ब्रह्रााण्ड महारा
इस ब्रह्रााण्ड का बेरा ना सोच-सोच घबराउं मैं।
धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।
वैज्ञानिक दृषिट का पदार्थ नै आधार बताते
नाश हो सकता बदलै ना आकार सुणाते
निर्जिव तै जीव की उत्पत्ति डारविन जी सिखाते
हमेश रहै बदलता क्यूकर या समझाउं मैं।।
जिज्ञासा और खोज तै उपजै उसनै ग्यान कहैं
क्रम बद्ध ग्यान नै फेर दुनिया मैं विग्यान कहैं
जिज्ञासा नै मारै सै जो उसको सारे अग्यान कहैं
गुण दोष पै जांचै परखै वैज्ञानिक इन्सान कहैं
पूर्वाग्रह तै टकराकै बणै नयी सोच दिखाउं मैं।।
मत विश्वास करो क्योंकि मां बाप नै बताया सै
शिक्षक नै कैहदी ज्यांतै आंख मूंद अपणाया सै
परीक्षण विश्लेषण पै जो सर्वहित कारी पाया सै
प्रयोग तै करैं दोबारा वो सिद्धांत आगै आया सै
ना भाग्यवाद पै कान धरूँ ऊंकै धोरै ना जाउं मैं।।
वैज्ञानिक दृषिट गुरू अपना चेला बताया होज्या
तीव्र ग्राही मन होवै जो कदे ना पड़कै सोज्या
सत्य का खोजी माणस बीज नई खोज के बोज्या
प्रमाण पै टिक्या विवेक सारे अंधविश्वास नै खोज्या
रणबीर जोर लगाकै बात खोज कै ल्याउं मैं।।
No comments:
Post a Comment