भ्रूण हत्या पर कुछ रचनाएं
रागनी ..1
सिस्टम की बदमासी
सिस्टम की बदमासी का आज पाटग्या तोल भाई।।
औरत नै औरत की दुश्मन कैहकै मारैं रोल भाई।।
1
ताकतवर सै पुरुष सदा प्रधान बताया सिस्टम नै
नारी को बस भोग की वस्तु कैह कै गाया सिस्टम नै
नारी तुम केवल श्रद्धा हो भरम फलाया सिस्टम नै
ढोल गंवार शुद्र पशु नारी जाल बिछाया सिस्टम नै
सम्पूर्ण मानव नारी सै क्यों कर रहे टाल मटोल भाई।।
औरत नै औरत की दुश्मन कैहकै मारैं रोल भाई।।
2
नारी का गुण लिहाज शर्म या बदमाशी सिस्टम की सै
बस केवल पतिव्रत धर्म या बदमाशी सिस्टम की सै
सब की सेवा खास कर्म या बदमाशी सिस्टम की सै
जात बीर की कति नर्म या बदमाशी सिस्टम की सै
औरत की असली ताकत का कोण्या जांच्या मोल भाई।
औरत नै औरत की दुश्मन कैहकै मारैं रोल भाई।।
3
असल छिपा कै कदे देब्बी कदे शक्ति गाई सिस्टम नै
रणचंडी का रूप कदे कहि काली माई सिस्टम नै
कदे सती कदे सावित्री कदे डायन बताई सिस्टम नै
खान नरक की काली नागण तोहमत लाई सिस्टम नै
मानवता देई लहको बजा कै न्यारे न्यारे ढोल भाई।।
औरत नै औरत की दुश्मन कैहकै मारैं रोल भाई।।
4
इस सिस्टम की जकड़न मैं कति रोल दिखाई दे ऱयी सै
यूं ढांचा सै उलझ पुलझ घमरोल दिखाई दे रयी सै
बेह माता खुद नारी पर अणबोल दिखाई दे ऱयी सै
डर मैं उसकी नियत भी कमतौल दिखाई दे ऱयी सै
इस सिस्टम के निर्माता की पड़ैगी पाड़नी पोल भाई।।
औरत नै औरत की दुश्मन कैहकै मारैं रोल भाई।।
5
नारी नर की पूरक सै मैं कति पूजणा चाहूँ सूँ
चोगरदै जब संकट गहरा सही सूझना चाहूँ सूँ
रोग की जड़ कितै और बताई सहम जूझणा चाहूँ सूँ
के नर नर का दुश्मन ना मैं बात बूझणा चाहूँ सूँ
आज मंगतराम दो कदम बढ़या सै मतना करो मखौल भाई ।।
औरत नै औरत की दुश्मन कैहकै मारैं रोल भाई।।
******
रागनी...2
एक गरीब परिवार की बहू खेत में घास लेने गई। वहां दो पड़ौस के लड़के उसे दबोच लेते हैं। क्या बनती है~~
कोए सुणता होतै सुणियो दियो मेरी सास नै जाकै बेरा।
ईंख के खेत मैं लूट लई छाग्या मेरी आंख्यां मैं अन्धेरा।
चाल्या कोण्या जाता मेरे पै मन मैं कसूती आग बलै सै
दिमाग तै कति घूम रहया यो मेरा पूरा गात जलै सै
पिंजरे मैं घिरी हिरणी देखो या देखै कितै कुंआ झेरॉ।
म्हारे दो पड़ौसी उड़ै खेत मैं घात लगायें बैठे थे
मुँह दाब खींच ली ईंख मैं ईथर भी ल्यायें बैठे थे
गरीब की बहू ठाड्डे की जोरू मनै आज पाटग्या बेरा।
यो काच्चा ढूंढ रहवण नै भरया गाळ मैं कीचड़ री
पति नै ना दिहाड़ी मिलती घरके कहवैं लीचड़ री
गुजारा मुश्किल होरया सै बेरोजगारी नै दिया घेरा।
नहां धोकै बाळ बाहकै घूमै खाज्या किलो खिचड़
उंकी इसी हालत घर मैं जण होसै भैंस का चीचड़
खिलौने बेच गालाँ मैं दो रोटी का काम चलै मेरा।
घरां आकै रिवाल्वर दिखा धमकाया सारा परिवार
बोल चुपाके रहियो नातै चलज्यागा यो हथियार
भीतरला रोवै लागै सुना मनै यो बाबयां बरगा डेरा।
मेरे बरगी बहोत घनी बेबे जो घुट घुट कै नै जीवैं
दाब चौगिरदें तैं आज्यावै हम घूँट जहर का पीवें
यो रणबीर कलम उठाकै कहै हो लिया सब्र भतेरा।
रागनी ...3
महिला की दास्ताँ
पेट मैं मारण की तैयारी, मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।।
क्यों चालै मेरे पै कटारी , मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।।
1
मातम मनाते मेरे होण पै छोरे पै बजती थाली क्यों
छठ छोरे की सारे मनाते गामां ताहिं के हाली क्यों
नामकरण करते छोरे का पढ़े लिखे और पाली क्यों
अग्नि देनी शमशान घाट मैं म्हारी करते टाली क्यों
पराया धन गई मैं पुकारी, मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।।
2
धन धरती का हक म्हारा, किसनै खोस्या हमनै बताओ
रिवाज पुत्र वंश चलाने का किसनै थोंप्या हमनै बताओ
दोयम दर्जा म्हारे ताहिं , किसनै सोंपया हमनै बताओ
म्हारा मान सम्मान दखे किसनै खोस्या हमनै बताओ
म्हारी जगाह सिमटती जारी, मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।।
3
स्वयंम्बर करकै पति चुनै या रही परंपरा म्हारी बताई
दमयंती नै नल के गल मैं माला खुद तैं डारी बताई
मातृ सत्ता म्हारे समाज मैं बहोत दिन रही जारी बताई
पितृ सत्ता की संस्कृति खुद बै खुद उभरती आरी बताई
आज या चारों कांहीं छाहरी, मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।।
4
धापां सीमा संतोष काफी यो नाम धरया भतेरी क्यों
सारी उम्र इन नामां करकै महिला झेलैं अंधेरी क्यों
दोयम दर्जा म्हारा समाज मैं लाज जावै बखेरी क्यों
कोई रास्ता नहीं देवै दिखाई चारों तरफ तैं घेरी क्यों
बनाई सां हम अबला नारी, मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।।
5
इसे माहौल मैं माता क्युकर बेटी पैदा करदे देखो
परिवार महिला की नाड़ पै तुरत कटारी धरदे देखो
माँ का कसूर कड़ै इसमैं चाहवै रंग जीवन मैं भरदे देखो
सन्तुलन जब बैठे जब हटैं समाज की आंख्यां तैं परदे देखो
या पूरे समाज की बीमारी, मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।।
6
औरत मर्द जड़ै बराबर वोहे समाज ठीक जताया सै
इस संकट की जड़ों मैं हाथ पितृ सत्ता का पाया सै
पुत्र लालसा छोरी मारै परिवारों नै जुल्म कमाया सै
परिवार पूरे समाज का दर्पण यो गया सही बताया सै
रणबीर की कलम पुकारी , मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।।
रागनी...4
रिश्ते
परिवार के रिश्ते सड़ते जावैं कसूता संकट छाया हे।।
म्हारे देश मैं औरत का वजूद गया बहोत दबाया हे।।
अन्याय नै समझन खातर या न्याकारी समझ होवै
न्यायकारी समझ होतै माणस होश हवास नहीं खोवै
औरत भी एक इंसान होसै सच यो गया छिपाया हे।।
किस पापी नै शरीर औरत का बाजार मैं दां पै लाया
शरीर के म्हां कै ऐस करो औरत को किसनै समझाया
उपभोग की वस्तु किनै बनाई किसनै जाल बिछाया हे।।
पितृसत्ता की ताकत भारी पुत्र लालसा इंकी जड़ मैं सै
औरत पुत्र पैदा कर मुक्ति पांवै या वेदों की लड़ मैं सै
पुत्री मार कर पुत्र पैदा सबक जान्ता रोज पढ़ाया हे।।
घर भीतर अन्याय होन्ता किसे तैं छिप्या रह्या कड़ै
घर परिवार सब दिखावा रणबीर किसकै घरां बड़ै
छोरी कै लील गेर दिए जिब धरती का डां ठाया हे ।।
रागनी...5
म्हारा हरियाणा
म्हारा हरियाणा दो तरियां आज दुनिया के मैं छाया।।
आर्थिक उन्नति करी पर लिंग अनुपात नै खाया।।
1
पेट मैं मारैं छाँट कै ये म्हारे समाज के नर नारी
समाज अपने कसूर की माँ कै लावै जिम्मेदारी
जनता हुई हत्यारी पुत्र लालसा नै राज जमाया।।
म्हारा हरियाणा दो तरियां आज दुनिया के मैं छाया।।
2
औरत औरत की दुश्मन यो जुमला कसूता चालै
आदमी का दुश्मन आदमी ना जो रोजै ए घर घालै
यो दबंग भक्कड़ बालै हरियाणा बदनाम कराया।।
म्हारा हरियाणा दो तरियां आज दुनिया के मैं छाया।।
3
पुराणी परम्परा वंश की पुत्र नै चिराग बतावैं
एक छोरा तै होणा चाहिए छोरियां नै मरवावैं
जुल्म रोजाना बढ़ते जावैं सुण कै कांपै सै काया।।
म्हारा हरियाणा दो तरियां आज दुनिया के मैं छाया।।
4
सारै अफरा तफरी माची महिला महफूज नहीं
बची जो पेट मार तैं उनकी समाज मैं बूझ नहीं
आती हमनै सूझ नहीं रणबीर घणा घबराया।।
म्हारा हरियाणा दो तरियां आज दुनिया के मैं छाया।।
रागनी....6
महिला विरोधी यो माहौल नजर हरयाने मैं आवै।।।
मातृशक्ति जिंदाबाद का उपरले मन तै नारा लावै।।
1
अशुरक्षा बढ़ाई चारों कान्ही महिला जमा घिरगी रै
महिला अजेंडा ठारे सें पर लिंग अनुपात गिरगी रै
दिशा म्हारी कदे गलत हो रोजाना याहे चिंता खावै।।
मातृशक्ति जिंदाबाद का उपरले मन तै नारा लावै
2
महिला महिला की बैरी झूठ पै गहटा जोड़ लिया
सच्ची बात किमै दूसरी उसतै मूंह क्यों मोड़ लिया
पितृसता पुत्र लालसा पै नहीं कोए आन्गली ठावै।।
मातृशक्ति जिंदाबाद का उपरले मन तै नारा लावै।।
3
म्हारी मानसिकता सुन् ल्यो हुई सै कसूती हत्यारी
धन दौलत मैं हिस्सा ना बात बात पर जा दुत्कारी
पूरी मोर्चे बंदी करदी कोये दरवाजा ना खुल्या पावै।।
मातृशक्ति जिंदाबाद का उपरले मन तै नारा लावै ।।
4
इसी निराशा मैं बी कई महिला आगे बढ़ी बताऊँ
खेलां मैं छाई सें करैं संघर्ष हर मोर्चे पै दिखाऊँ
रणबीर सिंह जी लाकै सच्चाई सबकै साहमी ल्यावै।।
रागनी..7
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ सारे मिलकै कसम उठावां।।
ये छोरी छोरा बराबर होज्यां हम इसा माहौल बनावां।।
पढावन का ब्योंत हो सबका माँ बाप नै रोजगार मिलै
बढ़िया पढ़ाई मिलै सबनै ना किसे नै अंधकार मिलै
पुत्र लालसा की कुरीति नै समाज तैँ बाहर भगावां।।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ सारे मिलकै माहौल बनावां।।
एक छोरा तो चाहिए जरूरी हमनै कुरीति भुलानी हो
बेटी बेटा ये होंसैं बराबर ईब नई सुरीति चलानी हो
सिर्फ दिखावा करांगे तो हत्यारे का कैसे कलंक हटावां।।
बेटी बचाओ---------------------।।
जितना चाहवै पढ़ पावै छोरी इसा माहौल बनाना हो
यो न पहरै वो ना पहरै यो रूढ़िवादी विचार हटाना हो
औरत बी इंसान माणकै जेंडर फ्रेंडली बाग़ लगावां ।।
बेटी बचाओ--------------------।।
युवा लड़की लड़के की ताकत देश निर्माण मैं लागज्या
भारत देश की ताकत का बेरा पूरी दुनिया नै पाटज्या
बराबर के हक मिलज्यां मिलकै नई लहर चलावां।।
बेटी बचाओ ------------------।।
रणबीर --
रागनी....8
महिला विरोधी यो माहौल नजर हरयाने मैं आवै।।।
मातृशक्ति जिंदाबाद का उपरले मन तै नारा लावै।।
1
अशुरक्षा बढ़ाई चारों कान्ही महिला जमा घिरगी रै
महिला अजेंडा ठारे सें पर लिंग अनुपात गिरगी रै
दिशा म्हारी कदे गलत हो रोजाना याहे चिंता खावै।।
मातृशक्ति जिंदाबाद का उपरले मन तै नारा लावै
2
महिला महिला की बैरी झूठ पै गहटा जोड़ लिया
सच्ची बात किमै दूसरी उसतै मूंह क्यों मोड़ लिया
पितृसता पुत्र लालसा पै नहीं कोए आन्गली ठावै।।
मातृशक्ति जिंदाबाद का उपरले मन तै नारा लावै।।
3
म्हारी मानसिकता सुन् ल्यो हुई सै कसूती हत्यारी
धन दौलत मैं हिस्सा ना बात बात पर जा दुत्कारी
पूरी मोर्चे बंदी करदी कोये दरवाजा ना खुल्या पावै।।
मातृशक्ति जिंदाबाद का उपरले मन तै नारा लावै ।।
4
इसी निराशा मैं बी कई महिला आगे बढ़ी बताऊँ
खेलां मैं छाई सें करैं संघर्ष हर मोर्चे पै दिखाऊँ
रणबीर सिंह जी लाकै सच्चाई सबकै साहमी ल्यावै।।
मातृशक्ति जिंदाबाद का उपरले मन तै नारा लावै ।।
रागनी..9
~~अजन्मी बेटी ~~
चिंघाड़ अजन्मी बेटी की हमनै देती नहीं सुणाई।
किस्सा जमाना आग्या हुये माणस कातिल अन्याई।
पेट मैं मरवाना सिखया तकनीक इसी त्यार करी
लिहाज और शर्म सारी पढ़े लिख्याँ नै तार धरी
महिला संख्या घटती जा दुनिया मैं हुई रूसवाई।
परम्परा और कई रिवाज ये बुराई की जड़ मैं रै
दुभांत महिला की गेल्याँ होवै सबके बगड़ मैं रै
छोरे की खातर छोरी पै कटारी पैनी सै चलवाई।
महिला कम हुई सैं ज्यां इनपै अत्याचार बढ़गे
खरीद फरोख्त होण लगी साथ मैं व्यभिचार बढ़गे
घर क3 भित्तर और बाहर ज्यांन बिघन मैं आई।
पुत्र लालसा की जड़ घनी गहरी म्हारे समाज मैं
दोयम दरजा और दुभांत छिपी सै इस रिवाज मैं
इस आधुनिक समाज नै और रापट रोल मचाई।
महिला शोषण के खिलाफ आवाज उठण लगी
विरोध की चिंगारी आज हरियाणा मैं दिखण लगी
समाज के एक हिस्से नै बराबरी की मांग उठाई।
महिला नै इस माहौल मैं अपने कदम बढ़ा दिए
पिछड़ी सोच आल्याँ के कई बै छक्के छुड़ा दिए
रणबीर नै भी साथ मैं या अपनी कलम घिसाई ।
****
रागनी...10
मेरे जी नै भाण गुलाबो घणा मोटा फांसा होग्या हे।।
बाहर भीतर संकट भारी घणा भूंडा रासा होग्या हे।।
1
मैं पैदा जिस दिन हुई घर मैं घणी मुरदाई छागी
भाई जिस दिन हुया पैदा दादी थाली खूब बजागी
बुआ मेरे होणे पै मेरी माँ नै घणी निरभाग बतागी
घर मैं चौथी छोरी आई मेरी मां नै चिंता खागी
सातवें जापे मैं हुया जिंगड़ा कुल की आशा
होग्या हे।।
2
बेटी ग़म खाणा चाहिए सीख सिखाई शाम सबेरी
पढ़ण की कही मां बोली क्यों ज्याण बहम मैं गेरी
मेरे तैं सूकी गंठा रोटी भाई नै दूध मलाई देरी
बेटा तै बड्डा होकै वंश चलावै माड़ी तकदीर मेरी
किसा राम राज आया घणा अजब तमाशा
होग्या हे।।
3
दुनिया कहै मनु स्मृति नै म्हारा बेड़ा पार किया
उसमैं ढेठी औरत गेल्यां कुल्टा जिसा ब्यो हार किया
सेवा करणा काम बीर का मनू जी नै प्रचार किया
सदियों से महिला का शोषण यो बारंबार किया
मनू नै भी डांडी मारदी बेबे तोड़ खुलासा
होग्या हे।।
4
बीर कहैं मर्द बराबर होसै असल मैं या बात नहीं
कहैं क्यूकर हो मर्द बराबर सै कोए औकात नहीं
भोग की चीज बणादी छोड्डी म्हारी कोए जात नहीं
कहैं मर्द कमावै ठाली ख़ावै करै कदे
खुभात नहीं
घर मैं पिसती बाहर मरण सै उल्टा हर पासा होग्या हे।।
5
दिन धौली दें मार लुगाई घणा बुरा जमाना आया
कुणसे कांड गिनाऊं आज दुर्योधन भी शरमाया
स्टोवां नै भी नई ब्याहली काँहिं अपना मुंह सै बाया
गर्भ बीच चलावैं कटारी ये चाहते पिंड छुटवाया
महिला आज बोझ बताई मजाक खासा होग्या हे।।
6
एक जीनस दी बना लुगाई समाज नै कमाल किया
बीर का मर्द बता बैरी खड़या नया बबाल किया
सास बहू का ईसा रिश्ता खड़या कर जंजाल दिया
बीच बाजार मैं बिठा दी बिछा कसूता जाल दिया
म्हारे देश मैं औरत का दर्जा तोले तैं मासा
होग्या हे।।
7
रल मिल सोच समझ कै इब आगै बढ़ना होगा
अंध विश्वास पडै़ छोड़ना नया इतिहास गढ़ना होगा
नए दौर का नया सबेरा नई राही पै चढ़ना होगा
सोच समझ कै अपने हकों खातर कढ़ना होगा
रणबीर की बात सुणी मेरै चांदना खासा
होग्या हे।।
रागनी...11
जागी महिला अब हरियाणे की
जुल्मो सितम नहीं सहेंगी महिला अब हरियाणे की।।
आगे बढ़कर बात करेंगी महिला अब हरियाणे की ।।
1
खेतों में खलिहानों में दिन रात कमाई करती हैं
फिर भी दोयम दरजा हम बिना दवाई मरती हैं
बैठी बैठी नहीं सहेंगी महिला अब हरियाणे की।।
आगे बढ़कर बात करेंगी महिला अब हरियाणे की ।।
2
देवी का दरजा देकर इस देवी को किसने लूटा
सदियों से हम गई दबाई समता का दावा झूठा
दहेज़ की बलि नहीं चढ़ेंगी महिला अब हरियाणे की ।।
आगे बढ़कर बात करेंगी महिला अब हरियाणे की ।।
3
इंसान बन गए हैवान आज होते हैं अत्याचार
यहाँ देखो नैया डूब रही अब हम थामेंगी पतवार
अबला बनकर नहीं मरेंगी महिला अब हरियाणे की।।
आगे बढ़कर बात करेंगी महिला अब हरियाणे की ।।
4
आगे बढे ये कदम हमारे पीछे ना हटने पायेंगे
जो मन धार लिया हमने अब करके वही दिखाएंगे
रणबीर सारी बात लहेंगी महिला अब हरियाणे की।।
आगे बढ़कर बात करेंगी महिला अब हरियाणे की ।।
रागनी ...12
जागी महिला हरियाणे की
करकै कमाल दिखाया सै, मिलकै नै कदम उठाया सै, खेतां मैं खूब कमाया सै, जागी महिला हरियाणे की।।
1.
