Monday, 12 June 2023

जागज्यावां मजदूर किसान

 जागज्यावां मजदूर किसान, देखो हमनै कौण लूट रहे।।

दिन रात हम काम करैं, फेर भी मुश्किल पेट भरैं
करैं मौज आड़ै धनवान, हम पाणी गेल्याँ रोटी घूंट रहे।।
ये पंडे और पुजारी लूटैं, ये अमरीकी ब्योपारी लूटैं
लुटैं क्यों हम भगवान,क्यों अमरीका यूके खागड़ छूट रहे।।
इब तो.......
बिजली चमकै औले पड़ते, हम पाणी के भीतर बड़ते
लड़ते सरहद ऊपर जवान,वे चांदी महलां अंदर  कूट रहे।।
इब तो .....
धनवानों के महल अटारी, खोस लेज्यां मेहनत म्हारी
उतारी म्हारे घरां की छान, बांस ऊँनके बीच तैं टूट रहे।।
इब तो....
जब जब ठाये हमनै झंडे, पुलिस के खाये गोली डंडे
बनादें मरघट का शमशान, घाल कमेरयां भित्तर फूट रहे।।
इब तो.....
सब इंसान कर दिये लाचार, नाव फंसाई बीच मंझदार
हरबार लड़ावैं ये बेईमान, म्हारा सब किमै देखो चूट रहे।।
इब तो....
सुन रणबीर सिंह के गाणे, रोवैं बूढ़े और घणे स्याणे
याणे करे दारू नै गलतान ,भाइयो बोल नहीं झूठ रहे।।
इब तो ....

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