Saturday, 30 September 2017

बुलेट ट्रेन

बुलेट ट्रेन 
काफी चर्चा में है बुलेट ट्रेन। एक ट्रेक पर सवा लाख करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं जबकि काकोदकर कमेटी ने कहा था कि मौजूदा रेल पटरियों के पूरे ढांचे को ठीक करने के लिए एक लाख करोड़ चाहिए । क्या बताया भला -----
बुलेट ट्रेन चलावैगा जरूर, कसूता चढ़रया इंके शरूर 
खड़या देखै किसान मजदूर,पूरे सवा लाख करोड़ गालैगा
1
इसकी जरूरत कति कोण्या, फेरबी बता क्यों ल्यावै सै
झूठे साच्चे फायदे बताकै जनता नै खामखा भकावै सै
बाकि रेलां का हाल बताऊँ, बुरी हालत इनकी दिखाऊं
जनता का मैं दुखड़ा सुनाऊं,भक्कड़ घणा कसूता बालैगा
2
दुसरे देशां मैं बुलेट ट्रेन या फेल होली बतावैं देखो
किराया आम नागरिक नहीं जमा बी दे पावैं देखो
जापान का हाल देखियो भाई, दूजे देशां मैं तबाही मचाई, फेरबी भारत मैं जागी चलाई, अडाणी अम्बानी नै पालैगा
3
अस्सी हजार करोड़ खर्च इस एक ट्रेन पै होवैगा रै
बाकी ट्रेन जाओ धाड़ कै रेल यात्री बैठया रोवैगा रै
विकास नहीं विनाश राही चाले, गरीबों कै आज पूरे घर घाले, इनै कालजे म्हारे कसूते साले,आंदोलन के बिना नहीं टालैगा
4
बेरोजगारी पै ध्यान कोण्या नौजवान मारे मारे फिरते
शिक्षा सेहत बाजार हवाले महिलावां के ये चीर चिरते
कलम चलाई रणबीर देखो, नहीं झूठी दिखाई तस्वीर देखो , स्थिति बताई घणी गंभीर देखो,हमनै यो डोबै बीच बिचालैगा

सीकर

किसानों नै सीकर मैं यो जीत का झण्डा फहराया
बाकि के तबकों नै भी उनका पूरा साथ निभाया
1
चुच्ची बच्चा सारे आगे लड़ाई के उस मैदान मैं
व्यापारी भी साथ चले विश्वास जताया किसान मैं
महिलावां नै जोर लाया डटगी जंग के मैदान मैं
सरकार बैठी थी अपनी ताकत के गुमान मैं
तेरा दिन की लड़ाई नै इस सरकार को झुकाया ।।
बाकि के तबकों नै भी उनका पूरा साथ निभाया
2
एकता कसूती बनाई किसान और अवाम नै
लीडरी पूरी निभायी कामरेड अमरा राम नै
एकता डीसीपीलिन दिखाया जनता तमाम नै
सड़क पै राजस्थान था दिन रात शुबो शाम नै
लाल सलाम किसान सभा यो झंडा लाल जिताया।।
बाकि के तबकों नै भी उनका पूरा साथ निभाया
3
केंद्र बन्या सीकर पर पूरे राजस्थान मैं छाग्या
हजारों हजार किसान कदम तैं कदम मिलाग्या
बस ट्रक ऑटो रिक्शा गजब का साथ निभाग्या
मजदूर व्यापारी ना पाछै होंसला घणा बढाग्या
छात्रों का कोये तोड़ नहीं हर तबका गेल्याँ पाया।।।
बाकि के तबकों नै भी उनका पूरा साथ निभाया
4
पचास हजार  के कर्जे किसान सभा माफ़ कराये
आठ लाख किसानों के ये कर्जे माफ़ हुये बताये
स्वामीनाथन रिपोर्ट पै ये पास्से खूब पलटवाये
आवारा पशुओं के राह भी गए आज बन्धवाये
रणबीर हफ्ते मैं फसल खरीद का हुक्म लिखाया।।
बाकि के तबकों नै भी उनका पूरा साथ निभाया।

