Monday, 4 March 2013

ठारा सौ सतावन

ठारा  सौ सतावन से पहले का दौर कहते 
समाज में सब लोग सहमे सहमे रहते 
कैदियों को तोप के सामने खड़ा करके 
उड़ा देते वे गोरे पीठ पर तोप अड़ा करके 
हिर्दय विदारक दृश्य देख सब कांप जाते 
तोप की मार से कोई अंग नहीं बच पाते 
धमाके के साथ ही सर हवा में उड़ जाता 
ऊपर पहुँच धडाम से फिर नीचे पड़  जाता 
तब तक कालिख  से होता मुंह भी काला 
सिहर जाता यह दृश्य वहां पे देखने वाला 
फिर बाहें और टाँगें अलग अलग गिरते 
कुछ देर तक खून के थक्के हवा में फिरते 
आसमान में उडती गिधें करती थी इंतजार 
भूख मिटने को बढ़ती जाती वहां पर कतार 
इस सबके बावजूद लोगों ने कदम बढ़ाये 
अंग्रेजों की हकुमत पर बहुत सवाल उठाये 
ठारा  सौ सतावन में गुप्त योजना घड़ी गयी 
आजादी की पहली जंग हिन्द में लड़ी गयी 

No comments: