Friday, 25 July 2025

किस्सा सफदर हाशमी

 किस्सा सफदर हाशमी

*****1

निचोड़ हो लिया

सफ़दर जी की हत्या से निचोड़  हो लिया।।

हुया  हड्खाया राजवर्ग यो तोड़ हो लिया।।

1

एक जनवरी साल नवासी मोटा चाला होग्या

हुया हमला सफ़दर ऊपर घायल कुढाला होग्या

हमलावर खुद राज करनीये खुल्ला पाला होग्या 

सफ़दर के नाटक का ढंग योतै  निराला होग्या  

यो राजनीती और हत्या का गठजोड़ हो लिया ।।

2

चारों कूट मैं शोक फैलग्या कूकी दुनिया सारी 

गाँव गाँव और शहर शहर मैं  दुखी हुए नर नारी    

पैरिस लन्दन रोम के अन्दर सदमा था बड़ा भरी

कलाकार था जग मैं नामी थी संस्कृति प्यारी 

यो सरकारी चिलत्तर का भन्दा फोड़ हो लिया ।।

3

सफ़दर हाश्मी डस लिया सर्प राज का काला है

अभिव्यक्ति की आजादी का इब तक यो टाला है

राजवर्ग की भाषा बोलो वर्ना मुंह पर  ताला है

साच पर से जो पर्दा ठावै उसी ज्यान का गाला है

राजवर्ग सारी जगह का दीखे एक औड हो लिया ।।

4

जल्दी संभलो रचना कारो कला पर यो हमला है

जन पक्ष की कला हमारी ना बिल्कुल ये अबला है  

रोंदना चाहते हो तुम  जैसे करता हाथी पगला है

हबीब भारती विचार करों  क्या कदम हमारा अगला है

वर्ग लुटेरा हत्यारा यो एक ठयोड़  हो लिया ।। 


******2

भारी दिल से साथी सारे हो नतमस्तक करैं प्रणाम।।

सभी श्रद्धा के फूल चढ़ावैं सफदर हाशमी तुम्हें सलाम।।

1)

सारे मिलकर कसम उठाएं जन जन तक ले जाएं पैगाम 

जो काम ये रहा अधूरा हम इसे पूरा देंगे सर अंजाम 

कभी ना देखें सुबह शाम सफदर हाशमी तुम्हें सलाम। 

2)

चलें उस पर जो राह तेरी ना करना बिल्कुल आराम 

सच्चाई का बिगुल बजावें कांप उठेंगे ये चारों धाम 

हो बदमाशों की नींद हराम सफदर हाशमी तुम्हें सलाम।

3

भरोसा है हम सबको सहादत जावे ना ये नाकाम 

सारी जनता पुकार उठी  है गुंडागर्दी को कसो लगाम

इंसानियत ना करो बदनाम सफदर हाशमी तुम्हें सलाम।

4

जाकर सभी अलख जगायें ठीक गलत का यह संग्राम 

जनता जब सुर में बोलेगी नहीं रहें फिर दूर मुकाम 

गूंजता रहेगा तुम्हारा नाम सफदर हाशमी तुम्हें सलाम।

5

सॉरी जनता अब जागेगी अभिव्यक्ति ना रहे गुलाम 

बोवे पेड़ बबूल का तो कहां से उगेंगे खेत में आम 

मुनाफाखोर ये बड़ा छद्दाम सफदर हाशमी तुझे सलाम।

6

हल्ला बोल को हम ले जाएंगे हर शहर और हर गाम रणबीर सिंह कैसे भूले शब्द तेरी कला तेरा कलाम 

