परंपरा की घूंटी मैं महिला तै जहर पिलाया बेबे
दुभांत छिपी हुई इसमें नहीं समझ मैं आया बेबे
धुर तैं धोखा करते आए आज की नयी बात नहीं
गरज गरज के प्यारे सैन फेर बूझते ये जात नहीं
द्रोपद जुए मैं हारी फेर युधिष्ठर नहीं शरमाया बेबे ||
रचा शादी पार्वती तै भोला जी उन्नै दूतकारै था
हरिचंद बी डायन बता कै मदनावत नै मारे था
दुष्यंत नै शकुन्तला भकाई न मुड़ कै लखाया बेबे ||
नल नै दमयंती की बी बन के मां साड़ी काटी बेबे
अंजना भी पवन के कारन उस्तै न्यारी पाटी बेबे
रूपा रानी को जोध नाथ नै जंगल राह दिखाया बेबे||
चापसिंह नै सोमवती पै झूठे इल्जाम लगाये बेबे
परंपरा और इज्जत के पहरे खूब बिठाये बेबे
अपनी खातर खुली छूट हमें बंधक बनाया बेबे ||
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