पन्दरा
अगस्त
पन्दरा
अगस्त
सैंतालिस
का
दिन
लाखां
जान
खपा
कै
आया।
घणे
हुये
कुर्बान
देस
पै
जिब
आजादी
का
राह
पाया।।
सैंतालिस
की
आजादी आज दो
हजार
आ
लिया
बस
का
भाड़ा
याद
करो
आज कड़ै
जा
लिया
सीमैंट
का
कट्टा
कितने
का
आज
कौणसे
भा
लिया
एक
गिहूं
बोरी
देकै
सीमैंट
हमनै
कितना
पा
लिया
चिन्ता
नै
घेर
लिये
जिब
लेखा-जोखा
आज
लगाया।।
आबादी
बधी दोगणी पर नाज चौगुणा पैदा करया
पचास
मैं
थी
जो
हालत
उसमैं
बताओ
के
जोड़ धरया
बिना
पढ़ार्इ
दवार्इ
खजाना
सरकारी
हमनै
रोज
भरया
र्इमानदारी
की
करी
कमार्इ फेर
बी
मनै कड़े सरया
भ्रष्टाचार
बेइमानी
नै
क्यों
सतरंगा
जाल
बिछाया।।
यो
दिन
देखण
नै
के
भगत
सिंह
नै फांसी
पार्इ
थी
यो
दिन
देखणै
नै
के
सुभाष
बोस
नै फौज
बनार्इ
थी
यो
दिन
देखण
नै
के
गाधी बापू नै गोली खार्इ थी
यो
दिन
देखण
नै
के
अम्बेडकर
ने
संविधान बनार्इ थी
नये-नये घोटाले
सुणकै
यो
मेरा
सिर
चकराया।।
गणतंत्रा
दिवस
पै
कसम
उठावां
नया
हरियाणा
बणावांगे
भगत
सिंह
का
सपना
अधूरा उसनै पूरा कर दिखावांगे
ना
हो
लूट
खसोट
देस
मैं
घर-घर
अलख
जगावांगे
या
दुनिया
घणी
सुन्दर
होज्या
मिलकै
हांगा
लावांगे
रणबीर
सिंह
मिलकै
सोचां
गया
बख्त
किसकै
थ्याया।।
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