साथी मरा नहीं गुमनाम सफदर हाशमी तमे तुम्हें सलाम।

******3

मौत सफदर की दिन धौली घंटी कानों के म्हां बजा गई।

बात कहण का हक सै म्हारा निशान सवालिया लगा गई।

1

तीन मुँही नागिन काली सी या गुंडागर्दी फण ठावै सै 

एक फण पै गुंडा बैठकै चाकू छुरी पिस्तौल चलावै सै 

दूजे फण पै पुलिस बैठकै गुंडयां का साथ निभावै सै 

तीजे फण पै शासक बैठकै पूरा ए प्रपंच यो रचावै सै 

मेरा रोम-रोम कर्णावै सै चोट छाती के भीतर समा गई ।

2

अपनी ज्यान की परवाह की ना दूज्यां की जान बचाई सै 

हिर फ़िर दीखै सफदर उसनै ज्यान की बाजी लाई सै

दरवाजे पै अड़या अंगद बणकै सीने मैं लाठी खाई सै

कलाकार था पक्का सुणले कला मैं ज्यान खपाई सै

चिता जली जब थारी हाशमी आग मन के म्हां लगा गई।

3

माला हाशमी नै मशाल उठाई साहिबाबाद फेर पहुंच गई 

वाहे जागां नाटक वोहे लेकै दरबारे जनता मैं पहुंच गई

शेरनी बरगा जिगरा लेरी दीखै फर्ज निभावण पहुंच गई 

बोल जमूरे हल्ला बोल बस्ती मैं दिखावण पहोंच गई

माला तेरी फोटो अखबारां मैं हुक दिल के म्हां उठा गई।

4

शरीर तेरे नै बेशक हमतैं अपना नाता तोड़ लिया सै 

कला तेरी तेरे कलाम तैं हमनै नाता जोड़ लिया गुंडागर्दी की राजनीति तैं मनै तो मूंह मोड़ लिया सै

समझण आले नै रणबीर काफी बता यो निचोड़ दिया सै

गुंडा गर्दी के खिलाफ मौत फिजां भारत के म्हां बणा गई 

5.1.1989

****4

जनतंत्र का असली चेहरा आंख्यां के स्याहमी आग्या।

इस की बुराई करनिया नै यो जमा जान तै खाग्या।

1

मेरा मन होया उदास सफदर हाशमी साथी खास 

कोण्या देखी जावै लाश रंज गात मैं छाग्या।

2

मनै पाट्या कोण्या तोल कौन करै इतनी रोल दिन धोली गुंडा टोल उड़ै क्युकर गोली चलाग्या।

3

गुंडे पुलिज़ यार हुए, मजदूरों पर वार हुए  ऊपर मालिक असली सवार हुए सफदर असली बात बताग्या।

लूटैं डाकू चोर लुटेरे दिखावै नुक्कड़ असली चेहरे, म्हारे घालै बैरी घेरे सफदर घेरा तोड़ बगाग्या। 


*****5

तेरी कला के मोल का गुंडागर्दी के ढोल का आज तोड़ खुलासा होग्या रै।।

1

तेरी मौत की खबर सुनी मेरै बाकी रही कोण्या जनतंत्र का चेहरा साहमी मनै दिखाई देरया आज मोटा रास्सा होग्या रै।।

2

तेरी मौत हुए पाछे बेरा लाग्या कद और काठी का

पीठ तनै कति दिखाई कोण्या सीने मैं घा लाठी का 

मौत तैं बढ़कै असूल रहे सबके होठां पै झूल रहे उनका उलटा पाशा होग्या रै।

3

मेरी नजरां के म्हां मोल बढ़ग्या तेरे ईमान का एक दिन विचार तेरा चेहरा बदळै हिंदुस्तान का बैरी दुखी खासा होग्या रै।

