बेटी नै बचाओ, बेटी नै पढ़ाओ।
कुख म्ह मरवा कै ना पाप कमाओ।।
बेटी स अनमोल हीरा मान ल्यो बात।
किसे बी तरियां ना स छोरां तै घाट।
झूठ नहीं स आँख खोल कै लखाओ।।
बेटी कित सी पिछड़ रही थम बताओ।।
दो दो कुलां की लाज इनके काँधे धरी।
पढ़ाओ ना इणनै, क्यूँ थारी आँख मिच री।
खुद बी समझो औरां नै बी समझाओ।।
बेटा बेटी का यू मन तै फर्क मिटाओ।।
हरियाणा सरकार बेटी बचाना चाहवै।
बेटियां नै आपणी मुफ़्त पढ़ाना चाहवै।
पढ़ा लिखा कै बेटी नै रोजगार दिलवाओ।।
कमाती देख बेटी नै थम ख़ुशी मनाओ।।
सुलक्षणा बी बेटी हो कै नाम कमा री स।
लोगाँ नै जागृत करण का बेड़ा ठा री स।
बेटा बेटी का अनुपात बराबर लाओ।।
हरियाणे की न्यारी पहचान बनाओ।।
©® डॉ सुलक्षणा अहलावत
कुख म्ह मरवा कै ना पाप कमाओ।।
बेटी स अनमोल हीरा मान ल्यो बात।
किसे बी तरियां ना स छोरां तै घाट।
झूठ नहीं स आँख खोल कै लखाओ।।
बेटी कित सी पिछड़ रही थम बताओ।।
दो दो कुलां की लाज इनके काँधे धरी।
पढ़ाओ ना इणनै, क्यूँ थारी आँख मिच री।
खुद बी समझो औरां नै बी समझाओ।।
बेटा बेटी का यू मन तै फर्क मिटाओ।।
हरियाणा सरकार बेटी बचाना चाहवै।
बेटियां नै आपणी मुफ़्त पढ़ाना चाहवै।
पढ़ा लिखा कै बेटी नै रोजगार दिलवाओ।।
कमाती देख बेटी नै थम ख़ुशी मनाओ।।
सुलक्षणा बी बेटी हो कै नाम कमा री स।
लोगाँ नै जागृत करण का बेड़ा ठा री स।
बेटा बेटी का अनुपात बराबर लाओ।।
हरियाणे की न्यारी पहचान बनाओ।।
©® डॉ सुलक्षणा अहलावत
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