अन्धविश्वास

कुछ लेख डेरा प्रेमियों को मुख्य रूप से दोषी के रूप में देख रहे हैं जो शायद पूरी तरह ठीक नहीं लगता । उसी को ध्यान में रखकर यह हरयाणवी रागनी प्लीज --
अन्धविश्वास
जनता नै अन्धविश्वासी बनाकै इसनै आज कौन भकावै ॥ 
देकै लालच और डर दिखाकै वोट लेकै नै राज मैं आवै ॥ 
मजदूर की मजदूरी खाज्यां ये लीला भगवन की बताते 
किसान की फसल मंडी बीच देखो लगाकै बोली उठाते 
जात धर्म पर अफवाह फ़ैलाकै आपस मैं खूब लड़वाते 
दोनों की म्हणत की कमाई बैठके महलों अंदर खाते 
भगवान की लीला बता लुटेरा पत्थरों की पूजा करवावै॥
जनता नै अन्धविश्वासी बनाकै इसनै आज कौन भकावै ॥ 
पूरी दुनिया मैं खेल धर्मों का पूंजीपति आज खेल रहे 
शोषण का सिस्टम पक्का आज मजदूर किसान झेल रहे
कितै अंधराष्ट्र वाद कितै देखे आतंक वाद नै पेल रहे 
गरीब अमीर की खाई बढाक़ै काढ़ जनता का तेल रहे 
लूट नै मर्जी यो पूंजीपति अल्लाह ईशा राम की बतावै ॥ 
जनता अन्धविश्वासी बनाकै इसनै आज कौन भकावै ॥ 
सृष्टि जब तैं वजूद मैं आयी अग्नि और हवा देवता आया 
आगै चल्या समाज तो फेर मानस नै भगवान बनाया 
कुछ देशों मैं अल्लाह आग्या कुरान का पाठ पढ़ाया 
कुछ देशों मैं ईशा मशीह नै फेर अंगद का पैर जमाया 
इस दुनिया मैं इतने धर्म क्यों सोचकै सिर यो चकरावै ॥ 
जनता अन्धविश्वासी बनाकै इसनै आज कौन भकावै ॥ 
घरां बैठकै ग्रन्थ बणाकै जमकै झूठ चलावन लागे रै 
जीभ चटोरे ऊत लूटेरे अन्धविश्वास फलावन लागे रै 
ब्रह्म पारासुर लड़की तैं देखो भोग करावन लागे रै 
आँख कान और नाक सींग मैं पुत्र जमावन लागे रै 
रणबीर सिंह अपनी कलम अन्धविश्वास खिलाफ उठावै ॥ 
जनता अन्धविश्वासी बनाकै इसनै आज कौन भकावै ||