4

ब्रेख्त के लवै पहुंच गया दुनिया रुक्के मारै 

बैरी संग महलां के म्हां रणबीर आज बिचारै 

नुक्कड़ तेरा प्यासा होग्या रै । 


********6

इबारत पढ़ली माला नै चेहरे के ऊपर लिखी हुई। 

तसवीर बैरी की देखी आंख्यां कै म्हां खींची 

हुई। 

1

पूरा साथ निभावण की कसम वो अपनी तोड़ चल्या 

माला पूरा करिए वो काम जो मैं अधूरा छोड़ चल्या 

कैहगी मुंह मैं मोड़ चल्या बिपता के म्हं फंसी 

हुई। 

2

हाशमी की आंख्यां मैं पूरा भरत देश दिया दिखाई

पंजाब का भंगड़ा लँगड़ा क्यों भाई का दुश्मन भाई

कितै लुटै भरतो भरपाई मुट्ठी हाशमी की भिंची हुई।

3

माला की हद छाती सै जो इतना सदमा ओट 

गई

आंसू पीगी वा हटकै जीगी छिपा अपनी चोट 

गई

साहिबाबाद उल्टी लौट गई हलचल उड़ै मची 

हुई।

4

बिना सफदर माला नै नाटक वोहे फेर खेल दिया था

उड़ै आतंक गुंडागर्दी का रणबीर कर फेल दिया था

इतना बता गेल दिया था याद दिल के म्हां बसी हुई।

7

सारे भारत मैं जाग हुई थारी मौत बनगी चिंगारी।। 

कला सड़कों पै आ उतरी करी लड़ने की तैयारी।।

1

भारत पाकिस्तान साथ मैं घणे देश तैयार हुए

कवि सम्मेलन साथ मैं नाटक कई हजार हुए

दुखी राजदरबार हुए माला हाशमी अलख जगारी।।

2

मोटे राम खेल्या नाटक दिल्ली मैं मशहूर हुया

थारी कला का प्रेमी यो दिल्ली का मजदूर हुया

क्यों हत्यारा मगरूर हुया ना कोये बात बिचारी।।

3

नाटक टीवी लिखना पढ़ना सब क्याहें मैं आगै था

नुक्कड़ नाटक इसा दिखावै जो देखै वोहे जागै था

दुश्मन नैं डर लागै था क्यों थारी कलम पुकारी।।

4

म्हारा काफिला बढ़ता जागा दुश्मन हत्यारे दंग होंगे

पैदा होवैं हज़ारों सफदर आड़े आर पार के जंग होंगे

रणबीर सिंह न्यारे ढंग होंगे या दिल्ली आज बतारी।।

8*****

दो जनवरी सफदर हाशमी याद तनै संसार करै।।

आंसू गेरै शबाना आजमी नाटक माला त्यार करै।।

1

थारी कुर्बानी रंग ल्याई नुक्कड़ मंडली त्यार हुई

कला जो थांमनै सिखाई थी दुश्मन से दो चार हुई

माला हाशमी पतवार हुई या समुंद्र गैहरा पार करै।।

2

सहमत नै मंगोल पुरी मैं जनोत्सव साछी मनाया रै

जो सपना देख्या  सफदर नै साकार वही बनाया रै

आम आदमी सिखाया रै नुक्कड़ सही हथियार जरै।।

3

फिरकापरस्ती नै देश पै अपना घेरा डाल दिया देखो

माणस का बैरी माणस धर्म का फेरा घाल दिया देखो

गाना बना फिलहाल दिया देखो कलम या होशियार करै।।

4

हिन्दू मुस्लिम लड़ा दिए अपना मतलब काढण नै

सफदर नै खेल दिखाया फिरते सिर नै चांडण नै

रणबीर सिंह नै डांटण नै दुखी म्हारी सरकार फिरै।।



******9

वार्ता:

14.12.90 को सफदर हाशमी को याद करते हुए एक रागनी लिखी---

समाज की खातर कुर्बान हुए वे आज तलक तो मरे नहीं ।।

कुर्बान देश पर होने वाले कदे कभी किसी से डरे नहीं ।।

1

सफ़दर की हांसी हवा मैं आज भी न्योंये गूँज रही

चारों धाम था मच्या तहलका हो दुनिया मैं बूझ रही 

बैरी को नहीं सूझ रही पिछले गढ़े इब्बऐ भरे नहीं ।।

2

मीडिया मैं जगहां बनाई विडीयो बढ़िया त्यार करी थी

खिलती कलियाँ के महां बात सही हर बार करी थी 

जवानी उसकी हुनकर भरी थी गलत काम कदे करे नहीं ।।

3

जितने जीया सफ़दर साथी जीया जमा जी भर कै नै 

था लेखक बढ़िया अदाकार नुकड़ रच्या कोशिश कर कै नै 

निभाया वायदा मर कै नै जुल्मों से सफ़दर डरे नहीं ।।

4

एक सफ़दर नै राह दिखाई हजारों सफ़दर आगे आवैंगे 

माला हाश्मी बनी सै चिंगारी घर घर मैं अलख जगावैंगे 

हम फिरकापरस्ती तैं टकरावैंगे रणबीर के कलम जरे नहीं ।।

*****10

साथी सफदर हाशमी अब जनवादी आंदोलन का एक जबरदस्त प्रतीक बन गया है।

सलाम सफ़दर को सलाम । उनके बारे एक रागनी के माध्यम से कुछ कहने का प्रयास---

सफदर हाशमी गूँजै आज भी कानां मैं पैगाम थारा।।।

पूरा करण लागरे आज अधूरा रहया जो काम थारा।।

1

बाजार व्यवस्था माणस खाणी खत्म करी चाही थी

नाटक खेल्या साहिबाबाद मैं ज्यान की बाजी लाई थी

चश्मयां आला हंसता चेहरा मन मैं घूमै तमाम थारा।।

पूरा करण लागरे आज अधूरा रहया जो काम थारा।।

2

मफलर घाल गले मैं नुकड़ नाटक खेल्या थामनै था

कांग्रेस के गुंडयां का वार छाती पै झेल्या थामनै था 

मारकै बी कड़ै मार सके वे अमर होग्या नाम थारा।।

पूरा करण लागरे आज अधूरा रहया जो काम थारा।।

3

सारी बात लिखदयूं थारी नहीं ताकत कलम मेरी मैं

हम हरियाणे के कलाकार करां रोशनी रात अंधेरी मैं

मनुवाद हटकै करया चाहवै हिंदुस्तान गुलाम म्हारा।।

पूरा करण लागरे आज अधूरा रहया जो काम थारा।।

4

दिल की एक एक धड़कन मैं पूरा अहसास थारा यो

थारा मजमून याद पूरा दिल नहीं सै कति खारा यो

रणबीर सिंह इंकलाबी थामनै सफदर सलाम म्हारा।।

पूरा करण लागरे आज अधूरा रहया जो काम थारा।।


Thursday, 24 July 2025

स्मार्ट सिटी

धौला गाम सोहने का स्मार्ट गाम  बनावैंगे देखो।।
मीडिया मैं करा प्रचार वाह वाही पावैंगे देखो।।
1
पांच गाम छांटे कहते इननै स्मार्ट बनावैंगे रै
बाकी साढे़ सात हजार बाट मैं जीवन बितावैंगे रै
पांच का भी ना बेरा कितने स्मार्ट हो ज्यावैंगे देखो।।
2
दिल्ली मैं राष्ट्रपति नै उद्घाटन का बटन दबाया
गाम आल्यां नै बजा ताली उनका सम्मान जताया
दुनिया मैं खबर गई गाम नै चांद पै पहुँचावैंगे देखो।।
3
स्मार्ट सिटी स्मार्ट गाम बुलेटिन का नारा देखो
काला धन बैंक खात्यां मैं पंद्रा लाख आरया देखो
साथ सबका विकास सबका ये शगूफे सुनावैंगे देखो।।
4
गरीब की पढ़ाई सेहत सब पढ़न बिठाई भाई
अंबानी धोरै पहोंचा दी टैक्स लगा म्हारी कमाई भाई
सबक पांच नै ये पिचानवै जरूर 
सिखावैंगे देखो।।

Monday, 21 July 2025

तीज पर गीत 6


1*******
 *सन 14 की तीज का सुण्लयो हाल सुणाउं मैं।।*
*बोहर भालोठ आया देख कै ना पाई पींग बताउं मैं।।*
1
गुलगुले सुहाली मनै कितै टोहै पाये कोण्या सुनियो
नीम पीपल झूलैं जिनपै नजर आये कोण्या सुनियो
*काला दामण लाल चूंदड़ी ल्याकै कड़े तैं दिखउं मैं।।*
बोहर भालोठ आया देख कै ना पाई पींग बताउं मैं।।
2
नीम पीपल के डाहले पै जेवड़यां की पींग घालते रै
झूल झूलते तो ये पते टहनी उनकी गैल हालते रै
*मिलकै पड़ौसन झूल्या करती ईब कड़े तैं ल्याउं मैं।।*
बोहर भालोठ आया देख कै ना पाई पींग बताउं मैं।।
3
कोथली मैं सुहाली आन्ती ये पूड़े घरां बनाया करते 
कई दिन सुहाली पतासे रल मिलकै सब खाया करते 
*लंगर बांध देवर झोटे देता ये के के बात गिणाउं मैं।।*
बोहर भालोठ आया देख कै ना पाई पींग बताउं मैं।।
तीजां का त्यौहार साम्मण मैं मौसम बदल जावै देखो
अकेलापन दूर होज्या सै मेल मिलाप यो बढ़ावै देखो
*कहै रणबीर हुड्डा पार्क मैं तीस नै तीज मणाउं मैं।।*
बोहर भालोठ आया देख कै ना पाई पींग बताउं मैं।।