देश की आजादी खातर अपणी ज्यान खपाई बेबे
गामड़ी सांघी खिडवाली मैं न्यारी रीत चलाई बेबे
लिबासपुर रोहणात मैं बहादरी थी दिखलाई बेबे
अंग्रेजां तै जीन्द की रानी गजब करी लड़ाई बेबे
अंग्रेजां का भूत बनाया, यो सब कुछ दापै लाया,
देश आजाद कराणा चाहया जागी महिला हरियाणे की।।
2.
देश आजाद होये पाछै हरित क्रांति ल्याई बेबे
खेत क्यार कमावण तै कदे नहीं घबराई बेबे
डांगर ढोर संभाले हमनै दिन रात कमाई बेबे
घर परिवार आगै बढ़ाये स्कूलां करी पढ़ाई बेबे
हरियाणा आगै बढ़ाया सै ,सात आसमान चढ़ाया सै,
गुण्डयां का जुलूस कढ़ाया सै, जागी महिला हरियाणे की।।
3.
हमनै गाम बराहणे मैं दारू बन्दी पै गोली खाई सै
खेलां के मैदानां मैं जगमति सांगवान खूबै छाई सै
सुशीला राठी बड्डी डॉक्टर हरियाणे की श्यान बढ़ाई सै
नकल रोकती बाहण सुशीला जमा नहीं घबराई सै
चावला नै नाम कमाया सै, महिला का मान बढ़ाया सै
यो रस्ता सही दिखाया सै, जागी महिला हरियाणे की।।
4.
संतोष यादव बाहण म्हारी करकै कमाल दिखाया हे
सुमन मंजरी डीएसपी पुलिस मैं नाम कमाया हे
सांगवान मैडम नै बिमल जैन तै सबक सिखाया हे
नवराज जयवन्ती श्योकन्द जीवन सफल बनाया हे
ज्योति अरोड़ा सरोज सिवाच प्रशासन खूब चलाया हे
ये आगै बढ़ती जारी बेबे, करकै कमाल दिखारी बेबे
रणबीर मान बढ़ारी बेबे, जागी महिला हरियाणे की।।
रागनी...13
सावित्री बाई फुले के पुण्य दिवस के मौके पर
एक रागनी----
सावित्री बाई फुले आपको शत शत है प्रणाम म्हारा।।
पहली महिला शिक्षक देश की लिया जावै नाम थारा।।
1
तीन जनवरी ठारां सौ कतीस जन्मी दलित परिवार मैं
नौ साल की की शादी होगी ज्योतिराव फुले के घरबार मैं
उन बख्तों मैं समाज सुधार का था मुश्किल काम थारा।।
पहली महिला शिक्षक देश की लिया जावै नाम थारा।।
2
महिला शिक्षा की खातिर सबतैं पहला स्कूल खोल दिया
रूढ़िवादी विचारकों नै डटकै हमला थारे पै बोल दिया
ना पाछै कदम हटाये महिला स्कूल खोले तमाम ठारा।।
पहली महिला शिक्षक देश की लिया जावै नाम थारा।।
3
बाल विवाह के खिलाफ विधवा विवाह ताहिं छेड़ी जंग
सती प्रथा छुआछूत के किले विचार फैला करे थे तंग
ब्राह्मण विधवा गर्भवती का ज़िम्मै लिया इंतज़ाम सारा।।
पहली महिला शिक्षक देश की लिया जावै नाम थारा।।
4
ब्राह्मण ग्रंथ मत पढ़ो जात पात से बाहर आ जाओ
मेहनत से जाति बन्धन तोड़ो शिक्षा पूरी तम पा जाओ
लिखै रणबीर बरोने आला महिला शिक्षा का पैगाम थारा।।।
पहली महिला शिक्षक देश की लिया जावै नाम थारा।
रागनी...14
भटेरी गांव की भंवरी बाई, संघर्ष की जिनै राह दिखाई,सारे देश मैं छिड़ी सै लड़ाई, साथ मैं चालो सारी बहना।।
1
साथिन भंवरी नहीं अकेली हम कसम आज उठाते सारे
बाल विवाह की बची बुराई इसके खिलाफ जंग चलाते सारे
जालिमों की क्यों ज्यान बचाई, कचहरी क्यों मदद पै आई, सब छिपा रहे हैं सच्चाई,भंवरी साथिन पुकारी बहना।।
2
देकर झूठी दलीलें देखो बलात्कारियों को बचाते क्यों
परम्परा का ढोंग रचाकर असल सच्चाई को दबाते क्यों
भंवरी ने सही आवाज उठाई,जुल्मी चाहते उसे दबाई,समझ गई भरतो भरपाई, भंवरी नहीं बिचारी बहना।।
3
इस तरह से नहीं झुकेंगी जुल्मो सितम से टकरायेंगी
परम्परा की गली सड़ी जंजीरें आज हम तोड़ बगायेंगी
भटेरी ने नई लहर चलाई, समता की है पुकार लगाई, जयपुर में हूंकार उठाई, यह जंग रहेगी जारी बहना।।
4
फासीवाद का खूनी चेहरा इससे हरगिज ना घबरायेंगी
आगे बढ़े हैं कदम हमारे हम नया इतिहास बनायेंगी
रणबीर सिंह ने कलम चलाई, अपने डिक्ल की बात बताई,सच की हुई जीत दिखाई, ना सेखी है बघारी बहना।।
रागनी...15
आज हम देखें औरत की जो सही तस्वीर सखी।।
दिया समाज ने जो हमें उसको कहती तकदीर सखी।।
घर में खटना पड़ता मर्दों की नजर में मोल नहीं औरत भी समझे इसे किस्मत लगा सकी तोल नहीं
करती हम मखौल नहीं हमारी हालत है गंभीर सखी।।
घर खेत में काम करें जुताई और बुवाई करती बहना
चारा पानी झोटा बुग्गी दिन और रात मरती बहना
बैठी आहें भरती बहना समझें किस्मत की लकीर सखी।।
कैसा सलूक करते हमसे मालिक बंधवा का व्यवहार यहां
खाना दोयम कपड़ा दोयम मिले सारा दोयम संसार यहां
करोड़ों महिला बीमार यहां इलाज की नहीं तदबीर सखी।।
अहम फैंसले बिना हमारे मरद बैठ कर क्यों करते देखो
जुल्म ढाते भारी हम पर नहीं किसी से डरते देखो
हम नहीं विचार करते देखो तोडे़ं कैसे यह जंजीर सखी ।।
खुद चुपचाप सहती जाती मानें कुदरत का खेल इसको
सदियों से सहती आई समझें राम का मेल इसको
क्यों रही हो झेल ईसको मसला बहोत गम्भीर सखी।।
सदियों से होता ही आया पर किया मुकाबला है हमने
सिर धड़की बाजी लगा नया रास्ता अब चुना है हमने
जो सपना बुना है हमने होगा पूरा लिखे रणबीर सखी।।
रागनी...16
दिन काटे चाहूं
दिन काटे चाहूं मैं ये कोण्या सुख तैं कटण देवैं।।
चुपचाप जीणा चाहूं मैं फेर कोण्या टिकण देवैं।।
1
झाड़ झाड़ बैरी होगे आज हम बरगी बीरां के
मोह माया तैं दूर पड़े फेर दिल डिगें फकीरां के
नामी बदमाश पाल राखे बाबा ना पिटण देवैं।।
अच्छाई के बोये बीज ये जमा नहीं पकण देवैं।।
2
कई बै जी करै फांसी खालयूं इनकै अकल लागै
सहेली बोली मेरी बात मान मत प्राणां नै त्यागै
किसे कै कसक ना जागै हमनै नहीं बसण देवैं।।
आगै बढ़े कदम म्हारे उल्टे हम नहीं हटण देवैं।।
3
बताओ पिया के करूं मैं इणपै तूँ गीत बनादे नै
द्रोपदी चीर हरण गाओ म्हारे चीर हरण पै गादे नै
बणा रागनी सुनादे नै हम तेज नहीं घटण देवैं।।
हरयाणे मैं शोर माचज्या दबा इसा यो बटन देवैं।।
4
गाम के गोरै खड़े पावैं भैंस के म्हां कै ताने मारैं
इंसानियत जमा भूलगे भों किसे की इज्जत तारैं
बिना बात ये खँगारैं हमनै और घणी घुटण देवैं।।
रणबीर सिंह बरगे म्हारी इज्जत ना लुटण देवैं।।
रागनी...17
एक आह्वान रागनी
हम कदम मिलजुल के मंजिल की तरफ बढ़ाएं बहना ॥
हमारी बहुविविधता को दे हर क़ुरबानी बचाएं बहना ॥
गुणवत्ता वाली पढ़ाई वास्ते जनता लाम बन्द करेंगी
सबको सस्ता इलाज मिले ऐसा मिलके प्रबंध करेंगी
निर्माण के उदाहरण हम करके सबको दिखाएं बहना ॥
अन्ध विश्वास के खिलाफ लंबा चलाएं एक अभियान
सबका मिलके होगा प्रयास बने संवेदनशील इंसान
प्रति गामी विचार को वैज्ञानिक आधार से हराएं बहना ॥
मिल करके करेंगे विरोध सभी दलित अत्याचार का
महिला समता समाज में हो
मुद्दा बनायेंगे प्रचार का
रोजगार मिले सबको ये हम सब अभियान चलाएं बहना ॥
सद्भावना बढे समाज में नफरत का विरोध करें सभी
पूरे समाज का विकास हो इस पे पूरा शोध करें सभी
बढ़े हुए कदम हमारे रणबीर आगे बढ़ते ही जायें बहना ॥
रागनी...18
सीढ़ी घड़ादे चन्दन रूख की सासड़ तीज ये मेरी आई री।।
चन्दन रूख ना म्हारै क्यों ना पीहर तैं घड़ा कै ल्याई री।।
1
अपनी तैं दे दी झूल पाटड़ी म्हारे तैं दिया यो पीसणा
फोडूँ री सासड़ चाक्की के पाट क्यों चाहवै मनै घिसणा
आज तो दिन त्योहार का सै चाहिए ऊंच नीच भुलाई री।।
2
मनै खन्दा दे री मेरे बाप कै बीर आया यो माँ जाया
बहु इबकै यहीं तीज मना री तेरा पिया छुट्टी आया
गगन गरजै बिज्जल पाटै या मरती फसल तिसाई री।।
3
लरज लरज कै जावै बहू या जाम्मन की डाहली देख
पड़कै नाड़ ना तुड़ा लिए तेरी मां देगी मनै गाली देख
नन्द भी हचकोले मारैगी कहवैगी पहलम ना बताई री।।
4
मन मैं गुद गुद सी माच रही झूलण जाऊं बाग मैं हे
चढ़ पींघ पै जोर लगा कै मैं पींघ बधाऊँ बाग मैं हे
तीज रल मिलकै मनावां सारे रणबीर की या कविताई री।।
रागनी...19
हरियाणा के समाज मैं औरत कै घली जंजीर, क्यों हमनै दीखती नहीं।।
1
पहलम दुभान्त हुया करती
दुखी सुखी हम जिया करती
पीया करती इलाज मैं यो परम्परा का नीर, चिता तैं उठती नहीं।।
2
पेट मैं ए मारण की तैयारी
घनखरी दुनिया हुई हत्यारी
गांधारी आज भी लिहाज मैं
पीटती जावै वाहे लकीर,नई राही दीखती नहीं।।
3
बचावनिया और मारनिया के
घले पाले खेल करनिया के
घेरनिया के मिजाज मैं यो
मामला सै गम्भीर, क्यों हमनै सूझती नहीं।
4
समाज करना चाहवै सफाया
सैक्स सेलेक्शन औजार बनाया
बताया सही अंदाज मैं, झूठ नहीं सै रणबीर, कलम चूकती नहीं।।
रागनी ...20
आयी तीज
मॉनसून नै इबकै बहोतै बाट या दिखाई बेबे ।।
बरस्या नहीं खुलकै बूंदा बांदी सी आयी बेबे ।।
साम्मण के मिहने मैं सारे कै हरयाली छाज्या
सोचै प्रदेश गया पति भाज कै घर नै आज्या
ना गर्मी ना सर्दी रूत या घणी ए सुहाई बेबे ।।
कोये हरया लाल कोये जम्फर पीला पहर रही
बाँट गुलगुले सुहाली फैला खुशी की लहर रही
कोये भीजै बूंदां मैं कोये सुधां लत्यां नहाई बेबे।।
आयी तीज बोगी बीज आगली फसल बोई या
झूला झूल कै पूड़े खाकै थाह मन की टोही या
पुरानी तीज तो इसी थी आज जमा भुलाई बेबे ।।
बाजार की संस्कृति नै म्हारी तीज जमा भुलाई
इस मौके पर जाया करती प्रेम की पींघ बढ़ायी
कहै रणबीर सिंह कैसे करूँ आज की कविताई बेबे।।
******
21
तीज त्यौहार सब भूल गए मैं नहीं भुला पाई बेटी।।
जर्मनी मैं बताईये क्यूकर तीज मनाई बेटी।।
1
आडै़ भी शहर मैं लोग तीज मनाना भूलते जावैं
कितै कितै पींघ घालकै कुछ बालक झूलते पावैं
एकाध बुजुर्ग टहलते पावैं साची साच बताई बेटी।।
2
म्हारे बख़्ताँ मैं सारी मिलकै हम तीज मनाया करती
रजिया संतरा सखी दोनों सुरीले गीत गाया करती
ऊंची पींघ बधाया करती देखी असमानां छाई बेटी।।
3
साम्मण का मिन्हा रंगीला थोड़ी थोड़ी पड़ती फुहार
पूड़े रसगुल्ले ख़ावैं सारे मन गुगुदावै देख बहार
पीँघां की लागै थी लार नई खेती खूब लहलहाई बेटी।।
4
लाल चूंदड़ी दामण काला घणा कसूता चाला पाटै था
जम्फर सलवार रंग बिरंगी माणस
ठोडै़ चक्कर काटै था
देवर मोर्चा डाटै था रणबीर करै कविताई बेटी।।
******
22
छोटा बड़ा परिवार
कड़ तोड़ कै धरदी मेरी इन बालकां की लार नै।।
मैं भी सुखी कोन्या बहना लेकै छोटे से परिवार नै।।
1
जिस घर मैं थोड़े बालक सुन्या वो आच्छा घर हो सै
पढ़ना लिखना हो बढ़िया ना करजे का डर हो सै
क्यान्हे चीज का ना तोड़ा सुरग मैं कहैं नर हो सै
प्यार मुलाहजा हो चोखा एक दूजे की खबर हो सै
यो सब कुछ दे कै भी मैं दुखी करी क्यों करतार नै।।
2
नौ जने ये बालक बेबे बस पांच इब आगै सैं
नहीं बखत पै मिलै दवाई जब दिन उल्टे लागैं सैं
लिकड़ते बढ़ते ये छिलकने बोल कसूते दागैं सैं
किततैं लयाऊं पढ़ाई और दवाई ये मेरे पै मांगैं सैं
कहते बड़ा कुनबा साहरा दे दे क्यूकर समझाऊं संसार नै।।
दोनों क्यों दुखी साँ नहीं बात समझ मैं आई
छोटे बड़े का रोला ना रोल विकास मैं बताई
मेहनत के फल का बंटवारा ना दे सही दिखाई
गरीबी अमीरी की खाई म्हारी क्यूकर हो भलाई
कौन बैरी खोस कै लेजया आज म्हारी सारी बहार नै।।
जनसंख्या के कारण लागैं कोन्या दुख म्हारे ये
म्हारे दुखों का कारण दिखैं जिंदगी के बंटवारे ये
इसी रची सै समाज व्यवस्था अमीर छंटे सैं न्यारे ये
विकास का बेढंग रास्ता इंकी ओंट मैं छिपारे ये
बेबे बैठ कै सोचां क्यूकर सुखी कराँ घरबार नै।।
ईसा विकास हो देश मैं जिसमैं सही बंटवारा हो
प्यार बढै आपस का ना भाई का भाई हत्यारा हो
बलात्कारी ना टोहया पावै म्हारा सुखी हर गलियारा हो
जनसंख्या समस्या ना रहै रणबीर हर घर उजियारा हो
यो परिवार नियोजन ना करना पडै़ सरकार नै।।
***
23
आहे सखी एक बात बताऊं , यो दिल अपना खोल दिखाऊं , नेता नै कर दिया चाला हे मनै तेरी सूं।।
1
मां बाप नै करी सगाई, बेबे मैं ना फूली समाई, मन मैं हुया था उजाला हे मनै तेरी सूं।।
2
ब्याह की तारीख धरी थी, रस्म बाकी पूरी करी थी, मैं जपूं थी उसकी माला, हे मनै तेरी सूं।।
3
उसकी नौकरी खोस लई, म्हारी किस्मत मोस दई, कर दिया गुड का राला, हे मनै तेरी सूं।
4
टोहना चाहया कूंआ झेरा, महिला समिति भेज्या बेरा, हटावै दुख का छाहला, हे मनै तेरी सूं।।
जगमति बाहन दखे आई, उनै नई आस बंधाई, बताया संघर्ष का पाला, हे मनै तेरी सूं।।
घर म्हारा बचा दिया हे, ब्याह म्हारा रचा दिया हे, खोल दिया गम का ताला, हे मनै तेरी सूं।।
