Wednesday, 6 March 2013

मैम्बर पंचायत चुनी



         तर्ज : फूल तुम्हें भेजा है
मैम्बर पंचायत चुनी गर्इ खुशी गात मैं छार्इ थी।
ज्ञान विज्ञान आल्यां नै किमै ज्ञान की बात बतार्इ थी।।
सबतै पहलम हुआ सामना डरकै देवर मेरे तैं
न्यों बोल्या बैठकां मैं नहीं जाणा बता दी बात तेरे तैं
भार्इ तै मैं बतला ल्यूंगा इशारे से मैं धमकार्इ थी।।
चाही लोगां तै बात करी घूंघट बीच मैं यो आण मरया
घूंघट खोलण की बाबत यो देवर नै घर ताण गिरया
पति मेरे नै साथ दिया पर कोण्या पार बसार्इ थी।।
म्हिने मैं एक मीटिंग हो इसा पंचायती कानून बताया
मैम्बर सरपंच करैं फैंसला जा फेर लागू करवाया
बिना मीटिंग फैंसले ले कै पंचायत पढ़ण बिठार्इ थी।।
क्यूकर वार्ड का भला करूं तिरूं डूबूं जी मेरा होग्या
सरपंच के चौगरदें बदमाशां का यो पूरा घेरा होग्या
घर आला बोल्याचाल सम्भल कै मैं न्यों समझार्इ थी।।
न्यारी-न्यारी सारे कै हम क्यों होकै लाचार खड़ी बेबे
यो हमला घणा भारया सै बिना हथियार खड़ी बेबे
     मजबूत संगठन बणावां रणबीर नै करी लिखार्इ थी।।

पन्दरा अगस्त



 पन्दरा अगस्त
पन्दरा अगस्त सैंतालिस का दिन लाखां जान खपा कै आया।
घणे हुये कुर्बान देस पै जिब आजादी का राह पाया।।
सैंतालिस की आजादी आज दो हजार लिया
बस का भाड़ा याद करो आज कड़ै जा लिया
सीमैंट का कट्टा कितने का आज कौणसे भा लिया
एक गिहूं बोरी देकै सीमैंट हमनै कितना पा लिया
चिन्ता नै घेर लिये जिब लेखा-जोखा आज लगाया।।
आबादी धी  दोगणी पर नाज चौगुणा पैदा करया
पचास मैं थी जो हालत उसमैं बताओ के जोड़  रया
बिना पढ़ार्इ दवार्इ खजाना सरकारी हमनै रोज भरया
र्इमानदारी की करी कमार्इ फेर बी मनै कड़े सरया
भ्रष्टाचार बेइमानी नै क्यों सतरंगा जाल बिछाया।।
यो दिन देखण नै के भगत सिंह नै फांसी पार्इ थी
यो दिन देखणै नै के सुभाष बोस नै फौज बनार्इ थी
यो दिन देखण नै के गाधी बापू नै गोली खार्इ थी
यो दिन देखण नै के अम्बेडकर ने संविधा बनार्इ थी
नये-नये  घोटाले सुणकै यो मेरा सिर चकराया।।
गणतंत्रा दिवस पै कसम उठावां नया हरियाणा बणावांगे
भगत सिंह का सपना धूरा उसनै पूरा कर दिखावांगे
ना हो लूट खसोट देस मैं घर-घर अलख जगावांगे
या दुनिया घणी सुन्दर होज्या मिलकै हांगा लावांगे
रणबीर सिंह मिलकै सोचां गया बख्त किसकै थ्याया।।