2********
 *तीज मनाया करते*
*पींघ घालकै  खूब झूलते हम नयों तीज मनाया करते।।*
*छोरी बहू सब कठठी  होकै शिवाले उप्पर जाया करते।।*
1
पहरकै  सूट रंग बिरंगे सब झूलन जाया करती हे
मिलकै साम्मन  के गीत हम बहोतै गाया करती हे
*देवर जयेठ  भी इधर  उधर डोलते नजर आया करते।।*
छोरी बहू सब कठठी  होकै शिवाले उप्पर जाया करते।।
2
दो दो पटड़ी पै खडी होकै खूब ए पींघ बधान्ती बेबे   
उप्पर जा सिर घूम जांता जिब ताले नै लखान्ती बेबे 
*देवर जयेठ देख नज़ारे बहोतै मजाक उड़ाया करते।।*
छोरी बहू सब कठठी  होकै शिवाले उप्पर जाया करते।।
3
दो च्यार घंटे सुख की साँस थोड़ी देर लिया करती 
एक दूजी के साहमी दिल अपना खोल दिया करती  
*मस्त साम्मन  का मौसम खीर हलवा बनाया करते।।*
छोरी बहू सब कठठी  होकै शिवाले उप्पर जाया करते।।
4
बेरा ना कित गयी वे तीज कर याद दिल भर आवै
बाजार की भेंट चढ़े त्यौहार म्हारी ना पर बासावै
*रणबीर सिंह मेहर सिंह बरगे  न्यारे छंद बनाया करते।।*
छोरी बहू सब कठठी  होकै शिवाले उप्पर जाया करते।।

3*******
 *सीढ़ी घड़ादे चन्दन रूख की सासड़ तीज ये मेरी आई री।।*
*चन्दन रूख ना म्हारै क्यों ना पीहर तैं घड़ा कै ल्याई री।।*
1
अपनी तैं दे दी झूल पाटड़ी म्हारे तैं  दिया यो पीसणा
फोडूँ री सासड़ चाक्की के पाट क्यों चाहवै मनै घिसणा
*आज तो दिन त्योहार का सै चाहिए ऊंच नीच भुलाई री।।*
2
मनै खन्दा दे री मेरे बाप कै बीर आया यो माँ जाया
बहु इबकै यहीं तीज मना री तेरा पिया छुट्टी आया
*गगन गरजै बिज्जल पाटै या मरती फसल तिसाई री।।*
3
लरज लरज कै जावै बहू या जाम्मन की डाहली देख
पड़कै नाड़ ना तुड़ा लिए तेरी मां देगी मनै गाली देख
*नन्द भी हचकोले मारैगी कहवैगी पहलम ना बताई री।।*
4
मन मैं गुद गुद सी माच रही झूलण जाऊं बाग मैं हे
चढ़ पींघ पै जोर लगा कै मैं पींघ बधाऊँ बाग मैं हे
*तीज रल मिलकै मनावां सारे रणबीर की या कविताई री।।*

4*****
 आज तीज मनाई
*मॉनसून नै इबकै नहीं घणी बाट  दिखाई बेबे।।*
*बरस्या खूब खुलकै सड़क पूरी ये तिराई बेबे।।*
1
साम्मण के मिहने मैं सारे कै हरयाली छाज्या
सोचै प्रदेश गया पति भाज कै घर नै आज्या  
*ना गर्मी ना सर्दी रूत या घणी ए सुहाई बेबे।।*
2
कोये हरया लाल कोये जम्फर पीला पहर रही 
बाँट गुलगुले सुहाली फैला खुशी की लहर रही 
*कोये भीजै बूंदां मैं कोये सुधां लत्यां नहाई बेबे।।* 
3
आयी तीज बोगी बीज आगली फसल बोई या 
झूला झूल कै पूड़े खाकै थाह मन की टोही या 
*हुड्डा सिटी पार्क मैं तीज पूरे दिन मनाई बेबे।।*
4
बाजार की संस्कृति नै म्हारी तीज जमा भुलाई 
इस मौके पर जाया करती  प्रेम की पींघ बधायी 
*कहै रणबीर सिंह करूँ आज की कविताई बेबे।।*