म्हारे साथ मैं सै रणबीर, समाज की खींचै सही तस्वीर, तार दिया आंख का जाला, हे मनै तेरी सूं।।
24
भारत की नस नस मैं यो पुरुषवाद बहता बताया।।
महिला का दोयम दर्जा म्हारे समाज भीतर छाया।।
1)
पहले समाज मैं सबका गजब का भाईचारा बताते
महिला का बरोबर का दर्जा उन बखतां मैं दिखाते
सहज सहज महिला का शोषण परम्परा मैं आया।।
2)
दोयम दर्जा महिला का यो पाया हर समाज मैं जावै
महिला महिला की दुश्मन कहै समाज हमनै भकावै
हरेक ढाल की ला पाबंदी इसका जीवन नरक बनाया।।
3)
यो बरोबर का दर्जा आज भी बस कैहवन मैं
आवै
आज भी महिला दोयम दर्जे की अपनी जिंदगी निभावै
संविधान मैं लिख कै नै यो बराबर का दर्जा दिवाया।।
4)
संविधान कानून नै समाज लागू करया नहीं चाहता
ऊपर ऊपर की बात करै नहीं इसकी जड़ मैं लखाता
इसकी जड़ समझण खातिर रणबीर नै कलम चलाया।।
***
25
धमकी कितनी ए देल्यो थारी कोन्या पार जावै ।।
म्हारी एकता तोड़ण की चाल सफल ना हो पावै ।।
1
महिला पुरुष खिलाड़ी ये म्हारे देश की शान
यौन शोषण करकै नै हुए बहोत घने परेशान
खिलाड़ी देश का ये मान इननै सांसद क्यों धमकावै।।
2
इननै ये झेलनी पड़ती मुश्किल बहोत तमाम
ओलंपिक मैं पदक जीतकै करते ऊंचा नाम
प्रैक्टिस करते सूबो शाम तंगी मैं भी कदम बढ़ावै।।
3
महिला खिलाड़ी की राह और मुश्किल बताई
यौन शोषण की तलवार मचाती जीवन मैं तबाही
नहीं होती कि सुनाई किसनै या दुखड़ा बतावै
4
कितै संदीप सिंह मंत्री कितै बृजभूषण सतारे
कितै सुनाई कोन्या होरी जंतर मंतर पै धरना लारे
फुटपाथ पै रात बितारे रणबीर इनका साथ निभावै।।
26
केरल में एक जनवरी का दिन इतिहास बनाग्या रै।।
पचपन लाख महिलाओं का महिला प्राचीर छाग्या रै।।
1
छह सौ बीस किलोमीटर महिला प्राचीर बनाई थी
लैंगिक समानता की खातिर मिलकै आवाज ठाई थी
सबरीमाला मंदिर मामला यो सबके साहमी आग्या रै।।
पचपन लाख महिलाओं का महिला प्राचीर छाग्या रै।।
2
हरेक आयु की महिला आई हरेक वर्ग शामिल होगे
देख कै नजारा यो सारा प्रतिगामी अपने होस खोगे
इतनी गजब एकता केरल आज दुनिया नै दिखाग्या रै ।।
पचपन लाख महिलाओं का महिला प्राचीर छाग्या रै।।
3
सबरीमाला मंदिर में जावैं वे महिला डराई गई
सुप्रीम कोर्ट का फैसला उसकी मजाक उड़ाई गई
जवाब दिया सै मिलकै नै यो केरल जय नारा लाग्या रै।।
पचपन लाख महिलाओं का महिला प्राचीर छाग्या रै।।
4
परंपरा सबरीमाला मंदिर की महिला नहीं जावै
इसकी परंपरा गल्त सै यो सुप्रीम कोर्ट बतावै
रणबीर सिंह गलत परंपरा पै आज ये छन्द बनाग्या रै।।
पचपन लाख महिलाओं का महिला प्राचीर छाग्या रै।।
******
27
हमने समाज की नैतिकता को निभाने की पूरी जिम्मदारी औरत को सौंप दी। पुरुष पर कोई पैमाना नहीं। सारे पेमाने औरत के लिए बनते चले आये हैं।पुरुष प्रधान व्यवस्था में पितृसतात्मक परिवार के ढांचे में महिला को इन्सान ही नहीं समझा जाता। क्या बताया भला-
सदियों से सिस्टम नै औरत का गला दबाया
नैतिकता का अकेले इन्हें हार गया पहराया
किसे तरिया ंबी औरत मर्द तैं कमजोर नहीं
फालतू कई बातां मैं इसपै किसे का गौर नहीं
सैक्स की क्षमता देख श्रृषि मुनि बी घबराया।।
बात बात मैं रोजाना म्हारी गेल दुभांत होवै
त्रिया चरित्र हीन कहकै अपनी कमजोरी ल्हकोवै
काम सूत्र मैं सैकस बारे सही तरियां समझाया।।
समझां चाहे ना समझां प्यार बिना संसार नहीं
समाज क्यों षरमावै इसके बिना परिवार नहीं
पवित्रता का अकेला हमें जिम्मेदार ठहराया।।
नियम कायदे कानून सब सिस्टम नै बनाये
औरत की यौनिकता पै बेतुके फरमान सुनाये
कामसूत्र ना कदे पढ़ाया हमको वेद पढ़ाया।।
सैक्स पै चर्चा बुरी बात अन्धेरे मैं कुछ करो
सात खोरां मैं मुह मारैं कोए ना कहै डूब मरो
रणबीर नै डर डर कै मुश्किल तैं छनद बनाया।।
****
28
आंगनवाड़ी की आत्म कथा
आंगनवाड़ी मैं काम क रूं आप बीती बताऊं बेबे ।।
काम घणा करना होसै तंनखा नाम की पाऊं बेबे ।।
1
मां और बच्चों की सेवा का केंद्र आंगनवाड़ी बताया
कुपोषण तैं निपटने का यो ग्रामीण केंद्र बनाया
उन्नीस सौ पिचासी मैं सरकार ने प्रोग्राम चलाया
आंगन आश्रय भी कहदें यो हिंदुस्तान में फैलाया
सार्वजनिक स्वास्थ्य का बुनियादी ढांचा सुनाऊं बेबे ।।
काम घणा करना होसै तंनखा नाम की पाऊं बेबे ।।
2
गांव की महिला नै गर्भ निरोधक परामर्श देती
इनकी सप्लाई करने का जिम्मा अपने जीमै लेती
सेफ पीरियड के बारे मैं बैठ बात करैं मेरे सेती
कई सुना कै अपना दुखड़ा रो रो के आंख भेती
जी करड़ा कर कै नै उन ताहिं सारी समझाऊं बेबे ।।
काम घणा करना होसै तंनखा नाम की पाऊं बेबे ।।
3
और कामां की गेल्यां सै यो पोषण शिक्षा का जिम्मा मेरा
खून की कमी कइया मैं चालती हाण आवै अंधेरा
खाने पीने मैं के खाना कईयां नै ना इसका बेरा
बाल कुपोषित मां का पीला पड़ता आवै चेहरा
के खाना पीना चाहिए कई कई घंटे लाऊं बेबे ।।
काम घणा करना होसै तंनखा नाम की पाऊं बेबे ।।
4
सतरां रजिस्टर मेरे पास बात जरे कोन्या थारे
बुनियादी दवाई भी देना कई काम जिम्मे म्हारे
टीकाकरण की जिम्मेदारी घर-घर घूमैं सारे
छोटे बालकां नै पढ़ाऊं कामां का बोझ मनै मारे
रणबीर और भी काम घने ये किसनै बताऊं बेबे।।
काम घणा करना होसै तंनखा नाम की पाऊं बेबे ।।
29
बतादे करकै ख्याल पिया, यो पेटैंट के जंजाल पिया,
उठती दिल मैं झाल पिया, यो करें कैसे कंगाल पिया,
सै योहे मेरा सवाल पिया, मनै जवाब दिये खोल कै।
समिति नै जलसा करकै ये सारी बात बताई हो,
सन पैंतालिस तै पहल्यां गोरयां नै लूट मचाई हो,
आच्छी कहे सरकार पिया, समिति करै इन्कार पिया,
अमरीका बदकार पिया, बणाया देश बजार पिया,
क्यों बढ़ती तकरार पिया, मनै जवाब दिये तोल कै।
बढ़िया से पेटैंट घणा, मन मेरा तै मानै कोण्या हो,
यो कैसे बढ़ै निर्यात पिया, घटै कैसे आयात पिया,
क्यूकर बचै औकात पिया, म्हारी चढ़ी सै श्यात पिया,
क्यों मारग्या सन्पात पिया, मनै जवाब दिये टटोल कै।
खाद पाणी बिजली खुसगे, यो अपणा बीज ना होगा,
स्कूल यूनिवर्सिटी ऊपर कब्जा, कम्पनी का होगा,
फेर ना मिलै दवाई पिया, घणी बढ़ै म्हंगाई पिया,
किसनै रोल मचाई पिया, जनता झूठ भकाई पिया,
क्यूकर बचै तबाहि पिया, मनै जवाब दिये बोलकै।
30
एक आश्वासन
निराश मतना होईये बेटी दिखा दे तूं बन कै नै चिंगारी।।
पाछै मतना हटिये जंग तैं छोरी निगाह तेरे पै टिकारी।।
1
हरयाणा मैं महिलावाँ नै आजादी का बिगुल बजा दिया
खेलां मैं चमकी दुनिया मैं शिक्षा मैं आगै कदम बढ़ा दिया
dialectis का नियम यो दूजी ताकत पीछे नै धिकारी।।
2
घबरायीयो मतना होंश राखियो संघर्ष बिना गुजारा ना
बाहर भी खतरा घर मैं खतरा यो दिल ठुकता म्हारा ना
दुखती राग पै पां टेक दिया आज दिल तैं जनता पुकारी।।
3
इंसानियत बचानी सै मिल कै हम सब कसम नयों खावाँ
गुण दोष के आधार पर परखां नहीं जात गोत पै जावाँ
कहना आसान पर करना औखा मुश्किल आज्याँ घनी भारी।।
4
आज मजबूत संगठन बनाकै हम अत्याचार मिटावांगे
नए नव जागरण की हम घर घर मैं अलख जगा वांगे
कहै रणबीर बरोने आला थारा साथ देवैगा यो प्रचारी।।
31
*महंगाई बढ़ती जावै रोजाना मुश्किल हुया गुजारा बेबे।।*
*अम्बानी गेल खड़ी सरकार ध्यान कति नहीं म्हारा बेबे।।*
1
चीनी लागै घणी कड़वी जिब साठ की किलो आवै
टमाटर दिखें सपने के म्हां जिब पचास का भा लावै
*मुश्किल तैं परिवार खा हो मूंह का स्वाद खारया बेबे।।*
2
किसान खेत मैं मूली मेहनत करकै नै उगावै हे
दस रूपये धड़ी मन्डी मैं आढ़ती बोली लगावै हे
*जिब खरीदां दुकान पै किलो की कीमत बारा बेबे।।*
3
किसान मरै मरै उपभोक्ता बिचौलिया धन कमावै
किसा सिस्टम बणा राख्या देखो निठल्ला मौज उड़ावै
*मेहनत करने आले का क्यूं फूट्या पड़या ढारा बेबे ।।*
4
सिस्टम के छल समझें यो पहला काम जरूरी सै
सही समझ बनाये बिना लड़ाई रहवै या अधूरी सै
*रणबीर नै बिचौलिया डराते फेर भी कलम चलारया बेबे।।*
32
या बढ़गी बेरोजगरी, यो करजा चढ़ग्या भारी, हुई दुखी जनता सारी, महान हुया हरियाणा हे।
1
म्हारे बालक मरैं बिना दवाई, महंगी होंती जावै पढ़ाई
नाबराबरी साँस चढ़ारी , कारपोरेट अत्याचारी, मीडिया इसका प्रचारी, महान हुया हरियाणा हे।
2
जात पात मैं बाँटी जनता, विरोध किया तो काटी जनता
किसान की श्यामत आरी, महिला की इज्जत जा तारी, बढ़ती जावै चोरी जारी
महान हुया हरियाणा हे।
3
झूठे जुमले रोजाना देते,खबर म्हारी कदे ना लेते,
होंती जा तबियत खारी, जनता हिम्मत नहीं हारी, शासक हुया भ्रष्टाचारी,
महान होया हरियाणा हे।
4
महिला वंचित सुणल्यो सारे, बिना संघर्ष के नहीं गुजारे
लड़े हैं जीत हुयी म्हारी, जीतैंगे भरतू भरतारी , यो रणबीर म्हारा लिखारी,
महान हुया हरियाणा हे।
33
आयी तीज
मॉनसून नै इबकै बहोतै बाट या दिखाई बेबे
बरस्या नहीं खुलकै बूंदा बांदी सी आयी बेबे
साम्मण के मिहने मैं सारे कै हरयाली छाज्या
सोचै प्रदेश गया पति भाज कै घर नै आज्या
ना गर्मी ना सर्दी रूत या घणी ए सुहाई बेबे
कोये हरया लाल कोये जम्फर पीला पहर रही
बाँट गुलगुले सुहाली फैला खुशी की लहर रही
कोये भीजै बूंदां मैं कोये सुधां लत्यां नहाई बेबे
आयी तीज बोगी बीज आगली फसल बोई या
झूला झूल कै पूड़े खाकै थाह मन की टोही या
पुरानी तीज तो इसी थी आज जमा भुलाई बेबे
बाजार की संस्कृति नै म्हारी तीज जमा भुलाई
इस मौके पर जाया करती प्रेम की पींघ बढ़ायी
कहै रणबीर सिंह कैसे करूँ आज की कविताई
34
महिला पलटन
आई एन ए मैं भर्ती होकै बनाई महिला पलटन न्यारी।।
लक्ष्मी सहगल बनी कमांडर दी अंग्रेजों को हुँकारी।।
1
भारत आजाद कराऊं जरूरी सहगल नै मन मैं धार लिया
फिरंगी हमारा भारत छोड़ो सारी दुनिया मैं प्रचार किया
आजाद हिंद फौज बोस की यो महिला पलटन तैयार किया
तोप गोले बन्दूक चलाई रणचण्डी सा फेर सिंगार किया
वाहे लक्ष्मी सहगल देखी मोर्चे पर आगै बढ़ती जारी।।
लक्ष्मी सहगल बनी कमांडर दी अंग्रेजों को हुँकारी।।
2
गोरे गए आजादी आयी सपने खूब सजाए हमनै देखो
मेहनत करी बहोत देखो अपने डेम बनाये हमनै देखो
रामधन सिंह जिसे विज्ञानी अपने बीज उगाए हमनै देखो
खान फैक्ट्री और खेतों मैं अपने शरीर खपाये हमनै देखो
लक्ष्मी सहगल पूछ रही थी दे दी किसनै आज बुहारी।।
लक्ष्मी सहगल बनी कमांडर दी अंग्रेजों को हुँकारी।।
3
लक्ष्मी कैप्टन आवाज ठाई क्यों औरत ये सताई जाती
दहेज अच्छा नहीं मिल्या सै यों हर रोज जलाई जाती
जुल्म की हद नहीं कोये जबरी फांसी चढ़ाई जाती
जनवादी महिला समिति मैं मिलकै करी लड़ाई जाती
जीना सै तो लड़ना सीखो क्यों बनी बैठी हो बेचारी।।
लक्ष्मी सहगल बनी कमांडर दी अंग्रेजों को हुँकारी।।
4
महिला के हकों खातिर लड़ने का बीड़ा उठाया था
सबको इकट्ठा करने खातिर महिला संगठन बनाया था
इकट्ठी होकै लडें लड़ाई घर घर अलख जगाया था
गांव गांव कर ल्यो तैयारी सन्देश योहे पहूंचाया था
महिला दबकर नहीं रहेगी रणबीर की कलम पुकारी।।
लक्ष्मी सहगल बनी कमांडर दी अंग्रेजों को हुँकारी।।
35
सोलां सोमवार के ब्रत राखे मिल्या नहीं सही भरतार
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घना सै करतार
1
बालकपन तैं चाहया करती मन चाहया भरतार मिलै
बराबर की इंसान समझै ठीक ठयाक सा घरबार मिलै
उठते बैठते सोच्या करती बढ़िया सा मनै परिवार मिलै
मेरे मन की बात समझले नहीं घणा वो थानेदार मिलै
इसकी खात्तर मन्नत मानी चढ़ावे चढ़ाए मनै बेसुमार
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार
2
मेरी सहेली नै ब्याह ताहिं एक खास भेद बताया था
सोलां सोमवार के ब्रत करिये मेरे को समझाया था
बोली मनचाहया वर मिलै जिसनै यो प्रण पुगाया था
मनै पूरे नेग जोग करे एक बी सोमवार ना उकाया था
बाट देखै बढ़िया बटेऊ की यो म्हारा पूरा ए परिवार
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार
3
कई जोड़ी जूती टूटगी फेर जाकै नै यो करतार पाया
पहलम तै बोले बहु चाहिए ना चाहिए सै धन माया
ब्याह पाछै घणे तान्ने मारे छोरा बिना कार के खंदाया
