत्मनिर्भर बनाया देखो किसानी पै घणे टैक्स लगाये यो किसान सताया देखो हक मांगण पै चली गोली जेल का राह दिखाया देखो काले कानून वापिस करावां एके की राही पकड़ कै रै।। दमनकारी राज आंख मैं आज कुनक की ढालां रड़कै रै।। 3 24******* बतादे पिया एक महिला की अपने पति से तीन कानूनों के बारे बातचीत। क्या बताया भला-- ये कानून के जंजाल पिया, बतादे करकै खयाल पिया, उठती मन मैं झाल पिया, आज करैंगे कंगाल पिया, तारैंगे म्हारी खाल पिया, जवाब दिए तूँ खोल कै।। 1 किसान मोर्चे नै कर जलसा ये सारी बात बताई हो सन सैंतालीस तैं पहल्यां गोरयां बरगी लूट मचाई हो नहीं आच्छी सरकार पिया, किसान का बहिष्कार पिया, मोदी नहीं मददगार पिया, बणाया देश बाजार पिया, कानून बधारे तकरार पिया, मनै जवाब दिए तोल कै।। 2 बढ़िया सैं तीनों क़ानून ये मन मेरा तै मानै कोन्या हो क्यों बात किसानां की ये बैठी सैं रकानै कोन्या हो कैसे बनै इनकी बात पिया, कररे संघर्ष दिन रात पिया, देखी सरकारीऔकात पिया, आवण आली सै श्यात पिया, इसकै मारैगा संपात पिया, मनै जवाब दिए टटोल कै।। 3 खाद पाणी बिजली हों म्हंगी यो बीज ना अपणा होगा म्हारी जिंदगी खुशहाल हो यो चकनाचूर सपणा होगा घणी करैंगे धुनाई पिया, फेर नहीं मिलै दवाई पिया, कसूती रोल मचाई पिया, जनता खूब भकाई पिया, क्यूकर बचै तबाही पिया, मनै जवाब दिए बोल कै।। 4 चिंता रोज सतावै क्यूकर चालैगा यो परिवार मेरा तीनों कानून घणे भुन्डे इतना तो अंदाज भरतार मेरा खींच सही तसबीर पिया, लड़ा कोए तदबीर पिया, मसला घणा गम्भीर पिया, बतावै आज रणबीर पिया, मेटें कानूनां की लकीर पिया, म्हारा साथ दिए टटोल कै।। 25******** मौका सै फिलहाल हांगा लादयो पूरा भाइयो यो मौका सै फ़िलहाल, हाथ दिखारे किसान म्हारे लाल।। 1 काले कानून वापिस कराणे सैं, नहीं कति पाछै कदम हटाणे सैं, दो दो हाथ करकै दिखाणे सैं, दिखावां किसानी ताकत का कमाल।। 2 सरकार का सामना करणा सै, लाठी गोली तै नहीं डरणा सै, छब्बीस नै मार्च पै उतर णा सै, यो ऐलान करया सै तत्काल ।। 3 मोदी अपणे हठ नै छोड़ दिये, काळे कानून उल्टे मोड़ लिये, म्हारी बात का लगा तोड़ लिये, किसानी ताकत करदेगी बेहाल।। 4 खाग्या अम्बानी चूट चूट कै,म्हारे नारयां नै देश मैं पहूँच कै, भाई चारा भर दिया कूट कूट कै, रणबीर कहै मोदी करिये ख्याल ।। 26******** चारों कान्हीं चारों कान्हीं तैं खावण लागरे बची इब कति समाई कोण्या।। म्हारी सारी कमाई लूट लई रास्ता बिना लड़ाई कोण्या।। 1 कुर्बान होज्यांगे पर झुकां नही नयूं मिलकै कसम खाई किसानी संघर्ष की आवाज आज पूरे देश मैं पहूंचाई काले कानून मंजूर नहीं हम होण देवैं तबाही कोण्या।। म्हारी सारी कमाई लूट लई रास्ता बिना लड़ाई कोण्या।। 2 लूटैं बनकै म्हारे हितेषी इब आंख आज म्हारी खुलगी तीन काले कानूनों मैं जमा लूटैं तस्वीर हमनै मिलगी कहते कानून थारे भले मैं हमनै पाई वा भलाई कोण्या।। म्हारी सारी कमाई लूट लई रास्ता बिना लड़ाई कोण्या।। 