Sunday, 15 May 2016

वैज्ञानिक नजर

वैज्ञानिक नजर के दम पै जिन्दगी नै सुमार लिये।

जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।

सादा रैहणा उंचे विचार साथ मैं पौष्टिक खाणा यो

मानवता की धूम मचै चाहिये इसा संसार बसाणा यो

सुरग की आड़ै नरक की आड़ै ना कितै और ठिकाणा यो

पड़ौसी की सदा मदद करां दुख सुख मैं हाथ बंटाणा यो

धरती सूरज चौगरदें घूमै ब्रूनो नै प्रचार किये।।

साच बोलणा चाहिये पड़ै चाहे थोड़ा दुख बी ठाणा रै

नियम जाण कुदरत के इसतै चाहिये मेल बिठाणा रै

हाथ और दिमाग तै कामल्यां चाहिये दिल समझाणा रै

गुण दोष तै परखां सबनै अपणा हो चाहे बिराणा रै

जांच परख की कसौटी पै चढ़ा सभी संस्कार लिये।।

इन्सान मैं ताकत भारी सै नहीं चाहिये मोल घटाणा

सच्चार्इ का साथ निभावां पड़े चाहे दुख बी ठाणा

लालची का ना साथ देवां सबनै चाहिये धमकाणा

मारकाट की जिन्दगी तै र्इब चाहिये पिंड छटवाणा

पदार्थ तै बनी दुनिया इसनै चीजां को आकार दिये।।

दुनिया बहोतै बढि़या इसनै चाहते सुन्दर और बणाणा

जंग नहीं होवै दुनिया मैं चाहिये इसा कदम उठाणा

ढाल-ढाल के फूल खिलैं चाहिये इनको आज बचाणा

न्यारे भेष और बोली दुनिया मैं न्यारा नाच और गाणा

शक के घेरे मैं साइंस नै रणबीर सब डार दिये।।

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