Monday, 3 February 2014

पछतावैगा

चमेली और विक्रम मुनक गाओं के रहने वाले हैं । साक्षर भारत में काफी जोर शोर से काम किया ।  अब ज्ञान विज्ञानं समिति के सदस्य हैं । भगत सिंह के सपनो का भारत बनाने का उनका सपना है । अचानक आप की दिल्ली में जीत से विक्रम काफी प्रभावित हो जाता है और मन बना लेता है आप में जाने का । चमेली मना  करती है और क्या कहती है विक्रम को भला ---
मतना आप मैं जावै , चमेली न्यूँ  समझावै , तेरी समझ ना आवै 
                                                           तूँ पाछै पछतावैगा ॥ 
जनता नै दुखी होके नै बी जे पी कांग्रेस ढहा दई हो 
उम्मीद हम सब की जीत नै चारोँ कांही बढ़ा दई हो 
कांग्रेस बी जे पी भ्रष्टाचार की ढकनी या उठा दई हो 
जनता की ताकत कितनी दोनूंआं तैं सै दिखा दई हो 
दबाव हम बनावैं , सही रास्ता दिखावैं , भीतर तो घुट ज्यावै 
                                                           दबाव काम आवैगा ॥ 
भ्रष्टाचार की जड़ गहरी लड़ना इतना आसान कड़ै 
बाजार की व्यवस्था जड़ सै इब करना घमासान पड़ै 
व्यवस्था बदलै ना जब तक कठ्ठा हो ना किसान लड़ै 
शाषक हमनै पीटण खातर  नए नए तीर कमान घड़ै 
नब्बै दस का रोला सै , शाषक नहीं बोला सै ,संस्कृति का लाठोला सै 
                                                           रोज साँस चढावैगा ॥ 
जात  गोत  नात मजहब मैं किसान कसूते बाँट दिए
मुजफ्फर नगर मैं पुरानी एकता के ये पर काट दिए
साम्प्रदायिकता के सांटे गेल्याँ सबके बैल हांक दिए
जाट किसान मुस्लिम किसान न्यारे न्यारे छाँट दिए
याद छोटू राम आवै , कूण आज धीर बंधावै ,हटकै प्रेम बढ़ावै
                                                          एकता हटके ल्यावैगा ॥
भाई अर बहनो सुणल्यो आज का दौर कसूता घना
बेचैनी बढ़ती आवै देखो शासक वर्ग तो नपूता घना
बेचैनी का फायदा ठाकै डाकू बनया चाहवै सपूता घना
डैमोक्रेसी खतरे मैं गेरदी शासक हुआ कपूता घना
आज खिंचाई रघबीर , भारत की तस्वीर , गरीब की तहरीर
                                                        हरियाणे नै जगावैगा ॥



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