5*****
 
*पींघ घालकै  खूब झूलकै हमनै आज तीज मनाई।।*
*छोरी बहू सब कठठी होकै हुड्डा सिटी पार्क मैं आई।।*
1
पहर कै  सूट रंग बिरंगे सब झूलण उड़ै आये बेबे
मिलकै साम्मन के गीत उणनै बहोतै गाये बेबे
*अभिभावक संघ नै पार्क मैं आज पूरी तैयारी कराई ।।*
2
दो दो पटड़ी पै खडी होकै खूब ए पींघ बधान्ती देखी  
उप्पर जा सिर घूम गया जिब तले नै लखान्ती देखी
*देख नज़ारे झूलन के झूलन आली महिला बहोतै भाई।।*
3
दो च्यार घंटे सुख का साँस थोड़ी देर लिया पार्क मैं 
एक दूजे के साहमी दिल अपना खोल दिया पार्क मैं 
*हलवा खीर बना उड़ै सबनै मिलकै नै रजकै खाई।।* 
4
मिलकै उड़ै परिवारों गेल्याँ याद पुरानी ताजा करली
आगले साल फेर मिलांगें  सबनै हां मिलन की भरली
*रणबीर सिंह नै देख नजारा फेर तुरन्त छंद बनाई ।।*

6******
तीजां का त्यौहार 
 नया सूट पहर कै बेबे ,झूला झूलन चाल पड़ी।।
कूद मारकै चढ़ी पींग पै ,देखें सहेली साथ खड़ी ।।
1
झोटा लेकै पींघ बधाई , हवा मैं मेरी चुन्नी लहराई
ऊपर जाकै तले नै आई , उठें शरीर मैं झाल बड़ी।।
2
पींघ दूगनी बढ़ती आवै, चुनी हवा मैं उड़ती जावै 
झोटे की हींग बढ़ावै ,बाजैं पायां की ये छैल कड़ी।।
3
मुश्किल तैँ आयी तीज, फुहारां मैं गयी चूंदड़ी भीज
नयी उमंग के बोगी बीज, सुख की देखि आज घड़ी।।
4
रणबीर पिया की आई याद , झूलन मैं नहीं आया स्वाद
नहीं किसे नै सुनी फ़रियाद आंसूआं की या लगी झड़ी।।