Monday, 18 September 2017

आल्हा --सही राम

आल्हा: अन्नदाता की पीड़ा
 सहीराम
खल्क खुदा है, सबसे पहले, हम रहे उसको शीश नवाय।
उसी खल्क का पेट जो भरता, जग का अनदाता कहलाय।
कथा उसीकी व्यथा भरी यह, सुनियो सजनो ध्यान लगाय।
रोज वो झूल रहा फांसी पर, जहर की गोली रहा चबाय।
पर राजाजी की बात न पूछो, खुदा खुदी को रहा बताय।
अंबानी हो चाहे अडानी, वो सेठों के संग रास रचाय।
जय,जयकार करें सब मिलकर, टेलीविजन रहा दिखलाय।
अखबारों में उसके किस्से, जैसे कोई चमत्कार कर जाय।
शाखाओं में छवि गढ़ैं वो, रहे अवतारी मानुष बतलाय।
उसको कहां पड़ी फुरसत वो सत्ता के मद में इतराय।
देश से ज्यादा रहे विदेश, जय,जयकार रहा करवाय।
हर नेता की कोली भरता,पर सेठों को वो रहा लुभाय।
आओ,आओ देश में मेरे लूटो,खाओ जो मन भाय।
देश में रहकर भी सजनों वो अपना बस दरबार सजाय।
चारण पड़े रहे चरणों में, सेठ,ब्यौपारी आशिष पांय।
बात गरीब,किसान की करता, काम अमीरों के कर जाय।
रोज नयी ये साजिश रचते, नया जाल हर रोज बिछाय।
न फसलों की कीमत मिलती, मांगों तो गोली चलवाय।
पहले बोले गेंहू,धान में क्यों रहे अपने हाड़ तुड़ाय।
सब्जी बोओ,नकदी पाओ, खेती उन्नत लेओ बनाय।
फिर बोले तुम फूल उगाओ, लाखों तो बस यूं बन जाय।
औषधियों की बात करी फिर, धन की तो बारिश हो जाय।
कभी लोभ ये, कभी लोभ वो, ऐसा दिया हमें भरमाय।
पीछे से सब्सीडी काटी, महंगा खाद,बीज हो जाय।
बिजली महंगी, डीजल महंगा,बैंक कर्ज फिर देता नाय।
कर्ज मिले तो कारों खातिर, सस्ता उसका ब्याज कहाय।
खेती खातिर ब्याज भी मंहगा, धरती गिरवी लें धरवाय।
न कर्ज चुके तो इज्जत जाए, धरती तेरी कुर्क हो जाय।
सेठों खातिर खुले खजाने, उनके कर्ज माफ हो जाएं।
पर धरती के बेटों से पूछैं, तुम हो कौन, कहां से आय।
हार के बेचारा किसान फिर सूदखोर की ड्यौढ़ी जाय।
करे बंदगी वो लाला की, चरणों को रहा हाथ लगाय।
मनमाना वो ब्याज लगाए,रहा ब्याज पे ब्याज चढ़ाय।
न सोने सा गेहूं बिकता, न धान किसी को रहा सुहाय।
खेतों की धानी चूनर की, प्रपंची रहे लूट मचाए।
गन्ना धू,धू जले खेत में, मिल का पैसा मिलता नाय।
न कोई आलू को पूछै औ प्याज पड़ा,पड़ा सड़ जाय।
उपभोगी को सब महंगा,किसान को कीमत मिलती नाय।
उधर लुटैं वो, इधर लुटैं ये, कौन बीच में लूटे जाय।
शोर मचै महंगाई का, किसान को धेला मिलता नाय।
न बच्चों की फीस चुके और न बेटी का ब्याह हो पाय।
सिर पर सूदखोर का डंडा ठक,ठक नित वो रहा बजाय।
गहना,गूंठी सब हड़पै वो, उसका पेट भरै है नाय।
रहम करै न रत्ती भर भी, कहता धरती देओ लिखाय।
वोट की खातिर मीठी बातें, जो नेताजी थे रहे बनाय।
कुर्सी पाकर भूल गया सब, आंखें हमको रहा दिखाय।
जुमला था वो, जुमला बस, क्या वादों की याद दिलाय।
मर जाओ तो कायर कहता, लड़ो तो गुंडे रहा बताय।
पेट की खातिर लडऩे उतरो, यह तो उसको नहीं सुहाय।
धमकावै और आँख  दिखावै,लाठी१गोली दे चलवाय।
पेट भरे वो सब जग का जो, अपनी किस्मत कोसे जाय।
इक,इक पैसे को तरसे वो दर,दर की वो ठोकर खाय।
क्या रखा है अब खेती में, कुछ भी तो अब बचता नाय।
जिसको देखो  यही बोलता, उसको सभी रहे भरमाय।
धरती बेच देओ सेठों को, मुफ़्त में क्यों रहे हाड़ तुड़ाय।
राजा बोला चिंता क्या है, तनिक भी मुश्किल होगी नाय।
मुझ पर करो भरोसा पूरा, मैं दूं चुटकी में कानून बनाय।
लखटकिया वो सूट पहनकर, सूटकेस हमको दिखलाय।
बस धरती मेरी, पैसा तेरा,लालच हमको रहा दिखाय।
माया से कोठे भर दूं मैं, चिंता,फिकर करो तुम नाय।