सपने सारे टूटगे मेरे बेबे सोमवार ब्रत काम ना आया
पशु बरगा बरतावा सै ना करै माणस बरगा व्यवहार
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार
4
ये तो पाखण्ड सारे पाये ना भरोसा रहया भगवान मैं
उसकी ठीक गलत सारी पुगायी ना दया उस इंसान मैं
फेर न्यों बोले पाछले मैं कमी रही भक्ति तनै पुगाण मैं
आंधा बहरा राम जी भी नहीं आया पिटती छुड़ाण मैं
कहै रणबीर बरोने आला आज पाखंडाँ की भरमार
दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार
36
पहले तीज बड़े जोश खरोश के साथ मनाया करते मगर अब जोश काफी कम हो गया है | कारण ? रोहतक से भालौठ तक पिछले से पिछले साल देखने गया बहुत कम झूल मिली | बात चलती है तो एक महिला क्या बताती है तीज के बारे में --
पींग घालकै खूब झूलते हम न्यों तीज मनाया करते ||
छोरी बहु सब कट्ठी होकै शिवाले ऊपर जाया करते ||
1
पहर सूट रंग बिरंगे सब झूलन जाया करती हे
हम मिलकै गीत साम्मण के खूब गाया करती हे
देवर ज्येठ भी आस पास डोलते नजर आया करते ||
छोरी बहु सब कट्ठी होकै शिवाले ऊपर जाया करते ||
2
दो दो छोरी पींघ पै चढ़कै खूबै ए पींग बढान्ती बेबे
ऊपर जा सर घूम जाता जिब तले नै लखांती बेबे
देवर ज्येठ देख नज़ारे खूबै ऐ मजाक उड़ाया करते ||
छोरी बहु सब कट्ठी होकै शिवाले ऊपर जाया करते ||
3
साँस सुखके इस ढालां हम थोड़ी देर ले लिया करती
एक दूजी के साहमी दिल अपना खोल दिया करती
मस्त साम्मण का मौसम बेबे हल्वा खीर बनाया करते ||
छोरी बहु सब कट्ठी होकै शिवाले ऊपर जाया करते ||
4
बेरा ना कड़ै गई वे तीज कर याद दिल भर आवै हे
बाजार कै भेंट चढ़े त्यौहार म्हारी ना पार बसावै हे
रणबीर मेहर सिंह हर न्यारे प्यारे छंद बनाया करते ||
छोरी बहु सब कट्ठी होकै शिवाले ऊपर जाया करते ||
37
दारू और दवा की दुकान
दारू और दवा की दुकान हर गाम शहर मैं पाज्या हे।।
बढ़ी दारूबाजी और बीमारी असल देश की बताज्या हे।।
1
पी दारू मजदूर किसान अपने घर का नाश करै
दारू फैक्ट्री बन्द होवैं महिला इसकी आस करै
आस करती होज्या बूढी पति नै इतनै दारू खाज्या हे।।
बढ़ी दारूबाजी और बीमारी असल देश की बताज्या हे।।
2
दवा के रेट का कोए हिसाब ना गोज ढ़ीली करज्या
मरीज खरीद कै खाली होज्या डॉक्टर की गोज भरज्या
पूरा इलाज फेर भी न होवै चानचक सी मौत आज्या हे।।
बढ़ी दारूबाजी और बीमारी असल देश की बताज्या हे।।
3
दारू का बेर या नाश करै सर्कार क्यों फैक्ट्री खुलवावै
रोज खोल दूकान दारू की मौत न्यौता देकै बुलवावै
के बिना दारू विकास ना हो कोए आकै मनै समझाज्या हे।।
बढ़ी दारूबाजी और बीमारी असल देश की बताज्या हे।।
4
इलाज महँगा कर दिया गरीब बिना दवाई मरता
इलाज ब्योपार बणा दिया खामियाजा मरीज भरता
रणबीर बरोने आला सोच समझ कलम घिसाज्या हे।।
बढ़ी दारूबाजी और बीमारी असल देश की बताज्या हे।।
38
बिमला मनै बतादे क्यों रोवै खड़ी खड़ी।।
1
के सासू नै बोली मारी,
के सुसरे नै करदी न्यारी,
के ननद तेरै खोआ लारी,
वा करती तेरा मख़ौल
तूँ सोचें जावै पड़ी पड़ी।।
2
के देवर सै गिरकाणा री,
के बालक तेरा याणा री,
के हुया सै धींगताना री,
दिल की घुंडी खोल,
के नागण तेरै लड़ी लड़ी।।
3
दीखै ध्यान राम मैं लाया,
उड़ै काम झूठ का पाया,
नहीं किमैं समझ मैं आया,
मन होग्या डामाडोल,
या गुथी दीखै पड़ी अड़ी।।
4
तनै और के चिंता खावै री,
क्यों ना खोल कै बतावै री,
क्यों खड़ी आंसू बहावै री,
डाट गात की झोल,
रणबीर नै छंद बड़ी घड़ी।।
39
मानस तो बनै बिचारा कहैं बीघनों क़ी जड़ नारी ।।
बतावें वासना छिपाने को चोट कामनी क़ी हो न्यारी ।।
1
योग ध्यान करनीया नारद पूरा योगी गया जताया
विश्व मोहिनी पै गेरी लार काया मैं काम जगाया
पाप लालसा डटी ना उसकी मोहिनी का कसूर बताया
सदियाँ होगी औरत उप्पर हमेशा यो इल्जाम लगाया
आगा पाछा देख्या कोन्या सही बात नहीं बिचारी ||
बतावें वासना छिपाने को चोट कामनी क़ी हो न्यारी ।।
2
कीचक बी एक हुआ बतावें विराट रूप का साला
दासी बणी द्रोपदी पै दिया टेक पाप का छाहला
अपनी बुरी नजर जमाई करना चाहया मुंह काला
भीम बलि नै गदा उठाई जिब देख्या जुल्म कुढाला
सारा राज पुकार उठया था नौकरानी क़ी अक्कल मारी ||
बतावें वासना छिपाने को चोट कामनी क़ी हो न्यारी ।।
3
पम्पापुर मैं रीछ राम का एक बाली बेटा होग्या रै
सुग्रीव क़ी बहु खोस लई बीज कसूते बोग्या रै
गेंद बना दी जमा बीर क़ी उसका आप्पा खोग्या रै
ज़मीन का हक़ खोस लिया मोटा रास्सा होग्या रै
सबते घनी सताई जावै घर मैं हो चाहे कर्मचारी ||
बतावें वासना छिपाने को चोट कामनी क़ी हो न्यारी ।।
4
पुलस्त मुनि का पोता हांगे मैं पूरा ए मगरूर था
पंचवटी तैं सीता ठाकै वो घमंड नशे मैं चूर था
सीता बणी कलंकिनी थी धोबी का वचन मंजूर था
उर्मिला का तप फालतू था जिकरा चाहिए जरूर था
झूठी श्यान क़ी बाली चढ़ाई रणबीर या सबला नारी ||
बतावें वासना छिपाने को चोट कामनी क़ी हो न्यारी ।।
40
लाल चूंदड़ी दामण काला, झूला झूलण चाल पड़ी।
कूद मारकै चढ़ी पींग पै देखै सहेली साथ खड़ी।।
झोटा लेकै पींग बधाई, हवा मैं चुंदड़ी लाल लहराई
उपर जाकै तले नै आई, उठैं दामण की झाल बड़ी।।
पींग दूगणी बढ़ती आवै, घूंघट हवा मैं उड़ता जावै
झोटे की हिंग बधावै, बाजैं पायां की छैल कड़ी।।
मुश्किल तै आई तीज, फुहारां मैं गई चुंदड़ी भीज
नई उमंग के बोगी बीज, सुख की देखी आज घड़ी।।
रणबीर पिया की आई याद, झूलण मैं आया नहीं स्वाद
नहीं किसे नै सुनी फरियाद, आंसूआं की या लगी झड़ी।।
41
कहानी घर घर की--नौकरानी की नजर से
मरे गरीबी के बोझ तलै , तेरी बी ना कोए पार चलै
अमीरी हमनै रोज छलै , शरीर को कसूत सताऊँ मैं ||
दो घरों में जाकै मैं करूँ यो पूरा काम सफाई का
एक घर डाक्टर का सै दूजा घर वकील अन्यायी का
दोनों घरों का के जिकरा सै , मेरे पै ना कोए फिकरा सै
ख़राब सबका जिगरा सै , पेट पकड़ बैठे दिखाऊँ मैं ||
वकील साहब की वकालत बस इसी चलती बतावें
ओला बोला पीसा उन धौरे धंधा कई ढाल का चलावैं
घर मैं पीटता घरआली नै , बाहर देखो शान निराली नै
बेटा ठाएँ हाँडै दुनाली नै , के के सारी खोल सुनाऊँ मैं ||
डाक्टरनी दुखी कई बर बैठी रोंवती वा पाई बेबे
शौतन का दुःख झेल रही कई बै चुप कराई बेबे
बड्डी कोठ्ठी पर दिल छोट्टे, बाहर शरीफ भित्तर खोट्टे
कुछ तो अकल के बी मोट्टे , कई बै अंदाज लगाऊं मैं ||
घूर घूर कै देखै मने ना डाक्टर का एतबार बेबे
उसकी आँख्यां मैं दीखे यो शैतान हरबार बेबे
डाक्टर का घर छोड़ दिया , तीजे घर मैं बिठा जोड़ लिया
काढ मने यो निचोड़ लिया रणबीर यो बख्त पुगाऊँ मैं ..
42
एक महिला की मई दिवस के मौके पर दास्तान । क्या कहती है वह भला:-
बेरोजगार बेटी की जिंदगानी दुखी घणी संसार मैं।।
बेटा मेरा फिरै सै भरमता नौकरी की इंतजार मैं।।
1
म्हारी गेल्याँ के बनरी होन्ती नहीं कितै सुनाई हे
घरां बाहर जुल्म नारी पै जड़ बिघणां की बताई हे
शरीर पै नजर गड़ाई हे इस पुरुषवादी संसार मैं।।
2
बिना नौकरी पति पत्नी उल्टे काम पड़ें करने हे
घर आले मारैं तान्ने कानां होज्यां डाटे भरने हे
ये सूकगे बहते झरने हे आपस की तकरार मैं।।
3
म्हारी गेल्याँ भुंडी बणै किसे नै बता नहीं पावां
गरीबी की या मार कसूती चुपचाप सहते जावां
दिन रात ज्यान खपावां ना हो खबर अखबार मैं।।
4
घणे दुखी सां ब्याह पाछै हम दोनूं घर के धौरी
बिना काम बैठे सैं ठाली आज घणी दुर्गति होरी
दोनूं दुखी छोरे छोरी रणबीर सरतो के परिवार मैं ।।
43
कम बच्चों का सवाल
जिब फुर्सत होज्या तम नै ,बात ध्यान तैं सुनियो मेरी
भीडी धरती हो ज्यावै सै उठती नै मने आवें अँधेरी
खेत मजदूर बाप सै मेहनत कर कै करै गुजारा
जितनी ढाल की खेती हो वै उस पै सै ज्ञान का भंडारा
फल सब्जी नाज उगावन मैं किसान कै लाता साहरा
दिहाड़ी पै फेर लठ बा जै संकट होज्या घणा भारया
घुट घुट कै सहन करण सां ये कडवी बात भतेरी ||
सात बालक जन्मे थे माता नै पाँच भान अर दो भाई
ताप मारग्या एक जने नै भान मरगी बिना दवाई
दूजी नै बैरन टी बी चाट्ग्यी घर मैं मची तबाही
बची दस्तों तैं मरण नै तीजी राम जी के घर तैं आई
सात मांह तैं तीन बचे मुश्किल तैं इसी घली राम की घेरी ||
यानी सी मैं ब्याह दी थी पति खेत मजदूर मदीने का
उनका हाल और्व बुरा देख्या ब्योंत नहीं खाने पीने का
चाह गेल्याँ रोटी घूँट कै खा वें हाल नहीं सै जीने का
ठाडे की सै दुनिया हे बेबे के सै म्हारे बरगे हीने का
क्यूकर जी वां सुख चैन तैं चिंता खावै या श्याम सबेरी||
कई बै सोचूँ बालक कम हों ना ठुकता कालजा मेरा
कितने बचें कितने मरेंगे नहीं पाटता इसका बेरा
सारे मिलके करैं कमाई जिब हो वै सै म्हारा बसेरा
मने समझ नहीं आवै क्यूकर केहना मानूं मैं तेरा
रणबीर सिंह धोरै बूझंगे चल मत करिए देरी ||
44
घूंघट
घूंघट प्रतीक गुलामी का न्यों जनवादी सोच समझावै।।
घर की इज्जत बन कै घूंघट महिला नै दाबना चाहवै।।
ज्ञान प्राप्ति के पांच तरीके दुनिया मैं गए बताए री
आंख तैं देख इंसान नै ज्ञान के भंडार खूब बढ़ाए री
देख परख कै दुनिया ज्ञान मैं ये चार चांद लगाए री
आंख सबतैं प्यारी इंद्री संसार को अजूबे दिखाए री
बिना आंख माणस आंधा नहीं दुनिया नै देखण पावै।।
कान तैं सुणकै माणस अपना अधूरा ज्ञान बधावै री
सुणकै बात दुनिया की सुंदर सी तस्वीर बनावै री
बहरा माणस रहवै गूंगा नहीं कुछ सीखन पावै री
कान का कच्चा माणस यो बहोत घणे दुख ठावै री
काम बिना इंसान अधूरा कोण बहरा रहना चाहवै।।
नाक सुआ सा म्हारा दुख सुख मैं साथ निभान्ता यो
खुशबूदार चीज नै सूंघ कै माणस ताहिं बतान्ता यो
बदबू की पहचान करकै कई बीमारियां तैं बचान्ता यो
ज्ञान इंसान का नाक म्हारा चौबीस घंटे बधान्ता यो
नाक बिना क्यूकर काम चलै कोए आकै तो बतावै।।
इस घूंघट नै ये पांचों इंद्री अपने भीतर घोट लई हे
संस्कृति घुंघट करण की नै मार कसूती चोट दई हे
फिल्मों मैं घूंघट दिखा दिखा कर बहोत खोट दई हे
यो घूंघट मनै तार बगाया पूरे गाम की ओट लई हे
कहै रणबीर बरोने आला चाहिए हर महिला तार बग़ावै।।
45
साथी राजरानी की शहादत**
गेस्ट टीचर्स के संघर्ष को देखकर एक बात याद आ गयी । शीला बाई पास पर प्रदर्शन पर गोलियां चली । वहां राजरानी भी गोली का शिकार हुई। जीप ड्राइवर राजरानी को लेकर आया और मैं भी इमरजेंसी में पहुंचा। वहां क्या हुआ इस बारे उन्हीं दिनों एक रागनी लिखी थी पेश है :---
बिन आयी मौत साहमी तड़फै सड़क पै पड़ी हुई।
पड़ी जांघ मैं खाकै गोली फेर एक बर खड़ी हुई ।।
1
धड़ाम दे पडी सड़क पै खून फव्वारा ना काबू आरया
साथी तो ठावैं पुलिस रोकै मन होग्या उसका खारया
धक्का स्टार्ट जीप मेरी उन सबनै फेर धक्का मारया
घाल जीप मैं चाल पड़े चेहरां पीला पड़ता जारया
पीली पड़गी राजरानी कितै कितै सांस अड़ी हुई ।।
पड़ी जांघ मैं खाकै गोली फेर एक बर खड़ी हुई ।।
2
ड्रिप लायी ईसीजी मशीन वा सीधी लाइन दिखावै
कई डॉक्टर कट्ठे होगे एक छाती बार बार दबावै
खत्म होली राजरानी कहता डॉक्टर भी घबरावै
चारों कान्ही हाहाकार मच्या गैल भीड़ चढ़ती आवै
देखैं पड़ी खून मैं लतपथ साथिन उड़ै खड़ी हुई ।।
पड़ी जांघ मैं खाकै गोली फेर एक बर खड़ी हुई ।।
3
पड़ी राजरानी बिस्तर पै जनों मेरी तरफ लखावै
इसा दिखाई देवै जनों यो हमनै सन्देश देना चाहवै
आत्म सम्मान बचाल्यो रलकै आज हकूमत दबावै
संघर्ष का रास्ता लेल्यो यो मंजिल तक पहोंचावै
मुठ्ठी भींचगी राजरानी की थी जाड़ी भी कड़ी हुई।।
पड़ी जांघ मैं खाकै गोली फेर एक बर खड़ी हुई ।।
4
गोली मारी सांथल के म्हां करया जुल्मी काम सुणो
राजरानी गेस्ट टीचर नै यो दिया आखरी पैगाम सुणो
नेता अफसर पुलिस की कसनी होगी लगाम सुणो
आख़री सांस मैं उसनै लिया साथिन का नाम सुणो
रणबीर रोवै उड़ै खड़या साच्ची बात ना घड़ी हुई ।।
पड़ी जांघ मैं खाकै गोली फेर एक बर खड़ी हुई ।।
46
मेरे जी नै भाण गुलाबो घणा मोटा फांसा होग्या हे।।
