Thursday, 23 August 2018

जाल अमरीका का

2008 की रचना आज और प्रासंगिक हो गयी लगती है 

जाल अमरीका का 
अमरीका तनै जाल बिछाया , हिंसा नशा फ्री सैक्स फैलाया 
हरेक देश दबाना चाहया, तेरी चाल समझ  मैं आई  सै || 

फीम सुल्फा चरस बिकादी , हथियारों की होड़ बढ़ादी ,
तेरे तै होंगे सही पौ बारा , यो नौजवान फंसग्या म्हारा 
म्हारी तबियत होगी खारया ,करी खूब काली कमाई सै || 

उदारीकरण के नारे लगाए , शिकंजे मैं कई देश फंसाये 
तूफ़ान अश्लीलता का ल्याया , गाभरू कै खून मुँह लगाया 
चैनल पै चैनल चलवाया , आतंकवाद कसूत फैलाई सै || 

पोर्न फिल्मों की बाढ़ सी ल्यादी , काली कमाई इसमें भी लादी 
हिंसा नै रिकार्ड तोड़ दिये , म्हारे छोरा छोरी मरोड़ दिए 
ये हिंसा के घोड़े खुल्ले छोड़ दिए , सोच समझ चाल चलायी सै || 

एक हाथ तैं लूटै हमनै देखो , दूजे हाथ तैं चूमै हमनै देखो 
म्हारा धयान हटावै सच्चाई तैं , ऐश करता म्हारी कमाई पै 
रणबीर सिंह की कविताई पै ,उम्मीद जनता नै लाई सै ||  

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