3 किसान मजदूर की कमाई पै अडानी अम्बानी ऐश करैं म्हारे बालक सल्फास खाकै ना बिन आयी इब मौत मरैं खावैं हमनै दीमक की ढालां चाहते म्हारी भलाई कोण्या।। म्हारी सारी कमाई लूट लई रास्ता बिना लड़ाई कोण्या।। 4 किसान आंदोलन नै जोड़ी एकता जबरदस्त तैयार होगी कितणी ए लाठी गोली चलाओ ताकतवर एकता हरबार होगी रणबीर बरोणे आले की रहै पाछै आज कविताई कोण्या।। म्हारी सारी कमाई लूट लई रास्ता बिना लड़ाई कोण्या।। 27******* तीन काले कानून बनाये दिल्ली मैं आज किसान कमेरे आये दिल्ली मैं इब होवैगी आर पार की लड़ाई रै।। 1 आज बावन दिन होगे किसान दिल्ली मैं डटरे देख कै किसानी एकता सरकार के पाछने पटरे सबनै मिलकै नारे खूब लगाए भाई, दिल्ली मैं घणे किसान बताये भाई, सरकार दिल्ली की घणी घबराई रै।। 2 एकले हम किसान कोन्या जनता साथ मैं आगी हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई एकता देश मैं छागी जात पात पै बांट नही पाये हमनै, धर्म के ऊपर छांट नहीं पाये हमनै, या ठंड भी संघर्ष रोक नहीं पाई रै।। 3 दूसरे प्रदेशों के भी किसान साथ मैं आये देखो बढ़ो दिल्ली मैं आगै ये सन्देश पहूंचाये देखो आज पूरे देश के मजदूर किसान, हिंदुस्तान मैं ये चढ़गे एक मचान, लड़ागे जीतांगे या हुंकार लगाई रै।। 4 शांत ढंग तैं किसान कमेरे इस आंदोलन नै चलारे पालतू पिल्ले भेष बदल कै भरम फैलाना चाहरे आर पार की हम लड़ाई लड़ेंगे रै, कानून वापसी ताहिं हम अड़ेंगे रै, साथ देवै रणबीर की कविताई रै।। 28******** देखियो के होगा सुणियो तमनै म्हारे देश के घणे बिगाड़े हाल, देखियो के होगा।। 1 करजे के म्हां धँसा दिऐ ईसा बुणकै मकड़ जाल रै काले कानूनाँ मैं फँसाये बण अम्बानी के दलाल रै म्हारे पै कस कानूनी शिकंजे करे चाहे बेहाल देखियो के होगा।। 2 पलँग निवारी देउँ कैहकै खोस म्हारा खटोला लेग्या कमा कमा खेतां मैं मरे लूट कै पैप्सी कोला लेग्या अम्बानी हर नै देश लूट लिया बणा दिये कंगाल देखियो के होगा।। 3 खोदी अमीरी और गरीबी की तमनै गैहरी खाई म्हारी धरती खोसण खातिर काली कानून बनाई थारे काबू कोन्या आवाँ म्हारी सूणल्यो चंडाल देखियो के होगा।। 4 सल्फास गोली ना खावां आये दिन थारी खिंचाई के देशमैं हों रिश्ते बढ़िया हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई के रणबीर नै करी कविताई, ठाये सही सवाल देखियो के होगा।। 29******** शाषक जनता नै दुखी करकै ना कोए शाषक सुखी रह पाया।। जनता का राज जनता द्वारा जनता ताहिं गया बताया।। 1 सिस्टम व्यक्ति पर भारी बहुत देर मैं समझ पाते हैं कहीं खरीद फरोख्त कहीं डर का रोब खूब जमाते हैं चित बी मेरी पिट बी मेरी आम आदमी मरते जाते हैं हमारी मेहनत की शाषक हर तरह से लूट मचाते हैं जनता और शाषक के बीच वर्ग संघर्ष मूल जताया।। 2 यो समझे बिना ईमान दार घणा कुछ नहीं कर पावै चाहे तो पी एम बणाद्यां आखिर कठपुतली बण जावै सिस्टम के हाथ बहोत सैं संस्कृति इसका साथ निभावै म्हारी सोच गुलामी की यही सिस्टम कई तरियां बनावै सिस्टम बदलें बिन जनता का जनता नै राज ना थ्याया।। 