पग,पग फिर मॉल बनैं और जगमग शहर खड़े हो जांय।
एक्सप्रेस सब रोड बनैं, जहां सरपट गाड़ी दौड़ी जांय।
मैं अगल,बगल में पटरी के दूं गोदामों की लैन लगाय।
रच दूं मायावी दुनिया मैं, आंखें चकाचौंध हो जाय।
तुम तो पहनो सूट-बूट, अब फिकर तुम्हें  कुछ करनी नाय।
राजाजी का देख डिरामा, सेठ सभी पुलकित हो जांय।
अब पूरे होंगे सपने सब, अब कुछ कमी रहेगी नाय।
सोना उगलेगी मिट्टी ये अब तक जो थी भूख  उगाय।
मन में लड्डू लगे फूटने, अब वारे-न्यारे हो जांय।
धन्य,धन्य हो राजाजी तुम, चमत्कार हो रहे दिखाय।
पोल खुली फिर जल्दी उसकी,मन का मैल सामने आय।
हमदर्दी का हटा मुखौटा,चेहरा असली दिया दिखाय।
दल्ला है सेठों का ये तो अब तक था रहा ढ़ोंग रचाय।
न चिंता है इसे देश की, न परजा की है परवाय।
पल्टी मार गया फौरन वो, कह मेरा इससे नाता नाय।
शातिरपन में अब तक उसका कोई जोड़ मिला है नाय।
ठग विद्या ठहरा माहिर, साजिश नयी रचायी जाय।
जमीन हड़पनी है हर हालत, सूबेदार सब दिए लगाय।
लूटते फिरते है जमीन वो,कानूनों को धता बताय।
चाल नयी देखो अब उसकी,अब तक ये था होता नाय।
सरकारी आडर निकला है, कोई कोताही बरतो नाय।
न मंडी में, न मेलों में, पशु कहीं बिक सकते नाय।
धरती मां के बाद किसान का, पशुधन ही तो बने सहाय।
ए टी एम वहीं है उसका, वही डिपोजिट है कहलाय।
बच्चों की शादी हो चाहे, बात पढ़ाई की आ जाय।
हारी और बीमारी में भी सदा सहारा वो बन जाय।
पर किसान का यह सुख भी तो, राजाजी को कहां सुहाय।
चढ़ा धर्म का रंग बैरी ने,बस वार घिनौना दिया चलाय।
बेच न पाओगे तुम कुछ भी न गैया, न भैंस कहाय।
न बछड़ा-बछड़ी बेचो तुम,ऊंट,बैल बिक सकते नाय।
मेले में न लाना उनको, हाट में वो बिक सकते नाय।
सात लगी पाबंदी देखो,कहीं जेल ही न हो जाय।
ऐसे में कोई क्यों पालै, गैया-भैंस बताओ भाय।
क्या जाने कब गौरक्षक सब अपना दें प्रपंच रचाय।
पीटैं भी और लूटैं भी और थाने में दें बंद कराय।
लाश बिछा दें सड़कों पर वो, उनको पूरी छूट बताय।
गुंडे छोड़ दिए सब उननै, गोरक्षक वो रहे कहाय।
धर्म के नाम पर वो धमकावै, रंगदारी वो रहे चलाय।
रोज उगाही, चौथ वसूली जेब वो अपनी भरते जांय।
गोशाला में गाएं मरती, उनको फिकर जरा भी नाय।
चाहे चारा हो या चंदा हो, हजम वो सारा करते जांय।
वही चलाए गोरक्षा दल और बूचडख़ाने वही चलांय।
गऊ कभी ना पाली उनने, धर्म का वो बस ढ़ोंग रचाय।
माता,माता जाप करैं वो, भक्ति ऐसी दें दिखलाय।
चौराहों पर रोटी दे बस अपनी फोटो रहे खींचाय।
बीफ का हल्ला रोज मचावैं, सड़कों पर दें लाश बिछाय।
गुंडागर्दी सरेआम है, उनकी रोक-टोक कोई नाय।
वोट बनैं और नोट बनैं, बस उनका धंधा चलता जाय।
जात,धर्म के नाम पे लोगो, जनता को ये रहे लड़ाय।
कभी लड़ाएं हिंदू-मुस्लिम, दंगे दें वो रोज करवाय।
कभी लड़ाय गूजर-मीणा, जाट से सैनी दे लड़वाय।
फूट डाल कर राज करै वो, हक सारे वो रहे दबाय।
मजदूरों को बंधुआ कर दे, किसान को चाकर रहे बनाय।
न फसलों की कीमत दें वो, कर्जा माफ करेंगे नाय।
सभी रियायत हैं सेठों को, किसान को माफी कोई नाय।
या तो झूलै वो फांसी या पुलिस की गोली खा मर जाय।
भाई-बेटे उसके देखो बॉडर पर रहे जान लड़ाय।
इनका,उनका नैन मट्टका, इनकी जान मुफ्त  में जाय।
देशभक्ति इनकी झूठी है, झूठा ये प्रपंच रचाय।
पहचानों इनकी करतूतें, एका अपना लेओ बनाय।
पाला मांड दिया बैरी ने,अब हमको पीछे हटना नाय।
राजाजी संग सेठ-ब्यौपारी,परजा इधर जुटी है आय।
जीत हमारी होगी निश्चित, अब देओ ललकार लगाय। 

