Saturday, 18 January 2014

Raat andheree

गरीब किसान
किसके आगै जाकै रोउं मैं चारों तरफ अन्धेरा दीखै रै
रात अन्धेरी का मनै नहीं होन्ता ईब सबेरा दीखै रै
दो भाई दो बाहण मेरे सैं या पांच किल्ले धरती म्हारी
दोनों भाई करैं सैं पढ़ाई या हाली की मेरी जिम्मेदारी
मेहनत दिन रात पड़ै करनी गर्मी सर्दी खेणी हो सारी
टिड्डी आज्यां कै ओले पड़ज्यां देज्यावैं सारे कै बुहारी
दो भैंस दो बुलध गैल इनकी यो दुखी चितेरा दीखै रै।।
दोनूं भाई पढ़ण खंदाये फिकर सै उनकी पढ़ाई का
बाहण दोनूं मेरी साथ खेत में हा़थ बंटावैं भाई का
कई बोले पढ़ाओ छोरियां नै मत करो काम बुराई का
मेरे मां बाबू चाहवैं दिल तैं करना यो काम भलाई का
छोरियां के ब्याह की चिन्ता दुखी बाबू का चेहरा दीखै रै।।
एक भाई जेबीटी करकै मास्टरजी की नौकरी पाग्या रै
दूजा भाई पहलवानी का पुलिस भर्ती मैं फायदा ठाग्या रै
दखे मनै बहोत घणी खुषी हुई उल्गा सांस मनै भी आग्या रै
पर सिवासण बाहण घरां बैठी यो फिकर घणा खाग्या रै
ये कई जोड़ी जूती टूटली मेल का कोन्या कमेरा दीखै रै।।
उन बख्तां मैं पांच सात पास बालक पाया करते रै
दस बारा साल की छोरी उसकी साथ लगााया करते रै
छो तीन साल पाछै दूसर कै सासरे मैं खंदाया करते रै
अपनी ताकत के हिसाब तैं सब दहेज जुटाया करते रै
रणबीर सिंह छोरी के ब्याह मैं खर्च करना भतेरा दीखै रै।।

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