बाहर भीतर संकट भारी घणा भूंडा रासा होग्या हे।।
1
मैं पैदा जिस दिन हुई घर मैं घणी मुरदाई छागी
भाई जिस दिन हुया पैदा दादी थाली खूब बजागी
बुआ मेरे होणे पै मेरी माँ नै घणी निरभाग बतागी
घर मैं चौथी छोरी आई मेरी मां नै चिंता खागी
सातवें जापे मैं हुया जिंगड़ा कुल की आशा
होग्या हे।।
2
बेटी ग़म खाणा चाहिए सीख सिखाई शाम सबेरी
पढ़ण की कही मां बोली क्यों ज्याण बहम मैं गेरी
मेरे तैं सूकी गंठा रोटी भाई नै दूध मलाई देरी
बेटा तै बड्डा होकै वंश चलावै माड़ी तकदीर मेरी
किसा राम राज आया घणा अजब तमाशा
होग्या हे।।
3
दुनिया कहै मनु स्मृति नै म्हारा बेड़ा पार किया
उसमैं ढेठी औरत गेल्यां कुल्टा जिसा ब्यो हार किया
सेवा करणा काम बीर का मनू जी नै प्रचार किया
सदियों से महिला का शोषण यो बारंबार किया
मनू नै भी डांडी मारदी बेबे तोड़ खुलासा
होग्या हे।।
4
बीर कहैं मर्द बराबर होसै असल मैं या बात नहीं
कहैं क्यूकर हो मर्द बराबर सै कोए औकात नहीं
भोग की चीज बणादी छोड्डी म्हारी कोए जात नहीं
कहैं मर्द कमावै ठाली ख़ावै करै कदे
खुभात नहीं
घर मैं पिसती बाहर मरण सै उल्टा हर पासा होग्या हे।।
5
दिन धौली दें मार लुगाई घणा बुरा जमाना आया
कुणसे कांड गिनाऊं आज दुर्योधन भी शरमाया
स्टोवां नै भी नई ब्याहली काँहिं अपना मुंह सै बाया
गर्भ बीच चलावैं कटारी ये चाहते पिंड छुटवाया
महिला आज बोझ बताई मजाक खासा होग्या हे।।
6
एक जीनस दी बना लुगाई समाज नै कमाल किया
बीर का मर्द बता बैरी खड़या नया बबाल किया
सास बहू का ईसा रिश्ता खड़या कर जंजाल दिया
बीच बाजार मैं बिठा दी बिछा कसूता जाल दिया
म्हारे देश मैं औरत का दर्जा तोले तैं मासा
होग्या हे।।
7
रल मिल सोच समझ कै इब आगै बढ़ना होगा
अंध विश्वास पडै़ छोड़ना नया इतिहास गढ़ना होगा
नए दौर का नया सबेरा नई राही पै चढ़ना होगा
सोच समझ कै अपने हकों खातर कढ़ना होगा
रणबीर की बात सुणी मेरै चांदना खासा
होग्या हे।।
47
गरीबों की मर आगई
गरीबां की मर आगी इस नए से बाजार मैं , हे मेरी भाण।।
1
रैहवण नै मकान कड़ै खावण नै नाज नहीं
पीवण नै पाणी कड़ै बीमार नै इलाज नहीं
महंगाई जमा खागी इस नये से बाजार मैं, हे मेरी भाण।।
2
कपास पीटी धान पीट दिया गेहूं की बारी हे
जहर की गोली खा खा मरगे हुई सै लाचारी हे
या म्हारी धरती जागी इस नये से बाजार मैं, हे मेरी भाण।।
3
बदेशी कम्पनी कब्जा करगी ये हिंदुस्तान मैं
लाल कालीन बिछाये हमनै क्यों इनकी श्यान मैं
इसकी रंग क्यों भागी इस नये से बाजार मैं, हे मेरी भाण।।
4
महिलाओं पै अत्याचार बढ़े आंख म्हारी मिचगी हे
दूजे धर्म आळ्यां ऊपर तलवार म्हारी खिंचगी हे
रणबीर की छंद छागी इस नये से बाजार मैं, हे मेरी भाण ।।
48
इन कमीशन खावनियां का तै नाम लेण मैं भी टोटा हे।।
1
चौड़े के म्हं म्हारे नाक कटाये, ये बिचौलिया सिर पै बिठाये, मगरमच्छ के आंसू बहाये, जनता नै योहे दुख सै मोटा हे।।
2
घणा कमीशन खाया हथियारां पै, इन बंधुआँ नै साहूकारां पै, बूझल्यो राष्ट्र के ठेकेदारां पै,कौण खरया सै कौण खोटा हे।।
3
दुनिया मैं चर्चा होरी आज, चोर हुए देश के धौरी आज, इलाज ढूँढां कोये फौरी आज, देश का मुधा मारया लौटा हे।।
4
दो बर चढ़गी काट की हांडी, जमकै मारी सै इननै डांडी, ईब चाल होगी इनकी बांडी, होगे रणबीर गशीला झोटा हे।।
49
ईब मरणा नहीं कति मंजूर या मनै कसम खाई बेबे।।
पति सास ससुर देख लिए सबनै रोल मचाई बेबे।।
1
मिला रेत मैं लाड दिया सै
बिना तेंगे गल बाढ़ दिया सै
मनै नतीजा काढ़ लिया सै, कोण्या होवै सुनाई बेबे।।
2
ईब ना तेरी बाहण दुखड़ा झोवै
नहीं बैठ आपणे करमां नै रोवै
बीज नई फसल के या बोवै, लांघ दहेल नै आई बेबे।।
3
औरत भी तै एक इंसान हो सै
इसकै भी तै मान सम्मान हो सै
क्यों शराबी पति भगवान हो सै,किसनै रीत चलाई बेबे।।
4
अपने पाहयाँ पै खड़ी होऊँ मैं
लगा फांसी ज्यान ना खोऊँ मैं
ईब राही अपनी नई टोहूं मैं ,रणबीर नै धीर बंधाई
बेबे।।
50
एक महिला की दूसरी महिला से बात चीत .....
घणी दुखी करी बहना इस छोटे से परिवार नै।।
कड़ तोड़ कै धरदी मेरी बालकां की पुकार नै।।
1
जिस घर मैं थोड़े बालक सुन्या आच्छा घर हो सै
पढ़ना लिखना हो बढ़िया ना करके का डर हो सै
क्याहें चीज का तोड़ा ना सुरग मैं कहैं नर हो सै
मदद करैं एक दूजे की पर मुश्किल या डगर हो सै
इतना ध्यान करया फेर भी दुखी करी करतार नै।।
2
पांच बालक जामे थे मनै आज तीन इब आगै सैं
नहीं मिलै दवाई बख्त पै जिब दिन उल्टे लागैं सैं
आस पड़ोसी देख यो सब बोल घणे कसूते दागैं सैं
सारे कमा कै ल्यावां सां पर म्हारे भाग ना जागैं सैं
बड्डा कुन्बा साहरा देंता मैं समझाऊं अपने भरतार नै।।
3
मनै चिंता रहवै रोजाना बेबे इनकी पढ़ाई की
सेहत ठीक कोन्या रहती पड़ती मार दवाई की
साफ सुथरा मकान हो चिंता पानी सप्लाई की
घरां काम बाहर छोटी नौकरी औटूं डॉट थारे जमाई की
बालक टी वी नै चूंघैं मार दिए चैनलों की मार नै।।
4
पड़ौसन का बड्डा परिवार उनकै बात काबू ना आई
छोटे बड़े का ना रोला विकास मैं या रोल बताई
मेहनत के फल का ठीक बंटवारा ना देता सही दिखाई
माणस का माणस बैरी औरत जावै घणी सताई
अडानी बार्ज खोस कै लेगे सारी म्हारी बहार नै।।
5
जनसंख्या का रोला कोन्या इस कारण ना दुख म्हारे
म्हारे दुखों का कारण दिखैं जिंदगी के ये बंटवारे
इसी रची समाज व्यवस्था गरीब धरती कै ये मारे
विकास का बेढ़ंगा तरीका इसकी असल ये छिपारे
बेबे बैठ कै सोचां क्यूकर करां सुखी हम घरबार नै।।
6
ईसा विकास हो देश मैं जिसमें सही बंटवारा हो
प्यार बढै़ आपस मैं ना भाई का भाई हत्यारा हो
बलात्कारी ना टोहे पावैं म्हारा सुखी हर गलियारा हो
जनसंख्या समस्या ना दिखै सबके घर उजियारा हो
फेर परिवार नियोजन की ना जरूरत हो सरकार नै।।
51
जागी महिला हरियाणे की
करकै कमाल दिखाया सै, यो घूंघट तार बगाया सै,
खेतां मैं खूब कमाया सै, जागी महिला हरियाणे की।।
1. देश की आजादी खातर अपणी ज्यान खपाई बेबे
गामड़ी सांघी खिडवाली मैं न्यारी रीत चलाई बेबे
लिबासपुर रोहणात मैं बहादरी थी दिखलाई बेबे
अंग्रेजां तै जीन्द की रानी गजब करी लड़ाई बेबे
अंग्रेजां का भूत बनाया, यो सब कुछ दापै लाया,
देश आजाद कराणा चाहया जागी महिला हरियाणे की।।
2. देश आजाद होये पाछै हरित क्रांति ल्याई बेबे
खेत क्यार कमावण तै कदे नहीं घबराई बेबे
डांगर ढोर संभाले हमनै दिन रात कमाई बेबे
घर परिवार आगै बढ़ाये स्कूलां करी पढ़ाई बेबे
हरियाणा आगै बढ़ाया सै ,सात आसमान चढ़ाया सै,
गुण्डयां का जुलूस कढ़ाया सै, जागी महिला हरियाणे की।।
3. हमनै गाम बराहणे मैं दारू बन्दी पै गोली खाई सै
खेलां के मैदानां मैं जगमति सांगवान खूबै छाई सै
सुशीला राठी बड्डी डॉक्टर हरियाणे की श्यान बढ़ाई सै
नकल रोकती बाहण सुशीला जमा नहीं घबराई सै
चावला नै नाम कमाया सै, महिला का मान बढ़ाया सै
यो रस्ता सही दिखाया सै, जागी महिला हरियाणे की।।
4. संतोष यादव बाहण म्हारी करकै कमाल दिखाया हे
सुमन मंजरी डीएसपी पुलिस मैं नाम कमाया हे
सांगवान मैडम नै बिमल जैन तै सबक सिखाया हे
नवराज जयवन्ती श्योकन्द जीवन सफल बनाया हे
ज्योति अरोड़ा सरोज सिवाच प्रशासन खूब चलाया हे
ये आगै बढ़ती जारी बेबे, करकै कमाल दिखारी बेबे
रणबीर मान बढ़ारी बेबे, जागी महिला हरियाणे की।।
52
के जुलम करया इसा
के जुलम करया इसा मेरे नहीं बात समझ मैं आयी।।
प्यार करया सोहनदास तै नहीं खोदी सै कोए खाई।।
छोरा छोरी बरोबर हों हम कोए भेद नहीं करते
छोरी नै पूरी आजादी सै देखे रोजाना दम भरते
आज के होग्या सबकै क्यों कलंकनी सबनै बताई ||
प्यार करया सोहनदास तै नहीं खोदी सै कोए खाई।।
संस्कृति कै बट्टा लाया इल्जाम मेरे ऊपर लगाते
प्यार करना गलत बेटी सारे बैठ मने समझाते
चुनाव मेरा मन चाहया गलत कैसे प्यार क़ी राही||
प्यार करया सोहनदास तै नहीं खोदी सै कोए खाई।।
घर क़ी इज्ज़त राखी प्यार अपने पर डटी हुयी
कहैं म्हारी इज्ज़त खोदी बात सबनै या रटी हुयी
जात पात के खिलाफ स्वामी दयानंद आवाज उठाई ||
प्यार करया सोहनदास तै नहीं खोदी सै कोए खाई ।।
जात तै बाहार लिकड़कै देखता ना परिवार मेरा
सुनके बात प्यार क़ी मेरे चारों तरफ दिया घेरा
रणबीर बारोने आले नै बी प्यार क़ी मेर कटाई||
प्यार करया सोहनदास तै नहीं खोदी सै कोए खाई ।।
53
मिलकै आवाज उठाई हे सखी महिला समिति नै।।
हमारी श्यान बढ़ाई हे सखी महिला समिति
नै।।
हमको कति ए ध्यान नहीं था कैसे चलै संसार ज्ञान नहीं था डटकै अलग जगाई है सखी महिला समिति नै ।।
जींद जिले का गांव पड़ाणा ,जुल्मी हिला दिया पूरा समाणा, हिम्मत म्हारी बंधाई हे सखी महिला समिति नै।।
म्हारे मुंह मैं आवाज नहीं थी , किसे नै सुनी फरियाद नहीं थी, चिट्ठी लिखनी सिखाई हे सखी ,महिला समिति नै ।।
अपणा शब्द किमैं भूल रही , परिवार की साथ टूहल रही ,अपनी पहचान कराई हे सखी महिला समिति नै।।
54
एक गरीब परिवार की बहू खेत में घास लेने गई। वहां दो पड़ौस के लड़के उसे दबोच लेते हैं। क्या बनती है~~
कोए सुणता होतै सुणियो दियो मेरी सास नै जाकै बेरा।
ईंख के खेत मैं लूट लई छाग्या मेरी आंख्यां मैं अन्धेरा।
चाल्या कोण्या जाता मेरे पै मन मैं कसूती आग बलै सै
दिमाग तै कति घूम रहया यो मेरा पूरा गात जलै सै
पिंजरे मैं घिरी हिरणी देखो या देखै कितै कुंआ झेरॉ।
म्हारे दो पड़ौसी उड़ै खेत मैं घात लगायें बैठे थे
मुँह दाब खींच ली ईंख मैं ईथर भी ल्यायें बैठे थे
गरीब की बहू ठाड्डे की जोरू मनै आज पाटग्या बेरा।
यो काच्चा ढूंढ रहवण नै भरया गाळ मैं कीचड़ री
पति नै ना दिहाड़ी मिलती घरके कहवैं लीचड़ री
गुजारा मुश्किल होरया सै बेरोजगारी नै दिया घेरा।
नहां धोकै बाळ बाहकै घूमै खाज्या किलो खिचड़
उंकी इसी हालत घर मैं जण होसै भैंस का चीचड़
खिलौने बेच गालाँ मैं दो रोटी का काम चलै मेरा।
घरां आकै रिवाल्वर दिखा धमकाया सारा परिवार
बोल चुपाके रहियो नातै चलज्यागा यो हथियार
भीतरला रोवै लागै सुना मनै यो बाबयां बरगा डेरा।
मेरे बरगी बहोत घनी बेबे जो घुट घुट कै नै जीवैं
दाब चौगिरदें तैं आज्यावै हम घूँट जहर का पीवें
यो रणबीर कलम उठाकै कहै हो लिया सब्र भतेरा।
55
सिस्टम की बदमासी
सिस्टम की बदमासी का आज पाटग्या तोल भाई।।
औरत नै औरत की दुश्मन कैहकै मारैं रोल भाई।।
1
ताकतवर सै पुरुष सदा प्रधान बताया सिस्टम नै
नारी को बस भोग की वस्तु कैह कै गाया सिस्टम नै
नारी तुम केवल श्रद्धा हो भरम फलाया सिस्टम नै
ढोल गंवार शुद्र पशु नारी जाल बिछाया सिस्टम नै
सम्पूर्ण मानव नारी सै क्यों कर रहे टाल मटोल भाई।।
औरत नै औरत की दुश्मन कैहकै मारैं रोल भाई।।
2
नारी का गुण लिहाज शर्म या बदमाशी सिस्टम की सै
बस केवल पतिव्रत धर्म या बदमाशी सिस्टम की सै
सब की सेवा खास कर्म या बदमाशी सिस्टम की सै
जात बीर की कति नर्म या बदमाशी सिस्टम की सै
औरत की असली ताकत का कोण्या जांच्या मोल भाई।
औरत नै औरत की दुश्मन कैहकै मारैं रोल भाई।।
3
असल छिपा कै कदे देब्बी कदे शक्ति गाई सिस्टम नै
रणचंडी का रूप कदे कहि काली माई सिस्टम नै
कदे सती कदे सावित्री कदे डायन बताई सिस्टम नै
खान नरक की काली नागण तोहमत लाई सिस्टम नै
मानवता देई लहको बजा कै न्यारे न्यारे ढोल भाई।।
औरत नै औरत की दुश्मन कैहकै मारैं रोल भाई।।
4
इस सिस्टम की जकड़न मैं कति रोल दिखाई दे ऱयी सै
यूं ढांचा सै उलझ पुलझ घमरोल दिखाई दे रयी सै
बेह माता खुद नारी पर अणबोल दिखाई दे ऱयी सै
डर मैं उसकी नियत भी कमतौल दिखाई दे ऱयी सै
इस सिस्टम के निर्माता की पड़ैगी पाड़नी पोल भाई।।
औरत नै औरत की दुश्मन कैहकै मारैं रोल भाई।।
5
नारी नर की पूरक सै मैं कति पूजणा चाहूँ सूँ
चोगरदै जब संकट गहरा सही सूझना चाहूँ सूँ
रोग की जड़ कितै और बताई सहम जूझणा चाहूँ सूँ
के नर नर का दुश्मन ना मैं बात बूझणा चाहूँ सूँ
आज मंगतराम दो कदम बढ़या सै मतना करो मखौल भाई ।।
