हरियाणा के महान कवि एवम स्वतन्त्रता सेनानी बरोणा की पावन धरती के सपूत जाट मेहर सिंह की 100 वीं जयंती पर शत शत नमन।
एक बार जाट मेहर सिंह की भाभी ने बातचीत में आदरणीय Ranbir Singh Dahiya को बताया कि मेहरू में दो अवगुण थे। वहाँ मौजूद सभी लोग ये सुन चकित थे कि ऐसे महापुरुष में भी दो अवगुण।
जब पूछा तो बताया कि:
1. हुक्का बिगाड़ था- मतलब जहाँ भी हुक्का मिलता पी लेते थे, जात धर्म देख कर हुक्का नहीं पीया।
2. मुसलमानों के साथ यारी थी।
ये अवगुण नहीं बल्कि आज से 100 वर्ष पूर्व भी उनकी दूरगामी सोच को दिखाता हैं।
डॉ रणबीर सिंह दहिया की जाट मेहर सिंह पर लिखी एक कविता आपके समक्ष पेश हैं:
शहीद फ़ौजी कवि किसान मेहर सिंह
मेहर सिंह हटकै आज्या तनै बरोणा गाम बुलावै सै।।
तेरे सौंवे जन्म दिन पै गाम गुहांड खुसी मनावै सै।।
1
हुक्का बिगाड़ पहला अवगुण बहोत घणा भाया दखे
छुआछूत खत्म करने का रस्ता हमको दिखाया दखे
देख आकै जातपात का घेरा रोजाना बढ़ता जावै सै।।
तेरे सौंवे जन्म दिन पै गाम गुहांड खुसी मनावै सै।।
2
दूजा अवगुण मुसलमानों मैं पक्की यारी दोस्ती बताया
उन बख्तों मैं हिन्दू मुस्लिम का भाईचारा खूब बढ़ाया
ये अवगुण तेरे बताये इनतैं बड्डा गुण के पावै सै।।
तेरे सौंवे जन्म दिन पै गाम गुहांड खुसी मनावै सै।।
3
कवि फ़ौजी किसान शहीद चार चीज नहीं टोही पाती रै
अमर होग्या यो नाम तेरा फूली बरोणा गाम की छाती रै
काला चाँद का किस्सा तेरा कद कई गुणा बढ़ावै सै।।
तेरे सौंवे जन्म दिन पै गाम गुहांड खुसी मनावै सै।।
4
देश आजाद करावण मैं आजाद हिंद फौज लड़ी थी रै
ब्रिटिश आर्मी छोड़ कैै बोस की फ़ौज करी खड़ी थी रै
रणबीर सिंह तेरी याद मैं टूटे फूटे छन्द बणावै सै।।
तेरे सौंवे जन्म दिन पै गाम गुहांड खुसी मनावै सै।।
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