3 शाषक बांट कर हमें अपनी मनमानी खूब चलावैं देखो दस नब्बै की लड़ाई आज खास तरियां ये छिपावैं देखो दस की करकै सही पिछाण नब्बै ना एकता बनावैं देखो दस की एकता घणी कसूती जात गोत पै वे लडावैं देखो खेत खान मैं हम कमाते फेर बी सांस चैन का ना आया।। 4 ये जेब कतरे धर्मात्मा बणकै पूरे देष मैं छाये देखो ये भाशा जनता की बोलते जनता के भूत बनाये देखो ये मुखौटे बदल बदल कै हर पांच साल मैं आये देखो ये अपने पेट फुलागे रै म्हंगाई नै उधम मचाये देखो रणबीर नब्बै की खातर सोच समझ कै जिकर सुणाया।। 30********* जाग्या किसान खेत क्यार खूब कमाया रै, करकै नै कमाल दिखाया रै, संघर्ष का राह अपनाया रै, जाग्या किसान हिंदुस्तान का।। 1 देश की आजादी खातर अपनी ज्यान खपाई हमनै पंजाब हरियाणा बिहार मैं न्यारी रीत चलाई हमनै अंगरेजां का भूत बनाया रै, सब किमैं दा पर लगाया रै, फेर देश आजाद कराया रै, जाग्या किसान हिंदुस्तान का।। 2 देश आजाद होये पाछै हम हरित क्रांति ल्याये भाई खेत क्यार कामवण तैं हम कदे नहीं घबराये भाई हिंदुस्तान आगै बढ़ाया सै, सात आसमान चढ़ाया सै, हटकै नै संघर्ष चलाया सै, जाग्या किसान हिंदुस्तान का।। 3 हमनै पहले भी संघर्ष करे उणमैं लाठी गोली खाई रै जय जवान जय किसान की बढ़िया तस्वीर बनाई रै सरहद पै नाम कमाया सै, देश का सम्मान बढ़ाया सै, जवान कदे ना घबराया सै, जाग्या किसान हिंदुस्तान का।। 4 तीन काले कानूनों के खिलाफ आज आवाज उठाई जुल्मो सितम कै साहमी लड़ण की रिवाज चलाई हम आगै बढ़ते जारे भाई, संघर्ष बिगुल बजारे भाई, रणबीर कलम चलारे भाई, जाग्या किसान हिंदुस्तान का।। 31******** इब तो जागज्या किसान, देख हमनै कौण लूट रहया।। 1 दिन और रात काम करैं, फेर भी मुश्किल पेट भरैं करैं मौज यहां धनवान, तूँ पाणी से रोटी घूंट रहया।। 2 ये पंडे और पुजारी लूटैं, ये अमरीकी ब्योपारी लूटैं लुटैं क्यों हम भगवान, क्यों अमरीका खागड़ छूट रहया।। इब तो....... 3 बिजली चमकै पाला पड़ता, तूँ पाणी के भीतर बड़ता लड़ता सरहद पै जवान, वो चांदी महलां मैं कूट रहया।। इब तो ..... 4 धनवानों के महल अटारी, खोस लेज्यां मेहनत म्हारी उतारी म्हारे घर की छान, बांस ऊँका बीच तैं टूट रहया।। इब तो.... 5 जब जब ठाये हमनै झंडे, पुलिस के खाये गोली डंडे बनादें मरघट का शमशान, घाल कमेरयां भित्तर फूट रहया।। इब तो..... 6 आज इंसान करया लाचार, नाव फंसी बीच मंझदार हरबार लड़ावै यो बेईमान, म्हारा सब किमै यो चूट रहया।। इब तो.... 7 सुन रणबीर सिंह का गाणा, रोवै बूढ़ा और याणा स्याणा बताणा करे दारू नै गलतान ,भाइयो बोल ना झूठ रहया।। इब तो .... 32****** मेहनत कश किसान मेहनत कश जमाने मैं तूँ घणा पाछै जा लिया । देख इस महंगाई करकै यो कति तौड़ आ लिया । 1 चार घड़ी के तड़कै उठ रोज खेत मैं जावै सै दोपहरी का पड़ै घाम या सर्दी घणी सतावै सै दस बजे घर आली तेरी रोटी लेकै नै आवै सै सब्जी तक मिलती कोण्या ल्हूखी सूखी खावै सै नून मिर्च धरकै रोटी पै लोटा लाहसी का ठा लिया। 