Wednesday, 13 September 2017

द वायर बुलेटिन में आज:

1. पेट्रोल और डीजल की कीमतें साल 2014 के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर

2. आधार में फ़र्ज़ीवाड़ा कर सकता है बंटाधार, अब तक 49,000 ऑपरेटर काली सूची में डाले गए

3. सुप्रीम कोर्ट: नेताओं की संपत्ति की जांच के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनें, केंद्र ने किया विरोध

4. बैंकों के विलय से पहले एनपीए का समाधान ज़रूरी: रघुराम राजन

5. दिल्ली में रोहिंग्या शरणार्थियों का प्रदर्शन, देश से बाहर न निकालने की मांग,

6. डूसू चुनाव में एनएसयूआई का दबदबा, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर जीत.

Thursday, 7 September 2017

3 OCTOBER

किसान मजदूरों की होवैगी हिसार मैं या रैली बताई
तीन अक्टूबर नै देश के किसानों की बैठक बुलाई।।
1
बणा नीति किसान विरोधी किसानी जमा बणा दी बोड़ी
मजदूरों पै संकट छाग्या म्हारी महंगाई नै कड़ तोड़ी
बिना लड़ाई पार ना जावै चालो सरतो और भरपाई।।
2
लागत फालतू खेती मैं आवत उसतैं कम होरी या
रोज कर्जा बढ़ता जावै सरकार असल राही खोरी या 
सब्सिडी पै नजर गाडरी सरकार हुई सै हड़खाई।।
3
बिना लड़ाई सुणल्यो भाईयो पार म्हारी जाणी ना
शासक तंत्र दुश्मन म्हारा इंका काट्या मांगै पाणी ना
किसान मजदूर की देखो आड़े होसै खाल तराई।।
4
मजदूर किसान मिलकै जन क्रांति इब ल्यावैंगे
किसान मजदूर की एकता इसनै मिलकै बचावैंगे
कहै रणबीर चालो रैली मैं जै चाहो सो ज्यान बचाई।।

सोचें मिलकै

किसान मजदूर सोचें मिलकै क्यों लुटगी मेहनत म्हारी।।
किसान फसल उगावै मजदूर बणावै महल अटारी।।
1
उबड़ खाबड़ खेत क्यार किसान की मेहनत नै सँवारे
मजदूर सड़क डैम बणाकै पूरे भारत नै चमकारे
किसान मजदूर की मेहनत क्यों मौज करता साहूकारी।।
किसान मजदूर सोचें मिलकै क्यों लुटगी मेहनत म्हारी।।
2
किसान और मजदूर की एकता बख्त की बात बताई जा
इन दोनों की एकता भाईयो जात गोत इलाके मैं खिंडाई जा
न्यारे न्यारे किसान मजदूर नुकसान ठारे सैं घणा भारी।।
किसान मजदूर सोचें मिलकै क्यों लुटगी मेहनत म्हारी।।
3
देश आगै बढ़या आज मेहनत करी मजदूर किसान
इनके बालक भूखे फिरते न्याकारी कोण्या पाया भगवान
काम करनिये रूलगे देखो पिटी सारै कै या ईमानदारी ।।
किसान मजदूर सोचें मिलकै क्यों लुटगी मेहनत म्हारी।।
4
सिस्टम लूट पाट का होग्या नीति खड़ी विरोध म्हारे थारे मैं
म्हारी लूट का तोड़ बताया किसान मजदूर के भाईचारे मैं
सोच समझ कै रणबीर की कलम दोनों का एका चाहरी।।
किसान मजदूर सोचें मिलकै क्यों लुटगी मेहनत म्हारी।।