औरत नै औरत की दुश्मन कैहकै मारैं रोल भाई।।
56
रिवाज घूँघट का
बुजुर्ग महिला चौपाड़ धोरे कै घूँघट मैं जाया करती ॥
चौपाड़ मैं चढ़ना दूर इस कान्ही नहीं लखाया करती ॥
1
ज्येठ ससुर तैं घूँघट करकै लिहाज शर्म निभावें थी
नीची नजर करकै चालें थी ऊपर नै नहीं लखावें थी
सासू पितस तैं भी कई घूँघट रिवाज निभाया करती ॥
2
नयी नवेली बहु जिब गाम मैं पाणी भरने जाती भाई
सिर पर दोघड पाणी की उसकी घूँघट थी भाती भाई
घर कै भित्तर बाहर बहु घूँघट मैं आया जाया करती ॥
3
सिर उभाणी या बहु अन्घानी कदे कदीमी सुणते आये
बेपर्दा लुगाई ल्यादे तबाही बड़े बड़ेरे न्यूँ गुणते आये
या घूँघट पढ़े लिखे की भी घिघी सी बन्धवाया करती ॥
4
रणबीर घूँघट का रिवाज खींची सै सही तस्वीर दखे
बिन घूँघट गाती के कोए कैसे रह्वै गाम मैं बीर दखे
इस घूँघट के कारण ये बहु कई बै ठोकर खाया करती ॥
57
मेरा संघर्श
गाम की नजरां के म्हां कै बस अडडे पै आउं मैं।
कई बै बस की बाट मैं लेट घणी हो जाउं मैं।।
भीड़ चीर कै बढ़णा सीख्या,करकै हिम्म्त चढ़णा सीखा
लड़भिड़ कढ़णा सीख्या, झूठ नहीं भकाउ मैं।।
बस मैं के के बणै मेरी साथ,नहीं बता सकती सब बात
भोले चेहरे करैं उत्पात, मौके उपर èामकाउं मैं।।
दफतर मैं जी ला काम करूं,पलभर ना आराम कंरू
किंह किहं का नाम èारूं, नीच घणे बताउं मैं।।
डर मेरा सारा र्इब लिकड़ गया,दिल भी सही होंसला पकड़ गया,
जै रणबीर अकड़ गया, तो सबक सिखाउं मैं।।
58
आमतौर पर बढ़ती जनसंख्या को गरीबी के मुख्य कारण के रूप में देखा जाता है मगर यह सोच ठीक नहीं है। जनसंख्या तो चीन की भारत से ज्यादा है। एक रागनी छोटे परिवार के हालात के बारे--
टेक- जमा छोटा सा परिवार म्हारा, फेर बी क्यों नहीं ठीक गुजारा।
यो चढ़ग्या सै करजा भारया , ज्याण मरण मैं आयी हे।।
1
मेहनत से हर काम किया , नहीं दो घड़ी आराम किया
किया गुंडयां नै जीणा हराम , इनकै लगावै कोण लगाम
डर लाग्या रहै सुबह शाम, इसे फ़िकर नै खाई हे ।।
2
हम दो हमारे दो का सै नारा यो, फेर बी घर सुखी ना म्हारा क्यों
न्यूं मनै कोये समझादयो नै, सारा खोल कै बता दयो नै
रोग की जड़ दिखला दयो नै, क्यों होती नहीं सुनायी हे।।
3
एक बेटा पढ़ता हिसार मैं , ओ पड़ता दो ढ़ाई हजार मैं
घरबार मैं मेर रही नहीं, मन की म्हारे ताहिं कहि नहीं
दिखती करज की बही नहीं, ब्याज नै करी तबाही हे।।
4
दूजा बेटा करै पढ़ाई न्यारी, बदेशी कम्पनी उनै बुलारी
भारी संकट मिलने का होग्या , बेरा ना प्यार कड़ै म्हारा खोग्या
म्हारै नश्तर घणे चुभोग्या ,न्यूँ घणी बेचैनी छाई हे।
5
म्हारा बाबू जी सै पंजाब मैं, नहीं रहता किसे की दाब मैं
जनाब मैं कोये भी कमी ना सै, फेर भी चढ़ी म्हारै खता सै
रणबीर किसनै पता सै, क्यूं चढ़री करड़ाई हे।।
59
[24/8, 9:08 pm] Sabka Haryana: समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।
इसका काटया मांगै पाणी ना कोये नर और नारी हे।।
1
सिरकी घाल करैं गुजारा जिननै देखो ताजमहल बनाये
उनके बालक मरते भूखे जिननै ये खेत क्यार कमाए
तनपै उनके लत्ता कोण्या जिननै कपड़े के मील चलाये
बिना दूध शीत के रहते वे जिननै ये डांगर ढोर चराये
भगवान भी आंधा कर दिया ना दिखता भ्रष्टाचारी हे।।
समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।
2
जितना करड़ा काम म्हारा उतना नहीं सम्मान मिलता
दस नम्बरी माणस जितने उनका हुक्म सारै पिलता
नकली फूल सजावैं पाखंडी ना असली उनकै खिलता
कहते उसके बिना आड़े यो पत्ता तक बी नहीं हिलता
सबकै उप्पर उसका ध्यान नहीं फेर किसे न्याकारी हे।।
समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।
3
डांगर की कद्र फालतू यो माणस बेक़दरा संसार मैं
छोरे की कद्र घणी सै छोरी पराया धन परिवार मैं
किसे जुलम होण लागरे ये छपते रोज अखबार मैं
माणस खानी म्हारी व्यवस्था लादे बोली सरेबाजार मैं
कति छाँट कै इसनै चलाई महिला भ्रूण पै कटारी हे।।
समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।
4
इस व्यवस्था मैं मुट्ठी भर तै हो घणे मालामाल रहे
इसा जाल पूर दिया चला इसनै अपणी ढाल रहे
सोच समझ कै बढियो आगै माफिया कसूते पाल रहे
फौजी और पुलिसिया रणबीर कर इनकी रूखाल रहे
सही सोच के संघर्ष बिना जनता आज पिटती जारी हे।
समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।
[24/8, 9:10 pm] Sabka Haryana: मेरा संघर्श
गाम की नजरां के म्हां कै बस अडडे पै आउं मैं।
कई बै बस की बाट मैं लेट घणी हो जाउं मैं।।
भीड़ चीर कै बढ़णा सीख्या,करकै हिम्म्त चढ़णा सीखा
लड़भिड़ कढ़णा सीख्या, झूठ नहीं भकाउ मैं।।
बस मैं के के बणै मेरी साथ,नहीं बता सकती सब बात
भोले चेहरे करैं उत्पात, मौके उपर èामकाउं मैं।।
दफतर मैं जी ला काम करूं,पलभर ना आराम कंरू
किंह किहं का नाम èारूं, नीच घणे बताउं मैं।।
डर मेरा सारा र्इब लिकड़ गया,दिल भी सही होंसला पकड़ गया,
जै रणबीर अकड़ गया, तो सबक सिखाउं मैं।।
[24/8, 9:10 pm] Sabka Haryana: रिवाज घूँघट का
बुजुर्ग महिला चौपाड़ धोरे कै घूँघट मैं जाया करती ॥
चौपाड़ मैं चढ़ना दूर इस कान्ही नहीं लखाया करती ॥
1
ज्येठ ससुर तैं घूँघट करकै लिहाज शर्म निभावें थी
नीची नजर करकै चालें थी ऊपर नै नहीं लखावें थी
सासू पितस तैं भी कई घूँघट रिवाज निभाया करती ॥
2
नयी नवेली बहु जिब गाम मैं पाणी भरने जाती भाई
सिर पर दोघड पाणी की उसकी घूँघट थी भाती भाई
घर कै भित्तर बाहर बहु घूँघट मैं आया जाया करती ॥
3
सिर उभाणी या बहु अन्घानी कदे कदीमी सुणते आये
बेपर्दा लुगाई ल्यादे तबाही बड़े बड़ेरे न्यूँ गुणते आये
या घूँघट पढ़े लिखे की भी घिघी सी बन्धवाया करती ॥
4
रणबीर घूँघट का रिवाज खींची सै सही तस्वीर दखे
बिन घूँघट गाती के कोए कैसे रह्वै गाम मैं बीर दखे
इस घूँघट के कारण ये बहु कई बै ठोकर खाया करती ॥
60
[24/8, 8:59 pm] Sabka Haryana: एक गाँव में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एक दलित महिला किरणलता से बात करती है। जनसंख्या के बढ़ने को लेकर बातचीत होती है। जब किरणलता समझ जाती है कि बहनजी आप्रेशन के बारे में पूछ रही हैं तो वह क्या जवाब देती है---
जिब फुर्सत होज्या तमनै, बात ध्यान तै सुणियो मेरी।।
भिड़ी धरती हो ज्यावै सै, उठती नै आवै मनै अँधेरी।।
1
खेत मजदूर बाप सै मेहनत करकै करै गुजारा
जितनी ढाल की खेती होवै उसपै सै ज्ञान का भण्डारा
फल सब्जी नाज उगावण मैं, किसान कै लाता साहरा
दिहाड़ी पै फेर लाठा बाजै संकट हो ज्या घणा भारया
घुट घुट कै शन करां सां ये कड़वी बात भतेरी।।
भिड़ी धरती हो ज्यावै सै, उठती नै आवै मनै अँधेरी।।
2
सात ब्लाक जन्मे थे माता नै,पांच भाण अर दो भाई
ताप मारग्या एक जणे नै, भाण मरगी बिना दवाई
दूजी नै बैरन टीबी चाट गई ,घर मैं मची तबाही
बची दस्ताँ तैं मरण तैं तीजी राम जी के घर तैं आई
सात मां तैं तीन बचे मुश्किल तैं , इसी घली राम की घेरी
भिड़ी धरती हो ज्यावै सै, उठती नै आवै मनै अँधेरी।।
3
याणी सी मैं ब्याह दी थी पति खेत मजदूर मदीणे का
उनका हाल और बुरा देख्या ब्यौन्त नहीं खाणे पीणे का
चाह गेल्याँ रोटी घूँट कै खावैं,हाल नहीं सै जीणे का
ठाडे की सै दुनिया हे बेबे,के सै म्हारे बरगे हीणे का
क्यूकर जीवां सुख चैन तै , चिंता खावै या शाम सबेरी।।
भिड़ी धरती हो ज्यावै सै, उठती नै आवै मनै अँधेरी।।
4
कई बै सोचूँ बालक कम हों , ना ठुकता कालजा मेरा
कितने बचैं कितने मरेंगे , नहीं इसका पाटता बेरा
सारे मिलकै करैं कमाई, जिब होवै सै म्हारा बसेरा
मनै समझ नहीं आवै क्यूकर , कैहणा मानूँ मैं तेरा
रणबीर सिंह धोरै बूझांगे , चाल मत करिए देरी।।
भिड़ी धरती हो ज्यावै सै, उठती नै आवै मनै अँधेरी।।
[24/8, 9:09 pm] Sabka Haryana: आमतौर पर बढ़ती जनसंख्या को गरीबी के मुख्य कारण के रूप में देखा जाता है मगर यह सोच ठीक नहीं है। जनसंख्या तो चीन की भारत से ज्यादा है। एक रागनी छोटे परिवार के हालात के बारे--
टेक- जमा छोटा सा परिवार म्हारा, फेर बी क्यों नहीं ठीक गुजारा।
यो चढ़ग्या सै करजा भारया , ज्याण मरण मैं आयी हे।।
1
मेहनत से हर काम किया , नहीं दो घड़ी आराम किया
किया गुंडयां नै जीणा हराम , इनकै लगावै कोण लगाम
डर लाग्या रहै सुबह शाम, इसे फ़िकर नै खाई हे ।।
2
हम दो हमारे दो का सै नारा यो, फेर बी घर सुखी ना म्हारा क्यों
न्यूं मनै कोये समझादयो नै, सारा खोल कै बता दयो नै
रोग की जड़ दिखला दयो नै, क्यों होती नहीं सुनायी हे।।
3
एक बेटा पढ़ता हिसार मैं , ओ पड़ता दो ढ़ाई हजार मैं
घरबार मैं मेर रही नहीं, मन की म्हारे ताहिं कहि नहीं
दिखती करज की बही नहीं, ब्याज नै करी तबाही हे।।
4
दूजा बेटा करै पढ़ाई न्यारी, बदेशी कम्पनी उनै बुलारी
भारी संकट मिलने का होग्या , बेरा ना प्यार कड़ै म्हारा खोग्या
म्हारै नश्तर घणे चुभोग्या ,न्यूँ घणी बेचैनी छाई हे।
5
म्हारा बाबू जी सै पंजाब मैं, नहीं रहता किसे की दाब मैं
जनाब मैं कोये भी कमी ना सै, फेर भी चढ़ी म्हारै खता सै
रणबीर किसनै पता सै, क्यूं चढ़री करड़ाई हे।।
[24/8, 9:10 pm] Sabka Haryana: मेरा संघर्श
गाम की नजरां के म्हां कै बस अडडे पै आउं मैं।
कई बै बस की बाट मैं लेट घणी हो जाउं मैं।।
भीड़ चीर कै बढ़णा सीख्या,करकै हिम्म्त चढ़णा सीखा
लड़भिड़ कढ़णा सीख्या, झूठ नहीं भकाउ मैं।।
बस मैं के के बणै मेरी साथ,नहीं बता सकती सब बात
भोले चेहरे करैं उत्पात, मौके उपर èामकाउं मैं।।
दफतर मैं जी ला काम करूं,पलभर ना आराम कंरू
किंह किहं का नाम èारूं, नीच घणे बताउं मैं।।
डर मेरा सारा र्इब लिकड़ गया,दिल भी सही होंसला पकड़ गया,
जै रणबीर अकड़ गया, तो सबक सिखाउं मैं।।
[24/8, 9:10 pm] Sabka Haryana: रिवाज घूँघट का
बुजुर्ग महिला चौपाड़ धोरे कै घूँघट मैं जाया करती ॥
चौपाड़ मैं चढ़ना दूर इस कान्ही नहीं लखाया करती ॥
1
ज्येठ ससुर तैं घूँघट करकै लिहाज शर्म निभावें थी
नीची नजर करकै चालें थी ऊपर नै नहीं लखावें थी
सासू पितस तैं भी कई घूँघट रिवाज निभाया करती ॥
2
नयी नवेली बहु जिब गाम मैं पाणी भरने जाती भाई
सिर पर दोघड पाणी की उसकी घूँघट थी भाती भाई
घर कै भित्तर बाहर बहु घूँघट मैं आया जाया करती ॥
3
सिर उभाणी या बहु अन्घानी कदे कदीमी सुणते आये
बेपर्दा लुगाई ल्यादे तबाही बड़े बड़ेरे न्यूँ गुणते आये
या घूँघट पढ़े लिखे की भी घिघी सी बन्धवाया करती ॥
4
रणबीर घूँघट का रिवाज खींची सै सही तस्वीर दखे
बिन घूँघट गाती के कोए कैसे रह्वै गाम मैं बीर दखे
इस घूँघट के कारण ये बहु कई बै ठोकर खाया करती ॥
61
लिए कर्ज के मैं डूब, हमनै तिरकै देख्या खूब,
ना भाजी म्हारी भूख, लुटेरयां नै जाल बिछाया, हे मेरी भाण
1. ज्यों-ज्यों इलाज करया मर्ज बढ़ग्या म्हारा बेबे
पुराने कर्जे पाटे कोण्या नयां का लाग्या लारा बेबे
झूठे सब्जबाग दिखाये, अमीरां के दाग छिपाये
गरीबां के भाग लिवाये, कर सूना ताल दिखाया, हे मेरी भाण
2. विश्व बैंक चिंघाड़ रहया घरेलू निवेश कम होग्या
म्हंगाई ना घटती सखी, गरीबी क्यों बढ़ती सखी
जनता भूखी मरती सखी, नाज का भण्डार बताया हे मेरी भाण
3. जल जंगल और जमीन खोस लिए म्हारे क्यों
सिरकै उपर छात नहीं दिए झूठे लारे क्यों
आदिवासी तै मार दिया, किसानां उपर वार किया
कारीगर धर धार दिया, बेरोजगारी नै फंख फैलाया, हे मेरी भाण
4. इलाज करणिया डाक्टर बी खुद हुया बीमार फिरै
सुआ लवाल्यो सुवा लवाल्यो करता या प्रचार फिरै
होगी महंगी आज दवाई, लुटगी सारी आज कमाई
रणबीर सिंह बात बताई, खोल कै भेद बताया, हे मेरी भाण
62
सीढ़ी घड़ादे चन्दन रूख की सासड़ तीज ये मेरी आई री।।
चन्दन रूख ना म्हारै क्यों ना पीहर तैं घड़ा कै ल्याई री।।
1
अपनी तैं दे दी झूल पाटड़ी म्हारे तैं दिया यो पीसणा
फोडूँ री सासड़ चाक्की के पाट क्यों चाहवै मनै घिसणा
आज तो दिन त्योहार का सै चाहिए ऊंच नीच भुलाई री।।
2
मनै खन्दा दे री मेरे बाप कै बीर आया यो माँ जाया