7******* 
साम्मन  का मिहना आग्या फौजी छुट्टी नहीं आया तो सरोज फौजी की घरवाली एक चिठ्ठी के द्वारा क्या लीख कर भेजती है --------:
*साम्मन  आया  बाट दिखा कै तेरा पिया इंतजार मनै।।*  
*देखूं सूँ बाट शाम सबेरी तूं आवैगा यो एतबार मनै।।*
मन मैं उठें झाल घनी याद पाछला साम्मन आया हो 
सारे कुनबे नै तीज मनाई तनै झूला खूब झुलाया हो 
*खीर अर हलवा खाया हो तेरे संग बैठ भरतार  मनै।।*
देखूं सूँ बाट शाम सबेरी तूं आवैगा यो एतबार मनै।।
2
सरतो का घर आला देख्या मिहने की छुट्टी आरया सै
अपनी घर आली  नै वो तै पलकां उप्पर बिठा रया  सै
*अनूठा प्यार जतारया सै सूना लागे यो घर बार मनै।।*
देखूं सूँ बाट शाम सबेरी तूं आवैगा यो एतबार मनै।।
3
नान्ही नान्ही बूँद पड़ें काले बादल छाये चारों और
जोहड़ भरया मिंह के पानी तै बागां के मैं नाचें मोर 
*टूट्न आली सै मेरी डोर  देखी घनी बाट इस बार मनै।।*
देखूं सूँ बाट शाम सबेरी तूं आवैगा यो एतबार मनै।।
4
कई बै मोबाइल मिलाया आउट ऑफ रेंज पावै सै
दिल की बात समझ पिया यो रणबीर छंद बनावै सै 
*सरोज कितना चाहवै सै ना कदे करया इजहार मनै ।।* 
देखूं सूँ बाट शाम सबेरी तूं आवैगा यो एतबार मनै।
8*****
 *मतना देखिये बाट प्रेमकौर छूटी मनै मिली कोन्या।* 
*मनै कई तरियां बात करी कोए चाल चली कोन्या ।* 
1
पहर कै दाम्मण काला तीज मनावन जाईये जरूर 
फ़ौजी नै गीत लिख कै भेज्या सबनै बताईये जरूर
*जरूर तीज मनाईये कदे कहै पींघ तो घली कोन्या ।* 
2
पींघ बढ़ा कै नाक सासू की जरूर तोड़ कै नै ल्याईयो 
सुहाली पूड़े और गुलगले सब रल मिल कै नै खाईयों 
*आपस की राड़ घरां मैं होती जमा या भली कोन्या ।* 
3
सारे गाम नै मेरे तरफ की या राम राम दियो जरूर 
दोनो भान रहियो प्रेम तैं आदर सम्मान कियो जरूर 
*फ़ौज मैं हालात नहीं अच्छे लड़ाई इब्बै टली कोन्या ।* 
4
इस मिहने साम्मण की या रुत घनी गजब बताई
ईद बी आज काल मैं या जावै पूरे गुहांड मैं मनाई 
*रणबीर करै कविताई छाणी बरोने की गली कोन्या ।*

Friday, 18 July 2025

नूंह

नूंह मैं जाकै देखो किसनै जनता कै नूंह था चुभाया।।
वीडियो वायरल कर माहौल यो घणा खराब कराया। 
1
किसनै मंदिर मैं तैं गोली लोगां ऊपर चलाई देखो
इसके टेम की हमनै चाहिए या खोज कराई देखो
तलवार लठ और हथियार माहौल घणा था गरमाया।
2
धर्मांधता आले मुस्लिम युवा फेर अपनी पै आगे
वे भी यात्रियों के ऊपर उड़ै पत्थर फैंकण लागे
पुलिस खड़ी रही देखती कोहराम भीड़ नै  मचाया।।
3
छह लोग मारे गए ना तोड़ फोड़ का औड़ रहया
साधारण मेवाती जनता का जाता कोन्या कहया
गुरुग्राम और आस पास इसनै अपना असर दिखाया।।
4
सहज सहज हरियाणे कै असल बात समझ मैं आई
सांप्रदायिकता ना फैलाण देवां सांझी समझ
बनाई
रणबीर समझो सच्चाई नै  मेवात क्यों गया जलवाया।।