व्यवस्था हुई हड़खाई

समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।
इसका काटया मांगै पाणी ना कोये नर और नारी हे।।
1
सिरकी घाल करैं गुजारा जिननै देखो ताजमहल बनाये
उनके बालक मरते भूखे जिननै ये खेत क्यार कमाए
तनपै उनके लत्ता कोण्या जिननै कपड़े के मील चलाये
बिना दूध शीत के रहते वे जिननै ये डांगर ढोर चराये
भगवान भी आंधा कर दिया ना दिखता भ्रष्टाचारी हे।।
समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।
2
जितना करड़ा काम म्हारा उतना नहीं सम्मान मिलता
दस नम्बरी माणस जितने उनका हुक्म सारै पिलता 
नकली फूल सजावैं पाखंडी ना असली उनकै खिलता
कहते उसके बिना आड़े यो पत्ता तक बी नहीं हिलता
सबकै उप्पर उसका ध्यान नहीं फेर किसे न्याकारी हे।।
समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।
3
डांगर की कद्र फालतू यो माणस बेक़दरा संसार मैं
छोरे की कद्र घणी सै छोरी पराया धन परिवार मैं
किसे जुलम होण लागरे ये छपते रोज अखबार मैं
माणस खानी म्हारी व्यवस्था लादे बोली सरेबाजार मैं
कति छाँट कै इसनै चलाई महिला भ्रूण पै कटारी हे।।
समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।
4
इस व्यवस्था मैं मुट्ठी भर तै हो घणे मालामाल रहे 
इसा जाल पूर दिया चला इसनै अपणी ढाल रहे
सोच समझ कै बढियो आगै माफिया कसूते पाल रहे
फौजी और पुलिसिया रणबीर कर इनकी रूखाल रहे
सही सोच के संघर्ष बिना जनता आज पिटती जारी हे।
समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।

28 NOV

अठाईस नवम्बर के दिन विरोध दर्ज कराणा चाहिए ।
देश भक्त नागरिक जितने सबनै बाहर आणा चाहिए ।
आक्रोश प्रकट करकै हम सुनावां सरकार लुटेरी नै 
खामखा दुखी करण लागरी देखो जनता कमेरी नै 
गरीब गुरबे क्यूकर जीवैं यो मुश्किल जीना भतेरी नै 
मजदूरी कितै कितै बची सै भूख खावै शाम सबेरी नै 
मोदी जी अहंकार छोड़ कै गरीब तनै बचाणा चाहिए ।
देश के इतिहास का यो सबतै काला दौर बताया देख 
मोदी जी तनै सनक मैं जनता का यो मोर नचाया देख 
काले धन के नाम पै क्यों जनता का धोला कढाया देख 
पन्दरा बीस धन कुबेरों का तनै भोभा भरना चाह्या देख
अमीराँ की खातर गरीबों पै ना इसा तीर चलाना चाहिए।
आर्थिक जाम पूरे हिंदुस्तान मैं  घणा कसूता लगा दिया रै
कारखाने फैक्ट्री बन्द हुए कईयों को विदेश भगा दिया रै
काले धन का इलाज पक्का नोट बन्दी को बता दिया रै
निर्माण कार्य ठप्प होंगे कईयां कै दीवा यो बुझा दिया रै
दुकानदार बैठे माखी मारैं ना घणा कहर ढाणा चाहिए ।
भूल्या भटक्या आया गाहक तो दो हजार का नोट देवै
खुले कोन्या व्यापारी पै तो चीज किस तरियां वो लेवै 
खोमचे रेहड़ी पटरी आला मार सबतै ज्यादा वो खेवै
मीडिया में प्रधानमंत्री रो कै आँख कई बरियाँ यो भेवै
सब्ज बाग़ दिखा जनता को नयों नहीं बहकाना चाहिए।
अपने पीसे कढ़ावण नै जनता क्यों भिखारी बनादी
कई घण्टे लाम्बी लाइन मैं या जनता खड़ी करवादी
इस नोट बंदी के रासे मैं छः दर्जन ज्यान ये गंवादी
बईमान खुश हांड रहे सैं ईमानदारों कै फांसी लवादी
कहै कुलदीप मोदी जी ना गरीब इतना दबाना चाहिए ।

