Sunday, 6 August 2017

कला का पहला क्षण

कला का पहला क्षण
कई बार आप 
अपनी शरीर के दर्द में 
अकेले छूट जाते हैं 
और कलम के बजाय 
तकिये के निचे या मेज की दराज में 
दर्द की कोई गोली ढूँढते हैं 
बेशक जो दर्द सिर्फ आपका नहीं है 
लेकिन आप उसे गुजर न जाने दें 
यह भी हमेशा मुमकिन नहीं 
कई बार एक उत्कट शब्द 
जो कविता के लिए नहीं 
किसी से कहने के लिए होता है 
आपके तालू से चिपका होता है 
और  कोई नहीं होता आस पास 
कई बार शब्द नहीं 
कोई चेहरा याद आता है 
या कोई पुराणी शाम 
और आप कुछ देर 
कहीं और चले जाते हैं रहने के लिए 

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