बहु इबकै यहीं तीज मना री तेरा पिया छुट्टी आया
गगन गरजै बिज्जल पाटै या मरती फसल तिसाई री।।
3
लरज लरज कै जावै बहू या जाम्मन की डाहली देख
पड़कै नाड़ ना तुड़ा लिए तेरी मां देगी मनै गाली देख
नन्द भी हचकोले मारैगी कहवैगी पहलम ना बताई री।।
4
मन मैं गुद गुद सी माच रही झूलण जाऊं बाग मैं हे
चढ़ पींघ पै जोर लगा कै मैं पींघ बधाऊँ बाग मैं हे
तीज रल मिलकै मनावां सारे रणबीर की या कविताई री।।
63
फौजी अपनी मां को एक चिठ्ठी में क्या लिखता है भला:-
औरत की जमा कदर रही ना यो किसा बुरा जमाना आग्या माँ।।
सुनकै लोगां की काली करतूत, यो मेरा दिल घणा घबराग्या माँ।।
1
दो बदमाशां नै मिलकै नाबालिग बच्ची पै अत्याचार किया
बदफेली करी पहलम तै फेर मौत के घाट उतार दिया
इन पापियां नै के मिलग्या सारा हरियाणा
पुकार दिया
कहैं पुलिस तैं पीसे जिमाये यो कर काबू थानेदार लिया
घणे दिन लाश ना टोही पाई न्यों गुहांड घणा चकराग्या माँ।।
सुनकै लोगां की काली करतूत, यो मेरा दिल घणा घबराग्या माँ।।
2
नौ मई का मनहूस दिन था मासूम बच्ची नै वे लेगे ठाकै नै
पुलिस ताहिं नाम बता दिए पर झांकी ना वा गाम मैं आकै नै
कई जणे थाने में पहोंचे उड़ै रपट लिखानी चाही जाकै नै
थानेदार नै रपट तो लिखी बहोत घणे धक्के खवाकै नै
अपराधी सांड ज्यों रहे घूमते बेटी कै घर मैं मातम छाग्या माँ।।
3
सुनकै लोगां की काली करतूत, यो मेरा दिल घणा घबराग्या माँ।।
क्यों म्हारी रपट लिखी ना जाती म्हारे ऊपर धौंस जमाई जावै
क्यों या पुलिस खावण नै आती उल्टा म्हारी करी पिटाई जावै
क्यों गरीब जनता न्या ना पाती या रपट कमजोर बनाई जावै
क्यों कमेरी जनता धक्के खाती म्हारी लाज ना बचाई जावै
सामना करना पड़ेगा हमनै मेरा दिल ये बात समझाग्या माँ।।
सुनकै लोगां की काली करतूत, यो मेरा दिल घणा घबराग्या माँ।।
4
घणे जोश मैं हम पहरा देरे थे सुनकै जी उदास हुया माता
सिविल मैं जमा डूबा पड़गी क्यों आज सत्यानाश हुया माता
फेर बी तेरा बेटा लड़ेगा डटकै यो वायदा खास हुया माता
रणबीर सही छन्द बणावै उसनै फ़ौज़ियाँ का डेरा भाग्या माँ।।
सुनकै लोगां की काली करतूत, यो मेरा दिल घणा घबराग्या माँ।।
64
दिन काटे चाहूं
दिन काटे चाहूं मैं ये कोण्या सुख तैं कटण देवैं।।
चुपचाप जीणा चाहूं मैं फेर कोण्या टिकण देवैं।।
1
झाड़ झाड़ बैरी होगे आज हम बरगी बीरां के
मोह माया तैं दूर पड़े फेर दिल डिगें फकीरां के
नामी बदमाश पाल राखे बाबा ना पिटण देवैं।।
अच्छाई के बोये बीज ये जमा नहीं पकण देवैं।।
2
कई बै जी करै फांसी खालयूं इनकै अकल लागै
सहेली बोली मेरी बात मान मत प्राणां नै त्यागै
किसे कै कसक ना जागै हमनै नहीं बसण देवैं।।
आगै बढ़े कदम म्हारे उल्टे हम नहीं हटण देवैं।।
3
बताओ पिया के करूं मैं इणपै तूँ गीत बनादे नै
द्रोपदी चीर हरण गाओ म्हारे चीर हरण पै गादे नै
बणा रागनी सुनादे नै हम तेज नहीं घटण देवैं।।
हरयाणे मैं शोर माचज्या दबा इसा यो बटन देवैं।।
4
गाम के गोरै खड़े पावैं भैंस के म्हां कै ताने मारैं
इंसानियत जमा भूलगे भों किसे की इज्जत तारैं
बिना बात ये खँगारैं हमनै और घणी घुटण देवैं।।
रणबीर सिंह बरगे म्हारी इज्जत ना लुटण देवैं।।
65
महिला की दास्ताँ
पेट मैं मारण की तैयारी, मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।।
क्यों चालै मेरे पै कटारी , मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।।
1
मातम मनाते मेरे होण पै छोरे पै बजती थाली क्यों
छठ छोरे की सारे मनाते गामां ताहिं के हाली क्यों
नामकरण करते छोरे का पढ़े लिखे और पाली क्यों
अग्नि देनी शमशान घाट मैं म्हारी करते टाली क्यों
पराया धन गई मैं पुकारी, मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।।
2
धन धरती का हक म्हारा, किसनै खोस्या हमनै बताओ
रिवाज पुत्र वंश चलाने का किसनै थोंप्या हमनै बताओ
दोयम दर्जा म्हारे ताहिं , किसनै सोंपया हमनै बताओ
म्हारा मान सम्मान दखे किसनै खोस्या हमनै बताओ
म्हारी जगाह सिमटती जारी, मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।।
3
स्वयंम्बर करकै पति चुनै या रही परंपरा म्हारी बताई
दमयंती नै नल के गल मैं माला खुद तैं डारी बताई
मातृ सत्ता म्हारे समाज मैं बहोत दिन रही जारी बताई
पितृ सत्ता की संस्कृति खुद बै खुद उभरती आरी बताई
आज या चारों कांहीं छाहरी, मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।।
4
धापां सीमा संतोष काफी यो नाम धरया भतेरी क्यों
सारी उम्र इन नामां करकै महिला झेलैं अंधेरी क्यों
दोयम दर्जा म्हारा समाज मैं लाज जावै बखेरी क्यों
कोई रास्ता नहीं देवै दिखाई चारों तरफ तैं घेरी क्यों
बनाई सां हम अबला नारी, मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।।
5
इसे माहौल मैं माता क्युकर बेटी पैदा करदे देखो
परिवार महिला की नाड़ पै तुरत कटारी धरदे देखो
माँ का कसूर कड़ै इसमैं चाहवै रंग जीवन मैं भरदे देखो
सन्तुलन जब बैठे जब हटैं समाज की आंख्यां तैं परदे देखो
या पूरे समाज की बीमारी, मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।।
6
औरत मर्द जड़ै बराबर वोहे समाज ठीक जताया सै
इस संकट की जड़ों मैं हाथ पितृ सत्ता का पाया सै
पुत्र लालसा छोरी मारै परिवारों नै जुल्म कमाया सै
परिवार पूरे समाज का दर्पण यो गया सही बताया सै
रणबीर की कलम पुकारी , मैं सुनाऊं पूरे समाज नै।।
66
परिवर्तन जरूर होवैगा बहना जाग जाग री।
1
घूंघट अपना तार बहना आओ घर से बाहर बहना
ये दुश्मन ज़माना रोवैगा बहना जाग जाग री ।
2
नैया की थामें पतवार बनायें सुखी घर परिवार
रोवैगा जो भी सोवैगा बहना जाग जाग री ।
3
ज्ञान विज्ञान जिंदाबाद हो जाये मानवता आजाद
विज्ञान ही मैल धोवैगा बहना जाग जाग री ।
4
रूढ़िवाद की सब दीवार ढाहने को होओ तैयार
वरना ये हमको डबोवैगा बहना जाग जाग री ।
5
समतावादी ये समाज बने ऐसा हमारा रिवाज बने
फेर गूंडा मुँह दबकोवैगा बहना जाग जाग री ।
6
पिस्से की हवस जनाब जी करे मनुष्य को ख़राब जी
वो काटैगा जो बैर बोवैगा बहना जाग जाग री ।
7
रणबीर सिंह करे पुकार हमारा एकता का हथियार
पापी नै यो जमा खोवैगा बहना जाग जाग री ।
67
नपूता स्टोव
के बूझै सै भाण चमेली सारा तो तनै बेरा हे।
देख देख इसी करतूतां नै बिंध्या कालजा मेरा हे।।
1. नणद मारदी दिन धौली घणा बूरा जमाना आया
स्टोव नपूते नै बी बेबे म्हारी कान्ही मुंह बाया
कोसली हो चाहे गोहाना घणा कसूता जुलम कमाया
किस-किस का जिकरा हे आज दुर्योधन बी शरमाया
जली नहीं सै गई जलाई न्यों छाया आज अन्धेरा हे।।
2. इस देस मैं छोरी पैदा होण पै सारे छा मुरदाई जा
छोरे कै उपर बाजै थाली घणीए खुशी मनाई जा
जिसकै होवैं लागती छोरी वा निरभाग बताई जा
इसी दोषी कहैं बीर नै न्यों भारी आ करड़ाई जा
म्हारी समझ मैं आया कोण्या यो बिघनां का घेरा हे।।
3. मनू महाराज नै भाण चमेली कसूता अत्याचार कर्या
लूला लंगड़ा गंवार और कोढ़ी पति म्हारा स्वीकार कर्या
नाड़ झुका और गूंगी बणकै हुकम हमं अंगीकार कर्या
नाड़ उठाकै जो बोली उसतै कुल्टा सा ब्यौहार कर्या
हमनै नागण कहै माणस क्यों बण्या चाहवै सपेरा हे।।
4. पां की जूती बरोबर म्हारी क्यों तसबीर दिखाई जा
राज करण की छोर्यां तै पूरी तदबीर बताई जा
बीर नै गम खाणा चाहिये म्हारी तकदीर सिखाई जा
म्हारे बासी खीचड़ी थ्यावै उननै हल्वा खीर खिलाई जा
रणबीर सिंह ना झूंठ लिखै सै गाम बरोने डेरा हे।।
68
छेड़छाड़
महिला गेल्यां छेड़छाड़ की घटना बढ़ती जावैं देखो।।
कई घटना इसी घटज्यां बट्टा प्रदेश कै लावैं देखो।।
1
सूमो कतोपुरी रेवाड़ी मैं छात्रावां नै नाम कटाये
दुखी स्कूल की छेड़छाड़ तै पचास नै ये कदम ठाये
रेवाड़ी जिला तो फौजियां का उड़ै छोरी दुःख ठावैं दखे।।
2
जींद जिले का गाम धरौंदी एक छोरी थी घणी सताई
उसके बाबू नै दुखी होकै नै एक दिन थी फांसी खाई
छेड़छाड़ तै परेशान छोरी जहर आज खावैं दखे।।
3
रोहतक मैं दस साल की पहलवान गेल्याँ बुरी करी
वीडियो बनाकै नै उसकी उसकै सहमी लयान धरी
दस सालां मैं ये घटना पांच गुणा बढ़ी बतावैं दखे।।
4
यो मामला गम्भीर घणा इसपै सोचां बैठकै सारे रै
सारे समाज की चिंता सै समाधान खोजां बैठकै सारे रै
कहै रणबीर मिलकै नै कोय राह घाट पावैं दखे ।।
69
आज का जमाना
तेज रफ़्तार ज़माने की समझां इसकी चाल हे।।
नासमझी मैं उतरे बेबे म्हारी सबकी खाल हे।।
1
गफलत पडे छोड़नी करा हकां की रुखाल हे
अपना गम स्कूल अपना करें इसकी संभाल हे
म्हारे स्कूल कोलेजां पै टपकै बदेशिया की राल हे।।
2
जनता एका करकै बनैगी या मजबूत सी ढाल हे
जात पात और धरम पर करा लड़न की टाल हे
वैजानिक नजर के सहारे रचै नयी मिसाल हे।।
3
मानवता सिखर पर पहोंचे सजा पावें चंडाल हे
कार्य कारण की होवे फेर सही सही पड़ताल हे
क्या क्यों और कैसे बरगे उठें दिलों मैं सवाल हे।।
4
धार्मिक कटरता की हार होजयागी फिलहाल हे
संघर्ष करना बहोत जरूरी ठा हाथों में मशाल हे
मानवता की करें सेवा नहीं रहे कोई मलाल हे।।
5
एक दूजे का प्राणी राखै हमेश्या पूरा ख्याल हे
आए अकेले अकेले जाना बाकि सब जंजाल हे
प्रकर्ति गेल्यां करें दोस्ती पर्यावरण हो बहाल हे।।
6
पानी की कमी नही रह्वै नहीं होंगे सुने ताल हे
भूखा कोए नहीं सोवैगा नहीं पडेंगे अकाल हे
समतावादी विचार सबके नहीं मचै बबाल हे।।
70
कै दिन समाज बचैगा
बिन वंचित की रूखाल करें, बिन महिला का ख्याल करें।
बिन समता का सवाल करें, कै दिन समाज बचैगा हे।।
1. गरीब परिवार मैं पैदा होकै हांगा लाकै करी पढ़ाई
सत्तर प्रतिशत नम्बर ले कै भी ना कितै नौकरी थ्याई
ज्यान कति मरण मैं आई हे, के संकट समझ नहीं पाई हे
दिन दूनी क्यों बढ़ी म्हंगाई हे, कै दिन समाज बचैगा हे।।
2. पढ़ाई लिखाई व्यापार बणाली क्यों सारे ही संसार नै
पीस्से की हवस बढ़गी खोस कै लेगी म्हारी बहार नै
टी वी नंगी फिल्म दिखावै सै, अत्याचार यो बढ़ता जावै सै
माणस नै माणस खावै सै, कै दिन समाज बचैगा हे।
3. हुये आजाद तो सोचैं थे सबनै ईब रूजगार मिलैंगे
ठीक ठ्याक जिन्दगी गुजरै ना धक्के बारम्बार मिलैंगे
सपने सारे धूल मैं मिलगे, म्हारे आदर्श सारे हिलैंगे
बदमाशां के चेहरे खिलैंगे, कै दिन समाज बचैगा हे।।
4. आर्थिक सुधार का रंदा म्हारी नाड़ पै चलाया क्यों
आत्मनिर्भरता का नारा आज पढ़ण बिठाया क्यों
विश्व बैंक हमनै भावै क्यों निजीकरण बढ़ाया क्यों
गरीब का गला दबाया क्यों कै दिन समाज बचैगा हे।।
71
मनमर्जी का बयाह पर चांद और कमला की बातचीत
चाँद - कमला सुनले बात मेरी मतना रोपै चाला हे
कमला - एक बै जो मन धार लिया कोन्या होवै टाला हे
चाँद - म्हारे बरगी छोरी नै ना ब़र आपै टोहना चाहिए
कमला- गलत रीत बात पुराणी ना इनका मोह होना चाहिए
चाँद - अपनी जात कुटम्ब कबीला ना कदे नाम डबोना चाहिए
कमला - जात पात का झूठा रोला दिल का बढ़िया होना चाहिए
चाँद-के टोह्या तनै छैल गाभरू रंग का दीखै काला हे ||
कमला- रूप रंग में के धरया सै माणस गजब निराला हे ||
चाँद- नकशक रूप रंग पै तौ या दुनिया मारती आई सै
कमला-बिना बीचार मिलें तौ फेर कोन्या भरती खाई सै
चाँद - मात पिता ब़र टोहवै या दुनिया करती आई सै
कमला- डांगर ज्यों खूँटें बाँधें ज्णों गऊ चरती पाई सै
चाँद- बात मानले कमला बेबे टोहले बीच बीचाला हे||
कमला- उंच नीच देख लाई सै कोन्या बदलूँ पाला हे ||
चाँद- यो भूत प्रेम का दखे थोड़े दिन मैं उतर ज्यागा
कमला-एक सै मंजिल म्हारी क्यूकर प्यार बिखर ज्यागा
चाँद - बख्त की मार पडैगी हे वो तनै छोड़ डिगर ज्यागा
कमला- बख्त गैल लडै मिलकै संघर्ष मैं प्रेम निखर ज्यागा
चाँद- ज्यान बूझ कै करै मतना जिंदगानी का गाला हे ||
कमला- वो मने चाहवै सै मैं बी फेरूँ उसकी माला हे ||
चाँद- गाम गुहांड घर थारे नै जात बाहर करैगा हें
कमला-बढ़िया बात नै रोकै वो गलत बीचार मरैगा हें
चाँद-घर बार बिना ना तम्नै यो दिन चार सरैगा ह़े
