Monday, 30 May 2011

PARAMPARA AUR MAHILA KA SHOSHAN

परंपरा की घूंटी मैं महिला तै जहर पिलाया बेबे
दुभांत छिपी हुई इसमें नहीं समझ मैं आया बेबे
धुर तैं धोखा करते आए आज की नयी बात नहीं
गरज गरज के प्यारे सैन फेर बूझते ये जात नहीं
द्रोपद जुए मैं हारी फेर  युधिष्ठर नहीं शरमाया बेबे ||
रचा शादी पार्वती तै भोला जी उन्नै  दूतकारै था 
हरिचंद  बी डायन बता कै मदनावत नै मारे था 
दुष्यंत नै शकुन्तला भकाई न मुड़ कै लखाया बेबे ||  
नल नै दमयंती की बी  बन के मां साड़ी काटी बेबे
अंजना भी पवन के कारन उस्तै न्यारी पाटी  बेबे
रूपा रानी को जोध नाथ नै जंगल राह दिखाया बेबे|| 
चापसिंह नै सोमवती पै झूठे इल्जाम लगाये बेबे
परंपरा और इज्जत के पहरे खूब बिठाये बेबे
अपनी खातर खुली छूट हमें बंधक बनाया बेबे ||

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