2 थारा पूरा पटता कोण्या तूँ दिन रात कमावै सै बीज बोण के साथै तूँ आस फसल पर लावै सै सोसाटी और लाला जी से कर्ज भरया कढ़ावै सै लाला जी फेर तेरी फसल मनचाहे दाम उठावै सै ब्याज ब्याज मैं नाज तेरा लाला जी नै पा लिया । 3 कदे तनै सूखा मारै कदे या बाढ़ रोपज्या सै चाला सूखे मैं तेरी फसल सूखज्या होवै ज्यान का गाला कदे कति बेढंगा बरसै भाई यो लीले तम्बू आला कदे फसल तबाह होज्या कदे होवै गुड़ का राला बिजली तक आती कोण्या माच्छरां नै रम्भा लिया। 4 बड़ी आशा से तमनै सै या सरकार बनाई देखो कई काम करैगी थारे तमनै आस लगाई देखो सरकार नै आँते ही बालक की नौकरी हटाई देखो थारा माल खरीद सस्ते मैं और कीमत बढ़ाई देखो रणबीर हुई तबाही सै आच्छी तरियां ढा लिया। 33********** आवण आले बखतां मैं उत्थल पुत्थल रहवै जारी।। अमीर गरीब की बढ़ती खाई ना बसकी रहै म्हारी।। 1 कोरोना मुश्किल हो काबू या उधम घणा मचावैगी तीन चार मिहने इबै और महामारी बढ़ती जावैगी इंतजाम पूरे कोण्या चढ़ें सांस नर्स डॉक्टर कै भारी।। अमीर गरीब की बढ़ती खाई ना बसकी रहै म्हारी।। 2 मजदूरों के कानून पै हमला घणा जबर करैंगे रै दिहाड़ी कम करकै नै ये तिजुरी अपनी भरैंगे रै बढ़ेंगे संघर्ष देश मैं यो इंकलाब लेवैगा उभारी।। अमीर गरीब की बढ़ती खाई ना बसकी रहै म्हारी।। 3 किसान नै बतौले देकै न्योंएँ बहकाये राखेंगे रै जीवण दें ना मरण देवैं न्योंएँ दबाए राखेंगे रै जात पात भुला कै करनी हो बड़े मंच की तैयारी।। अमीर गरीब की बढ़ती खाई ना बसकी रहै म्हारी।। 4 सत्ता तंत्र लठ तंत्र तैं रणबीर फतूर मचावै देखो किसान मजूर की मांग लाठी गोली तैं दबावै देखो दुनिया की जनता दीखै इंकलाब का नारा लारी।। अमीर गरीब की बढ़ती खाई ना बसकी रहै म्हारी।। 34*********** दिल्ली आल्यो गिणकै दिये बोल तीन सौ साठ दिल्ली आल्यो। नहीं सुणते बात हम देखैं बाट दिल्ली आल्यो।। ईब खत्म म्हारी पढ़ाई कति गोलते कोण्या हम मरते बिना दवाई कति तोलते कोन्या कति बोलते कोण्या बनरे लाट दिल्ली आल्यो।। इसी नीति अपनाई किसान यो बरबाद करया घर उजाड़ कै म्हारा अपणा यो आबाद करया। घणायो फसाद करया तोल्या घाट दिल्ली आल्यो।। म्हारे बालक सरहद पै अपनी ज्यान खपावैं थारे घूमैं जहाज्यां मैं म्हारे खेत खान कमावैं भूख मैं टेम बितावैं थारे सैं ठाठ दिल्ली आल्यो।। सात सौ चीजां की रणबीर ये सीम खोल दई गउ भैंस बकरी म्हारी ये बिकवा बिन मोल दई मचा रोल दई गया बेरा पाट दिल्ली आल्यो।। 35************ नया बीज और खाद नया सोच समझ तनै अपनाया।। हरित क्रांति का बन अगुआ नंबर वन पै पहोंचाया ।। 1 बैल की खेती छोड़ तनै ट्रेक्टर की खेती अपनाई रै हल और राछ बाछ पुराने सबतें ही पिंड छटवाई रै बिजली बहोत घनी भाई रै दीवा कून मैं तनै बगाया || हरित क्रांति का बन अगुआ नंबर वन पै पहोंचाया ।। 2 लाल दामन काली चुन्दडी आज देखण नै बी तरसाए कदे कदाउ खंडवा धोती ये नए नए फैशन अपनाये लेंटर आले मकान बनवाये देशी तैं अंगरेजी पै आया || हरित क्रांति का बन अगुआ नंबर वन पै पहोंचाया ।। 