कमला - गादड़ की मौत मारे जो एक बार डरेगा ह़े
चाँद- कमला तूं फेर पछतावैगी थारा पिटे दिवाला ह़े ||
कमला-चान्द्कौर क्यूं घबरावै सै रणबीर म्हारा रूखाला ह़े ||
72
दो बोल
गरीब अमीर का मेल नहीं ,बकरी शेर का खेल नहीं
सही कातल नै जेल नहीं , बीर मरद की रखैल नहीं
जी छोड़े अमर बेल नहीं ,या दुनिया कहती आई ||
बिना शिक्षा के ज्ञान नहीं , बिना ज्ञान हो सम्मान नहीं
तोह्वां हम असल सच्चाई , जो सबकै साहमी आई
कमेरे की हो ख़ाल तराई , जाने सरतो और भरपाई
या बात गयी अजमाई , ना मने झूठ भकाई ||
बिना मणि के नाग नहीं , बिना माली के बाग़ नहीं
लूटेरे बिना हो ना लूट , और कोए ना बोवै फूट
सबर का यो प्यावें घूँट , नयों हमनै खावें चूट
अमीर फेर दिखावें बूट , कदे समझ ना पाई ||
बिना सुर के राग नहीं, बिना घर्षण के आग नहीं
दफ़न सभी फरयाद हुई, घनी लीलो चमन बर्बाद हुई
कबूल नहीं फरयाद हुई , मेहनत सारी खाद हुई
कमजोर म्हारी याद हुई , नयों या नौबत ठाई ||
ना बिन पदार्थ कुछ साकार , ना बिन तत्व गुणों का सार
ये नीति इसी चाल रहे , बिछा हम पर जाल रहे
बिकवा घर का माल रहे , सब ढालां कर काल रहे
गलूरे बना ये लाल रहे, रणबीर की श्यामत आई ||
73
त्रिमूर्ति
बैंक फंड व्यापार त्रिमूर्ति मिलकै खाल तारै म्हारी बेबे।।
इसके काटे घूमण लागरे गरीब नर और नारी बेबे।।
1. सिरकी घाल कै करैं गुजारा जिननै ताज महल बनाये
उनके बालक भूखे मरते जिननै जमकै खेत कमाये
तन पै उनके लत्ता ना जिननै कपड़े के मील चलाये
वे बिना दूध सीत रहते, जिननै डांगर खूब चराये
भगवान भी आन्धा कर दिया ना इने दीखता भ्रष्टाचारी बेबे।।
इसके काटे घूमण लागरे गरीब नर और नारी बेबे।।
2. जितना करड़ा काम म्हारा नहीं सम्मान उतना मिलता
दस नम्बरी माणस जितने उनका हुकम सारै पिलता
नकली फूल सजावैं देखो यो क्यों ना असली खिलता
कहैं उसके बिना आड़ै यो पत्ता तक नहीं हिलता
सबके उपर ध्यान नहीं उसका फेर किसा न्यायकारी बेबे।।
इसके काटे घूमण लागरे गरीब नर और नारी बेबे।।
3. डांगर की कदर फालतू माणस बेकदरा सै संसार मैं
छोरे की कदर घणी सै छोरी धन पराया परिवार मैं
किसे जुल्म होण लागरे ये छपते रोज अखबार मैं
कति छांट कै इसनै चलाई महिला भ्रूण पै कटारी बेबे।।
इसके काटे घूमण लागरे गरीब नर और नारी बेबे।।
4. इस व्यवस्था मैं मुट्टीभर तो घणे हो मालामाल रहे
हमपै चलाकै चाल अपणी ये पूर कसूता जाल रहे
सोच कै बढ़ियो आगै नै ये माफिया काले पाल रहे
पुलिसिया और फौजी कर रणबीर इनकी रूखाल रहे
सही सोच कै संघर्ष बिना ईब जनता पिटती जारी बेबे।।
इसके काटे घूमण लागरे गरीब नर और नारी बेबे।।
74
महिला समिति की महिलाएं अपनी मांगों के लिए डी. सी.की कोठी पर धरना देती हैं । उनकी नेता भरतो को बुलाने आती हैं ।भरतो तैयार होकर चलती है तो मौजी उसका पति पूछता है कहाँ जा रही हो। भरतो इस सवाल जवाब में क्या कहती है भला:
मौजी:
तैयारी करकै कित चाली यो बालक इब्बे याणा सै।।
भरतो:
महिला समिति का धरणा उसके म्हं मनै जाणा सै।।
मौजी:
इबकी गई कद आवैगी यो खाणा किन्नै बनाणा सै।।
भरतो:
रोटी पोकै धरदी मनै बस घाल कै तनै खाणा सै।।
मौजी:
के काढैगी धरने पै ये उल्टी सीख सिखावैं सैं
या राही तो ठीक नहीं तनै इसपै कौन ले ज्यावैं सैं
मनै नहीं बेरा लाग्या कौन ये पाठ पढ़ावैं सैं
पाछले दो मिहने होगे बढ़ चढ़ कै बात बणावैं सैं
घरां रैहना जरूरी तेरा हमनै टूर पै जाणा सै।।
भरतो:
सारी उम्र मैं मेरा तो पहला बुलावा आया यो
महिला समिति बणी सै उसनै कदम उठाया यो
औरत नै जागना चाहिए पूरी ढालाँ समझाया यो
बिजली पाणी की खातर धरणा आज लगाया यो
इतनी सी मोहलत दे दे मनै तो वचन पुगणा सै।।
मौजी:
दिल की बूझै मेरी तो आछी लागी ये बात नहीं
कित धक्के खावैगी तों पहचानै क्यों औकात नहीं
न्यों घर छोड़ कै जाणा दीखै आछी शुरुआत नहीं
कहण मानले यो मेरा बस इतना ही समझाणा सै।।
भरतो:
कई पढी लिखी ये बेबे बढ़िया बात बतावैं सैं
बीर नै आगै आणा चाहिए इस तरियां समझावैं सैं
बीर मर्द नै ये गाड्डी के पहिये दो दिखावैं सैं
घर का संकट कम होज्या न्यों धरणा आज लगावैं सैं
रणबीर सिंह संग मिलकै घर घर अलख जगावैं सैं ।।
75
दो बोल
गरीब अमीर का मेल नहीं ,बकरी शेर का खेल नहीं
सही कातल नै जेल नहीं , बीर मरद की रखैल नहीं
जी छोड़े अमर बेल नहीं ,या दुनिया कहती आई ||
बिना शिक्षा के ज्ञान नहीं , बिना ज्ञान हो सम्मान नहीं
तोह्वां हम असल सच्चाई , जो सबकै साहमी आई
कमेरे की हो ख़ाल तराई , जाने सरतो और भरपाई
या बात गयी अजमाई , ना मने झूठ भकाई ||
बिना मणि के नाग नहीं , बिना माली के बाग़ नहीं
लूटेरे बिना हो ना लूट , और कोए ना बोवै फूट
सबर का यो प्यावें घूँट , नयों हमनै खावें चूट
अमीर फेर दिखावें बूट , कदे समझ ना पाई ||
बिना सुर के राग नहीं, बिना घर्षण के आग नहीं
दफ़न सभी फरयाद हुई, घनी लीलो चमन बर्बाद हुई
कबूल नहीं फरयाद हुई , मेहनत सारी खाद हुई
कमजोर म्हारी याद हुई , नयों या नौबत ठाई ||
ना बिन पदार्थ कुछ साकार , ना बिन तत्व गुणों का सार
ये नीति इसी चाल रहे , बिछा हम पर जाल रहे
बिकवा घर का माल रहे , सब ढालां कर काल रहे
गलूरे बना ये लाल रहे, रणबीर की श्यामत आई ||
76
प्रदूषण
म्हारे देश के विकास नै, यो प्रदूषण घणा फैलाया बेबे।।
दुनिया मैं दिल्ली शहर , ग्याहरवें नम्बर पै बताया बेबे।।
1
यमुना पढ़ण बिठादी या , ईब गंगा की बारी कहते रै
तालाब घनखरे सूख लिए, विकास की लाचारी कहते रै
संकट पाणी का कसूता , भारत प्यारे पै मंडराया बेबे।।
म्हारे देश के विकास नै, यो प्रदूषण घणा फैलाया बेबे।।
2
जंगल साफ करण लागरे ,विनाश के लगा गेर दिए
वायु प्रदूषण बढ़ता जावै, विकास के नारे टेर दिए
जंगल जमीन खान बेचे, विकास का खेल रचाया बेबे।।
म्हारे देश के विकास नै, यो प्रदूषण घणा फैलाया बेबे।।
3
प्रदूषण कारण लाखों लोग बख्त तैं पहल्यां मरज्यावैं
ये प्रदूषण उम्र करोड़ों की कई साल कम कर ज्यावै
पूरे भारत देश म्हारे मैं, प्रदूषण नै कहर मचाया बेबे।।
म्हारे देश के विकास नै, यो प्रदूषण घणा फैलाया बेबे।।
4
विकास की जागां देखो विनास की राही चाल रहे
पाणी सपड़ाया पेड़ काटे घणे कसूते घर घाल रहे
संभलो जनता कहै रणबीर प्रदूषण नै देश रम्भाया बेबे।।
म्हारे देश के विकास नै, यो प्रदूषण घणा फैलाया बेबे।।
77
कैसा घर
ना मनै पीहर देख्या होगे तीन साल सासरै आई नै।
भूल गई मैं परिवार सारा भूली बाहण मां जाई नै।।
1
बीस बरस रही जिस घर में उस घर तै नाता टूट गया
खेली खाई जवान हुई सब किमै पाछै छूट गया
मेरे सुख नै कौण लूट गया बताउं कैसे रूसवाई नै।।
भूल गई मैं परिवार सारा भूली बाहण मां जाई नै।।
2
आज तक अनजान था जो उंतै सब कुछ सौंप दिया
विश्वास करया जिसपै उनै छुरा कड़ मैं घोंप दिया
ससुर नै लगा छोंक दिया ना समझया बहू पराई नै।।
भूल गई मैं परिवार सारा भूली बाहण मां जाई नै।।
3
मनै घर बसाना चाहया अपणा आप्पा मार लिया
गलत बात पै बोली कोण्या मनै मौन धार लिया
फेर बी तबाह घरबार किया ना देखैं वे अच्छाई नै।।
भूल गई मैं परिवार सारा भूली बाहण मां जाई नै।।
4
किसे रिवाज बनाये म्हारे इन्सान की कदर रही नहीं
सारी बात बताउं क्यूकर समझो मेरी बिना कही
के के ईब तलक सही आई ना रणबीर की लिखाई मैं।।
भूल गई मैं परिवार सारा भूली बाहण मां जाई नै।।
78
किरण के एक प्रवाशी परिवार के बारे एक रागनी। क्या बताया भला--
बिहार तैं चालकै आये साँ हरियाणा मैं किरण नै बताया ।।
पति की साथ दो बालक छोटे गरीबी का सिर पै यो छाया ।।
1
पाँच छह दिन रहे टेशन पै रहने की जागां पाई ना
बात करी दो चार जागां कई दिन दिहाड़ी थ्याई ना
कई रात नींद जमा आई ना बालकां नै रोष घणा जताया ।।
2
पंचवटी कालोनी मैं एक टूट्या फुटया सा मकान मिल्या
पानी ल्यावां दूर सड़क पर तैं जोड़ जोड़ दोनों का हिल्या
मनै खाना बनाने का काम एक कोठी मैं मुश्किल तैं थ्याया ।।
3
पति नै दुकान परतैं रेहड़ी पै सब्जी बेचन का मिल्या काम
दो तीन मोहळ्यां मैं जाना सुबह दोपहरी और शाम
चार सौ पांच सौ की बिकै इसमें कुछ घणा ना बच पाया ।।
4
चार मिहने पीछै मिस्त्री का दिया काम दिवा ठेकेदार नै
आठ मिहने काम चल्या उड़ै या सांस आई घरबार नै
पेट पालण का रणबीर किरण हर नै न्यों जुगाड़ बिठाया ।।
79
ओले हाथ नै सौले का भरोसा नहीं रहया बताया हे।।
के होग्या म्हारे समाज कै अंधविश्वास सारै छाया हे।।
1
बाहण की इज्जत नै भाई समाज के मैं लूट रहया
गुंडा लेकै रिवाल्वर पूरे गाम मैं खुल्ला छूट रहया
गाम पी खून का घूंट रहया बदमाशों नै डराया हे।।
के होग्या म्हारे समाज कै------
2
शहरां तैं आज गाम घणे असुरक्षित होंते आवैं सैं
वंचित तबके गामां मैं मुश्किल तैं रात बितावैं सैं
गुंडे छोरी ठा लेज्यावैं सैं रिवाल्वर का भय बिठाया हे।।
के होग्या म्हारे समाज कै---------
3
जो बोलैं उणनै पीटैं झूठे उनपै इल्जाम लवादें सैं
स्कूल जान्ती छोरी घबरावैं उड़ै जावणा छटवादें सैं
काबू ना आवै तो मरवादें सैं यो किसा जमाना आया हे।।
के होग्या म्हारे समाज कै---------
4
चुप्पी साधें ना पार पड़ै हमनै आवाज उठानी होगी
गुंडागर्दी पै सबनै मिलकै आज लगाम लगानी होगी
रणबीर कलम चलानी होगी ज्यां यो छंद सै बनाया हे।।
के होग्या म्हारे समाज कै---------
80
हम सबके सपनों का हिंदुस्तान
हटकै होज्यां धन माया की कई कई खान हमारे हिंदुस्तान मैं।।
सभी लोग लुगाई होवैं भाईयो बलवान हमारे हिंदुस्तान मैं।।
1
सभी हों सत्य के पुजारी फेर फलै फूलै हमारा समाज
उच्च कोटि के चिकित्सक होज्यां सब रोगों का करैं इलाज
शुद्ध हवा और शुद्ध जल मिलज्या गोदामों मैं भरां अनाज
झूठ कपट ना टोही पावैं नहीं कोय रैहज़्यागा धोखे बाज
शोषण रहित समाज बनावां सम्मान हमारे हिंदुस्तान मैं।।
सभी लोग लुगाई होवैं भाईयो बलवान हमारे हिंदुस्तान मैं।।
2
सोने की चिड़िया भारत सै दोबारा कहैगा सारा संसार
किसानों के ऊपर नहीं पड़ै इस जुल्मी फांसी की मार
आई टी के नूरे नूरी देश मैं ये घणे होवैंगे फेर तैयार
काम मिलै हर हाथ नै नहीं रहवैगा कोए भी बेकार
फेर दिन दूनी तरक्की करै विज्ञान हमारे हिंदुस्तान मैं।।
सभी लोग लुगाई होवैं भाईयो बलवान हमारे हिंदुस्तान मैं।।
3
सब तरियां खुशहाल देश हो ना हो कमी माया जर की
किसे चीज का घाटा हो ना बात रहै ना कोय डर की
वर्तमान समस्या नहीं रहैं ये रोटी कपड़े और घर की
वैज्ञानिकों के प्रति भावना बढ़ै हमेशा या आदर की
फेर टोहया नहीं पावैगा मिथ्याज्ञान हमारे हिंदुस्तान मैं।।
सभी लोग लुगाई होवैं भाईयो बलवान हमारे हिंदुस्तान मैं।।
4
जनता मैं लहर खुसी की फूल चमन मैं खिलजयांगे
बंजर भूमि रहवै कोण्या खेती मैं ट्रैक्टर चलज्यांगे
रणबीर पुराने अंधविश्वास समय के साथ बदलज्यांगे
दोस्ती करां पड़ौसियों गेल्याँ हाथ मिला आगै बढज्यांगे
ढाल ढाल के मिलते आड़े इंसान हमारे हिंदुस्तान मैं।।
सभी लोग लुगाई होवैं भाईयो बलवान हमारे हिंदुस्तान मैं।।
81
सरतो अपने फौजी पति बारे अपनी जिठानी से सुपने का जिकर करती है। क्या बताती है भला:
के बताउं जिठानी तनै तेरा देवर सपने म्हां आया री।।
देख कै हालत उसकी आई नहीं पहचान के म्हां काया री।।
बिखरे बिखरे बाल थे उसके मूंछ और दाढ़ी बढ़ी हुई
ना न्हाया ना खाया दीखै चेहरे की हड्डी कढ़ी हुई
नींद एक गाड्डी चढ़ी हुई घणी चिन्ता के म्हां पाया री।।
बैठी होले न्यों बोल्या जंग के पूरे आसार होगे
सारी दुनिया युद्ध ना चाहवै अमरीकी मक्कार होगे
माणस लाखां हजार होंगे मिलकै सबने नारा लाया री।।
चीं करकै जहाज हवाई आसमान मैं आन्ता दिख्या
बटन दाब कै बम्ब गेरया पति मनै कराहन्ता दिख्या
दरद मैं चिल्लान्ता दिख्या उनै हाथ हवा मैं ठाया री।।
इतना देख कै मनै अपनी छाती पै हाथ फिरा देख्या
आंख उघड़गी मेरी घबराकै घोर अन्ध्ेरा निरा देख्या
रणबीर सिंह नै घिरा देख्या तुरत मदद कै म्हां आया री।।