Friday, 31 January 2014

किसान के शोषण के बारे एक गीत (रागनी )

किसान के शोषण के बारे एक गीत (रागनी )

मौलड़ कहकै तनै तेरा शोषण साहूकार करै ॥
मौलड़ कोन्या करम तेरे तैं तूँ ना इंकार करै ॥

भैंस खरीदी तनै जिब धार काढ़ कै  देखी  थी
बुलद खरीदया तनै जिब खूड बाह कै देखी थी
वैज्ञानिक ढंग अपनाये कौन नहीं स्वीकार करै ॥

हल की फाली तनै अपने सहमी तयार करायी
पिछवा बाल की महत्व तनै ध्यान मैं ल्याई
पूरी खेती बाड़ी मैं तर्क विवेक तैं सब कार करै ॥

एक  क्वींटल गंडे की तनै कितनी कीमत थ्यायी
इसकी बैठ कै तनै  कद  विवेक तैं हिस्साब लगाई
शीरा अर खोही कितनी थी नहीं खाता तैयार करै ॥

तनै मौलड़ कह्वानीया ना चाह्ता हिस्साब सीखाना \
हमनै तो चाहिए कमेरे म्हारी लूट का खाता बनाना
रणबीर बरोने  आला लिखकै तनै होशियार करै ॥

Saturday, 25 January 2014

sindhu ghati

सिन्धु घाटी
सुणले करकै ख्याल दखे, ये गुजरे लाखां साल दखे
सिंधु घाटी का कमाल दखे, यो गया कड़ै लोथाल दखे,
यो करकै पूरा ख्याल दखे, खोल कै भेद बतादे कोए।।
सुसुरता नै देश का नाम करया, वागभटट नै चौखा काम करया
ब्रह्रा गुप्त नै हिसाब पढ़ाया, आर्यभटट जीरो सिखाया
नालन्दा नै राह दिखाया, तक्षशिला गैल कदम बढ़ाया
तहलका चारों धा मचाया, ये गये कडै़ समझादे कोए।।
मलमल म्हारी का जोड़ नहीं, ताज कारीगिरी का जोड़ नहीं
हमनै सबको सम्मान दिया, सह सबका अपमान लिया
ग्रीक रोमन को स्थान दिया, भगवान का गुणगान किया
इसनै म्हारा के हाल किया, या सही तसबीर दिखादे कोए।।
दो सौ साल राजा म्हारे देस के, बदेसी बोगे बीज क्लेश के
फिरंगी का न्यों राज हुया, चिड़ी का बैरी बाज हुया
सारा खत्म क्यों साज हुआ, क्यों उनके सिर ताज हुया
क्यों इसा कसूता काज हुया, थोड़ा हिसाब लगादे कोए।।
लाहौर मेरठ जमा पीछै नहीं रहे, म्हरे वीर बहादुर नहीं डरे
फिरंगी देस के चल्या गया, कारीगर फेर बी मल्या गया
र्म जात पै छल्या गया, संविधा म्हारा दल्या गया
क्यों इसा जाल बुण्या गया, रणबीर पै लिखवादे कोए।।







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Friday, 24 January 2014

kon kise

कोण किसे की गेल्यां आया कोण किसे की गेल्यां जावै
सोचै के साथ जा शमशान घाट पर तैं  जब उल्टा आवै
दि न सलीके से उगा रात ठिकाने से रही
दोस्ती अपनी भी कुछ रोज ज़माने से रही
चाँद लम्हों को ही बंटी हैं मुसव्विर ऑंखें
\जिंदगी रोज तो तस्वीर बनाने से रही
इस अँधेरे में तो ठोकर ही उजाला देगी
रात जंगल में कोई शमअ जलने से रही
निदा फाजली

आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा
किश्ती के मुसाफिर ने समुन्दर नहीं देखा
बेवक्त अगर जाऊँगा सब चोंक पड़ेंगे
इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा
बशीर बद्र
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
तुमने मेरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नहीं देखा

Saturday, 18 January 2014

Raat andheree

गरीब किसान
किसके आगै जाकै रोउं मैं चारों तरफ अन्धेरा दीखै रै
रात अन्धेरी का मनै नहीं होन्ता ईब सबेरा दीखै रै
दो भाई दो बाहण मेरे सैं या पांच किल्ले धरती म्हारी
दोनों भाई करैं सैं पढ़ाई या हाली की मेरी जिम्मेदारी
मेहनत दिन रात पड़ै करनी गर्मी सर्दी खेणी हो सारी
टिड्डी आज्यां कै ओले पड़ज्यां देज्यावैं सारे कै बुहारी
दो भैंस दो बुलध गैल इनकी यो दुखी चितेरा दीखै रै।।
दोनूं भाई पढ़ण खंदाये फिकर सै उनकी पढ़ाई का
बाहण दोनूं मेरी साथ खेत में हा़थ बंटावैं भाई का
कई बोले पढ़ाओ छोरियां नै मत करो काम बुराई का
मेरे मां बाबू चाहवैं दिल तैं करना यो काम भलाई का
छोरियां के ब्याह की चिन्ता दुखी बाबू का चेहरा दीखै रै।।
एक भाई जेबीटी करकै मास्टरजी की नौकरी पाग्या रै
दूजा भाई पहलवानी का पुलिस भर्ती मैं फायदा ठाग्या रै
दखे मनै बहोत घणी खुषी हुई उल्गा सांस मनै भी आग्या रै
पर सिवासण बाहण घरां बैठी यो फिकर घणा खाग्या रै
ये कई जोड़ी जूती टूटली मेल का कोन्या कमेरा दीखै रै।।
उन बख्तां मैं पांच सात पास बालक पाया करते रै
दस बारा साल की छोरी उसकी साथ लगााया करते रै
छो तीन साल पाछै दूसर कै सासरे मैं खंदाया करते रै
अपनी ताकत के हिसाब तैं सब दहेज जुटाया करते रै
रणबीर सिंह छोरी के ब्याह मैं खर्च करना भतेरा दीखै रै।।

Saturday, 4 January 2014

आम आदमी नै या राजनीती खागड़ बनाते देर नहीं लगती / जनता को आम आदमी को नकेल डाल कर रखने की जरूरत है ।  अब यह जनता पर निर्भर करता है कि वह कौनसी नकेल डालती है जात पात की या ईमानदारी की और गुणवत्ता की । 

JANTA


Friday, 3 January 2014

रोहतक का हाल सुनो

रोहतक का हाल सुनो इसमैं जामां नै सिर घुमाया।।
किला रोड का जिकरा करते नहीं खाली स्थान बताया।।

आटो का औड़ रहया नहीं स्कूटी घणी ए घूम रही
मोटर बाईक टेढ़ी मेढ़ी ये भीड़ बीच मैं घूम रही
कारां का नहीं कोए ठिकाणा कडे़ तैं इतना पीस्सा आया।।

साइकिल चलाना मुश्किल सै कोए बी साइड मारज्या
पैदल का कोए खाता नहीं कोए बी छोह नै तारज्या
रोजाना रोड एक्सीडैंट होवैं मौत नै अपना खेल रचाया।।

एक्सीडैंट पाछै फिरैं ढूंढते नहीं वैंटीलेटर थ्यावै
सांस उपर नीचै होरी कोए मरीज कित लेज्यावै
वैंटीलेटर के नाम पर प्राईवेट नै जाल बिछाया।।

या वैंटीलेटर की लूट दखे घणे घर उजाड़ देवै
बीस हजार रोज का खर्चा बैलैंस नै बिगाड़ देवै
हाई टैक नै इलाज देखल्यो असमानां पै पहोंचाया।।