गरीबां की मर आगी हरयाणा के समाज मैं ||
रैहवन नै मकान कडै , खावन नै नाज नहीं
पीवन नै पानी कडै , बीमार नै इलाज नहीं
महंगाई जमा खागी हरयाणा के समाज मैं ||
कपास पीटी धान पीट दिया गेहूं की बारी सै
गीहूं की गोली खा खा मार्गे हुई घनी लाचारी सै
किसान की धरती जागी हरयाणा के समाज मैं ||
बदेशी कंपनी कब्ज़ा करगी ये हिंदुस्तान मैं
लाल कालीन बिछाए किसने इनकी श्यान मैं
इतनी घनी क्यों भागी हरयाणा के समाज नै ||
महिलाओं पै अत्याचार बढे आंख म्हारी मींच्गी
दलितों के ऊपर क्यों तलवार म्हारी खिंचगी
रणबीर की छंद छागी हरयाणा के समाज मैं ||
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