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उन्नीस सौ सात आंदोलन बारे जब हम किताब ठावैं रै।।
यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।
1
लाला जी और अजित सिंह इस आंदोलन के अगाड़ी थे
पगड़ी सम्भाल आंदोलन के वे घणे तगड़े खिलाड़ी थे
पढ़कै पगड़ी सम्भाल जट्टा बांके दयाल कवि सुनावैं रै।।
यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।
2
गीत नै अभिमान किसानों का उन बख्तों मैं ललकार दिया
इस कविता के भाव को किसानों नै कर अंगीकार लिया
गोरे दबावण की खातर किसानों ऊपर घणे जुल्म ढावैं रै।।
यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।
3
गोरी सरकार कृषि कानून उन्नीस सौ सात के मैं ल्याई थी
चुपके चुपके पास करया नहीं चर्चा किसे तैं चलाई थी
नहर कालोनियां मैं रहवनियाँ के वे हक खोसे चाहवैं रै।।
यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।
4
बे उल्लादे जमींदार के मरे पाछै जमीन खोसी चाही थी
जिला अफसर मालिक होगा या काली कानून बनाई थी
लायलपुर मैं होकै कट्ठे ये हजारों किसान विरोध जतावैं रै।।
यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।
5
अजित सिंह लाला जी नै किसानों साथ मिलकै विरोध जताए
अनदेखी करी गोरयां नै और घणे उनपै जुल्म थे ढाये
दोनूं मांडले जेल भेज दिए गोरे आंदोलन दबाया चाहवैं रै।।
यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।
6
पूरा पंजाब कट्ठा होकै नै विरोध जतावण के ऊपर भिड़ग्या
बढ़ता गया विरोध गोरयां का कानून खारिज करणा पड़ग्या
ऐतिहासिक हुया वो आंदोलन जब हम हिसाब लगावैं रै ।।
यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।
7
गदर लहर बब्बर अकाली इणनै ये विचार आगै बढ़ाये थे
भगत सिंह हर बरगे क्रांतिकारी आजादी जंग मैं छाये थे
उन्नीस सौ सैंतालीस मैं गोरयां तैं आजादी भारतवासी पावैं रै।।
यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।
8
रणबीर फेर दी गूंज सुनाई पगड़ी सम्भाल सरोकारों की
काले कानून ल्याई सरकार नहीं पूछ म्हारे विचारों की
पगड़ी सम्भाल स्वाभिमान पै ये गायक गीत सुनावैं रै।।
यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।