3 छुआ छूत की आदत ना बदली नहीं समझ मैं आई रै जात पात की कट्टरता दूनी कोली भर छाती कै लाई रै महिला भ्रूण हत्या बढ़ाई रै दुनिया मैं नाक कटवाया || हरित क्रांति का बन अगुआ नंबर वन पै पहोंचाया ।। 4 बहोत सी चीजां मैं विवेक तेरा घणा आगे निकल गया जात पात और गोत नात पै बावले क्यों बीचल गया विवेक पर तैं क्यों फिसल गया रणबीर बी घबराया || हरित क्रांति का बन अगुआ नंबर वन पै पहोंचाया ।। 36********** नक्सलवाद कितै पाकिस्तान ये जवान म्हारे झोंक दिए अडानी अम्बानी की खात्तर ये किसान म्हारे ठोक दिए 1 शासक तंत्र का खेल दखे नहीं म्हारी समझ मैं आया रै देश भक्ति के नाम पै जवान फ्रंट उप्पर लड़वाया रै खेत मैं किसान दोफारे के मां यो पस्सीने पोंछता पाया रै सरहद की रुखाली कराई खेत मैं हाँगा लगवाया रै हक मांगे जिब जिब जनता नै चढ़ा सूली की नोक दिए। अडानी अम्बानी की खात्तर ये किसान म्हारे ठोक दिए 2 दोनूंआं की देश सेवा तैं देखो अम्बानी का पेट फुलवाया हमनै आवाज उठाई तो दोनूं फ्रण्टों पै हमें धमकाया या किसी देशभक्ति जिसनै आज गरीब संकट बढ़ाया सोचो जवानों और किसानों तमनै किसका राज बचाया जिब हम बोलैं तो कहते ये कौन देशद्रोही भोंक दिए। अडानी अम्बानी की खात्तर ये किसान म्हारे ठोक दिए 3 बेरा ना कितने किसान म्हारे ज्यान अनसमझी मैं खोगे म्हारे देश के भक्त बेरा ना आज कित तान कै सोगे हक मांगैं वे देशद्रोही देश लूटैं वे देश प्रेमी होगे जात पात पै बांट दिए कमेरे ये बीज बिघ्न के बोगे म्हारे संघर्षों के सारे रास्ते बांट बांट कै देखो रोक दिए। अडानी अम्बानी की खात्तर ये किसान म्हारे ठोक दिए 4 देश द्रोह करणीये वे सैं जो हक छीन रहे किसानों के देश द्रोही भक्त बणे हांडै आज हिमाती लुटेरे शैतानों के म्हारे देश प्रेमी किसान क्यों आज शिकार अपमानों के मुट्ठी भर शैतान क्यों बणे शासक देश मैं इंसानों के कहै रणबीर छंद बनाकै ये समझा सही श्लोक दिए ।। अडानी अम्बानी की खात्तर ये किसान म्हारे ठोक दिए 37*********** इब तो जागज्या किसान, देख हमनै कौण लूट रहया।। दिन और रात काम करैं, फेर भी मुश्किल पेट भरैं करैं मौज यहां धनवान, तूँ पाणी से रोटी घूंट रहया।। ये पंडे और पुजारी लूटैं, ये अमरीकी ब्योपारी लूटैं लुटैं क्यों हम भगवान, क्यों अमरीका खागड़ छूट रहया।। इब तो....... बिजली चमकै पाला पड़ता, तूँ पाणी के भीतर बड़ता लड़ता सरहद पै जवान, वो चांदी महलां मैं कूट रहया।। इब तो ..... धनवानों के महल अटारी, खोस लेज्यां मेहनत म्हारी उतारी म्हारे घर की छान, बांस ऊँका बीच तैं टूट रहया।। इब तो.... जब जब ठाये हमनै झंडे, पुलिस के खाये गोली डंडे बनादें मरघट का शमशान, घाल कमेरयां भित्तर फूट रहया।। इब तो..... आज इंसान करया लाचार, नाव फंसी बीच मंझदार हरबार लड़ावै यो बेईमान, म्हारा सब किमै यो चूट रहया।। इब तो.... सुन रणबीर सिंह का गाणा, रोवै बूढ़ा और याणा स्याणा बताणा करे दारू नै गलतान ,भाइयो बोल ना झूठ रहया।। इब तो .... 38*******