Wednesday, 16 July 2025

निजीकरण

 निजीकरण मुर्दाबाद 
गरीब और गरीब होग्या तरीका निजीकरण विकास का
अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का
1
कहते गरीबी दूर करांगे निजीकरण स्कीम चलाई गई
विकेंद्रीकरण कर दिया देखो बात खूब फैलाई गई
सल्फास किसान क्यों खावै के कारण उसके सत्यानाश का
अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का।।
2
निजीकरण की मार कितनी या भारत मैं बधांते जावांगे
भगत सिंह के सपन्यां आल्या समाजवाद कद ल्यावांगे
छल कपट छाग्या देखो कारण सै निजीकरण  घास का।।
अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का।।
3
अमीर अपणा आप्पा भूल गया पीस्से का आज दास हुया
निजीकरण बढ़ती जावै सै बाजार का दबाव आज खास हुया
स्कॉच चलै पांच सितारा मैं ख्याल ना म्हारी प्यास का।।
अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का।।
4
निजीकरण की हवस छागी लूटण की होड़ लगी रै
अमीर खूब एश करैं गरीब कै कसूती चोट लगी रै
रणबीर सिंह विरोध जतावै इस निजीकरण खास का।।
अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का।।
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 निजीकरण मुर्दाबाद 
अमीरों के महल अटारी, म्हारी झोंपड़ी ढहती जारी, निजीकरण की डांडी मारी, पेट अमीरों के फूल रहे।
1
अंबानी और अदानी की तल्हडू सै सरकार म्हारी
टैक्स बढ़ा कै नै इसनै जनता की खाल सै उतारी
जात धर्म पै बांट भाकरी, बढ़ी देश मैं बेरोजगारी, निजीकरण देश मैं छारी,
पकड़ मामले तूल रहे।।
2
या मेरिट पढ़ण बिठादी, शिक्षा की गुणवत्ता खोदी 
महिला विरोधी शिक्षा तैं शयान हरियाणा की डबोदी 
महिला की करें थानेदारी, करते ये फरमान जारी, निजीकरण के बने प्रचारी, पढ़े लिखे आज कर भूल रहे।।
3
विकास जनता का कहते, तिजौरी भरते अंबानी की
सब्सिडी खत्म गरीबों की बढ़ी सब्सिडी अडानी की
महिला खड़ी पुकार रही, क्यों बढ़ व्यभिचार रही, गैंग रेप की झेल मार रही, मर इंसानी असूल रहे।।
4
निजीकरण के विरोध का हम हटकै संकल्प लेवां रै
निजीकरण की व्यवस्था नै मिलकै झटका देवां  रै
यो बराने आला रणबीर, यो लिखता सही तहरीर, निजीकरण मामला सै गंभीर, क्यों इसपै बैठ झूल रहे ।।
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 निजीकरण की बीमारी , यो करजा चढ़ग्या भारी, हुई दुखी जनता सारी, महान हुया हरियाणा।
1
म्हारे बालक मरैं बिना दवाई, 
महंगी होंती जावै पढ़ाई,
निजीकरण साँस चढ़ारी , कारपोरेट अत्याचारी, मीडिया इसका प्रचारी, महान हुया हरियाणा।
2
जात पात मैं बाँटी जनता, विरोध किया तो काटी जनता
किसान की श्यामत आरी, महिला की इज्जत जा तारी, या निजीकरण छाती जारी, महान हुया हरियाणा।
3
निजीकरण के झटके देते,खबर म्हारी कदे ना लेते, 
होंती जा तबियत खारी, जनता हिम्मत नहीं  हारी, शासक हुया भ्रष्टाचारी, महान होया हरियाणा। 
4
महिला वंचित सुणल्यो सारे, बिना संघर्ष के नहीं गुजारे
लड़े हैं  तो निजीकरण  हारी , जीतैंगे भरतू  भरतारी , यो रणबीर म्हारा लिखारी, महान हुया हरियाणा ।

निजीकरण

निजीकरण मुर्दाबाद 
अमीरों के महल अटारी, म्हारी झोंपड़ी ढहती जारी, निजीकरण की डांडी मारी, पेट अमीरों के फूल रहे।
1
अंबानी और अदानी की तल्हडू सै सरकार म्हारी
टैक्स बढ़ा कै नै इसनै जनता की खाल सै उतारी
जात धर्म पै बांट भाकरी, बढ़ी देश मैं बेरोजगारी, निजीकरण देश मैं छारी,
पकड़ मामले तूल रहे।।
2
या मेरिट पढ़ण बिठादी, शिक्षा की गुणवत्ता खोदी 
महिला विरोधी शिक्षा तैं शयान हरियाणा की डबोदी 
महिला की करें थानेदारी, करते ये फरमान जारी, निजीकरण के बने प्रचारी, पढ़े लिखे आज कर भूल रहे।।
3
विकास जनता का कहते, तिजौरी भरते अंबानी की
सब्सिडी खत्म गरीबों की बढ़ी सब्सिडी अडानी की
महिला खड़ी पुकार रही, क्यों बढ़ व्यभिचार रही, गैंग रेप की झेल मार रही, मर इंसानी असूल रहे।।
4
निजीकरण के विरोध का हम हटकै संकल्प लेवां रै
निजीकरण की व्यवस्था नै मिलकै झटका देवां  रै
यो बराने आला रणबीर, यो लिखता सही तहरीर, निजीकरण मामला सै गंभीर, क्यों इसपै बैठ झूल रहे ।।