KHATTAR SAHAB

दलित अत्याचार पर, महिला के बलात्कार पर 
फैल रहे व्यभिचार पर, खट्टर जी बताओ हमनै।।
1
दलित अत्याचार आज बी कम होंते दें दिखाई ना
महिला का यौन शोषण इसमें कोए कमी आई ना
महंगाई के उभार पर, रूढ़िवाद के प्रचार पर 
कालेधन की मार पर, खट्टर जी बताओ हमनै।।
दलित अत्याचार पर, महिला के बलात्कार पर 
फैल रहे व्यभिचार पर, खट्टर जी बताओ हमनै।।
2
कालेज स्कूलों मैं यो भगवाकरण क्यों फैलाया सै
सारे कै बिठा कै संघी इतना उधम क्यों मचाया सै
पढ़ाई के व्यापार पर , नकल की भरमार पर 
नॉन अटैंडिंग कतार पर,खट्टर जी बताओ हमनै।।
दलित अत्याचार पर, महिला के बलात्कार पर 
फैल रहे व्यभिचार पर, खट्टर जी बताओ हमनै।।
3
मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना देती नहीं दिखाई
पीजीआई मैं खाली सीट इनपै नौकरी नहीं लाई
बीमारी के उभार पर, मरीजों के उपजार पर
डॉक्टरों के भ्रष्टाचार पर, खट्टर जी बताओ हमनै।।
दलित अत्याचार पर, महिला के बलात्कार पर 
फैल रहे व्यभिचार पर, खट्टर जी बताओ हमनै।।
4
बेरोजगारी घणी बढादी किसान क्यों फांसी खावै
महिला कितै महफूज ना किस आगै दुखड़ा गावै
बेरोजगारी की मार पर, पोर्नोग्राफी के बाजार पर
इस लूटू साहूकार पर, खट्टर जी बताओ हमनै।।
दलित अत्याचार पर, महिला के बलात्कार पर 
फैल रहे व्यभिचार पर, खट्टर जी बताओ हमनै।।

प्रदूषण


म्हारे देश के विकास नै, यो प्रदूषण घणा फैलाया रै।।
दुनिया मैं दिल्ली शहर , ग्याहरवें नम्बर पै बताया रै।।
1
यमुना पढ़ण बिठादी या , ईब गंगा की बारी कहते रै
तालाब घनखरे सूख लिए, विकास की लाचारी कहते रै
संकट पाणी का कसूता , भारत प्यारे पै मंडराया रै।।
म्हारे देश के विकास नै, यो प्रदूषण घणा फैलाया रै।।
2
जंगल साफ करण लागरे ,विनाश के लगा गेर दिए
वायु प्रदूषण बढ़ता जावै, विकास के नारे टेर दिए
जंगल जमीन खान बेचे,  विकास का खेल रचाया रै।।
म्हारे देश के विकास नै, यो प्रदूषण घणा फैलाया रै।।
3
प्रदूषण कारण लाखों लोग बख्त तैं पहल्यां मरज्यावैं
ये प्रदूषण उम्र करोड़ों की कई साल कम कर ज्यावै
पूरे भारत देश म्हारे मैं, प्रदूषण नै कहर मचाया रै।।
म्हारे देश के विकास नै, यो प्रदूषण घणा फैलाया रै।।
4
विकास की जागां देखो विनास की राही चाल रहे
पाणी सपड़ाया पेड़ काटे घणे कसूते घर घाल रहे
संभलो जनता कहै रणबीर प्रदूषण नै देश रम्भाया रै।।
म्हारे देश के विकास नै, यो प्रदूषण घणा फैलाया रै।।