Friday, 26 October 2018

मंजीत भोला6

एक रागनी आपकी अदालत में

इश्क़-विश्क प्यार-व्यार की बात करणीया कोन्या मैं
जड़ै दीखज्या ज़ुल्फ़ उड़ै ए रात  करणीया कोन्या मैं

ना परचम  ना कोए पार्टी  ना लड़ता मैं निशानां पै
कलमकार हूँ कलम से हमला करता हूँ शैतानां पै
मंदिर मस्ज़िद नाम जिनके चढ़ूँ ना उन  दुकानां पै
मानवता तै बाध भरोसा ना करता मैं भगवानां  पै
कुछ कहो रै घाल किसेके जज़्बात करणीया कोन्या मैं
जड़ै दीखज्या  ज़ुल्फ़ उड़ै ए रात  करणीया कोन्या मैं

कोए आसिफा जब रोवै सै रूह डाटे तै डटती ना
एक बेटी का बाप सूँ मैं चिंता चित की मिटती ना
एकआधी ए रात इसी जा जिसमें नींद उचटती ना
सोच की कोए सीमा ना कित कित या भटकती ना
सरल सभा सै काबू म्हं ख़यालात करणीया कोन्या मैं
जड़ै दीखज्या ज़ुल्फ़ उड़ै ए रात  करणीया कोन्या मैं

बुरा बुरे नै कह सकूँ ना मैं इतणा भी  लाचार नहीं
देख हक़ीक़त नज़र फेरलयूँ बिकाऊ पत्रकार नहीं
छोडकै घर नै खुशहाली का बाहर करूं प्रचार नहीं
एक लालकिला भी संभळै ना इसा मैं चौकीदार नहीं
राजभवन म्हं मोड्यां की जमात करणीया कोन्या मैं
जड़ै दीखज्या ज़ुल्फ़ उड़ै ए रात  करणीया कोन्या मैं

सरहद पै  तैनात रहणीया मैं  सेना  का  जवान हूँ
चीर कै धरती अन्न उपजाऊँ खेतां म्हं  किसान हूँ
कुरान शरीफ की आयत ना रै ना गीता का ज्ञान हूँ
सबनै दे सम्मान एकसा वो भारत का संविधान हूँ
मनजीत भोळा धर्म देखकै दुभात करणीया कोन्या मैं
जड़ै  दीखज्या ज़ुल्फ़ उड़ै ए रात  करणीया कोन्या मैं

मनजीत भोळा

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